प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
Class - 12
अर्थशास्त्र (Economics)
अध्याय 3 मुद्रा और बैंकिंग
बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Question)
1. निम्नलिखित में से कौन-सा विनिमय का
सर्वोत्तम साधन है ?
a.
वस्तु
b. मुद्रा
c.
चेक
d.
हुंडी
2. मुद्रा ने दूर किया है-
a.
सामाजिक बुराइयों को
b.
आर्थिक बुराइयों को
c.
सरकार की समस्याओं को
d. वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाइयों को
3. निम्नलिखित में से मुद्रा का मुख्य कार्य कौन
है ?
a.
मूल्य का संचय
b.
साख का आधार
c.
संपत्ति की तरलता
d. विनिमय का माध्यम
4. निम्नलिखित में
से मुद्रा का गौण कार्य कौन है ?
a. मूल्य का मापक
b. विनिमय का माध्यम
c. विलंबित भुगतान का मान
d.
सामाजिक आय का वितरण
5. निम्नलिखित में से मुद्रा का आकस्मिक कार्य
कौन है ?
a.
मूल्य का संचय
b. सामाजिक आय का
वितरण
c.
मूल्य का मापक
d.
मूल्य का हस्तांतरण
6. 'मुद्रा वह है जो मुद्रा का कार्य करती है' यह परिभाषा किसकी है?
a.
मार्शल
b.
केन्स
c.
रॉबर्टसन
d. हार्टले विदर्स
7. किस विधि से हम बैंक से मुद्रा निकाल सकते
हैं?
a. आहरण पत्र (Withdrawal From)
b.
चेक (Cheque)
c.
एटीएम (ATM)
d. इनमें से सभी
8. मुद्रा के स्थैतिक और गत्यात्मक कार्यों का
विभाजन किसने किया ?
a.
रैनर फ्रिश
b. पॉल एजिंग
c.
मार्शल
d.
इनमें से सभी
9. जनता का बैंक कौन-सा है?
a. व्यापारिक बैंक
b.
केंद्रीय बैंक
c.
A तथा B दोनों
d.
इनमें से कोई नहीं
10. व्यापारिक बैंक के प्राथमिक कार्य निम्नलिखित
में कौन से हैं?
a.
जमाएँ स्वीकार करना
b.
ऋण देना
c.
साख निर्माण
d. उपर्युक्त सभी
11. साख मुद्रा का विस्तार होता है जब नकद कोष
अनुपात (CRR)-
a. घटता है
b.
बढ़ता है
c.
A तथा B दोनों
d.
इनमें से कोई नहीं
12. ATM का पूर्ण रूप क्या है ?
a.
एनी टाइम मनी
b.
ऑल टाइम मनी
c. ऑटोमेटेड टेलर मशीन
d.
A तथा B दोनों
13. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया क्या है ?
a. व्यापारिक बैंक
b.
केंद्रीय बैंक
c.
निजी बैंक
d.
इनमें से कोई नहीं
14. भारत का केंद्रीय बैंक निम्नलिखित में कौन सा है ?
a. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया
b.
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया
c.
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया
d.
बैंक ऑफ इंडिया
15. केंद्रीय बैंक के निम्नलिखित में कौन से
कार्य हैं ?
a.
नोट निर्गमन का एकाधिकार
b.
सरकार का बैंकर
c.
विदेशी विनिमय कोषों का संरक्षक
d. उपर्युक्त सभी
16. केंद्रीय बैंक द्वारा कौन सी मुद्रा जारी की
जाती है ?
a. चलन मुद्रा
b.
साख मुद्रा
c. सिक्के
d.
इनमें से सभी
17. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना हुई -
a.
1947 में
b. 1935 में
c.
1937 में
d.
1945 में
18. केंद्रीय बैंक साख नियंत्रण करती है.
a.
बैंक दर के जरिए
b.
खुले बाजार प्रक्रिया के जरिए
c.
CRR के जरिए
d. इनमें से सभी
19. केंद्रीय बैंक का मुख्य कार्य है-
a.
केंद्रीय सरकार का बैंक,
एजेंट, सलाहकार
b.
बैंकों का बैंक
c.
नोट जारी करना
d. इनमें से सभी
20. भारत में ₹1 का नोट जारी करता है-
a.
भारतीय रिजर्व बैंक
b. भारत सरकार का वित्त मंत्रालय
c.
भारतीय स्टेट बैंक
d.
इनमें से कोई नहीं
21. बैंक का एजेंसी कार्य क्या है ?
a.
ऋण देना
b.
जमा स्वीकार करना
c. ट्रस्टी का कार्य करना
d.
लॉकर सुविधा देना
अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Very short Answer question)
प्रश्न 1. ATM का पूर्ण रूप क्या है?
उत्तर- ऑटोमेटेड टेलर मशीन (Automated Teller Machine)
प्रश्न 2. अधिविकर्ष से क्या समझते हैं ?
उत्तर- अधिविकर्ष प्रणाली में चालू
खाते के जमा कर्ताओं को अपनी जमा राशि के ऊपर भी एक निश्चित सीमा तक रकम निकालने
की अनुमति दे दी जाती है। बैंक अधिविकर्ष की राशि निश्चित कर देता है, और ऋणी इस राशि
के भीतर राशि निकाल सकता है। ऋणी वास्तविक रूप में निकाली गई रकम पर ब्याज देता है
।
प्रश्न 3. साख गुणक का सूत्र बताइए
उत्तर- साख गुणक 1/ जमाओं पर नकद
कोष अनुपात
साख गुणक =
प्रश्न 4. कौन सा बैंक साख निर्माण करता है
उत्तर- व्यापारिक बैंक
प्रश्न 5. बैंक दर किसे कहते हैं ?
