12th History Model Set-2 2022-23

12th History Model Set-2 2022-23

12th History Model Set-2 2022-23

(समय: 3 घंटे 15 मिनट) पुर्णांक : 80

परीक्षार्थियों के लिए निर्देश :

1. यह प्रश्न-पत्र दो खण्डों में है - खण्ड-अ एवं खण्ड-ब

2. खण्ड-अ में कुल 40 बहुविकल्पीय प्रश्न हैं। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। प्रत्येक प्रश्न की अधिमानता 1 अंक की है। प्रत्येक प्रश्न में चार विकल्प दिए गये हैं। इनमें से सबसे उपयुक्त उत्तर को आप अपने OMR उत्तर पत्रक पर ठीक-ठीक गहरा काला करें। नीला या काला बॉल-प्वाइंट कलम का ही प्रयोग करें। पेंसिल का प्रयोग वर्जित है। आप अपना पूरा हस्ताक्षर OMR उत्तर पत्रक में दी गयी जगह पर करें।

3. खण्ड-ब में तीन खण्ड- क, ख एवं ग है और कुल प्रश्नों की संख्या 19 है। प्रश्न- संख्या 1-7 अतिलघु उत्तरीय प्रकार के हैं। इनमें से किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर अधिकतम एक वाक्य में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न की अधिमानता 2 अंक निर्धारित हैं।

प्रश्न- संख्या 8-14 लघु उत्तरीय प्रकार के हैं। इनमें से किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर अधिकतम 50 शब्दों में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न की अधिमानता 3 अंक निर्धारित हैं।

प्रश्न- संख्या 15-19 दीर्घ उत्तरीय प्रकार के हैं। इनमें से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर अधिकतम 100 शब्दों में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न की अधिमानता 5 अंक निर्धारित हैं।

4. OMR उत्तर पत्रक के पृष्ठ 2 पर प्रदत्त सभी निर्देशों को ध्यानपूर्वक पढ़ें तथा उसके अनुसार कार्य करें। कृपया परीक्षा भवन छोड़ने से पहले OMR उत्तर पत्रक वीक्षक को लौटा दीजिए। प्रश्न पुस्तिका आप अपने साथ ले जा सकते हैं।

खण्ड-अ (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)

प्रश्न- संख्या 1 से 40 तक के प्रत्येक प्रश्न के साथ चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें से एक सही है। अपने द्वारा चुने गये सही विकल्प को OMR शीट पर चिह्नित करें। 40 x 1 = 40

1. हड़प्पा किस नदी के किनारे स्थित है?

(1) सिंधु

(2) व्यास

(3) सतलज

(4) रावी

2. सिंधु सभ्यता में समाज का स्वरूप था ?

(1) मातृसत्तात्मक

(2) पितृसत्तात्मक

(3) दोनों

(4) दोनों में से कोई नहीं

Economics Model Set-1 2022-23

3. मोहनजोदड़ो किस नदी के किनारे बसा हुआ था?

(1) सिंधु नदी

(2) रावी नदी

(3) झेलम नदी

(4) चिनाब नदी

4. भारत की सबसे प्राचीनतम लिपि थी

(1) अरामइक

(2) ब्राह्मी

(3) प्राकृत

(4) पाली

5. 'कलिंग' युद्ध का वर्णन किस अभिलेख में किया गया है ?

(1) 10वें शिलालेख

(2) 11वें शिलालेख

(3) 12वें शिलालेख

(4) 13वें शिलालेख

6. रामायण की रचना किसने की ?

(1) वाल्मीकि

(2) मनु

(3) वेदव्यास

(4) याज्ञवलक्य

7. अर्जुन किसके शिष्य थे ?

(1) भीष्म

(2) विदुर

(3) द्रोणाचार्य

(4) भीम

8. ऋग्वैदिक आर्यों के युद्ध देवता कौन थे?

(1) इंद्र

(2) वरुण

(3) अग्नि

(4) रुद्र

9. महात्मा बुद्ध के बचपन का नाम क्या था ?

(1) वर्द्धमान

(2) सिद्धार्थ

(3) देवदत

(4) राहुल

10. वेद का अर्थ है ?

(1) ज्ञान

(2) कर्म

(3) पूजा

(4) सुनना

11. 'तहकीक-ए हिन्दी' में किसका यात्रा वृतान्त लिखा है ?

(1) अलबरूनी

(2) अपुरज्जाक

(3) फाह्यान

(4) मार्कोपोलो

12. अलवरूनी भारत में जिस शताब्दी में आया था, वह थी

(1) ग्यारहवीं

(2) दसवीं

(3) चौदहवीं

(4) सत्रहवीं

13. वास्को-डी-गामा कव भारत पहुँचा ?

(1) 20 मई, 1498 ई.

(2) 17 मार्च, 1598 ई.

