झारखण्ड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्, राँची
PROJECT RAIL (11.06.2025)
(REGULAR ASSESSMENT FOR IMPROVED LEARNING) GENERAL SCHOOL
विषय
– इतिहास समय-1
घण्टा
कक्षा
– 12 पूर्णांक
-20
सामान्य
निर्देश :
1.
इस प्रश्न-पत्र में कुल 12 प्रश्न हैं। सभी प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य हैं।
2.
प्रश्न के प्रकार एवं अंक :
प्रश्न
1 से 6 - वस्तुनिष्ठ प्रश्न 6x1=6.
प्रश्न
7 से 10 - लघु उत्तरीय प्रश्न 4x2 = 8
प्रश्न
11 एवं 12 - दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 2x3=6
3.
प्रश्न संख्या 1 से 6 बहुविकल्पीय प्रकार के हैं। 6 बहुविकल्पीय प्रश्नों में से 2
प्रश्न योग्यता आधारित प्रश्न हैं। प्रत्येक प्रश्न 1 अंक का है। बहुविकल्पीय प्रकार
के प्रश्न 1 से 6 के लिए चार विकल्प दिए गए है, सही विकल्प (a, b, c, d) का चयन कर
उत्तर पुस्तिका में लिखना हैं।
4.
परीक्षा की समाप्ति से पहले किसी भी परीक्षार्थी को परीक्षा कक्ष से बाहर जाने की अनुमति
नहीं होगी।
SECTION - A (1x6=6) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
1. भारतीय पुरातत्व विभाग के जनक कौन हैं ?
(A) कनिंघम
(B)
दयाराम साहनी
(B)
राखालदास बनर्जी
(C)
एस आर राव
2. लोथल कहाँ स्थित है ?
(A) गुजरात
(B)
हरियाणा
(C)
पंजाब
(D)
राजस्थान
3. हडप्पा सभ्यता में बंदरगाह का प्रमाण कहाँ मिला है ?
(A)
कालीबंगा
(B)
चान्हुदाडो
(C)
हडप्पा
(D) लोथल
4. सिंधु घाटी सभ्यता का आकार था ।
(A)
वर्गाकार
(B)
आयताकार
(C) त्रिभुजाकार
(D)
चतुर्भुजाकार
5. हडप्पा सभ्यता का सामाजिक स्थिति का पता किससे चलता है।
(A) शवाधान
(B)
स्नानागार से
(C)
नगर योजना से
(D)
अन्नागार से
6. हडप्पा सभ्यता की लिपि --------लिखी जाती थी ?
(A) दायें से बाएं
(B)
बाएं से दायें
(C)
मनके पर
(D)
सभी तरह से
SECTION - B (4x2=8) (लघु उत्तरीय प्रश्न)
1. हडप्पा सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता क्यों कहा जाता है ?
उत्तर - हड़प्पा और मोहनजोदड़ो नगर का अवशेष मुख्य रूप से
सिंधु या सिंधु नदी घाटी के आसपास से प्राप्त हुए हैं इस कारण से हड़प्पा सभ्यता
को सिंधु घाटी सभ्यता भी कहा जाता है ।
2. कार्बन डेटिंग के अनुसार हडप्पा सभ्यता का काल खंड है।
उत्तर - कार्बन डेटिंग के अनुसार हड़प्पा सभ्यता का कालखंड
2350 ईसवी पूर्व से 1750 ईसवी पूर्व माना गया है।
3. सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे बड़ा नगर है।
उत्तर - सिंधु
घाटी सभ्यता का सबसे बड़ा नगर मोहनजोदड़ो था । जो वर्तमान में पाकिस्तान में है।
4. जुते हुए खेत का साक्ष्य कहाँ से मिला है?
