GENERAL
SCHOOL 03.11.2025
Class
11 Subject - ECONOMICS
OBJECTIVE
QUESTION 6x1=6
1. यदि दो चरों के बीच सहसंबंध गुणांक 1 है तो इन दो चरों के बीच कैसा
सहसंबंध है ?
a.
धनात्मक सहसंबंध
b.
ऋणात्मक सहसंबंध
c. पूर्णतया धनात्मक सहसंबंध
d.
पूर्णतया ऋणात्मक सहसबंध
2. कार्ल पियर्सन सहसंबंध गुणांक का उपयोग कब नहीं किया जाता है?
a.
चरों के बीच रैखीय संबंध हो
b. चरो के बीच गैर रेखीय संबंध हो
c.
चरों के बीच धनात्मक सहसंबंध हो
d.
चरों के बीच ऋणात्मक सहसंबंध हो
3. सरल सहसंबंध के अंतर्गत अध्ययन किये जाने वाले दोनों चरों में कैसा
संबंध पाया जाता है?
a.
घनात्मक
b.
ऋणात्मक
c.
कोई संबंध नहीं
d. उपरोक्त सभी
4. सकल घरेलू उत्पाद में योगदान देनेवाले सभी कार्यकलापों को हम क्या
कहते हैं?
a. आर्थिक क्रियायें
b.
गैर आर्थिक क्रियाये
c.
a और b दोनों
d.
इनमें से कोई नहीं
5. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम कब लागू
किया गया ?
a.
2000
b.
2002
c. 2006
d.
2010
6. निम्न में से किस क्षेत्र में अधिक महिलायें कार्यरत हैं?
a. प्राथमिक क्षेत्रक
b.
द्वितीयक क्षेत्रक
c.
तृतीयक क्षेत्रक
d.
चतुर्थक क्षेत्रक
Short
Answer Type 4x 2 = 8
7. सहसंबंध क्या है?
उत्तर - एक ऐसी सांख्यिकीय विधि या तकनीक जो दो या दो
से अधिक चरों के बीच के संबंध की गणना करती है, सहसंबंध कहलाता है।
8. श्रमिक जनसंख्या अनुपात की परिभाषा दें।
उत्तर-
देश की जनसंख्या का वह प्रतिशत जो उत्पादन क्रिया में अपना योगदान देता है, श्रमिक
जनसंख्या अनुपात कहलाता है। यह देश के कार्यबल से संबंधित होता है। कार्यबल में उन
सभी व्यक्तियों को सम्मिलित किया जाता है जो वास्तव में रोज़गार में लगे हुए होते हैं।
सहभागिता दर को कार्यबल और कुल जनसंख्या के अनुपात के रूप में मापा जाता है।
श्रमिक
जनसंख्या अनुपात = (कार्यबल /कुल जनसंख्या) X 100
9. बेरोजगारी की अवधारणा को समझाइये।
उत्तर-
बेरोज़गारी वह अवस्था है जब व्यक्ति में काम करने की योग्यता, काम करने की क्षमता और
काम करने की इच्छा रहते हुए भी प्रचलित मज़दूरी दर पर उस व्यक्ति को रोज़गार नहीं मिल
पाता है। एक धारणा के अनुसार अर्थशास्त्री उसे बेरोज़गार मानते है जिसे आधे दिन की
अवधि में 1 घंटे का रोजगार भी नहीं मिल पाता। भारत के संदर्भ जब बेरोज़गारी की बात
की जाती है तो व्यक्ति यहाँ लंबे समय तक बेरोज़गार नहीं रह पाते। उन्हें कोई भी ऐसा
काम स्वीकार करना पड़ता है जो जोखिमों भरे, अस्वच्छ अथवा असुविधापूर्ण होते है। इस
प्रकार यह देश की एक बहुत बड़ी आर्थिक एवं सामाजिक समस्या है, जब देश के योग्य श्रमबल
को इच्छा रहते हुए भी अपनी आवश्यकता अनुसार रोज़गार नहीं मिलता।
10. स्पीयरमैन का कोटि सहसंबंध किस प्रकार कार्ल पियरसन के सहसंबंध
गुणांक से अधिक लाभप्रद है ?
