14. पहलवान की ढोलक
लेखक परिचयः-
1. फणीश्वर नाथ रेणु
2. जन्म 4 मार्च, सन् 1921 ई.।
जन्म स्थान- औराही हिंगना (ज़िला पूर्णिया
अब अररिया) बिहार में।
3. निधन 11 अप्रैल, सन् 1977 ई., पटना
में।
4. प्रमुख रचनाएँ -
उपन्यास - मैला आँचल (1954 ई.), परती
परिकथा, दीर्घतपा, जुलूस कितने चौराहे।
कहानी- संग्रह ठुमरी, आदिम रात्रि की
महक, एक श्रावणी दोपहरी की धूप ।
संस्मरण - ऋणजल धनजल, वनतुलसी की गंध,
श्रुत - अश्रुत पूर्व ।
रिपोर्ताज - नेपाली क्रांति कथा ।
5. संपूर्ण रचनाएँ 'रेणु रचनावली'
(पाँच खंडों में) में संकलित हैं।
6. हिंदी का पहला आंचलिक उपन्यास फणीश्वर
नाथ रेणु द्वारा लिखित उपन्यास 'मैला आँचल' (1954 ई.) को माना जाता है।
7. भाषा-शैली रेणुजी ने अपने कथा-साहित्य
में गाँव की भाषा संस्कृति, लोकगीत, लोकोक्ति, लोकसंस्कृति, लोकभाषा और वहाँ के लोकजीवन
को केंद्र में ला खड़ा किया है।
8. हिंदी साहित्य में आंचलिक उपन्यासकार के रूप में प्रतिष्ठित
कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु का जीवन उतार-चढ़ावों एवं संघर्षों से भरा हुआ था।
9. साहित्य के अलावा विभिन्न राजनैतिक एवं सामाजिक आंदोलनों
में भी उन्होंने सक्रिय भागीदारी की। उनकी यह भागीदारी एक ओर देश के निर्माण में सक्रिय
रही तो दूसरी ओर रचनात्मक साहित्य को नया तेवर देने में सहायक रही।
पाठ परिचय :-
1. पहलवान की ढोलक
2. फणीश्वर नाथ रेणु की प्रतिनिधि कहानियों
में 'पहलवान की ढोलक' प्रमुख कहानी है।
3. इस कहानी में अपने गाँव, अंचल एवं
संस्कृति को सजीव करने की अद्भुत क्षमता है। ऐसा लगता है मानो इस कहानी के सभी पात्र
वास्तविक जीवन ही जी रहा हो। पात्रों एवं परिवेश का इतना सच्चा चित्रण अत्यंत दुर्लभ
है।
4. रेणुजी ने इस कहानी में गद्य में भी संगीत पैदा कर दिया है,
अन्यथा ढोलक की उठती-गिरती आवाज़ और पहलवान के क्रियाकलापों का ऐसा सामंजस्य दुर्लभ
है।
5. यह कहानी व्यवस्था के बदलने के साथ लोक-कला और इसके कलाकार
की अप्रासंगिक हो जाने की कहानी है।
6. राजा साहब की जगह नए राजकुमार का आकर बैठ जाना सिर्फ व्यक्तिगत
सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि ज़मीनी पुरानी व्यवस्था की पूरी तरह उलट जाने और उस पर
सभ्यता के नाम पर एकदम नई व्यवस्था के स्थापित हो जाने का प्रतीक है।
7. यह 'भारत' पर 'इंडिया' के छा जाने की समस्या है, जो लुट्टन
पहलवान को लोक कलाकार के आसन से उठा कर पेट भरने के लिए हाय-तौबा करने वाली निरीहता
की भूमि पर पटक देती है।
8. गाँव की गरीबी में भी लुट्टन पहलवान जीवट ढोल के बोल में