उत्तर - जुटे
हुए खेत का साक्ष्य कलीबंगा से प्राप्त हुआ है जो राजस्थान में है।
SECTION - C (2x3=6) (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)
1. हडप्पा वासियों के पश्चिम एशिया के साथ व्यापारिक सम्बन्धो का वर्णन
करें ।
उत्तर - पश्चिम
एशिया विशेष कर मेसोपोटामिया के साथ हड़प्पा वासियों के व्यापारिक संबंधों के अनेक
प्रमाण खुदाई से प्राप्त हुए हैं। यह व्यापार स्थल एवं जल दोनों मार्ग से होता था।
निम्नलिखित पुरातात्विक प्रमाण हड़प्पा वासियों के पश्चिम एशिया के साथ व्यापारिक संबंधों
को पुष्टि करते हैं
(क) तांबे को संभवतः ओमान से मंगाया जाता था। हड़प्पा तथा ओमान
के तांबे के बर्तनों में प्राप्त निकेल के अंश का उद्भव संभवतः एक ही स्थान से है।
(ख) हड़प्पा वासियों के शिल्प कार्य के लिए ईरान एवं बलूचिस्तान
से चांदी सीसा ईरान से और अफगानिस्तान से मनाया जाता था ।
(ग) हड़प्पा वासियों के बाट, मोहरे पासे तथा मनके पश्चिम एशिया
के कई स्थानों से मिले हैं। जो हड़प्पा के व्यापारिक संबंध पश्चिमी देशों से पुष्टि
करते हैं।
(घ) समकालीन सभ्यता मेसोपोटामिया से प्राप्त अभिलेखों में में
मेलूहा शब्द हड़प्पा क्षेत्र के लिए ही प्रयुक्त होता था।
(ड.) हड़प्पा के मुहरों में पानी जहाज एवं नाव के चित्र मिलते
हैं, यह उनके समृद्ध व्यापार को दर्शाता है। मेसोपोटामिया के लिखे में में मेलूहा को
नविकों का देश कहा गया है।
2. पुरातत्व हडप्पा समाज में सामाजिक, आर्थिक भिन्नताओं का पता किस
प्रकार लागते हैं ?
उत्तर - पुरातत्वविद
सामाजिक एवं आर्थिक भिन्नता को पता लगाने के लिए अनेक विधियों का इस्तेमाल करते हैं।
इनमें से दो मुख्य विधियां हैं -शवाधानों का
अध्ययन और विलासिता की वस्तुओं की
खोज ।
(i) शवधानों का अध्ययन हड़प्पा सभ्यता के खुदाई में प्राप्त
कब्रगाहों (शवाधान) के अध्ययन से स्पष्ट होता है -
(क) शवों को गर्तों अथवा गड्ढे में दफनाया जाता था ।
(ख) सभी गर्तों की बनावट एक जैसी नहीं है।
(ग) कुछ कब्रों से शव के साथ मृदभांड और आभूषण प्राप्त हुए हैं।
(घ) कुछ कब्र से कुत्ते का अवशेष प्राप्त हुआ है ।
उपर्युक्त तथ्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि हड़प्पा में
सामाजिक आर्थिक भिन्नता रही होगी ।
(ii) विलासिता की वस्तुओं का पता लगाना सामाजिक एवं आर्थिक विभिन्नता
को पहचानने के लिए विलासिता की वस्तु की खोज एक प्रमुख विधि है। इसमें निम्नलिखित तरीके
अपनाए जाते हैं -
(क) दैनिक उपभोग का उपभोग की वस्तु में जैसे मृदभांड चक्की या
जिसे सामान्य वस्तुओं से पत्थर या मिट्टी से बनाया जा सकता था ।
(ख) विलासिता की वस्तुओं के अंतर्गत महंगी एवं दुर्लभ वस्तुएं
भी शामिल थी। इस जटिल तकनीक से बनाया जाता था
(ग) प्राप्त अवशेषों से पता चलता है कि आर्थिक भिन्नता के आधार
पर ही वस्तुओं का उपभोग किया गया होगा ।
(घ) नगरों अथवा बस्तियों में निवास खान-पान एवं रहन-सहन वस्तुओं
विशेषकर बहुमूल्य वस्तुओं का उपयोग पर भी पुरातत्वविद ध्यान देते होंगे ।
इन तथ्यों से स्पष्ट होता है कि सामान्य लोग सामान्य वस्तुएं
जबकि संपन्न लोग बहुमूल्य वस्तुओं का उपयोग करते होंगे ।
PROJECT RAIL (07.07.2025)
SECTION - A (6x1=6) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
1. बौद्ध और जैन ग्रन्थों में कितने महाजनपद का उल्लेख है?
a.
