12th आरोह 1. हरिवंश राय बच्चन (आत्मपरिचय, एक गीत) कविता
के साथ प्रश्न 1. कविता एक ओर जग-जीवन का भार लिए घूमने की बात करती है और
दूसरी ओर 'मैं कभी न जग का ध्यान किया करता हैं'-विपरीत से लगते इन कथनों का क्या
आशय है? उत्तर
: प्रस्तुत कविता में कवि स्वयं को जग से जोड़ने और उससे अलग रहने की बात भी करता
है। वह संसार की चिन्ताओं एवं व्यथाओं के प्रति सजग है। इस तरह वह संसार की
निन्दा-प्रशंसा की चिन्ता न करके उससे प्रेम कर उसका हित साधना चाहता है। प्रश्न 2. 'जहाँ पर दाना रहते हैं, वहीं
नादान भी होते हैं'-कवि ने ऐसा क्यों कहा होगा? उत्तर
: इसमें 'दाना' स्वार्थपरता, लोभ-लालच, सांसारिकता एवं चेतना का प्रतीक है। संसार
में ज्ञानी और अज्ञानी दोनों ही तरह के लोग सत्य को खोज रहे हैं, परन्तु स्वार्थ
की चिन्ता करने वाले लोग अज्ञानी हैं। जो दाने के लोभ में फँस , जाते हैं वे
स्वाभाविक रूप से नादान व सांसारिक षड्यंत्र के प्रति भोले होते हैं। प्रश्न 3. 'मैं और, और जग और, कहाँ का नाता'-पंक्ति
में 'और' शब्द की विशेषता बताइये। उत्तर
: यहाँ'और' शब्द का प्रयोग तीन बार तीन अर्थों में हुआ है। इसमें 'मैं और' का आ…