11th 6. परिक्षेपण का माप, सांख्यिकी के सिद्धान्त JCERT/JAC Reference Book

11th 6. परिक्षेपण का माप, सांख्यिकी के सिद्धान्त JCERT/JAC Reference Book
11th 6. परिक्षेपण का माप, सांख्यिकी के सिद्धान्त JCERT/JAC Reference Book
6. परिक्षेपण का माप 6.1 प्रस्तावना पिछले दो अध्यायों में हमने औसत (Average) या केन्द्रीय प्रवृत्ति के मापों का अध्ययन किया है। एक श्रृंखला की केन्द्रीय प्रवृत्ति या औसत एक प्रतिनिधि मूल्य है और इसलिए श्रृंखला के विभिन्न मूल्यों का प्रतिनिधित्व करती है। परन्तु एक औसत यह नहीं बता पाता कि एक श्रृंखला के विभिन्न मदों में कितना अन्तर है। इसलिए औसत की जानकारी प्राप्त करने के साथ-साथ यह ज्ञान प्राप्त करना भी जरूरी हो जाता है कि किसी श्रृंखला के विभिन्न मदों में आपस में कितना अन्तर है तथा माध्य से कितना अन्तर है। • एक माध्य एक श्रेणी का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए केन्द्रीय मूल्यों को प्रथम श्रेणी का माध्य भी कहा जाता है। • परन्तु विभिन्न माध्यों के अध्ययन करने के बाद भी हमें समंक श्रेणी की संरचना, बनावट, फैलाव विस्तार आदि की जानकारी प्राप्त नहीं होती है इसलिए यह ज्ञात करने के लिए अपकिरण के माप ज्ञात किये जाते है। • इसलिए सिम्पसन एवं काफ्का ने सही कहा है कि एक अकेला माध्य पूरी कहानी नहीं बता सकता है क्योंकि समंक श्रेणी का औसत मूल्य माध्य होता है जो समंक श्रेणी का केन्द्रीय मूल्य, प्रतिनिधित मूल्य …