12th Economics Model Set-5 2022-23

12th Economics Model Set-5 2022-23

खण्ड-अ (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)

1. अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्या है

(1) उत्पादन क्या किया जाये

(2) उत्पादन कैसे किया जाये

(3) उत्पादित वस्तुओं को कैसे वितरित किया जाये

(4) उपरोक्त सभी

2. किस अर्थव्यवस्था में मूल्य संयंत्र आधार पर निर्णय लिए जाते हैं?

(1) समाजवादी

(2) पूँजीवादी

(3) मिश्रित

(4) वे सभी

3. निम्न में से किसका अध्ययन व्यष्टि अर्थशास्त्र में किया जाता है?

(1) व्यक्तिगत परिवार

(2) व्यक्तिगत फर्म

(3) व्यक्तिगत उद्योग

(4) ये सभी

4. उपयोगिता का गणना वाचक सिद्धांत किसने प्रस्तुत किया?

(1) मार्शल

(2) माल्थस

(3) पीगू

(4) हिक्स

5. माँग की लोच का मान होता है।

(1) धनात्मक

(2) ऋणात्मक

(3) शून्य

(4) इनमें से कोई नहीं

6. किसी वस्तु में मानवीय आवश्यकता की पूर्ति की क्षमता को कहते हैं

(1) उत्पादकता

(2) संतुष्टि

(3) उपयोगिता

(4) लाभदायकता

Economics Model Set-1 2022-23

7. ऐसी वस्तुएँ जिनका एक-दूसरे के बदले में प्रयोग किया जाता है

(1) पूरक वस्तुएँ

(2) स्थानापन्न वस्तुएँ

(3) आराम दायक वस्तुएँ

(4) इनमें कोई नहीं

8. उत्पत्ति ह्रास नियम लागू होने के मुख्य कारण क्या हैं?

(1) साधनों की सीमितता

(2) साधनों का अपूर्ण स्थानापन्न

(3) (1) और (2) दोनों

(4) इनमें से कोई नहीं

9. अवसर लागत का वैकल्पिक नाम है

(1) आर्थिक लागत

(2) साम्य कीमत

(3) सीमान्त लागत

(4) औसत लागत

10. यदि किसी वस्तु की कीमत में 60 प्रतिशत की वृद्धि तथा पूर्ति में 5 प्रतिशत की वृद्धि हो ऐसी वस्तु की पूर्ति होगी

(1) अत्यधिक लोचदार

(2) लोचदार

(3) बेलोचदार

(4) पूर्णतः बेलोचदार

11. 'किसी वस्तु की कीमत माँग और पूर्ति द्वारा निर्धारित होती है।' यह किसका कथन है ?

(1) जेवन्स

(2) वालरस

(3) मार्शल

(4) इनमें से कोई नही 

12. एकाधिकार की विशेषता है।

(1) एक विक्रेता एवं अधिक क्रेता

(2) निकट स्थानापन्न का अभाव

(3) नई फर्मों के प्रवेश पर रोक

(4) ये सभी

13. मूल्य विभेद किस बाजार में पाया जाता है ?

(1) शुद्ध प्रतियोगिता

(2) पूर्ण प्रतियोगिता

(3) एकाधिकार

(4) एकधिकारात्मक प्रतियोगिता

14. उत्पादन फलन में उत्पादन फलन है

(1) कीमत का

(2) उत्पादन साधनों का

(3) कुल व्यय

(4) उपर्युक्त में कोई नहीं

15. फर्म के संतुलन की शर्त है।

(1) MC = MR

(2) MR = TR

(3) MR = AR

(4) AC = AR

16. निम्नलिखित में से कौन एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता की विशेषता है?

(1) विभेदीकृत उत्पादन

(2) विक्रय लागत

(3) बाजार का अपूर्ण ज्ञान

(4) उपर्युक्त सभी

17. कीमत उस बिन्दु पर निर्धारित होती है जहाँ

(1) माँग अधिक हो

(2) पूर्ति अधिक हो

(3) माँग और पूर्ति बराबर हो

(4) उपरोक्त कोई नहीं

Economics Model Set-2 2022-23

18. पूर्ण प्रतियोगिता में .......... लाभ की प्राप्ति होती है।

(1) सामान्य

(2) अधिकतम

(3) शून्य

(4) इसमें कोई नहीं

19. क्या होता है जब उत्पादन बन्द कर दिया जाता है ?

(1) स्थिर लागत बढ़ती है।

(2) परिवर्तनशील लागत घटती है

(3) परिवर्तन लागत शून्य हो जाती है

(4) स्थिर लागत शून्य हो जाती है।

20. सामान्य मूल्य स्तर का अध्ययन किया जाता है।

(1) व्यष्टि अर्थशास्त्र में

(2) समष्टि अर्थशास्त्र में

(3) (1) और (2) दोनों में

(4) उपर्युक्त कोई नहीं

21. प्राथमिक क्षेत्र में सम्मिलित है

(1) कृषि

(2) खुदरा बाजार

(3) लघु उद्योग

(4) उपर्युक्त सभी

22. प्रवाह में किसे शामिल किया जाता है ?

(1) उपभोग

(2) विनियोग

(3) आय

(4) उपर्युक्त सभी

23. कौन सत्य है ?

(1) GNP = GDP + ह्रास

(2) NNP = GNP + ह्रास

(3) NNP = GNP - ह्रास

(4) GNP = NNP - ह्रास

24. राष्ट्रीय आय की माप हेतु किस विधि को अपनाया जाता है ?

(1) उत्पादन विधि

(2) आय विधि

(3) व्यय विधि

(4) उपर्युक्त सभी

12th History Model Set-4 2022-23

25. प्राथमिक क्षेत्र में कौन शामिल है ?

(1) भूमि

(2) वन

(3) खनन

(4) ये सभी

26. मुद्रा का कार्य है

(1) विनिमय का माध्यम

(2) मूल्य का मापन

(3) मूल्य का संचय

(4) उपर्युक्त सभी

27. व्यावसायिक बैंक का एजेन्सी कार्य क्या है?

(1) ऋण देना

(2) जमा स्वीकार करना

(3) ट्रस्टी का काम करना

(4) लॉकर सुविधा देना 

28. व्यावसायिक बैंक के प्राथमिक कार्य हैं

(1) जमा स्वीकार करना

(2) ऋण देना

(3) साख निर्माण

(4) उपर्युक्त सभी

 29. केन्द्रीय बैंक साख नियंत्रण करता है

(1) बैंक दर द्वारा

(2) खुले बाजार के द्वारा

(3) CRR के द्वारा

(4) उपर्युक्त सभी

30. केन्द्रीय बैंक के कौन से कार्य है?

