12th Hindi Elective SET -3 Koderma PROJECT RAIL 2.0 MODEL QUESTION PAPER-2023

12th Hindi Elective SET -3 Koderma PROJECT RAIL 2.0 MODEL QUESTION PAPER-2023

PROJECT RAIL 2.0

MODEL QUESTION PAPER-2023

मॉडल प्रश्न पत्र -3

(वस्तुनिष्ठ)

विषय:- हिन्दी (ऐच्छिक)

कक्षा -XII पूर्णाक - 40

सामान्य निर्देश :

(i) प्रश्नों की संख्या 40 है।

(ii) सभी प्रश्नों के उत्तर अनिवार्य है।

(iii) प्रत्येक प्रश्न के लिए एक अंक निर्धारित है।

(iv) प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्प दिए गए हैं।

(v) इनमें से सही विकल्प का चयन कीजिए ।

(vi) गलत उत्तर के लिए कोई अंक नहीं काटे जाएँगे।

खण्ड "क" (अपठित बोध)

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान पूर्वक पढ़कर प्रश्न संख्या 1 से 4 के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए ।

यदि मनुष्य और पशु के बीच कोई अंतर हैं तो केवल इतना कि मनुष्य के भीतर विवेक है और पशु विवेकहीन है। इसी विवेक के कारण मनुष्य को यह बोध रहता है कि क्या अच्छा है और क्या बुरा। इसी विवेक के कारण मनुष्य यह समझ पाता है कि केवल खाने पीने और सोने में ही जीवन का अथ और इति नहीं । केवल अपना पेट भरने से ही जगत के सभी कार्य संपन्न नहीं हो जाते और यदि मनुष्य का जन्म मिला है तो केवल इतनी चीज का हिसाब रखने के लिए नहीं कि इस जगत ने उसे क्या दिया है। और न ही यह सोचने के लिए कि यदि इस जगत ने उसे कुछ नहीं दिया तो वह इस संसार के भले के लिए कार्य क्यों करें। मानवता का बोध कराने वाले इस गुण विवेक की जननी का नाम शिक्षा है।

प्रश्न 01 - विवेकहीन प्राणी कौन है ?

(क) मनुष्य

(ख) पशु

(ग) संसार

(घ) इनमें से सभी

प्रश्न 02- मानवता का बोध कराने वाले की जननी कौन है ?

(क) मानवता

(ख) विवेकशीलता

(ग) धार्मिकता

(घ) शिक्षा

प्रश्न 03 - अथ और इति का अर्थ क्या है ?

(क) अंत और आरंभ

(ख) आरंभ और अंत

(ग) आरंभ और प्रारंभ

(घ) अंत और समाप्त

प्रश्न 04 - उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक हो सकता है

(क) शिक्षा

(ख) विवेक

(ग मनुष्य

(घ) पशु

निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्न संख्या 05 से 08 तक के लिए सही विकल्प का चयन करें-

यह सच है तो अब तक लौट चलो तुम घर को,

चौंके सब सुनकर अटल कैकेयी - स्वर को

सबने रानी की ओर अचानक देखा.

वैधव्य - तुषारावता-यथा- विध लेखा ।

बैठी थी अचल तथापि असंख्य तरंगा,

बहु सिंही अब थी हहा! गौमुखी गंगा ।

हाँ जानकर भी मैंने न भरत को जाना,

सब सुन लें तुमने स्वयं अभी यह माना ।

यह सच है तो फिर लौट चलो घर भैया,

अपराधिन मैं हूँ तात, तुम्हारी मैया ।

प्रश्न 05 - गौमुखी गंगा कहकर किसे इंगित किया गया है ?

(क) कौशल्या

(ख) कैकेयी

(ग) सीता

(घ) सुमित्रा

प्रश्न 06.- 'अब लौट चलो तुम घर को में किसी घर लौटने के लिए कहा जा रहा है?

(क) राम

(ख) भरत

(ग) लक्ष्मण

(घ) शत्रुघ्न

प्रश्न 07 - 'विधु लेखा में विधु से आशय है -

(क) चाँद

(ख) सूरज

(ग) पृथ्वी

(घ) तारे

प्रश्न 08. - दुर्बलता का विशेष चिह्न किसे बताया गया है?

(क) कसम

(ख) सौगन्ध

(ग) शपत

(घ) उपर्युक्त सभी

खण्ड "ख" (रचनात्मक लेखन तथा अभिव्यक्ति और माध्यम )

09. 'संचार' शब्द में कौन -सा धातु है?

(क) सम्

(ख) चर

(ग) गम्

(घ) चार्

10. पत्रकारीय लेखन के अन्तर्गत क्या-क्या आते हैं ?

(क) संपादकीय

(ख) समाचार

(ग) आलेख

(घ) उपरोक्त सभी

11. किसी समाचार पत्र या संगठन के नियमित वेतनभोगी पत्रकार कौन-से पत्रकार कहलाते है ?

