Textbook Questions and Answers
Understanding the Text :
1. Pick out examples from the text that show Bergman's
sensitivity to sensory impressions which have made him a great film-maker.
पाठ
में से उन उदाहरणों को छाँटिए जो बर्गमन के ज्ञानेन्द्रियों से सम्बन्धित प्रभावों
की भावुकता को प्रकट करते हैं जिन्होंने उसे एक महान फिल्म निर्माता बना दिया है।
Answer
: The text is replete with the different examples of Bergman's sensitivity.
During his shooting of 'The Virgin Spring' at Northern Province - Dalarna, it
was very cold and they were dressed properly. They had their equipments and
were properly being assisted by actors, electricians, makeup men, script girl
etc. All of a sudden they saw some cranes floating in a circle above their heads.
He realized that it was extremely difficult to shoot movie in Sweden.
Through
his sensory organs, he heard sweet music, sound of flowing water, piano music
and all that came from the remarkable picture of Venice. He used an apparatus
with which he could sway his audience in a highly emotional manner-make them
laugh, scream with fright, smile, believe in fairy tales, feel shocked,
charmed, deeply moved or perhaps yawn with boredom. He conjured the tricks very
effectively.
पाठ
बर्गमन के भावुकता के विभिन्न उदाहरणों से परिपूर्ण है। जब वह अपनी फिल्म 'The
Virgin Spring' की उत्तरी राज्य डलारना में शूटिंग कर रहा था, तब वहाँ अत्यधिक ठण्ड
थी और वे उचित वस्त्र धारण किए हुए थे। उनके पास अपने उपकरण थे और उन्हें नायकों, विद्युतकर्मियों,
रंगदीपन करने वालों, लिपिबद्ध करने वाली लड़की इत्यादि से पूर्ण सहायता प्राप्त हो
रही थी। अचानक, उन्होंने अपने सिर के ऊपर गोल घेरे में उड़ते हुए कुछ सारस देखे। उसने
महसूस किया कि स्वीडन में किसी फिल्म की शूटिंग करना अत्यन्त कठिन है।
अपनी
ज्ञानेन्द्रियों से उसने मधुर संगीत सुना, पानी के बहने की आवाज सुनी, पियानो का संगीत
सुना और यह सब वेनिस के एक शानदार चित्र से आ रहा था। उसने एक यंत्र का प्रयोग किया,
जिससे वह अपने दर्शकों को अत्यन्त उच्च भावनात्मक तरीके से ले जा सकता था-उन्हें हँसा
सकता था, भय से चीख निकलवा सकता था, मुस्कराना, परी कथाओं में विश्वास, आश्चर्यचकित,
आकर्षित, अत्यन्त द्रवित और शायद उबाऊपन से उबासी दिलवा सकता था। वह जादू जैसी गतिविधियाँ
बड़े प्रभावपूर्ण तरीके से कर सकता था।
2. What do you understand of the complexity of the little
invisible steps that go into the making of a good film?
आप
छोटे अदृश्य कदमों की जटिलता से क्या समझते हैं जो कि एक अच्छी फिल्म के निर्माण के
दौरान आते हैं?
Answer
: There are so many things which have very complicated and difficult in film
making. They are transformation of rhythms, moods, atmosphere etc. Then comes
dialogue. It is an invisible step that go into the making of a good film. This
is the only thing that can be transferred from that original complex of rhythms
and moods.
To
write dialogues, one eeds a technical as well as imaginative skills and
feelings. Even after writing dialogues, there arise some problems regarding its
delivery, rhythm and tempo. The author tries to get instructions regarding
location, characterization, and atmosphere into his screenplays but success
depends upon the ability of writing and perception of the readers which are not
always predictable.
बहुत-सी
ऐसी चीजें हैं जो फिल्म निर्माण में अत्यन्त जटिल और कठिन हैं। वे लयबद्धता, मानसिकता,
वातावरण आदि का रूपान्तरण हैं। उसके बाद संवाद आते हैं। यह एक अदृश्य कदम होता है जो
कि फिल्म निर्माण के दौरान उठाया जाता है। यह एकमात्र ऐसी बात होती है जिसे वास्तविक
जटिल लयात्मकता एवं मानसिकता से परिवर्तित किया जा सकता है।
संवाद
लिखने के लिए, व्यक्ति को तकनीकी के साथ-साथ कल्पनाशील कुशलता एवं भावनाओं की आवश्यकता
होती है। संवाद लिखने के बाद भी उसके बोलने की कला, लयबद्धता और मानसिकता से सम्बन्धित
समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। लेखक अपनी फिल्मों में स्थान, चरित्र चित्रण एवं वातावरण
से सम्बन्धित निर्देश प्राप्त करने की कोशिश करता है लेकिन सफलता पाठकों के दृष्टिकोण
एवं लेखन की योग्यता पर निर्भर करती है जिसकी कभी भी भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है।
3. What are some of the risks that film-making
involves?
वे
कौन-कौन से जोखिम होते हैं जो फिल्म निर्माण में शामिल रहते हैं?
Answer
: According to the author, à film is essentially a story told in motion. There
is a series of moving pictures through which the story is interpreted to the
common man. So it is essential that the story should be set in a way that it is
understood by the common man. But film industry is facing a threat of failure,
criticism and indifference.
Due
to their high ambition, the film-makers should take care about their initiative
and creative ability which is almost vanished from film industry. If the
film-maker fails to convey his message, it will fall flat and become a great
failure. The author struggles hard to attract the people to see his film
otherwise it will prove to be fruitless. It will become a huge risk in the
process of film-making. So they should use their skills for the entertainment
of the people instead of concentrating their selfishness.
लेखक
के अनुसार, फिल्म आवश्यक रूप से चलचित्रों के माध्यम से कही गई एक कहानी होती है। यह
एक चलते-फिरते चित्रों की श्रृंखला होती है जिसके माध्यम से कहानी की साधारण लोगों
के लिए व्याख्या की जाती है। अत: यह आवश्यक है कि कहानी को इस प्रकार निर्धारित किया
जाए कि उसे एक साधारण व्यक्ति भी समझ ले लेकिन फिल्म उद्योग असफलता, आलोचना और तटस्थता
की धमकी का सामना कर रहा है।
अपनी
उच्च महत्त्वाकांक्षा के कारण फिल्म निर्माताओं को अपनी पहल और सृजनात्मक योग्यता का
ध्यान रखना चाहिए जो कि फिल्म उद्योग से लगभग समाप्त हो गई है। यदि फिल्म निर्माता
अपने सन्देश को प्रसारित करने में असफल हो जाएगा तो वह पूरी तरह प्रभाव डालने में असफल
हो जाएगी और एक भयानक असफलता बन जाएगी। लेखक अपनी फिल्म को दर्शकों को दिखाने के लिए
कठोर परिश्रम करता है अन्यथा वह अनुपयोगी हो जाएगी। यह फिल्म निर्माण की प्रक्रिया
में एक बड़ी जोखिम होगी। अत: उन्हें अपनी कुशलता का उपयोग लोगों के मनोरंजन के लिए
करना चाहिए बजाय कि वे अपने स्वार्थ पर अपना ध्यान केन्द्रित करें।
4. What misgivings does Bergman have about the contemporary
film industry?
बर्गमन
को समकालीन फिल्म उद्योग के बारे में क्या आशंका है?
Answer
: Bergman was a great film-maker. He opines that the contemporary film industry
believes in the creation of only original work. It is the time when the artist
remains unknown and his work is considered the glory of God. It was their
belief to seclude themselves and create work in solitude. The artist does not
tolerate even a smallest blot on his ego so he prefers has isolatory creation.
But they fail to understand that film-making is a continuous process. Everyone
takes inspiration and learning from one other.
The
author greatly advocates that the ultimate source of knowledge is learning from
one another. The author wishes that the contemporary film industry should make
collective efforts with positive and broad-minded attitude. When we become
selfish, we find ourselves unable to identify between true and false and
gangster's whim and the purest ideals. Only then, a person may get success in
film industry.
बर्गमन
एक महान फिल्म निर्माता थे। उनका मत है कि समकालीन फिल्म उद्योग का विश्वास के वास्तविक
कार्य के सृजन में है। यह वह है जब कलासाधक अज्ञात रहता है और उसका कार्य ईश्वर के
यश की तरह माना जाता है। वे अपने आप को एकान्त में रखते थे और एकान्त में अपना कार्य
करते थे। कलासाधक अपने अहम् पर कोई छोटा-सा धब्बा भी नहीं आने देता है इसलिए वह एकाकी
सृजन को ज्यादा महत्त्व देता है।
लेकिन
वे यह समझने में असफल हो जाते हैं कि फिल्म निर्माण एक सतत् प्रक्रिया है। प्रत्येक
व्यक्ति एक-दूसरे से प्रेरणा लेता है और सीखता है । लेखक अत्यधिक रूप में समर्थन करता
है कि ज्ञान का चरम बिन्दु एक-दूसरे से सीखना ही है। लेखक इच्छा व्यक्त करता है कि
समकालीन फिल्म उद्योग को सकारात्मक और विशाल मानसिक दृष्टिकोण के साथ सामूहिक प्रयास
करने चाहिए। जब हम स्वार्थी हो जाते हैं तो हम स्वयं को सत्य और झूठ तथा अपराध तथा
पवित्रतम आदर्शों को पहचानने में असमर्थ हो जाते हैं। केवल तभी कोई व्यक्ति फिल्म उद्योग
में सफलता प्राप्त कर सकता है।
5. Compare Bergman's views about making films out of books
with that of Umberto Eco's.
बर्गमन
की पुस्तकों के आधार पर फिल्म निर्माण के विचारों की अम्बर्टो ईको के विचारों से तुलना
कीजिए।
Answer
: Bergman is of the opinion that a novel cannot be put into a film completely
so he wants that film-makers should avoid film-making out of books. It is quite
impossible for a film director to translate the literary theme into visual
terms. So it destroys the special, irrational dimension of the film. A book
helps a person triggering the intellectual faculty while film helps triggering
the emotions. This is the reason why Bergman thinks that the film made out of a
book has no its originality.
He
thinks that the individual effect of each of these two arts forms on the
audience is starkly different from each other.On the other hand, Umberto Eco
asked his publishers not to sell the rights of the novel to Cinema. He believes
that the novel finds its zenith of popularity when it is converted into a
movie. So the film indirectly helps the novel. This practice hurts a novelist.
The character is shown quite different in a film than that of in a novel.
बर्गमन
का मत है कि कोई उपन्यास पूरी तरह से फिल्म में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है अत:
वह चाहता है कि फिल्म निर्माताओं को पुस्तक के आधार पर फिल्म निर्माण से बचना चाहिए।
किसी फिल्म निर्देशक के लिए साहित्यिक विषय वस्तु को दृश्य शब्दों में अनुवादित करना
पूरी तरह से असम्भव है। अतः यह फिल्म के विशेष तार्किक स्वरूप को नष्ट कर देता है।
एक पुस्तक व्यक्ति की बौद्धिक क्षमताओं को बढ़ावा देती है जबकि फिल्म व्यक्ति की भावनाओं
में वृद्धि करती है।
यही
कारण है कि बर्गमन सोचता है कि जो फिल्म पुस्तकीय आधार पर तैयार होती है उसमें वास्तविकता
नहीं होती है। वह सोचता है कि इन दोनों कलाओं के व्यक्तिगत प्रभाव एक-दूसरे से कठोरता
से दर्शकों के ऊपर अलग-अलग प्रभाव डालते हैं। दूसरी ओर, अम्बर्टो ईको ने अपने प्रकाशकों
से उपन्यास के अधिकार सिनेमा को बेचने से इन्कार किया।
उसका
विश्वास है कि उपन्यास अपनी लोकप्रियता के सर्वोच्च शिखर पर तब पहुँचता है जब उसे फिल्म
में परिवर्तित कर दिया जाता है। अतः फिल्म अप्रत्यक्ष तौर पर उपन्यास की सहायता करता
है। यह एक उपन्यासकार को दुख पहुँचाता है। एक फिल्म में दिखाया गया पात्र, उपन्यास
में दिखाये गये पात्र से बिल्कुल भिन्न होता है।
Talking about the Text :
1. According to the author, split-second impressions form a
‘mental state, not an actual story, but one abounding in fertile associations
and images'. Compare this with Virginia Woolf's experiment with the stream of
consciousness technique in ‘The Mark on the Wall'.
लेखक
के अनुसार, विखण्डित द्वितीय प्रभाव 'मानसिक स्थिति का निर्माण करते हैं, वास्तविक
कहानी का नहीं, यहाँ पर एक उर्वरा संगठन और छवियों का निर्माण होता है।' इसकी तुलना
वर्जीनिया वुल्फ के The Mark on the Wall में Stream of Consciousness तकनीक के प्रयोग
से कीजिए।
Answer
: The description of split second impressions by Ingmar Bergman is quite
similar to the technique of stream of consciousness by Virginia Woolf in her
The Mark on the Wall. Woolf has presented a series of different images when she
jumps, skips, and hops from one thought to the other by putting different
images in The Mark on the Wall.
Virginia
Woolf presents insight of her mind. She puts different images but these images
do not form actual stories. She presents figments of her thoughts and views. In
Film Making, Bergman talks about the split second impressions that becomes the
theme of the film. These impressions do not form an actual story but helps in
forming a mental state abounding in images and fertile associations. These
primary elements strive hard to get definite form.
इंगमर
बर्गमन द्वारा विखण्डित द्वितीय प्रभावों का वर्णन The Mark on the Wall में वर्जीनिया
वुल्फ द्वारा stream of consciousness तकनीक के समान ही है । वुल्फ ने छवियों की एक
श्रृंखला को प्रस्तुत किया है जब वह उछलती है, कूदती-फांदती है। जब वह The Mark on
the Wall में विभिन्न छवियों को एक विचार से दूसरे विचार की ओर प्रस्तुत करती है। वर्जीनिया
वुल्फ अपने मस्तिष्क की अन्तर्दृष्टि को प्रस्तुत करती है।
वह
विभिन्न छवियों को प्रस्तुत करती है परन्तु ये छवियाँ वास्तविक कहानी को प्रस्तुत नहीं
करती हैं। वह अपने विचारों और दृष्टिकोणों को अवास्तविक रूप से प्रस्तुत करती है।
Film Making में बर्गमन विखण्डित द्वितीय प्रभावों को प्रस्तुत करता है जो कि फिल्म
की विषयवस्तु बन जाते हैं। ये प्रभाव एक वास्तविक कहानी नहीं बनते हैं बल्कि उर्वरा
संगठन और छवियों से परिपूर्ण विखण्डित द्वितीय प्रभावों के बारे में मानसिकता का निर्माण
करते हैं। ये प्रारम्भिक तत्व निश्चित स्वरूप प्राप्त करने के लिए कठोर श्रम करते हैं।
2. Bergman talks about the various influences in his life
including his parents and his religious upbringing. To what extent are an
individual's achievements dependent on the kind of influences he or she has
had, in life? Discuss.
बर्गमन
अपने जीवन में अपने माता-पिता और अपने धार्मिक पालन-पोषण के बारे में विभिन्न प्रभावों
का वर्णन करता है। किस सीमा तक व्यक्ति की उपलब्धियाँ उसके जीवन में प्राप्त किये गये
प्रभावों के प्रकार पर आधारित हैं? व्याख्या कीजिए।
Answer
: A person gets different kinds of experiences and influences throughout his
life. The experiences and influences always remain with him and help him in
shaping his nature and personality. This is the reason these influences play a
vital role in his success. So is true with Bergman. He depicts a picture of his
childhood reminiscences including his religious upbringing which finally shaped
his career as an eminent filmmaker.
No
doubt, a child is the best imitator and if his parents are sensitive and
sympathetic enough, he learns all their virtues and develops them into his own
personality. He develops the virtues of efficiency, regularly, hard working,
sincerity, punctuality, financial responsibilities etc.
In
fact, a person's personality is an amalgamation of thoughts, feelings and
behaviour. Such person can never be a selfish person. He always thinks broadly
and cares about everyone. Bergman's virtues including religious upbringing
helped him to shape his personality and finally his career.
एक
व्यक्ति अपने सम्पूर्ण जीवनकाल में विभिन्न प्रकार के अनुभव और प्रभाव प्राप्त करता
है। अनुभव और प्रभाव हमेशा उसके साथ रहते हैं और उसकी प्रकृति और व्यक्तित्व को निखारने
में सहायता करते हैं। यही कारण है कि ये प्रभाव उसकी सफलता में अत्यधिक महत्त्वपूर्ण
भूमिका निभाते हैं। यही बात बर्गमन के साथ सही सिद्ध होती है। वह अपने धार्मिक पालन-पोषण
को शामिल करते हुए अपने बचपन की स्मृतियों के चित्र खींचता है जिन्होंने अन्त में एक
महान फिल्म निर्माता के रूप में उसके व्यवसाय को संवारा।
निःसन्देह,
एक बच्चा सर्वश्रेष्ठ नकल करने वाला होता है और यदि उसके माता-पिता समझदार और सहानुभूतिपूर्ण
हैं तो वह उनके सारे गुण सीख लेता है और उन्हें अपने व्यक्तित्व में विकसित कर लेता
है। वह क्षमता, निरन्तरता, कठिन परिश्रम, गम्भीरता, समयबद्धता, आर्थिक उत्तरदायित्व
इत्यादि गुणों को विकसित कर लेता है ।
वास्तव
में, एक व्यक्ति का व्यक्तित्व विचार, भावनाओं और व्यवहार का मिश्रण होता है। ऐसा व्यक्ति
कभी स्वार्थी व्यक्ति नहीं हो सकता है। वह हमेशा विस्तृत रूप से सोचता है और प्रत्येक
व्यक्ति की चिन्ता करता है। बर्गमन के धार्मिक पालन पोषण को शामिल करते हुए उसके गुणों
ने उसके व्यक्तित्व और अन्त में उसके व्यवसाय को संवारने में सहायता की।
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: 151
1. What childhood memories does the author recollect that
had a bearing on his later involvement with film-making?