उत्तर- वह दर जिस पर केंद्रीय बैंक
वाणिज्यिक बैंकों को ऋण देते हैं।
प्रश्न 6. नकद कोष अनुपात (CRR) क्या है?
उत्तर- व्यापारिक बैंकों को अपनी
कुल जमा राशि का एक निश्चित प्रतिशत केंद्रीय बैंक के पास नकद कोष के रूप में जमा
करना पड़ता है जिसे नकद कोष अनुपात कहते हैं।
प्रश्न 7. वैधानिक तरलता अनुपात (SLR) क्या है ?
उत्तर- वैधानिक तरलता अनुपात के
अंतर्गत प्रत्येक व्यापारिक बैंकों को अपनी कुल जमा का एक निश्चित प्रतिशत अपने
पास तरल रूप में रखना पड़ता है।
प्रश्न 8. मौद्रिक नीति क्या है ?
उत्तर- मौद्रिक नीति देश के
केंद्रीय बैंक द्वारा निर्धारित की जाती है । मौद्रिक नीति का उद्देश्य साख एवं
मुद्रा के प्रवाह को नियमित करना है ।
केंद्रीय बैंक अपनी मौद्रिक नीति
के उपकरणों बैंक दर, रेपो
दर, नकद-
कोष, वैधानिक
तरलता अनुपात में समय-समय पर परिवर्तन करता है ।
प्रश्न 9. उच्च शक्तिशाली मुद्रा के प्रमुख घटक लिखिए
उत्तर- लोगों के पास नकदी (सिक्के
तथा पत्र मुद्रा) तथा बैंक के पास नकद आरक्षण को उच्च शक्ति वाली मुद्रा कहा जाता
है क्योंकि इसी मुद्रा के आधार पर बैंक साख का निर्माण कर सकते हैं।
H
= C+R
H
= उच्च शक्ति मुद्रा
C
= जनता के पास चलन मुद्रा
R
= सरकार एवं बैंकों का RBI
के पास जमा
प्रश्न 10. बैंक मुद्रा क्या है ?
उत्तर- वाणिज्यिक बैंकों के द्वारा
मांग जमाओं के माध्यम से सृजित मुद्रा बैंक मुद्रा कहलाती है।
प्रश्न 11. मुद्रा क्या है?
उत्तर- एक वस्तु जो विनिमय के
माध्यम के रूप में सामान्य रूप से स्वीकार की जाती है मुद्रा कहलाती है। भारत में रुपया एक मुद्रा है
क्योंकि यह भारत में सामान्य रूप से विनिमय का माध्यम है ।
प्रश्न 12. मुद्रा की पूर्ति कौन करते हैं ?
उत्तर-
(i) देश की सरकार तथा
(ii)
केंद्रीय बैंक (जो मुद्रा जारी करने का प्राधिकारी है) एवं वाणिज्यिक बैंक (जो
मांग जमाओं द्वारा मुद्रा की पूर्ति में वृद्धि करते हैं) को सम्मिलित किया जाता
है।
प्रश्न 13. रेपो दर क्या है?
उत्तर- ब्याज की वह दर जिस पर
वाणिज्यिक बैंक, केंद्रीय
बैंक से अल्पकालीन ऋण ले सकते हैं।
प्रश्न 14. खुले बाजार की क्रियाओं से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर इसका अभिप्राय देश के
केंद्रीय बैंक द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों को खुले बाजार में खरीदने तथा बेचने से
है।
प्रश्न 15. सावधि जमाओं से क्या अभिप्राय है?
उत्तर- सावधि जमाएँ एक निश्चित समय
के लिए जमा होती हैं, उन्हें
चेक के माध्यम से नहीं निकाला जा सकता है ।
प्रश्न 16. प्राथमिक जमा किसे कहते हैं ?
उत्तर - जो धनराशि बैंकों में नकदी
के रूप में लोगों द्वारा जमा कराई जाती है उसे ही प्राथमिक जमा कहते हैं ।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Short Question Answer)
प्रश्न 1. मुद्रा का 'लेखा की इकाई' या 'मूल्य की इकाई कार्य समझाइए ?
उत्तर- मुद्रा मूल्य का मापदंड
करती है। लेखे की इकाई से अभिप्राय यह है कि प्रत्येक वस्तु तथा सेवा का मूल्य
मुद्रा के रूप में मापा जाता है। वस्तु विनिमय प्रणाली में मूल्य का मॉप बहुत कठिन
था। एक वस्तु का मूल्य दूसरी वस्तु के रूप में मापा जाता था । मूल्य की कोई साझी
इकाई नहीं होती थी। मुद्रा के आने से यह कठिनाई दूर हो गई है अब प्रत्येक वस्तु का
मूल्य मुद्रा के रूप में मापा जाता है।
> मूल्य की सामान्य इकाई के
कारण परिसंपत्तियों के क्रय तथा विक्रय के लिए बाजार में बड़े पैमाने पर विस्तार
हुआ है जिससे अर्थव्यवस्था में निवेश का विस्तार हुआ है।
> मूल्य की सामान्य इकाई ने
राष्ट्रीय आय तथा संबंधित समुच्चयों के अध्ययन को सुविधा जनक बनाया है। अब जीडीपी
का आकलन संभव हो गया है।
प्रश्न 2. आदेश मुद्रा (Fiat money) तथा न्यास मुद्रा (Fiduciary money) क्या है?
