11. खाद्य संजाल (Food Web)

11. खाद्य संजाल (Food Web)

11. खाद्य संजाल (Food Web)


खाद्य संजाल (Food Web)

प्रश्न : पारिस्थितिकी तंत्र में आहार या खाद्य-संजाल की व्याख्या कीजिए। इस प्रकार भक्ष्य-भक्षक का यह संबंध आहार श्रृंखलाएँ है? वर्णन कीजिये।

अथवा

"खाद्य-संजाल की संकल्पना खाद्य श्रृंखला की संकल्पना की अपेक्षा अधिक यथार्थपूर्ण है?" क्यों? कारणों का उल्लेख कीजिये।

उत्तर : पारिस्थितिकी तंत्र में कुछ उपभोक्ता एक ही प्रकार की प्रजातियों को खाते हैं लेकिन अधिकांश उपभोक्ताओं के आहार बहुत बहुतेरीय या विविधपूर्ण होते हैं। कुछ प्रजातियाँ भी प्रत्येक तंत्र स्वयं में परिपूर्ण होता है। इसलिए ऊपरवर्णित दोनों आहार श्रृंखलाएँ जो भिन्न पारिस्थितिकी तंत्र से सम्बन्धित है, परस्पर सम्बद्ध हैं। विविध प्रकार के परभक्षियों के आहार या शिकार (prey) होती हैं लेकिन बहुत-सी प्रजातियाँ विविध प्रकार के परजीवियों और परभक्षियों से घिरी होती हैं। फलस्वरूप एकल आहार-श्रृंखला एक-दूसरे संजाल से परस्पर गुंथी हुई होती हैं। वस्तुतः नैसर्गिक दशाओं में खाद्य श्रृंखला बमुश्किल रैखिक दिशा में चलती है। ये परस्पर एक-दूसरे से जुड़ी हुई होती हैं। इन्हें स्वपोषी स्तर पर विभिन्न प्रकार के जीव जोड़ते हैं।

निम्नलिखित चित्र से विशिष्ट प्रकार के खाद्य-संजाल के अन्तर्गत जीवों के पारस्परिक आहार-संबंधों (भक्ष्य-भक्षक) को समझा जा सकता है। इस खाद्य-संजाल में पाँच रैखिक चरगाहा आहार-श्रृंखलाओं को देखा जा सकता है, जिनके अनुक्रम इस प्रकार हैं-

(i) अनाज, इत्यादि चूहा बाज

(ii) अनाज, इत्यादि चूहा सर्प बाज

(iii) घास कीट छिपकली सर्प बाज

(iv) घास कीट गौरैया बाज

(v) घास कीट गौरैया सर्प बाज

खाद्य संजाल (Food Web)

उपर्युक्त पाँचों आहार श्रृंखलाएँ आहार या खाद्य संजाल बनाकर अनेक बिन्दुओं और स्तरों पर परस्पर जुड़ी हुई हैं। चित्र में दर्शाये गये उपभोक्ताओं के अतिरिक्त अन्य उपभोक्ता भी हो सकते हैं, जैसे उल्लू, भेड़िए, खरगोश और मनुष्य इत्यादि। इस तरह खाद्य संजाल उपर्युक्त चित्र में दर्शित संजाल से कहीं अधिक जटिल होता है।

सागर की खाद्य श्रृंखला जैवविविधतापूर्ण होती है। इसके अन्दर अधिक प्रजातियाँ हैं और उनके स्वपोषण के कई स्तर रहते हैं। प्रथम स्तर में सूक्ष्म एककोशकीय प्लैंक्टॉन जैसे शैवाल रहते हैं। द्वितीय पोषण स्तर में छोटे (zooplankton) जैसे (invertebrates) आते हैं और कुछ किस्म की मछलियाँ जो शैवालभोज होती हैं। बालीन हेल (Baleen Whales) छोटे शाकाहारियों यथा जूपलैंक्टॉन (zooplankton) को खाते हैं। ये पोषण के तीसरे स्तर पर आते हैं। उच्च स्तर का निर्माण किलर हेल (killer whales) और शार्क जैसी मछलियाँ करती हैं जो परभक्षी मछलियों को खा जाती हैं।


पर्यावरणीय अध्ययन(Environmental Studies)










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