भारत में जनसंख्या शिक्षा (POPULATION EDUCATION IN INDIA)

भारत में जनसंख्या शिक्षा (POPULATION EDUCATION IN INDIA)
भारत में जनसंख्या शिक्षा (POPULATION EDUCATION IN INDIA) वर्तमान युग में विश्व के विभिन्न देशों में तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या एक गम्भीर चनौती बन गई है। विगत कुछ शताब्दियों से विश्व में जनसंख्या नियन्त्रण के प्रयत्नों और स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास के कारण भ्रूण, शिशु एवं बाल मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी आयी है। इसके फलस्वरूप विकसित एवं विकासशील देशों की आयु तथा जनसंख्या की संरचना में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए है। प्रायः विकासशील देशों की जनसंख्या का 40 से 45 प्रतिशत हिस्सा 0-15 वर्ष के आयु वर्ग में होता है जो लगभग 5 से 15 वर्ष के अन्दर ही पुनरूत्पादन आयु वर्ग में प्रवेश कर लेते हैं और जनसंख्या वृद्धि में अपना योगदान करते हैं। आज जनसंख्या नियन्त्रण के उद्देश्य से विश्व के अधिकांश देशों का ध्यान केवल पुनरूत्पादन आयु वर्ग की ओर दिया गया है। किन्तु यह आवश्यक है कि प्रत्येक भावी माता-पिता को जनसंख्या एवं बड़े परिवार की समस्याओं से परिचित करा दिया जाए जिससे उनमें स्वयं परिवार के आकार एवं देश की जनसंख्या की समस्या के प्रति जागरूकता की भावना पैदा हो। इस प्रकार की जागरूकता जनसंख्या शिक्षा के माध…