(1) नोट निर्गमन

(2) सरकार का बैंक

(3) विदेशी विनिमय कोका संरक्षक

(4) उपर्युक्त सभी

31. भारत में बैंकिंग क्षेत्र सुधार प्रारंभ हुआ

(1) 1969 में

(2) 1981 में

(3) 1991 में

(4) 2001 में

32. घिसावट व्यय सम्मिलित रहता है

(1) GNPMP

(2) NNPMP

(3) NNPFC

(4) उपर्युक्त कोई नहीं

33. केन्स का अनुसार विनियोग से अभिप्राय है

(1) वित्तीय विनियोग

(2) वास्तविक विनियोग

(3) (1) और (2) दोनों

(4) इनमें से कोई नहीं

34. केन्स का रोजगार सिद्धांत किस पर आधारित है ?

(1) प्रभावपूर्ण माँग

(2) आपूर्ति

(3) उत्पादन क्षमता

(4) उपर्युक्त कोई नहीं

35. 'रोजगार, सूद और मुद्रा का सामान्य सिद्धांत' के लेखक कौन है?

(1) ऐ० सी० पीगू

(2) जे० बी० से

(3) जे० एम० केन्स

(4) रिकार्डों

36. MPC का मान होता है

(1) 1

(2) 0

(3) 0 से अधिक किन्तु 1 से कम

(4) अनंत

37. अपस्फीतिक अन्तराल की दशाएँ

(1) माँग में तेजी से वृद्धि

(2) पूर्ति में तेजी से वृद्धि

(3) माँग और पूर्ति दोनों बराबर

(4) उपर्युक्त सभी

38. अतिरिक्त माँग उत्पन्न होने के कौन कारण हैं?

(1) सार्वजनिक व्यय में वृद्धि

(2) मुद्रा की पूर्ति में वृद्धि

(3) करों में कमी

(4) उपर्युक्त सभी

39. व्यापार चक्र उत्पन्न होने के कारण हैं

(1) अपस्फीतिक दशाएँ

(2) स्फीतिक दशाएँ

(3) (1) और (2) दोनों

(4) उपरोक्त कोई नहीं

40. सरकार के कर राजस्व में शामिल है

(1) आयकर

(2) निगमकर

(3) सीमा शुल्क

(4) उपर्युक्त सभी


खण्ड-ब (विषयनिष्ठ प्रश्न)

खण्ड-क (अतिलघु उत्तरीय प्रश्न)  

किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिए । 2 x 5 = 10

1. माँग के संकुचन से आप क्या समझते हैं?

उत्तर - अन्य बातों के पूर्ववत रहने पर, जब किसी वस्तु की कीमत बढ़ने पर उसकी माँग घटती है, तो इसे माँग में संकुचन कहते हैं। ध्यान देने की बात यह है कि माँग में विस्तार के समान ही माँग में संकुचन भी वस्तु की अपनी कीमत में परिवर्तन के कारण होता है।

 2. उत्पादन क्या है और यह क्यों आवश्यक है ?

उत्तर- उत्पादन का अभिप्राय आगतों अथवा आदानों को निर्गत में बदलने की प्रक्रिया से है। उदाहरण के लिए, जब हम बीज, खाद, श्रम आदि जैसे आगतों का प्रयोग कर गेहूँ पैदा करते हैं तो यह गेहूँ का उत्पादन है। उपभोक्ताओं की माँग को पूरा करने के लिए उत्पादन आवश्यक है।

 3. संतुलन मात्रा क्या है ?

उत्तर-संतुलन कीमत पर किसी वस्तु की माँग और पूर्ति की जानेवाली मात्रा को संतुलन मात्रा quantity) कहते हैं। इस स्थिति में क्रेता किसी वस्तु की जितनी मात्रा खरीदना चाहते हैं, उत्पादक या विक्रेता उतनी ही मात्रा बेचना चाहते हैं।

4. पूँजीगत वस्तुएँ क्या हैं?

उत्तर- पूँजीगत वस्तुएँ वे हैं जिनका अन्य वस्तुओं या सेवाओं के उत्पादन में दीर्घकाल तक प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार की वस्तुएँ अन्य वस्तुओं और • सेवाओं के उत्पादन में प्रयुक्त होती हैं। उदाहरण के लिए, कारखाने का भवन, मशीन, उपकरण आदि पूँजीगत वस्तुएँ हैं।

5. बैंक क्या है?

उत्तर- बैंक वह संस्था है जो मुद्रा तथा साख का व्यापार करती है। वह ऋण - की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ऐसे व्यक्तियों को मुद्रा उधार देती है, जिन्हें इसकी आवश्यकता होती है तथा जिनके पास व्यक्तिविशेष अपनी अतिरिक्त मुद्रा या बचत को जमा करते हैं।

6. विनिमय की दर क्या है?

उत्तर - विनिमय की दर वह दर है जिसपर किसी एक देश की मुद्रा को दूसरे देश की मुद्रा में बदला जाता है। दूसरे शब्दों में, किसी एक देश की मुद्रा का दूसरे देश की मुद्रा में जो मूल्य निर्धारित होता है, उसे विनिमय दर कहा जाता है।

 7. आय और उपभोग में किस प्रकार का संबंध है?

उत्तर- उपभोग आय का फलन है तथा यह आय पर निर्भर करता है। आय. और उपभोग में प्रत्यक्ष संबंध है। आय में वृद्धि होने पर उपभोग व्यय भी बढ़ता है, लेकिन इसमें वृद्धि का अनुपात आय की अपेक्षा कम होता है।


खण्ड ख (लघु उत्तरीय प्रश्न)

किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 3 x 5 = 15

 8. सीमांत उपयोगिता तथा कुल उपयोगिता में क्या संबंध है?