(3) 17 मार्च, 1498 ई०

(4) 17 मई, 1598 ई.

14. 'आईन-ए-अकबरी' किसने लिखा ?

(1) बदायूँ

(2) अबुल फजल

(3) फैजी

(4) बाबर

15. शंकराचार्य का मत है

(1) द्वैतवाद

(2) अद्वैतवाद

(3) भेदाभेदवाद

(4) द्वेताद्वैतवाद

16. विजयनगर साम्राज्य की स्थापना कब हुई ?

(1) 1296

(2) 1310

(3) 1326

(4) 1336

17. विजयनगर साम्राज्य का किस साम्राज्य से हमेशा प्रतिस्पर्धा चलता था।

(1) दिल्ली सल्तनत से

(2) पश्चिमी शक्तियों से

(3) बहमनी साम्राज्य से

(4) मालवा से

History MODEL (Mock) TEST 2022 

18. विजयनगर साम्राज्य की राजधानी कहाँ स्थित थी ?

(1) तंजौर

(2) कालीकट

(3) हम्पी

(4) मदुरई

19. खानवा का युद्ध कब हुआ ?

(1) 1526 ई० में

(2) 1527 ई० में

(3) 1529 ई० में

(4) 1530 ई० में

20. रवी फसल किस ऋतु में होती है ?

(1) बसंत

(2) ग्रीष्म

(3) वर्षा

(4) पतझड़

21. अकबर की आलोचना किस विद्वान ने की ?

(1) फिरदौसी

(2) बरनी

(3) बदायूँनी

(4) मिनहाज

22. बहादुरशाह जफर को उखाड़ फेंका था

(1) मराठों ने

(2) सिक्खों ने

(3) जाटों ने

(4) अंग्रेजों ने

23. तुजुक ए बावरी का लेखक कौन है ?

(1) बाबर

(2) हुमायूँ

(3) गुलबदन बेगम

(4) बदायूँनी

24. प्राय: जोतदार कहाँ रहते थे?

(1) गाँव में

(2) शहरों में

(3) महानगरों में

(4) कस्बों में

25. पहाड़ी लोग किस प्रकार की खेती अपनाते थे?

(1) सीढ़ीदार खेती

(2) झूम खेती

(3) मौसमी खेती

(4) इनमें से कोई नहीं

26. झाँसी की रानी लक्ष्मीवाई युद्ध करते हुए कहाँ मारी गई ?

(1) झाँसी मे

(2) कालपी में

(3) ग्वालियर में

(4) इंदौर में

27. कानपुर में विद्रोहियों का नेतृत्व संभाला था

(1) पेशवा बाजीराव द्वितीय ने

(2) नाना साहिब ने

(3) नाना फड़नवीस ने

(4) मौलवी अहमदुल्ला शाह ने

28. भारत में रेलवे की शुरूआत हुई थी।

(1) 1753

(2) 1953

(3) 1853

(4) इनमें से कोई नहीं

29. कलकत्ता में 'गवर्नमेंट हाऊस' जो गर्वनरों का निवास स्थान था किस गवर्नर जनरल ने बनवाया था ?

(1) वारेन हेस्टिग्स

(2) लार्ड कार्नवालिस

(3) लाई बेलेसली

(4) लाई मिटो

30. गाँधी ने 'कैसरे-हिंद' की उपाधि क्यों लौटा दी ?

(1) प्रथम विश्वयुद्ध में भारतीय संसाधनों के उपयोग के विरोध में

(2) जालियाँवाला बाग हत्याकांड के विरोध में

(3) खिलाफत आंदोलन आरंभ होने पर

(4) असहयोग आंदोलन आरंभ होने पर

31. गाँधी ने किस घटना से दुःखी होकर 1922 में असहयोग आंदोलन वापस ले लिया?

(1) चौरीचौरा की घटना से

(2) खेड़ा सत्याग्रह से

(3) तुर्की में खलीफा के पद की समाप्ति से

(4) कॉंग्रेस को गैर कानूनी संस्था घोषित करने से

32. मोहनदास करमचंद को 'महात्मा' वनाया था

(1) पूर्वी अफ्रीका ने

(2) पश्चिमी अफ्रीका ने

(3) दक्षिण अफ्रीका ने

(4) उत्तरी अफ्रीका ने

33. मुस्लिम लीग का प्रथम अधिवेशन कब हुआ ?

