Jac Board Class 12 Sociology 2023 Answer key

Jac Board Class 12 Sociology 2023 Answer key

झारखण्ड अधिविद्य परिषद्

ANNUAL INTERMEDIATE EXAMINATION - 2023

Sociology (Optional)

कुल समय : 3 घंटे 20 मिनट                  पूर्णांक : 80

सामान्य निर्देश :

इस प्रश्न पुस्तिका में दो भाग हैं - भाग - A तथा भाग -B

भाग - A में 40 अंक के बहुविकल्पीय प्रश्न हैं जिनके उत्तर अलग से दिये गये OMR उत्तर पत्रक पर चिह्नित करें | भाग - A के उत्तर पहले 2.00 अपराह्न से 3.35 अपराह्न तक हल करेंगे एवं इसके उपरान्त OMR उत्तर पत्रक वीक्षक को 3.35 अपराह्न पर लौटा देंगे ।

भाग -B में 40 अंक के विषयनिष्ठ प्रश्न हैं जिनके उत्तर अलग से दिये गये उत्तर पुस्तिका पर हल करें। भाग-B के उत्तर के लिए समय 3.40 अपराह्न से 5.20 अपराह्न तक निर्धारित है । परीक्षार्थी परीक्षा के उपरान्त प्रश्न पुस्तिका को ले जा सकते हैं।

भाग- A

(बहुविकल्पीय आधारित प्रश्न )

वर्ग-12

विषय -समाजशास्त्र

पूर्णांक-40

समय-1 घंटा 30 मिनट

1. सावधानी पूर्वक सभी विवरण OMR उत्तर पत्रक पर भरें ।

2. आप अपना पूरा हस्ताक्षर OMR उत्तर पत्रक पर दी गई जगह पर करें ।

3. इस भाग में कुल 40 बहु-विकल्पीय प्रश्न हैं ।

4. सभी प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है। प्रत्येक प्रश्न की अधिमानता 1 अंक निर्धारित है।

5. गलत उत्तर के लिए कोई अंक नहीं काटा जायेगा।

6. OMR उत्तर पत्रक के पृष्ठ 2 पर प्रदत्त सभी निर्देशों को ध्यानपूर्वक पढ़ें तथा उसके अनुसार कार्य करें।

7. प्रत्येक प्रश्न में चार विकल्प दिये गये हैं। इनमें से सबसे उपयुक्त उत्तर को आप अपने OMR उत्तर पत्रक पर ठीक-ठीक गहरा काला करें। केवल नीला या काला बॉल-प्वाइंट कलम का ही प्रयोग करें। पेंसिल का प्रयोग वर्जित है।

8. OMR उत्तर पत्रक पर दिये गये निर्देशों का ध्यानपूर्वक पालन कीजिए अन्यथा आपका OMR उत्तर पत्रक अमान्य होगा और उसका मूल्यांकन नहीं किया जायेगा ।

1. उराँव निवासी है ........... राज्य के ।

(1) बिहार

(2) झारखण्ड

(3) ओडिशा

(4) मध्य प्रदेश

2. किसने परिभाषित किया 'जाति एक बन्द वर्ग है' ?

(1) मजुमदार एवं मदन

(2) केतकर

(3) रीजले

(4) इनमें से कोई नहीं

3. कौन सी भारतीय समुदाय की सर्वप्रथम विशेषता है ?

(1) वर्ण व्यवस्था

(2) अनेकता में एकता

(3) जजमानी व्यवस्था

(4) इनमें से सभी

4. नगरीय समुदाय की कौन सी विशेषता है ?

(1) स्त्रियों की उच्च प्रस्थिति

(2) जनसंख्या का घनत्व

(3) व्यक्तिवादिता

(4) इनमें से सभी

5. कौन-सी समस्या जनजातीय जीवन से संबंधित नहीं है ?

(1) छुआछूत

(2) युवा आवासशाला

(3) जाति संस्तरण का विकास

(4) भूमि निष्कासन

6. ग्रामीण समाज की कौन-सी विशेषता है ?

(1) श्रम विभाजन

(2) सामाजिक गतिशीलता

(3) गंदी बस्ती

(4) कृषि व्यवसाय

7. संस्कृतिकरण की अवधारणा ........... की देन है।

(1) ए०आर० देसाई

(2) एम० एन० श्रीनिवास

(3) आर०के० मुखर्जी

(4) कार्ल मार्क्स

8. लैंगिक विषमता का किन्हें सामाजिक संसूचक कहा जाएगा ?

(1) घरेलू हिंसा

(2) सम्पत्ति अधिकार की पृथकता

(3) लोकतंत्र में सीमित भागीदारी

(4) नैतिक शोषण

9. भारत में साम्प्रदायिकतावाद का मुख्य कारण क्या है ?

(1) अपराधी मनोवृत्ति

(2) निर्धनता एवं बेरोज़गारी

(3) राजनीतिक स्वार्थ

(4) सांस्कृतिक भिन्नताएँ

10. परियोजना कार्य के कौन से चरण हैं ?

(1) अध्ययन विषय का चुनाव

(2) अध्ययन प्रविधि का चुनाव

(3) तथ्यों का संकलन

(4) इनमें से सभी

11. सरहुल किस राज्य का प्रसिद्ध पर्व है ?

