झारखण्ड
शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद राँची (झारखण्ड)
द्वितीय
सावधिक परीक्षा (2021-2022)
प्रतिदर्श प्रश्न पत्र सेट- 04
कक्षा-12 |
विषय- हिंदी (कोर) |
समय- 1 घंटा 30 मिनट |
पूर्णांक- 40 |
सामान्य
निर्देश:
»
परीक्षार्थी यथासंभव अपनी ही भाषा-शैली में उत्तर दें।
»
इस प्रश्न-पत्र के खंड हैं। सभी खंड के प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है।
»
सभी प्रश्न के लिए निर्धारित अंक उसके सामने उपांत में अंकित है।
»
प्रश्नों के उत्तर उसके साथ दिए निर्देशों के आलोक में ही लिखें ।
खंड
- 'क' (अपठित बोध)
01. निम्नलिखित पदयांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
02+02+02= 06
शांति नहीं तब तक, जब तक
सुख-भाग न सबका सम हो।
नहीं किसी को बहुत अधिक हो।
नहीं किसी को कम हो।
स्वत्व माँगने से न मिले,
संघात पाप हो जाएँ।
जियें या कि मिट जाएँ।
न्यायोचित अधिकार माँगने
से न मिले, तो लड़ के
तेजस्वी छीनते समर को,
जीत, या कि खुद मर के।
(क) शांति के लिए क्या आवश्यक है?
उत्तर:
शांति के लिए आवश्यक है-सुख के साधनों की समानता।
(ख) तेजस्वी लोगों की क्या पहचान है?
उत्तर:
तेजस्वी लोगों की पहचान यह है कि वे अपने अधिकारों को हासिल करने के लिए संघर्ष करते
हैं। वे या तो अपने हक छीनकर लेते या लड़ते-लड़ते मर जाते हैं।
(ग) कौन-सा युद्ध निष्पाप है?
उत्तर:
युद्ध न्यायपूर्ण अधिकारों की प्राप्ति हेतु किया जाता है, वह निष्पाप होता है।
अथवा
जीवन का सबसे बड़ा कलाकार और सबसे सफल व्यक्ति वह है जो उपयुक्त चुनाव करना
जानता है। चुनाव करने में तनिक भी भूल-चूक हो गई तो असफलता, पतन और हानि सुनिश्चित
है। कुछ चुनाव हमारे बस में नहीं है,जैसे माता-पिता का, देशकाल की, जन्म-मृत्यु का,
किंतु कुछ चुनाव हमारे बस में है, जिन पर हमारी सफलता और असफलता निर्भर है, जैसे काम
करने या न करने का चुनाव, आलस्य और परिश्रम का चुनाव और अच्छी बुरी संगति का चुनाव।
इन सब चुनावों में अच्छी-बुरी संगति का चुनाव सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस चुनाव
पर ही हमारा आचरण, हमारा कर्म, हमारे विचार, हमारी कर्मशैली और हमारी भाषा का स्तर
निर्भर है। इन्हीं बातों पर हमारे जीवन की सफलता-असफलता की संभावनाएँ टिकी हैं।
(क) जीवन का सबसे बड़ा कलाकार कौन है?
उत्तर:
जीवन का सबसे बड़ा कलाकार वह है जो काम करने की विधि और संगति का चुनाव करना जानता
है।
(ख) सबसे महत्वपूर्ण चुनाव कौन-सा है?