(1) 1906 में

(2) 1907 में

(3) 1906 में

(4) 1907 में

34. शुद्धि आन्दोलन जिस संस्था या संगठन ने चलाया, वह था

(1) ब्रह्म समाज

(2) आर्य समाज

(3) यंग बंगाल आन्दोलन

(4) उपर्युक्त में कोई नहीं

35. मुस्लिम लीग को ढाका में किस वर्ष शुरू किया गया था।

(1) 1906

(2) 1911

(3) 1919

(4) 1939

36. भारतीय संविधान में मूल कर्तव्य जोड़े गये हैं।

(1) 44वें संशोधन द्वारा

(2) 42वें संशोधन द्वारा

(3) 45वें संशोधन द्वारा

(4) 24 वें संशोधन द्वारा

37. भारतीय संविधान में मूल कर्त्तव्य संविधान का

(1) VI भाग है

(2) VIA भाग है

(3) III भाग है

(4) VII भाग है

38. भारत में है

(1) एकीकृत न्याय व्यवस्था

(2) दोहरी न्याय व्यवस्था

(3) लचीली न्याय व्यवस्था

(4) कठोर न्याय व्यवस्था

39. किस देश के संविधान से भारतीय संविधान की संघीय व्यवस्था प्रभावित नहीं है?

(1) आस्ट्रेलिया

(2) दक्षिण अफ्रिका

(3) सं०रा० अमरीका

(4) कनाडा

40. 1857 का विद्रोह किसके नेतृत्व में हुआ ?

(1) नाना साहब के

(2) बेगम हजरत महल के

(3) कुंवर सिंह के

(4) बहादुरशाह के

खण्ड-ब (विषयनिष्ठ प्रश्न)

खण्ड-क (अतिलघु उत्तरीय प्रश्न)

किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 2 x 5 = 10

1. सिंधु सभ्यता का सबसे प्रसिद्ध पुरास्थल कौन-सा है ?

उत्तर- सिंधु सभ्यता का सबसे प्रसिद्ध पुरास्थल मोहनजोदड़ो है।

2. महाभारत की विषयवस्तु को किन दो शीर्षकों के अन्तर्गत रखते हैं?

उत्तर- आख्यान तथा उपदेशात्मक ।

3. कुदाल एवं हल किन लोगों के जीवन का प्रतीक माना जाता था ?

उत्तर - कुदाल को पहाड़िया लोगों तथा हल को संथालों के जीवन का प्रतीक माना जाता था।

4. बम्बई में गेट-वे-ऑफ इंडिया कव व किसके स्वागत में बनवाया गया था ?

उत्तर - बम्बई में गेट-वे ऑफ इंडिया 1911 ई. में ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम व उनकी पत्नी के स्वागत के लिए बनवाया गया।

5. अमला क्या था ?

उत्तर - ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में राजस्व एकत्रित करने के लिए जमींदार का जो अधिकारी गाँव में जाता था, उसे अमला कहा जाता था।

6. फ्रांसीसी यात्री वर्नियर के अनुसार भारत तथा यूरोप के मध्य मूल असमानताओं में से एक कौन-सी थी ?

 उत्तर- बर्नियर के अनुसार भारत में यूरोप के विपरीत निजी भू-स्वामित्व का सर्वथा अभाव पाया जाता है।

7. सूफी सिलसिले के किन्हीं दो मुख्य उपदेशकों का नाम लिखिए।

उत्तर- शेख मुइनुद्दीन चिश्ती तथा शेख निजामुद्दीन औलिया।

खण्ड ख (लघु उत्तरीय प्रश्न)

किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 3 × 5 = 15

8. मोहनजोदड़ो के सार्वजनिक स्नानागार के विषय में लिखिए।

उत्तर - मोहनजोदडो में बना सार्वजनिक स्नानागार अपना विशेष महत्त्व रखता है। यह सिन्ध घाटी के लोगों के कला का अद्वितीय नमूना है। ऐसा अनुमान है कि यह स्नानागार (तालाब) धार्मिक अवसरों पर आम जनता के नहाने के प्रयोग में लाया जाता था। यह तालाब मजबूत बना हुआ है। इसकी दीवारें काफी चौड़ी बनी हुई हैं जो पक्की ईंटों और विशेष प्रकार के सीमेंट के है ताकि पानी अपने आप बाहर न निकल सके। तालाब (स्नानघर) में नीचे उतरने के लिए मा बनी हुई हैं। पानी निकलने के लिए नालियों का भी प्रबंध है।

9. मौर्यकालीन इतिहास के प्रमुख स्रोतों का संक्षिप्त विवरण दें।

उत्तर - मौर्यकालीन इतिहास के प्रमुख स्रोतों का विवरण निम्नलिखित हैं-

(i) मेगास्थनीज की इंडिका- मौर्यकालीन भारत के विषय में ज्ञान प्राप्त करने के लिये मेगास्थनीज द्वारा रचित 'इण्डिका' एक महत्वपर्ण ग्रंथ है, जिसमें तत्कालीन शासन व्यवस्था, सामाजिक, राजनैतिक व आर्थिक अवस्था पर महत्वपूर्ण विवरण मिलता है।

(ii) कौटिल्य का अर्थशास्त्र - कौटिल्य का अर्थशास्त्री तत्कालीन भारत के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालता है जिससे मौर्यों के बारे में पता चलता है।