(क) पूर्णकालिक पत्रकार

(ख) अंशकालिन पत्रकार

(ग) स्वतंत्र पत्रकार

(घ) उपरोक्त सभी

12. भारत में एफ0एम0 (F.M.) की शुरूआत कब हुई ?

(क) 1982

(ख) 1993

(ग) 1998

(घ) 2002

23 जुलाई, 1977 को मद्रास से पहली बार एफएम सेवा का उद्घाटन किया गया। जून 1923 में रेडियो क्लब ऑफ बॉम्बे ने देश में पहली बार प्रसारण किया।

13. रेडियो जनसंचार का कौन-सा माध्यम है ?

(क) दृश्य

(ख) श्रव्य

(ग) दोनों

(घ) इनमें से कोई नहीं

14. टेलीविजन के आविष्कारक किसने किया ?

(क) जी० मारकोनी

(ख) जे०एल० बेयर्ड

(ग) ग्रहम बेल

(घ) अल्वर्ट आईस्ताइन

15. आजादी पूर्व प्रकाशित होने वाली पत्रिका है -

(क) दैनिक जागरण

(ख) हिन्दुस्तान

(ग) प्रजा हितैसी

(घ) प्रभात खबर

'उदन्त मार्तण्ड,पंडित जुगल किशोर शुकुल ने 30 मई 1826 को इसे कलकत्ता से एक साप्ताहिक समाचार पत्र के रूप में आरंभ किया।

16. भारत में प्रकाशित होने वाला पहला अखबार किस भाषा में छपा था ?

(क) बांग्ला

(ख) हिन्दी

(ग) मराठी

(घ) अंग्रेजी

भारत में पहला समाचारपत्र निकलने का श्रेय  “जेम्स ऑगस्टन हिक्की” को है जिन्होंने 1780 में The Bengal Gazette अथवा The Calcutta General Advertiser नाम का समाचार पत्र को प्रकाशित किया। हिक्की का बंगाल गजट भारतीय उपमहाद्वीप पर प्रकाशित होने वाला पहला अंग्रेजी भाषा का समाचार पत्र था। इसकी स्थापना 1779 में आयरिशमैन जेम्स ऑगस्टस हिक्की द्वारा उस समय ब्रिटिश भारत की राजधानी कलकत्ता में की गई थी।

17. कविता में लय एवं ताल का क्या योगदान है ?

(क) गेयता आती है

(ख) संगीतवद्धता आती हैं

(ग) आनंददायी होती है

(घ) उपरोक्त सभी

18. नाटक कैसा काव्य है ?

(क) दृश्य

(ख) श्रव्य

(ग) दोनों

(घ) दोनों में से कोई नहीं

खण्ड "ग" (पाठ्यपुस्तक)

निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्न संख्या - 19 से 22 के लिए सही विकल्प का चयन करें -

यह मधु है - स्वयं काल की मौना का युग संभव

यह गोरस जीवन - कामधेनु का अमृत-श्त पथ

यह अंकुर-फोड़ धरा को रवि को तंडटा निर्भय

यह प्रकृत, स्वयं भू ब्रामा, अभुत इसको भी शक्ति दे दो।।

प्रश्न 19 उपरोक्त पंक्तियों के कवि हैं -

(क) अज्ञेय

(ख) निराला

(ग) जयशंकर प्रसाद

(घ) महादेवी वर्मा

प्रश्न 20. - दीप किसका प्रतीक है ?

(क) समाज का

(ख) व्यक्ति का

(ग) ब्रह्मा का

(घ) इनमें से सभी

प्रश्न 21. - समाज के साथ अंतरंग संबंध स्थापित होने पर मनुष्य -

(क) शक्ति संपन्न बनेगा

(ख) कमजोर होगा

(ग) खोखला होगा

(घ) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 22. जीवन कामधेनु में कौन - सा अलंकार है ?

(क) अनुप्रास

(ख) यमक

(ग) उपमा

(घ) रुपक

प्रश्न 23. बनारस शीर्षक कविता में दशाश्वमेघ घाट पर पड़े अंतिम पत्थर की स्थिति है ?

(क) सख्त हो गया है

(ख) चमक चल गई है

(ग) खुरदरा हो गया हैं

(घ) मुलायम हो गया है

प्रश्न 24 - स्कंदगुप्त कौन था ?

(क) गुप्तवंश का सम्राट

(ख) साधारण व्यक्ति

(ग) शहर निवासी

(घ) पहलवान

प्रश्न 25 - विद्यापति की पदावली किस भाषा में रचित है?

(क) संस्कृत

(ख) अवहट्ट

(ग) मैथिली

(घ) अपभ्रंश

प्रश्न 26 - बारहमासा किस प्रबंध काव्य का अंश है ?