उत्तर- आदेश मुद्रा- वह मुद्रा जो
सरकार के आदेश द्वारा जारी की जाती है आदेश मुद्रा कहलाती है। इसमें सभी नोट तथा
सिक्के सम्मिलित होते हैं।
न्यास मुद्रा वह मुद्रा होती है जो
विनिमय के माध्यम के रूप में स्वीकार की जाती है क्योंकि यह प्राप्तकर्ता तथा
अदाकर्ता के बीच परस्पर विश्वास पर आधारित होती है। जैसे- चेक एक न्यास मुद्रा है।
प्रश्न 3. पूर्ण काय मुद्रा (Full Bodied Money) तथा साख मुद्रा (Credit Money) क्या है?
उत्तर- पूर्ण- काय मुद्रा इससे
अभिप्राय उस मुद्रा से है जो सिक्कों के रूप में होती है जब यह मुद्रा जारी की
जाती है तो इनका वस्तु मूल्य मौद्रिक मूल्य के बराबर होता है।
साख मुद्रा - इससे अभिप्राय उस मुद्रा
से है जिसका मौद्रिक मूल्य वस्तु मूल्य से अधिक होता है।
प्रश्न 4. भारत में मुद्रा पूर्ति की वैकल्पिक परिभाषा क्या है ?
उत्तर- भारतीय रिजर्व बैंक मुद्रा
की पूर्ति के वैकल्पिक मापों को चार रूपों में प्रकाशित करता है, M1. M2, M3. M4 के रूप
में यह सभी निम्नलिखित तरह से परिभाषित किए जाते हैं-
M1
= C + DD + OD
जहां, C = जनता के पास
चलन मुद्रा
DD
= बैंकों के पास मांग जमाएँ
OD
= रिजर्व बैंक के पास अन्य जमाएँ ।
M2=M1+
डाकघर के पास जनता की बचतें
M3
= M1 + व्यापारिक बैंकों के पास शुद्ध सावधि जमाएँ
M4
= M3 + पोस्ट ऑफिसों के पास कुल जमा (राष्ट्रीय बचत पत्र को
छोड़कर) ।
प्रश्न 5. केंद्रीय बैंक तथा वाणिज्यिक बैंक में अंतर बताएं?
उत्तर -
अंतर का आधार |
केंद्रीय
बैंक |
वाणिज्यिक
बैंक |
1.
अर्थ |
केंद्रीय बैंक उस बैंक को कहते
हैं जो देश की बैंकिंग प्रणाली का नियमन करता है और निर्देशन देता है। |
वाणिज्यिक बैंक उस बैंक को कहते
हैं जो लाभ कमाने के उद्देश्य से जमा स्वीकार करते हैं तथा ऋण देते हैं। |
2.
उद्देश्य |
इनका उद्देश्य मुद्रा तथा साख पर
नियंत्रण कर के देश
में स्थिरता लाना है । |
इसका मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना
है । |
3.
जनता के साथ संबंध |
इसका जनता के साथ
प्रत्यक्ष संबंध
नहीं होता । |
इसका जनता के साथ
प्रत्यक्ष संबंध होता है। |
4.
प्रतियोगिता |
केंद्रीय बैंक किसी भी बैंक के
साथ कोई प्रतियोगिता नहीं करता। |
वाणिज्यिक बैंकों में
प्रतियोगिता पाई जाती है। |
5.
विदेशी मुद्रा |
रिजर्व बैंक देश की विदेशी
मुद्रा आरक्षण का संरक्षक है। |
वाणिज्यिक बैंक केवल विदेशी
मुद्रा का
लेन-देन करते
हैं। |
6.
सरकार |
इस पर सरकार का नियंत्रण होता
है। |
इस पर नियंत्रण सरकार का भी
हो सकता
है और निजी व्यक्तियों
का भी । |
प्रश्न 6. मांग जमा तथा सावधि जमा में अंतर बताएं ?
उत्तर-
मांग जमा |
सावधि जमा |
1.
मांग जमा की स्थिति में जमाकर्ता बिना किसी नोटिस के कभी भी जमाराशि निकाल
सकता है। |
1.
सावधि जमा की स्थिति में एक निश्चित अवधि के पश्चात ही जमाराशि निकाला जा
सकता है। |
2.
मांग जमा पर कोई ब्याज नहीं मिलता। |
2.
सावधि जमा पर ऊंचे दर से ब्याज मिलता है। |
3.
मांग जमा में चेक द्वारा राशि निकाल सकते हैं। |
3.
सावधि जमा में चेक द्वारा राशि नहीं निकाल सकते। |
4.
मांग जमा मुद्रा का एक घटक है। |
4.
सावधि जमा, समीप
मुद्रा है। |
प्रश्न 7. अंतिम ऋण दाता के रूप में केंद्रीय बैंक का कार्य समझाएं ?
उत्तर - केंद्रीय बैंक देश के अन्य
बैंकों का अंतिम ऋण दाता के रूप में कार्य करता है। इसका अर्थ है कि जब एक बैंक पर
वित्तीय संकट आते हैं और सहायता के अन्य रास्ते बंद हो जाते हैं तब केंद्रीय बैंक
उस बैंक को ऋण देकर उसे वित्तीय संकट से बाहर निकालते हैं। अंतिम ऋण दाता के रूप
में केंद्रीय बैंक, एक देश
की संपूर्ण बैंकिंग प्रणाली को नियंत्रित करता है। इस कार्य का मुख्य उद्देश्य यह
है कि धन के अभाव में किसी लेनदेन में रुकावट उत्पन्न न हो ।
प्रश्न 8. 'खुले बाजार की क्रियायें पर टिप्पणी लिखें ?