अपने आप को न सिर्फ जिलाए रखता है, बल्कि भूख व महामारी से दम तोड़ रहे गाँव को मौत
से लड़ने की ताकत भी देते रहता है।
9. कहानी के अंत में भूखमरी और महामारी की शक्ल में आए मौत के
षड्यंत्र जब अजेय लुट्टन की भरी-पूरी पहलवानी को मौत में बदल देते हैं तो इस करुणा
/त्रासदी में लुट्टन हमारे सामने कई सवाल छोड़ जाता है।
पाठ का सारांश :-
आधुनिक हिंदी के ऑचलिक कथाकार फणीश्वरनाथ
रेणु की श्रेष्ठ कहानियों में से एक 'पहलवान की ढोलक' कहानी में ग्रामीण आँचलिक संस्कृति
का पूर्णतः जीवंत चित्रण हुआ है। रेणु जी की यह कहानी गद्य में संगीत का जादू उत्पन्न
करती है। इस कहानी में व्यवस्था में बदलाव के साथ लोक-कला एवं लोक-कलाकारों के अप्रासंगिक
हो जाने का मार्मिक चित्रण है।
'पहलवान की ढोलक' कहानी का केन्द्रीय
पात्र लुट्टन है, जो नौ वर्ष की उम्र में ही अनाथ हो जाता है। सौभाग्यवश उनकी शादी
हो चुकी थी, अन्यथा वह भी अपने माता-पिता का अनुसरण करता । विधवा सास द्वारा लुट्टन
का लालन-पालन होता है। गाय चराते, धारोष्ण दूध पीते, कसरत करते हुए लुट्टन सास की तकलीफों
का गाँववालों से बदला लेने के लिए पहलवान बन गया। एक बार वह श्यामनगर का कुश्ती दंगल
देखने गया। वहाँ पंजाब का पहलवान बादल सिंह के शिष्य चाँद सिंह ने सबको पछाड़ रखा था।
इस पंजाबी पहलवान को 'शेर के बच्चे' की उपाधि मिली थी। श्यामनगर के राजा पहलवान चाँद
सिंह की बहादुरी से प्रभावित होकर उसे अपने दरबार में रखना चाह रहे थे। चाँद सिंह की
बारंबार दहाड़ ने कसरती शरीर वाले लुट्टन को उत्तेजित किया और उसने चाँद सिंह को चुनौती
दे डाली। लोगों ने लुट्टन को पागल समझा। चाँद सिंह भी बाज की तरह उस पर टूट पड़ा। राजा
साहब ने कुश्ती रुकवाकर लुट्टन को समझाया, उसे दस रुपये का लोभ देकर घर जाने को कहा।
किन्तु लुट्टन लड़ना चाहता था। आखिर में, कुछ लोगों के आग्रह पर राजा साहब ने लुट्टन
को लड़ने की अनुमति दे दी।
लुट्टन और चाँद सिंह की कुश्ती शुरू
हो जाती है। कुश्ती शुरू होते ही ढोल की आवाज पर दोनों पहलवान अपने दाँव पेंच खेलने
लगे। लुट्टन को चाँद सिंह ने कसकर दाब लिया, उसकी गर्दन पर कोहनी डालकर चित्त करने
की कोशिश करने लगा। लुट्टन की आँखें बाहर निकल रही थीं, छाती फटने को हो रही थी, तभी
उसे ढोलक की 'धाक-धिना, तिरकट-तिना' आवाज सुनाई दी, जिसका अर्थ उसने लगाया - 'दाँव
काटो, बाहर हो जा।' लुट्टन ने नीचे से निकल कर चाँद सिंह की गर्दन पर कब्जा किया। ढोलक
की आवाज 'चटाक्-चट-धा' पर उसने चाँद सिंह को उठाकर पटक दिया। फिर ढोल की 'धिना-धिना,