बचपन
की कौनसी स्मृतियों को लेखक याद करता है जो बाद में उसके फिल्म निर्माण में शामिल होने
का आधार बनी?
Answer
: The childhood memories that led the author to film making starts with the
setting projector with its chimney and lamp. He says that he found both the
instruments mystifying and fascinating. He recalls that he produced his first
film which was nine feet long and brown in colour. In the film, there was a
girl lying asleep in a meadow.
After
some time, she wake up and stretched out her arms and then disappeared to the
right. The film was a great success and it was projected every night until it
brokse and could not mended anymore. He talks that cinematography is based on
deception of the human eye. He memorises that his grandmother had a very large
apartment in Upasala where he used to listen the Cathedral bells.
बचपन
की स्मृतियाँ जो लेखक को फिल्म निर्माण की ओर लेकर गईं वह तब शुरू होती हैं जब उसे
एक प्रोजेक्टर मिला जिसमें चिमनी और लैम्प लगे हुए थे। वह कहता है कि उसे मिले हुए
दोनों ही उपकरण रहस्यमय और आकर्षक थे। वह याद करता है कि उसने अपनी फिल्म बनाई जो नौ
फीट लम्बी थी और उसका रंग भूरा था।
फिल्म
में, एक लड़की घास के मैदान में लेटी हुई सो रही थी। कुछ समय पश्चात, वह जाग गई और
उसने हाथ फैलाये और उसके बाद दायीं ओर को वह अदृश्य हो गई। फिल्म अत्यधिक सफल हुई और
हर रात इसका प्रदर्शन होता था जब तक कि वह टूट नहीं गई और अब उसकी मरम्मत भी नहीं हो
सकती थी। वह बताता है कि फिल्म निर्माण कला मानवीय नेत्रों को धोखा देना है। वह याद
करता है कि उसकी दादी का उपासला में एक बड़ा घर था जहाँ पर वह चर्च की घण्टियों की
आवाज सुना करता था।
2. What connection does the author draw between film-making
and conjuring?
लेखक
फिल्म निर्माण और जादू करने जैसी हाथ की सफाई के बीच क्या सम्बन्ध बताता है?
Answer
: The author lays stress on the film making and conjuring and says that both
the arts are almost the same. He recalls his childish excitement of being a
conjure. To make a film of one hour, he sits twenty seven minutes in complete
darkness. He uses an apparatus which is used to take advantage of certain human
weaknesses.
Through
the apparatus, he takes his audience in a highly emotional manner and make them
laugh, scream with fright, smile, believe in fairy stories, become indignant,
feel shocked, charmed, deeply moved or yawn with boredom. Thus, in film making,
he uses tricks for the audience to spell bound them.
लेखक
फिल्म निर्माण एवं जादू करने जैसी हाथ की सफाई पर जोर देता है और कहता है कि दोनों
ही कलाएँ लगभग एक जैसी हैं। वह याद करता है जब वह अपने बचपन के उत्साह कों जादू दिखाने
में महसूस करता था। एक घण्टे की फिल्म बनाने में, वह सत्ताईस मिनट पूर्व अन्धकार में
बैठता है। वह एक उपकरण का प्रयोग करता है जिसका उपयोग कुछ निश्चित मानवीय कमजोरियों
का लाभ लेने के लिए किया जाता है।
उपकरण
के माध्यम से, वह अपने दर्शकों को अत्यन्त उच्च भावनात्मक स्थिति में ले जाता है और
उन्हें हँसाता है, भय से चीख निकलवाता है, मुस्कराता है, उन्हें परीकथाओं में विश्वास
दिलाता है, क्रुद्ध हो जाता है, झटका महसूस करता है, आकर्षित करता है, अत्यन्त द्रवित
करता है अथवा उबाऊपन से जमुहाई दिलवाता है। इस प्रकार, फिल्म निर्माण में, वह जादू
जैसी चालें अपने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देने के लिए करता है।
Page
: 154
1. What is the nature of the first impressions that form
the basis for a film?
पहले
प्रभावों की क्या प्रकृति होती है जो फिल्म के लिए आधार बनाते हैं?
Answer
: According to the author, the first impressions that form the basis for a film
are the elements which are not clear in mind. These elements may be a bit of
conversation, a shaft of light, a few bars of music or a hazy and unrelated
event. He mentions that to make films, conditions, pensions, pictures, rhythms
and characters are important.
The
author tells that the more definite and clear the marching orders, the easier
it is to reach the goal which is the basis of his conduct as director. He is of
the opinion that script is a very imperfect technical basis for a film. No
doubt, the ideas take place in our mind. They appear and disappear but leave
everlasting pleasant dreams and become part and parcel of the film but they do
not become a part of the actual story.
लेखक
के अनुसार, प्रथम प्रभाव जो कि किसी फिल्म के लिए आधार बनते हैं वे तत्व होते हैं जो
मस्तिष्क में स्पष्ट नहीं हैं। ये तत्व वार्तालाप, रोशनी की किरण, संगीत की कुछ धुनें
अथवा अस्पष्ट और बिना सम्बन्ध की घटनाएं हो सकती हैं। वह बताता है कि फिल्म बनाने के
लिए स्थितियाँ, तनाव, चित्र, लयबद्धता और पात्र महत्त्वपूर्ण हैं ।
लेखक
बताता है कि आगे का लक्ष्य जितना ज्यादा निश्चित और स्पष्ट होगा, उतना ही लक्ष्य को
प्राप्त करना सरल होगा जो कि एक निर्देशक के रूप में उसके लिए आधार बनता है। उसका मत
है कि किसी फिल्म के लिए लिपि अत्यन्त अपूर्ण तकनीकी आधार है। निःसन्देह, विचार हमारे
मस्तिष्क में जन्म लेते हैं। वे आते हैं और जाते हैं लेकिन स्थायी सुखद स्वप्न छोड़
जाते हैं और फिल्म के आवश्यक अंग बन जाते हैं लेकिन वे वास्तविक कहानी का हिस्सा नहीं
बन पाते हैं।
2. Which art form is film-making closest to? What is the
reason for the similarity?
कौन
सी कला फिल्म निर्माण के सबसे नजदीक है ? इस समानता का क्या कारण है ?
Answer
: According to the author, music is essential for film making. Music is closest
to film making. He claims that there is no art form that has so much in common
with film as music and its impressive rhythm. If there is no music in the film,
it will become only a dead product of a factory.
No
film can get success without the rhythm of music. Music directly effects our
body, mind and soul. The author recalls that he has always been a music lover
since his childhood. Music has been a source of delight and recreation for him.
Thus, he proves that music is the closest form to film making.
लेखक
के अनुसार, फिल्म निर्माण के लिए संगीत आवश्यक है। संगीत फिल्म निर्माण के सबसे पास
है। वह दावा करता है कि ऐसा कोई भी कला का स्वरूप नहीं है जो फिल्म निर्माण में इतना
ज्यादा समान उपयोगी हो जितना संगीत और उसकी प्रभावपूर्ण लयबद्धता। यदि फिल्मों में
संगीत नहीं होगा तो यह किसी कारखाने का मृत उत्पाद हो जाएगा।
बिना
संगीत की लयात्मकता के कोई भी फिल्म सफलता प्राप्त नहीं कर सकती है। संगीत हमारे शरीर,
मस्तिष्क और आत्मा पर सीधा प्रभाव डालता है। लेखक याद करता है कि वह अपने बचपन से ही
हमेशा संगीतप्रेमी रहा है। संगीत उसके लिए खुशी और मनोरंजन का स्रोत रहा है। इस प्रकार,
वह सिद्ध करता है कि संगीत फिल्म निर्माण के सबसे पास का स्वरूप है।
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156.
1. Quite often a film made out of a book is not very
successful. Discuss.
अकसर
प्रायः कोई फिल्म जो किसी पुस्तक पर आधारित होती है, ज्यादा सफल नहीं होती है। व्याख्या
कीजिए।
Answer
: The author is of the opinion that there is a great difference between film
and literature. So it is necessary that making films out of books should be
avoided. The irrational dimension of a literary work is often unable to be translated
into visual terms and if it is done, it destroys the special, irrational
dimension of the film.
It
also enforces to make an infinite number of complicated adjustments of
literature to make a film. The author does not want to be an author or write
novels, short stories, essays, biographies or even plays for the theatre. What
he wants to make are films about conditions, tensions, pictures, rhythms and
characters. It is very difficult to convert a book script into a motion
picture. A film based on book has no originality. So, film made out of a book
is not very successful.
लेखक
का मत है कि फिल्म और साहित्य में अत्यधिक भिन्नता होती है। अत: यह आवश्यक है कि पुस्तकों
के आधार पर फिल्म निर्माण को नजरन्दाज किया जाना चाहिए। साहित्यिक कार्य के अतार्किक
स्वरूप को प्रायः दर्शनीय स्वरूप में परिवर्तित किया जाना असम्भव होता है और यदि ऐसा
किया जाता है तो यह फिल्म के विशेष, अतार्किक स्वरूप को नष्ट कर देता है। यह फिल्म
बनाने के लिए साहित्य में अनन्त रूप से जटिल समायोजन करने के लिए बाध्य करता है।
लेखक
की इच्छा लेखक बनने अथवा उपन्यास, लघु कहानियाँ, जीवनी, निबन्ध अथवा प्रेक्षागृह के
लिए नाटक तक लिखने की नहीं थी। वह जो कुछ भी बनाना चाहता है, वह फिल्में हैं जिन्हें
वह स्थिति, तनाव, चित्र, लयबद्धता और चरित्रों के बारे में बनाना चाहता है। किसी पुस्तक
की लिपि को चलते-फिरते चित्रों में परिवर्तित करना अत्यन्त कठिन कार्य है। पुस्तक पर
आधारित किसी फिल्म में वास्तविकता नहीं होती है। इसलिए, किसी पुस्तक पर आधारित फिल्म
बहुत ज्यादा सफल नहीं होती है।
2. What, according to Bergman, is the relationship between
a film-maker and his audience?
बर्गमन
के अनुसार, फिल्म निर्माता और उसके दर्शकों के बीच क्या सम्बन्ध होता है?
Answer
: Bergman advocates the free relationship between film-maker and his audience.
He thinks that a film-maker and his audience have equal rights and importance
and so are the critics and reviewers also. He thinks that the audience have
right to comment about the film as he sees it. They should interpret the film
according to their own mind.
The
author does not want to interpret his work to others. He does not want to prompt
the critics what to think. He wants his audience either to be attracted or
repelled. He clearly thinks that a film is made to create reaction. That is why
he openly admits that if the audience do not react one way or another, it is an
indifferent work which is worthless.
बर्गमन
फिल्म निर्माता एवं उसके दर्शकों के बीच स्वतन्त्र सम्बन्ध का समर्थक है। वह सोचता
है कि एक फिल्म बनाने वाले और उसके दर्शकों को समान अधिकार और महत्ता है और इसी प्रकार
आलोचक और समीक्षक होते हैं। वह सोचता है कि दर्शकों को फिल्म पर टिप्पणी करने का पूरा
अधिकार है जैसा कि वह फिल्म को देखते हैं। उन्हें फिल्म की व्याख्या अपनी सोच के अनुसार
करनी चाहिए। लेखक अपने कार्य की दूसरों के लिए व्याख्या करना नहीं चाहता है।
वह
आलोचकों को यह बताना नहीं चाहता है कि वे क्या सोचें। वह चाहता है कि उसके दर्शक या
तो आकर्षित हों अथवा विकर्षित। वह स्पष्ट रूप से सोचता है कि एक फिल्म का निर्माण प्रतिक्रिया
उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। यही कारण है कि वह स्पष्ट रूप से स्वीकार करता है
कि यदि दर्शक इस प्रकार या उस प्रकार से प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करते हैं तो यह तटस्थ
कार्य है जो कि मूल्यहीन है।
Page
159.
1. What is the story of the Cathedral of Chartres and how
does the author relate it to his profession?
Chartres
के कैथीड्रल की क्या कहानी है और लेखक उसे किस प्रकार अपने व्यवसाय से सम्बन्धित करता
है?
Answer
: While telling about the old story, the author tells us about the Cathedral of
Chartres. This Cathedral was burnt to ashes and ruined completely. Then it was
thought to rebuild it. Then, thousands of people came to complete the task.
Several artists came with their instruments to take part in its rebuilding.
Different kinds of people were there including master builders, artists,
labourers, clowns, noblemen, priests etc.
They
all worked hard to rebuild it on its old side. But they all remained anonymous
and no one knows to this day who built the Cathedral of Chartres. The author
wants to convey the idea that it was a collective effort of the people without
giving individual importance. He tells that while making a film, he gives
importance to team work not to individual. This is the secret of his success.
पुरानी
कहानी के बारे में बताते हुए, लेखक हमें Chartres के कैथीडल के बारे में बताता है।
यह कैथील जलाकर राख कर दिया गया था और पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया था। उसके बाद उसे
पुनः बनाने का विचार आया। उसके बाद हजारों लोग इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए आये।
अनगिनत कलाकार अपने उपकरणों के साथ उसे पुनः बनाने के कार्य में भाग लेने के लिए आये।
उनमें विभिन्न प्रकार के लोग थे जिनमें मुख्य निर्माणकर्ता, कलासाधक, मजदूर, विदूषक,
दरबारी लोग, पुजारी आदि शामिल थे।
उन्होंने
उसे उसकी पुरानी जगह पर बनाने के लिए कठिन परिश्रम किया परन्तु वे सभी अज्ञात बने रहे
और आज तक यह कोई नहीं जानता कि Chartres का कैथीड्रल किसने बनाया। लेखक यह विचार व्यक्त
करना चाहता है कि यह लोगों का एक सामूहिक प्रयास था जिसमें किसी को व्यक्तिगत महत्त्व
प्रदान नहीं किया गया। वह बताता है कि फिल्म बनाते समय, वह टीम के कार्य को महत्त्व
देता है किसी व्यक्ति को नहीं। यही उसकी सफलता का रहस्य है।
2. What are some of the flaws of the world of film-making
today?
आज
फिल्म निर्माण की दुनिया में स्थित दोषों में से कुछ दोष क्या हैं?
Answer
: According to the writer, today, the individualism is on the highest pedestal.
It is the greatest bane of artistic creation. No one is ready to tolerate even
the smallest wound. Such wound is considered to be of the eternal importance.
The artist considers his isolation, his subjectivety, his individualism almost
holy. We groan about our loneliness without listening to each other.
We
do not consider that while doing so, we are killing one another to death. The
people stare into each other's eyes but deny the existence of others. We become
so limited that we walk into circles. We become so full of anxiety that we can
no longer distinguish between true and false. Even we find ourselves between
the gangster's whim and to purest ideals.
लेखक
के अनुसार, आज व्यक्तिवाद अपने सर्वोच्च स्तर पर है। यह कलात्मक सृजन की सबसे बड़ी
बाधा है। कोई भी व्यक्ति छोटी-से-छोटी परेशानी सहन करने के लिए तैयार नहीं है। इस तरह
की परेशानी को अमर महत्त्व की माना जाता है। कलासाधक अपने एकाकीपन को, अपने व्यक्तित्व
को, अपने व्यक्तिवाद को लगभग पवित्र मानता है। हम बिना दूसरों को सुने अपने एकाकीपन
के बारे में शिकायत करते हैं।
हम
यह नहीं मानते हैं कि ऐसा करते समय हम एक-दूसरे को जान से मार रहे हैं। लोग एकदूसरे
की आँखों में झाँकते हैं लेकिन दूसरों के अस्तित्व से इन्कार करते हैं। हम इतने संकीर्ण
हो जाते हैं कि हम केवल अपने चक्र में ही रहते हैं। हम इतनी परेशानियों में भर जाते
हैं कि हम सत्य और असत्य के बीच भी अन्तर नहीं कर पाते हैं। यहाँ तक कि हम स्वयं को
असामाजिक तत्वों की सनक और पवित्रतम आदर्शों के बीच पाते हैं।
Appreciation :
1. Autobiographical accounts make interesting reading when
the author selects episodes that are connected to the pursuit of excellence.
How does this apply to Ingmar Bergman's narration of the details of
film-making?
जब
लेखक उन कहानियों का चयन करता है जो उसके उच्चता की तलाश से सम्बन्धित होती हैं तो
आत्मकथनात्मक पृष्ठभूमि अत्यन्त रोचक हो जाती है। यह बात किस प्रकार इंगमर बर्गमन के
वर्णन पर Film Making में लागू होती है?
Answer
: It is a true fact that autobiographical elements certainly enhance the
interest in the reading of a literary task. Bergman also shares the various
anecdotes with his readers. He talks about his personal experiences as a
film-maker. His autobiographical account helps him a lot to connect his readers
on a personal level. In the beginning of the story, he tells about his
experience when he was shooting 'The Virgin Spring' in the northern Dalarna
when suddenly, they saw several cranes floating over their heads.