(क) नागमती

(ख) जायसी ग्रंथ

(ग) मानस

(घ) पद्मावत

प्रश्न 27. - 'ढाक के जंगल का अर्थ है -

(क) कनेर का जंगल

(ख) घना जंगल

(ग) पलाश का जंगल

(घ) सुंदर जंगल

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्न संख्या 28 से 31 तक के लिए सही विकल्प का चयन करें-

जन्मभर के साथी की चुनावट मिट्टी के ढेलों पर छोडना कैसी बुद्धिमानी है। अपनी आँखों से जगह देखकर अपने हाथ से चुने हुए मिट्टी के उगलों पर भरोसा करना क्यों है? लाखों, करोड़ों कोस दूर बैठे बड़े-बड़े मिट्टी और आग के ढेलों मंगल और शनैश्चर और वृहस्थिति की कल्पित चाल के कलिप्त हिसाब भरोसा करना क्यों अच्छा है ?

प्रश्न 28. - उपरोक्त गद्यांश किस पाठ से लिया गया है ?

(क) घड़ी के पूर्जे

(ख) ढेले चुन लो

(ग) साझा

(घ) चार हाथ

प्रश्न 29 - ढेले चुन लो शीर्षक पाठ के लेखक है

(क) चन्द्रधर शर्मा गुलेरी

(ख) रामचन्द्र शुम्ब

(ग) महादेवी वर्मा

(घ) रामवृक्ष बेनीपूरी

प्रश्न 30 - ढेले चुनकर क्या किया जाता है ?

(क) विवाह

(ख) खेती

(ग) पढ़ाई

(घ) इनमें से सभी

प्रशन 31 - ढेले चुनना था

(क) अंध विश्वास

(ख) परंपरा

(ग) अत्याचार

(घ) इनमें से सभी

प्रश्न 32. - संवदिया किनकी रचना है ?

(क) फनीश्वरनाथ रेणु

(ख) प्रेमचंद

(ग) जयशंकर प्रसाद

(घ) ममता कालिया

प्रश्न 33. - प्रेमधन जी किसे भाषा मानते थे ?

(क) बाह्यी को

(ख) खरोष्ठी को

(ग) नागरी को

(घ) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 34. - संवदिया का क्या कार्य होता है ?

(क) लोगों की समस्या का समाधान करना

(ख) लोगों के संदेश को ले जाना

(ग) चिट्ठियाँ बॉटना

(घ) गॉव की चिट्ठियाँ पढ़ना

प्रश्न 35. - हरगोविन्द ने बहुरिया को कहाँ की लक्ष्मी बताया ?

(क) घर की

(ख) गॉव की

(ग) शहर की

(घ) हवेली की

प्रश्न 36. - सिंगरौली का नाम किस पर्वतमाला से निकला है ?

(क) विंध्याचल

(ख) शृंगावली

(ग) कैमूर

(घ) अरावली

प्रश्न 37.- दूसरा देवदास कहानी की नायिका कौन है ?

(क) पारो

(ख) ममता

(ग) सुषमा

(घ) संभव

प्रश्न 38. - 'कुटज' के रचनाकार है -

(क) हजारी प्रसाद द्विवेदी

(ख) रामविलास शर्मा

(ग) चंद्रधर शर्मा गुलेरी

(घ) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 39. 'मठुवा' सूरदास का कौन था ?

(क) भाई

(ख) पुत्र

(ग) पिता

(घ) चाचा

प्रश्न 40. - विश्वनाथ त्रिपाठी के द्वारा रचित है

(क) एक कहानी यह भी

(ख) आज का अजीत

(ग) बिस्कोहर की माटी

(घ) जूठन

मॉडल प्रश्न पत्र

विषय:- हिन्दी (ऐच्छिक)

(विषयनिष्ठ)

कक्षा -XII पूर्णाक - 40,

खण्ड "क" (अपठित बोध)

सामान्य निर्देश :-

> प्रश्न पत्र तीन खण्डों 'क' 'ख' एवं 'ग' में विभक्त है।

> प्रत्येक प्रश्न के लिए अंक निर्धारित है।

> सभी प्रश्नों के उत्तर अनिवार्य है।

> परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में उत्तर दें।

01. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखें- 2+2+2=06

देश-प्रेम क्या है ? प्रेम ही तो है। इस प्रेम का आलंबन क्या है ? सारा देश अर्थात् मनुष्य, पशु, पक्षी, नदी, नाले, वन, पर्वत सहित सारी भूमि । यह प्रेम किस प्रकार का है ? यह ........... प्रेम है। जिनके बीच हम रहते है, जिनकी बातें बराबर सुनते रहते हैं, जिनका हमारा हर घड़ी का साथ रहता है। सारंश यह है कि जिनके सान्निध्य का हमें अभ्यास पड़ जाता है, उनके प्रति लोभ या राग हो सकता है। देश-प्रेम आदि वास्तव में यह अंतःकरण का कोई भाव है तो यही हो सकता है। यदि यह नही तो वह कोरी बकवास या किसी और भाव के संकेत के लिए गढ़ा हुआ शब्द है।