उत्तर- सीमांत उपयोगिता और कुल उपयोगिता घनिष्ठ संबंध है। जैसे-जैसे हम किसी वस्तु की अधिकाधिक इकाइयों का प्रयोग करते हैं, वैसे-वैसे उस वस्तु की सीमांत उपयोगिता में कमी होती है। परंतु, कुल उपयोगिता बढ़ती है। तथा इसमें उस समय तक वृद्धि होती है, जब तक सीमांत उपयोगिता शून्य के बराबर नहीं हो जाती। इसके बाद सीमांत उपयोगिता ऋणात्मक होने लगती है और कुल उपयोगिता भी क्रमशः घटती है।

सीमांत उपयोगिता और कुल उपयोगिता में निम्नांकित संबंध स्थापित किया जा सकता है।

(i) जैसे-जैसे सीमांत उपयोगिता घटती जाती है, वैसे-वैसे कुल उपयोगिता बढ़ती जाती है।

(ii) जब सीमांत उपयोगिता शून्य के बराबर होती है तब कुल उपयोगिता अधिकतम होती है।

(iii) जब सीमांत उपयोगिता ऋणात्मक होने लगती है तब कुल उपयोगिता भी क्रमशः घटने लगती है।

9. बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद तथा सकल राष्ट्रीय उत्पाद में क्या अन्तर है ?

उत्तर-

सकल घरेलू उत्पादन (GDP)

सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP)

(i) GDP देश के घरेलू क्षेत्र में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं के मौद्रिक मूल्य को बतलाता है।

(i) GNP देश के सामान्य निवासियों द्वारा उत्पादित अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं का ही बाजारी मूल्य होता है।

(ii) GDP एक क्षेत्रीय घरेलू धारणा है जो देश के घरेलू क्षेत्र तक ही सीमित होती है।

(ii) GNP एक राष्ट्रीय धारणा है जिसका सम्बंध देश के सामान्य निवासियों के साथ होता है।

(iii) GDP = GNP - शुद्ध विदेशी साधन आय

(iii) GNP = GDP + शुद्ध विदेशी साधन आय

(iv) GDP एक संकुचित धारणा है जो केवल घरेलू क्षेत्र तक सीमित होती है।

(iv) यह एक व्यापक धारणा है जिसमें शुद्ध विदेशी साधन आय सम्मिलित होती है।

10. पूर्ण प्रतियोगिता और एकाधिकार में अन्तर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- पूर्ण प्रतियोगिता और एकाधिकार में निम्नलिखित रूपों में अंतर देखा जा सकता है-

पूर्ण प्रतियोगिता

एकाधिकार

(i) औसत आगम और सीमान्त आगम दोनों बराबर होते हैं। AR = MR

(i) औसत सीमान्त आगाम से अधिक होती है।

AR > MR

(ii) वस्तु की कीमत सीमान्त लागत के बराबर होती है

(ii) वस्तु की कीमत सीमान्त लागत से अधिक होती है।

(iii) दीर्घकाल में केवल स्थिर लागत दशा में उत्पादन संभव है

(iii) दीर्घकाल में घटती लागत, स्थिर लागत एवं बढ़ती लागत तीनों दशाओं में उत्पादन एवं संतुलन संभव है।

(iv) दीर्घकाल में केवल सामान्य लाभ की दशा संभव है।

(iv) दीर्घकाल में केवल लाभ ही मिलता है चाहे लागत घटती,स्थिर अथवा बढ़ती है।

(v) उत्पादन स्तर अधिक और कीमत कम होती है।

 (v) कीमत ऊँची और उत्पादन स्तर कम होता है।

11. अल्पकाल में एक फर्म का पूर्ति-वक्र क्या होता है ?

उत्तर - एक फर्म का पूर्ति चक्र निर्गत के स्तरों को दर्शाता है जिनका संबंधित फर्म विभिन्न बाजार कीमतों पर उत्पादन के लिए चयन करती है। अल्पकाल में फर्म की स्थिर लागतें स्थिर रहती है। अतः वह निर्गत तथा पूर्ति के स्तर को निर्धारित करने के लिए अल्पकालीन लागतों को ध्यान में रखती है। फर्म उस मात्रा में वस्तु का उत्पादन और पूर्ति करेगी जहाँ बाजार कीमत सीमांत लागत के बराबर होती है। यदि बाजार कीमत औसत परिवर्तनशील लागत से अधिक या उसके बराबर है तो वह इन कीमतों की अपनी अल्पकालीन सीमांत लागत से तुलना करती है और उसी के अनुरूप उत्पादन करती है। इस प्रकार, अल्पकाल में फर्म उसी स्तर पर उत्पादन एवं पूर्ति करती है जहाँ बाजार कीमत अल्पकालीन सीमांत लागत के बराबर तथा न्यूनतम परिवर्तनशील लागत की तुलना में अधिक या समान होती है।

12. राजस्व व्यय तथा पूँजी व्यय में भेद करें।

उत्तर - राजस्व व्यय सरकार का वह व्यय है जिससे न तो परिसंपत्तिया का सृजन होता है, न ही उसकी देनदारियों में कोई कमी आती है। सामान्यतया इस प्रकार के व्यय सरकारी विभागों के संचालन तथा सरकार द्वारा प्रदत्त विभिन्न प्रकार की सेवाओं के लिए होते हैं। सरकारी कर्मचारियों का वेतन, पेंशन, सार्वजनिक ऋणों पर ब्याज का भुगतान, राज्यों को दी जानेवाली आर्थिक सहायता एवं अनुदान आदि राजस्व व्यय के उदाहरण हैं।

पूँजी व्यय वह व्यय है जिससे परिसंपत्तियों अथवा साधनों का सृजन होता है। अथवा सरकार की देनदारियों में कमी आती हैं। भूमि, भवन, मशीनरी, उपकरण आदि जैसी पूँजीगत संपत्तियों की प्राप्ति पर व्यय, अंशपत्रों में निवेश, राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेशों को दिए गए ऋण इत्यादि पूँजी व्यय के उदाहरण हैं।

यहाँ यह ध्यान रखना आवश्यक है कि राजस्व व्यय तथा पूँजी व्यय दोनों ही योजना व्यय तथा गैर-योजना व्यय हो सकते हैं।

13. राजकोषीय घाटा क्या होता है? इसके क्या प्रभाव होते हैं?