(iii) विशाखदत्त मुद्राराक्षस - इस प्रमुख ग्रंथ में नन्द का चन्द्रगुप्त द्वारा नाश का वर्णन है।

(iv) जैन और बौद्ध साहित्य-जैन और बौद्ध दोनों धर्मों के साहित्य में तत्कालीन समाज, राजनीति आदि की जानकारी प्राप्त होती है।

(v) अशोक के शिलालेख-स्थान-स्थान पर लगे अशोक के शिलालेख से भी मौर्यकालीन प्रशासन, धर्म, समाज अर्थव्यवस्था आदि पर प्रकाश पड़ता है।

10. अशोक के धम्म पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

उत्तर- 'धम्म' संस्कृत के धर्म शब्द का प्राकृत स्वरूप है। अशोक ने इसका प्रयोग विस्तृत अर्थ में किया है। इस विषय पर विद्वानों के बीच काफी मतभेद है। बहुत-से विद्वान धम्म और बौद्ध धर्म में कोई फर्क नहीं मानते। अतः प्रारंभ में ही यह कह देना आवश्यक है कि धम्म और बौद्धधर्म। दोनों अलग-अलग बातें हैं। बौद्धधर्म अशोक का व्यक्तिगत धर्म था। लेकिन उसने जिस धम्म की चर्चा अपने अभिलेखों में की है वह उसका सार्वजनिक धर्म था तथा विभिन्न धर्मों का सार था। यह अलग बात है कि बौद्धधर्म की कई विशेषताएँ भी उसमें मौजूद थीं। अशोक ने अपने अभिलेखों में कई स्थान पर धम्म (धर्म) शब्द का प्रयोग किया है, किन्त भाबरु अभिलेख को छोडकर (जहाँ उसे बुद्ध, धम्म और संघ में अपना विश्वास प्रकट किया है। उसने कहीं भी धम्म का प्रयोग बौद्धधम के लिए नहीं किया है। बौद्ध धर्म के लिए 'सर्द्धम' या 'संघ' शब्द का प्रयोग किया है। इस तरह हम कह सकते हैं कि अशोक का धम्म बौद्ध धर्म नहीं था क्योंकि इसमें चार आर्य सत्यों, अष्टांगिक मार्ग तथा निर्वाण की चर्चा नहीं मिलती है।

11. 'भक्ति और सूफी आन्दोलन एक-दूसरे के पूरक थे।' व्याख्या कीजिए

उत्तर- भारत में मध्यकाल में एक नवीन धार्मिक आन्दोलन प्रारम्भ हुआ।

हिन्दुओं के आन्दोलन को भक्ति आन्दोलन तथा मुसलमानों के आन्दोलन को सूफी आन्दोलन कहते हैं। ये दोनों ही आन्दोलन आम जनता पर अपना प्रभाव छोड़ने में सफल हुए। हालांकि रीति-रिवाजों में ये एक-दूसरे से बिल्कुल भिन्न थे किन्तु वृहद् दृष्टि से ये एक-दूसरे के पूरक भी थे। दो समुदायों में एक साथ आन्दोलन शुरू होना ही इस तथ्य की पुष्टि करता है कि दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।

भक्ति एवं सूफी आन्दोलन के प्रभाव-

(i) इन आन्दोलनों के सन्तों ने धर्म की जटिलताओं को दूर करके उसे सभी के लिए सरल एवं सुलभ बना दिया।

(ii) भक्ति तथा सूफी दोनों ही आन्दोलनों ने स्थापित धार्मिक व्यवस्था पर कड़ा प्रहार किया था।

(iii) दोनों ही आन्दोलनों में गरीब, लाचार एवं बेबस लोगों की ओर विशेष ध्यान दिया गया था।

(iv) सन्तों एवं सूफियों की वाणी घर-घर तक पहुँच गई।

(v) सन्तों का जीवन अत्यन्त सादा तथा आदर्शों से भरा हुआ था।

(vi) नृत्य एवं संगीत ईश्वर से प्रेम करने का साधन बना।

12. लक्ष्मीबाई कौन थी ? संक्षिप्त परिचय दीजिए।

उत्तर - वह झांसी (उत्तर प्रदेश) की रानी थीं। अपनी सन्तान न होने पर उसने एक बच्चे को दत्तक पुत्र के रूप में गोद ले लिया था तथा झाँसी का उत्तराधिकारी घोषित किया था। लेकिन अंग्रेजों ने उसके उत्तराधिकार की घोषणा के अधिकार को मान्यता नहीं दी थी। इसी कारण वह 1857 के विद्रोह के दिनों में अंग्रेजी सेनाओं से जूझ पड़ी। उसने नाना साहिब के विश्वसनीय सेनापति तात्या टोपे और अफगान सरदारों की मदद से ग्वालियर पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया। अन्त में कालपी के स्थान पर वह अंग्रेजों से संघर्ष करती हुई वीरगति को प्राप्त हुई। उसका संघर्ष सभी के लिए प्रेरणा मानी जाती है।

13. महालबाडी व्यवस्था क्या थी?