धिक धिना' के साथ चाँद को चारों खाने चित्त कर दिया। ढोलक की आवाज 'धा-गिड-गिड' के
साथ लोग लुट्टन की जय-जयकार करने लगे। लुट्टन ढोलक को श्रद्धापूर्वक प्रणाम करता है।
लुट्टन अब 'लुट्टन सिंह' बन गया था, उसने क्षत्रिय का काम किया था। राजा साहब के दरबार
में रहते हुए उसने काला खाँ समेत सभी पहलवानों को धूल चटा दी।
लुट्टन पहलवान ने राजा साहब के संरक्षण
में सभी सुख भोगे, प्रतिष्ठा कमायी। उसके दोनों लड़के भी अच्छे पहलवान निकले। वे भी
राज-दरबार के भावी पहलवान घोषित हुए।
किन्तु पन्द्रह वर्ष के बाद राजा साहब
की मृत्यु हो जाती है। राजा साहब का पुत्र विलायत से लौटकर शासन की सारी व्यवस्था अपने
अनुसार कर लिया। उन्होंने कुश्ती और दंगल के स्थान पर घोड़े की रेस को जगह दी तथा पहलवान
की छुट्टी कर दी। पहलवान और उसके दोनों बेटे ढोल कंधे पर रखे गाँव लौट आये। गाँव के
नौजवान उससे कुश्ती सीखने लगे, किन्तु गाँव के गरीब लोग क्या खाकर पहलवानी करते। धीरे-धीरे
लुट्टन पहलवान गाँव में अकेले हो गये।
गाँव में अकाल पड़ा, फिर मलेरिया और
हैजे का आक्रमण हुआ। प्रतिदिन दो-तीन मौतें होने लगीं। ऐसे में केवल पहलवान की ढोलक
ही औषधि उपचार-पथ्य से विहीन रोगियों में संजीवनी शक्ति भरने का काम करती थी। ऐसी स्थिति
में एक दिन पहलवान के दोनों बेटे भी चल बसे। उस दिन लुट्टन पहलवान ने राजा द्वारा दी
गयी रेशमी जांघिया पहनी, शरीर में मिट्टी मली और दोनों बेटों को कंधे पर लादकर नदी
में बहा आया। फिर भी पहलवान की ढोलक 'चटाक् चट-धा' की आवाज द्वारा लोगों की हिम्मत
बढ़ा रही थी। एक दिन वह ढोलक मौन हो गयी। लोगों ने देखा कि पहलवान की लाश 'चित्त' पड़ी
है। एक शिष्य ने अपने गुरु लुट्टन पहलवान को याद करते हुए कहा कि गुरुजी की इच्छा थी
कि मुझे चिता पर चित्त नहीं लिटाना और चिता सुलगाने के समय ढोलक बजा देना।
अभ्यास
पाठ के साथ
1. कुश्ती के समय ढोल की आवाज़ और लुट्टन के दाँव-पेंच
में क्या तालमेल था? पाठ में आये ध्वन्यात्मक शब्द और ढोल की आवाज़ आपके मन में कैसी
ध्वनि पैदा करते हैं, उन्हें शब्द दीजिए।
उत्तर :- चाँद सिंह के साथ लुट्टन पहलवान
के कुश्ती मुकाबले में सबसे मुख्य भूमिका
ढोल की आवाज़ थी। ढोल की आवाज़ और लुट्टन के दाँव-पेंच में जबर्दस्त तालमेल था। ढोल
की आवाज 'धाक धिना, तिरकट-तिना' से लुट्टन ने दाँव काट कर बाहर निकलने की प्रेरणा पायी।
दूसरी आवाज़ 'चटाक् चट -धा' से लुट्टन ने 'उठा पटक दें' का दाँव खेला। तीसरी आवाज़
'धिना धिना, धिक - धिना' से 'चित करने' की प्रेरणा मिली और अंत में 'धा-गिड़गिड़...'