उत्तर - स्पीयरमैन का कोटि सहसंबंध समंकों के चरम मूल्य
से प्रभावित नहीं होता। इसलिए समंकों में यदि कछ चरम मूल्य हैं, तो स्पीयरमैन का कोटि
सहसंबंध का उपयोग अधिक लाभप्रद होता है।
Long
Answer Type 2 x3 = 6
11. X और Y के बीच सहसबंध की गणना करें तथ तथा उनके संबंध पर टिप्पणी
करें
|
X |
-3 |
-2 |
-1 |
1 |
2 |
3 |
|
Y |
9 |
4 |
1 |
1 |
4 |
9 |
उत्तर :-
|
X |
Y |
A=6 dx |
A=15 dy |
dx2 |
dy2 |
dxdy |
|
-3 |
9 |
-4 |
8 |
16 |
64 |
-32 |
|
-2 |
4 |
-3 |
3 |
9 |
9 |
-9 |
|
-1 |
1 |
-2 |
0 |
4 |
0 |
0 |
|
1 |
1 |
0 |
0 |
0 |
0 |
0 |
|
2 |
4 |
1 |
3 |
1 |
9 |
3 |
|
3 |
9 |
2 |
8 |
4 |
64 |
16 |
|
|
|
Σdx=-6 |
Σdy=22 |
Σdx2=34 |
Σdy2=146 |
Σdxdy=-22 |
r= 0
सहसंबंध गुणांक (r = 0) शून्य है। इसका अर्थ यह है कि X और Y के बीच कोई रैखिक
(linear) संबंध नहीं है।
12. भारत में अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों को कौन कौन सी समस्याओं
का सामना करना पड़ता है।
उत्तर-
10 से कम मजदूरों या कर्मचारियों को रोजगार देनेवाले निजी उद्दम, असंगठित या अनौपचारिक
क्षेत्र कहलाते हैं। इसके अंतर्गत छोटे किसान, छोटे व्यावसायी, स्वनियोजित व्यक्ति
एवं अनियत मजदुर इत्यादि शामिल हैं। भारत के 94 प्रतिशत श्रमिक इस क्षेत्र में कार्यरत
हैं। इनकी कुछ मुख्य समस्यायें निम्नलिखित हैं-
i)
सामाजिक सुरक्षा सुविधाओं का अभाव - इस क्षेत्र में काम
रहे श्रमिकों को बीमा, पेंशन, ग्रेच्युटी और भविष्यनिधि जैसी सामाजिक सुरक्षा उपायों
की सुविधा नहीं मिल पाती है। जिससे उन्हें आपातकाल एवं सेवा निवृत्ति के आर्थिक जोखिमों
का सामना करना पड़ता है।
ii)
कम एवं अनियमित आय - अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों
को कम वेतन प्राप्त होता है, जो उनके और उनके परिवार के रोज़मर्रा के खर्चों को पूरा
भी नहीं कर पाता। उनको मिलने वाला वेतन अनियमित होता है।
iii)
रोज़गार सुरक्षा का अभाव असंगठित वर्ग के कर्मियों
को अस्रक्षित रोज़गार शर्तों का सामना करना पड़ता है। उन्हें बिना क्षतिपूर्ति के कभी
भी काम से निकल दिया जा सकता है। re
iv)
असुरक्षित कार्यस्थितियाँ सामाजिक सुरक्षा सुविधाओं
के अनुपस्थिति में इस वर्ग के श्रमिकों का कार्यक्षेत्र में अनुचित व्यवहार, लंबी कार्य-अवधि
एवं अन्य प्रकार के शोषण का सामना करना पड़ता है। यह अवस्थाएँ उन्हें अपने कौशलों को
विकसित करने से रोक देता है।
v)
संगठन का अभाव इस क्षेत्र के मज़दूरों को अपने अधिकारों
को रक्षा करने के लिए असरदार संगठन एवं क़ानूनी संरक्षण के लिए उचित प्रतिनिधित्व नहीं
मिल पाता।
इस प्रकार हम देख सकते हैं कि असंगठित क्षेत्रों के मज़दूरों को विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जो उनके रोजगार की गुणवत्ता को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यही कारण है कि अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन इस क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण प्रयास कर रही है।