Class 11th & 12th 10. कथा-पटकथा

Class 11th & 12th 10. कथा-पटकथा
Class 11th & 12th 10. कथा-पटकथा

पाठ्यपुस्तक आधारित प्रश्नोत्तर

प्रश्नः 1. फ़्लैशबैक तकनीक और फ़्लैश फ़ॉरवर्ड तकनीक के दो-दो उदाहरण दीजिए। आपने कई फ़िल्में देखी होंगी। अपनी देखी किसी एक फ़िल्म को ध्यान में रखते हुए बताइए कि उनमें दृश्यों का बँटवारा किन आधारों पर किया गया।

उत्तरः फ़्लैशबैक तकनीक वह होती है जिसमें अतीत में घटी हुई किसी घटना को दिखाया जाता है। फ़्लैश फ़ॉरवर्ड वह तकनीक है जिसमें भविष्य में होनी वाली किसी घटना को पहले दिखा देते हैं। पाठ्यपुस्तक ‘आरोह’ की कहानी ‘गलता लोहा’ में मोहन जब घर से हँसुवे की धार लगवाने के लिए शिल्पकार टोले की ओर जाने लगता है तो वह फ़्लैशबैक में चला जाता है और उसे याद आ जाती है स्कूल में प्रार्थना करना। इसी कहानी में मोहन का लखनऊ पहुंचकर मुहल्ले में सब के लिए घरेलू नौकर जैसा काम करना।

‘गलता लोहा’ कहानी में ही मोहन को जब मास्टर त्रिलोक सिंह ने पूरे स्कूल का मॉनीटर बनाकर उस पर बहुत आशाएँ लगा रखी थीं। उस समय मोहन फ़्लैशफॉरवर्ड में जाकर सोच सकता है कि वह एक बहुत बड़ा अफ़सर बन गया है और उसके पास अनेक लोग अपना काम करवाने आये हैं। मोहन जब लखनऊ पढ़ने जाता है तो वहाँ की भीड़-भाड़ देखकर फ़्लैशफॉरवर्ड में जाकर सोचता है कि वह भी अच्छे-अच्छे कपड़े पहनकर बस में बैठकर बहुत बड़े स्कूल में पढ़ने जा रहा है। ‘शोले’ फ़िल्म में वीरू का टंकी पर चढ़ना, धन्नो का टांगा चलाना, गब्बर सिंह का पहाड़ियों पर अपने साथियों के साथ वार्तालाप, डाकूओं से लड़ाई आदि दृश्य घटनाओं के आधार पर बदल जाते हैं।

प्रश्नः 2. पटकथा लिखते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है और क्यों?

उत्तरः पटकथा लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।

1. प्रत्येक दृश्य के साथ होने वाली घटना के समय का संकेत भी दिया जाना चाहिए।

2. पात्रों की गतिविधियों के संकेत भी प्रत्येक दृश्य के प्रारंभ में देने चाहिए। जैसे-रजनी चपरासी को घूर रही है, चपरासी मज़े से स्टूल पर बैठा है। साहब मेज़ पर पेपरवेट घुमा रहा है। फिर घड़ी देखता है।

3. किसी भी दृश्य का बँटवारा करते समय यह ध्यान रखा जाए कि किन आधारों पर हम दृश्य का बँटवारा कर रहे हैं।

4. प्रत्येक दृश्य के साथ होने की सूचना देनी चाहिए।

5. प्रत्येक दृश्य के साथ उस दृश्य के घटनास्थल का उललेख अवश्य करना चाहिए; जैसे-कमरा, बरामदा, पार्क, बस स्टैंड, हवाई अड्डा, सड़क आदि।

6. पात्रों के संवाद बोलने के ढंग के निर्देश भी दिए जाने चाहिए; जैसे-रजनी (अपने में ही भुनभुनाते हुए)।

7. प्रत्येक दृश्य के अंत में डिज़ॉल्व, फ़ेड आउट, कटटू जैसी जानकारी आवश्य देनी चाहिए। इससे निर्देशक, अडीटर आदि निर्माण कार्य में लगे हुए व्यक्तियों को बहुत सहायता मिलती है।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. 'पटकथा' से क्या तात्पर्य है ?

उत्तर-'पटकथा' शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है-'पट' और 'कथा'। इनमें 'पट' शब्द का अर्थ है-परदा और'कथा' शब्द का अर्थ है-कहानी। इस प्रकार 'पटकथा' शब्द से तात्पर्य ऐसी कहानी से है जो परदे पर दिखायी जाए। परदा छोटा अथवा बड़ा कोई भी हो सकता है। कहने का भाव यह है कि जो कहानी टेलीविज़न अथवा सिनेमा में दिखाए जाने के लिए लिखी जाती है, उसे पटकथा कहा जाता है। पटकथा के आधार पर ही निर्देशक फ़िल्म अथवा धारावाहिक की शूटिंग की योजना बनाता है। अभिनेता, कैमरामैन, तकनीशियन, सहायक आदि भी पटकथा के आधार पर ही अपना-अपना कार्य करते हैं।

प्रश्न 2. पटकथा का स्रोत कहाँ से मिलता है ?