उत्तर- महालबाड़ी नामक भू-व्यवस्था जमींदारी व्यवस्था (स्थायी व्यवस्था) का ही संशोधित रूप था। यह 1801 ई० में अवध क्षेत्र तथा 1803-04 में मराठे अधिकृत प्रदेशों में लागू किया गया था। इस व्यवस्था के अन्तर्गत प्रति खेत के आधार पर लगान नहीं निश्चित कर प्रत्येक महाल (गाँव या जागीर) के आधार पर निश्चित किया गया। पूरा गाँव सम्मिलित रूप से लगान चुकाने के लिए उत्तरदायी था। इस व्यवस्था में भूमि पर व्यक्तिगत स्वामित्व नहीं रहता था बल्कि समस्त गाँव का रहता था। इसीलिए इसे महालबाड़ी व्यवस्था कहा गया।

14. पूना समझौता क्या था? इसमें महात्मा गाँधी की भूमिका का परीक्षण कीजिए।

उत्तर- सांप्रदायिक पंचाट के विरुद्ध भारत के प्रमुख नेताओं डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पं. मदनमोहन मालवीय, घनश्याम दास बिड़ला, राजगोपालाचार्य और डॉ. भीमराव अंबेदकर ने पूना में एकत्र होकर विचार-विनिमय किया। उन्होंने गाँधीजी और डॉ. अंबेदकर की स्वीकृति का एक समझौता तैयार किया, जो पूना समझौता कहलाता है। इसे ब्रिटिश सरकार ने भी मान लिया।

समझौते की मुख्य शर्तें-

(i) सांप्रदायिक पंचाट में दलितों के लिए प्रांतीय व्यवस्थापिका सभाओं में सभी राज्यों में निर्धारित 71 स्थानों को बढ़ाकर 148 कर दिया गया।

(ii) संयुक्त चुनाव प्रणाली की व्यवस्था की गई। दलितों के लिए चुनाव क्षेत्र की व्यवस्था समाप्त कर दी गई।

(iii) स्थानीय संस्थाओं और सार्वजनिक सेवाओं में दलितों के लिए उचित प्रतिनिधित्व निश्चित किया गया।

(iv) दलितों की शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता की सिफारिश की गई।

(v) यह योजना आरंभ में 10 वर्षों के लिए होगी। पूना समझौते से अंग्रेजों द्वारा सांप्रदायिक पंचाट के माध्यम से दलितों को हिंदुओं से अलग करने के षड्यंत्र में कमी आ गई। गाँधीजी ने पंचाट के विरुद्ध 20 सितंबर, 1932 ई० को आमरण अनशन शुरू कर दिया था। पूरा समझौते के बाद 26 दिसंबर, 1932 ई० को उन्होंने अपना अनशन तोड़ दिया।

खण्ड-ग (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)

किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 5 × 3 = 15

15. हड़प्पा सभ्यता में लोग अपने जीवन-निर्वाह के लिए क्या करते थे ?

उत्तर- कृषि, पशुपालन, शिल्प उद्योग तथा व्यापार हड़प्पावासियों के प्रमुख व्यवसाय थे। प्राप्त साक्ष्य से ज्ञात होता है कि ग्रामीण स्थलों पर लकड़ी से बने हल तथा बैलों एवं ऊँटों की सहायता से विस्तृत पैमाने पर खेती की जाती थी। गेहूँ, जौ, धान, चना, तिल, बाजरा, सरसों, राई, कपास, विभिन्न फल एवं सब्जियाँ उगाने के प्रमाण मिलते हैं। एकसाथ दो फसलों को उगाना तथा अनाजों को कूटने-पीसने के कार्य किए जाते थे।

विभिन्न स्थलों के उत्खनन से प्राप्त पशुओं की हड्डियाँ प्रमाण हैं, पशुपालन का। पालतू पशुओं को कृषि, बोझा ढोने तथा गाड़ी खींचने जैसे कार्यों में लगाया 'जाता था। कहीं-कहीं जंगली जानवरों की हड्डियाँ प्रमाण हैं, लोगों द्वारा शिकार करने का। कुछ लोग मछली पकड़ने का काम करते थे।