की आवाज से लोग 'वाह ! बहादुर' का शोर कर उठे।
पाठ में आये ध्वन्यात्मक शब्द और ढोल की आवाज हमारे मन में उमंग
और उत्साह की भावना भरते हैं, जीवन जीने की प्रेरणा भरते हैं।
2. कहानी के किस-किस मोड़ पर लुट्टन के जीवन में
क्या-क्या परिवर्तन आये?
उत्तर :- लुट्टन नौ वर्ष की उम्र में ही अनाथ हो गया और उसका
पालन-पोषण उसकी विधवा सास ने किया। जीवन के इसी मोड़ पर लुट्टन ने धारोष्ण दूध पीते
हुए कसरत किया और सुडौल बलशाली शरीर पाया। श्यामनगर के दंगल में उसने चाँद सिंह को पछाड़ा और
राज-दरबार का पहलवान बना।
पन्द्रह वर्ष बाद जब राजा साहब की मृत्यु
हुई तब राजा साहब की जगह राजकुमार ने शासन की व्यवस्था सँभाली तो उसे दरबार से छुट्टी
मिल गयी। वह गाँव लौट आया था। गाँव वालों ने उसके तथा दोनों पुत्रों के भरण-पोषण का
दायित्व लिया। वह ग्रामीण युवकों को पहलवानी सिखाने लगा। बाद में अखाड़ा बंद हो गया
और उसके दोनों पुत्र मजदूरी करने लगे। गाँव में हुए अकाल और उससे फैली मलेरिया और हैजे
ने पहले दोनों पुत्रों तथा चार-पाँच दिन बाद लुट्टन पहलवान का भी अंत कर दिया।
3. लुट्टन पहलवान ने
ऐसा क्यों कहा होगा कि मेरा गुरु कोई पहलवान नहीं, यही ढोल है?
उत्तर :- लुट्टन ने किसी गुरु से पहलवानी
नहीं सीखी थी। चाँद सिंह के साथ हुए मुकाबले में उसने ढोल की आवाज़ से प्रेरणा प्राप्त
की थी और 'शेर के बच्चे' चाँद सिंह को हरा पाया था। उसके बाद से ही उसने ढोल को अपना
गुरु मान लिया। अपने पुत्रों-शिष्यों को भी वह ढोल की आवाज़ में छिपे प्रेरणादायक उक्तियों
को पहचानने की शिक्षा दिया करता था।
4. गाँव में महामारी फैलने और अपने बेटों के देहांत
के बावजूद लुट्टन पहलवान ढोल क्यों बजाता रहा?
उत्तर :- गाँव में महामारी फैलने के बाद से रोग और पीड़ा तथा
मृत्यु-भय से लड़ने की हिम्मत गांव वालों को लुट्टन पहलवान की ढोलक की आवाज़ दे रही
थी। अपने दोनों पुत्रों की मृत्यु के बावजूद उसकी ढोलक आवाज देती रही। पहलवान जानता
था कि ऐसी विषम परिस्थिति में यदि वह टूट गया तो गांव वालों में हिम्मत का संचार कौन
करेगा ?
5. ढोलक की आवाज़ का पूरे गाँव पर क्या असर होता
था?
उत्तर :- महामारी की विभीषिका झेल रहे गाँव में जब रात भर लुट्टन
पहलवान की ढोलक बजती थी तो औषधि उपचार- पथ्य विहीन प्राणियों में संजीवनी-शक्ति भरती
थी। वह आवाज़ बूढ़े-बच्चे-जवानों की स्पंदन शून्य स्नायुओं में बिजली भर देती थी, दंगल
के दृश्य साकार कर देती थी। वह आवाज़ गाँव वालों को मृत्यु-भय से मुक्त कर देती थी।
6. महामारी फैलने के बाद गाँव में सूर्योदय और
सूर्यास्त के दृश्य में क्या अन्तर होता था?