यदि किसी को अपने देश से सचमुच प्रेम है तो उसे अपने देश के मनुष्य, पशु, पक्षी, लता, गुल्म, पेड़, पत्ते, वन, पर्वत, नदी निर्झर आदि सबसे प्रेम होगा। वह सबको चाह भरी दृष्टि से देखेगा। वह सबकी सुध करके विदेश में आँसू बहाएगा। जो यह भी नही जानते हैं कि कोयल किस चिडिया का नाम है, जो यह भी नही सुनते कि चातक कहाँ चिल्लाता है, जो यह भी आँखभर देखते कि आम प्रणय-सौरभपूर्ण मंजरियों से कैसे लदे हुए हैं ? जो यही भी नहीं झाँकते कि किसानों की झोपड़ियों के भीतर क्या है ? वे यदि बस बने-ठने मित्रों के बीच प्रत्येक भारतवासी की औसर आमदनी का परता बताकर देश-प्रेम का दावा करे तो उनसे पूछना चाहिए कि भाईयों बिना रूप परिचय का यह प्रेम कैसा ?

(क) देश-प्रेम का आलंबन क्या है ?

उत्तर : देश-प्रेम का आलंबन सारा देश है।

(ख) साहचर्यगत प्रेम किसको कहते हैं ?

उत्तर : साहचर्यगत का आशय है, साथ-साथ रहने से उत्पन्न प्रेम। एक ऐसा प्रेम जो साथ साथ रहने से उत्पन्न होता है। साहचर्यगत ऐसा प्रेम है, वो उनके साथ हो जाता है, जिनके साथ हम निरंतर रहते हैं, जिनके बीच हम रहते हैं, जिन्हें हम निरंतर अपनी आंखों से देखते रहते हैं, जिनकी बातें सुनते रहते हैं।

(ग) उपर्युक्त गद्यांश का कोई उपयुक्त शीर्षक लिखें।

उत्तर : देश-प्रेम

खण्ड "ख" ( रचनात्मक लेखन तथा अभिव्यक्ति और माध्यम)

02. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लिखें - 5+5=10

( क ) " योग भगाए रोग " शीर्षक विषय पर निबंध लिखें। (01 प्रस्तावना 02 योग आशय 03 योग का महत्व 04. वर्तमान में योग की स्थिति 05 उपसंहार)

उत्तर :

 " योग भगाए रोग "

1. प्रस्तावना– भारत प्राचीन काल से ही ऋषियों, मुनियों और मनीषियों की भूमि रही है। इसीलिए भारतीय संस्कृति विश्व के आंगन में अपनी श्रेष्ठताओं और महानताओं के लिए प्रसिद्ध रही है। इसके मूल में सभी सुखी रहे की भावना ही निहित है। इस कारण हमारे ऋषियों, मुनियों और मनीषियों ने मानव–जीवन को सुखी बनाने के लिए अनेक उपाय किए हैं। इन उपायों में से एक उपाय है- योग। योग मानव–जाति के लिए भारतीय संस्कृति का अनुपम उपहार है।

2. योग से आशय– 'योग' शब्द संस्कृत के 'युज्' धातु से बना है। जिसका शाब्दिक अर्थ है–जोड़ना। किसी वस्तु को अपने से जोड़ना अर्थात् किसी अच्छे कार्य में अपने आपको लगाना । कार्य शारीरिक, मानसिक, धार्मिक और आध्यात्मिक विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं। मन और शरीर से जो कार्य किया जायेगा, उसे ही योग कहते हैं। महर्षि पतंजलि द्वारा रचित 'योगसूत्र' योगदर्शन का मूलग्रन्थ है। उन्होंने योग के आठ अंग बताते हुए कहा है कि चित्त की वृत्तियों को रोकना ही योग है। अत: हमें शारीरिक, मानसिक, धार्मिक व आध्यात्मिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए योग की कोई न कोई क्रिया रोज पन्द्रह–बीस मिनट नियमित रूप से करनी चाहिए।

3. योग का महत्त्व– योग से मनुष्य को शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक दृष्टि से अनेक लाभ हैं। इससे सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसको रोजाना करने से व्यक्ति रोगों से मुक्त रहता है। वह दीर्घजीवी होता है। उसके शरीर और मस्तिष्क में वृद्धि के साथ–साथ सोच में भी शुचिता आती है।

4. वर्तमान में योग की स्थिति– वर्तमान में 'योग' शब्द अब अनजाना नहीं रहा है, क्योंकि जहाँ देखो वहीं योग का प्रचार–प्रसार विभिन्न माध्यमों से हो रहा है। साथ ही बहुत सारी संस्थाएँ हैं, जो योग सिखा रही हैं। चारों तरफ आज के जमाने में योग ही योग है। असाध्य रोगों की प्राकृतिक दवा योग है इसीलिए कहा गया है कि ‘योग भगाए रोग'। क्योंकि आज का मनुष्य अनियमित दिनचर्या के कारण अनेक शारीरिक और मानसिक बीमारियों से पीड़ित है। वह इन बीमारियों से मुक्त रहने के लिए योग का सहारा लेने लगा है। योग के क्षेत्र में स्वामी रामदेव का योगदान वर्तमान में अतुलनीय है। उन्होंने देश और विदेशों में सैकड़ों योग शिविर लगाकर लोगों को स्वस्थ और दीर्घजीवी रहने का सहज उपाय सिखाया है। उन्होंने हरिद्वार में 'पतंजलि पाठ का स्थापना करके योग द्वारा रोगों की चिकित्सा का भी प्रबन्ध किया है। वर्तमान में योग की उपादेयता को समझते हुए हमारे देश की कई प्रादेशिक सरकारों ने इसे शिक्षा पाठ्यक्रम में अनिवार्य रूप से जोड़ने का प्रयास किया है और कई सरकारों ने इसे प्रार्थना स्थलीय कार्यक्रमों में अनिवार्यता प्रदान की है।