हड़प्पा नगर शिल्प तथा उद्योग के केंद्र थे। धातु, मिट्टी, पत्थर व लकड़ी की वस्तु बनाने के अनेक केंद्रों के साक्ष्य मिले हैं। मनके तथा मुहर बनाना अनेक लोगों का मुख्य व्यवसाय था। इस प्रकार सूती तथा ऊनी वस्त्र बुनने के कार्य से कुछ लोग अपना जीवन-निर्वाह करते थे। उत्खनन से प्राप्त बरतन, औजार, हथियार, सुराही, दर्पण, सोने-चांदी के आभूषण, मूर्तियाँ, खिलौने, सिलबट्टा, फर्नीचर, नाव (जहाज) इत्यादि प्रमाणित करते हैं कि हड़प्पावासी इन व्यवसायों से अपना जीवन-निर्वाह करते होंगे।

इस काल में जैस्पर, स्फटिक, सेलखड़ी, सोना, शंख, फयान्स और पकी मिट्टी से विभिन्न तरीके तथा विभिन्न प्रकार के मनके बनाने का काम लोग करते थे। ..इसके बनाने के अनेक केंद्र थे। इन्हें आभूषण के तौर पर उपयोग किया जाता था।

हड़प्पा सभ्यता में मुहर बनाना एक महत्त्वपूर्ण व्यवसाय था। उत्खनन से पत्थर, हाथीदाँत, मिट्टी की मुहर तथा उनपर पशु-पक्षियों, मानव के चित्र तथा लिपि अंकित अनेक मुहरें मिली हैं।

कपास की खेती सिंध क्षेत्र में बड़े पैमाने पर की जाती थी। इस क्षेत्र में लोग सूत कातने, वस्त्र बुनने, सीने, रँगने तथा छापने का कार्य करते थे।

नगरों में मकान एवं भवन का निर्माण एक प्रमुख व्यवसाय था। नियोजित गृह-आवास, उसकी दीवारें, उसमें दरवाजे, सीढ़ियाँ, कुआँ, आँगन आदि प्रमाण हैं। कि अनेक लोगों ने इस व्यवसाय को अपनाया होगा।

कहीं-कहीं जौहरी तथा चिकित्सा के साक्ष्य मिले हैं जिससे यह कहा जा सकता है कि कुछ लोगों ने इन दोनों व्यवसायों को अपनाया होगा।

16. वर्द्धमान महावीर की जीवनी तथा उपदेशों की विवेचना करें।

उत्तर- वर्द्धमान महावीर ने जैन दर्शन को एक धर्म के रूप में विकसित किया था। वे जैन धर्म के 24वें तथा अंतिम तीर्थंकर थे। उनका जन्म कुंडग्राम (वैशाली) के एक संपन क्षत्रिय परिवार में 540 ई.पू. में हुआ था। आरंभ से वे गंभीर स्वभाव के थे और सभी कष्टों को दूर करना चाहते थे। इसलिए 30 वर्ष की आयु में अपने परिवार को छोड़ वे संन्यासी बन गए थे। उन्होंने बारह वर्ष तक कठोर तपस्या कर ज्ञान की प्राप्ति की थी। ऐसा माना जाता है कि तपस्या के कारण उन्हें अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण हो गया था। इसी कारण उन्हें 'जिन' कहा गया है। उन्हें अईत तथा निग्रंथ भी कहा जाता है। महावीर नाम उनके पराक्रम के कारण मिला था। ज्ञान-प्राप्ति के बाद उन्होंने भ्रमण कर लोगों को अपने उपदेश दिए थे। उनके समर्थक कई राजा हुए, जैसे: मगध का विविसार उनके उपदेशों को माननेवाले जैन कहलाए। इस प्रकार महावीर ने जैन धर्म को विकसित किया था। 468 वर्ष ई. पू. पावापुरी में वे स्वर्ग सिधार गए।

महावीर के उपदेश - महावीर ने सांसारिक कष्टों से मुक्ति पाने की शिक्षा दी थी। उनके अनुसार मृत्यु तथा धन का लालच सभी दुःखों के कारण हैं। दुःखों को त्याग तथा तपस्या से दूर किया जा सकता है। कष्टों से बचने के लिए उन्होंने पाँच महाव्रत - सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, अस्तेय और ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए कहा था। उन्होंने अठारह पापों; जैसे क्रोध, लोभ, छल-कपट, ईर्ष्या आदि को त्यागने की शिक्षा भी दी थी। निर्वाण-प्राप्ति के लिए उन्होंने तीन रत्नों- सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक चरित्र का पालन करने का उपदेश दिया था। 

17. विजयनगर के आर्थिक स्रोत क्या थे? इनको विकसित करने में राज्य कहाँ तक सहायक था ?