उत्तर- खुले बाजार की क्रियाओं के
अंतर्गत केंद्रीय बैंक बाजार में सरकारी प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय करता है। जब
केंद्रीय बैंक प्रतिभूतियों को बेचता है तो मुद्रा बाजार में मुद्रा की मात्रा कम
होने लगती है और जब बाजार से केंद्रीय बैंक प्रतिभूतियों को खरीदता है तो मुद्रा
बाजार में मुद्रा की मात्रा बढ़ जाती है ।
जब मुद्रा बाजार में मुद्रा की
अधिकता (अर्थात मुद्रास्फीति) होती है,
तब केंद्रीय बैंक खुले बाजार में प्रतिभूतियां बेचना प्रारंभ कर देता है। जनता
अपनी नकदी अथवा बचत कोषों से केंद्रीय बैंक द्वारा बेचे जाने वाली प्रतिभूतियों का
क्रय करना शुरू कर देती है। इस प्रकार नकदी केंद्रीय बैंक को लौट जाती है और
प्रचलित मुद्रा की मात्रा कम हो जाती है जिससे बैंकों के नकद कोषों में कमी आ जाती
है ।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Long Question Answer)
प्रश्न 1. वस्तु विनिमय प्रणाली क्या है? वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाइयों का वर्णन
करें ?
उत्तर- जब एक वस्तु का दूसरी वस्तु
के साथ प्रत्यक्ष आदान-प्रदान होता है तो उसे वस्तु विनिमय प्रणाली कहते हैं ।
वस्तु विनिमय प्रणाली की
कठिनाइयां-
(i)
दोहरे संयोग का अभाव- इसमें
आवश्यकताओं के दोहरे संयोग का अभाव पाया जाता है। आवश्यकताओं के दोहरे संयोग का
मतलब यह है कि दो व्यक्ति ऐसे होने चाहिए जिनको एक दूसरे की वस्तु की आवश्यकता हो
और वह उन्हें बदल सकते हैं। उदाहरण के लिए यदि मोहन के पास गेहूं है और उसके बदले
वह दूध चाहता है तो उसे एक ऐसे व्यक्ति की खोज करनी होगी जिसके पास दूध हो और वह
दूध के बदले में गेहूं लेने के लिए तैयार हो लेकिन वास्तविक जीवन में इस प्रकार का
दोहरा संयोग मिलना बहुत ही कठिन है।
(ii) मूल्य के
सामान्य मापक का अभाव- इसमें मूल्य के एक सामान्य मापक का अभाव पाया जाता है।
इसके फलस्वरूप दो वस्तुओं के बीच विनिमय की मात्रा निश्चित करना कठिन हो जाता है ।
उदाहरण के लिए, यह
बतलाना बहुत ही कठिन है कि एक बकरी के बदले कितना कपड़ा दिया जाए अथवा एक गाय के
बदले कितनी बकरियां दी जाए ।
(iii) वस्तुओं में
विभाजकता का अभाव- कुछ वस्तुएं ऐसी होती हैं जिनका विभाजन नहीं किया जा सकता
तथा विभाजन करने से उनकी उपयोगिता समाप्त हो जाती है। यदि एक अविभाज्य एवं अधिक
मूल्य वाली वस्तु का विनिमय कम मूल्य वाली कई वस्तुओं से करना होता है। तो इस
कठिनाई का सामना करना पड़ता है । मान लिया जाए कि किसी व्यक्ति के पास एक गाय है
जिसके बदले वह गेहूं, कपड़ा
और कंबल लेना चाहता है इसके लिए उसे एक ऐसे व्यक्ति की खोज करनी होगी जिसके पास यह
तीनों वस्तुएं हो और उनके बदले वह गाय लेने के लिए तैयार हो ।
(iv)
मूल्य के संचय का अभाव- वस्तु विनिमय
प्रणाली में संचय का काम केवल वस्तुओं के रूप में किया जा सकता है। वस्तुओं को
अधिक दिनों तक संचय करने में सड़ने- गलने का भय बना रहता है। यदि संचय गाय, घोड़ा, बकरी, मुर्गा आदि जानवरों के
रूप में किया जाए और बीमारी के कारण उनकी मृत्यु होने लगे तो सारा संचित धन समाप्त
हो जाएगा।
(v) भविष्य में
भुगतान के साधन का अभाव- वस्तु-विनिमय प्रणाली में उधार तथा लेनदेन का काम बहुत कम
हो सकता है क्योंकि इसमें भविष्य में भुगतान के साधन का अभाव होता है। उदाहरण के
लिए, मान
लिया जाए कि कोई व्यक्ति एक दूसरे व्यक्ति से 5 वर्षों के लिए एक गाय उधार लेता है। और 5 वर्षों के बाद
गाय को लौटाता है। ऐसी अवस्था में हो सकता है कि वस्तुओं के रूप में गाय का मूल्य
कम हो गया हो तथा गाय उतनी स्वस्थ न रहे जितनी पहले थी तथा उतना दूध ना दे जितना
दूध पहले देती थी।
(vi)
मूल्य के हस्तांतरण का अभाव- वस्तु विनिमय
प्रणाली मैं मूल्य के हस्तांतरण में भी कठिनाई होती है। उदाहरण के लिए मान लिया
जाए कि वस्तु विनिमय प्रणाली के समय किसी व्यक्ति का मकान दिल्ली में था और वह
मुंबई जाकर बसना चाहता था ऐसी अवस्था में उसे अपना मकान छोड़कर दिल्ली जाना
पड़ता क्योंकि मकान के बदले उसे देने योग्य वस्तु का अभाव था और ऐसे व्यक्ति का
मिलना कठिन था जिस का मकान मुंबई में हो और उसके बदले वह उस व्यक्ति का दिल्ली
वाला मकान लेने को तैयार हो ।
प्रश्न 2. मुद्रा क्या है ? मुद्रा के कार्यों का वर्णन करें ?