उत्तर : महामारी के दिनों गाँव के दिन और रात के अंतर को कहानीकार
ने बड़ी संवेदनशीलता से चित्रित किया है। सुबह होते ही लोग काँखते-कूँखते घरों से निकलते
और आत्मीयों-पड़ोसियों को ढाढ़स बंधाते थे। किन्तु रात होते ही लोग अपनी झोंपड़ियों
में घुस जाते थे और चूँ तक नहीं करते, हर तरफ मुर्दा-शांति बिराजने लगती। पास
में दम तोड़ते पुत्र को भी माँ 'बेटा' कहकर पुकारने की हिम्मत नहीं जुटा पाती थी।
7. कुश्ती या दंगल पहले
लोगों और राजाओं का प्रिय शौक हुआ करता था। पहलवानों को राजा एवं लोगों के द्वारा
विशेष सम्मान दिया जाता था -
(क) ऐसी स्थिति अब क्यों
नहीं है?
उत्तर जीवन में मनोरंजन के कई अन्य
साधन उपलब्ध हैं तथा राजा-रजवाड़ों का युग समाप्त हो जाने से वह स्थिति अब नहीं है।
(ख) इसकी जगह अब किन
खेलों ने ले ली है?
उत्तरः- कुश्ती या दंगल की जगह अब हॉकी,
क्रिकेट, फुटबॉल, टेनिस के साथ ही डब्लू. ई. की पहलवानी ने ले ली है।
(ग) कुश्ती को फिर से
प्रिय खेल बनाने के लिए क्या-क्या कार्य किए जा सकते हैं ?
उत्तरः- कुश्ती को सरकारी प्रोत्साहन
देकर, पहलवानों को विभिन्न सरकारी विभागों में नौकरी देकर तथा ग्रामीण स्तर पर अखाड़ों
को बढ़ावा देकर इसे फिर से लोकप्रिय बनाया जा सकता है।
8. आशय स्पष्ट करें।
'आकाश से टूटकर यदि कोई
भावुक तारा पृथ्वी पर जाना भी चाहता तो उसकी ज्योति और शक्ति रास्ते में ही शेष हो
जाती थी। अन्य तारे उसकी भावुकता अथवा असफलता पर खिलखिलाकर हँस पढ़ते थे।'
उत्तर :- इन पंक्तियों में लेखक ने
महामारी और अकाल में पीड़ित गाँव की अंधेरी रात का चित्रण किया
है। लेखक कहता है कि धरती पर प्रकाश का कोई चिह्न नहीं था, पर आकाश में तारों की चमक
थी। धरती को प्रकाशित करने यदि कोई भावुक तारा टूटकर आना भी चाहता तो उसकी शक्ति उसका
साथ नहीं देती, रास्ते में ही वह बुझ जाता। लेखक गरीबों और असहायों के जीवन में कहीं
से आए आशा की किरण के बुझने का संकेत करता है।
9. पाठ में अनेक स्थलों पर प्रकृति का मानवीकरण
किया गया है। पाठ में से ऐसे अंश चुनिए और उनका आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर (क) 'अंधेरी रात चुपचाप आँसू बहा रही थी।'
आशय - यहाँ रात्रि की विभीषिका और मौत के सन्नाटे और दुःख को
व्यक्त किया गया है।
(ख) 'निस्तब्धता करुण सिसकियों और आहों को बलपूर्वक अपने हृदय
में दबाने की चेष्टा कर रही थी।'
आशय - यहाँ दुःख की अधिकता को प्रकट करना लेखक का उद्देश्य है।
(ग) 'अन्य तारे उसकी भावुकता अथवा असफलता पर खिलखिलाकर हँस पड़ते
थे।'
आशय - यहाँ गरीबों की सहायता का असफल प्रयास करने का मजाक उड़ाया
गया है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न-उत्तर
1. 'पहलवान की ढोलक' पाठ के लेखक है-
(क) फणीश्वरनाथ रेणु
(ख) फणीश्वर सिंह रेणु
(ग) फणीश्वर प्रसाद रेणु
(घ) फणीश्वर दास रेणु ।
2. पाठ का प्रारंभ किस ऋतु के दिनों से होता है
?
