Class-XI Hindi Aroh 18. अक्कामहादेवी : हे भूख! मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर

18. अक्कामहादेवी : हे भूख! मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर
Class-XI Hindi Aroh 18. अक्कामहादेवी : हे भूख! मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर
पाठ्यपुस्तक आधारित प्रश्नोत्तर कविता के साथ प्रश्न 1. लक्ष्य-प्राप्ति' में इन्द्रियाँ बाधक होती हैं। इसके संदर्भ में तर्क दीजिए। उत्तर : आध्यात्मिक दृष्टि से मनुष्य का लक्ष्य है-ईश्वर की प्राप्ति। इन्द्रियाँ इस लक्ष्य को पाने में मनुष्य के लिए बाधक होती हैं। इन्द्रियाँ उसको विभिन्न सांसारिक सुखों की अनुभूति कराती हैं। ये इन्द्रियाँ सुस्वादु तथा सुन्दर पदार्थों के प्रति मनुष्य के मन को ले जाती हैं। भूख और प्यास उसको अपनी ओर आकृष्ट कर लेती हैं। क्रोध, लोभ, मद, मोह आदि विकार मनुष्य को अपने जाल में फंसा लेते हैं। इनमें उलझा उसका मन ईश्वर की अनुभूति में केन्द्रित नहीं हो पाता। 'ब्रह्म सत्यं जगत् मिथ्या' कहा गया है। परन्तु जगत् का यह मिथ्या स्वरूप परम मनोहर और आकर्षक है। जब तक मनुष्य को यह संसार सुन्दर, सत्य और सुखद लगता है, तब तक ईश्वर की ओर उसका ध्यान जाता नहीं है। दसों इन्द्रियाँ मन को वश में कर भटकाती रहती हैं। प्रश्न 2. 'ओ चराचर ! मत चूक अवसर'-इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। उत्तर : कवयित्री अक्कमहादेवी शिव-भक्त थीं। वह संसार के समस्त स्थावर और जंगम जीवों को सावधान करत…