उत्तर:
अच्छी-बुरी संगति का चुनाव सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसी पर हमारी सफलता एवं असफलता
निर्भर है।
(ग) उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
उत्तर:
शीर्षक-जीवन में उपयुक्त चुनाव का महत्व अथवा उपयुक्त चुनाव की सफलता।
खंड
- 'ख' (अभिव्यक्ति और माध्यम)
02. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए - 05+05=10
(क) 'मेरे जीवन का लक्ष्य' अथवा 'लोकतंत्र में चुनाव' विषय पर एक निबंध
लिखिए।
उत्तर: "मेरे जीवन का लक्ष्य"
प्रत्येक
व्यक्ति का जीवन में कोई न कोई लक्ष्य होता है। लक्ष्य विहीन मनुष्य इधर-उधर भटक जाता
है। अतः प्रत्येक व्यक्ति को अपना लक्ष्य निर्धारित कर लेना चाहिए। मैने अपना लक्ष्य
निर्धारित कर लिया है। मैं बनूँगा तो डॉक्टर, लेकिन पैसा कमाना, उद्देश्य नहीं। पैसा
तो डॉक्टर के पास स्वतः असीमित रूप से चला आता है।
भारत
गाँवों का देश है। डॉक्टर लोग देहातों में जाना नहीं चाहते क्योंकि वहाँ शहरों की चकाचौंध
नहीं होती, नगरीय सुविधाएँ नहीं होती। यहाँ तक कि जिस व्यक्ति का प्रारंभिक जीवन गाँव
में ही बीता वह भी अब डॉक्टर बन जाने पर गाँव में नहीं रहना चाहता। वह भी शहर की लुभावनी
चकाचौंध में खो जाता है। लेकिन मैं ऐसा नहीं करूँगा। आप विश्वास मानिये-मैं उन डॉक्टरों
से बिल्कुल अलग राह पकडूंगा।
भारत
के गाँवों में गरीब लोगों की संख्या अधिक है। उन गरीबों को उचित इलाज नसीब नहीं होता,
नतीजा होता है मृत्यु। आज उचित चिकित्सा सुविधा के अभाव में देहात या गाँव के लोगों
की ही अधिकतर मृत्यु होती है। मैं इस कल्पना से काँप जाता हूँ। अतः मैं डॉक्टर बनकर
किसी गाँव में ही अपना क्लिनिक रखूगा और गरीबों की तो बिल्कुल मुफ्त सेवा करूँगा।
मेरे
पिताजी ने मुझे अपना लक्ष्य पूरा करने की अनुमति दे दी है। बाको घर के लोग मुझसे थोड़ा
चिढ़े रहते हैं। मैं उनकी चिढ़ की परवाह नहीं करता, क्योंकि यदि मैं लक्ष्य से भटक
गया तो उस नाव की तरह हो जाऊँगा जिसको पतवार नहीं है।
डॉक्टर
का पेशा से दोनों चीजें यश और धन-आते हैं। लेकिन मैने पहले बता दिया कि धन की ओर मैं
कम ध्यान दूंगा। केवल डॉक्टर बनना उद्देश्य इलाज हो। लेकिन आप कहेंगे कि अस्पताल बनाने
के लिए धन कहाँ से नहीं है। गाँव में एक अस्पताल खोलने का इरादा है जिसमें गरीबों का
मुफ्त आयेगा तो इसके लिए मैं चंदा करूंगा, सरकार से सहयोग लूंगा। आज गाँवों को डॉक्टर
की अति आवश्यकता है। यदि प्रत्येक गाँव में एक डॉक्टर या आस्पताल हो जाय तो देश की
काया पलट हो जाएगी।
"लोकतंत्र में चुनाव"
विश्व
में अनेक प्रशासन प्रणालियाँ हैं। उनमें लोकतंत्र सर्वश्रेष्ठ शासन-प्रणाली मानी जाती
है। अब्राहम लिंकन ने लोकतंत्र की परिभाषा इसप्रकार दी है-"लोकतंत्र जनता द्वारा,
जनता के लिए, जनता पर शासन है।'
भारत
के लिए यह गर्व की बात है कि यहाँ स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् प्रजातान्त्रिक शासन
व्यवस्था को अपनाया गया। भारत का लोकतंत्र विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। भारत के
मतदाता निरक्षर भले ही हों, पर वे मूर्ख नहीं हैं। उनमें राजनीतिक चेतना का अभाव भी
नहीं है। उन्होंने अनेक बार चुनाव के अनेक नेताओं और राजनीतिक दलों को धूल चटाईहै।
इस प्रणाली में मुख्य निर्णायक भूमिका जनता निभाती है। किसे वोट देनी है। किसे शासन