उत्तर- मुद्रा ऐसी वस्तु है जिसे
विनिमय के माध्यम, मूल्य
के मापक तथा मूल्य के संचय के साधन के रूप में स्वतंत्र एवं सामान्य रूप से
स्वीकार किया जाता है ।
हार्टले विदर्स के अनुसार, "मुद्रा वह है
जो मुद्रा का कार्य करे ।”
नैप के अनुसार, "कोई भी वस्तु
जो राज्य द्वारा मुद्रा घोषित कर दी जाती है मुद्रा कहलाती है।"
मुद्रा के कार्य निम्नलिखित हैं-
(I)
मुख्य कार्य-
(1)
विनिमय का माध्यम- मुद्रा ने
विनमय के कार्य को सरल और सुविधा पूर्ण बना दिया है। वर्तमान युग में सभी वस्तुएं
और सेवाएं मुद्रा के माध्यम से ही खरीदी तथा बेची जाती है।
(2) मूल्य का मापक-
मुद्रा का कार्य सभी वस्तुओं और सेवाओं का मूल्यांकन करना है। वर्तमान समय में सभी
वस्तुओं और सेवाओं को मुद्रा के द्वारा मापा जाता है।
(II)
गौण कार्य -
(1)
विलंबित भुगतान का माप- जिन
लेन-देनों का भुगतान तत्काल न कर के भविष्य के लिए स्थगित कर दिया जाता है, उन्हें स्थगित
भुगतान कहा जाता है। मुद्रा को स्थगित भुगतानों का मान इसलिए माना गया है क्योंकि
मुद्रा के मूल्य में स्थिरता रहती है,
इसमें सामान्य स्वीकृति का गुण पाया जाता है, अन्य वस्तुओं की तुलना में यह अधिक टिकाऊ है ।
(2)
मूल्य का संचय- मनुष्य अपनी आय का कुछ भाग
भविष्य के लिए अवश्य बचाता है। मुद्रा के प्रयोग द्वारा मूल्य संचय का कार्य सरल
और सुविधा पूर्ण हो गया है।
(3)
मूल्य का हस्तांतरण- मुद्रा क्रय
शक्ति के हस्तांतरण का सर्वोत्तम साधन है। इसका कारण मुद्रा का सर्वग्राही और
व्यापक होना है। मुद्रा के द्वारा चल व अचल संपत्ति का हस्तांतरण सरलता से हो सकता
है।
(III)
आकस्मिक कार्य -
(1)
सामाजिक आय का वितरण- मुद्रा
सामाजिक आय के वितरण में सहायता प्रदान करती हैं। किसी देश में उत्पादन के विभिन्न
साधनों के सहयोग से जिन वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है उनके कुल योग को
राष्ट्रीय आय या राष्ट्रीय लाभांश कहते हैं। इसी राष्ट्रीय आय का वितरण उत्पादन के
साधनों के बीच किया जाता है और इसके लिए मुद्रा सहायक होती है ।
(2)
साख का आधार- वर्तमान समय में चेक, ड्राफ्ट, बिल आदि साख
पत्रों का प्रयोग मुद्रा के समान ही होने लगा है। लेकिन इन साख पत्रों को मुद्रा
के आधार पर ही जारी किया जाता है। बैंक जब इन साख पत्रों को जारी करता है तो इस
साख- मुद्रा के पीछे अपने पास एक निश्चित अनुपात में नकद मुद्रा रख लेता है ताकि
मांग होने पर साख मुद्रा को नकद मुद्रा में बदला जा सके।
(3)
पूँजी या संपत्ति को सामान्य रूप प्रदान करना-
पूंजी का निर्माण बचत पर निर्भर करता है और यह बचत मुद्रा के रूप में ही की जाती
हैं। मुद्रा के द्वारा पूंजी में तरलता और गतिशीलता आती हैं जिससे पूंजी की
विनियोग में सुविधा होती है। इस प्रकार मुद्रा पूंजी को सामान्य रूप देकर पूँजी के
संचय एवं विनियोग दोनों को सरल बना देती है।
(4)
सीमांत उपयोगिता तथा सीमांत उत्पादकता में समानता लाना-
मुद्रा से उपभोक्ता एवं उत्पादक दोनों को लाभ है। अधिकतम संतुष्टि प्राप्त करने के
लिए उपभोक्ता को अपनी आय को विभिन्न मदों पर इस प्रकार खर्च करना चाहिए कि उसे सभी
मदों से बराबर सीमांत उपयोगिता प्राप्त हो,
इस कार्य में मुद्रा ही सहायक होती है । पुनः उत्पादक के लिए विभिन्न साधनों
से मिलने वाली सीमांत उत्पादकता को समान बनाने में मुद्रा सहायक होते है। जिससे
अधिकतम उत्पादन एवं अधिकतम लाभ प्राप्त होता है।
(5)
शोधन क्षमता की गारंटी- मुद्रा के
द्वारा किसी व्यक्ति या फर्म को ऋण भुगतान करने की क्षमता या शोधन क्षमता प्राप्त
होती है। अतः प्रत्येक फर्म अपनी शोधन क्षमता को बनाए रखने के लिए पर्याप्त मात्रा
में अपने पास मुद्रा रखता है।
(6)
संपत्ति की तरलता- मुद्रा
संपत्ति को तरलता प्रदान करती है। प्रत्येक व्यक्ति अपनी संपत्ति के कुछ भाग को
तरल रूप में रखना पसंद करता है और यह तरलता नकद मुद्रा का ही दूसरा नाम है।
(7)
निर्णय का वाहक- प्रो० ग्राहम के अनुसार मुद्रा
निर्णय का वाहक होती है। मुद्रा के रूप में भविष्य के लिए क्रय शक्ति का संचय किया
जाता है ताकि लोग अपनी भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके। प्रत्येक व्यक्ति
चाहता है कि वह अपनी इच्छा एवं निर्णय के अनुसार भविष्य में अपने संचित धन का
प्रयोग करे ।
प्रश्न 3. व्यवसायिक बैंकों के कार्यों का वर्णन करें?
