माल्थस का जनसंख्या सिद्धांत (THE MALTHUSIAN THEORY OF POPULATION)

माल्थस का जनसंख्या सिद्धांत (THE MALTHUSIAN THEORY OF POPULATION)
माल्थस का जनसंख्या सिद्धांत (THE MALTHUSIAN THEORY OF POPULATION)
प्रश्न :- माल्थस के जनसंख्या सिद्धांत की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए। क्या यह भारत में लागू होता है। → "वर्तमान समय के लिए माल्थस के जनसंख्या सिद्धांत का आंतक समाप्त हो चुका है " । क्या आप इस कथन से सहमत है। → वह कौन से कारण थे जिनसे प्रभावित होकर माल्थस ने अपने जनसंख्या सिद्धांत का प्रतिपादन किया उन्होने अपने जनसंख्या संबंधी विचारों को किस तरह प्रस्तुत किया? उत्तर :- यद्यपि प्राचीन समय से जनसंख्या की समस्या के बारे में यत्र-तत्र विचार व्यक्त किए गये थे, परन्तु 1798 ई. में जब युवक पादरी थामस राबर्ट माल्थस का एक गुमनाम (anonymous) निबंध, जिसका शीर्षक 'एसे ऑन दी प्रिंसिपिल्स ऑफ पापुलेशन एज इट एफेक्ट्स दी फ्यूचर इंप्रूवमेंट ऑफ सोसाइटी' (Essay on the Principles of Population as it Effects the Future Improvement of Society). प्रकाशित हुआ, जिसने सारे संसार में सनसनी मचा दी तब से जनसंख्या समस्या ने संपूर्ण विश्व का ध्यान आकर्षित किया और एक निश्चित सिद्धांत का रूप धारण किया। चूँकि यह निबंध गुमनाम था, इसलिए निबंध के पाठक अनूठी जिज्ञासा और उत्सुकता के साथ निबंध लेखक की खोज करने लगे। …