उत्तर- जब सरकार का कुल व्यय उसकी कुल राजस्व प्राप्तियों तथा उधाररहित पूँजी प्राप्तियों से अधिक होता है तो इसे राजकोषीय घाटा कहते हैं। यहाँ यह ध्यान रखना आवश्यक है कि राजकोषीय घाटे में उधार को शामिल नहीं किया जाता है जो पूँजी प्राप्तियों का एक घटक है। इस प्रकार,

राजकोषीय घाटा = कुल व्यय - उधाररहित कुल प्राप्तियाँ

वास्तव में राजकोषीय घाटा सरकार की ऋण संबंधी आवश्यकताओं को व्यक्त करता है। सरकार के लिए राजकोषीय घाटे को पूरा करने का एकमात्र विकल्प ऋण या उधार लेना होता है परंतु इससे सरकार और अर्थव्यवस्था के लिए कई समस्याएँ उत्पन्न होती है। राजकोषीय घाटा अधिक होने पर सरकार द्वारा लिए गए ऋणों की मात्रा बढ़ती है, भविष्य में ब्याज अदायगी और ऋणों की वापसी की समस्या कठिन हो जाती है और सरकार की देनदारियाँ बढ़ती जाती हैं। इसके फलस्वरूप राजकोषीय घाटा और बढ़ता है और यह एक दुष्चक्र का रूप धारण कर लेता है।

14. केन्द्रीय बैंक के किन्हीं दो कार्यों का विवरण दें।

उत्तर- केन्द्रीय बैंक के मुख्य दो कार्यों निम्नलिखित रूपों में देखा जा सकता है-

(i) पत्र-मुद्रा जारी करना : सभी देशों में नोट-निर्गमन, अर्थात पत्र-मुद्रा जारी करने का अधिकार केवल केंद्रीय बैंक को होता है। केंद्रीय बैंकों के उदय एवं विकास के साथ ही उन्हें यह विशेषाधिकार प्राप्त रहा है। यहाँ तक कि बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ तक इन्हें निर्गमन करनेवाले बैंक के नाम से संबोधित किया जाता था। केंद्रीय बैंकों की स्थापना के पूर्व सभी बैंकों को पत्र - मुद्रा जारी करने का अधिकार था। लेकिन, वे कई बार आवश्यकता से अधिक नोट छाप देते थे जिससे मुद्रास्फीति की स्थिति उत्पन्न हो जाती थी। इसलिए, केंद्रीय बैंकों को नोट निर्गमन का एकाधिकार दिया गया जिससे पत्र मुद्रा की मात्रा पर नियंत्रण रखा जा सके। साथ ही, इससे नोट के निर्गमन में एकरूपता भी आ जाती है।

(ii) बैंकों का बैंक -: केंद्रीय बैंक बैंकों का भी बैंक होता है। यह देश के अन्य सभी बैंकों को बैंकिंग संबंधी सुविधाएँ प्रदान करता है। सदस्य बैंकों के नकद-कोष का एक भाग केंद्रीय बैंक के पास जमा रहता है। केंद्रीय बैंक में बैंकों के नकद-कोष का केंद्रीकरण होने से इस धन का उपयोग संकटकालीन परिस्थितियों में किया जा सकता है। इससे देश की साख प्रणाली अधिक लोचदार हो जाती है तथा बैंकों के नकद-कोष का अधिकतम उपयोग होता है। जब व्यावसायिक बैंकों को अन्य किसी स्रोत से ऋण प्राप्त नहीं होता, तब केंद्रीय बैंक ही अंतिम समय में उन्हें ऋण प्रदान करता है। यही कारण है कि केंद्रीय बैंक को बैंकों का बैंक तथा अंतिम ऋणदाता कहा जाता है। केंद्रीय बैंक सदस्य बैंकों को आवश्यक परामर्श एवं निर्देश देता है तथा उनके पारस्परिक लेन-देन का भी निबटारा करता है।

खण्ड-ग (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न) 

किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 5 × 3 = 15

15. तटस्थता वक्र क्या है? तटस्थता वक्र की मुख्य विशेषताओं की विवेचना करें।

उत्तर- उपभोक्ता के अधिमानों के पैमाने को प्रायः एक तालिका अथवा तटस्थता वक्र के माध्यम से प्रकट किया जाता है। तटस्थता वक्र या उदासीनता-वक्र दो वस्तुओं के ऐसे संयोजनों को दर्शाता है जिनसे उपभोक्ता को एकसमान संतुष्टि प्राप्त होती है। जब वस्तुओं के सभी बंडल या संयोजन समान रूप से संतोष प्रदान करनेवाले हों तब उपभोक्ता इनके बीच तटस्थ या उदासीन हो जाता है। अतएव, ऐसे संयोजनों को प्रदर्शित करनेवाले बक्र को तटस्थता वक्र या उदासीनता-वक्र कहते हैं। 

तटस्थता वक्र की मुख्य विशेषताएँ या लक्षण निम्नांकित हैं।

(i) तटस्थता वक्रों की ढाल बाएँ से दाएँ नीचे की ओर होती है- तटस्थता वक्र नीचे की ओर दाईं ओर झुका रहता है, अर्थात तटस्थता वक्र रेखा का झुकाव ऋणात्मक होता है। इसका कारण यह है कि संतुष्टि के समान स्तर को बनाए रखने के लिए जब उपभोक्ता किसी एक वस्तु के उपभोग में वृद्धि लाना चाहता है, तो उसे दूसरी वस्तु के उपभोग में कमी लानी पड़ती है।

(ii) तटस्थता वक्र मूलबिंदु की ओर उन्नतोदर होते हैं- इसका अभिप्राय यह है कि तटस्थता वक्र बाईं भुजा की ओर अधिक ढालू होता है तथा दाहिनी ओर इसकी ढाल कम होती जाती है। तटस्थता वक्र की यह विशेषता दो वस्तुओं के बीच सीमांत प्रतिस्थापन दर की ह्रासमान प्रवृत्ति को व्यक्त करता है। सामान्यतया एक उपभोक्ता वस्तु 1 की प्रत्येक अगली इकाई को वस्तु 2 की घटती हुई मात्रा से प्रतिस्थापित करता है। अतः, तटस्थता वक्रों का ढलान मूलबिंदु (O) की ओर उन्नतोदर होता है।

(iii) तटस्थता वक्र की ऊँची रेखा अधिक संतुष्टि व्यक्त करती है— भिन्न तटस्थता वक्र संतुष्टि के अलग-अलग स्तर को प्रदर्शित करते हैं। उपभोक्ता को नीचे स्थित तटस्थता वक्र की अपेक्षा ऊपर के तटस्थता वक्र से अधिक संतुष्टि प्राप्त होती है। इसका कारण यह है कि नीचे के तटस्थता वक्र की तुलना में ऊपर के तटस्थता वक्र पर दोनो ही वस्तुओं अथवा कम-से-कम एक वस्तु की मात्रा अधिक होती है। अतएव, ऊपर के तटस्थता वक्र की अपेक्षा नीचे के तटस्थता वक्र पर दर्शाए गए बंडल या वस्तुओं के संयोजन निम्न स्तरीय होते हैं। एक उपभोक्ता ऊपर के तटस्थता वक्र पर प्रदर्शित बंडलों या संयोजनों को अधिक अधिमानता प्रदान करता है।

(iv) तटस्थता वक्र एक-दूसरे को नहीं काटते- प्रत्येक तटस्थता वक्र संतुष्टि के पृथक स्तर को व्यक्त करता है। अतः, तटस्थता वक्र कभी भी एक-दूसरे को काटते नहीं हैं।

16. राष्ट्रीय आय की परिभाषा दीजिए। यह कैसे मापी जाती है ?