उत्तर व्यवसायिक बैंक के
निम्नलिखित कार्य है-
(1)
जमा प्राप्त करना - व्यवसायिक
बैंक का मुख्य कार्य जनता से जमा प्राप्त करना है। लोग अपनी आय का एक हिस्सा उपभोग
पर खर्च करते हैं एवं उसके बाद जो कुछ बचता है उसे बचत करते हैं । व्यवसायिक बैंक
निम्नलिखित प्रकार के खातों में रकम जमा करते हैं।
(i)
बचत खाता- बैंक में कोई भी व्यक्ति जब चाहे तब बचत खाता खोल सकता है
तथा किसी भी दिन धन को जमा कर सकता है। इस खाते में जमा राशि पर सामान्य दर से
ब्याज दी जाती है।
(ii)
चालू खाता- चालू खाता में दिन में कई बार
चेक द्वारा रकम निकाली जा सकती है और जमा भी की जा सकती है । इसलिए चालू जमा को
मांग पर जमा भी कहते हैं। चालू खाते में मुख्यतः व्यापारी वर्ग एवं बड़ी-बड़ी
संस्थाएं रकम जमा करते हैं। बैंक चालू खाते पर कोई ब्याज का भुगतान नहीं करता ।
(iii)
स्थायी जमा खाता- स्थाई जमा खाते में बैंक एक
निश्चित अवधि के लिए रकम जमा करते हैं। यह अवधि 3 महीने से लेकर 10
वर्ष तक की हो सकती है। इस अवधि के पूर्व इस खाते से रकम नहीं निकाली जा सकती
। रकम जमा करते समय जमाकर्ता को एक रसीद दी जाती है जिसे स्थाई जमा रसीद कहते हैं।
(2) ऋण देना-
व्यवसायिक बैंक उपर्युक्त खातों में जो जमा की रकम प्राप्त करते हैं उसे विभिन्न
उत्पादक कार्यों के लिए अपने ग्राहकों को ऋण के रूप में देते हैं। व्यवसायिक
बैंकों का ऋण प्रायः अल्पकालीन ऋण होता है। बैंक अपने ग्राहकों को दिए गए ऋण पर
उनसे ब्याज वसूलते हैं। ऋण देते समय बैंक दो बातों पर ध्यान देते हैं तरलता तथा
लाभदायकता ।
व्यवसायिक बैंक निम्नलिखित प्रकार
से ऋण देते हैं.
(i)
अधिविकर्ष - कभी-कभी बैंक अपने ग्राहकों को
चालू खाता में जमा रकम से भी अधिक रकम निकालने की अनुमति दे देते हैं इस अधिक रकम
को ही अधिविकर्ष कहा जाता है। बैंक अपने ग्राहकों से यह तय कर लेता है कि वह उनको
एक निश्चित रकम तक उनके खाते में जमा रकम के अतिरिक्त निकालने की अनुमति देगा ।
(ii)
नकद साख- जब बैंक अपने ग्राहकों को व्यापारिक माल की जमानत के
आधार पर ऋण देते हैं तो उसे नकद साख कहते हैं। जमानत के आधार पर बैंक अपने
ग्राहकों के लिए साख की सीमा निश्चित कर देते हैं जिस सीमा तक बैंक से ऋणी अपनी
आवश्यकतानुसार ऋण ले सकते हैं।
(iii)
ऋण एवं अग्रिम- जब बैंक अपने ग्राहकों से उचित
जमानत लेकर एक पूर्व निश्चित अवधि के लिए ऋण देते हैं तो उसे ऋण एवं अग्रिम कहते
हैं।ऋण एवं अग्रिम सोने चांदी के आभूषण,
सरकारी प्रतिभूतियां कंपनियों के हिस्से,
बीमा की पॉलिसी, तथा
स्थायी जमा खातों की रसीदों आदि के आधार पर लिए जा सकते हैं ।
(iv)
विनिमय बिलों अथवा हुंडियों का बट्टा करना-
विनिमय बिल अथवा हुंडी वे साख पत्र हैं जिन्हें उधार माल बेचने पर विक्रेता क्रेता
के नाम लिखता है । विनिमय बिल में विक्रेता एक निश्चित अवधि के बाद एक निश्चित रकम
की मांग करता है। क्रेता इस बिल को स्वीकार कर विक्रेता के पास लौटा देता है जिसके
बाद यह विनिमय बिल एक विनिमय- साध्य पत्र हो जाता है।
(v)
याचना तथा अल्प सूचना ऋण- जब बैंक अति
अल्प- अवधि के लिए अपने ग्राहकों को ऋण देते हैं तो उसे याचना तथा अल्प सूचना ऋण
कहते हैं। यह ऋण प्रायः 3
दिन से लेकर 10 दिन तक
के होते हैं ।
(3) सामान्य उपयोगिता संबंधी कार्य-
बैंकों के सामान्य उपयोगिता संबंधी कार्य में विदेशी विनिमय का क्रय विक्रय, बहुमूल्य
वस्तुओं की सुरक्षा साख प्रमाण पत्र एवं अन्य साख पत्रों को जारी करना, ग्राहकों को
दूसरों की साख के बारे में जानकारी देना,
व्यवसायिक सूचना तथा आर्थिक आंकड़े एकत्रित करना, वित्तीय मामलों
के संबंध में सलाह देना,
मुद्रा को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने की सुविधा प्रदान करना, सरकार तथा अन्य
संस्थाओं के ऋणों का अभिगोपन करना आदि कार्य आते हैं।
(4) एजेंसी के कार्य- बैंक
ग्राहकों के एजेंट के रूप में भी कार्य करते हैं जैसे -प्रतिभूतियों का
क्रय-विक्रय करना, ग्राहकों
की ओर से भुगतान का काम करना,
ग्राहकों के लिए भुगतान प्राप्त करना,
चेक एवं अन्य साख पत्रों के भुगतान को इकट्ठा करना, प्रतिनिधि के
समान कार्य करना ग्राहकों की ओर से विनिमय बिलों को स्वीकार करना आदि कार्य करते
हैं ।
प्रश्न 4. केंद्रीय बैंक क्या है? केंद्रीय बैंक के कार्यों का वर्णन करें ?