की सत्ता सौंपनी है। यह सब चुनावों के दौरान जनता के द्वारा किये गये मतदान पर आधारित
होता है। यदि नेता जनता क हित के कार्यों में रूचि लेता है और उन्हें सुविधाएं उपलब्ध
कराता है उनकी समस्याओं को बड़े अधिकारियों तक पहुँचाकर समाधान का प्रयास करता है तो
जनता उसे चुनाव में भारी बहुमत से जीत का सेहरा बाँधती है और यदि चुनाव जीतने के बाद
कोई नेता अपने वादों मत नहीं देती। से मुकरता है तो आगे आने होने वाले चुनावों में
जनता उसे किसी कीमत पर मत नहीं देती।
लोकतंत्र
शासन प्रणाली वास्तविक रूप में जनता के हित में सर्वोपरि रखकर जनकल्याण को महत्त्व
देती है। परन्तु दुर्भाग्यवश भ्रष्टाचार, राजनीति का अपराधीकरण, लालफीताशाही आदि तत्व
हमारे लोकतंत्र को खोखला बना रही है। जनता को जागरूक होकर इन्हें रोकना होगा। तभी हमारा
लोकतंत्र सफल कहा जाएगा।
(ख) अपने क्षेत्र में कानून-व्यवस्था की बिगड़ती हुई स्थिति पर किसी
दैनिक समाचार पत्र के संपादक को एक पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में,
सम्पादक,
'दैनिक भास्कर', राँची
विषय
: कानून-व्यवस्था/चोरी में वृद्धि ।
महाशय,
आपके सम्मानित पत्र के माध्यम से मै। भारत
के सरकार के गृह विभाग का ध्यान अपने क्षेत्र की दयनीय शान्ति-व्यवस्था के सम्बन्ध
में आकर्षित करना चाहता हूँ।
हमलोग
मधुपुर क्षेत्र के रहनेवाले हैं। मधुपुर से दो मील की दूरी पर अपौया-बैजलपुर नामक गाँव
है, जहाँ दो वर्ग के लोगों में पिछले तीन वर्षों से बेहद तनाव रहता है। इस अवधि में
करीब पच्चीस लोग मारे जा चुके हैं। आस-पास के गाँवों पर भी इसका असर पड़ रहा है। घर-घर
में लोग देशी पिस्तौल रखने लगे हैं। राह चलते लोगों पर खतरा बढ़ गया है। दिन को भी
रास्ता चलते लोगों की जान सुरक्षित नहीं है। हत्या, डकैती और लूट-पाट, रोजमरे की बातें
हो गयी हैं।
मधुपुर
में एक थाना लगा है, लेकिन वहाँ से इस क्षेत्र की व्यवस्था को बनाये रखना संभव नहीं
है। होना तो यह चाहिए कि स्वयं अमैया-बैजलपुर के बीच में एक पुलिस फांडी हो। साथ ही,
कल्याणपुर से जो सड़क उन गांवों से होकर गुजरती है उस पर पुलिस का गश्ती पहरा हो और
पास के सभी गांवों से तलाशी लेकर अवैध हथियारों को खोज निकाला जाय। जिला प्रशासन तो
पूरी तरह सचेष्ट है, लेकिन राज्य सरकार के स्तर पर जब तक ठोस कदम नही उठाये जायेंगे
तब तक कुछ नहीं होने को है।
आशा
है, सरकार अविलम्ब इस दिशा में ध्यान देगी।
भवदीय
दिनांक
: 21 फरवरी, 2022 दीपक कुमार , दुमका
(ग) अपने क्षेत्र में पेयजल के घोर संकट की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए
संबंधित अधिकारी को एक पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में
स्वास्थ्य अधिकारी
नगरपालिका, रामगढ़
विषय
: पेयजल की अनियमित आपूर्ति ।
महोदय,
आज
पूरा नगर पेयजल की अनियमित आपूर्ति से परेशान है। अधिकतर चापाकल मरम्मत के इन्तजार
में बेकार पड़े हैं। नलों में पांच-पांच दिनों तक पानी नहीं छोड़ा जाता। पानी आता भी
है तो आधे-एक घण्टे के लिए। लोग आधी रात से ही बरतन-बाल्टी लिये लाइनों में खड़े रहते
हैं। पानी के लिए आपस में मारपीट भी हो जाती है।
आपसे
सविनय आग्रह है कि इस समस्या से निजात दिलाने के लिए त्वरित एवं प्रभावी कार्यवाही
करें। लाखों लोगों का जीवन इस समस्या के कारण बिल्कुल अव्यवस्थित हो गया है।
दिनांक