This
incident reminds him how dangerous film-making in Sweden is. He portrays his hunger
for perfection as a film director. He talks about the difference between film
and literature. He used to hear Cathedral bells and experienced sunshine from
the big windows. He enjoyed the music of piano from the next apartment. The
large picture of Venice is magical for him. Thus, his autobiographical elements
add a lot to his filmmaking and make his writing interesting.
यह
एक सत्य तथ्य है कि आत्मकथनात्मक तत्व निश्चित रूप से किसी साहित्यिक कार्य में रुचि
को अत्यधिक बढ़ाते हैं। बर्गमन भी अपने पाठकों के साथ विभिन्न कहानियों को साझा करता
है। वह फिल्म निर्माता के रूप में अपने व्यक्तिगत अनुभवों के बारे में बताता है। उसकी
आत्मकथनात्मक सची उसे व्यक्तिगत रूप से पाठकों से संयोजित करने में अत्यधिक सहायक है।
कहानी के प्रारम्भ में, वह अपने अनुभव के बारे में बताता है जब वह उत्तरी डलारना में
'The
Virgin Spring' की शूटिंग कर रहा था जब अचानक उन्होंने अपने सिर के ऊपर उड़ते हुए बहुत
से सारस देखे। यह घटना उसे याद दिलाती है कि स्वीडन में फिल्म का निर्माण कितना कठिन
कार्य है । वह फिल्म निदेशक के रूप में पूर्णता' प्राप्त करने के लिए कितना बेचैन है,
उसे फिल्म में दिखाता है। वह फिल्म और साहित्य में अन्तर के बारे में बात करता है।
वह खिड़की में से आती हुई चर्च की घण्टियों की आवाज और धूप के अनुभव का आनन्द लेता
था। वह पड़ोस के घर से आते हुए पियानो के संगीत का आनन्द लेता था। वेनिस का बड़ा चित्र
उसके लिए जादुई है। इस प्रकार, आत्मकथनात्मक तत्व उसके फिल्म निर्माण में अत्यधिक योगदान
देते हैं और उसके लेखन को रोचक बनाते हैं।
2. Comment on the conversational tone of the narration.
Compare this with the very informal style adopted by Umberto Eco in the
interview.
वर्णन
वार्तालाप युक्त ध्वनि पर टिप्पणी करिए। अम्बर्टो ईको द्वारा अपने साक्षात्कार में
अपनाई गई अत्यन्त अनौपचारिक शैली से उसकी तुलना करिये।
Answer
: In his story 'Film Making,' Ingmar Bergman puts self explanatory description.
In the story, he describes his autobiography and self experience in a
conversational tone with an effective way of writing. He tricks and creates an
illusion by covering all aspects of his life from childhood to a fully
professional film-maker. But he puts everything in a conversational
manner.
Through
a conversational tone, the readers are connected on a personal level picking
out the incidents and relating them with their own lives. On the other hand,
Umberto Eco's interview is in an informal style which seems more close to
reading a documentary. It is based on dialogue pattern. It is contrary to
Bergman's conversational tone. Umberto Eco interprets only whatever is asked
from him. Thus, the reader remains aloof from the writer. Thus, Umberto Eco has
a confined scope while Bergman has a wide scope of narration.
'फिल्म
मेकिंग' कहानी में इंगमर बर्गमन अपने स्वयं के व्याख्यात्मक वर्णन प्रस्तुत करता है।
कहानी में, वह अपने प्रभावपूर्ण लेखन से आत्मकथनात्मक और स्वयं के अनुभव वार्तालाप
शैली में वर्णित करता है। वह अपने बचपन से लेकर पूर्ण व्यावसायिक फिल्म निर्माता होने
तक के सभी स्वरूपों को शामिल करता हुआ भ्रम का निर्माण करता है। लेकिन यह सब वह वार्तालाप
शैली में प्रस्तुत करता है। वार्तालाप शैली के माध्यम से पाठक व्यक्तिगत स्तर तक जुड़
जाते हैं जिसमें वे घटनाएँ उठाते हैं और उन्हें अपने जीवन से जोड़ते हैं।
दूसरी
ओर अम्बर्टो ईको का साक्षात्कार एक अनौपचारिक शैली है जो कि किसी वृत्तचित्र को पढ़ने
के समान प्रतीत होता है। यह संवाद शैली पर आधारित है। यह बर्गमन की वार्तालाप शैली
के विपरीत है। अम्बर्टो ईको केवल उन प्रश्नों के उत्तर देता है जो उससे पूछे जाते हैं।
इस प्रकार, पाठक लेखक से अलग-थलग रहता है । इस प्रकार, अम्बर्टो ईको का एक सीमित क्षेत्र
है जबकि बर्गमन का वर्णन का एक विस्तृत क्षेत्र है।
Language Work :
A. Vocabulary
Find out and write down the definitions of the following terms
used in the film industry : script project montage flashback stage prop
footlights
Answer
: Script : The written form of a play, film, speech etc. or a system of
writing.
Project
: A piece of work, often involving many people that is planned and organized
carefully or a collected information about a certain subject.
Montage
: A picture, film or piece of music that consists of many separate items put
together, especially in an interesting or unusual combination.
Flashback
: A part of a film, play etc. that shows something that happened earlier in
time than the main story.
Stage
Prop : A prop, formally known as property, is an object used on stage or screen
by actors or dancers during a performance or screen production.
Footlights
: Lights set in a row along the front of the stage floor and shielded on the
audience side.
B. Grammar Task
Analyse the parts of the following sentences according to the
pattern above :
(a) My association with film goes back to the world of
childhood.
(b) This is an almost impossible task.
(c) Thus the script is a very imperfect technical basis for a
film.
(d) I would play my part in the collective building of the
cathedral.
(e) The ability to create was a gift.
Answer
:
C. Pronunciation
TASK Mark the consonants that are left out or elided in the
following utterances
• new textbooks
• written scripts
• he must be ill
• mashed potatoes
Answer
:
•
new textbooks -/t/
•
written scripts - /w/
•
he must be ill - /t/
•
mashed potatoes - /e/
Tel
Things to do :
Think
of a particular episode that could be enacted. Now imagine that you are a
scriptwriter and write the screenplay for the first ten minutes of the episode,
in the following format
Answer
: Title : Sholay
Actors
: Dharmendra, Sanjeev Kumar, Hema Malini, Amitabh Bachchan.
Scene-1
Description
: A police officer whose family was killed by a bandit named Gabbar Singh,
decides to fight fire with fire and recruits two convicts = Jai and Veeru to
capture Gabbar. He approaches them in jail, puts the proposal in front of them
and they agree to bring in Gabbar Singh alive for a hefty price.
Dialogue
:
Thakur ........ ? welcome, sir ........ this way ........
:
I knew it the moment I received your letter Thakur .......
:
........ That you wished to meet me.
:
I took the first available train.
:
I'm putting you to some trouble, Jailor.
:
Not at all, Sir. Just name it ........ whatever it be.
:
I need two men. I......... Two?
:
Do you recognize them?
:
There's hardly a prison where they have not been held Thakur.
:
This is Veeru. I ........ and this is Jai.
:
They're crooks, both of them. Thieves of the first order.
:
I know.
Important Questions and Answers
Short Answer Type Questions :
1. What is the beauty of shooting in Sweden, according to
the writer?
लेखक
के अनुसार, स्वीडन में फिल्म बनाने में क्या सौन्दर्य होता है?
Answer
: According to the writer, there was a film setting for shooting of The Virgin
Spring in Dalarna in the month of May. Everybody there was in a helping mood
with the equipments to warm themselves. All of a sudden, they spotted some
cranes flying above their heads in the sky.
All
the people were so overwhelmed that they left their work to watch the beautiful
flight in the sky. Thus, the author realized the beauty of shooting in Sweden.
लेखक
के अनुसार, मई के महीने में डलारना में फिल्म निर्माण के लिए एक सैट लगा हुआ था, जिसका
नाम The Virgin Spring था। प्रत्येक व्यक्ति स्वयं को तैयार करने के लिए प्रत्येक की
सहायता करने की मानसिकता में था।
अचानक,
उन्होंने अपने सिर के ऊपर आकाश में उड़ते हुए कुछ सारसों को देखा। सभी लोग इतने भावविभोर
हो गये कि उन्होंने आकाश में इस सुन्दर उड़ान को देखने के लिए कार्य करना बन्द कर दिया।
इस प्रकार, लेखक ने स्वीडन में फिल्म निर्माण में सौन्दर्य को महसूस किया।
2. How does the author put a love picture of his
childhood?
लेखक
किस प्रकार अपने बचपन की सजीव तस्वीर प्रस्तुत करता है?
Answer
: The author has always been associated with films since his childhood. He used
to listen the sunshine flowing in through the windows of his grandmother's
apartment at Upasala. One morning in spring, he was spell bound to watch the
sunlight moving across a picture of Venice on the world. He was in the state of
trance and heard the sounds of Piano, the flowing of canal water, pigeon sound,
people talking and sounds of bells. He was fascinating towards them only at an
early age of five years.
लेखक
अपने बचपन से हमेशा फिल्मों से जुड़ा रहा है। वह उपासला में अपनी दादी के घर में खिड़कियों
से आती हुई धूप की आवाज को 'सुना' करता था। बसन्त की एक सुबह, वह वेनिस के दीवार पर
टंगे हुए चित्र में चलती-फिरती हुई धूप को देखकर मन्त्र-मुग्ध हो गया। वह किंकर्तव्यविमूढ़ता
की स्थिति में था और उसने पियानो की आवाज, बहती हुई नहर के पानी की आवाज, कबूतरों की
आवाज, लोगों के बात करने घण्टियों की आवाज को सुना। वह केवल पाँच वर्ष की आयु में इन
सबके प्रति आकर्षित हो गया।
3. Write a short note about Bergman's imagination.
बर्गमन
की कल्पनाशीलता पर एक लघु टिप्पणी लिखिए।
Answer
: The author was born and brought up in a vicarage family so he learnt
familiarity with life and death at an early age. His father performed funerals,
marriages, baptisms, gave advice and prepared sermons so his imagination
flourished a lot. In the child's mind, there was a need to personify him. He
got a magic lantern. He was unable to describe them yet it was a picture of
wickedness and temptation on the flowered wall of nursery.
लेखक
का जन्म पादरियों के परिवार में हुआ था इसलिए उसने अत्यन्त प्रारम्भिक उम्र में ही
जीवन और मृत्यु के बारे में सीख लिया था। उसके पिता अन्तिम संस्कार, शादियाँ, नामकरण
किया करते थे और सलाह देते थे तथा उपदेश तैयार करते थे। इसलिए उसकी कल्पनाशीलता अत्यधिक
फली-फूली। बालक के मस्तिष्क में इन सब चीजों के मानवीयकरण की आवश्यकता थी। उसे एक जादुई
लैन्टर्न मिल गई थी। वह उनका वर्णन नहीं कर सकता था लेकिन फिर भी यह बालकक्ष की फूलों
से युक्त दीवार पर एक दुष्टता तथा लालच का चित्र था।
4. How does Bergman form an idea for a movie?
बर्गमन
किसी फिल्म के लिए विचार किस प्रकार प्राप्त करता है?
Answer
: Bergman tells himself how he forms an idea for movie. A remarkable chance, a
few bars of music or even a shaft of light are enough for him to form an idea
for a movie. As soon as he thinks about these, an idea begins to soar high in
his mind. He thinks that more than an actual story, it is a mental state, a
feeling which can be carefully stretched out into a full length movie.
बर्गमन
स्वयं ही बताता है कि किसी फिल्म का विचार उसके मस्तिष्क में किस प्रकार आता है। एक
शानदार मौका, संगीत की कुछ धुनें अथवा रोशनी की एक किरण किसी फिल्म का विचार गठित करने
के लिए पर्याप्त है। वह ज्योंही इन सबके बारे में सोचता है, उसके मस्तिष्क में विचार
ऊँची उड़ान भरने लगता है। वह सोचता है कि किसी वास्तविक कहानी से भी ज्यादा, यह एक
मानसिक स्थिति होती है, एक भावना होती है जो कि किसी सम्पूर्ण फिल्म में परिवर्तित
की जा सकती है।
5. What do you know about dialogue?
आप
संवाद के बारे में क्या जानते हैं ?
Answer
: According to the writer, dialogue is an extremely sensitive part of a film.
Dialogues are like the music which have their own rhythm. Dialogues need
imagination and feelings. Dialogues are written keeping in mind the attitude of
the viewers. Everybody is not capable to write dialogue but if a person does
so, there is a great need to deliver dialogues with rhythm and tempo.
लेखक
के अनुसार, संवाद फिल्म का अत्यन्त भावुक अंश है। संवाद संगीत की तरह होते हैं जिनकी
अपनी लय होती है। संवादों में कल्पनाशीलता एवं भावनाओं की आवश्यकता होती है। संवाद
दर्शकों की मानसिकता को ध्यान में रखकर लिखे जाते हैं। प्रत्येक व्यक्ति संवाद लिखने
में समर्थ नहीं होता है लेकिन यदि कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो संवाद के प्रस्तुतिकरण
में लय और संगीत रचना की गति की अत्यधिक आवश्यकता है।
6. What is the relationship between film and
literature?
फिल्म
और साहित्य के बीच क्या सम्बन्ध होता है?
Answer
: The writer makes it clear that there is no relationship between film and
literature. Both are contrary to each other. When we experience a film, our
imagination becomes active. A literary work is often untranslatable into visual
terms and destroy the charm of the film. If we wish to translate something
literary into film terms, we must make an infinite number of conflicted
adjustments.
लेखक
यह स्पष्ट करता है कि फिल्म और साहित्य के बीच कोई सम्बन्ध नहीं होता है। दोनों ही
एक-दूसरे के विपरीत होते हैं। जब हम किसी फिल्म का अनुभव करते हैं तो हमारी कल्पनाशीलता
सक्रिय हो जाती है। कोई साहित्यिक कार्य सामान्यतः दर्शनीय शब्दों में अनुवादित नहीं
होता है और यह फिल्म का आकर्षण समाप्त कर देता है। यदि हम किसी साहित्यिक कार्य को
फिल्म में परिवर्तित करना चाहते हैं तो हमें अनन्त जटिल समायोजन करने पड़ते हैं।
7. What does the author say about his ambition?
लेखक
अपनी महत्त्वाकांक्षा के बारे में क्या कहता है ?
Answer
: The author says about his ambition that he has never had any ambition to be
an author. He does not want to write novels, short stories, essays, biographies
or even plays for theatre. He want to make films only. He makes motion pictures
with its complicated process of birth. He says that he is a film-maker, not an
author.
लेखक
अपनी महत्त्वाकांक्षा के बारे में कहता है कि उसकी लेखक बनने की कोई महत्त्वाकांक्षा
नहीं है। वह लघु कहानियाँ, उपन्यास, निबन्ध, जीवनी और यहाँ तक कि प्रेक्षागृह के लिए
नाटक भी लिखना नहीं चाहता है। वह चलती-फिरती फिल्म बनाता है जिसमें जटिल प्रारम्भिक
प्रक्रिया होती है। वह कहता है कि वह फिल्म निर्माता है, लेखक नहीं।
8. What does the author say about his working style?
लेखक
अपनी कार्यशैली के बारे में क्या कहता है ?
Answer
: The author says about his working style that when the shooting begins, the
most important thing is that those who work with him feel a definite contact.
All of them finish their conflicts through working together. They work only in
one direction for the sake of the work at hand. This is the basis of his
conduct as director and the reply about what has been said about him.
लेखक
अपनी कार्यशैली के बारे में कहता है कि जब शूटिंग प्रारम्भ होती है, तो सबसे महत्त्वपूर्ण
बात यह होती है कि जो लोग भी उसके साथ कार्य करते हैं, उनका एक निश्चित लक्ष्य होता
है। वे सभी साथ में कार्य करके अपने मतभेदों को समाप्त कर देते हैं। वे हाथ में लगे
हुए कार्य के कारण केवल एक ही दिशा में कार्य करते हैं। यही निर्देशक के रूप में उनका
कार्य करने का तरीका है और यही उसके बारे में जो कुछ कहा गया है, उसका उत्तर है।
9. What does the author say about his craftsmanship
today?
लेखक
आज के अपने शिल्प के बारे में क्या कहता है ?
Answer
: The author says that he has established certain standards. Today as a
filmmaker, he is conscientious, hard working and extremely careful. He always
does any work with utmost care. He uses marvellous craftsmanship in his films.
He is satisfied with his work and achievements and his pride is the pride of a
good craftsman.
लेखक
कहता है कि उसने कुछ निश्चित मानकों को स्थापित किया है। आज फिल्म निर्माता के रूप
में वह सतर्क, कठोर परिश्रमी और अत्यन्त सावधान है। वह किसी भी कार्य को अत्यन्त सावधानी
से करता है। वह अपनी फिल्मों में शानदार शिल्पकारी का प्रयोग करता है। वह अपने कार्य
और उपलब्धियों से सन्तुष्ट है और उसका गर्व एक शानदार शिल्पकार का गर्व है।
10. What are the troubles that the author face today?
वे
कौनसी कठिनाइयाँ हैं जिनका लेखक आज सामना कर रहा है?
