एडम स्मिथ का सिद्धान्त (Adam Smith's Theory)
एडम
स्मिथ प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों में सबसे प्रमुख माना जाता है तथा उसे
'अर्थशास्त्र का पिता' कहा जाता है। उसकी विख्यात पुस्तक An Enquiry into the
Nature and Causes of the Wealth of Nations, जो 1776 में प्रकाशित हुई,
मुख्यतः आर्थिक विकास की समस्या से संबद्ध है। यद्यपि उसने
आर्थिक विकास के बारे में व्यवस्थित सिद्धान्त प्रतिपादित नहीं किया, फिर भी बाद
के अर्थशास्त्रियों ने सुव्यवस्थित सिद्धान्त बनाया है जिसकी व्याख्या निम्नलिखित
है : प्राकृतिक नियम ( Natural Law ) आर्थिक
मामलों में एडम स्मिथ प्राकृतिक नियम' में विश्वास करता था। वह मानता था कि प्रत्येक
व्यक्ति अपने हित का श्रेष्ठतम निर्णायक है और उसे अपने हित के पालन करने में
स्वतंत्र छोड़ देना चाहिए। अपने स्वार्थ को बढ़ाने में वह सामान्य हित को भी
बढ़ाएगा। इसके पालन में कोई अदृश्य हाथ' प्रत्येक व्यक्ति का मार्ग-प्रदर्शन करता
है जो मार्किट तन्त्र को चलाता है। स्मिथका कथन था कि "ब्रैड बनाने वाले की
उदारता से नहीं बल्कि उसके अपने स्वार्थ के कारण हमें ब्रैड प्राप्त होती
है।"क्योंकि यदि प्रत्येक व्यक्ति को स्वतंत्र छो…