5. उपसंहार– योग भारतीय संस्कृति का एक अनुपम उपहार है। जो आज के मनुष्य के व्यस्ततम और तनावग्रस्त जीवन की एक अमूल्य औषधि है। योग स्वास्थ्य का कुंजी है। इसके नियमित अभ्यास से मनुष्य सौ वर्ष तक जीवित रहने की इच्छा पूरी कर लेता है। इसीलिए आज सभी के लिए योग लाभदायक सिद्ध हो रहा है और इसका प्रचार–प्रसार दिनों–दिन बढ़ता चला जा रहा है।

(ख) अपने मुहल्ले में बार-बार पानी की आपूर्ति कम होने के बारे में किसी समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखिए ।

उत्तर :

पोखरा चौक,

दुमका

13 मार्च 2023

संपादक,

हिन्दुस्तान टाइम्स,

दुमका।

विषय:- हमारे मुहल्ले में बार-बार पानी की आपूर्ति ठप होने की शिकायत।

आदरणीय महोदय,

हमारे मोहल्ले में बार-बार पानी की आपूर्ति ठप होने की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्र को उचित मात्रा में पानी नहीं मिल रहा है। पानी की आपूर्ति बहुत अनियमित है, 3 से 4 दिनों के भीतर केवल 1 से 2 घंटे; पानी की आपूर्ति का समय निश्चित नहीं है। ऐसे में मोहल्ले के लोगों को हर दिन पानी का टैंकर खरीदना पड़ रहा है। गर्मी के मौसम में पानी की किल्लत सबसे ज्यादा हो जाती है। कई बार पानी की पाइप लाइन खराब हो जाती है और पानी की काफी बर्बादी होती है, लेकिन कर्मचारी समय पर उसकी मरम्मत नहीं करते हैं। हमारे मोहल्ले में अलग से पानी की टंकी नहीं है इसलिए हम बड़ी मात्रा में पानी जमा नहीं कर सकते हैं।

हमने समस्या को लेकर कई बार शिकायत की लेकिन नगर पालिका कार्यालय के जल आपूर्ति विभाग की ओर से कोई जवाब नहीं आया. यदि आप इस समाचार को अपने प्रतिष्ठित समाचार पत्र के कॉलम में प्रकाशित करेंगे तो आपकी बहुत कृपा होगी, उसके माध्यम से हम नगर पालिका के अधिकारियों से अनुरोध करना चाहते हैं कि हमारे मुहल्ले में पानी की आपूर्ति नियमित करें।

धन्यवाद।

भवदीय,

रमेश।

(ग) समाचार लेखन के छः ककार से क्या तात्पर्य है ? स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर : छ: ककारों से तात्पर्य : समाचार लेखन में कब, कहाँ, कैसे, क्या, कौन, क्यों इन्हीं छः प्रश्नों को छ: ककार कहते हैं।

इन्हीं ककारों के आधार पर किसी घटना, समस्या तथा विचार आदि से संबंधित खबर लिखी जाती है।

ये ककार ही समाचार लेखन का मूल आधार होते हैं । इसलिए समाचार लेखन में इनका बहुत महत्त्व है।

छः ककारों को हम इस प्रकार स्पष्ट कर सकते हैं कब-यह समाचार लेखन का आधार होता है। इस ककार के माध्यम से किसी घटना तथा समस्या के समय का बोध होता है।

जैसे बस दुर्घटना कब हुई ?

बस दुर्घटना सुबह 8 बजे हुई।

कहाँ- इस ककार को आधार बनाकर समाचार लिखा जाता है।

इसके माध्यम से किसी घटना और समस्या के स्थान का चित्रण किया जाता है। जैसे बस दुर्घटना कहाँ हुई ?