(क) बसंत
(ख) ग्रीष्म
(ग) जाड़ा
(घ) पावस।
3. किस की ठंडी रात थी ?
(क) चौदस
(ख) पूर्णिमा
(ग) अष्टमी
(घ) अमावस ।
4. कौन-सी रात चुपचाप आँसू बहा रही थी?
(क) अंधेरी
(ख) चाँदनी
(ग) आँधी भरी
(घ) वर्षा की।
5. किन का क्रंदन सुनाई दे रहा था ?
(क) कतों का
(ख) बिल्लियों का
(ग) सियारों का
(घ) उल्लुओं का ।
6. किस की आवाज़ मृत-गाँव में संजीवनी शक्ति भरती
थी?
(क) बाँसुरी की
(ख) पहलवान की ढोलक की
(ग) बादलों की
(घ) पहलवान की।
7. पहलवान का नाम था-
(क) लद्दन सिंह
(ख) लाल सिंह
(ग) लुट्ठन सिंह
(घ) लुट्टन सिंह।
8. लुट्टन सिंह पहलवान किस उम्र में अनाथ हो गया
था ?
(क) नौ
(ख) सात
(ग) ग्यारह
(घ) पाँच।
9. 'शेर के बच्चे' के नाम से प्रसिद्ध पहलवान
का नाम था-
(क) बादल सिंह
(ख) चाँद सिंह
(ग) चारा चंद
(घ) सूरज सिंह।
10. चाँद सिंह के गुरु का नाम था-
(क) हवा सिंह
(ख) सूरज सिंह
(ग) बादल सिंह
(घ) श्याम सिंह।
11. चाँद सिंह कहाँ से आया था ?
(क) हिमाचल प्रदेश
(ख) हरियाणा
(ग) राजस्थान
(घ) पंजाब ।
12. लुट्टन सिंह ने चाँद सिंह पहलवान को कहाँ
के दंगल में हराया था?
(क) गोपाल नगर के
(ख) रामनगर के
(ग) श्याम नगर के
(घ) रूप नगर के
13. लुट्टन सिंह ने दूसरे किस नामी पहलवान को
पटककर हरा दिया था?
(क) अफजल खाँ को
(ख) काला खाँ को
(ग) अब्दुल खाँ को
(घ) कल्लू खाँ को।
14. लुट्टन सिंह के सिर पर कसरत की धुन क्यों
सवार हुई ?
(क) नाम-प्रसिद्धि के लिए
(ख) ईनाम जीतने के लिए
(ग) शरीर को मजबूत बनाने के लिए
(घ) लोगों
से बदला लेने के लिए।
15. लुट्टन के कितने पुत्र थे ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार।
16. राजदरबार से निकाले जाने पर पहलवान क्या करने
लगा ?
(क) खेती करने लगा
(ख) गाँव
के युवकों को कुश्ती सिखाने लगा
(ग) मांगलिक अवसरों पर ढोलक बजाने लगा
(घ) मजदूरी करने लगा।
17. पहलवान के दोनों लड़के क्या करने लगे?
(क) व्यापार
(ख) ड्राइवरी
(ग) मजदूरी
(घ) नेतागिरी।
18. लुट्टन के दोनों बेटों की मृत्यु किससे हुई?
(क) करंट लगने से
(ख) साँप के काटने से
(ग) सड़क दुर्घटना से
(घ) मलेरिया-हैजे से।
19. लोगों के अनुसार पहलवान का कलेजा कितने हाथ
का था ?
(क) एक हाथ का
(ख) डेढ़ हाथ का
(ग) दो हाथ का
(घ) ढाई हाथ का।
20. लुट्टन सिंह दंगल देखने कहाँ गया था ?
(क) श्याम नगर
(ख) प्रेम नगर
(ग) राम नगर
(घ) रूप नगर।
21. कितने वर्ष पहलवान अजेय रहा?
