7.PGT प्रकट अधिमान वक्र (Revealed Preference Theory)

प्रकट अधिमान वक्र (Revealed Preference Theory)
7.PGT प्रकट अधिमान वक्र (Revealed Preference Theory)
➡️ प्रकट अधिमान सिद्धान्त के वास्तविक प्रतिपादक प्रो० सैम्यूलसन है, इन्होंने इस सिद्धान्त की रचना 1938 में की। ➡️ प्रो० सैम्यूलसन अपने इस सिद्धानत को माँग के तार्किक सिद्धान्त का तीसरा मूल (Thir root of logical Theory of Demand) मानते हैं। ➡️ प्रो० सैम्यूलसन ने उपभोक्ता व्यवहार की दो मान्यताओं के आधार पर माँग के नियम के मूलभूत परिणाम निकालने का प्रयास किया है। ➡️ अनेक उपलब्ध विकल्पों में से उपभोक्ता एक निश्चित चुनाव करता है। "वह अपने निश्चित अधिमान को प्रकट करता है" । ➡️ यह मान्यता इस सिद्धान्त को सबल क्रम श्रेणी में रख देती है। ➡️ सैम्यूलसन का प्रकट अधिमान सिद्धान्त बाजार की विभिन्न आय स्थितियों में उपभोक्ता के वास्तविक व्यवहार के आधार पर उपभोक्ता के माँग वक्र की व्याख्या करता है। ➡️ प्रो० सैम्यूलनसन ने इस सिद्धान्त को उपभोग सिद्धान्त का आधार भूत नियम कहा है। ➡️ प्रकट अधिमान सिद्धान्त में उपभोक्ता के व्यवहारा में संक्रमता बनी रहती है। संक्रमता की मान्यता सामंजस्यता का ही विस्तृत रूप है। ➡️ प्रकट अधिमान सिद्धानत माँग प्रमेय स्पष्ट करता है जिसके अनुसार "कोई वस्तु जिसकी केवल र्माद्रिक …