Answer
: The author faces so many problems today. He feels that talent, initiative and
creative ability are needed for films but they have been destroyed by the film
industry in its cruel machine. What he used to think to be play earlier, now
has become struggle. Failure, criticism, public indifference all hurt more
today than yesterday and the brutality of the industry is exposed today.
लेखक
आज अत्यधिक कठिनाइयों का सामना कर रहा है। वह महसूस करता है कि योग्यता, पहल और सृजनात्मक
योग्यता की फिल्मों में आवश्यकता है लेकिन इन्हें फिल्म उद्योग ने अपनी क्रूर मशीन
से नष्ट कर दिया है। जिसे पहले वह एक खेल समझता था, अब वह संघर्ष बन गया है। असफलता,
आलोचना, लोगों की तटस्थता आज पहले की तुलना में ज्यादा पीड़ा देती है और उद्योग की
क्रूरता अब सबके सामने आ गयी है।
11. Why was Umberto Eco not puzzled at the success of The
Name of The Rose?
अम्बर्टो
ईको 'द नेम आफ द रोज' की सफलता पर आश्चर्यचकित क्यों नहीं था?
Answer
: Umberto Eco was not puzzled at the success of The Name of The Rose but
journalists and publishers were puzzled. They believe that people like reading
simple texts not difficult reading experiences. He thinks that there are about
six billion people on the earth but The Name of The Rose sold 10 to 15 million
copies which was a very small percentage of readers.
अम्बर्टो
ईको The Name of The Rose की सफलता पर आश्चर्यचकित नहीं था लेकिन पत्रकार और प्रकाशक
आश्चर्यचकित थे। उनका विश्वास है कि लोग साधारण किताबें पढ़ना पसन्द करते हैं न कि
कठिन पढ़ाई के अनुभव। वह सोचता है कि पृथ्वी पर लगभग 6 बिलियन जनसंख्या निवास करती
है जबकि The Name of The Rose की 10 से 15 मिलियन प्रतियाँ ही बिकीं जो कि पाठकों का
बहुत छोटा प्रतिशत है।
12. What does Umberto Eco say about the success of the
novel The Name of The Rose? .
अम्बर्टो
ईको अपने उपन्यास The Name of The Rose की सफलता के बारे में क्या कहता है?
Answer
: Umberto Eco accepts that there may be the fact that the novel dealt with a
period of medieval history. Neither he nor his publisher was sure of the
success of the novel. He says that a lot of books have been written about the
medieval past but the success of the novel is a mystery. Nobody can predict
about it. He is not sure how this novel got success.
अम्बर्टो
ईको स्वीकार करता है कि यह तथ्य भी हो सकता है कि उपन्यास की विषयवस्तु मध्यकालीन इतिहास
का समय था। वह उपन्यास की सफलता के प्रति आश्वस्त नहीं था और न ही उसकी प्रकाशक। वह
कहता है कि मध्ययुग के बारे में बहुत-सी पुस्तकें लिखी गई हैं लेकिन उपन्यास की सफलता
एक रहस्य है। कोई भी व्यक्ति इस बारे में भविष्यवाणी नहीं कर सकता है। वह इस बारे में
पूर्णता से नहीं जानता कि उपन्यास को सफलता कैसे मिली।
Long Answer Type Questions :
1. What do you know about Bergman as a conjuror?
आप
बर्गमन के बारे में एक जादूगर के रूप में क्या जानते हैं?
Answer
: No doubt, Bergman was an eminent film-maker. He boldly accepts how he
used to make films. That's why, he calls himself to be a conjuror. He
recalls that when was only ten years old, he was provided his first film
projector. He, then, projected his first film which was nine feet long. It was
shown every night till it broke beyond repairing.
The
machine was his first conjuring set. Through this machine, he realized that
cinematography was nothing but based on deceiving the human eye. During this
period, he calculated that a film of one hour running time contains twenty
seven minutes of darkness unnoticed by viewers. He clearly accepts that he
takes advantage of human's emotional weaknesses through his apparatus by
entertaining them.
निःसन्देह,
बर्गमन एक महान फिल्म निर्माता था। वह निडरतापूर्वक स्वीकार करता है कि वह किस प्रकार
फिल्म बनाया करता था। यही कारण है कि वह स्वयं को एक जादूगर कहता है। वह याद करता है
कि जब वह मात्र दस वर्ष का था तब उसे उसका प्रथम फिल्म प्रोजेक्टर दिया गया था। उसके
बाद, उसने अपनी पहली फिल्म बनाई जो कि नौ फीट लम्बी थी। यह फिल्म हर रात को दिखाई जाती
थी जब तक कि वह मरम्मत के भी अयोग्य नहीं हो गई।
यह
मशीन उसका पहला जादू का सैट था। इस मशीन के माध्यम से उसे महसूस हुआ कि फिल्म निर्माण
कला कुछ नहीं बल्कि मानवीय दृष्टि को धोखा देने पर आधारित है। इस समय के दौरान, उसने
गणना की कि एक घण्टे की फिल्म के लिए सत्ताईस मिनट तक दर्शकों द्वारा बिना देखे हुए
बैठना होता है। वह स्पष्ट रूप से स्वीकार करता है कि वह मानवीय भावनात्मक कमजोरी का
अपने यंत्रों द्वारा उनका मनोरंजन करके लाभ प्राप्त करता है।
2. What are views of the author about the reviewers and
critics?
लेखक
का समीक्षकों और आलोचकों के बारे में क्या दृष्टिकोण है?
Answer
: The author does not say anything about what people say and think about him.
He believes that this is the work of critics and reviewers. They have every
right to interpret his films as they like. The author does not want to
interpret his work to others, and he does not want to prompt the critics what
to think. He is of the opinion that each person has the right to understand a
film as he sees it.
He
may have some attraction towards the film or repulsion but one thing is clear,
a film is made to create reaction. The author thinks if the audience do not
react one way or another, it is an indifferent and worthless work.
लेखक
इस बारे में कुछ भी नहीं कहता है कि लोग उसके बारे में क्या कहते हैं और सोचते हैं।
उसका विश्वास है कि यह कार्य आलोचकों और समीक्षकों का है। उन्हें पूरा अधिकार है कि
वे जैसी चाहें वैसी फिल्म के बारे में व्याख्या करें । लेखक अपने कार्य की दूसरों के
लिए कोई व्याख्या करना नहीं चाहता है और न ही वह आलोचकों को यह बताना चाहता है कि वे
क्या सोचें।
उसका
मत है कि प्रत्येक व्यक्ति का यह अधिकार है कि वह फिल्म को ठीक उसी प्रकार समझे जैसा
वह देखता है। उसे फिल्म में आकर्षण महसूस हो सकता है और विकर्षण भी परन्तु एक बात स्पष्ट
है कि फिल्म का निर्माण प्रतिक्रिया के लिए ही किया जाता है। लेखक सोचता है कि यदि
दर्शक किसी भी प्रकार से कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है तो यह एक तटस्थ और बेकार का
कार्य होता है।
3. Who were the most important person in his life and
why?
उसके
जीवन में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण व्यक्ति कौन थे और क्यों?
Answer
: While telling about his autobiography, the author says that there are so many
people in his life who influenced him a lot but his father and mother were
certainly of vital importance. They created a world for him to revolt against.
He did not like the atmosphere of his family and being a sensitive young boy,
he always scored and rebelled against this atmosphere.
But
on the other hand, that strict middle class home gave him a wall to pound on
through which he sharpened his wit and intellect. His parents taught him a
number of values like efficiency, punctuality, a sense of financial
responsibility which are extremely essential for an artist.
अपनी
आत्मकथा के बारे में बताते हुए, लेखक कहता है कि उसके जीवन में अनेकों लोग आये जिन्होंने
उसे अत्यधिक प्रभावित किया लेकिन उसके पिता और माता निश्चित रूप से अत्यधिक महत्त्वपूर्ण
व्यक्ति थे। उन्होंने उसके लिए एक संसार का निर्माण किया जिसमें वह संघर्ष कर सकता
था।
उसे
अपने परिवार का वातावरण पसन्द नहीं था और एक संवेदनशील युवा लडका होने के कारण वह हमेशा
इस वातावरण के विरुद्ध घृणा और संघर्ष करता रहा। लेकिन दूसरी ओर, इस कठोर मध्यमवर्गीय
परिवार ने उसे सुरक्षा की चाहरदीवारी दी, जिसके माध्यम से उसने अपनी बुद्धि और चातुर्य
को तीव्र किया। उसके मातापिता ने उसे बहुत से मूल्य की शिक्षा दी, जैसे-क्षमता, समयबद्धता,
आर्थिक उत्तरदायित्व की भावना जो कि किसी कलासाधक के लिए अत्यन्त आवश्यक हैं।
4. Make a list of the persons who helped the author to
shape his career.
उन
व्यक्तियों की एक सूची बनाइये जिन्होंने लेखक को अपना भविष्य निर्माण में सहायता प्रदान
की।
Answer
: The writer is very thankful to all the persons who helped him in shaping his
career. One of them was Torsten Hammaren of Gothenberg. The author didn't have
any idea about theatre. Hammaren taught him about it during the four years of
his stay in Gothenberg. Then comes Alf Sjoberg who taught him a great deal when
the author tried his first attempt at film.
When
the author's attempts proved to be failure and he was unsuccessful in his first
movie, Lorens Marmstedt really taught him film making. Marmstedt also taught
him an unbreakable rule that one must be extremely critical towards his work.
Herbert Grevenius was one of the few who believed him as a writer. He
encouraged him a lot. Carl Anders Dymling placed more faith in the sense of
responsibility of a creative artist.
लेखक
उन सभी व्यक्तियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता है जिन्होंने उसे अपने भविष्य निर्माण
में सहायता प्रदान की। उनमें से एक Gothenberg का Torsten Hammaren था। लेखक को प्रेक्षागृह
का कोई विचार ही नहीं था। Hammaren ने लेखक को यह सब Gothenberg में चार वर्ष रुकने
के दौरान सिखाया। उसके बाद AIf Sjoberg आता है जिसने लेखक को अपनी प्रथम फिल्म निर्माण
के दौरान अत्यधिक सिखाया।
जब
लेखक का प्रयास असफल हो गया और वह अपनी प्रथम फिल्म में असफल हो गया तब Lorens Marmstedt
ने वास्तव में उसे फिल्म निर्माण सिखाया। Marmstedt ने वह अटूट नियम भी सिखाया कि व्यक्ति
को अपने कार्य के प्रति अत्यधिक आलोचनात्मक रहना चाहिए। Herbert Grevenius उन कुछ लोगों
में से एक था जो उसे लेखक होने का विश्वास करते थे। उसने लेखक को अत्यधिक प्रोत्साहित
किया। Carl Anders Dymling ने एक सृजनात्मक कलासाधक की उत्तरदायित्व की भावना में विश्वास
को और ज्यादा दृढ़ किया।
5. What is the role of religion in author's thinking as a
film-maker?
लेखक
के फिल्म निर्माता के रूप में सोच पर धर्म की क्या भूमिका है?
Answer
: The author says that there are so many people who ask him about the role of
religion in his thinking and film-making. The author replies them all that he
has always felt that religious problems are continuously alive for him. He is
never able to stop thinking about them. He always thinks about them every hour
of every day.
But
he does not let them develop to the emotional level. He keeps them confined
only to the intellectual level. He hopes that he has got rid of religious
emotion and sentimentality long ago. The religious problem is intellectual for
him. It is the relationship of his mind to his intuition. Thus, he keeps his
religious problems away from his profession.
लेखक
कहता है कि ऐसे अनेकों लोग हैं जो उससे सोच एवं फिल्म निर्माण के बारे में धर्म की
भूमिका के बारे में पूछते हैं। लेखक उन सबको उत्तर देता है कि उसने हमेशा महसूस किया
है कि उसके लिए धार्मिक समस्याएँ लगातार सजीव रही हैं। वह कभी भी उनके बारे में सोचने
से रोक नहीं सका है। वह हमेशा उनके बारे में हर दिन हर समय सोचता रहता है। लेकिन वह
उन्हें भावुकता के स्तर तक विकसित नहीं होने देता है।
वह
उन्हें केवल बौद्धिक स्तर तक सीमित रखता है। वह आशा करता है कि उसने धार्मिक भावनाओं
और भावुकता से बहुत पहले ही छुटकारा पा लिया था। उसके लिए धार्मिक समस्या केवल एक बौद्धिक
समस्या है। यह उसके मस्तिष्क से लेकर उसकी भावना तक का सम्बन्ध है। इस प्रकार, वह अपनी
धार्मिक समस्याओं को अपने व्यवसाय से दूर ही रखता है।
Seen Passages
Passage
1.
During
the shooting of The Virgin Spring, we were up in the northern province of
Dalarna in May and it was early in the morning, about half past seven. The
landscape there is rugged, and our company was working by a little lake in the
forest. It was very cold, about 30 degrees, and from time to time a few
snowflakes fell through the grey, rain-dimmed sky. The company was dressed in a
strange variety of clothing rain coats, oil slickers, Icelandic sweater
jackets, and blankets, coachmen's coats, medieval robes.
Questions
:
1.
Name the article and the writer of the article.
लेख
का नाम तथा लेखक का नाम बताइये।
2.
What was he weather at that time?
उस
समय मौसम कैसा था?
3.
How was the company dressed?
पूरा
समूह किस प्रकार के वस्त्र धारण किए हुए था?
Answers
:
1.
The name of the article is Film Making and the writer of the article is Ingmar
Bergman. He was an eminent film director and he was shooting The Virgin
Spring.
लेख
का नाम 'फिल्म मेकिंग' है और लेख के लेखक का नाम इंगमर बर्गमन है। वह एक महान फिल्म
निर्देशक था और वह द वर्जिन स्प्रिंग की शूटिंग कर रहा था।
2.
The weather at that time was cold. The temperature was about 30 degrees. From
time to time, there was a snow fall from the gray rain dimmed sky.
उस
समय मौसम ठण्डा था। तापमान लगभग 30 डिग्री था। समय-समय पर भूरे वर्षा आच्छादित बादलों
से बर्फ भी गिर रही थी।
3.
The whole company was dressed in a strange variety of clothing. They were wearing
raincoats, slickers, Icelandic sweaters, jackets, blankets, coachmen's coats,
medieval robes.
सम्पूर्ण
समूह विभिन्न प्रकार के विचित्र वस्त्रों को धारण किया हुआ था। उन्होंने बरसाती, मोमजामे
की पन्नी, आइसलैण्ड के स्वीटर्स, जैकेट्स, कम्बल, कोचमैन के कोट और मध्य युग के वस्त्र
धारण किए हुए थे।
Passage
2.
When
I was ten years old I received my first, rattling film projector, with its
chimney and lamp. I found it both mystifying and fascinating. The first film I
had was nine feet long and brown in colour. It showed a girl lying asleep in a
meadow, who woke up and stretched out her arms, then disappeared to the right.
That was all there was to it. The film was a great success and was projected
every night until it broke and could not be mended any more.
Questions
:
1.
What did he get to start his career at an early age?
उसे
अपने जीवन के प्रारम्भिक वर्षों में अपना कार्य प्रारम्भ करने के लिए क्या मिला?
2.
What do you know about his first film?
आप
उसकी प्रथम फिल्म के बारे में क्या जानते हैं?
3.
What happened to the film?
फिल्म
के साथ क्या हुआ?
Answers
:
1.
When the author was only ten years old, he got his first film projector, with
its chimney and lamp. It was both mystifying and fascinating for him.
जब
लेखक मात्र दस वर्ष का था तो उसे उसका पहला फिल्म प्रोजेक्टर मिला जिसके साथ चिमनी
और लैम्प भी था। यह उसके लिए रहस्यमय और आश्चर्यजनक दोनों ही था।
2.
The first film of the author was nine feet long and brown in colour. It showed
a girl lying asleep in a meadow who woke up and stretched her arms and disappeared
to the right.
लेखक
की प्रथम फिल्म नौ फीट लम्बी थी और इसका भूरा रंग था। इसमें एक लड़की एक घास के मैदान
में सो रही थी जो कि जागी, अंगड़ाई ली और दायीं ओर को चली गयी।
3.
The film was a great success for the author. It was projected every night untill
it broke and could not be repaired any more.
फिल्म
को अत्यधिक सफलता मिली और लेखक को भी। इसका हर रात को प्रदर्शन होता था जब तक कि वह
टूट नहीं गई और उसकी अब मरम्मत भी नहीं हो सकती थी।
Passage
3.
Thus
the script is a very imperfect technical basis for a film. And there is another
important point in this connection which I should like to mention. Film has
nothing to do with literature; the character and substance of the two art forms
are usually in conflict. This probably has something to do with the receptive
process of the mind. The written word is read and assimilated by a conscious
act of the will in alliance with the intellect; little by little it affects the
imagination and the emotions.
Questions
:
1.
What does the author say about the relationship between film and literature?
लेखक
फिल्म और साहित्य के सम्बन्ध के बारे में क्या कहता है ?
2.
What is the relationship between literature and intellect?
साहित्य
और बौद्धिकता के बीच क्या सम्बन्ध है ?
3.
What is the effect of our reading on mind and heart?
हमारे
हृदय और मस्तिष्क पर पढ़ने का क्या प्रभाव पड़ता है?
Answers
:
1.
The author says that the script is a very imperfect technical basis for a film.
Film has nothing to do with literature.
