प्रश्न 1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में सही
उत्तर चुनिए।
(i) एक संख्या
अथवा लक्षण को जो मापन को प्रदर्शित करता है, कहते हैं।
(क) अंक
(ख) आँकड़े
(ग) संख्या
(घ) लक्षण।
(ii) एकल आधार
सामग्री एकमात्र माप है।
(क) तालिका
(ख) आवृत्ति
(ग) वास्तविक संसार
(घ) सूचना।
(iii) एक मिलान
चिह्न में, फोर एण्ड क्रासिंग फिफ्थ द्वारा समूहीकरण को कहते हैं।
(क) फोर एण्ड क्रास विधि
(ख) मिलान चिह्न विधि
(ग) आवृत्ति
अंकित विधि
(घ) समावेश विधि।
(iv) ओजाइव एक
विधि है जिसमें
(क) साधारण आवृत्ति नापी जाती
है।
(ख) संचयी आवृत्ति
नापी जाती है।
(ग) साधारण आवृत्ति अंकित की
जाती है।
(घ) संचयी आवृत्ति अंकित की
जाती है।
(v) यदि वर्ग
के दोनों अंत आवृत्ति समूह में लिए गए हों, इसे कहते हैं।
(क) बहिष्कार विधि
(ख) समावेश विधि
(ग) चिह्न विधि
(घ) सांख्यिकीय विधि।
प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग
30 शब्दों में दीजिए।
(i) आँकड़ा और
सूचना के बीच अन्तर उत्तर-आँकड़ा और सूचना के बीच निम्नलिखित अन्तर हैं।
उत्तर:
आँकड़े |
सूचना |
1. संख्यात्मक सूचना आँकड़ा
कहलाती है। |
1. नवीनतम जानकारी सूचना
कहलाती है। |
2. आँकड़ों को संख्याओं में
लिखा जाता है। |
2. सूचना को संख्याओं में
होना आवश्यक नहीं है। |
3. आँकड़ों को मापन में प्रदर्शित
किया जाता है। |
3. सूचना को एक प्रश्न के
अर्थपूर्ण उत्तर के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। |
(ii) आँकड़ों
से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
यथार्थ
विश्व के मापन को प्रदर्शित करने वाली संख्याओं को आँकड़ा कहा जाता है। दूसरे शब्दों
में, संख्यात्मक सूचना आँकड़ा कहलाती है। उदाहरण-बाड़मेर की औसत वार्षिक वर्षा 20 सेन्टीमीटर,
गुरुशिखर की ऊँचाई 1722 मी., भरतपुर से अलवर की दूरी 110 किमी. आदि।
(iii) एक तालिका
में पाद टिप्पणी से क्या लाभ है?
उत्तर:
एक
तालिका में दी गई पाद टिप्पणी से सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे संख्यात्मक सूचना या
आँकड़ों के स्रोत की जानकारी प्राप्त हो जाती है तथा अन्य संकेतों का भी पता लग जाता
है।
(iv) आँकड़ों
के प्राथमिक स्रोतों से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जो
आँकड़े प्रथम बार व्यक्तिगत रूप से अथवा व्यक्तियों के समूह संस्था या संगठन द्वारा
एकत्रित किये जाते हैं, आँकड़ों के प्राथमिक स्रोत कहलाते हैं। प्राथमिक स्रोत के अन्तर्गत
व्यक्तिगत प्रेक्षण, साक्षात्कार, प्रश्नावली, अनुसूची, दूर संवेद तथा वायु फोटो चित्र
आदि को सम्मिलित किया जाता है।
(v) द्वितीयक
आँकड़ों के पाँच स्रोत बताइए।
उत्तर:
द्वितीयक
आँकड़ों के स्रोत के अन्तर्गत सरकारी प्रकाशन, अन्तर्राष्ट्रीय प्रकाशन, निजी प्रकाशन,
सरकारी प्रलेख और अर्द्ध-सरकारी प्रलेख आदि सम्मिलित किये जाते हैं।
(vi) आवृत्ति
वर्गीकरण की अपवर्ती विधि क्या है?