उत्तर- उत्पादन के सभी साधनों के संयुक्त प्रयास से एक निश्चित अवधि के अंतर्गत देश में जिस कुल संपत्ति का उत्पादन होता है, उसे राष्ट्रीय आय या राष्ट्रीय लाभांश कहते है।

राष्ट्रीय आय की माप या गणना- राष्ट्रीय आय किसी देश की प्रगति का मापदंड होता है। अतएव, इसकी माप अत्यंत आवश्यक है। राष्ट्रीय आय की माप या गणना करने की भी निम्नलिखित तीन मुख्य विधियाँ हैं।

(i) उत्पत्ति गणना पद्धति (Census of production or output method)- - इस तरीके का प्रयोग 1907 में ब्रिटेन में किया गया तथा इसको सूची गणना पद्धति (inventory method) भी कहते हैं। उत्पत्ति गणना पद्धति के अंतर्गत देश की अर्थव्यवस्था को कृषि, उद्योग, व्यापार, यातायात, परिवहन आदि क्षेत्रों में बाँट दिया जाता है। इसके पश्चात इन सभी क्षेत्रों द्वारा एक वर्ष के अंतर्गत उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के बाजार मूल्य तथा शुद्ध निर्यात को जोड़कर कुल राष्ट्रीय आय का पता लगाया जाता है। इसमें इस बात का ध्यान रखना होता है कि कुल राष्ट्रीय उत्पादन में केवल अंतिम वस्तुओं को ही सम्मिलित किया जाए। परंतु, आधुनिक समय में उत्पादन की प्रक्रिया अत्यंत जटिल हो गई है तथा किसी एक ही उत्पादक द्वारा शायद ही किसी संपूर्ण वस्तु का उत्पादन किया जाता है। अधिकांश वस्तुएँ कई उत्पादकों के हाथ से होकर अंतिम उपभोक्ताओं तक पहुँचती हैं। अतः, उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य की माप करने के लिए 'कई बार मूल्य-योग विधि (value-added method) का प्रयोग किया जाता है तथा इससे भी वही परिणाम प्राप्त होते हैं। इस विधि के अनुसार इस बात का निरूपण किया जाता है कि प्रत्येक स्तर पर उत्पादन की विभिन्न इकाइयों ने किसी वस्तु के मूल्य में कितनी वृद्धि की है तथा इसके आधार पर देश की कुल उत्पत्ति का मूल्य प्राप्त किया जाता है। इससे राष्ट्रीय आय में एक ही वस्तु के मूल्य के दुबारा गणना होने की संभावना नहीं रहती है।

(ii) आय-गणना पद्धति (Census of income method) किसी भी देश - में वस्तुओं और सेवाओं पर किया जानेवाला व्यय स्वभावतः उन साधनों की आय में बदल जाता है जिन्होंने उनके उत्पादन में योगदान किया है। अतएव, हम साधन आय (factor income) के रूप में भी राष्ट्रीय आय की माप कर सकते हैं। इस पद्धति के अंतर्गत उत्पादन के विभिन्न साधनों की आय (लगान, मजदूरी और वेतन, ब्याज एवं लाभ, जिसमें कंपनियों का अतिरिक्त लाभ भी शामिल रहता है), सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों की बचत, सरकारी क्षेत्र द्वारा उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य, सरकारी संपत्ति से प्राप्त आय स्वनियोजित व्यक्तियों की आय तथा विदेशों से प्राप्त शुद्ध आय को जोड़कर राष्ट्रीय आय की गणना की जाती है।

(iii) व्यय गणना पद्धति (Census of expenditure method) यह प्रणाली इस तथ्य पर आधारित है कि समाज की संपूर्ण आय एक निश्चित अवधि में उत्पादित संपूर्ण वस्तुओं और सेवाओं पर खर्च होती है। इसलिए, हम सभी व्यक्तियों, व्यावसायिक संस्थानों एवं सरकार द्वारा उपभोग एवं निवेश पर किए जानेवाले संपूर्ण व्यय के द्वारा राष्ट्रीय आय की माप कर सकते हैं। अतएव, इस पद्धति के अंतर्गत एक लेखा वर्ष में सभी प्रकार के निजी उपभोग व्यय, सरकारी व्यय, निजी घरेलू निवेश तथा शुद्ध विदेशी निवेश को जोड़कर राष्ट्रीय आय की गणना की जाती है। लेकिन, यह प्रणाली अधिक लोकप्रिय नहीं है; क्योंकि व्यय संबंधी सही जानकारी प्राप्त करना बहुत कठिन है।

17. माँग की कीमत लोच की अवधारणा का व्यावहारिक महत्त्व क्या है?