10
b.
12
c.
14
d. 16
2. मौर्य वंश के संस्थापक कौन थे?
a.
अशोक
b.
बिंदुसार
c. चंद्रगुप्त मौर्य
d.
समुद्रगुप्त
3. अर्थशास्त्र के लेखक कौन हैं?
a.
वाल्मीकि
b.
कालिदास
c. चाणक्य
d.
वेदव्यास
4. हर्षवर्धन के राजकवि कौन थे?
a. बाणभट्ट
b.
कालिदास
c.
कौटिल्य
d.
मेगस्थनीज
5. किसके अभिलेख में भूमि दान का उल्लेख मिलता है?
a.
अशोक
b.
समुद्रगुप्त
c. प्रभावती गुप्त
d.
इनमें से कोई नहीं
6. अशोक के अभिलेख को सर्वप्रथम किसने पढ़ा?
a.
जॉन मार्शल
b.
कनिंघम
c. जेम्स प्रिंसेप
d.
अर्नेस्ट मैके
SECTION - B (4x2=8) (लघु उत्तरीय प्रश्न)
7. मौर्यकालीन इतिहास के प्रमुख स्रोतों का वर्णन करें।
उत्तर - मौर्य कालीन इतिहास के जानकारी
के स्रोत -
साहित्यिक
स्रोत - कौटिल्य का अर्थशास्त्र, विशाखदत्त का
मुद्राराक्षस, विष्णु पुराण एवं बौद्ध व जैन ग्रन्थों से मौर्य इतिहास की जानकारी
मिलती है।
पुरातात्विक
स्रोत - अशोक के शिलालेख मौर्य साम्राज्य के
अध्ययन के प्रमाणिक स्रोत हैं।
विदेशी
यात्रियों का विवरण - यूनानी राजदूत
मेगस्थनीज की इंडिका मौर्य कालीन इतिहास जानने के प्रमुख स्रोत है।
8. अभिलेख से आप क्या समझते हैं?
उत्तर - अभिलेख पत्थर, धातु या मिट्टी
के बर्तन जैसी कठोर सतह पर खुदे होते हैं। अभिलेखों में उन लोगों की उपलब्धियाँ, क्रियाकलाप
या विचार लिखे जाते हैं जो उन्हें बनवाते हैं। अभिलेखों में इनके निर्माण की तिथि भी खुदी होती है तथा जिन पर तिथि
नहीं होती उनका काल निर्धारण लेखन शैली के आधार पर किया जाता है।
9. मौर्यकालीन प्रशासन का वर्णन करें।
उत्तर - मौर्य
साम्राज्य के प्रशासन का स्वरूप केंद्रीकृत था। चाणक्य के अनुसार राज्य के सात अंग
थे राजा, अमात्य, जनपद, दुर्ग, कोष, सेना और मित्र। इनमें राजा को सर्वोच्च स्थान प्राप्त
था। राजा अपने सभी राज्यकार्यों का संचालन अमात्यों, मंत्रियों तथा अधिकारियों द्वारा
करता था। कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में 18 तीर्थों और उनके प्रमुखों की चर्चा की है।
मौर्य काल में दीवानी न्यायालय 'धर्मस्थयी' तथा फौजदारी न्यायालय 'कंटकशोधन' मौजूद
थे।
10. महाजनपदों के विशिष्ट विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर - महाजनपदों
की विशिष्ट विशेषता -
- लोहे के बढ़ते प्रयोग और सिक्के के विकास प्रारंभ हुए।
- अधिकांश महाजनपदों में राजा का शासन होता था लेकिन गणतंत्रीय राज्यों
में अनेक लोगों का समूह शासन करता था, इस समूह का प्रत्येक व्यक्ति राजा
कहलाता था
- राजतंत्रीय राज्य में भूमि सहित आर्थिक स्रोत राजा के अधीन था, वहीं
गणतंत्रीय राज्यों में राजाओं का सामूहिक नियंत्रण था।
SECTION - C (2x3=6) (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)
11. मगध महाजनपद के शक्तिशाली होने के क्या कारण थे?
