15.PGT राष्ट्रीय आय (रोजगार) के निर्धारण का सिद्धान्त The principle of determination of national income (employment)

राष्ट्रीय आय (रोजगार) के निर्धारण का सिद्धान्त
15.PGT राष्ट्रीय आय (रोजगार) के निर्धारण का सिद्धान्त The principle of determination of national income (employment)
प्रतिष्ठित सिद्धान्त (Classical theory) 👉 राष्ट्रीय आय के निर्धारण का सिद्धान्त हमें यह बताता है कि किसी भी अर्थव्यवस्था द्वारा वास्तव में कितना उत्पादन किया जाये ताकि राष्ट्रीय आय सन्तुलन स्तर में बना रहे। 👉 राष्ट्रीय आय निर्धारण के दो प्रमुख सिद्धान्त - प्रतिष्ठित सिद्धान्त तथा कीन्स का सिद्धान्त । 👉 रोजगार का प्रतिष्ठित सिद्धान्त किसी एक अर्थशास्त्री की देन नहीं है। इस सिद्धान्त की रचना विभिन्न प्रतिष्ठित तथा नव प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों के रोजगार सम्बन्धी विचारों के आधार पर की गयी है। 👉 अर्थशास्त्रियों के सम्बन्ध में प्रतिष्ठित शब्द का प्रयोग सबसे पहले कार्ल मार्क्स ने किया। 👉 लार्ड कीन्स ने प्रतिष्ठित शब्द का प्रयोग विस्तृत अर्थों में किया है। उन्होंने प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों जैसे स्मिथ, रिकार्डो, जे० वी० से०, मार्क्स तथा नव प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों जैसे- मार्शल, पीगू आदि सभी के रोजगार सम्बन्धी विचारों के लिए प्रतिष्ठित शब्द का प्रयोग किया। 👉 जे० वी० से० द्वारा प्रतिपादित बाजार का नियम रोजगार के प्रतिष्ठित सिद्धान्त का आधार है। 👉 जे० वी० से० के अनुसार- 'माँग अपनी पूर्ति…