उत्तर:
अपवर्ती
विधि में एक वर्ग की उच्च सीमा अगले वर्ग की निम्न सीमा होती है। उदाहरणार्थ एक वर्ग
(20 - 30) की उच्च सीमा 30 है जो कि अगले वर्ग (30 - 40) की निम्न सीमा है। लेकिन
30 उसी वर्ग में रखा जाएगा जिसमें यह निम्न सीमा पर आता है और यह उस वर्ग से निकाल
दिया जाएगा जिसमें यह उच्च सीमा (20 - 30) पर है। दूसरे शब्दों में, इस विधि में एक
वर्ग के उच्च मूल्य को उसी वर्ग में सम्मिलित किया जाता है। इस प्रकार से संख्याओं
(आवृत्ति) को रखने की विधि अपवर्ती विधि कहलाती है।
प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग
125 शब्दों में दीजिए
(i) राष्ट्रीय
और अन्तर्राष्ट्रीय अभिकरणों की चर्चा कीजिए जहाँ से द्वितीयक आँकड़े एकत्र किए जा
सकते हैं।
उत्तर: राष्ट्रीय अभिकरणों
के अन्तर्गत सरकारी प्रकाशन और सरकारी प्रलेख से प्राप्त द्वितीयक आँकड़े सम्मिलित
किये जाते हैं। सरकारी प्रकाशन में वे समस्त प्रकाशन सम्मिलित हैं जिन्हें किसी देश
की केन्द्रीय या राज्य सरकार के विभिन्न विभाग या मंत्रालय प्रकाशित करते हैं। भारत
में जनगणना रिपोर्ट, राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण की रिपोर्ट, भारतीय मौसम विज्ञान
विभाग की मौसम रिपोर्ट, राज्य सरकारों द्वारा प्रकाशित सांख्यिकीय सारांश और विभिन्न
आयोगों द्वारा प्रकाशित आवधिक रिपोर्ट सरकारी प्रकाशन के उदाहरण हैं। सरकारी प्रलेख
सरकार के विभिन्न स्तरों पर अप्रकाशित रिकार्ड के रूप में तैयार किये जाते हैं और अनुरक्षित
रखे जाते हैं। उदाहरणार्थ-गाँव के स्तर पर राजस्व अभिलेख गाँव के पटवारियों के द्वारा
बनाए जाते हैं जो एक गाँव स्तर की सूचना का साधन माना जाता है।
अन्तर्राष्ट्रीय
अभिकरणों के अन्तर्गत अन्तर्राष्ट्रीय प्रकाशन द्वारा द्वितीयक आंकड़े प्राप्त
किये जाते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय प्रकाशनों के अन्तर्गत वार्षिकी, संयुक्त राष्ट्र
संघ के विभिन्न अभिकरणों; जैसे-संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक
संगठन (यूनेस्को), संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यू. एन. डी. पी.), विश्व
स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू. एच. ओ.), खाद्य एवं कृषि संगठन (एफ. ए. ओ),
अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई. एम. एफ.), विश्व मौसम संगठन (डब्ल्यू. एम. ओ.)
आदि द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट और मोनोग्राफ सम्मिलित किये जाते हैं। संयुक्त
राष्ट्र के कुछ महत्त्वपूर्ण प्रकाशन जो आवधिक छपते हैं वे इस प्रकार
हैं-'डैमोग्राफिक इयर बुक', 'स्टेटिस्टीकल इयर बुक' और 'मानव विकास रिपोर्ट' आदि।
(ii) सूचकांक
का क्या महत्त्व है? सूचकांक की परिकलन की प्रक्रिया को बताने के लिए एक उदाहरण लीजिए
और परिवर्तनों को दिखाइए।
उत्तर:
सूचकांक
का महत्त्व: सूचकांक चर अथवा एक सांख्यिकीय माप है जिसे चर अथवा समय भौगोलिक स्थिति
या दूसरी विशेषताओं के सन्दर्भ में सम्बन्धित चरों के सम्बन्धित समूह में परिवर्तन
को दर्शाने के लिए अभिकल्पित किया जाता है। सूचकांक न केवल समय के साथ हुए परिवर्तनों
की माप करता है बल्कि विभिन्न स्थानों, उद्योगों, नगरों अथवा देशों की आर्थिक दशाओं
की तुलना भी करता है। सूचकांक का उपयोग व्यापक रूप में अर्थशास्त्र और व्यवसाय में
लागत और मात्रा में आये परिवर्तनों को देखने के लिए किया जाता है।
सूचकांक
के परिकलन की प्रक्रिया: सूचकांक के परिकलन के लिए साधारण समुच्चय विधि सबसे अधिक
उपयोग में लायी जाती है। इसे निम्नलिखित सूत्र द्वारा व्यक्त किया जा सकता है।
Σ
यहाँ,
Σq1 = वर्तमान वर्ष
के उत्पादन का योग
Σqo
= आधार वर्ष के उत्पादन का योग
सामान्य रूप से आधार वर्ष का
मूल्य 100 लिया जाता है और उसके आधार पर सूचकांक की गणना की जाती है। उदाहरणार्थ निम्नलिखित
तालिका में भारत में लौह अयस्क के उत्पादन और 1970-71 को आधार वर्ष मानते हुए
1970-71 से 2000-01 तक के सूचकांक में परिवर्तन को दिखाया गया है।
तालिका: भारत में लौह अयस्क का उत्पादन उत्पादन (मिलियन टन में)।
क्रियाकलाप:
प्रश्न 1. भूगोल की 35 विद्यार्थियों की कक्षा में, 10 अंक के यूनिट टेस्ट में
निम्नलिखित अंक प्राप्त किये गये हैं1, 0, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 2, 3, 4, 0, 2, 5, 8,
4, 5, 3, 6, 3, 2, 7, 6, 5, 4, 3, 7, 8, 9, 7, 9, 4, 5, 4, 3 आँकड़े को संचयी आवृत्ति
वितरण के रूप में प्रस्तुत करिए।
उत्तर: वर्गीकरण की प्रक्रिया
तालिका: भारत में लौह अयस्क का उत्पादन उत्पादन (मिलियन टन मे