(1) तमिलनाडु

(2) असम

(3) पंजाब

(4) झारखण्ड

12. दिल्ली में 'सिखों के विरुद्ध दंगा' किस वर्ष हुआ था ?

(1) 1990

(2) 1992

(3) 1994

(4) 1984

13. निम्न में से किसे 'प्रजातंत्र का चौथा स्तंम्भ' कहा जाता है ?

(1) जनसंचार

(2) संसद

(3) न्यायपालिका

(4) मंत्री परिषद

14. निम्न में से आदिवासी आबादी सर्वाधिक किस राज्य में है ?

(1) बिहार

(2) उत्तर प्रदेश

(3) छत्तीसगढ़

(4) गुजरात

15. जाति व्यवस्था एक

(1) बन्द व्यवस्था है

(2) खुली व्यवस्था है

(3) भीड़ व्यवस्था है

(4) वर्ण व्यवस्था है

16. सामाजिक परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

(1) टीवी

(2) समाचारपत्र

(3) रेडियो

(4) इनमें से सभी

17. किसने का समुदाय सामान्य जीवन का एक क्षेत्र है।

(1) मेकाइवर एवं पेज

(2) बोडिन

(3) के० डेविस

(4) रेडफील्ड

18. 'श्रम विभाजन' का सिद्धान्त किसने दिया ?

(1) कार्ल मार्क्स

(2) दुर्खीम

(3) मैक्स वेबर

(4) डी०एन० मजुमदार

19. 'असहयोग आन्दोलन' किसने प्रारंभ किया ?

(1) महात्मा गाँधी

(2) नेहरू

(3) सरदार पटेल

(4) तिलक

20. 'आत्म का दर्पणवाद' की अवधारणा किसने दी ?

(1) गिडिंग्स

(2) सी०एच० कूले

(3) मैक्स वेबर

(4) कार्ल मार्क्स

21. समाजशास्त्र के जनक कौन हैं ?

(1) ई० दुर्खीम

(2) ए० काम्ट

(3) स्पेन्सर

(4) मैकाइवर एवं पेज

22. युवा संगठन पाया जाता है

(1) ग्रामीण समाज में

(2) नगरीय समाज में

(3) जनजातीय समाज में

(4) औद्योगिक समाज में

23. कौन सी परिस्थिति जनसंख्या वृद्धि के लिए उत्तरदायी है ?

(1) सामाजिक मूल्य

(2) जीवन पद्धति

(3) शैक्षणिक स्तर

(4) आर्थिक विकास

24. संयुक्त परिवार व्यवस्था पाई जाती है

(1) औद्योगिक समाज में

(2) नगरीय समाज में

(3) ग्रामीण समाज में

(4) इनमें से कोई नहीं

25. संयुक्त परिवार की कौन-सी विशेषता है/हैं ?

(1) बड़ा आकार

(2) सामान्य सम्पत्ति

(3) सामान्य निवास

(4) इनमें से सभी

26. सीमान्तीकरण किस प्रक्रिया को कहा जाएगा ?

(1) सकारात्मक प्रक्रिया

(2) नकारात्मक प्रक्रिया

(3) सांस्कृतिक प्रक्रिया

(4) आर्थिक प्रक्रिया

27. क्षेत्रवाद समस्या का मुख्य कारण क्या है ?

(1) भाषायी भिन्नताएँ

(2) सांस्कृतिक भिन्नताएँ

(3) जैविक भिन्नताएँ

(4) आर्थिक भिन्नताएँ

28. प्रजातंत्र की कौन सी विशेषताएं हैं ?

(1) कानून की दृष्टि में समानता

(2) सार्वजनिक मताधिकार

(3) प्रेस की स्वतंत्रता

(4) इनमें से सभी

29. औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप नगरों में किस तरह का प्रदूषण उत्पन्न होता है ?

(1) जल प्रदूषण

(2) वायु प्रदूषण

(3) ध्वनि प्रदूषण

(4) इनमें से सभी

30. भारतीय संसद दो सदनों में विभाजित है, प्रथम सदन को लोकसभा कहा जाता है और द्वितीय सदन का नाम है

(1) विधान सभा

(2) विधान परिषद

(3) राज्य सभा

(4) इनमें से कोई नहीं

31. पर- संस्कृति ग्रहण का सम्बन्ध है

(1) स्वास्थ्य से

(2) अर्थव्यवस्था से

(3) संस्कृति से

(4) कृषि से

32. बलवन्त राय मेहता समिति की अनुशंसा किससे संबंधित है ?

(1) अल्पसंख्यक से

(2) महिलाओं से

(3) पंचायती राज से

(4) पिछड़े वर्ग से

33. निम्न में साप्ताहिक बाजार कौन है ?

(1) जो सप्ताह में दो बार लगता है.

(2) जो सप्ताह में एक बार लगता है

(3) जो प्रतिदिन लगता है

(4) जो सप्ताह में तीन बार लगता है

34. नातेदारी के कितने प्रकार हैं ?

(1) एक

(2) दो

(3) तीन

(4) चार

35. हरित क्रांति का उत्प्रेरक कौन है ?

(1) नये किस्म के बीज

(2) उपजाऊ जमीन

(3) वर्षा

(4) नदी-नाले

36. 'संथाल विद्रोह' का नेतृत्व किसने किया था ?