: 18.02.2022 भवदीय
दीपक रामनगर,
हजारीबाग
(घ) 'प्रतिवेदन का आशय स्पष्ट करते हुए उसकी विशेषताएं और तत्व लिखें।
उत्तर:
रिपोर्ट किसी घटना की तथ्यात्मक प्रस्तुति है। इसके लेखन में निम्नलिखत तत्त्व हैं-
(i)
तथ्यपरकता : रिपोर्ट तथ्यों पर आधारित होती है। यह किसी
छोटी घटना पर भी हो सकती है तथा बड़ी घटना पर भी। जब तक रिपोर्टर तथ्यों को पाठकों
के सामने नहीं रखता वह रिपोर्ट नहीं होती। इसमें आँकड़ों तथा तथ्यों की जरूरत होती
है।
(ii)
प्रत्यक्ष अनुभव : रिपोर्ट लेखन प्रत्यक्ष अनुभव पर आधारित होता
है। रिपोर्टर घटनास्थल पर पहुँचकर घटना का जायजा लेता है। वह तथ्य एकत्रित करता है
तथा आस-पास के माहौल की जाँच करता है। प्रत्यक्ष अनुभव के बिना रिपोर्ट नहीं लिखी जा
सकती है।
(iii)
संक्षिप्तता : रिपोर्ट में संक्षिपतता का गुण आवश्यक है। यदि
किसी घटना का विवरण बढ़ा-चढ़ाकर किया जाए तो वह नीरस हो जी है। पाठक उसी रिपोर्ट को
पढ़ाता है जिसमें कम शब्दों में अधिक जानकारी दी गई हो। बड़ी रिपोर्ट उबाऊ हो जाती
है।
(iv)
रोचकता व क्रमबद्धता : रिपोर्ट मे रोचकता तथा क्रमबद्धता जरूरी यदि
घटना का सिलसिलेवार वर्णन प्रस्तुत किया जाए तो विचारों की तारतम्यता टूटती है। इसेस
तथ्य गड्ड-मड्ड हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त रिपोर्ट में रोचकता होनी चाहिए।
खंड
- 'ग' (पाठ्यपुस्तक)
03. निम्नलिखित में से किसी एक का काव्य-सौंदर्य लिखिए- 05
(क) हँसते हैं छोटे पौधे लघुभार-
शस्य अपार,
हिल - हिल,
खिल - खिल,
हाथ हिलाते,
तुझे बुलाते,
विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते।
उत्तर:
इन पंक्तियों में कवि ने बादल के क्रांतिकारी स्वरूप के माध्यम से समाज के क्रांति
के बाद बदले स्वरूपका उल्लेख है। क्रांति के पक्षधर छोटे लोग होते हैं। पौधे के हँसने-हँसते
हैं छोटे लघुभार में मानवीकरण अलंकार है। हिल-हिला, खिल-खिला में पुनरूक्ति प्रकाश
अलंकार है। समस्त छंद में श्लेष अलंकार हैं।
(ख) तव प्रताप उर राखि प्रभु जैहउँ नाथ तुरंत।
अस कहि आयसु पाई पद बंदि चलेउ हनुमंत।।
उत्तर:
राम के विलाप का मानवोचित वर्णन बहुत स्वाभाविक है। भाषा अवधी है। छंद दोहा है। यहाँ
राम भगवान का अवतार नहीं, अपितु सामान्य मानव है।
04. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए - 03+03= 06
(क) बादल राग' कविता में कवि ने अट्टालिका को 'आतंक भवन' क्यों कहा
है?
उत्तर:
बड़े-बड़े महलों में रहने वाले धनी-वर्ग के आवास को कवि ने आतंक-भवन की संज्ञा दी है।
वस्तुतः इन भवनों में रहने वाला धनवान मजदूरों-पीड़ितों का शोषण कर उन्हें आंतकित करता
है। दूसरी ओर से धनवान खुद भी क्रांति के भय से आतंकित रहते हैं। इसलिए यहाँ आतंक-भवन
द्वयर्थक है तथा पूँजीपतियों की वास्तविकता पर व्यंग्य है।
(ख) 'लक्ष्मण मूर्छा और राम का विलाप में लक्ष्मण के प्रति राम के प्रेम
के कौन-कौन से पहलू अभिव्यक्त हुए हैं?
उत्तर:
यहाँ श्रीराम का अपने भाई लक्ष्मण के प्रति स्नेह एवं प्रेम भाव दृष्टिगत होता है।
श्रीराम का लक्ष्मण के प्रति अटूट स्नेह है। वे लक्ष्मण के मूच्छित होने से व्याकुल
हो उठते हैं। वे धन, पुत्र, स्त्री और परिवार के सामने सगे भाई को ज्यादा महत्त्व देते
हैं।
(ग) रुबाइयाँ के आधार पर बताइए कि माँ द्वारा बच्चे को प्रसन्न करने
के लिए क्या-क्या उपाय किये जा रहे हैं?