उत्तर- विजयनगर की मुख्य आर्थिक स्रोत कृषि थी। इसके अतिरिक्त उद्योग, विभिन्न व्यवसाय तथा व्यापार भी विजयनगर के प्रमुख आर्थिक स्रोत थे। इन सभी स्रोतों को विकसित करने में राज्य पूरा सहयोग देता था। राज्य की तरफ से बंजर और व्यर्थ भूमि को कृषि योग्य बनाया गया था। वर्ष में दो तीन फसल उपजाने की व्यवस्था की गई थी। विभिन्न अनाजों के अलावा गरम मसाला, नारियल, नील तथा कपास की खेती की जाती थी। राज्य सरकार ने बाँध, तालाब आदि बनवाकर सिंचाई की व्यवस्था की थी। पहले की अपेक्षा इस समय भू-स्वामित्व के विस्तार से भू-स्वामियों तथा सामंतों की संख्या बढ़ी थी। विभिन्न राजाओं ने नायंकार व्यवस्था द्वारा कृषि के साथ अपनी आय में वृद्धि की थी। राज्य ने कृषि योग्य भूमि को दो भागों में बाँटा था एक वह भूमि जहाँ सिंचाई की व्यवस्था थी, तथा दूसरी वह भूमि जहाँ इसकी व्यवस्था नहीं थी।

कृषि के साथ वस्त्र, जवाहरात, शक्कर, लोहा जैसे कई उद्योगों को राज्य ने प्रोत्साहन दिया था। इन वस्तुओं के बाजार होते थे। ऐसे बाजारों के बारे में विभिन्न विदेशी यात्रियों ने वर्णन किया है। लोग भिन्न व्यवसाय करते थे। उद्योगों और व्यवसायों पर सरकार संघ द्वारा नियंत्रण करती थी। इन उत्पादित वस्तुओं के व्यापार को राज्य बढ़ावा देता था। आंतरिक तथा विदेशी व्यापार को बढ़ाने के लिए सरकार ने नगरीकरण तथा बंदरगाहों को प्रोत्साहन दिया था। कृष्णदेव की अमुक्तमल्पद में व्यापार और उद्योग बढ़ाने के उपायों का उल्लेख मिलता है। राजा ने विजयनगर को अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक केंद्र बनाया था यूरोप से मध्य एशिया तथा दक्षिण-पूर्व एशिया तक इन्होंने व्यापारिक संपर्क किया था विदेशी वर्णन से स्पष्ट होता है कि राजाओं ने राज्य की आर्थिक प्रगति में सहायता कर न केवल अपनी आमदनी बढ़ाई थी, बल्कि राज्य को भी समृद्ध किया था। इस समृद्धि के कारण साहित्य, कला, स्थापत्यकला तथा तेलुगु भाषा का विकास हुआ था।

18. असहयोग आंदोलन के कारण तथा परिणाम की विवेचना करें।

उत्तर- प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान भारत में अंगरेजी साम्राज्यवादी नीति का विरोध अत्यधिक बढ़ गया था और भारत में क्रांतिकारी गतिविधियों बढ़ गई थीं। इसको रोकने के लिए सरकार ने रॉलेट ऐक्ट पास किया था। यह एक दमनकारी कानून था जिसका गाँधीजी के नेतृत्व में लोगों ने विरोध किया और आंदोलन किया था। इस काला कानून के विरुद्ध लोगों ने जहाँ-तहाँ विरोध सभाएँ, हड़ताल तथा प्रदर्शन किए। सरकार ने इन सबको गोलियाँ चलाकर दबाया था। अमृतसर के बाग में प्रदर्शनकारियों पर जेनरल डायर ने गोलियाँ बरसाकर अनेक लोगों को मार डाला था। कई लोग घायल हुए थे। इसकी प्रतिक्रिया में भीड़ ने सरकारी भवन, डाकघर तथा बैंकों में आग लगाई थी। ऐसी स्थिति में गांधीजी ने असहयोग आंदोलन आरंभ किया था।

असहयोग आंदोलन (1920 से 1922 तक) का उद्देश्य था बहिष्कार की नीति तथा स्वदेशी नीति को अपनाना। बहिष्कार की नीति के अंतर्गत गाँधीजी ने लोगों को सरकारी स्कूल, कॉलेज, दरबार समारोह, उपाधियाँ, पद, स्थानीय संस्थाओं, अदालतों, विदेशी वस्त्र तथा अन्य वस्तुओं का बहिष्कार करने की अपील की थी। सरकारी सेना, आनेवाले चुनाव का बहिष्कार तथा कर नहीं देने की अपील भी गाँधीजी ने की थी। दूसरी तरफ लोगों को स्वदेशी अपनाने के लिए कहा गया था।

परिणाम — असहयोग आंदोलन पूरी तरह से सफल हुआ था, परंतु चौरी-चौरा कांड पर विक्षुब्ध होकर गाँधीजी ने इसे वापस ले लिया था। गाँधीजी के इस निर्णय का कांग्रेस के अनेक सदस्यों ने विरोध किया था। यद्यपि यह आंदोलन सफल नहीं हुआ, परंतु इससे यह साबित हो गया कि भारतवासी अँगरेजी सरकार का सामना कर सकते हैं। राष्ट्रवादी भावना जनता तक पहुँच चुकी थी। स्वतंत्रता आंदोलन जो अभी तक शिक्षित भारतीयों तक सीमित था वह जनमानस तक पहुँच गया था। गाँधीजी को महात्मा का दर्जा प्राप्त हुआ और वे जनता के नेता बन गए।. उन्होंने चरखा द्वारा बने सूती वस्त्रों को अपनाया। उनकी स्वदेशी नीति के कारण लोगों में मातृभाषा तथा स्वदेशी वस्तु के प्रति प्रेम जागृत हुआ था।

19. 1857 के विद्रोह के क्या कारण थे ?