लेखक
कहता है कि लिपि एक फिल्म के लिए अत्यन्त अपूर्ण तकनीकी आधार है। फिल्म का साहित्य
से कुछ लेना-देना नहीं है।
2.
According to the writer literature has something to do with the process of
mind. What we read effects our mind and intellect.
लेखक
के अनुसार साहित्य का मस्तिष्क की प्रक्रिया के साथ सीधा सम्बन्ध है। हम जो भी पढ़ते
हैं, वह हमारे मस्तिष्क और बौद्धिकता को प्रभावित करता है।
3.
The author says that when we read, it effects on our mind in alliance with the
intellect. It effects little our imagination and emotions.
लेखक
कहता है कि जब हम पढ़ते हैं, यह हमारी बौद्धिकता और मस्तिष्क पर स्पष्ट प्रभाव डालता
है। यह हमारी कल्पनाशीलता एवं भावनाओं पर प्रभाव नहीं डालता है।
Passage
4.
On
a personal level, there are many people who have meant a great deal to me. My
father and mother were certainly of vital importance, not only in themselves
but because they created a world for me to revolt against. In my family there
was an atmosphere of hearty wholesomeness which I, a sensitive young plant,
scorned and rebelled against.
But
that strict middle-class home gave me a wall to pound on, something to sharpen
myself against. At the same time they taught me a number of values-efficiency,
punctuality, a sense of financial responsibility-which may be 'bourgeois' but
are nevertheless important to the artist.
Questions
:
1.
Who was the most important persons in author's life?
लेखक
के जीवन में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण व्यक्ति कौन थे? '
2.
What was the atmosphere of his family?
उसके
परिवार का वातावरण कैसा था?
3.
What did his parents teach him?
उसके
माता-पिता ने उसे क्या सिखाया?
Answers
:
1.
The author says that he was influenced by so many people but his parents were
certainly of a vital importance.
लेखक
कहता है कि वह अनेकों लोगों द्वारा प्रभावित किया गया परन्तु उसके माता-पिता का निश्चित
रूप से सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण प्रभाव था।
2.
The atmosphere of his family was wholesomeness. He was free to do what he as a
sensitive young boy liked.
उसके
परिवार का वातावरण स्वस्थ और सम्पूर्णता से पूर्ण था। वह एक भावुक युवा लड़के के रूप
में जो करना चाहे, करने के लिए स्वतन्त्र था।
3.
His parents taught him a number of values like efficiency, punctuality, a sense
of financial responsibility etc.
उसके
माता-पिता ने उसे अनेकों मानवीय मूल्य सिखाये जैसे क्षमता, समयबद्धता, आर्थिक उत्तरदायित्व
की भावना इत्यादि।
Passage
5.
Thus
if I am asked what I would like the general purpose of my films to be, I would
reply that I want to be one of the artists in the cathedral on the great plain.
I want to make a dragon's head, an angel, a devil or perhaps a saint-out of
stone. It does not matter which; it is the sense of satisfaction that counts.
Regardless of whether I believe or not, whether I am a Christian or not, I
would play my part in the collective building of the cathedral.
Questions
:
1.
What general purpose of his films does he want to be?
वह
अपनी फिल्मों का क्या सामान्य उद्देश्य बनाना चाहता है ?
2.
What does he want to make out of stone?
वह
पत्थर से क्या बनाना चाहता है?
3.
What part does he want to play?
वह
क्या भूमिका निभाना चाहता है ?
Answers
:
1.
He wants to be one of the artists in the Cathedral on the great plain.
वह
चर्च में उन कलासाधकों में से एक बनना चाहता है जो विशाल भूमि पर सहजता से कार्य करते
2.
He wants to make out of stone a dragon's head, an angel, a devil or perhaps a
saint.
वह
पत्थर से दैत्य का सिर, देवदूत, राक्षस अथवा एक सन्त की आकृति बनाना चाहता है।
3.
The writer does not care whether he believes or not or he is a Christian of not
but he wants to play his role in the collective building of the
Cathedral.
लेखक
इस बात की चिन्ता नहीं करता है वह विश्वास करता है अथवा नहीं अथवा वह ईसाई है या नहीं
लेकिन वह अपनी भूमिका चर्च के सामूहिक निर्माण में निभाना चाहता है।
Passage
6.
No.
Journalists are puzzled. And sometimes publishers. And this is because
journalists and publishers believe that people like trash and don't like difficult
reading experiences. Consider there are six billion people in this planet. The
Name of the Rose sold between 10 and 15 million copies.
So
in a way I reached only a small percentage of readers. But it is exactly these
kinds of readers who don't want easy experiences. Or at least don't always want
this. I myself, at 9 pm after dinner, watch television and want to see either
‘Miami Vice' or 'Emergency Room'. I enjoy it and I need it. But not all
day.
Questions
:
1.
Who is the speaker and to whom he is talking?
वक्ता
कौन है और वह किससे बात कर रहा है?
2.
What does Umberto Eco think about his novel 'The Name of the Rose'?
अम्बर्टो
ईको अपने उपन्यास The Name of the Rose के बारे में क्या सोचता है?
3.
What does Umberto do at night?
अम्बर्टो
रात को क्या करता है ?
Answers
:
1.
The speaker, here, is Umberto Eco, a novelist, and he is talking to Mukund
Padmanabhan, a journalist.
यहाँ
पर वक्ता अम्बर्टो ईको है जो उपन्यासकार है तथा वह मुकुन्द पद्मनाभन, जो पत्रकार है,
से बात कर रहा है।
2.
Umberto Eco thinks that his novel 'The Name of the Rose' is not a grand success
as he could sell only 10 to 15 million copies to the total population of six
billion peoples.
अम्बर्टो
ईको सोचता है कि उसका उपन्यास The Name of the Rose अत्यधिक बड़ी सफलता नहीं है क्योंकि
वह इस उपन्यास की 10 से 15 मिलियन प्रतियाँ ही बेच सका जबकि कुल जनसंख्या 6 बिलियन
है।
3.
Having had his dinner at 9.00 pm, he watches TV and wants to see either ‘Miami
Vice' or 'Emergency Room'.
रात्रि
भोजन के बाद 9.00 बजे रात को वह दूरदर्शन देखता है और 'Miami Vice' अथवा
'Emergency Room' देखना पसन्द करता है।
Summary (सारांश)
About the Author :
Ingmar
Bergman is a well known Swedish director of films noted for their starkness,
their subtle use of black and white and 'shades' of those extremes, the
ambiguity of their content, and a certain brooding presence that seems to
pervade them all.
The
list of Bergman films is long; his best known include The Seventh Seal (1957),
Wild Strawberries (1958), The Virgin Spring (1960), The Silence (1963), Persona
(1967), The Passion of Anna (1970), and Cries and Whispers (1973) - this last
film in colour, though Ingmar Bergman emphasising red in all its shadings. In
the following selection, the 1918-2007 Introduction to Four Screen-plays by
Ingmar Bergman (1960),Bergman discusses how he views the art of
film-making.
लेखक
के बारे में :
इंगमर
बर्गमन स्वीडन के एक प्रसिद्ध सुविख्यात फिल्म निर्देशक हैं जिनकी फिल्में अपनी सम्पूर्णता,
अपने लेखन की सूक्ष्मता और उच्चतम शिखर के छायाचित्र, उनकी विषयवस्तु का दोहरापन और
एक निश्चित विचारमग्न उपस्थिति जो कि उन सब में व्याप्त रहती है, के लिए विख्यात हैं
। बर्गमन द्वारा बनाई फिल्मों की सूची बहुत लम्बी है; उनकी सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में
शामिल हैं-
The
Seventh Seal (1957), वाइल्ड स्ट्राबेरीज (1958), द वर्जिन स्प्रिंग (1960), द साइलेन्स
(1963), परसोना (1967), द पैशन ऑफ अन्ना (1970), और Cries and Whispers (1973). यह
अन्तिम फिल्म रंगीन है, यद्यपि अपने सारे रंगों में लाल रंग का ज्यादा प्रभाव है। बाद
के चयन, द इन्ट्रोडक्शन टू फोर स्क्रीन प्लेज by Ingmar Bergman (1960) में बर्गमन
ने इस पर टिप्पणी की है कि वह फिल्म निर्माण की कला को किस प्रकार देखता है।
About the Article :
The
writer Ingmar Bergman starts the article by describing a film setting for the
shooting of The Virgin Spring in Dalarna in the month of May. He was being
assisted by each and every one present there when suddenly they saw some cranes
floating in the sky. They left their work and started watching the cranes. The
author was overwhelmed to realize the beauty in Sweden. In his childhood, he
used to ‘listen the sunshine flowing through window.
He
watched the sunlight moving across a picture of Venice on the wall. His father
was religious preacher so he was familiar to the religious ceremonies. He,
then, talks how he started on a film. He says that a few bars of music or even
a shaft of light are enough for him to play a movie. He can carefully stretch
out into a full length movie with tiny objects. In the second part of the
article there is an interview of Umberto Eco by Mukund Padmanabhan.
लेख
के बारे में :
लेखक
इंगमर बर्गमन मई के महीने में डलारना में 'द वर्जिन स्प्रिंग' फिल्म की शूटिंग के लिए
तैयार सेट का वर्णन करते हुए लेख को प्रारम्भ करता है। उसकी हर उपस्थित व्यक्ति द्वारा
सहायता की जा रही थी। जब अचानक उन्होंने कुछ सारसों को आकाश में उड़ते हुए देखा। उन्होंने
अपना कार्य छोड़ दिया और सारसों को देखने लगे। लेखक भाव-विभोर हो गया जब उसने स्वीडन
के सौन्दर्य को देखा। अपने बचपन में वह खिड़की से आती हुई धूप को 'सुना' करता था।
उसने
दीवार पर टंगे हुए वेनिस के एक चित्र में सूर्य की रोशनी को चलते फिरते देखा। उसके
पिता धार्मिक उपदेशक थे इसलिए वह धार्मिक क्रियाओं से परिचित था। उसके बाद वह बताता
है कि उसने फिल्म निर्माण पर कार्य किस प्रकार शुरू किया। वह कहता है कि संगीत की कुछ
धुनें अथवा रोशनी की एक किरण भी एक फिल्म बनाने के लिए उसके लिए पर्याप्त है। वह छोटी-छोटी
वस्तुओं से भी एक सम्पूर्ण फिल्म का निर्माण कर सकता है। लेख के दूसरे भाग में मुकुन्द
पद्मनाभन द्वारा अम्बर्टो ईको का लिया गया साक्षात्कार है।
कठिन शब्दार्थ एवं हिन्दी अनुवाद
During
the shooting ...................Tree tops. (Pages 149-150)
कठिन
शब्दार्थ-Landscape (लैन्ड्स्के प्) = a large area of land, विस्तृत भूमि।
snowflakes (स्नोफ्लेक्स्) = soft and frozen pieces of snow, बर्फ के कोमल और जमे
हुए टुकड़े । slickers (स्लिकस्) = raincoat, बरसाती कोट । buckling (बक्लिङ्) = a
piece of metal in belt, पेटी में बाँधने का बकल । terrain (टरेन्) = land of the type
mentioned, निर्दिष्ट प्रकार की भूमि। dolly (डॉलि) = easy, सहज । crane (क्रेन्)
= a large water bird, सारस । fir (फ()) = a tree with thin leaves, देवदार का वृक्ष।
हिन्दी
अनुवाद-'द वर्जिन स्प्रिंग' फिल्म की छवि अंकन के दौरान, हम मई के महीने में उत्तरी
राज्य डलारना में थे और यह सुबह जल्दी का समय था, लगभग साढ़े सात बजे थे। यहाँ पर भूमि
अत्यन्त ऊबड़-खाबड़ है और हमारा समूह जंगल में एक छोटी झील के किनारे पर कार्य कर रहा
था। अत्यन्त ठण्डा मौसम था, लगभग 30 डिग्री और समय-समय पर भूरे वर्षा द्वारा आच्छादित
आकाश में से बर्फ के छोटेछोटे टुकड़े भी गिर रहे थे।
हमारे
समूह के लोग विचित्र प्रकार के विविध वस्त्र धारण किए हुए थेबरसाती, मोमजामे का कोट,
आइसलैण्ड के स्वेटर जैकेट, पुराने कम्बल, प्रशिक्षण का कोट, मध्यकालीन वस्त्र। हमारे
लोगों ने लगभग नब्बे फीट की धूलयुक्त, धातु की पटरी उस कठिन भूमि पर बिछा दी थी ताकि
कैमरे को आसानी से ले जाया जा सके। हम सभी विभिन्न उपकरणों से सहायता कर रहे थे-नायक,
विद्युतकर्मी, रंगदीपन करने वाले, लिखने वाली लड़की, ध्वनि को सन्तुलित करने वाले लोग-मुख्य
रूप से गर्म रखने का प्रयास कर रहे थे।
अचानक
कोई जोर से चिल्लाया और आकाश की ओर इशारा किया। तत्पश्चात् हमने एक सारस को देवदार
के वृक्षों से भी ऊपर उड़ते हुए देखा और उसके बाद एक और आया, और उसके बाद अनेकों सारस
हमारे ऊपर शानदार तरीके से गोल घेरे में उड़ रहे थे। हम जो भी कार्य कर रहे थे उसे
छोड़ दिया और पास की पहाड़ी की चोटी पर सारसों की ओर अच्छी प्रकार से देखने के लिए
दौड़ते चले गये।
हम
वहाँ पर बहुत लम्बे समय तक खड़े रहे जब तक कि वे पश्चिम की ओर न मुड़ गये और जंगल के
ऊपर अदृश्य न हो गये। और अचानक मैंने सोचा-यह वह है कि जिसका अर्थ है कि स्वीडन में
एक फिल्म बनाई जाए। यह वह है जो हो सकता है, यह वह है कि हम किस प्रकार पुराने उपकरणों
और थोड़े से धन से एक साथ कार्य करते हैं, और यह वह है कि हम किस प्रकार पेड़ की चोटियों
के ऊपर उड़ रहे चार सारसों के प्रति प्रेम के कारण अचानक सारा कार्य छोड़ सकते हैं।
Childhood
...... of the nursery. (Page 150)
कठिन
शब्दार्थ-apartment (अपाटमन्ट) = a set of rooms, कमरों की श्रृंखला। gigantic (जाइगैन्टिक्)
= extremely big, अत्यधिक विशाल । cathedral (कथीड्रल) = a large church, विशाल चर्च।
waltz (वॉलस्) = music with a rhythm of three beats, तीन ताल की लय ।
gesticulated (जेस्टिक्युलेट्) = a moment of hands, हाथों से इशारा करना।