बस दुर्घटना करनाल में हुई।

कैसे - इस ककार के द्वारा समाचार का विश्लेषण, वितरण तथा व्याख्या की जाती है।

क्या- यह ककार भी समाचार लेखन का आधार माना जाता है। इसके द्वारा समाचार की रूप रेखा तैयार की जाती है। क्यों - इस ककार के द्वारा समाचार के विवरणात्मक, व्याख्यात्मक तथा विश्लेषणात्मक पहलुओं पर प्रकाश डाला जाता है। कौन इस ककार को आधार बनाकर समाचार लिखा जाता है।

खण्ड "ग" (पाठ्यपुस्तक)

03. निम्नलिखित में से किसी एक काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए

(क) छिटका जीवन हरियाली पर मंगल कुमकुम सारा । लघु सूर धनु पंख पसारे शीतल मलय समीर सहारे उड़ते खग जिस ओर मुँह किए समझ नीड़ निज प्यारा ।।

उत्तर :

प्रसंग - प्रस्तुत पद्यांश जयशंकर प्रसाद विरचित गीत 'कार्नेलिया का गीत' से लिया गया है। सेल्यूकस की बेटी कार्नेलिया चंद्रगुप्त नाटक में भारत के सौंदर्य पर मुग्ध होकर यह गीत गाती है। वह गाती हुई कहती है कि -

व्याख्या - प्रातः कालीन सूर्य की लालिमा से रंगा हमारा यह भारत देश अत्यधिक रसमय और सुंदर है। कार्नेलिया द्वारा भारत को हमारा कहना अटपटा लगता है परंतु वह भारत पर मोहित थी। इसलिए उसने अपनापन जताया है। यह देश तो अनजानो को भी अपनाता है। तभी तो असीम आकाश यहां पर क्षितिज पर जाकर पृथ्वी का सहारा ले लेता है इससे भारत के असीम विस्तार का भी पता चलता है। रसपूर्ण कमलों के भीतर की क्रांति या शोभा पर तालाब के किनारे के वृक्षों की सुंदर डालियां नाच रही है मानो उससे पंखा कर रही हो। दूर-दूर तक सजीव हरियाली छाई है प्रातः के समय वनस्पति पर ताजगी रहती है वह सजीव रहती है मानो उसे नया जीवन मिल गया हो। बाल सूर्य की लाल-लाल किरणें हरी- हरी घास पर ऐसे चमकती  है मानो किसी ने मंगल सूचक कुमकुम चारों ओर बिखेर दिया हो। यह बहुत शांत व करुणा भरा देश है। छोटे-छोटे सतरंगों के पंखों वाले पक्षी दूर देशों से शीतल सुगंधित वायु के सहारे भारत की ओर उड़े चले आते हैं क्योंकि यह पक्षी भी भारत को अपना प्रिय घोंसला मानते हैं।

विशेष -

1. भारत की भोर का मनोहर चित्र अंकित किया है।

2. पूरा पद्यांश एक सुंदर दृश्य बिंब प्रस्तुत करता है।

3. पद्यांश में संगीतात्मकता है।

4. भाषा संस्कृत निश्ड एवं तत्सम प्रधान है।

(ख) देखा विवाह आमूल नवल

तुझ पर शुभ पड़ा कलश का जल

देखती मुझे तू हॅसी मंद

होठों में बिजली फँसी स्पंद

उर में भर झूली छबि सुंदर

प्रिय की अशब्द श्रृंगार मुखर

उत्तर :

प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक 'अंतरा भाग 2' में संकलित कविता 'सरोज स्मृति' से उद्धृत हैं। इसके रचयित सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' हैं। 'सरोज स्मृति एक शोकगीत है, जिसे कवि ने दिवंगता पुत्री सरोज की स्मृति में लिखा है। इस अंश में कवि पुत्री का विवाह होते देख अपने कर्तव्य और अपने यौवन के दिनों का स्मरण कर रहा है।

व्याख्या - अपनी दिवंगता पुत्री के विवाह की स्मृतियाँ ताजा करते हुए कवि कहता है कि मेहमानों ने नई पद्धति से संपन्न होते विवाह को देखा था। तेरे ऊपर पवित्र कलश से जल लेकर उसके मांगलिक छीटि छिड़के गए थे। इस अवसर पर तू मेरी ओर देखकर मुस्कराई थी और तेरे अधरों पर स्पंदन और मुसकान की एक लहर बिजली की तरह दौड़ गई थी। तू ह्रदय में अपने पति की सुंदर छवि भरकर फूल रही थी।

तेरा दांपत्य-भाव मुखर हो रहा था। एक गहरी साँस लेकर तू मानो प्रसन्न हो उठी थी। तेरा एक-एक अंग भविष्य के विश्वास की आशा में बँधकर निश्चल हो उठा था। नीचे की ओर झुके हुए नेत्रों से प्रकाश की रेखा उतरकर तेरे होठों पर थर-थर काँपने लगी थी अर्थात् तू तन और मन दोनों ही तरह से प्रसन्न थी । मैने तेरी वह धैर्यवान मूर्ति देखी थी। वह मेरी युवावस्था में शृंगार के प्रथम स्फुरण अर्थात् गीत जैसी लग रही थी। कवि को दुलहन रूप में अपनी पुत्री को देख अपने यौवन के दिन याद आ रहे थे।

विशेष :

1. काव्यांश शोकगीत का अंश है, जिसमें कवि अपनी दिवंगता पुत्री के विवाह संस्कार को याद कर रहा है।