(1) जतरा भगत

(2) बिरसा मुण्डा

(3) सिधु-कान्हू

(4) शिबू सोरेन

37. मण्डल आयोग की स्थापना किस वर्ष में हुई ?

(1) 1989

(2) 1976

(3) 1961

(4) 1979

38. भारतीय शहरों में मुहल्लों के बसने का आधार निम्नलिखित में से क्या है ?

(1) वर्ग

(2) पेशा

(3) जाति

(4) इनमें से कोई नहीं

39. जाति का आधार है

(1) धर्म

(2) अर्थ

(3) जन्म

(4) प्रथा

40. समाजशास्त्र में परियोजना कार्य का उद्देश्य है

(1) वैज्ञानिक अध्ययन

(2) तथ्य संकलन

(3) तथ्य विश्लेषण

(4) इनमें से सभी

भाग-B

(विषयनिष्ठ आधारित प्रश्न )

वर्ग-12

विषय -समाजशास्त्र

F.M.-40

समय-1 घंटा 30 मिनट

निर्देश :

1. परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में ही उत्तर दें।

2. इस प्रश्नपत्र में तीन खण्ड - A, B एवं C हैं। कुल प्रश्नों की संख्या 19 है ।

3. खण्ड - A में प्रश्न संख्या 17 अति लघु उत्तरीय प्रकार के हैं। इनमें से किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिए । प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 30 शब्दों में दीजिए । प्रत्येक प्रश्न की अधिमानता 2 अंक निर्धारित है ।

4. खण्ड-B प्रश्न संख्या 8- 14 लघु उत्तरीय हैं। इनमें से किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 50 शब्दों में दीजिए । प्रत्येक प्रश्न की अभिमानता 3 अंक निर्धारित है।

5. खण्ड - C - प्रश्न संख्या 15 - 19 दीर्घ उत्तरीय हैं। इनमें से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए । प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 100 शब्दों में दीजिए । प्रत्येक प्रश्न की अधिमानता 5 अंक निर्धारित है ।

खण्ड - A

अति लघु उत्तरीय प्रश्न )

किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर दें।2 x 5 = 10

1. हरित क्रांति क्या है?

उत्तर : हरित क्रांति का तात्पर्य उच्च उपज देने वाले किस्म के बीजों (HYV seeds), कीटनाशकों और बेहतर प्रबंधन तकनीकों के उपयोग से फसल उत्पादन में वृद्धि से है।

2. जजमानी व्यवस्था की परिभाषा दीजिए ।

उत्तर : इस व्यवस्था में प्रत्येक जाति का एक निश्चित व्यवसाय तय हो जाता है जो परम्परागत होता है तथा यह पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तान्तरित होता रहता है।

3. सती प्रथा क्या है ?

उत्तर : सती प्रथा में पति की मृत्यु के बाद पत्नी को भी चिता पर बिठा दिया जाता था. उसे भी अपने प्राण त्यागने के लिए विवश किया जाता था।

4. लिंग अनुपात क्या है ?

उत्तर : प्रति एक हजार (1000) पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या लिंग अनुपात कहलाती हैं।

5. एकाकी परिवार से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर : एकाकी परिवार का मतलब ऐसी पारिवारिक संरचना से है जिसमें केवल पति-पत्नी और उनके बच्चे ही शामिल होते हैं । इसके साथ ही परिवार का मुखिया भी केवल इन्हीं लोगों के प्रति उत्तरदायी होता है ।

6. जनसंख्या नीति क्या हैं ?

उत्तर : जनसंख्या नीति के माध्यम से जनसंख्या का नियोजन किया जाता है। भारत में जनसंख्या नीति की शुरुआत स्वतन्त्रता के बाद से ही हो गया था लेकिन जनसंख्या को कोई समस्या नहीं मानने के कारण इस नीति पर अधिक ध्यान नहीं दिया गया। तीसरी पंचवर्षीय योजना के समय जनसंख्या में तेजी से बढ़ने के कारण इस ओर अधिक ध्यान दिया गया। चौथी योजना में तो इस नीति को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी गई पाँचवीं योजना में आपातकाल के समय 16 अप्रैल, 1976 को राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की घोषणा की गई।

7. समुदाय की एक परिभाषा दें।

उत्तर : एच0 मजूमदार के अनुसार, ''समुदाय किसी निश्चित भू-क्षेत्र, क्षेत्र की सीमा कुछ भी हो पर रहने वाले व्यक्तियों के समूह है जो सामान्य जीवन व्यतीत करते हैं''।

खण्ड - B

लघु उत्तरीय प्रश्न )

किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर दें। 3 x 5 = 15

8. जाति एवं वर्ग में अन्तर स्पष्ट करें।

उत्तर : जाति और वर्ग में अन्तर निम्नलिखित हैं-

(i) जाति व्यवस्था जन्म पर आधारित है, वर्ग में नहीं जाति-प्रणली एक बंद वर्ग है जहाँ वर्ग-प्रणाली एक मुक्त वर्ग । जाति में जन्म से सामाजिक स्तर निर्धारित होता है। परन्तु वर्ग-प्रणाली में एक व्यक्ति अपनी योग्यता, कार्यक्षमता, संपत्ति आदि के आधार पर किसी भी समय ऊपर-नीचे हो सकता है।

