मिर्डल का चक्रीय कार्यकारण का सिद्धान्त (Myrdal's Theory of Circular Causation)

मिर्डल का चक्रीय कार्यकारण का सिद्धान्त (Myrdal's Theory of Circular Causation)
मिर्डल का चक्रीय कार्यकारण का सिद्धान्त (Myrdal's Theory of Circular Causation)
प्रोफेसर मिर्डल का कहना है कि आर्थिक विकास का परिणाम चक्रीय कार्यकारण प्रक्रिया होती है जिससे धनिकों को अधिक लाभ होता है और जो पिछड जाते हैं उनके प्रयत्न व्यर्थ हो जाते हैं। अतिनिर्यात प्रभाव (back wash effects) अधिकार जमा लेते हैं और प्रसरण प्रभाव (spread effects) मंद हो जाते हैं। इससे अन्तर्राष्ट्रीय असमानताएं संचयी रूप से बढ़ने लगती है और अल्पविकसित देशों के भीतर प्रादेशिक असमानताएं भी आ जाती हैं। अल्पविकसित देशों में चक्रीय एवं संचयी प्रक्रिया, जिसे ' दरिद्रता का दुश्चक्र ' भी कहते हैं, नीचे की ओर परिचालन करती है और अनियमित होने के कारण बढ़ती असमानताएं लाती हैं। मिर्डल का विश्वास है कि हमारी पैतृक सैद्धान्तिक पद्धति आर्थिक असमानताओं की समस्या हल करने में अपर्याप्त है। "अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का सिद्धान्त और दरअसल, आर्थिक सिद्धान्त कभी इस उद्देश्य से नहीं बनाए गए कि आर्थिक अल्पविकास तथा विकास की वास्तविकता की व्याख्या करें।'' इसका कारण यह है कि परम्परागत आर्थिक सिद्धान्त स्थिर सन्तुलन की अवास्तविक मान्यता पर आधारित है। मिर्डल का विश्वास है कि सामाजिक व्यवस्था में…