BALANCED AND UNBALANCED GROWTH (सन्तुलित एवं असन्तुलित विकास)
BALANCED AND UNBALANCED GROWTH (सन्तुलित एवं असन्तुलित विकास)
अल्प-विकसित
देश गरीबी के दुष्चक्र को तोड़ने एवं आर्थिक विकास के मार्ग पर तेजी से बढ़ने के
लिए विकासोन्नमुख नीति अपनाते हैं। विकास को द्रुत गति देने और अल्प-विकसित
अर्थव्यवस्था को स्वप्रेरित अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए एक उचित रणनीति का
अपनाया जाना आवश्यक है। विकास की इस रणनीति अथवा संयोजना को अपनाते समय दो घटकों
को ध्यान में रखा जाना चाहिए-प्रथम, न्यूनतम प्रयास से अधिकतम सम्भावित विकास दर
प्राप्त करना तथा द्वितीय, विकास की एक अवस्था से दूसरी अवस्था में पहुँचने तक
न्यूनतम समय लगना। विकास
की नीति का चुनाव करते समय अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों को रणनीति से जोड़ा जाए
अथवा अर्थव्यवस्था के केवल कुछ चुनिन्दा क्षेत्रों तक ही रणनीति को
केन्द्रित रखा जाए-इस विचार को लेकर अर्थशास्त्री एक मत नहीं हैं। आर्थिक विकास की संयोजना को लेकर अर्थशास्त्रियों की दो
विचारधाराएँ प्रचलित हैं- I.
संतुलित विकास (Balanced Growth)-रेगनर नर्कसे, सिटोविस्की, मेयर, बाल्डविन एवं एलिनयंग की विचारधारा। II.
असंतुलित विकास (Unbalanced Growth)-मार्कस फ्लेमिंग, पॉल स्ट्रेटीन, अलबर्ट, हर्षमैन, सिंगर की विचारधारा । I. संतुलित व…