(ii) जाति व्यवस्था में विवाह, खान-पान, मेल-मिलाप पर अधिक प्रतिबंध हैं, वर्ग में नहीं जाति के सदस्यों का वैवाहिक संबंध अपनी जाति में ही होता है। यदि कोई व्यक्ति इसका उल्लंघन करता है तो वह जाति से बहिष्कृत समझा जाता है। इसी प्रकार खान-पान तथा मेल-मिलाप में भी कई प्रतिबंध होते हैं। परन्तु वर्ग में ये प्रतिबंध उतने कठोर नहीं हैं जितने जाति प्रथा के अंतर्गत ।

(iii) जाति व्यवस्था में पेशा परम्परागत है, वर्ग में नहीं जातिप्रथा में लोगों के पेशे निर्धारित होते हैं। आज भी गाँवों में विशेषतः नीची जाति के लोग अपने परम्परागत पेशे ही करते हैं। लेकिन, किसी वर्ग में एक ही पेशे के लोग हों, यह आवश्यक नहीं है।

(iv) जाति बहुत स्थिर है, वर्ग नहीं - जन्म पर आधारित रहने के फलस्वरूप जातिप्रथा बहुत अंशों में अधिक स्थिर होती है। एक बार जो जिस जाति में जन्म लेता है, जीवनभर, उसका सदस्य बना रहता है। इसके विपरीत, वर्ग व्यवस्था के सभी आधार अस्थिर होते हैं; जैसे-धन, पूँजी, धर्म, शिक्षा, पेशा आदि।

(v) जाति बंद-व्यवस्था है, वर्ग नहीं- हम अपनी इच्छानुसार जाति बदल नहीं सकते। जाति के नियमों को तोड़ने पर उसे जाति से निकाल दिया जाता है। एक जाति से दूसरी जाति में जाना संभव नहीं होता। परन्तु, वर्ग व्यवस्था के अंतर्गत एक व्यक्ति अपनी शिक्षा, संपत्ति, अपने पेशे आदि में परिवर्तन होने के फलस्वरूप उच्चवर्ग से निम्नवर्ग में आ-जा सकता है। इस तरह, जाति एक बंद व्यवस्था है और वर्ग एक खुली व्यवस्था ।

(vi) जाति एक सांस्कृतिक संस्था है, वर्ग नहीं जाति संगठन का आधार धार्मिक तथा सांस्कृतिक विश्वास है। इसी कारण जाति के सदस्यों पर परम्पराओं, रूढ़ियों और प्रथाओं का प्रभाव अधिक होता है। परन्तु वर्ग के सदस्यों पर वैज्ञानिक एवं औद्योगिक आविष्कारों का प्रभाव अधिक पड़ता है। वर्ग में पूर्णत: व्यक्ति के वर्तमान जीवन को महत्व दिया जाता है।

9. समाजशास्त्र के छात्र के रूप में हमारा सहभाग क्या है ?

उत्तर : समाजशास्त्र के छात्र के रूप में हमारा सहभाग निम्न क्षेत्रों में होना चाहिए-

(1) समाज के लोगों को उन समस्याओं के प्रति जागरूक करें जो समाज में संघर्ष व विघटन लाती हैं।

(2) समाज की परिस्थितियों पर सोच विचार कर वैज्ञानिक व तर्कपूर्ण ढंग से निर्णय लें।

(3) अधिक से अधिक लोगों को सांस्कृतिक व नैतिक मूल्यों से परिचित करायें।

(4) भौतिकतावादी संस्कृति के अन्धानुकरण से बचें तथा लोगों को भी इस ओर जागरूक करें।

10. भारत में समाज-सुधार आन्दोलनों के किन्हीं दो प्रभावों को स्पष्ट करें ।

उत्तर : भारत में समाज-सुधार आन्दोलनों के दो प्रभाव निम्नलिखित हैं -

1. राजा राममोहन राय द्वारा ब्रह्म समाज की स्थापना 20 अगस्त, 1828 को मानव विवेक, वेद एवं उपनिषदों के ज्ञानात्मक पक्ष को आधार बनाकर तथा एकेश्वरवाद की उपासना, मूर्तिपूजा का विरोध, पुरोहितवाद का विरोध, अवतारवाद का खंडन आदि उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए की गई. इसे ही आगे चलकर “ब्रह्म समाज” के नाम से जाना गया.

राजा रामोहन राय के प्रयासों द्वारा ही गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बैंटिक ने वर्ष 1829 में अधिनियम XVII (17) पारित कर “सति प्रथा/Sati Pratha” पर रोक लगाई.

2. महात्मा ज्योतिबा फूले महाराष्ट्र में “अछूतोद्धार” व “महिला शिक्षा” का कार्य आरम्भ करने वाले पहले व्यक्तियों में से एक थे। दलितों तथा वंचित वर्गों को न्याय दिलाने के लिए 24 सितम्बर, 1873 को इन्होने सत्यशोधक समाज की स्थापना की। ज्योतिबा फूले ने ब्राहम्ण-पुरोहित के बिना ही विवाह संस्कार आरम्भ कराये तथा मुंबई उच्च न्यायालय द्वारा इन्हें मान्यता दिलाई। महाराष्ट्र में अस्पृश्यता, महिला शिक्षा तथा सामजिक समता के लिए संघर्ष करने वाले ज्योतिबा फूले अग्रगण्य सामाजिक कार्यकर्ता थे।