उत्तर- सभी देशों में विभिन्न
बैंकों के शीर्ष स्थान पर एक केंद्रीय बैंक होता है जिस पर सरकार का स्वामित्व एवं
नियंत्रण रहता है। केंद्रीय बैंक देश की संपूर्ण मौद्रिक एवं बैंकिंग व्यवस्था का
नियंत्रण करता है तथा सभी बैंकों के बैंक का कार्य करता है । भारत का केंद्रीय
बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया है जिसकी स्थापना 1935 ई० में हुई थी ।
केंद्रीय बैंक के कार्य-
1.
कागजी नोट जारी करने का कार्य- सभी देशों
में केंद्रीय बैंक को कागजी नोट जारी करने का एकाधिकार होता है। मुद्रा एवं साख की
मात्रा पर नियंत्रण रखने के लिए केंद्रीय बैंक को नोट जारी करने का अधिकार देना
आवश्यक है । निम्नलिखित कारणों से केंद्रीय बैंक को नोट जारी करने का अधिकार दिया
जाता है-
• केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किए
गए नोटों में जनता का स्थाई विश्वास होता है ।
• केंद्रीय बैंक को नोट निर्गम का
अधिकार देने से वह मुद्रा तथा साख की मात्रा का सफलतापूर्वक नियमन एवं नियंत्रण कर
सकता है ।
•
केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किए नोटों में अधिक एकरूपता रहती है जिससे जाली
नोटों का बनना कम संभव है।
• नोट जारी करने का अधिकार प्राप्त
होने से केंद्रीय बैंक की प्रतिष्ठा बढ़ जाती है जिससे संकट काल में भी वह अपने
कार्यों को आसानी से निपटा सकता है।
•
केंद्रीय बैंक द्वारा नोट जारी करने के कार्य से अर्जित लाभ का आसानी से
अनुमान लगाया जा सकता है और सरकार इस लाभ का अधिकांश भाग स्वयं प्राप्त कर सकती
है।
2.
बैंकों का बैंक का कार्य - केंद्रीय
बैंक अन्य सभी बैंकों के बैंक का कार्य करता है जैसे केंद्रीय बैंक, बैंकों की रकम
को अपने पास जमा रखता है। केंद्रीय बैंक को अंतिम ऋण दाता भी कहते हैं क्योंकि जब
बैंकों को कहीं से भी ऋण प्राप्त नहीं होते तो आपात काल में केंद्रीय बैंक ही ऋण
देते हैं। केंद्रीय बैंक बैंकों को कुछ अन्य सुविधाएं भी प्रदान करते हैं जैसे
मुद्रा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने की सुविधा, समाशोधन गृह की
सुविधा इत्यादि ।
3. सरकार का बैंकर, एजेंट एवं
सलाहकार - केंद्रीय बैंक सरकार का बैंकर, एजेंट एवं
सलाहकार के रूप में कार्य करता है। सरकार के बैंकर के रूप में केंद्रीय बैंक सरकार
के लिए उन सब कार्यों को करता है जो व्यवसायिक बैंक जनता के लिए करते हैं ।
• सरकार के एजेंट के रूप में
केंद्रीय बैंक सरकार की ओर से जनता से ऋण लेता है और उसे सरकार के खाते में जमा कर
देता है। केंद्रीय बैंक सरकार के सरकारी प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय करता है यह
सरकार के लिए विदेशी मुद्रा का क्रय-विक्रय करता है।
• केंद्रीय बैंक सरकार को मौद्रिक
मामलों में सलाह भी देता है उदाहरण के लिए सरकार को बतलाता है कि देश की वर्तमान
परिस्थिति में जनता से ऋण लेना अनुकूल है या प्रतिकूल है ।
4. साख नियंत्रण का कार्य -
व्यवसायिक बैंक देश में साख का सृजन कर उद्योग एवं व्यवसाय की सहायता करते हैं।
लेकिन कभी- कभी बैंक आवश्यकता से अधिक साख का प्रसार करने लगते हैं। या कभी
आवश्यकता से कम साख का सृजन कर पाते हैं। इससे या तो मुद्रास्फीति या मुद्रा
संकुचन की स्थिति उत्पन्न हो जाती हैं। अतः देश में साख की मात्रा पर नियंत्रण
रखना आवश्यक है और साख नियंत्रण का यह कार्य केंद्रीय बैंक करता है। वह बैंक दर की
नीति, खुले
बाजार की नीति, बैंकों
के नकद कोष के अनुपात में परिवर्तन,
ऋणों की सीमा आवश्यकता में परिवर्तन,
साख की राशनिंग, प्रत्यक्ष
कार्यवाही, नैतिक
दबाव तथा प्रचार करके साख का नियंत्रण करता है।
5. विदेशी विनिमय कोष का संरक्षक-
केंद्रीय बैंक विदेशी विनिमय कोष का संरक्षक के रूप में कार्य करता है। यह भुगतान
शेष की कठिनाइयों को दूर करने एवं विदेशी विनिमय दर को स्थिर बनाये रखने में सहायक
होता है।
6. विकासात्मक कार्य -
भारत में केंद्रीय बैंक ने बैंकिंग व्यवस्था का विकास करने, बचत और निवेश
को प्रोत्साहित करने और औद्योगिक विकास के लिए विभिन्न संस्थाओं की स्थापना करने
का कार्य किया है। पूंजी बाजार को विकसित करने तथा सरकारी आंदोलन को मजबूत बनाने
का कार्य रिजर्व बैंक द्वारा ही किया गया है ।
प्रश्न 5. भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति के मुख्य उपकरण कौन से हैं? वर्णन करें
उत्तर-
मात्रात्मक विधियां-
मौद्रिक नीति के वे उपकरण हैं जिनका संबंध अर्थव्यवस्था की समग्र मुद्रा पूर्ति से
है। मात्रात्मक उपकरणों का वर्णन इस प्रकार से है-
a. बैंक दर - वह
दर जिस पर किसी देश का केंद्रीय बैंक व्यापारिक बैंक को सरकारी एवं अन्य स्वीकृत
प्रतिभूतियों की जमानत पर ऋण प्रदान करता है। इसे कटौती की दर भी कहते हैं ।
b.