उत्तर- माँग की कीमत लोच अथवा माँग की लोच की अवधारणा. व्यावहारिक दृष्टि से अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। प्रो० जे० एम० केन्स (JM Keynes) के अनुसार, यह सिद्धांत मार्शल की सबसे बड़ी देन है। माँग की लोच के सिद्धांत का व्यावहारिक महत्त्व अग्रांकित हैं।

(i) उत्पादन के क्षेत्र में माँग की लोच की अवधारणा का उत्पादन के क्षेत्र में बहुत अधिक महत्त्व है। उपभोक्ताओं की माँग उत्पादन का आधार है। अतएव, उत्पादक उन्हीं वस्तुओं का अधिक उत्पादन करते हैं जिनकी माँग कम लोचदार है।

(ii) कीमत-निर्धारण माँग की लोच का सिद्धांत वस्तुओं के कीमत-निर्धारण में भी सहायक होता है। यदि उत्पादक लोचदार माँगवाली वस्तुओं की अधिक कीमत रखते हैं तो उनकी माँग घट जाएगी।

(iii) वितरण – वितरण के क्षेत्र में भी माँग की लोच का सिद्धांत महत्त्वपूर्ण है। उत्पादक उत्पत्ति के उन साधनों को अधिक पुरस्कार देते हैं जिनकी माँग उनके लिए बेलोचदार है। इसके विपरीत, उत्पादन के उन साधनों को कम मजदूरी मिलती है, जिनकी माँग उत्पादक के लिए लोचदार है; क्योंकि इनके बिना भी उसका काम चल सकता है।

(iv) कर निर्धारण में— माँग की लोच के अध्ययन से सरकार को कर निर्धारण में सुविधा होती है। अगर सरकार ऐसी वस्तुओं पर कर लगाती है जिनकी माँग लोचदार है तो इन वस्तुओं की माँग घट जाएगी। इसके फलस्वरूप सरकार को पर्याप्त आय प्राप्त नहीं होगी। यही कारण है कि बेलोचदार वस्तुओं पर कर की मात्रा प्रायः अधिक रहती है; क्योंकि इन वस्तुओं की कीमत बढ़ने पर भी इनकी माँग में विशेष कमी नहीं होती है।

(v) परिवहन की दर निश्चित करने में भाड़े की दर निश्चित करने में भी इस सिद्धांत के अध्ययन से सुविधा होती है। यदि यात्रियों की माँग लोचदार है तो भाड़े की दर कम रखनी होगी; क्योंकि अधिक दर रखने पर कम यात्री यातायात के साधनों का उपयोग करेंगे।

(vi) अंतरराष्ट्रीय व्यापार में माँग की लोच के अध्ययन से अंतरराष्ट्रीय व्यापार के क्षेत्र में भी लाभ होता है। व्यापार की शर्तें देश की सौदा करने की शक्ति पर निर्भर करती हैं। सौदा करने की शक्ति वास्तव में आयातों तथा निर्यातों की माँग की लोच पर निर्भर करती है। अगर आयात की वस्तुओं के लिए हमारी माँग बेलोचदार है तो विदेशी अपनी वस्तुओं का मूल्य अधिक रख सकते हैं।

18. भारत सरकार की राजस्व-प्राप्तियों के मुख्य स्रोत क्या हैं?

उत्तर- भारत सरकार की राजस्व प्राप्तियों को भी दो भागों में बाँटा जाता है— कर राजस्व तथा गैर-कर राजस्व । कर राजस्व सरकार को सभी प्रकार के करों से प्राप्त आय है। गैर-कर राजस्व में केंद्र सरकार द्वारा प्रदान किए जानेवाले ऋण, सेवाओं का ब्याज, लाभांश और लाभ होते हैं जिनमें रेलवे से प्राप्त ब्याज और लाभांश भी शामिल हैं।

केंद्रीय सरकार के कर राजस्व के मुख्य स्रोत निम्नांकित हैं-

(i) आयकर- आयकर एक प्रत्यक्ष एवं प्रगतिशील कर है। यह कर व्यक्तियों की शुद्ध आय पर लगाया जाता है। कम आयवाले व्यक्तियों को इससे छूट दे दी जाती है और जैसे-जैसे आय में वृद्धि होती है आयकर की दर भी बढ़ती जाती है।

भारत में सर्वप्रथम 1860 में आयकर लगाया गया। प्रारंभ में यह कर केवल केंद्र सरकार की आय का साधन था, लेकिन बाद में इसे विभाजित शीर्षक के अंतर्गत रखा गया। इससे प्राप्त आय का एक भाग राज्य सरकारों को दे दिया जाता है। आयकर एक अत्यंत उत्पादक कर है तथा भारत सरकार के कर राजस्व का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है।

(ii) निगम कर- यह कर संयुक्त पूँजी कंपनियों की आय पर लगाया जाता है। जिस प्रकार व्यक्ति आय कर चुकाते हैं, उसी प्रकार इन कंपनियों को निगम कर देना पड़ता है। इसमें छोटी-बड़ी सभी कंपनियों पर कर की दर एक समान होती है।

(iii) केंद्रीय उत्पाद शुल्क – यह एक अप्रत्यक्ष कर है तथा वस्तुओं पर उनके उत्पादन के समय लगाया जाता है। इस कर का भार मुख्यतः उपभोक्ताओं पर पड़ता है। केंद्रीय उत्पाद शुल्क भारत सरकार की आय का एक प्रमुख स्रोत हैं।

(iv) सीमाशुल्क – यह कर देश की सीमाओं से बाहर जाने और आने वाली वस्तुओं पर लगाया जाता है। इस कर के दो रूप हैं—निर्यात शुल्क तथा आयात शुल्क। जब देश के बाहर जानेवाली वस्तुओं पर कर लगाया जाता है तो इसे निर्यात शुल्क कहते हैं। इसके विपरीत, देश के अंदर आनेवाली वस्तुओं पर आयात शुल्क लगाया जाता है। सीमाशुल्क लगाने के दो उद्देश्य हैं— सरकार की आय में वृद्धि करना तथा देश के उद्योगों को संरक्षण प्रदान करना। 

भारत सरकार के गैर-कर राजस्व के स्रोतों में निम्नांकित प्रमुख हैं—

(i) व्याज प्राप्तियाँ - भारत सरकार राज्य सरकारों, केंद्रशासित प्रदेशों, - स्थानीय निकायों तथा निजी उद्यमों को समय-समय पर ऋण प्रदान करती है। इन ऋणों से उसे बहुत बड़ी मात्रा में ब्याज प्राप्त होता है। यह सरकार की गैर-कर आय का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है।

(ii) लाभ और लाभांश - विगत वर्षों के अंतर्गत सरकार द्वारा कई प्रकार के उद्योग एवं व्यवसाय स्थापित किए गए हैं। इन उपक्रमों तथा उद्योगों से उसे लाभ प्राप्त होता है। इसी प्रकार, सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में किए गए निवेश से लाभांश मिलता है।

(iii) विदेशी सहायता अनुदान- सरकार को विदेशी सरकारों एवं अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं आदि से आर्थिक सहायता और अनुदान के रूप में भी धन प्राप्त होता है जो उसके गैरकर राजस्व का एक स्रोत है।