उत्तर-1857 के विद्रोह के कारणों को निम्नांकित छह वर्गों में बाँटा गया है—

राजनैतिक कारण - ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में वर्ष 1757-1857 तक षड्यंत्र, युद्ध या संधियों द्वारा साम्राज्यवादी नीति अपनाई थी। क्लाइव, कार्नवालिस, हार्डिज आदि गवर्नर जनरलों ने युद्ध नीति द्वारा तथा वेलेस्ली और डलहौजी ने क्रमशः सहायक संधि तथा गोद-निषेध नीति तथा भारतीय नरेशों पर कुशासन का आरोप लगाकर कंपनी शासन का विस्तार किया था। भारतीयों को प्रशासनिक न्यायिक, तथा सेना के उच्च पदों से वंचित रखा जिस के कारण लोगों में अँगरेजी शासन के प्रति असंतोष उत्पन्न हुआ।

आर्थिक कारण- वर्ष 1757-1857 तक अँगरेजों ने भारत की कृषि, उद्योग, व्यापार, भू-राजस्व प्रणाली पर अपना पूर्ण अधिकार स्थापित कर लिया था। उनकी मुक्त व्यापार, धन-निष्कासन तथा इनाम कमीशन की नीतियों से भारत में गरीबी, बेरोजगारी तथा भुखमरी, अकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। दूसरी तरफ इंगलैंड मालामाल हो गया।

सामाजिक कारण— अँगरेजों ने भारत में रंगभेद की नीति अपनाई थी। उसने भारतीयों को जंगली तथा असभ्य समझा और उनसे सामाजिक संपर्क नहीं रखा। उन्होंने अनेक पुरानी परंपराओं और रीति-रिवाजों, जैसे सती प्रथा, बाल-विवाह, बालहत्या आदि को समाप्त किया तथा विधवा विवाह अधिनियम आदि को कानूनी मान्यता दी। उन्होंने अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए रेल, डाक-तार आदि की व्यवस्था की जिससे भारतीयों में संदेह उत्पन्न हुआ।

धार्मिक कारण- ईसाई मिशनरियों ने हिंदू और इस्लाम धर्मों को अंधविश्वास पर आधारित बताकर उनकी आलोचना की। उसने लोगों को धर्म- परिवर्तन के लिए प्रेरित किया तथा ईसाई धर्म अपनानेवाले भारतीयों को अनेक सुविधाएँ दीं। भारतीयों में यह विश्वास हो गया कि अँगरेज उनके धर्म को नष्ट करना चाहते हैं।

सैनिक कारण-  अँगरेजों ने भारतीय सैनिकों की सहायता से भारत में अपना शासन स्थापित किया था, परंतु सैनिकों में कई बातों को लेकर असंतोष था। सेना में भर्ती नस्ल के आधार पर की जाती थी, भारतीयों को केवल निम्न सैनिक पद पर नियुक्त किया जाता था। उन्हें कम वेतन तथा भत्ता दी जाती थी। भारतीय सैनिकों के तिलक लगाने, दाढ़ी रखने या पगड़ी पहनने आदि जैसी रीतियों पर रोक लगाई। गई थी। सामान्य भर्ती अधिनियम तथा डाकघर अधिनियम के कारण सैनिकों में असंतोष बढ़ा था।

तात्कालिक कारण-1856 में सैनिकों में नई एनफील्ड राइफल (जिसमें गाय तथा सूअर की चर्बी से बनी कारतूस लगाई गई थी) को लेकर असंतोष हुआ। सर्वप्रथम बंगाल के सैनिकों ने इस राफइल को चलाने से इनकार किया तथा मार्च 1857 में बैरकपुर छावनी के मंगल पांडेय ने इस कारतूस का उपयोग करने से इनकार किया। उसने अँगरेज अफसर को मार डाला। उसे फाँसी दी गई तथा उस छावनी को भंग कर दी गई। इस घटना के पश्चात पहले मेरठ छावनी तथा बाद में अन्य छावनी के सिपाहियों ने भी विद्रोह कर दिया। सिपाही विद्रोह से प्रभावित होकर अन्य वर्गों के लोगों ने भी विद्रोह प्रारंभ कर दिया। यह विद्रोह लगभग उत्तर भारत के सभी क्षेत्रों में फैला था।

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