रेपो दर- वहदर,
जिस पर देश का केंद्रीय बैंक अपने अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालीन ऋण
प्रदान करता है। मुद्रास्फीति के दबाव को कम करने के लिए केंद्रीय बैंक रेपो दर को
बढ़ा देता है।
c.
नकद आरक्षित अनुपात - व्यापारिक
बैंकों को अपनी कुल जमा का एक निश्चित प्रतिशत केंद्रीय बैंक के पास जमा रखना
अनिवार्य होता है। केंद्रीय बैंक नकद कोष अनुपात में परिवर्तन करके व्यापारिक
बैंकों के नकद कोष को प्रभावित कर सकते हैं ।
d.
वैधानिक तरलता अनुपात- प्रत्येक
बैंक को अपनी परिसंपत्तियों के एक निश्चित प्रतिशत को अपने पास नकद रूप में या
अन्य तरल संपत्तियों के रूप में कानूनी तौर पर रखना पड़ता है जिसे वैधानिक तरलता
अनुपात कहते हैं।
e. खुले बाजार की क्रियाएं- खुले
बाजार की क्रियाओं से अभिप्राय है केंद्रीय बैंक द्वारा स्वयं मुद्रा बाजार एवं
पूंजी बाजार में सरकारी तथा अन्य अनुमोदित प्रतिभूतियों को खरीदना अथवा बेचना । जब
केंद्रीय बैंक प्रतिभूतियों को बेचता है तो मुद्रा बाजार में मुद्रा की पूर्ति
मात्रा कम होने लगती है इसके विपरीत जब बाजार से केंद्रीय बैंक प्रतिभूतियां
खरीदता है तो मुद्रा बाजार में मुद्रा की मात्रा बढ़ जाती हैं ।
(II)
गुणात्मक विधियां- गुणात्मक साख
नियंत्रण वह साख नियंत्रण है जो कुछ विशेष उद्देश्यों के लिए दी जाने वाली तथा
विशेष बैंकों द्वारा दी गई साख की मात्रा को नियमित करता है जो निम्नलिखित है-
a.
सीमांत आवश्यकताओं में परिवर्तन- प्रतिभूतियों
के मूल्य और उधार दी जाने वाली राशि के अंतर को 'सीमा'
कहते हैं। केंद्रीय बैंक विभिन्न वस्तुओं के लिए सीमांत आवश्यकता अनुपात
निर्धारित करता है । जैसे यदि सीमांत आवश्यकता अनुपात 10% है। एक व्यक्ति
अपने मकान जिसकी कीमत 10
लाख है को बैंक के पास जमानत रखकर ऋणलेना चाहता है तो उसे 9 लाख ऋण मिलेगा।
सीमांत आवश्यकता को बदलकर साख पूर्ति को नियंत्रित किया जाता है।
b.
साख की राशनिंग- केंद्रीय बैंक साख की राशनिंग
चार प्रकार से करता है-
•
केंद्रीय बैंक विभिन्न बैंकों को दिए जाने वाले ऋण में कमी कर सकता है।
•
केंद्रीय बैंक विभिन्न बैंकों को दी जाने वाली साख का कोटा निश्चित कर सकता
है।
•
किसी विशेष बैंक को रुपया उधार देने से इंकार कर देता है।
•
केंद्रीय बैंक उद्योगों और व्यवसायों को दी जाने वाली साख की सीमा निश्चित कर
सकता है।
c. नैतिक दबाव - कभी-कभी केंद्रीय बैंक सदस्य बैंकों को मना कर या उन पर नैतिक दबाव डालकर उन्हें अपनी दिशा- निर्देशों के अनुसार काम करने के लिए सहमत कर लेता है । यदि देश में मुद्रास्फीति उत्पन्न हो रही हो तो केंद्रीय बैंक अन्य बैंकों से अनुरोध करता है कि वे उससे ऋण लेने ना आए, जनता को अधिक ऋण स्वीकृत ना करें तथा अनावश्यक व्यवसायों में राशि न लगाएं।
JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
अध्याय
व्यष्टि अर्थशास्त्र
समष्टि अर्थशास्त्र
अध्याय 1
अध्याय 2
अध्याय 3
अध्याय 4
अध्याय 5
अध्याय 6
Solved Paper 2023
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