Vicarage (विकरिज्) = house of priest, पादरी का निवास स्थान । baptism (बैटिजम्)
= a ceremony to become Christian, ईसाई बनाने का समारोह । incomprehensible (इन्कॉम्प्रिहेन्सब्ल्)
= difficult to understand, समझने में कठिन। nursery (नसरि) = a place for
children and babies, शिशु-सदन।
हिन्दी
अनुवाद-बचपन भविष्य की भविष्यवाणी करता है फिल्मों से मेरा जुड़ाव बचपन के संसार की
ओर वापस जाता है। मेरी दादी का उपासला में एक बहुत बड़ा घर था। मैं वहाँ पर भोजन कक्ष
की मेज पर बैठा करता था और धूप की 'आवाज को सुना' करता था जो कि अत्यधिक विशाल खिड़कियों
में से होकर आती थी। चर्च की घण्टियाँ लगातार बजती रहती थीं और धूप आती रहती थी और
एक विशेष प्रकार से ध्वनि उत्पन्न करती थी।
एक
दिन, जब सर्दी समाप्त होने के बाद बसन्त ऋतु आ रही थी और मैं पाँच वर्ष का था तो हमारे
घर से अगले घर में एक पियानो बज रहा था। उस पर तीन ताल की लय बज रही थी, तीन ताल की
लय के सिवाय कुछ भी नहीं। दीवार पर वेनिस का एक बड़ा-सा चित्र टंग रहा था। जब सूर्य
की धूप चित्र पर पड़ी तो नहर का पानी बहने लगा (बहता हुआ प्रतीत हुआ), वर्गाकार स्थान
से कबूतर उड़ गये, लोग बात कर रहे थे और हाथों से इशारा कर रहे थे। घण्टियाँ बजने लगीं,
उपासला चर्च की घण्टियाँ नहीं बल्कि चित्र के चर्च की, और वेनिस के शानदार चित्र में
से पियानो के संगीत की आवाज आई।
एक
बच्चा जिसका जन्म पादरियों के परिवार में होता है, वह पर्दे के पीछे से ही जीवन और
मृत्यु के बारे में परिचय प्राप्त कर लेता है। पिताजी अन्तिम संस्कार, शादियाँ, नामकरण
आदि क्रियाएँ किया करते थे और सलाह देते थे तथा उपदेश तैयार करते थे। दैत्य से प्रारम्भिक
परिचय हो गया और बच्चे के मस्तिष्क में उसे मानवीयकृत करने की आवश्यकता थी। यही वह
स्थान था जहाँ पर मेरी जादुई लैन्टर्न आई। इसमें धातु का एक छोटा डब्बा लगा हुआ था
जिसमें कार्बाइड की लैम्प-मैं अभी भी गर्म धातु की गन्ध को याद कर सकता हूँऔर रंगीन
काँच की पट्टियाँ लगी थीं; रैड राइडिंग हुड और वोफ, और अन्य सभी वस्तुएँ। और भेड़िया
दैत्य था, जिसके सींग नहीं थे लेकिन उसके पूँछ थी और खुला हुआ लाल मुँह था, विचित्र
रूप से वास्तविक लेकिन फिर भी समझने में असमर्थ, शिशु-सदन की फूल खिली हुई दीवार पर
दुष्टता और लालच का चित्र ।
When
I was ten ................ to have it. (Page 151)
कठिन
शब्दार्थ-Rattling (रैटलिङ्) = to make a hard noise, खड़-खड़ की आवाज । rickety (रिकटि)
= likely to break, जर्जर, दुर्बल । conjuring (कन्जरिङ्) = to do tricks, जादू जैसी
हाथ की सफाई । cinematography (सिनमटॉग्राफी) = the science of film making, सिनेमा
शिल्प, चलचित्र तकनीक । deception (डिसेप्श्न् ) = to do fraud, धोखा। apparatus (ऐपरेटस्)
= the set of tools, उपकरणों का सेट। indignant (इन्डिग्नन्ट्) = angry, क्रुद्ध, नाराज
। yarn (यॉन्) = to open mouth widely to take deep breath, जम्भाई लेना।
हिन्दी
अनुवाद-जब मैं दस वर्ष का था तब मुझे मेरा पहला आवाज करने वाला फिल्म का प्रोजेक्टर
मिला जिसमें उसकी चिमनी और लैम्प लगी हुई थी। मैंने इसे रहस्यमय और आकर्षक दोनों ही
पाया। मेरे पास पहली फिल्म नौ फीट लम्बी थी और उसका रंग भूरा था। इसमें दिखाया गया
था कि एक लड़की घास के मैदान में सोयी हुई है, जो जागी और अपनी बाँहें फैलाकर उसने
अंगड़ाई ली और उसके बाद दायीं ओर अदृश्य हो गई। इस फिल्म में बस इतना ही दिखाया गया
था। फिल्म को अत्यधिक सफलता मिली और इसे प्रत्येक रात को दिखाया जाता था, जब तक कि
यह टूट नहीं गई और अब उसकी मरम्मत भी नहीं हो सकती थी।
यह
छोटी जर्जर मशीन मेरे फिल्म बनाने का पहला सैट थी। और आज तक भी मैं स्वयं उस बचपने
के उत्साह को याद करता हूँ कि मैं वास्तव में हाथ की सफाई से फिल्म बनाने वाला हूँ
क्योंकि चलचित्र तकनीक मानवीय दृष्टि को धोखा देने पर आधारित है। मैंने यह कार्य किया
है कि यदि मैं कोई ऐसी फिल्म देखता हूँ
जिसका
चलने का समय एक घण्टा है तो मैं सत्ताईस मिनट तक बिल्कुल अंधेरे में बैठता हूँ-चौखटों
के बीच खाली स्थान। मैं जब कोई फिल्म दिखाता हूँ तो मैं धोखा देने का दोषी हूँ। मैं
एक यंत्र का उपयोग करता हूँ जो कि निश्चित मानवीय कमजोरी का लाभ लेने के लिए बनाया
गया है, एक ऐसा यंत्र जिससे मैं अपने दर्शकों को अत्यन्त उच्च भावनात्मक रूप से सर्वोच्च
शिखर पर ले जा सकता हूँ-उन्हें हँसा सकता हूँ, भय से चीख निकलवा सकता हूँ, हँसा सकता
हूँ, परी कथाओं में विश्वास दिला सकता हूँ, नाराज कर सकता हूँ,
झटका
महसूस करा सकता हूँ, आकर्षित कर सकता हूँ, गहन दुःख महसूस करा सकता हूँ और उबाऊपन से
जंभाई दिला सकता हूँ। इस प्रकार, या तो मैं एक बदमाश हूँ अथवा जब दर्शक इच्छा व्यक्त
करें, मैं एक जादू से भ्रम में डालने वाला हूँ। मैं उस यंत्र से इतनी महँगी और इतनी
शानदार जादुई कला दिखाता हूँ कि कोई भी इतिहास में मनोरंजन करने वाला व्यक्ति उसे प्राप्त
करने के लिए कोई भी कीमत चुका देता।।
Split
second .....................original stimulus. (Pages 151-152)
कठिन
शब्दार्थ-Vague (वेग) = not clear, अस्पष्ट। hazy (हेजि) = not clear, धुंधला।
envisioned (एन्विजन्ड्) = mental image, मस्तिष्क में अंकित छवि। split (स्प्लिट्)
= to divide, बंट जाना । abounding (अबाउन्डिङ्) = to exist in large number, बड़ी
संख्या में विद्यमान होना। sack (सैक्) = a large bag, बोरा, बड़ा थैला। wind up (वाइन्ड्
अप्) = to finish, समाप्त करना। strive (स्ट्राइव्) = hard work, कठोर परिश्रम ।
stimulus (स्टिम्यलस्) = something that causes interest, प्रेरक, सक्रिय करना।
हिन्दी
अनुवाद-विखण्डित द्वितीय प्रभाव मेरे लिए कोई फिल्म पूरी तरह से अस्पष्ट रूप से प्रारम्भ
होती है-एक समयानुसार टिप्पणी अथवा थोड़ी सी बातचीत, किसी भी विशेष स्थिति से दूर अस्पष्ट
लेकिन प्रिय घटना। यह संगीत की कुछ पंक्तियाँ हो सकती हैं, सड़क के आर-पार रोशनी की
कोई किरण हो सकती है। कभी-कभी प्रेक्षागृह में अपने कार्य के दौरान मैंने अपने मस्तिष्क
में बनती हुई नायकों की छवियों को देखा है जिन्होंने अभी तक कोई भूमिका नहीं निभाई
है।
ये
विखण्डित द्वितीय प्रभाव हैं वे उतनी ही जल्दी अदृश्य हो जाते हैं, जितनी जल्दी वे
आते हैं लेकिन फिर भी अपने पीछे एक मानसिकता छोड़ जाते हैं जैसे कि सुखद स्वप्न । यह
एक मानसिक स्थिति होती है, कोई वास्तविक कहानी नहीं होती है लेकिन एक ऐसी मानसिकता
जिसमें विकसित होती हुई छवियाँ और समूह प्रचुर मात्रा में होते हैं। इनमें से ज्यादातर
एक चमकदार रंग का धागा होता है जो कि अचेतन स्वरूप में अन्धकार युक्त स्थान पर चिपका
रहता है। यदि मैं इस धागे को समाप्त करना चाहूँ और उसे सावधानीपूर्वक करूँ तो एक पूर्ण
फिल्म तैयार हो जाएगी।
यह
प्रारम्भिक नाभिक एक निश्चित स्वरूप प्राप्त करने के लिए संघर्षरत रहता है और इस प्रकार
गति करता है जो कि प्रारम्भिक रूप से सुस्त और अर्धनिद्रायुक्त हो सकता है। इसकी उत्तेजना
कम्पनों और लयबद्धता के साथ कार्य करती है और जो कि प्रत्येक फिल्म के लिए अत्यन्त
विशेष एवं विचित्र होती है। यह चित्र एक क्रम में होता है। उसके बाद एक स्वरूप धारण
करता है जो कि इन लय और तालों के अनुरूप होता है जिसका कि मेरे वास्तविक प्रेरकों के
द्वारा पालन किया जाता है।
If
that embryonic ...... predictable. (Pages 152-153)
कठिन
शब्दार्थ-embryonic (एम्ब्रि'ऑनिक्) = a baby, an animal or a plant the only
stages of development before birth, जन्म से पहले की प्रारम्भिक अवस्था।
materialize (मटिअरिअलाइज्) = to become to real, वास्तविक बनना। transformation (ट्रैन्स्फ
मेश्न्) = to change, परिवर्तन। tones (टोन्ज्) = the quality of a sound, स्वर शैली।
scents (सेन्ट्स ) = smell, खुशबू । screenplay (स्क्रीन्प्ले) = a movie, चलचित्र,
नाटक।
resistance
(रिजिस्टन्स्) = to stop something, प्रतिरोध । knack (नैक्) = skill or ability
to do something difficult, कुशलता अथवा योग्यता | tempo (टैम्पो) = speed of an
activity, गतिविधि । omitted (अमिट्ड्) = not to include, शामिल न करना। squeeze (स्क्वीज)
= to press hard, कसकर दबाना। perceptiveness (पसेप्टिवनेस्) = quick to
understand, तुरन्त समझने वाला। predictable (प्रिडिक्टब्ल) = respected to
happen, पूर्वानुमान।
हिन्दी
अनुवाद-यदि वह भ्रूणीय तत्व किसी फिल्म को बनाने के लिए पर्याप्त शक्तिशाली प्रतीत
होता है तो मैं उसे वास्तव में बनाता हूँ। उसके बाद कुछ अत्यन्त जटिल तथा कठिन बात
आती हैलयबद्धताओं का परिवर्तन, मानसिकताएँ, तनाव, क्रमसंख्याएँ, स्वर शैलियाँ और शब्दों
तथा वाक्यों में सुगन्ध, एक समझने योग्य चलचित्र।
यह
एक लगभग असम्भव लक्ष्य होता है। वह एकमात्र चीज जिसे लय और मानसिकता की वास्तविक जटिलताओं
से आसानी से स्थानान्तरित किया जा सकता है, वह संवाद होते हैं और संवाद भी अत्यन्त
संवेदनशील तत्व होते हैं जो कि प्रतिरोधक क्षमता प्रदान कर सकते हैं। लिखा हुआ संवाद
एक संगीतमय स्थिति की तरह होता है, एक औसत व्यक्ति के लिए लगभग न समझने योग्य। इसकी
व्याख्या के लिए एक तकनीकी योग्यता की आवश्यकता होती है और साथ ही
एक
विशेष प्रकार कल्पनाशीलता एवं भावना-वे गुण जिनका प्रायः नाटकों तक में अभाव होता है।
कोई भी व्यक्ति संवाद लिख सकता है लेकिन उसे कैसे बोला जाए, उसकी लय और गतिविधि, उनकी
पंक्तियों के मध्य में क्या रखा जाए-इन सबको व्यावहारिक कारणों से हटा दिया जाना चाहिए।
इस प्रकार का एक विस्तृत लेखन अपठनीय होगा। मैं निर्देशों को अपनी फिल्मों में समझने
योग्य रूप में प्राप्त करने की कोशिश करता हूँ, जैसे उसकी स्थिति, चरित्र चित्रण और
वातावरण लेकिन इसकी सफलता मेरे लेखन की योग्यता और पाठ की समझने की क्षमता पर निर्भर
करती है जिनका हमेशा पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है।
The
Rhythm of a...........of the film. (Pages 153-154)
कठिन
शब्दार्थ-montage (मॉन्टॉश्) = music, संगीत, व्यवस्थित कृति। dimension (डाइमेन्श्न्
) = measurement, मापन । pulsates (पल्सेट्) = to move with strong movements, तेज
गति से चलना, स्पंदित होना। notation (नोटेशन्) = a system of symbols, अंकन पद्धति।
distinctly (डिस्टिट्लि ) = clearly, साफ-साफ। devastating (डेवस्टेटिङ्) =
complete destruction, पूर्णतया विनाशकारी। trivial (ट्रिविअल्) = of little
importance, महत्त्वहीन। tremendous (ट्रमेन्डस्) = great, बहुत बड़ा, महान।
explicit (इ स्प्लिसिट) = clear, समझने में सरल । eliminated (इलिमिनेटड्) = to
remove, अनावश्यक चीज को हटा देना।
हिन्दी
अनुवाद-फिल्म की लयबद्धता अब हम आवश्यकताओं पर आते हैं, जिससे मेरा आशय व्यवस्थित कृति,
लयबद्धता तथा एक चित्र का दूसरे चित्र से सम्बन्ध से है-तीसरा अति आवश्यक मापन जिसके
बिना सम्पूर्ण फिल्म केवल किसी कारखाने के मृत उत्पाद के समान है। यहाँ पर, मैं स्पष्ट
रूप से कोई चाबी नहीं दे सकता, जैसे कि किसी संगीतमय उपलब्धि के लिए और न ही किसी विशेष
विचार की गतिविधि के लिए जो कि उसमें विद्यमान तत्वों के आपसी सम्बन्धों को निर्धारित
करता है।
मेरे
लिए वह रास्ता बताना पूरी तरह से असम्भव है जिसमें फिल्म 'सांस लेती' है और स्पंदित
होती है। मैंने प्रायः एक प्रकार की अंकन पद्धति की इच्छा व्यक्त की है जो कि मेरे
दृष्टिकोण के सम्पूर्ण स्वरूप और ध्वनियों को लिपिबद्ध करने में मुझे समर्थ बनायेगी,
किसी फिल्म की संरचना को स्पष्ट रूप से रिकॉर्ड करने में समर्थ बनायेगी।
क्योंकि
जब मैं स्टूडियो के कलात्मक रूप से पूर्णतया नष्ट हो गये वातावरण में खड़ा होता हूँ
तो मेरे हाथ और सिर जो पूरी तरह से तुच्छ और क्रोधित करने वाले विवरणों से परिपूर्ण
होते हैं, जो गतिशील चित्र के उत्पादन के साथ-साथ चलते हैं, इसे प्रायः याद करने के
लिए अत्यधिक विस्तृत प्रयास करने होते हैं कि मैंने इस या उस क्रम को किस प्रकार वास्तविक
रूप से देखा और उसके बारे में सोचा, अथवा चार सप्ताह पहले के दृश्य और वर्तमान दृश्य
के बीच का सम्बन्ध था।
यदि
मैं अपनी बात को स्पष्ट रूप से कह सकता जो समझने के प्रतीकों में सरल होते तो यह समस्या
लगभग समाप्त हो गयी होती और मैं पूर्ण आत्मविश्वास के साथ कार्य कर सकता था कि मैं
जब भी चाहता मैं एक अंश तथा सम्पूर्ण रूप के बीच के सम्बन्ध को स्पष्ट कर सकता था और
मैं लयबद्धता पर अपनी अंगुली प्रस्तुत कर देता जो कि फिल्म की निरन्तरता का प्रतीक
होती।
Thus
the script.................play musically. (Page 154)
कठिन
शब्दार्थ-Imperfect (इम्पफिक्ट्) = with faults, त्रुटिपूर्ण, अपूर्ण। receptive (रिसेप्टिव्)
= ready to listen new ideas, ग्रहणशील, स्वीकार करने के लिए तैयार । assimilated
(असिमलेट्ड्) = to learn, आत्मसात कर लेना। alliance (अलाइअन्स्) = to work
together, मैत्रीसंधि। affect (अफेक्ट्) = to influence, प्रभाव डालना। inhalation
(इन्हलेश्न्) = air reaching the lungs, हवा का फेफड़ों तक जाना, अंतःश्वसन ।
exhalation (एक्स्ह लेश्न् ) = air coming out of lungs, सांस छोड़ना। recreation
(रेक्रिएश्न्) = enjoyment, मनोरंजन । stimulation (स्टिम्युलेश्न्) = more
active, अधिक सक्रिय करना।
हिन्दी
अनुवाद-इस प्रकार लिपि किसी फिल्म का अत्यन्त अपूर्ण तकनीकी आधार होता है। और इस सम्बन्ध
में एक और अत्यन्त महत्त्वपूर्ण बिन्दु है जो कि मैं यहाँ पर व्यक्त करना पसन्द करूँगा।
फिल्म का साहित्य से कोई भी सम्बन्ध नहीं है। दोनों कलाओं के पात्र और तत्व सामान्य
रूप से विरोधी होते हैं।
इसका