उत्तर:
इस रुबाई में कवि ने बालक की जिद एवं माँ की चतुराई का आकर्षक चित्रण किया है। आँगन
में खड़े होकर बालक चाँद को देखकर ठुनकने लगता है और चाँद को लेने की जिद कर रहा है।
बालक का मन चाँद को देख ललचा गया है और माँ उसे हाथ में आईना पकड़ा कर कहती है कि लो
देखो चाँद उतर आया है।
05. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए - 03+03= 06
(क) जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को किस तरह सही ठहराया?
उत्तर:
लड्डू-मठरी के लालच के बावजूद जब लेखक पानी फेंकने के लिए तैयार नहीं हुआ तो जीजी ने
समझाया कि यह पानी फेंकना अर्घ्य देना है, दान देना है, त्याग है और बुवाई जैसा है।
हम अभाव की स्थिीत में जितना त्याग करते है, चौगुना-अठगुना हमें वापस मिलता है।
5-6 सेर गेहूँ बोकर हम 30-40 मन गेहूँ पाते हैं। इसलिए यह पानी फेंकना धर्म, कर्तव्य
और उचित है।
(ख) ढोलक की आवाज का पूरे गाँव पर क्या असर होता था?
उत्तर:
महामारी की विभीषिका झेल रहे गाँव में जब रात भर लुटन पहलवान को होलक बजती थी तो औषधि-उपचार-पथ्य
विहीन प्राणियों में संजीवनी-शक्ति भरती थी। वह आवाज बूढ़े बच्चे-जवानों की स्पंदन-शून्य
स्नायुओं में बिजली भर देती थी, दंगल के दृश्य साकार कर देती थी। वह आवाज गाँव वालों
को मृत्यु-भय से मुक्त कर देती थी।
(ग) लेखक के मत से दासता की व्यापक परिभाषा क्या है?
उत्तर:
लेखक ने केवल कानूनी पराधीनता की स्थिति को हो 'दासता' नहीं कहा है, बल्कि व्यक्ति
से अपना पेशा या व्यवसाय चुनने की स्वतंत्रता छीन लेना भी दासता है। दासता में वह स्थिति
भी आ सकती है जब व्यक्ति को दूसरों द्वारा निर्धारित व्यवहार एवं कर्तव्यों का पालन
करने के लिए विवश होना पड़ता है।
06. 'तुलसीदास' अथवा 'धर्मवीर भारती' की किन्हीं दो रचनाओं का नाम लिखिए।
02
उत्तर:
तुलसीदास-कवितावली, गीतावली।
धर्मवीर
भारती-गुनाहों का देवता, बंद गली का आखिरी मकान।
07. 'जूझ' का कथानायक किशोर विद्यार्थियों के लिए आदर्श प्रेरणास्रोत
है- कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए। 03
उत्तर:
जूझ का अर्थ ही होता है-युद्ध या लड़ाई। युद्ध आत्मकथात्मक शैली में लिखा गया उपन्यास
है। इस पाठ का कथानक स्वयं लेखक हैं जो पाँचवीं कक्षा में फेल होने के उपरांत उसके
पिताजी उसकी पढ़ाई पाबंदी लगा दी थी। पढ़ने को आतुर रहने वाला कथानक भयभीत होकर पिताजी
से अपनी पढ़ाई के बारे में बात नहीं करता था। समाज सुधारक व्यक्तित्व वाले दत्राजी
राव की प्रेरणा एवं निर्देशन पाकर वह पढ़ने के लिए स्कूल गया। वर्ग में उपेक्षित होने
के बाद भी वह विचलित नहीं हुआ, निरन्तर अभ्यास के कारण वह सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ता
गया। वैसे विद्यार्थी जो पढ़ाई के प्रति आसक्ति नहीं रखते हैं उन्हें कथानक का जीवन
वृत्त सुनकर पढ़ाई के प्रति सजग हो जाना चाहिए।
अथवा,
“काश, कोई तो होता जो मेरी भावनाओं को गंभीरता से समझ पाता। अफसोस,
ऐसा व्यक्ति मुझे अबतक नहीं मिला.......।" क्या आपको लगता है कि ऐन के इस कथन
