झारखण्ड के लोकगीत, लोकनृत्य एवं लोकनाट्य (Folk songs, folk dance and folk drama of Jharkhand)
झारखण्ड के लोकगीत, लोकनृत्य एवं लोकनाट्य (Folk songs, folk dance and folk drama of Jharkhand) झारखण्ड
के लोकगीत, लोकनृत्य एवं लोकनाट्य प्रमुख
इतिहासकार डॉ. कौशाम्बी के अनुसार, झारखण्ड एक ऐसा क्षेत्र है, जहाँ एक ओर आदिम तो
दूसरी ओर अत्याधुनिक सभ्यता के दर्शन होते हैं। राज्य
की लोकगीत व लोकनृत्य कला अत्यन्त समृद्ध है, जिसमें जनजातीय लोकगीतों व
लोकनृत्यों का महत्त्वपूर्ण योगदान है। राज्य के प्रमुख लोकगीत >
आदिवासियों ने अपनी भाषा के साथ-साथ अपने परम्परागत लोकगीतों को प्रचलन में बनाए रखा
है। >
इन गीतों का सम्बन्ध जीवन के प्रत्येक अवसर से सम्बन्धित है। इन्होंने मौसम, समय, महीना,
संस्कार और कृषि आदि का निर्धारण कर लोकगीतों की रचना की गई है । >
झारखण्ड के लोकगीत को मुख्य रूप से दो भागों में बाँटा जा सकता है 1.
जनजातीय लोकगीत 2.
क्षेत्रीय लोकगीत जनजातीय
लोकगीत >
जनजाति लोकगीतों में सन्थाली, मुण्डारी, हो, खड़िया और उराँव इत्यादि जनजातियों के
लोकगीत शामिल हैं। >
दोड़, लागेड़े, सोहराय, मिनसार, बाहा, दसाय, डाटा, पतवार, रिजा आदि प्रमुख सन्थाली
जनजाति के लोकगीत हैं। डब्ल्यू. जी. आर्चर ने होड़ सेरेन गीत संग्रह में सन्थाली लोकगीत
संगृहीत किए हैं। >
जदुर, गेना, करमा, जरगाजापी आदि प्रमुख …