11. पितृसत्ता की विशेषताओं को स्पष्ट करें।

उत्तर : अंग्रेजी में यह शब्द दो यूनानी शब्दों पैटर और आर्के को मिलाकर बना है। पैटर का मतलब है– पिता और आर्के का मतलब है – शासन। यानी कि ‘पिता का शासन।’

पितृसत्तात्मक व्यवस्था की विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

1. पितृसत्ता एक सामाजिक प्रणाली है।

2. यह एक पारिवारिक प्रणाली है जिसमें पुरुष की भूमिकाएँ स्त्रियों की भूमिकाओं से ऊपर होती हैं।

3. पितृसत्तात्मक व्यवस्था में समाज, अर्थव्यवस्था, राज्यव्यवस्था, धर्म इत्यादि में पुरुष का ही वर्चस्व होता है।

4. पितृसत्तात्मक व्यवस्था में पुरुष समस्त गतिविधियों का केंद्र बिंदु होता है अर्थात परिवार के समस्त क्रियाएं उसी के चारों ओर घूमती हैं।

5. पितृसत्तात्मक व्यवस्था में समस्त महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय पुरुषों के द्वारा ही लिए जाते हैं।

6. इस प्रकार की व्यवस्था में आर्थिक मुद्दों पर पुरुषों का अधिकार होता है।

12. क्षेत्रवाद एक समस्या है। कैसे ?

उत्तर : क्षेत्रीयता एक क्षेत्र विशेष में निवास करने वाले लोगों के क्षेत्र के प्रति वह विशेष लगाव व अपनेपन की भावना है जिसे कुछ सामान्य आदर्श, व्यवहार, विचार तथा विश्वास के रूप में अभिव्यक्त किया जाता है। यह स्थानीय देशभक्ति तथा क्षेत्रीय श्रेष्ठता की भावना को बल देती है। इसके कारण कई बार राजनीतिक पृथक्करण की माँग भी की जाती रही है।

13. श्रमिक आन्दोलन का अर्थ क्या है ?

उत्तर :

1 : श्रमिक संघों के माध्यम से एकजुट कार्रवाई द्वारा श्रमिकों की ओर से उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार के लिए एक संगठित प्रयास

2 : संगठित श्रम के कारण को आगे बढ़ाने के लिए श्रमिक संघों की गतिविधियाँ

14. वैश्वीकरण की विशेषताओं को लिखें ।

उत्तर : वैश्वीकरण की प्रमुख विशेषताएँ निम्नानुसार हैं।

1. वैश्वीकरण मूल रूप से विश्व के अन्य देशों के साथ आर्थिक सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक अंतःक्रिया और समन्वय से संबंधित प्रक्रिया है।

2. वैश्वीकरण आर्थिक संबंधों की पूंजीवादी व्यवस्था को महत्व देता है।

3. यह आर्थिक संवर्धन से संबंधित प्रक्रिया है।

4. वैश्वीकरण की प्रक्रिया में बाजार द्वारा अर्थव्यवस्था नियंत्रित की जाती है।

5. वैश्वीकरण आर्थिक असमानता को उत्पन्न करता है।

6. यह एक प्रक्रिया है जो वैयक्तिक स्वायत्तता को साकार करने और लोकतंत्रीकरण से संबंधित है।

7. मानव की गरिमा और उसके अधिकारों को सुनिश्चित करने की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में नागरिक समाज और अधिक सक्रियता से हिस्सेदारी लेते हैं।

 8. वैश्वीकरण की प्रक्रिया ने अंतरराष्ट्रीय देशांतर के संवर्धन में योगदान दिया है।

9. हालांकि वैश्वीकरण राज्य के वैयक्तिक कल्याण के प्राथमिक महत्व का हास करता है तथापि नागरिकों की सुरक्षा के प्रति राज्य के दायित्व को पूरी तरह भुलाया नहीं जा सकता है।

10. वैश्वीकरण द्वारा लोगों के सांस्कृतिक ज्ञान में बढ़ोतरी हुई है।

11. वैश्वीकरण लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठता है।

12. वैश्वीकरण ने स्वयं की उपस्थिति सचेतन तौर पर व्यक्तियों राष्ट्रों और सांस्कृतिक क्षेत्रों की है।

13. वैश्वीकरण के कारण मध्य वर्ग सबसे अधिक प्रभावित होता है।

14. वैश्वीकरण द्वारा पर्यटन को महत्व मिलता है।

खण्ड - C

(दीर्घ उत्तरीय प्रश्न )

किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दें। 5 x 3 = 15

15. भारतीय समाज पर पश्चिमीकरण के प्रभावों का उल्लेख करें ।

उत्तर : भारतीय समाज पर पश्चिमीकरण के प्रभाव निम्नलिखित हैं -

1. धार्मिक जीवन में परिवर्तन- पश्चिमीकरण के प्रभाव से भारत में 19वीं शताब्दी में एक व्यापक समाज सुधार आरम्भ हुआ। पश्चिमी संस्कृति के मानवतावाद और सामाजिक समानता से प्रभावित होकर यहाँ आर्य समाज, ब्रह्म समाज और रामकृष्ण मिशन जैसी सुधार संस्थाओं की स्थापना हुई। पश्चिमी जीवन के अनुसार ही यहाँ. भूत-प्रेत, शकुन-अपशकुन, भाग्य सम्बन्धी विचारों, बेकार के कर्मकाण्डों तथा धार्मिक विश्वासों पर आधारित अस्पृश्यता, सती प्रथा, बाल-विवाह और देव-दासी प्रथा जैसी कुरीतियों का विरोध बढ़ने लगा। मानव सेवा को ईश्वर की सच्ची सेवा के रूप में देखा जाने लगा है ।