उत्तर-पटकथा का स्रोत कुछ भी हो सकता है। हमारे स्वयं के साथ घटी कोई घटना अथवा हमारे आस-पास घटी कोई घटना भी पटकथा का आधार बन सकती है। इसके अतिरिक्त अखबार में छपा कोई समाचार, हमारी कल्पना से अपनी कोई कहानी, इतिहास में वर्णित कोई व्यक्तित्व, कोई सच्चा किस्सा अथवा साहित्य की किसी प्रसिद्ध रचना पर पटकथा लिखी जा सकती है। प्रसिद्ध साहित्यिक रचनाओं को तो बहुत बार पटकथा का आधार बनाया गया है। उदाहरण के रूप में शरत्चंद्र चट्टोपाध्याय के प्रसिद्ध उपन्यास 'देवदास' पर तीन बार फ़िल्म बनाई जा चुकी है।

प्रश्न 3. पटकथा की संरचना कैसे होती है ?

उत्तर-फिल्म तथा दूरदर्शन की पटकथा में पात्र-चरित्र, नायक-प्रतिनायक, घटनास्थल, दृश्य, कहानी का क्रमिकविकास, वंद्व, समाधान आदि सभी कुछ होता है। इसमें छोटे-छोटे दृश्य, असीमित घटनास्थल होते हैं। इसकी कथाफ़्लैशबैक अथवा फ़्लैश फ़ॉरवर्ड तकनीक से किसी भी प्रकार से प्रस्तुत की जा सकती है। फ़्लैशबैक से अतीत में हो चुकी और फ़्लैश फ़ारवर्ड से भविष्य में होने वाली घटनाओं को प्रस्तुत किया जाता है। इसमें एक ही समय में अलग-अलग स्थानों पर घटित घटनाओं को भी दिखाया जा सकता है। कथानक को विभिन्न दृश्यों में बदलते हुए अंत की ओर ले जाया जाता है।

प्रश्न 4. नाटक और फ़िल्म की पटकथा में क्या अंतर होता है ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-नाटक और फ़िल्म की पटकथा में कुछ मूलभूत अंतर होते हैं। ये अंतर निम्नलिखित हैं-

(i) नाटक के दृश्य बहुत लंबे-लंबे होते हैं जबकि फ़िल्म के दृश्य छोटे होते हैं।

(ii) नाटक में घटनास्थल प्रायः सीमित होता है जबकि फ़िल्म में इसकी कोई सीमा नहीं होती।

(iii) नाटक एक सजीव कला माध्यम है जिसमें अभिनेता अपने ही जैसे जीवंत दर्शकों के सामने अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं जबकि सिनेमा में यह पूर्व रिकॉर्डिंग छवियां एवं दृश्य होते हैं।

(iv) नाटक में कार्य-व्यापार, दृश्यों की संरचना और चरित्रों की संख्या सीमित रखनी होती है जबकि सिनेमा में ऐसाकोई बंधन नहीं होता।

(v) नाटक की कथा का विकास एक-रेखीय होता है, जो एक ही दिशा में आगे बढ़ता है जबकि सिनेमा में कथा का विकास कई प्रकार से होता है।

प्रश्न 5. वर्तमान समय में पटकथा लिखने में कंप्यूटर हमारी किस प्रकार सहायता कर सकता है ?

उत्तर-वर्तमान समय में जीवन के हर क्षेत्र में कंप्यूटर की भूमिका बढ़ती जा रही है। धीरे-धीरे सारा कार्य-व्यापार कंप्यूटर पर आधारित होता दिखाई दे रहा है। पटकथा लिखने में भी कंप्यूटर की सहायता ली जा सकती है। आजकल कंप्यूटर पर ऐसे सॉफ्टवेयर आ गए हैं जिनमें पटकथा-लेखन का प्रारूप बना बनाया होता है। यदि पटकथा-लेखन में कोई गड़बड़ी हुई है तो भी कंप्यूटर बता देता है कि कहाँ और क्या गड़बड़ी हुई है। ये सॉफ्टवेयर पटकथा में सुधार लाने के सुझाव भी पटकथा-लेखक को देते हैं। इन सुझावों को मानना या न मानना पटकथा-लेखक की इच्छा पर निर्भर करता है।

प्रश्न 6. पटकथा की मूल इकाई क्या और कैसे है ?

उत्तर-पटकथा की मूल इकाई दृश्य होता है। एक दृश्य का निर्माण एक स्थान पर एक ही समय में लगातार चल रहे कार्य व्यापार के आधार पर होता है। यदि इन में से किसी एक में भी कोई परिवर्तन होता है तो सारा दृश्य ही बदलजाता है। उदाहरण के लिए पाठ्यपुस्तक 'आरोह' के 'रजनी' पाठ में दृश्य एक लीला बेन के फ़्लैट का है। समय दोपहरका। उनका बेटा अमित स्कूल से वापस आने वाला है। दूसरा दृश्य अगले दिन का है। समय दिन का। स्थान अमित के स्कूल के हेडमास्टर का कमरा है। तीसरा दृश्य उसी दिन का है। समय शाम का। स्थान रजनी का फ़्लैट है। इस प्रकार ये तीनों दृश्य अलग-अलग स्थान के हैं इसलिए बदल गए हैं।

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