में उसके डायरी लेखन का कारण छिपा है? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर:
ऐन फ्रैंक एक साधारण परिवार की लड़की है, जिसकी संवेदनशीलता एक सजग समझदार व्यक्ति
के स्तर की है। वह कहती है कि मेरे दिमाग में हर समय इच्छाएँ, विचार, आशय तथा डाँट-फटकार
ही चक्कर खाते रहते हैं। गुप्त आवास में रहते हुए ऐन का संपर्क केवल अन्य सात व्यक्तियों
से है। इन सात में से वान-दान दंपति हमेशा उसकी नुक्ता चीनी करते हैं। ऐन की माँ भी
केवल उपदेष्टा बन कर व्यवहार करती है। पीटर से उसका लगाव तो है किन्तु वह घुन्ना किस्म
का व्यक्ति है, जिससे बात करना उसे आसान नहीं लगता। वह प्रकृति के प्रति आकर्षण महसूस
करती है किन्तु उसे भी निहारना निषिद्ध है। ऐसे में उसकी भावनाओं को गंभीरता से समझ
पाने वाला कोई नहीं है। इसी अभाव की पूर्ति ने ही उसे डायरी लेखन का माध्यम चुनने के
लिए विवश किया होगा, ताकि वह अपनी भावना, संवेदना, उदारता व्यक्त कर सके।
08. पाठशाला में प्रथम दिन लेखक को क्या अनुभव हुआ? 02
उत्तर:
लगभग डेढ़ साल पाठशाला से दूर रहने के बाद लेखक जब उसी कक्षा में पढ़ने के लिए पाठशाला
पहुँचता है तो उसे मास्टर या पाठ्यक्रम का ज्ञान नहीं था, उसके सहपाठी भी गली के दो
लड़कों को छोड़कर अपरिचित थे। अधिकांश लड़के उससे छोटी उम्र के थे।
वह
लुढे के थैले में पिछली किताब-कापियों को लिए पाठशाला गया। बेंच के एक सिरे पर लेखक
बाहरी व्यक्ति जैसा बैठ गया। उसकी पोशाक भी अन्य लड़कों से भिन्न थी। सिर पर गमछा एवं
लाल माटी के रंग की मटमैली धोती पहने वह विद्यालय गया था। शरारती लड़कों ने उसका गमछा
छीन कर मास्टर के टेबल पर रख दिया तथा उसकी धोती की काछ दो बार खींचने की कोशिश की।
इस प्रकार, उसे पहले ही दिन मजाक का पात्र बनना पड़ा तथा शरारती बच्चों ने उसे काफी
परेशान किया। अपनी स्थिति उसने खिलौने के लिए बने कौए के बच्चे से की है जिसे देख सारे
कौए जुटकर उसे चोंच मारने लगते हैं।
अथवा
ऐन के जन्मदिन पर उसे कैसे उपहार मिले?
उत्तर:
ऐन के पन्द्रह वर्ष पूर्ण होने पर सोलहवाँ जन्मदिन मनाया गया जिसमें उसे ढेर सारे उपहार
मिले थे। वह लिखती है-
मेरा एक और जन्मदिन गुजर गया है। इस हिसाब से मैं पंद्रह बरस की हो गई हूँ। मुझे काफी सारे उपहार मिले हैं-स्प्रिंगर की पाँच खंडों वाली कलात्मक इतिहास पुस्तक, चड्डियों का एक सेट, दो बेल्टें, एक रूमाल, दही के दो कटोरे, जैम की शीशी, शहद वाले दो छोटे बिस्किट, मम्मी-पापा की तरफ से वनस्पति विज्ञान की एक किताब, मार्गोट की तरफ से सोने का एक ब्रेसलेट वान दान परिवार की तरफ से स्टिकर एलबम, डसेल की तरफ से बायोमाल्ट और मीटे मटर, मिएप की तरफ से मिठाई, बेप की तरफ से मिठाई और लिखने के लिए कॉपियाँ और सबसे बड़ी बात मिस्टर कुगलर की तरफ से मारिया तेरेसा नाम की किताब तथा क्रीम से भरे चीज के तीन स्लाइस। पीटर ने पीओनी फूलों का खूबसूरत गुलदसता दिया। बेचारे को ये उपहार जुटाने में ही अच्छी खासी मेहनत करनी पड़ी। लेकिन वह कुछ और जुटा ही नहीं पाया।