2. जाति व्यवस्था में परिवर्तन- पश्चिमीकरण की प्रक्रिया सामाजिक समानता और व्यक्तिगत स्वतन्त्रता को अधिक महत्व देती है। इसके प्रभाव से जाति से सम्बन्धित सामाजिक सम्पर्क, छुआछूत, खान-पान, व्यवसाय तथा विवाह से सम्बन्धित बहुतसी कुरीतियों का प्रभाव समाप्त होने लगा।

3. सांस्कृतिक व्यवहारों में परिवर्तन- पश्चिमीकरण के प्रभाव से हमारे खान-पान, वेशभूषा, व्यवहार के तरीकों तथा उत्सवों के आयोजनों में व्यापक परिवर्तन हुआ है। परम्परागत उत्सवों की जगह अब ऐसी पार्टियों को अधिक महत्व दिया जाता है जिनमें धर्म पर आधारित किसी तरह के आडम्बर का समावेश नहीं होता।

4. शिक्षा-प्रणाली में परिवर्तन- स्वतन्त्रता के बाद परम्परागत शिक्षा व्यवस्था की जगह वैज्ञानिक और व्यावसायिक शिक्षा को अधिक महत्व दिया जाने लगा। इसके फलस्वरूप नयी पीढ़ी की मनोवृत्तियों और विचारों में परिवर्तन हो जाने से मनुस्मृति में दिये गये धर्म और संस्कृति सम्बन्धी व्यवहारों का विरोध बढ़ने लगा।

5. विवाह संस्था में परिवर्तन- पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव से समाज में विलम्ब विवाह का प्रचलन बढ़ा, बहुपत्नी विवाह का विरोध बढ़ने के कारण इसे कानून के द्वारा समाप्त कर दिया गया, सम्भ्रान्त परिवारों में दहेज की प्रथा समाप्त हो गयी, अन्तर्जातीय विवाहों में वृद्धि होने लगी, बहिर्विवाह और कुलीन विवाह के नियम कमजोर पड़ गये तथा स्त्री को किसी भी तरह के उत्पीड़न की दशा में अपने पति से विवाह-विच्छेद कर लेने का अधिकार मिल गया।

16. भारत में जाति व्यवस्था की विशेषताओं का वर्णन करें ।

उत्तर : कूले के अनुसार, "जब एक वर्ग पूर्णतया वंशानुक्रम पर आधारित होता है, तब उसे हम जाति कह सकते है।"  इस परिभाषा मे जाति को वंशानुक्रम की विशेषता माना गया है।"

जाति व्यवस्था की निम्न विशेषताएं हैं-

1. जाति जन्म पर आधारित होती है : जाति व्यवस्था की सबसे प्रमुख विशेषता यह है की जाति जन्म से आधारित होती है। जो व्यक्ति जिस जाति मे जन्म लेता है वह उसी जाति का सदस्य बन जाता है।

2. जाति का अपना परम्परागत व्यवसाय : प्रत्येक जाति का एक परम्परागत व्यवस्था होता है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण जजमानी व्यवस्था रही है। जजमानी व्यवस्था मे जातिगत पेशे के आधार पर परस्पर निर्भरता की स्थिति सामाजिक संगठन का आधार थी। लेकिन आज आधुनिकता के चलते नागरीकरण, औधोगीकरण आदि के चलते अब जाति का अपना परम्परागत व्यवसाय बहुत कम रह गया है।

3. जाति स्थायी होती है : जाति व्यवस्था के अन्तर्गत प्रत्येक व्यक्ति की जाति हमेशा के लिए स्थायी होती है उसे कोई छुड़ा नही सकघता या बदल नही सकता। कोई भी व्यक्ति अगर आर्थिक रूप से, राजनैतिक रूप से या किसी अन्य साधन से कितनी भी उन्नति कर ले लेकिन उसकी जाति में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नही हो सकता।

4. ऊंच- नीच की भावना : हांलाकि अब वर्तमान भारतीय ग्रामीण समाज में जाति के परम्परागत संस्तरण के आधारों मे परिवर्तन आया है। लेकिन फिर भी जाति ने समाज को विभिन्न उच्च एवं निम्न स्तरों में विभाजित किया गया है प्रत्येक जाति का व्यक्ति अपनी जाति की सामाजिक स्थिति के प्रति जागरूक रहता है।

5. मानसिक सुरक्षा प्रदान करना : जाति व्यवस्था में हांलाकि दोष बहुत है लेकिन जाति व्यवस्था की अच्छी बात यह है कि यह अपने सदस्यों को मानसिक सुरक्षा प्रदान करती है। जिसमें सभी सदस्यों को पता होता है कि उनकी स्थिति क्या है? उन्हें क्या करना चाहिए।