2. भाषा तत्सम शब्दावलीयुक्त साहित्यिक खड़ी बोली है।

3. अनुप्रास एवं पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

4. भाषा में लाक्षणिकता है।

04. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए - 3+3=06

(क) तेलनि - तूलनि पूँछि जरी न जरी,

जरी लंक जराइ जरी

आशय स्पष्ट करें।

उत्तर : इस काव्य-पंक्ति में रावण को उसकी विफलता का अहसास कराया गया है। रावण हनुमान का कुछ भी न बिगाड़ पाया जबकि हनुमान ने पूँछ में लगाई उसी की आग से उसकी स्वर्ण-रत्न जटित लंका को जलाकर राख कर दिया। हनुमान की वीरता और कुशलता का परिचय दिया गया है।

• ब्याजस्तुति अलंकार का प्रयोग है।

• ‘तेलनि तूलनि’, ‘जराइ जरी’ में अनुप्रास अलंकार की छटा है।

• ‘जरी जरी’ में यमक अलंकार है।

• (जरी = जली, जरी = जड़ी हुई)

• ब्रज भाषा का प्रयोग है।

(ख) तब द्वार पद्वार से लागत है,

अब बीच में आन पधार परे ।

उत्तर : प्रस्तुत पंक्ति का आशय है कि जब कवि प्रेयसी के साथ रहता था, तो उसे प्रेमिका के बाहों का हार अपने शरीर पर पहाड़ के समान लगता था। परन्तु वह कहता है कि आज की स्थिति भिन्न है और हम दोनों अलग-अलग हैं तथा हम दोनों के मध्य में पहाड़ के रूप में वियोग विद्यमान है। भाव यह है कि वियोग के कारण दोनों एक-दूसरे से बहुत दूर हो गए हैं।

05. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए 3+3-06

(क) कुटज को गाढ़े का साथी क्यों कहा गया है ?

उत्तर : कुटज ऐसा साथी है, जो कठिन दिनों में साथ रहा है। कालिदास ने अपनी रचना में जब रामगिरी पर्वत पर यक्ष को बादल से अनुरोध करने भेजा था, तो वहाँ कुटज का पेड़ ही विद्यमान था। उस समय में कुटज के फूल ही उसके काम आए थे। ऐसे स्थान पर जहाँ दूब तक पनप नहीं पाती है। यक्ष ने कुटज के फूल चढ़ाकर ही मेघ को प्रसन्न किया था। अतः उसे गाढ़े का साथी कहा गया है।

(ख) लोमड़ी स्वेच्छा से शेर के मुँह में क्यों चली जा रही थी ?

उत्तर : लोमड़ी बेरोज़गार थी। उसे पता चला था कि शेर के मुँह में रोज़गार कार्यालय है, जहाँ उसे नौकरी मिल सकती है। अतः वह नौकरी की अर्जी जमा कराने के लिए स्वेच्छा से शेर के मुँह में चली जा रही थी।

(ग) रोगी बालक के प्रति गाँधी जी का व्यवहार कैसा था ?

उत्तर : सेवाग्राम आश्रम में एक बालक चिल्ला रहा था-‘मैं मर रहा हूँ, बापू को बुलाओ। मैं मर जाऊँगा, बापू को बुलाओ। लड़के का पेट फूला हुआ था। वह बहुत बेचैनी का अनुभव कर रहा था। बापू जी की उस समय जरूरी मीटिंग चल रही थी। आखिरकार गाँधीजी मीटिंग को बीच में छोड़कर उस रोगी बालक के पास जा पहुँचे। वे उसके पास जाकर खड़े हो गए। उनकी नजर बालक के फूले हुए पेट की ओर गई। उन्होंने उसके पेट पर हाथ फेरा और बोले-‘ईख पीता रहा है। इतनी ज्यादा पी गया। तू तो पागल है।’ फिर गाँधीजी ने उसे सहारा देकर उठाया और कहा कि मुँह में उँगली डालकर कै कर दो। लड़का नाली के किनारे बैठ गया। गाँधीजी उसकी पीठ पर हाथ रखकर झुके रहे। थोड़ी ही देर में उसका पेट हल्का हो गया और हाँफता हुआ बैठ गया। गाँधीजी ने उससे खोखे में जाकर चुपचाप लेटने को कहा। उन्होंने आश्रमवासी को कोई हिदायत भी दी। गाँधीजी का उस रोगी बालक के प्रति व्यवहार अत्यंत सहानुभूतिपूर्ण था।

06. निम्नलिखित में से किसी एक प्रश्न का उत्तर दीजिए :- 02

(क) निर्मल वर्मा की किन्हीं दो रचनाओं के नाम लिखें।

उत्तर : 'रात का रिपोर्टर’, ‘एक चिथड़ा सुख’

(ख) रामचंद्र शुक्ल की किन्हीं दो रचनाओं के नाम लिखें।

उत्तर : हिन्दी साहित्य का इतिहास, और आनन्द कादम्बिनी

07. निम्नलिखित में से किसी एक प्रश्न का उत्तर दीजिए :-03

(क) आरोहण पाठ में पत्थर की जाति से लेखक का क्या आशय है ?

