14.PGT राष्ट्रीय (National Income)
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आर्थिक विचारों के इतिहास में राष्ट्रीय आय
की विचारधारा बहुत ही पुरानी है। 👉 राष्ट्रीय आय से आशय "किसी एक
वर्ष के अन्तर्गत उत्पादित समस्त अन्तिम वस्तुओं व सेवाओं के बाजार मूल्य के जोड़ से
है।" 👉
प्रो ० मार्शल के शब्दों में किसी देश का श्रम व
पूंजी उस देश के प्राकृतिक साधनों पर कार्य करते हुए प्रतिवर्ष भौतिक तथा अभौतिक वस्तुओं
एवं सभी प्रकार की सेवाओं का एक विशुद्ध योग उत्पन्न करते हैं। यही किसी देश की वास्तविक
विशुद्ध वार्षिक आय या आगम या राष्ट्रीय लाभांश है। 👉 राष्ट्रीय आय = वस्तुओं व सेवाओं
का वार्षिक उत्पादन + विदेशी विनियोग से प्राप्त शुद्ध आय - कच्ची सामग्री की लागत-
ह्रास। 👉 प्रो० पीगू के अनुसार- किसी समुदाय
की राष्ट्रीय आय वस्तुगत आय का वह भाग है जिसके विदेशों से प्राप्त आय सम्मिलित हैं
जिसको मुद्रा द्वारा मापा जा सकता है। 👉
राष्ट्रीय आय = मौद्रिक आय + विदेशों में विनियोगों
से आय। 👉 प्रो० फिशर के अनुसार-राष्ट्रीय लाभांश
या आय में केवल वे ही सेवायें सम्मिलित की जाती हैं जो अन्तिम उपभोक्ता को प्राप्त
होती है चाहे ये वस्तुयें भौतिक अथवा मानव वातावरण से प्राप्त हुई है…