6. विवाह सम्बन्धी प्रतिबन्ध : जाति व्यवस्था के अर्न्तगत जाति के सदस्य अपनी ही जाति मे विवाह करते है। अपनी जाति से बाहर विवाह करना अच्छा नही माना जाता है। उदाहरण के लिए ब्राह्माण के लड़के का विवाह ब्राह्राण की लड़की से ही होगा। किसी अन्य जाति से नही।

7. समाज का खण्डात्मक विभाजन : जाति व्यवस्था ने संपूर्ण समाज का खण्ड-खण्ड मे विभाजन कर रखा है। समाज का विभाजन होना देश की एकता के लिए सही नही है।

जी . एस. घुरिए ने जाति व्यवस्था की छ: विशेषताओं का उल्लेख किया है। जो इस प्रकार है--

1. समाज का खण्डात्मक विभाजन

2. सामाजिक संस्तरण

3. भोजन तथा सामाजिक सहवास पर प्रतिबंध

4. विभिन्न जातियों की सामाजिक एवं धार्मिक निर्योग्यताएं तथा विशेषाधिकार

5. पेशे के अप्रतिबंधित चुनाव का अभाव

6. विवाह संबंधी प्रतिबंध

17. वर्तमान भारत में अनुसूचित जातियों की प्रस्थिति को विवेचित करें ।

उत्तर : भारत में लगभग 550 जनजातियाँ हैं। 2011 की जनसंख्या के अनुसार इनकी कुल जनसंख्या करीब 10.43 करोड़ है, जो भारत की कुल जनसंख्या का 8.6 प्रतिशत है।

अनुसूचित जातियों की प्रस्थिति निम्नलिखित हैं -

1. दुर्गम निवास : यह एक प्रमुख समस्या है। जनजातीय दुर्गम एवं दूरस्थ स्थान में निवास करते है। आवागमन में असुविधा होती है, और संचार साधनों का अभाव होता है। जिस वजह से मुख्यधारा से कट जाते है।

2. अशिक्षा : अशिक्षा जनजाति समुह की के विकाश में एक प्रमुख बाधा है। शिक्षकों एवं सुविधाओं की कमी आदि ऐसे कारक है, जो जनजातीय क्षेत्रो में शिक्षा के विस्तार को बाधित करती है।

3. प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण की समाप्ति : जनजाति समुहो का हमेसा से प्राकृतिक संसाधनों पर पूर्ण नियंत्रण रहा था। परंतु, ब्रिटिश शासन आने के बाद राजकीय नियंत्रण लागू हो गया। परिणामस्वरूप परंपरागत प्राकृतिक संसाधनों पर जनजातीय नियंत्रण समाप्त हो गया।

4. बेरोजगारी : प्राकृतिक संसाधनों पर जनजातीय नियंत्रण ना होने तथा काम शिक्षित होने के कारण नई ( आधुनिक ) व्यवस्था में इनके लिए रोजगार के साधन भी सीमित है।

5. विस्थापन एवं पुनर्वास : जनजातीय क्षेत्रो में खनिज खदाने, बिजली परियोजना, बड़े बांध तथा विशाल औधोगिक संयंत्र स्थापित करने हेतु व्यापक भूमि अधिग्रहण हुए है। जिस वजह से विस्थापन की समस्या ने जन्म लिया ।

विस्थापन की वजह से "सांस्कृतिक संपर्क" की समस्या ने जन्म लिया। विस्थापन उपरांत अपने क्षेत्र से बाहर (या शहरी क्षेत्र) निवास करने से इन्हें मनोवैज्ञानिक समस्याओ का सामना करना पड़ता है।

6. निर्धनता : अशिक्षा, बेरोजगारी तथा अपनी आजीविका के साधनों से वंचित होने की वजह से जनजातीयो में गरीबी, भूखमरी की समस्या का सामना करते है । और भारी ब्याज लेने पर मजबूर हुए।

7. पहचान का क्षय : जनजातियों की परंपरागत संस्थानों एवं कानूनों का आधुनिक संस्थानों एवं कानूनी व्यवस्था के साथ टकराव होने से जनजातीय पहचान के क्षय की आशंकाओं का जन्म हुआ।

8. स्वास्थ्य संबंधित समस्याएँ एवं कुपोषण : जनजातीय क्षेत्रो में स्वास्थ्य संबंधित समस्याएँ व्याप्त है। जिनका प्रमुख कारण अशिक्षा, निर्धनता एवं असुरक्षित आजीविका का साधन है। इन क्षेत्रों में पीलिया, हैजा, मलेरिया जैसे बीमारियां व्याप्त है। इन क्षेत्रों में कुपोषण से जुड़ी हुई समस्याएं जैसे लौह तत्व की कमी, रक्ताल्पता तथा उच्च शिशु मृत्यु दर बड़ी समस्या है।

9. मदिरापान : जनजातीय समूहों में मदिरापन परंपरा का हिस्सा है।

10. शोषण : जनजातीय क्षेत्रो के संसाधनों पर राजकीय नियंत्रण होने के बाद बाहरी लोगों का इनके क्षेत्रो में प्रवेश हुआ। इन बाहरी अधिकारी, कर्मचारी एवं भूस्वामियों ने जनजातियों का शोषण किया।

इन समस्याओं के अलावा जनजातियों में एकीकरण की समस्या तथा राजनीतिक चेतना का भी अभाव भी रहा। आगे जनजातियों में लैंगिक मुद्दे ने भी जन्म लिया।