उत्तर - मगध
महाजनपद के शक्तिशाली होने के निम्नलिखित कारण थे
- भौगोलिक स्थिति: मगध की दोनों राजधानियाँ राजगृह और पाटलिपुत्र सामरिक दृष्टि से
महत्वपूर्ण स्थान पर स्थित थी।
- लोहे के समृद्ध भंडार : मगध के दक्षिणी क्षेत्र आधुनिक झारखंड में लोहे के भंडार होने के
कारण लोहे के हथियार एवं उपकरण आसानी से उपलब्ध थे।
- उपजाऊ कृषि : मगध का क्षेत्र कृषि की दृष्टि से काफी उर्वर था। यहाँ के लोग अन्न
उत्पादन में आत्मनिर्भर थे।
- हाथी की उपलब्धता: इस क्षेत्र के घने जंगलों में हाथी काफी संख्या में पाये जाते थे
जिनका युद्ध में काफी महत्व था। हाथी से दलदल स्थान तथा दुर्गो को तोड़ने में
काफी सहायता मिलती थी।
- योग्य शासक : मगध के आरंभिक शासक बिम्बिसार, अजातशत्रु और महापद्मनंद आदि
अत्यधिक योग्य एवं महत्वकांक्षी थे। इनकी नितियों ने मगध का विस्तार किया।
12. अशोक का धम्म क्या है? इसके मुख्य विशेषताओं को लिखें।
उत्तर - अशोक
का धम्म एक सजग नैतिक सामाजिक आचार संहिता थी जिसमें अनेक आदर्श एवं आचार - व्यवहार
का समावेश था। इसमें सदाचारी जीवन पर जोर था, मध्यम मार्ग का अवलंबन था किन्तु इसे
मानने के लिए कोई दबाव नहीं था।
अशोक के धम्म की मुख्य विशेषताएँ -
- सभी धर्मों का सार : अशोक का धम्म तत्कालीन सभी धर्मों का सार था। अशोक ने धम्म का सार
अपने अनुभव एवं नैतिक ज्ञान से प्राप्त किया था
- अहिंसा पर जोर : अहिंसा धम्म का महत्वपूर्ण अंग था। अहिंसा का पालन करने के लिए
प्रजा को प्रेरित किया गया।
- सद्गुणों पर जोर : विभिन्न धर्मों के सद्गुणों जैसे प्रेम, सहिष्णुता, श्रद्धा,
अहिंसा आदि को स्वीकार करने की बात कही गई जबकि अवगुणों जैसे क्रोध, अहंकार,
ईर्ष्या आदि का दमन करने की बात कही गई।
- व्यावहारिक धर्म : धम्म में कर्मकांड और अनुष्ठानों पर जोर नहीं दिया गया बल्कि आचरण, कर्म की पवित्रता, ब्राह्मणों श्रमणों के प्रति आदर, पशुओं के प्रति दया आदि व्यवहारिक बातें शामिल थी।
PROJECT RAIL (04.08.2025)
SECTION - A (6x1=6) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
1. 'वरूण' को आर्य किस प्रकृति तत्व का देवता मानते थे?
(a)
पृथ्वी
(b) आकाश
(c)
सूर्य
(d)
इनमें से कोई नहीं
2. गंगा पुत्र किसे कहा जाता है?
(a) भीष्म
(b)
द्रोण
(c)
अर्जुन
(d)
भीम
3. वेदों की संख्या कितनी है?
(a)
3
(b) 4
(c)
5
(d)
6
4. ऋग्वेद मे सूक्तों की संख्या कितनी है?