शायद मस्तिष्क भी ग्रहणशीलता की प्रक्रिया से थोड़ा-सा सम्बन्ध होता है। लिखित शब्दों
को इच्छाशक्ति की सचेत क्रिया के द्वारा पढ़ा जाता है और आत्मसात् किया जाता है जिसे
बौद्धिकता के साथ रखा जाता है; धीरे-धीरे यह कल्पनाशीलता तथा भावनाओं पर प्रभाव डालता
है। यह प्रक्रिया किसी चलचित्र फिल्म के साथ अलग होती है। जब हमें किसी फिल्म का अनुभव
होता है तो हम जानबूझकर इस भ्रम में डाल देते हैं । इच्छाशक्ति और बौद्धिकता को अलग
रखकर, हम इसके लिए अपनी कल्पनाशीलता में एक रास्ता बनाते हैं। चित्रों की क्रमबद्धता
सीधे हमारी भावनाओं पर प्रभाव डालती है।
संगीत
भी ठीक इसी प्रकार कार्य करता है; मैं कहना चाहूँगा कि कला का ऐसा कोई स्वरूप नहीं
होता है, जितना फिल्म के साथ संगीत में समानता होती है। दोनों ही प्रत्यक्ष रूप से
हमारी भावनाओं पर प्रभाव डालते हैं; बुद्धि के द्वारा नहीं। और फिल्म मुख्य रूप से
एक लयबद्धता होती है; यह सांस की तरह लगातार एक क्रम में चलती रहती है। मेरे बचपन से
ही, संगीत मेरे लिए मनोरंजन तथा सक्रिय करने का महान स्रोत रहा है, और मैं प्रायः किसी
फिल्म अथवा नाटक को संगीतमय रूप में ही अनुभव करता हूँ।
Film
and written ............ line of development. (Pages 154-155)
कठिन
शब्दार्थ-Irrational (इरैशन्ल) = not based on reason, स्पष्ट चिंतन पर आधारित न होना।
infinite (इन्फिनट) = very great, अत्यधिक । adjustments (एजस्मन्ट) = to support,
तालमेल, सुधार, अनुकूलन। proportion (प्रपॉश्न्) = a part of a whole, अंश। biographics
(बाइऑग्रफिज्) = life story of a person written by someone else, जीवनी। compels
(कम्पेल्स्) = to force, बाध्य करना। validity (वलिडटि) = to prove true, सत्य सिद्ध
करना। transmit (ट्रैस्मिट) = to send or pass something, भेजना। imperative (इम्पेरटिव्)
= very important, अत्यन्त महत्त्वपूर्ण। impulse (इम्पल्स्) = sudden desire, तीव्र
इच्छा, आवेग। unconventional (अन्कन्वेन्शन्ल) = not traditional, अपरम्परागत।
हिन्दी
अनुवाद-फिल्म और लिखित साहित्य ऐसा मुख्य रूप से फिल्म और साहित्य में अन्तर के कारण
होता है कि हमें पुस्तकों के आधार पर फिल्म बनाने से बचना चाहिए। बिना स्पष्ट चिन्तन
के साहित्यिक कार्य, इसके अस्तित्व के सूत्र, प्रायः दृश्य शब्दों में अनुनादित करने
योग्य नहीं होते हैं और यह, बारी-बारी से, फिल्म के विशेष, अतार्किक स्वरूपों को नष्ट
कर देते हैं। इसके बावजूद, यदि हम किसी साहित्य को अनुवादित करने की इच्छा करते हैं
तो हमें जटिल अनुकूलन करने योग्य बातों का एक अनन्त नम्बर बनाना होगा जो कि प्रायः
इस पर किए गये प्रयास की तुलना में अत्यन्त तुच्छ अथवा बिल्कुल भी फलदायी नहीं होता
है।
मेरी
अपनी स्वयं की इच्छा कभी भी लेखक बनने की नहीं रही है। मैं उपन्यास, लघु कहानियाँ,
निबन्ध और जीवनियाँ लिखना नहीं चाहता हूँ और यहाँ तक कि प्रेक्षागृहों के लिए नाटक
भी नहीं लिखना चाहता हूँ। मैं केवल फिल्म बनाना चाहता हूँ-स्थितियों, तनावों, चित्रों,
लयबद्धताओं और पात्रों के बारे में फिल्म जो कि मेरे लिए एक रूप से दूसरे रूप में महत्त्वपूर्ण
हैं । चलचित्र, जिसमें जन्म की एक जटिल प्रक्रिया हो, मेरे कहने का एक तरीका होता है
जो मैं अपने साथियों से कहना चाहता हूँ। मैं एक फिल्म बनाने वाला हूँ, कोई लेखक नहीं
हूँ।
इस
प्रकार, लिपि को लिखना एक अत्यन्त कठिन समय होता है, लेकिन एक उपयोगी समय होता है,
क्योंकि यह मुझे मेरे विचारों की सत्यता को तार्किक रूप से सिद्ध करने के लिए बाध्य
करता है। ऐसा करने में, मैं एक संघर्ष में पड़ जाता हूँ-एक ऐसा संघर्ष जो एक जटिल स्थिति
को अपनी दृश्यपूर्ण छवियों के द्वारा प्रसारित करने की मेरी आवश्यकता और सम्पूर्ण स्पष्टता
की मेरी इच्छा के बीच होता है। मेरी ऐसी कभी कोई इच्छा नहीं होती है कि मेरा कार्य
सिर्फ मेरे लिए अथवा कुछ लोगों के लिए लाभदायक हो बल्कि यह सामान्य लोगों के मनोरंजन
के लिए होना चाहिए। लोगों की इच्छाएँ अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होती हैं। लेकिन कभी-कभी
मैं अपनी तीव्र इच्छाओं के कारण जोखिम ले लेता हूँ और यह दिखाया गया है कि जनसाधारण
सर्वाधिक अपरंपरागत विकास की रेखा की भावना के प्रति अत्यन्त आश्चर्य के साथ अपनी प्रतिक्रिया
व्यक्त करता है।
When
shooting ................. dramatic experience. (Pages 155-156)
for
greates - Reviewers = a person who writes about new books, films etc., समीक्षक।
repelled (रिपेल्ड्) = to push back, पीछे धक्का दे देना, विकर्षित होना। borrow (बॉरो)
= to take something on credit, उधार लेना। fundamental (फन्डमेन्ट्ल ) = basic
and important, बुनियादी और महत्त्वपूर्ण।
हिन्दी
अनुवाद-जब फिल्म की शूटिंग शुरू होती है तो सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण बात वह होती है जब
जो लोग मेरे साथ कार्य करते हैं, वे निश्चित सम्पर्क महसूस करते हैं, कि हम में से
सभी किसी न किसी तरह साथ-साथ कार्य करके अपने मतभेदों को समाप्त कर देते हैं। हमें
हाथ में लगे कार्य के ठीक प्रकार से सम्पादित करने के लिए एक ही दिशा में कार्य करना
चाहिए। कभी-कभी इससे मतभेद भी उत्पन्न हो जाते हैं। लेकिन जितना ज्यादा निश्चित एवं
स्पष्ट 'marching orders' होते हैं, उतने ही ज्यादा सरलता से लक्ष्य प्राप्त होता है
जो निर्धारित किया गया है। यह निर्देशक के रूप में मेरे व्यवहार का आधार है और शायद
उस सब बकवास की व्याख्या है जो कुछ भी मेरे बारे में लिखा गया है।
जबकि
मैं स्वयं को इस बात से चिन्तित नहीं कर सकता कि लोग व्यक्तिगत रूप से मेरे बारे में
क्या सोचते हैं और कहते हैं । मेरा विश्वास है कि समीक्षकों और आलोचकों को मेरी फिल्मों
की व्याख्या करने का पूर्ण अधिकार है जैसा भी वे पसन्द करते हैं । मैं दूसरों के सामने
अपने कार्य की व्याख्या करने से इन्कार करता हूँ और मैं आलोचकों को यह नहीं बता सकता
कि वे क्या सोचें प्रत्येक व्यक्ति को किसी भी फिल्म को उसी तरह समझने का अधिकार है
जैसा कि वह देखता है। या तो वह आकर्षित होता है अथवा विकर्षित होता है। एक फिल्म का
निर्माण प्रतिक्रिया के लिए किया जाता है। यदि दर्शक किसी भी प्रकार से इस या उस प्रकार
से प्रतिक्रिया नहीं देता है तो यह एक तटस्थ कार्य है और मूल्यहीन है।
मेरा
कहने का आशय यह नहीं है कि मैं किसी भी कीमत पर 'भिन्न प्रकार से' होने में विश्वास
करता हूँ। वास्तविकता के मूल्य के बारे में बहुत कुछ कहा गया है, और इसे मैं मूर्खतापूर्ण
मानता हूँ। या तो आप वास्तविक हैं अथवा आप नहीं हैं। कलासाधकों के लिए यह पूरी तरह
स्वाभाविक है कि वे एकदूसरे से लें और एक-दूसरे को दें, एक-दूसरे को उधार दें और अनुभवों
को एक-दूसरे से साझा करें। मेरे अपने जीवन में, मेरा महान साहित्यिक अनुभव स्ट्रिन्डबर्ग
था। उसके ऐसे कार्य हैं कि जिससे मेरे बाल अपने सिरे तक खड़े हो जाते हैं-उदाहरण के
लिए, 'The People of Hemso'. और मेरा किसी दिन Dream Play बनाने का स्वप्न है।
1934 में ओलोक मोलैण्डर का उत्पादन मेरे लिए बुनियादी और महत्त्वपूर्ण नाटकीय अनुभव
था।
Significant
persons...................of my creativity. (Pages 156-157)
कठिन
शब्दार्थ-Revolt (रिवोल्ट्) = protest, विद्रोह । wholesomeness (होल्सम्नैस्) =
good for health, Farmastan, atrieci scorned = feeling of hatred, तिरस्कार
की भावना। pound (पाउन्ड्) = to hit, तोड़ना। bourgeois (बुअश्वा )-मध्यमवर्गीय, रूढ़िवादी,
पूँजीवादी। conception (कन्सेप्शन्) = understand, समझना । scratch (स्क्रैच्) =
to rub, खरोंचना। crazy (क्रेजि) = very silly, पागल, मूर्ख । integrity (इन्टेग्रटि)
= honest and strong moral principles, ईमानदार एवं दृढ़ नैतिक सिद्धान्त ।
compromise (क्रॉम्प्रमाइज्) = an agreement, सुलह का मध्य रास्ता । creativity (क्रीएटिवटि)
= quality to make things with skill and imagination, सृजनशीलता।
हिन्दी
अनुवाद-महत्त्वपूर्ण व्यक्ति व्यक्तिगत स्तर पर, बहुत से ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने
मेरे साथ अत्यधिक व्यवहार किया है। मेरे पिता और माता अत्यधिक महत्त्वपूर्ण व्यक्ति
थे केवल अपने आप में ही नहीं बल्कि क्योंकि उन्होंने मेरे लिए विद्रोह करने के लिए
पूरे संसार का निर्माण किया। मेरे परिवार में, स्वस्थ हृदयग्राही वातावरण था जिसको
कि मैं, एक भावुक युवा, घृणा करता था और जिनके विरुद्ध विद्रोह करता था। लेकिन उस कठोर
मध्यमवर्गीय परिवार ने मुझे तोड़ने के लिए एक दीवार प्रदान की, कोई ऐसी चीज जिसके विरुद्ध
मैं स्वयं को तीव्र कर सकता था।
ठीक
इसी समय पर, उन्होंने मुझे अनगिनत मूल्यों के बारे में सिखाया-क्षमता, समयबद्धता, आर्थिक
उत्तरदायित्व की भावना-जो कि रूढ़िवादी हो सकती है लेकिन फिर भी कला साधकों के लिए
अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होती है । वे उस प्रक्रिया का अंग होती हैं जिसमें कोई भी स्तरीय
मानक स्थापित करता है। आज, फिल्म बनाने वाले के रूप में, मैं सतर्क, कठोर परिश्रमी
और अत्यन्त सावधान हूँ; मेरी फिल्मों में बहुत अच्छी शिल्पकारी होती है और मेरा गर्व
एक अच्छे शिल्पकार का गर्व होता है।
उन
लोगों में जिन्होंने मुझे मेरे व्यावसायिक विकास में कुछ न कुछ योगदान दिया है, उनमें
से एक Torsten Hammaren of Gothenburg है। मैं वहाँ पर Halsingborg से गया था जहाँ
पर मैं दो वर्ष तक नगरीय प्रेक्षागृह का प्रधान रहा था। मुझे यह समझ नहीं थी कि प्रेक्षागृह
क्या होता है-Hammaren ने मुझे चार वर्षों के दौरान सिखाया था जब मैं Gothenburg में
रहा था। उसके बाद जब मैंने फिल्म में प्रथम प्रयास किया तो Alf Sjoberg-जिसने
Torment फिल्म का निर्देशन किया था-ने मुझे बहुत अधिक सिखाया था। और एक Lorens
Marmstedt था, जिसने मुझे मेरी पहली असफल फिल्म के बाद फिल्म बनाना सिखाया।
अन्य
बहुत बातों में से एक मैंने Marmstedt सीखी वह एक कभी भी न टूटने वाला नियम था-तुम्हें
अपने कार्य को अत्यन्त तटस्थता तथा स्पष्ट रूप से देखना चाहिए; आपको सिनेमा के बड़े
पर्दे पर दैत्य के रूप में होना चाहिए जब आप दिनभर के दर्शकों को देखें। उसके बाद,
Herbert Grevenius था, उन कुछ लोगों में से एक, जिनका मेरे ऊपर लेखक होने का विश्वास
था। मुझे लिपि लेखन में समस्या थी और मैं अधिक से अधिक नाटक, संवाद लेखन के पास पहुँच
रहा था जो कि अभिव्यक्ति के साधन हैं। उसने मुझे अत्यधिक प्रोत्साहन दिया।
अन्त
में, मेरा निर्माता Carl Anders Dymling है। वह एक सृजनात्मक कला साधक के उत्तरदायित्व
की भावना में विश्वास रखने के प्रति पराकाष्ठा तक पहुँचने में पर्याप्त है बजाय इसके
कि वह लाभ और हानि की गणना करे। इस प्रकार मैं ईमानदारी और दृढ़ता से कार्य करने में
समर्थ हुआ जो कि मेरी वह प्राणवायु हो गई जिसकी मैं सांस लेता हूँ और उन कारणों में
से एक जिसके कारण मैं स्वीडन से बाहर कार्य करना नहीं चाहता हूँ। जिस क्षण पर मैं इस
स्वतन्त्रता को खो दूंगा तो मैं फिल्म बनाने वाला भी नहीं रहूँगा, क्योंकि मेरी समझौता
करने की कला में कोई कुशलता नहीं है। मेरी फिल्मी दुनिया में महत्ता केवल मेरी सृजनशीलता
की स्वतन्त्रता में निहित है।
The
tightrope of .......... on this ground. (Pages 157-158)
कठिन
शब्दार्थ-Tightrope (टाइट्रोप्) = a rope or wire stretched high dome the ground,
ऊँचाई पर बंधी हुई रस्सी, नट की रस्सी । conjures (कन्ज()) = to do clever tricks,
जादू जैसी क्रिया। wand (वॉन्ड्) = a thin stick of magicians, जादूगर की छड़ी।
ruthlessly (रूथ्ल स्लि ) = hard and cruel, कठोर और निर्मम । sausage (सॉसिज्) =
very small pieces of meat, माँस के छोटे-छोटे टुकड़े। brutality (बूटैलटि) = very
cruel and violent behaviour, क्रूरता, बर्बरता । undisguised (अन्डिस्गाइजड्) =
clearly shown, स्पष्ट ।
concern
(कन्सन्) = to worry, चिन्तित करना। sentimentally (सेन्टिमेन्टैलटि) = full of
emotions, भावुकतापूर्ण । got rid of (गॉट रिड ऑफ) = to be free, छुटकारा पाना।
intuition (इनट्युइशन्) = feeling of understanding, earlier, अन्तर्ज्ञान। Babel
(बेबल) = noise, कोलाहल, शोरगुल । thesis (थीसिस्) = an idea with evidences, प्रमाणित
सिद्धान्त । shattering (शैट(रि)ङ्) = to break into pieces, टुकड़े-टुकड़े कर देना
। terribly (टेरब्(लि)) = very, अत्यधिक।
हिन्दी
अनुवाद-फिल्म निर्माण की रस्सी आज, एक महत्त्वाकांक्षी फिल्म बनाने वाले को बिना जाल
के ऊँचाई पर कसकर बँधी हुई रस्सी पर चलना पड़ता है। वह जादू जैसी क्रिया दिखाने वाला
हो सकता है लेकिन कोई भी व्यक्ति निर्माता, बैठक निदेशक अथवा प्रेक्षागृह मालिक पर
जादू नहीं चलाता है, जब साधारण लोग फिल्म देखने जाने से इन्कार कर देते हैं और उस धन
को खर्च करने से इन्कार कर देते हैं जिससे निर्माता, बैठक निदेशक, प्रेक्षागृह मालिक
तथा जादू जैसी क्रिया दिखाने वाले जीवित रहते हैं।
जादू
जैसी कला दिखाने वाला, तत्पश्चात् अपनी जादू की छड़ी से वंचित हो जाता है, मैं निपुणता
की मात्रा, पहल करने की योग्यता और सृजनशीलता को मापने योग्य होना पसन्द करूँगा जिसे
फिल्म उद्योग द्वारा योग्य मशीनों के द्वारा क्रूरतापूर्वक नष्ट कर दिया गया है। जो
मेरे लिए कभी एक खेल था अब वह संघर्ष बन गया है। असफलता, आलोचना, लोगों की तटस्थता
यह सब बीते हुए कल की तुलना में आज बहुत ज्यादा दुःख पहुँचाता है। उद्योग की बर्बरता
बिल्कुल स्पष्ट है लेकिन फिर भी यह लाभदायक है।
लोगों
के लिए और फिल्मों के व्यापार के लिए। एक पादरी के पुत्र की तरह, मुझसे मेरी सोच और
फिल्म निर्माण में धर्म की भूमिका के बारे में पूछा गया है। मेरे लिए, धार्मिक समस्याएँ