जनजातियों में परसंस्कृति ग्रहण की वजह से भी समस्याएँ उत्पन्न हुई।

1) जनजाति कला का ह्रास

2) जनजाति संस्कृति के प्रति तिरस्कार

3) जनजाति भाषा का ह्रास

4) समायोजन की समस्या

18. ग्रामीण एवं नगरीय वर्ग संरचना में परिवर्तन को स्पष्ट करें ।

उत्तर : भारत में काफी लम्बे समय तक नगरों तथा गाँवों में पाए जाने वाले विभिन्न वर्गों की संरचना में कोई परिवर्तन नहीं हुआ, पर स्वतन्त्रता - प्राप्ति के पश्चात् जैसे-जैसे सरकार की नीतियों में बदलाव हुए और आर्थिक विकास के लिए नये-नये कार्यक्रम लागू किये गये जिससे नगरों तथा गाँवों में नये प्रकार के वर्गों का उदय होने लगा। सामान्य रूप से भारतीय समाज आज भी उच्च, मध्यम तथा निम्न तीन वर्गों में बँटा हुआ है लेकिन अब इनसे सम्बन्धित कुछ ऐसे वर्ग भी प्रकाश में आए हैं जो परम्परागत वर्गों की विशेषताओं से अलग कुछ विशेष विशेषताओं से मुक्त हैं यथा - ग्रामीण क्षेत्र में पूँजीपति कृषक वर्ग, कुलीन किसान वर्ग, प्रभावी जातियों का किसान वर्ग, छोटे किसानों का वर्ग, घुमक्कड़ मजदूर वर्ग तथा नगरीय क्षेत्रों में व्यावसायिक अभिजात वर्ग एवं नव-मध्यम वर्ग का उदय हुआ। भारत में औद्योगीकरण, आधुनिकीकरण, उदारीकरण और पश्चिमीकरण के कारण परम्परागत मध्यम वर्ग की आय में तेजी से वृद्धि हुई जिससे उसका आर्थिक स्तर उच्च हुआ। इस प्रकार एक नवीन धनी मध्यम वर्ग का जन्म हुआ जो नगरीय वर्ग संरचना में परिवर्तन को स्पष्ट करता है।

19. 'स्वतंत्र भारत में महिला आन्दोलन' पर एक निबन्ध लिखें ।

उत्तर : 20वीं सदी के प्रारंभ में महिलाओं के कई संगठन सामने आए। इनमें विपेंस इंडियन एसोसिएशन (WIA-1917) ऑल इंडिया विमेंस कॉफ्रेंस (AIWC-1926), नेशनल काउंसिल फॉर विमेन इन इंडिया – (NCWI-1925) शामिल हैं। हालांकि इनमें से कई की शुरुआत सीमित कार्य क्षेत्र से हुई, तथापि इनका कार्यक्षेत्र समय के साथ विस्तृत हुआ। ऐसा अक्सर माना जाता है कि केवल मध्यम वर्ग ही शिक्षित महिलाएँ ही इस प्रकार के आंदोलनों में शरीक होती हैं। किंतु संघर्ष का एक भाग महिलाओं की सहभागिता के विस्मृत इतिहास को याद करना रहा है। औपनिवेशिक काल में जनजातीय तथा ग्रामीण क्षेत्रों में प्रारंभ होने वाले संघर्षों तथा क्रांतियों में महिलाओं ने पुरुषों के साथ भाग लिया। अतएव न केवल शहरी महिलाओं ने बल्कि ग्रामीण तथा जनजातीय क्षेत्रों की महिलाओं ने भी महिलाओं के सशक्तिकरण वाले राजनीतिक आंदोलनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। 1970 के दशक के मध्य में भारत में महिला आंदोलन का दूसरा चरण प्रारंभ हुआ। उस काल में स्वायत्त महिला आंदोलनों में वृद्धि हुई। इसका अर्थ यह हुआ कि इस प्रकार के महिला आंदोलन राजनीतिक दलों अथवा उस प्रकार के महिला संगठन जिनके राजनीतिक दलों से संबंध थे, स्वतंत्र थे।

शिक्षित महिलाओं ने सक्रियतापूर्वक जमीनी राजनीति में हिस्सा लिया। इसके साथ ही उन्होंने महिला आंदोलनों को भी प्रोत्साहित किया। महिलाओं से संबंधित नए मुद्दों पर अब ध्यान केंद्रित किए जाने लगे-जैसे, महिलाओं के ऊपर हिंसा, विद्यालयों के फार्म पर पिता तथा माता दोनों के नाम, कानूनी परिवर्तन, जैसे-भूमि अधिकार, रोजगार, दहेज तथा लैंगिक प्रताड़ना के विरुद्ध अधिकार इत्यादि । इसके उदाहरण हैं, मथुरा बलात्कार कांड (1978) तथा माया त्यागी बलात्कार कांड (1980)। दोनों के ही खिलाफ व्यापक आंदोलन हुए। अतएव यह बात भी स्वीकार की गई है कि महिलाओं के आंदोलनों को लेकर भी विभिन्नता रही है। महिलाएँ विभिन्न वर्गों से संबद्ध होती हैं। अतः इनकी आवश्यकताएँ तथा चिंताएँ भी अलग-अलग होती हैं।

Jac Board Class 12 Sociology 2023 Answer key


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