19. अल्पाधिकार का अर्थ और उसकी विशेषताओं की विवेचना करें।

उत्तर- जब किसी वस्तु के बाजार में एक से अधिक विक्रेता हों, लेकिन उनकी संख्या अत्यंत अल्प हो तो बाजार संरचना को अल्पाधिकार ( oligopoly) कहते हैं। इस व्यवस्था में वस्तु-विशेष के कुछ थोड़े से विक्रेता होते हैं जिनके क्रियाकलाप एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। प्रत्येक फर्म की वस्तु की कुल आपूर्ति के एक बड़े भाग पर नियंत्रण होने के कारण वह बाजार कीमत को प्रभावित कर सकती है।

एक अल्पाधिकारी बाजार संरचना की मुख्य विशेषताएँ निम्नांकित है-

 (i) कुछ वृहत फर्में (A few large firms) - उत्पादक फर्मों का अत्यंत अल्प होना अल्पाधिकार की एक प्रमुख विशेषता है। इसके फलस्वरूप प्रत्येक फर्म उत्पादन की मात्रा तथा कीमत संबंधी निर्णय लेने में दूसरे प्रतिद्वंद्वी फर्म की प्रतिक्रिया को ध्यान में रखती है।

(ii) समरूप एवं विभेदीकृत उत्पाद (Homogeneous and differentiated product) अल्पाधिकारी बाजार में स्थानापन्न • वस्तुएँ बेची जाती है जो समरूप अथवा विभेदीकृत दोनों हो सकती है. जैसे कोयला, इस्पात और उर्वरक तथा विभिन्न ब्रांड की मोटर साइकिलें एवं कारें ।

(iii) नई फर्मों के प्रवेश में कठिनाई (Difficulty in entry of new firms) - इस व्यवस्था में वस्तु का उत्पादन या विक्रय करनेवाली फर्मों की संख्या अत्यंत अल्प होने के कारण उनके सामूहिक व्यवहार से उस क्षेत्र में नई फर्मों का प्रवेश कठिन होता है।

(iv) विक्रय लागतें (Selling cosis) अल्पाधिकार के अंतर्गत कुछ थोड़ी-सी फर्मों अपनी वस्तु को अपेक्षाकृत अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए विज्ञापन और प्रचार पर धन खर्च करती हैं। लेकिन, एकाधिकारी प्रतिस्पर्धा की तुलना में इनकी विक्रय लागतें कम होती हैं।


Other Objective Important Questions

प्रश्न 1. सम सीमान्त उपयोगिता नियम को कहते हैं

(a) गोसेन का दूसरा नियम

(b) प्रतिस्थापन का नियम

(c) उपयोगिता ह्रास का नियम

(d) (a) और (b) दोनों

प्रश्न 2. उत्पादन संभावना वक्र की अवधारणा जुड़ी है

(a) सैम्यूल्सन से

(b) मार्शल से

(c) हिक्स से

(d) रॉबिन्स से

प्रश्न 3. उत्पादन संभावना वक्र

(a) अक्ष की ओर अवनतोदर होती है

(b) अक्ष की ओर उन्नतोदर होती है

(c) अक्ष के समानान्तर होती है

(d) अक्ष से लम्बवत् होती है

प्रश्न 4. यदि किसी वस्तु के मूल्य माँग की लोच ep = 0.5 हो, तो वस्तु की माँग

(a) लोचदार है

(b) पूर्णतः लोचदार है

(c) आपेक्षिक बेलोचदार है

(d) पूर्णतः बेलोचदार है

प्रश्न 5. निम्न में से कौन माँग की लोच मापने की विधि नहीं है ?

(a) प्रतिशत विधि

(b) आय प्रणाली

(c) कुल व्यय प्रणाली

(d) बिन्दु विधि

प्रश्न 6. निम्नलिखित सारणी से माँग की लोच ज्ञात करें :

प्रति इकाई मूल्य (रुपये)

माॅंगी गयी मात्रा (किग्रा.)

10

20

9

25

(a) 2.00

(b) 2.50

(c) 3.00

(d) 3.50

प्रश्न 7. माँग की लोच मापने के लिए प्रतिशत या आनुपातिक रीति का प्रतिपादन किसने किया ?

(a) मार्शल

(b) फ्लक्स

(c) हिक्स

(d) रॉबिन्स

प्रश्न 8. माँग के नियम का आधार है

(a) उपयोगिता ह्रास नियम

(b) वर्धमान प्रतिफल नियम

(c) ह्रासमान प्रतिफल नियम

(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 9. मूल्य में परिवर्तन के फलस्वरूप माँग में जिस गति से परिवर्तन होगा उसे कहा जाता है

(a) माँग का नियम

(b) माँग की लोच

(c) लोच की माप

(d) इनमें से सभी

श्न 10. काफी के मूल्य में वृद्धि होने से चाय की माँग

(a) बढ़ती है

(b) घटती है

(c) स्थिर रहती है

(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 11. निम्नलिखित में से कौन-सा घटक माँग की लोच को प्रभावित करता है ?

(a) वस्तुओं की प्रकृति

(b) आय स्तर

(c) कीमत स्तर

(d) इनमें से सभी

प्रश्न 12. माँग की लोच की माप निम्न में से किस विधि से की जाती है ?

(a) कुल व्यय विधि

(b) प्रतिशत या आनुपातिक रीति

(c) बिन्दु रीति

(d) इनमें से सभी

प्रश्न 13. किसी वस्तु की माँग प्रभावित होती है

(a) उपभोक्ता की इच्छा से

(b) उपभोक्ता की आय से

(c) उपभोक्ता की आवश्यकता से

(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 14. निम्नांकित में से किस वस्तु की माँग बेलोच होती है ?

(a) रेडियो

(b) दवा

(c) टेलीविजन

(d) आभूषण

प्रश्न 15. माँग की लोच को प्रभावित करने वाले घटक कौन-से हैं ?

(a) वस्तु की प्रकृति

(b) कीमत स्तर

(c) आय स्तर

(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 16. गिफिन वस्तुओं के लिए कीमत माँग की लोच होती है

(a) ऋणात्मक

(b) धनात्मक

(c) शून्य

(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 17. कीमत लोच मापने की रीतियाँ हैं

(a) कुल व्यय रीति

(b) बिन्दु रीति

(c) चाप रीति

(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 18. माँग की लोच को मापने का सूत्र निम्न में कौन-सा है ?