उत्तर : पत्थर की जाति से लेखक का आशय पत्थर के प्रकार से है। बहुत किस्म के पत्थर पाए जाते हैं। वे इस प्रकार हैं-

(क) ग्रेनाइट- यह बहुत सख्त पत्थर होता है। इसकी चट्टान भूरी होती है लेकिन उसमें गुलाबी आभा होती है।

(ख) बसाल्ट- इस पत्थर का निर्माण ज्वालामुखी के लावा से होता है।

(ग) बलुआ पत्थर- यह बालू से बना होता है। लालकिला आदि इमारतें इसी से बनी हैं।

(घ) संगमरमर- यह चूना पत्थर के बदलने से बनता है। यह मुलायम होता है।

(ङ) परतदार पत्थर- यह बारीक कणों के रूपान्तरित शैलों से बनता है।

(ख) 'फूल केवल गंध ही नहीं देती दवा भी करती हैं '। कैसे ?

उत्तर : लोगों का मानना है कि फूल अपने रंग तथा गंध के कारण पहचाने जाते हैं। लेखक इस बात को नकारता है। वह गंध की महत्व को स्वीकार करता है लेकिन वह यह भी कहता है कि फूल केवल गंध नहीं देते, वह दवा भी करते हैं। वह भरभंडा नामक फूल का वर्णन करता है। इस फूल से निकलने वाला दूध आँखे आने पर दवा का काम करता है। इसे आँख में निचोड़ देने से आँख की बीमारी सही हो जाती है। नीम के फूल चेचक के मरीज को ठीक कर सकते हैं। बेर के फूलों को सूँघने मात्र से ही बर्रे-ततैये का डंक अपने आप झड़ जाता है।

08. निम्नलिखित में से किसी एक प्रश्न का उत्तर दीजिए :- 02

(क) 'यह फूस की राख न थी, उसकी अभिलाषाओं की राख थी' संदर्भ सहित विवेचना कीजिए ।

उत्तर : सूरदास एक अँधा भिखारी था। उसकी संपत्ति में एक झोपड़ी, जमीन का छोटा-सा टुकड़ा और जीवनभर जमा की गई पूंजी थी। यही सब उसके जीवन के आधार थे। ज़मीन उसके किसी काम की नहीं थी। उस पर सारे गाँव के जानवर चरा करते थे। सूरदास उसी में प्रसन्न था। झोपड़ी जल गई पर वह दोबारा भी बनाई जा सकती थी लेकिन उस आग में उसकी जीवनभर की जमापूँजी जलकर राख हो गई थी। उसे दोबारा इतनी जल्दी जमा कर पाना संभव नहीं था। उसमें 500 सौ रुपए थे। उस पूँजी से उसे बहुत-सी अभिलाषाएँ थी। वह गाँववालों के लिए कुँआ बनवाना चाहता था, अपने बेटे की शादी करवाना चाहता था तथा अपने पितरों का पिंडदान करवाना चाहता था। झोपड़ी के साथ ही पूँजी के जल जाने से अब उसकी कोई भी अभिलाषा पूरी नहीं हो सकती थी। उसे लगा कि यह फूस की राख नहीं है बल्कि उसकी अभिलाषाओं की राख है। उसकी सारी अभिलाषाएँ झोपड़ी के साथ ही जलकर राख हो गई। अब उसके पास कुछ नहीं था। बस दुख तथा पछतावा था। वह गर्म राख में अपनी अभिलाषाओं की राख को ढूँढ रहा था।

(ख) अपने नदी, नाले संभाल के रखो तो दुष्काल ( बुरा काल) मजे में निकल जाता है। आशय स्पष्ट करें।

उत्तर : 'नयी दुनिया' की लाइब्रेरी में कमलसेन और अशोक जोशी द्वारा इस खाऊ- उजाड़ सभ्यता के बारे में जो कतरनें निकालकर रखी गयी हैं. उनसे पता चलता है कि धरती के वातावरण को गर्म करने के लिए मुख्यतः खाऊ- उजाडू सभ्यता जिम्मेवार है। यह कतरने इस बात पर पर्याप्त प्रकाश डालती हैं कि अब मालवा गहन गंभीर क्यों नहीं रहा? वहाँ डग डग रोटी और पानी का अभाव क्यों हो गया? हमारे समुद्रों का पानी गरम क्यों हो रहा है? क्यों हमारी धरती के ध्रुवों पर बरफ पिघल रही है? क्यों हमारे मौसमों का चक्र बिगड़ रहा है? लद्दाख में बरफ के बजाय पानी गिरा और बाड़मेर डूब गया? क्यों यूरोप और अमेरिका में गर्मी पड़ रही है? क्यों वातावरण को गर्म करनेवाली कार्बन डाइऑक्साइड गैसों ने मिलकर धरती के तापमान को तीन डिग्री सेल्सियस बढ़ा दिया है?

इस प्रकार प्रभाष जोशी ने पर्यावरण के संकटों के प्रति अपनी गहरी चिन्ता प्रकट करते हुए हमें उसकी सुरक्षा के उपाय में लग जाने के लिए सचेत किया है।

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