12th आरोह 3. कुँवर नारायण (कविता के बहाने, बात सीधी थी पर)

12th आरोह 3. कुँवर नारायण (कविता के बहाने, बात सीधी थी पर)
12th आरोह 3. कुँवर नारायण (कविता के बहाने, बात सीधी थी पर)
कविता के साथ प्रश्न 1. इस कविता के बहाने बताएँ कि 'सब घर एक कर देने के माने क्या हैं? उत्तर : 'सब घर एक कर देने' का आशय है कि आपसी भेदभाव, अलगाव-बोध तथा आस-पड़ोस के अन्तर को समाप्त करके सभी के प्रति अपनत्व की भावना रखना और वैसा ही आचरण करना। इस तरह का व्यवहार खासकर बच्चे करते हैं। बच्चे खेल में अपने-पराये का भेद भूल जाते हैं, सभी घरों को अपना घर.जैसा मानते हैं। उसी तरह कवि अपनी कविता में सारे मानव-समाज को समान मानकर अपनी बात कहता है। कविता में शब्दों के खेल के साथ मानवीय भावना जुड़ी होती है, जिसमें सभी प्रकार की सीमाएँ स्वयं टूट जाती हैं। प्रश्न 2. 'उड़ने' और 'खिलने' का कविता से क्या सम्बन्ध बनता है? उत्तर : तितलियाँ उड़ती हैं और फूल खिलते हैं। इसी प्रकार कवि भी कविता-रचना में कल्पनाओं-भावनाओं की उड़ान भरता है। उसकी काल्पनिक उड़ान से कविता फूलों की तरह खिलती एवं विकसित होती है। अतः 'उड़ने' और 'खिलने' से कविता का मनोगत उल्लास से अनुभूतिमय सम्बन्ध है। प्रश्न 3. कविता और बच्चे को समानान्तर रखने के क्या कारण हो सकते हैं? उत्तर : बच्चों के खेल में…