(a)
1018
(b) 1028
(c)
1038
(d)
1048
5. महाभारत की रचना किसने की?
(a) वेदव्यास
(b)
वाल्मीकी
(c)
मनु
(d)
तुलसीदास
6. उपदेशात्मक शब्द का अर्थ तात्पर्य क्या है?
(a)
भिक्षा देना
(b)
बल देना
(c) शिक्षा देना
(d)
इनमें से सभी
Section B (4x2=8) (लघु उत्तरीय प्रश्न)
7. महाभारत में कितने प्रकार के विवाह का वर्णन है? उल्लेख करें।
उत्तर- आठ प्रकार के विवाह का वर्णन
है।
(i)
आर्य विवाह
(ii)
प्रजापत्य विवाह
(iii)
ब्रह्म विवाह
(iv)
दैव विवाह
(v)
असुर विवाह
(vi)
गंधर्व विवाह
(vii)
राक्षस विवाह
(viii)
पिशाच विवाह
8. पितृसतात्मक से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- पितृसतात्मक शब्द का अर्थ है
कि एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था जिसमें पुरूषों को महिलाओं की तुलना में अधिक शक्ति और
विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं, यह व्यवस्था सामाजिक संबंधों, मूल्यों, मानदंडों और
व्यवहारों को प्रभावित करती है जो मुख्य रूप से पुरूषों द्वारा बनाये जाते हैं और पुरूषों
के लिए विशेषाधिकार प्राप्त स्थिति को बढ़ावा देते हैं।
9. श्रेणी किसे कहा जाता है?
उत्तर - शिल्पियों और वर्णिकों के अपने
अलग-अलग संगठन थे, जिन्हें श्रेणियाँ कहा जाता है।
10. संस्कृत में रचित दो भारतीय महाकाव्यों का नाम लिखें।
उत्तर - रामायण और महाभारत
SECTION - C (2x3=6) (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)
11. हिन्दू धर्म के दो महाकाव्यों का वर्णन करें।
उत्तर - हिन्दु धर्म के दो सबसे प्रमुख
महाकाव्य 'रामायण' और 'महाभारत' है। पहली शताब्दी में ऋषि वाल्मीकी द्वारा लिखी गई
रामायण, भगवान विष्णु के अवतार राम की कहानी और राक्षस राजा रावण से अपनी पत्नी सीता
को बचाने के लिए उनकी यात्रा की कहानी बताती है। यह महाकाव्य धर्म, कर्म और भक्ति के
विषयों की खोज करता है।
540-300
ईसा पूर्व के बीच ऋषि वेदव्यास द्वारा लिखित महाभारत एक जटिल महाकाव्य है, जो दो परिवारों,
पांडवों और कौरवों के बीच संघर्ष के इर्द-गिर्द घूमता है। इसमें भगवत गीता भी शामिल
है, जो एक पवित्र ग्रंथ है जो कर्त्तव्य, कर्म और भक्ति पर दार्शनिक प्रवचन प्रस्तुत
करता है। महाभारत को अब तक लिखे गये सबसे लंबे महाकाव्यों में से एक माना जाता है।
12. स्पष्ट करें कि विशिष्ट
परिवारों में पितृवंशिकत्ता क्यों महत्वपूर्ण रही होगी।
उत्तर- विशिष्ट परिवारों में पितृवंशिकता
कई कारणों से महत्वपूर्ण रही है। यह परिवार की आर्थिक स्थिरता, सामाजिक पहचान और प्रतिष्ठा
तथा परंपराओं और सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण को सुनिश्चित करता है। पितृवंशिकता
के माध्यम से संपत्ति,संसाधन
और अधिकार पिता से पुत्र तक हस्तांतरित होते हैं, जिससे परिवार की स्थिति मजबूत होती
है।
प्रमुख कारणः-
1. वंश की निरंतरता
2. आर्थिक स्थिरता
3. सामाजिक पहचान
4. परंपराओं का संरक्षण
5. उत्तराधिकार