खोरठा निबंध - भाइ - बहिन के शुभ प्यार के प्रतीक 'करम' (निबंध)
खोरठा निबंध - भाइ - बहिन के शुभ प्यार के प्रतीक 'करम' (निबंध) भाइ
- बहिन के शुभ प्यार के प्रतीक 'करम' (निबंध) 'राखी'
आर 'भइया दूज' जइसन भाई-बहिन के 'शुभ्र' प्यार से सराबोर परब-तिहार भारतेक संस्कृति
के अछय संपइत हेके। झारखण्ड छेतरेक अनुठा और महान परब 'करम', भाई-बहिन के शुभ्रप्यार
के प्रतीक परब हके। जेतरी राखी आर भाइदूज पर भाई-बहिन एक दोसर के मंगल कामना कर हथ
सइतरी करम पुजाँव बहिन आपन भाइ गुलइनेक लागिन करम राजा से आपन अंचरा पसाइर के सुख-संपइत
माँग-हथ। भादो
इंजोरिया पछेक एकादसी तिथि करम पूजाक दिन हके। ई अवसरें पइत भाइ आपन बहिन के ससुराइर
से नइहर आदरपूर्वक लियाइ लान- हथ। की ले कि ओइखने डंगुआ बेटी छउवा गुलइन तो लगाथे
'करमइतिन' मेनेक करम के पुजारिन । ई
परबेक संगे ढेइर-ढेइर लोक विसुवास आर मान्यता जुटल हे। जेतरि-एक बटे धरमेक उपर करमेक
जीत के खुसीक परब जे धरमेक 'अपेखा करमेक महत के कथा कहे हे, तो दोसर बटे करम सुन्दर-सुन्दर
छऊआ-पुता पावेक लागिन मनउतिक परब हेके। सइले करमइतिन आपन पूजाक थारी एगो गोल-मटोल पुष्टगर
खीरा राख-हथ आर करम राजा से कामना कर हथ कि ओकरा सुन्दर सुडौल बेटा मिले। आपन कोइ प्रियजन
के परदेस से घ…