लगातार सजीव हैं। मैं उनके साथ अपनी चिन्ता करना कभी भी नहीं छोड़ता हूँ; यह प्रत्येक
दिन के प्रत्येक समय पर चलती रहती हैं। लेकिन फिर भी यह भावनात्मक स्तर पर उत्पन्न
नहीं होती हैं बल्कि केवल बौद्धिक स्तर पर उत्पन्न होती हैं।
धार्मिक
भावनाएँ, धार्मिक भावुकतापूर्ण क्रियाएँ कोई ऐसी चीज है जिससे मैं काफी पहले ही छुटकारा
पा चुका हूँ-मैं आशा करता हूँ। धार्मिक समस्या मेरे लिए एक बौद्धिक समस्या है; मेरे
मस्तिष्क और मेरे अन्तर्ज्ञान के बीच का सम्बन्ध है। इस संघर्ष का परिणाम सामान्य रूप
से भ्रमपूर्ण स्थितियों की मीनार से है। दार्शनिक रूप से, एक पुस्तक मेरे लिए बहुत
अधिक अनुभव की पुस्तक रही है-Eiono Kaila की Psychology of the Personality। उसका सिद्धान्त
था कि मनुष्य कठोरतापूर्वक अपनी आवश्यकताओं के अनुसार जीवित रहता है-नकारात्मक और सकारात्मक-मेरे
लिए नष्ट करने योग्य था किन्तु अत्यधिक सत्य था। और मैंने इसी भूमि पर निर्माण किया।
Cathedral-building.............natural
humility. (Pages 158-159)
कठिन
शब्दार्थ-Cathedral (कथीड्रल) = a large church, सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण चर्च।
intentions (इन्टेन्श्न्स् ) = a plan or purpose, अभिप्राय, करने की इच्छा ।
evasive (इवेसिव्) = trying to avoid, घुमा-फिरा कर कहा गया। compass (कम्पस्) =
an instrument to find direction, दिशासूचक । giant (जाइअन्ट्) = extremely large and
strong, अत्यधिक विशाल एवं शक्तिशाली । procession (प्रसेश्न्) = a line of people
and vehicles as a ceremony, जुलूस, शोभायात्रा। clowns (क्लाउन्) = a person in
funny clothes, जोकर, विदूषक। burghers (बग्(र)) = people, नागरिक।
anonymous
(अनॉनिमस्) = whose name is not known, अज्ञात । umbilical cord (अम्बिलिक्ल कॉड्)
= the tube that connects a baby to its mother before birth, नाल, नाभि नाड़ी।
sterile (स्टेराइल) = unable to produce, निर्माण में अक्षम । generating (जेनरेटिङ्)
= to create something, निर्माण करना । artisans (आटिजन्स्) = a person who makes
things skillfully, शिल्पकार । invulnerable (इन्वल्नरेब्ल्) = which can not be
destroyed, जो नष्ट न किया जा सके। humility (ह्यूमिलिटि) = humbleness, विनम्रता।
हिन्दी
अनुवाद-लोग पूछते हैं कि मेरी फिल्मों में मेरी मानसिकता क्या होती है-मेरे उद्देश्य
क्या होते हैं। यह अत्यन्त कठिन और खतरनाक प्रश्न होते हैं और मैं इनका प्रायः घुमा-फिराकर
उत्तर देता हूँ; मैं मानवीय स्थिति के बारे में सच्चाई बताने की कोशिश करता हूँ, वह
सच्चाई जैसी मैं देखता हूँ। यह उत्तर सभी को संतुष्ट करता हआ प्रतीत होता है, परन्तु
यह पूरी तरह से ठीक नहीं है। मैं यह बताना ज्यादा पसन्द करूँगा कि मैं अपना उद्देश्य
कौनसा बनाना पसन्द करूँगा।
एक
पुरानी कहानी है कि Chartres के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण चर्च को किस प्रकार आग लगा दी
गई थी और उसे पूरी तरह जला दिया गया था। उसके बाद हजारों लोग सभी दिशाओं से आये, जैसे
कि यह चींटियों का विशाल जुलूस हो और उन्होंने एक साथ उस चर्च को उसके पुराने स्थान
पर बनाना शुरू कर दिया। वे तब तक कार्य करते रहे जब तक कि इमारत पूरी बनकर तैयार नहीं
हो गई-प्रमुख बनाने वाले, कलासाधक, मजदूर, विदूषक, दरबारी, पुजारी, नागरिक । लेकिन
वे सभी अज्ञात रहे और आज तक भी कोई नहीं जानता कि Chartres के चर्च का निर्माण किसने
किया।
अपने
विश्वासों और मेरे अपने सन्देहों के प्रति अनासक्त रहते हुए, जो कि इस सम्बन्ध में
महत्वहीन हैं, मेरा यह मत है कि कला ने अपनी आधारभूत सृजनशीलता को उसी क्षण खो दिया
था जब यह पूजा से अलग हो गई। इसने अपने नाभि नाल को काट दिया और अब यह अक्षमता का जीवन
व्यतीत कर रही है, अपना स्वयं का निर्माण और विनाश कर रही है। पुराने दिनों में, कलासाधक
अज्ञात रहता था और उसका कार्य ईश्वर की यशगाथा होता था।
वह
दूसरे शिल्पकारों से ज्यादा अथवा कम महत्त्वपूर्ण हुए बिना ही जीवित रहता था और मृत्यु
को प्राप्त हो जाता था; उसके मामले में 'अमरता के मूल्य', 'अमरता' और 'अतिश्रेष्ठ रचना'
जैसे शब्द लागू नहीं होते थे। सृजनशीलता एक उपहार थी। ऐसे संसार में, नष्ट न होने वाला
पूर्ण आश्वासन और स्वाभाविक विनम्रता फलती-फूलती थीं।
Today
the individual................. of the Cathedral. (Page 159)
कठिन
शब्दार्थ-Bane (बेन्) = cause of troubles and unhappiness, परेशानी और दुःख का कारण
। microscope (माइक्रोस्कोप) = an equipment to see small things large, सूक्ष्मदशी
। isolation (आइसलेश्न्) = separation, अलग होना, पृथक्करण। subjectivity (सब्जेक्टिविटि)
= of individual, व्यक्तिपरकता। bleat (ब्लीट) = to speak in a complaining voice,
शिकायती स्वर में कहना | smothering (स्मद(रि)ङ्) = to kill somebody by covering
face, दम घोंटकर मार डालना। whim (विम्) = a sudden desire to do, सनक । plain (प्लेन्)
= easy, सरल।
हिन्दी
अनुवाद-आज, व्यक्ति कलात्मक सृजनशीलता के लिए सर्वोच्च स्वरूप एवं सर्वाधिक परेशानी
और दुःख का कारण बन गया है। अहम् का छोटे से छोटा घाव अथवा दुःख को भी सूक्ष्मदर्शी
से देखा जाता है जैसे कि यह कभी नष्ट न होने वाले महत्त्व का है। कलासाधक अपने पृथक्करण,
अपनी व्यक्तिनिष्ठा, अपने व्यक्तिवाद को लगभग पवित्र समझता है। इस प्रकार, हम सभी अन्त
में एक बड़े बाड़े में इकट्ठे हो जाते हैं जहाँ पर हम खड़े हो जाते हैं और अपनी एकान्तता
के बारे में बिना एक-दूसरे की बात सुने शिकायत करते रहते हैं और हम यह भी महसूस नहीं
कर पाते हैं कि हम एक-दूसरे को गला घोंट कर मार रहे हैं।
व्यक्तिवादी
एकदूसरे की आँखों में झाँकते रहते हैं लेकिन फिर भी एक-दूसरे के अस्तित्व से इन्कार
करते हैं। हम गोल घेरों में चलते हैं, हमारी परेशानियों के कारण इतने छोटे हैं कि हम
सत्य और असत्य के बीच, अपराधियों के गिरोह की सनक और पवित्रतम आदर्शों के बीच अन्तर
भी नहीं कर सकते हैं।
इस
प्रकार, यदि मुझे पूछा जाए कि मैं अपनी फिल्मों का क्या सामान्य उद्देश्य बनाना पसन्द
करूँगा तो मैं उत्तर दूंगा कि मैं चर्च के उन कलासाधकों में से एक बनना पसन्द करूँगा
जो कि एक अत्यन्त सरलता से रहते हैं। मैं पत्थरों से एक दैत्य का सिर, एक देवदूत, एक
दैत्य और शायद एक सन्त भी बनाना पसन्द करूंगा। इसका अर्थ यह नहीं है कि कौनसा; यह संतोष
की भावना होती है जो महत्त्वपूर्ण होती है। इस बात से अनासक्त रहते हुए कि मैं विश्वास
करता हूँ अथवा नहीं, कि मैं एक ईसाई हूँ या नहीं, मैं चर्च के सामूहिक निर्माण में
अपनी भूमिका निभाऊंगा।
Interview
with ..................... time is a mystery. (Pages 159-160)
कठिन
शब्दार्थ-string (स्ट्रिङ्) = thin rope to tie, डोरी, फीता। semiotics (सेमिओटिक्स)
= the study of signs and symbols, संकेत विज्ञान, लक्षण विज्ञान । medieval (मेडिईव्ल)
= related to mid ages, मध्यकाल । aesthetics (ईस्थेटिक्) = related to beauty and
art, सौन्दर्य और कला। excerpt (एक्सप्ट्) = a short piece of a book, film, उद्धरण
| yarn (यान्) = thread, धागा। delves (डेल्वस्) = to search deeply, गहरी खोज करना।
metaphysics (मेटफिजिक्स्) = philosophy of existence, truth and knowledge, अस्तित्व,
सत्य और ज्ञान से सम्बन्धित दर्शनशास्त्र । theology (थिऑलजि) = the study of
religion, धर्मशास्त्र । trash (ट्रैश्) = rubbish, बेकार की वस्तु । mystery (मिस्टरि)
= unable to understand, रहस्यमय।
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अनुवाद-अम्बर्टो ईको के साथ साक्षात्कार तीस से अधिक सम्मानस्वरूप प्रदान की गई डॉक्टरेट
उपाधियाँ और साहित्यिक और शैक्षिक पुरस्कारों की एक श्रृंखला के साथ, अम्बर्टो ईको
की प्रतिष्ठा संसार के सर्वाधिक बुद्धिजीवियों में होती है। इटली के बोलोना विश्वविद्यालय
में प्रोफेसर, अम्बर्टो ईको को संकेत विज्ञान, साहित्यिक व्याख्याएँ तथा मध्ययुगीन
सौन्दर्य शास्त्र के लिए जाना जाता है। वह एक महत्त्वपूर्ण, सफल एवं सम्मानित उपन्यासकार
एवं लेखक है। उसका उपन्यास 'द नेम ऑफ द रोज' 1980 में प्रकाशित हुआ और उसकी दस मिलियन
से ज्यादा कॉपी बिकीं। यहाँ पर ईको के साथ लिये गये एक साक्षात्कार का एक अंश है जिसमें
वह पुस्तकों के ऊपर फिल्म बनाने के बारे में अपने विचार व्यक्त करता है।
'द
नेम ऑफ द रोज' एक अत्यन्त गम्भीर उपन्यास है। एक स्तर पर यह जासूसी धागे से बुना गया
है जबकि दूसरी ओर यह अस्तित्व, सत्य और ज्ञान से सम्बन्धित दर्शनशास्त्र, धर्मशास्त्र
और मध्ययुगीन इतिहास पर गहरी खोज करता है। फिर भी इसने बहुत बड़ी मात्रा में दर्शकों
को अपनी ओर खींचा। क्या आप इस पर उलझन-ग्रस्त रह गये ? नहीं। पत्रकार उलझन-ग्रस्त रह
गये हैं। और कभी-कभी प्रकाशक भी। और इसका कारण यह था कि पत्रकार और प्रकाशकों का विश्वास
होता है कि लोगों को बेकार की वस्तुएँ पसन्द हैं और उन्हें कठिन अध्ययन का अनुभव पसन्द
नहीं है। सोचिये कि इस संसार में छः बिलियन लोग रहते हैं।
द
नेम ऑफ द रोज की 10 मिलियन से 15 मिलियन के बीच प्रतियाँ बिकीं। इसलिए एक प्रकार से
मैं पाठकों की केवल एक छोटी सी संख्या तक ही पहँचा। लेकिन ये ठीक उसी प्रकार के पाठक
हैं जो सरल अनुभव नहीं चाहते हैं। अथवा कम से कम हमेशा ऐसा नहीं चाहते हैं। मैं स्वयं
भी रात्रि भोजन के बाद नौ बजे दूरदर्शन देखता हूँ और या तो 'Miami Vice' अथवा
'Emergency Room' देखना चाहता हूँ। मैं इसका आनन्द लेता हूँ और मुझे इसकी आवश्यकता
है। लेकिन पूरे दिन नहीं।
क्या
उपन्यास की विशाल सफलता का इस वास्तविकता. से भी कोई सम्बन्ध है कि इसमें मध्ययुगीन
इतिहास के समय का चित्रण किया गया है कि.... यह सम्भव हो सकता है। लेकिन मैं आपको दूसरी
कहानी बताता हूँ, क्योंकि मैं अक्सर चीन के बुद्धिमान व्यक्ति जैसी कहानियाँ सुनाता
हूँ। मेरी अमेरिकी प्रकाशक ने कहा जब उसे मेरी पुस्तक पसन्द आ गई, कि उसे उस देश में
3000 प्रतियों से ज्यादा बिकने की कोई आशा नहीं थी जहाँ पर किसी ने भी चर्च नहीं देखा
हो अथवा लैटिन भाषा का अध्ययन नहीं किया हो। अतः मुझे तीन हजार प्रतियों की धनराशि
पेशगी में दी गई। लेकिन अन्त में इसकी अमेरिका में ही दो अथवा तीन मिलियन प्रतियाँ
बिकीं।
मेरी
पुस्तक से भी पहले भी मध्ययुगीन काल के बारे में बहुत सी पुस्तकें लिखी गई हैं। मैं
सोचता हूँ कि पुस्तक की सफलता एक रहस्य है। कोई भी व्यक्ति इस बारे में भविष्यवाणी
नहीं कर सकता है। मैं सोचता हूँ कि यदि मैंने 'द नेम ऑफ द रोज' को दस वर्ष पहले लिखा
होता अथवा दस वर्ष बाद लिखा होता तो यह ठीक इसी प्रकार नहीं होती। इसने उसी समय कार्य
किया यह भी रहस्यमय है।
What
did you ........ kind of literature. (Pages 160-161)
कठिन
शब्दार्थ-lettuce (लेटिस्) = a plant with green leaves, सलाद पत्ते का पौधा।
layers (लेअ(र्)) = a thickness between other things, परत । Jambon (जैम्बों) =
ham, (माँस के टुकड़े । cheese (चीज्) = food made from milk, दूध से बना एक पदार्थ
। remuneration (रिम्यूनरेशन्) = payment for work, पारिश्रमिक। embarrassing (इम्बैरसिङ्)
= making uncomfortable, परेशानी में डालने वाला, निराशाजनक । enviable (एन्विअब्ल)
= that somebody else has and one does not, दूसरे के पास होने के कारण ईर्ष्या का
कारण।
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अनुवाद-आपने फिल्म के बारे में क्या सोचा [जिसका निर्देशन Jean Jacques Annaud ने किया
और नायक Sean Connery नायक था] ? आप उससे खुश क्यों नहीं थे?
मैंने
आशा की थी कि फिल्म कुछ अलग होगी। मेरा उपन्यास विभिन्न चीजों का मिश्रण है-सलाद, टमाटर,
चीज.... इसका अर्थ विभिन्न परतें? हाँ। एक फिल्म सभी परतों का चयन नहीं कर सकती। इसे
मांस और चीज में अन्तर करना पड़ेगा.... मैंने उन लेखकों की तरह प्रतिक्रिया व्यक्त
नहीं की, जो फिल्म के बनाये जाने के तुरन्त बाद, कहते हैं कि यह मेरी पुस्तक पर बिल्कुल
भी आधारित नहीं है। लेकिन उस अनुभव के बाद, मैंने प्रकाशक से कहा कि वह उपन्यास के
अधिकार न बेचे। मैंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि मैंने पाया कि अस्सी प्रतिशत पाठक फिल्म
के बाद ही पुस्तक को पढ़ते हैं। और यह एक उपन्यासकार के लिए अत्यन्त दुःखदायी होता
है।
लेकिन
निश्चिन्त रूप से इसका अर्थ और अधिक सफलता, और अधिक पारिश्रमिक होता है ? हाँ, यह जानना
निराशाजनक है कि किसी अन्य ने पाठकों को पहले ही यह बता दिया है कि उपन्यास को एक विशेष
प्रकार से पढ़ा जाना चाहिए, कि उसे एक पात्र के चेहरे की एक विशेष प्रकार से कल्पना
करनी चाहिए। ईर्ष्या से सम्बन्धित केवल एक स्थिति होमर से है जिसकी पुस्तक पर पुस्तक
लिखने के दो हजार साल से भी ज्यादा वर्ष बाद फिल्म बनाई गई। (हँसी आती है)
इसलिए
यही कारण है कि Stanley Kubrick ने कभी भी Foucault's Pendulum क्यों नहीं बनाई? क्योंकि
मैंने एक सामान्य नियम पर जोर दिया और प्रकाशक ने इन्कार कर दिया। तत्पश्चात्
Stanley Kubrick की मृत्यु हो गई। परन्तु यह एक महान मूवी हो सकती है। (हंसी आती है)
Foucault's Pendulum के बारे में बात करते हुए, एक ऐसी भावना है जिसमें आपने Da Vinci Code को डैन ब्राउन से भी पहले प्रस्तुत किया। वास्तव में, आपने इसे एक किंवदन्ती के रूप में प्रस्तुत किया जो कि इसे एक विचित्र वास्तविकता के रूप में मानती है और उसने इसे ऐतिहासिक सत्य के रूप में प्रस्तुत किया। मैंने डैन ब्राउन की कहानी सुनाई। मेरे पात्र उसके हैं । मैंने इस प्रकार के साहित्य पर एक विस्तृत चित्रण प्रस्तुत किया। मुकुन्द पद्मनाभन्