(क) दस
(ख) पंद्रह
(ग) बीस
(घ) पच्चीसा
22. 'जीते रहो, बहादुर। तुमने इस मिट्टी की लाज
रख ली' यह कथन किस का है?
(क) चाँद सिंह का
(ख) राजा साहब का
(ग) लुट्टन का
(घ) काला खाँ का।
23. फणीश्वरनाथ रेणु का जन्म किस वर्ष हुआ था
?
(क) 1918
(ख) 1919
(ग) 1920
(घ) 1921
24. फणीश्वरनाथ रेणु की मृत्यु कब हुई ?
(क) 1977
(ख) 1976
(ग) 1975
(घ) 1974.
25. फणीश्वरनाथ रेणु का निधन कहाँ हुआ था ?
(क) भागलपुर में
(ख) पटना में
(ग) पूर्णिया में
(घ) जमशेदपुर में।
26. फणीश्वरनाथ रेणु का प्रसिद्ध उपन्यास है-
(क) महाभोज
(ख) टोपी शुक्ला
(ग) मैला आँचल
(घ) राग दरबारी ।
27. 'मैला आँचल' कैसा उपन्यास है ?
(क) पौराणिक
(ख) ऐतिहासिक
(ग) नागरीय
(घ) ऑचलिक ।
28. रात्रि के वातावरण को किस की डरावनी आवाज
भयानक बना देती थी?
(क) पेचक की
(ख) ऐचक की
(ग) केचक की
(घ) रेचक की।
29. लुट्टन पहलवान के 'होल इंडिया' की सीमा कहाँ
तक थी?
(क) गाँव तक
(ख) तहसील तक
(ग) जिले तक
(घ) प्रदेश तक।
30. लुट्टन को पाल-पोस कर किस ने बड़ा किया था
?
(क) उस की दादी ने
(ख) उसकी नानी ने
(ग) उसकी सास ने
(घ) उसकी चाची ने।
31. राजमत, बहुमत किस पहलवान के पक्ष में था?
(क) चाँद सिंह के
(ख) काले खाँ के
(ग) लुट्टन सिंह के
(घ) इनमें से कोई नहीं।
32. 'शेर के बच्चे' के गुरु का नाम था ?
(क) समर सिंह
(ख) बादल सिंह
(ग) अजमेर सिंह
(घ) दारा सिंह।
33. चांद सिंह किसकी तरह लुट्टन पर टूट पड़ा था
?
(क) शेर की तरह
(ख) हाथी की तरह
(ग) बाज की तरह
(घ) साँप की तरह।
34. लुट्टन जवानी में अपने दोनों हाथों को दोनों
ओर कितने डिग्री की दूरी पर फैला कर चला करता था ?
(क) 30°
(ख) 45°
(ग) 60°
(घ) 75°
35. काला खाँ क्या कह कर अपने प्रतिद्वंद्वी पर
टूट पड़ता था ?
(क) या-अली
(ख) आ-ली
(ग) या-हुसैन
(घ) या-अल्लाह ।
36. लुट्टन पहलवान और दोनों भावी पहलवानों का
दैनिक भोजन खर्च का नाम सुनते ही राजकुमार ने क्या कहा ?
(क) टैरिबुल
(ख) हौरिबुल
(ग) ब्यूटीफुल
(घ) इम्पोसिबुल।
37. पूरे गाँव में मलेरिया और हैजे का प्रकोप
किस मौसम में फैला था ?
(क) गर्मी
(ख) जाड़े
(ग) वर्षा
(घ) बसंत ।
38. दंगल के आयोजन का स्थल था।
(क) श्याम नगर
(ख) राम नगर
(ग) दौलतपुर
(घ) संत नगर।
39. चाँद सिंह की हार से सबसे दुखी थे ?
(क) मराठा
(ख) बिहारी
(ग) पंजाबी
(घ) बंगाली।