प्रश्न 19. किसी वस्तु की माँग प्रभावित होती है

(a) वस्तु की कीमत से

(b) उपभोक्ता की आय से

(c) स्थानापन्न की कीमतों से

(d) इनमें सभी से

प्रश्न 20. विलासिता की वस्तुओं की माँग होती है

(a) लोचदार

(b) बेलोचदार

(c) पूर्ण बेलोचदार

(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 21. माँग के लिए निम्न में से कौन-सा तत्त्व आवश्यक है ?

(a) वस्तु की इच्छा

(b) वस्तु क्रय करने के लिए पर्याप्त साधन

(c) साधन व्यय करने की तत्परता

(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 22. किस प्रकार की वस्तुओं के मूल्य में कमी होने से माँग में वृद्धि नहीं होती है ?

(a) अनिवार्य वस्तुएँ

(b) आरामदायक वस्तुएँ

(c) विलासिता वस्तुएँ

(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 23. निम्नांकित उदाहरण में कीमत लोच क्या है ?

वस्तु की कीमत

वस्तु की माँग

5(P1)

10(Q1)

4(P2)

15(Q2)

(a) 2.5

(b) 3.5

(c) -4.5

(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 24. माँग के निर्धारक तत्त्व हैं

(a) वस्तु की कीमत

(b) वस्तु के स्थानापन्न वस्तु की कीमत

(c) उपभोक्ता की आय

(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 25. पूर्ण तथा बेलोचदार माँग वक्र होता हैं

(a) क्षैतिज

(b) ऊर्ध्वाधर

(c) ऊपर से नीचे दायीं ओर गिरता हुआ

(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 26. निम्न में से कौन माँग की लोच को प्रभावित करता है ?

(a) वस्तु की प्रकृति

(b) वस्तु का विविध उपयोग

(c) समय तत्व

(d) इनमें से सभी

प्रश्न 27. निम्न में से कौन आर्थिक मंदी की स्थिति का लक्षण है ?

(a) रोजगार के स्तर में कमी

(b) औसत मूल्य स्तर में कमी

(c) उत्पादन में गिरावट

(d) इनमें से सभी

प्रश्न 28. किस वर्ष विश्व में महामंदी हुई थी ?

(a) 1919 में

(b) 1909 में

(c) 1929 में

(d) 1939 में

प्रश्न 29. केन्स का अर्थशास्त्र

(a) न्यून माँग का अर्थशास्त्र है

(b) माँग-आधिक्य अर्थशास्त्र है

(c) पूर्ण रोजगार का अर्थशास्त्र है

(d) आंशिक माँग का अर्थशास्त्र है

प्रश्न 30. कौन-सा कथन सत्य है ?

प्रश्न 31. कौन-सा कथन सत्य है ?

प्रश्न 32. मौद्रिक नीति के प्रमुख उद्देश्य हैं

(a) मूल्य स्थिरता

(b) आर्थिक विकास को बढ़ावा

(c) आर्थिक स्थिरता

(d) इनमें से सभी

प्रश्न 33. केन्द्र से निकली सीधी पूर्ति रेखा की लोच (E)

(a) इकाई से कम (Es < 1) होती है

(b) इकाई से अधिक (Es > 1) होती है

(c) इकाई से बराबर (Es = 1) होती है

(d) अनंत के बराबर (Es = ∞) होती है

प्रश्न 34. पूँजी खाते में निम्न में से कौन मद है ?

(a) सरकारी विदेशी ऋण

(b) निजी विदेशी ऋण

(c) विदेशी प्रत्यक्ष विनियोग

(d) इनमें से सभी

प्रश्न 35. विदेशी विनिमय की माँग के प्रमुख स्रोत है

(a) विदेशी वस्तुओं का आयात

(b) विदेश में निवेश

(c) पर्यटन

(d) इनमें से सभी

प्रश्न 36. सरकारी व्यय जिससे परिसम्पत्ति का सृजन नहीं होता, कहलाता है

(a) राजस्व व्यय

(b) पूँजीगत व्यय

(c) नियोजित व्यय

(d) बजट व्यय

प्रश्न 37. निम्न में से कौन प्रत्यक्ष कर है ?

(a) आय कर

(b) निगम कर

(c) उत्पादन कर

(d) (a) और (b)

प्रश्न 38. अप्रत्यक्ष कर के अंतर्गत किसे शामिल किया जाता है ?

(a) उत्पाद शुल्क

(b) बिक्री कर

(c) (a) और (b) दोनों

(d) सम्पत्ति कर

प्रश्न 39. निम्न में से कौन साख नियंत्रण की गुणात्मक विधि नहीं है ?

(a) मार्जिन आवश्यकता

(b) नैतिक दबाव

(c) उपभोक्ता साख पर नियंत्रण

(d) बैंकों के नकद कोष अनुपात में परिवर्तन

प्रश्न 40. नरसिम्हन समिति की स्थापना हुई थी

(a) कर सुधार के लिए

(b) बैंकिंग सुधार के लिए

(c) कृषि सुधार के लिए

(d) आधारभूत संरचना सुधार के लिए

प्रश्न 41. निम्न में से किसमें निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र का सह-अस्तित्व होता है ?

(a) पूँजीवादी अर्थव्यवस्था

(b) समाजवादी अर्थव्यवस्था

(c) मिश्रित अर्थव्यवस्था

(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 42. अल्पकालीन औसत लागत वक्र सामान्यतः होता है

(a) S आकार का

(b) U आकार का

(c) L आकार का

(d) V आकार का

प्रश्न 43. परिवर्तनशील अनुपात का नियम उत्पादन की तीन अवस्थाओं की चर्चा करता है, जिसमें उत्पादन के प्रथम चरण में

(a) सीमांत और औसत लागत बढ़ते हैं

(b) सीमांत उत्पादन बढ़ता है, लेकिन औसत उत्पादन घटता है

(c) केवल औसत उत्पादन बढ़ता है

(d) केवल सीमान्त उत्पादन बढ़ता है

प्रश्न 44. जब कुल उपयोगिता अधिकतम होती है तब सीमांत उपयोगिता

(a) शून्य होती है

(b) ऋणात्मक होती है

(c) धनात्मक होती है

(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 45. रिकार्डो के अनुसार पूर्ण प्रतियोगिता में मूल्य निर्धारण होता है

(a) आवश्यकता द्वारा

(b) माँग द्वारा

(c) उत्पादन लागत द्वारा

(d) उपयोगिता द्वारा

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