इष्टतम प्रशुल्क तथा कल्याण (OPTIMUM TARIFF AND WELFARE)

इष्टतम प्रशुल्क तथा कल्याण (OPTIMUM TARIFF AND WELFARE)

प्राय: शुल्क लगाने से प्रशुल्क लगाने वाले देश की व्यापार की शर्तों में सुधार होता है, व्यापार की मात्रा घटती है और प्रशुल्क लगाने वाले देश का कल्याण सुधरता है। व्यापार की शर्तों में सुधार प्रशुल्क का धनात्मक प्रभाव है और व्यापार की मात्रा में कमी होना प्रशुल्क का ऋणात्मक प्रभाव है। केवल तभी देश के कल्याण में सुधार होता है जब प्रशुल्क के ऋणात्मक प्रभाव की अपेक्षा उसका धनात्मक प्रभाव अधिक हो। प्रो. सोडर्टन के अनुसार, "अन्य कोई देश मुक्त व्यापार की स्थिति में हो, तो वह सही प्रशुल्क लगाकर हमेशा अपने कल्याण में सुधार कर सकता है। यह प्रशुल्क, अर्थात जो प्रशुल्क देश के कल्याण को अधिकतम बनाए, इष्टतम प्रशुल्क कहलाता है।"

इष्टतम प्रशुल्क का निर्धारण (Determination of Optimum Tariff)

इष्टतम प्रशुल्क के स्तर का निर्धारण उस बिन्दु पर होता है जहां प्रशुल्क लगाने वाले देश का व्यापार उदासीनता वक्र दूसरे देश के प्रस्ताव वक्र को स्पर्श करता है।

मान्यताएं (Assumptions)—यह विश्लेषण निम्न मान्यताओं पर आधारित है :

1. दो देश इंग्लैंड और जर्मनी हैं।

2. दो वस्तुएं, कपड़ा और लिनन हैं।

3. इंग्लैंड कपड़ा नियात करता है और जर्मनी लिनन निर्यात करता है।

4. इंग्लैंड, जर्मनी से आयात की गई लिनन पर प्रशुल्क लगाता है।

5. इंग्लैंड द्वारा कपड़े के निर्यात पर जर्मनी कोई प्रतिशोध (Retaliation) नहीं करता है।

व्याख्या (Explanation)

ये मान्यताएं दी होने पर इष्टतम प्रशुल्क को नीचे के चित्र की सहायता से स्पष्ट किया जाता है,

जहां OE इंग्लैंड का प्रस्ताव वक्र है, OG जर्मनी का प्रस्ताव वक्र है, और TIe इंग्लैंड का उदासीनता वक्र है। मुक्त व्यापार के अंतर्गत दोनों देशों की व्यापार की शर्ते मूल बिन्दु से OT रेखा दिखाती हैं । वे बिन्दु A पर संतुलन में हैं जहां उनके प्रस्ताव वक्र OE तथा OG एक-दूसरे को काटते हैं। मानलीजिए कि इंग्लैंड, जर्मनी के लिनन पर प्रशुल्क लगा देता है। परिणामस्वरूप, इंग्लैंड का प्रस्ताव वक्र बाएं को OE1 पर चला जाता है। OT1 रेखा नई व्यापार की शर्ते प्रदान करती है और B नया संतुलन बिन्दु है जिसे जर्मनी का मूल प्रस्ताव वक्र OG तथा इंग्लैंड का नया प्रस्ताव वक्र OE1 निर्धारित करते हैं । यह प्रशुल्क जिसने इंग्लैंड के प्रस्ताव वक्र को परिवर्तित कर OE से OE1 पर पहुंचा दिया है इस देश का इष्टतम प्रशुल्क है। बिन्दु B, जहां इंग्लैंड का उदासीनता वक्र TI'e जर्मनी के प्रस्ताव वक्र 0G को स्पर्श करता है, इष्टतम प्रशुल्क का बिन्दु है । इंग्लैंड के लोगों का कल्याण, बिन्दु A की अपेक्षा बिन्दु B पर अधिक है। इसका कारण यह कि इंग्लैंड के लोग मुक्त व्यापार के अंतर्गत व्यापार उदासीनता वक्र TIe के बिन्दु A पर थे और प्रशुल्क लगाने के बाद वे व्यापार उदासीनता वक्र TI'e के बिन्दु B पर हैं जो बिन्दु ऊंचे उदासीनता वक्र पर स्थित है। इस प्रकार जो प्रशुल्क देश के कल्याण को अधिकतम बनाए, वह इष्टतम प्रशुल्क होता है। "यह इष्टतम प्रशुल्क वह प्रशुल्क है जो देश को उस व्यापार उदासीनता वक्र पर ले जाए जो दूसरे देश के प्रस्ताव वक्र को स्पर्श करता हो।"

प्रशुल्क लगाने वाले देश को इष्टतम प्रशुल्क से तभी लाभ हो सकता है जब दूसरे देश का प्रस्ताव वक्र पूर्ण लोचदार से कम हो। यदि दूसरे देश का प्रस्ताव वक्र पूर्णरूप से अथवा अनंतरूप से लोचदार होगा, तो प्रशुल्क लगाने से प्रशुल्क लगाने वाले देश का कल्याण नहीं बढ़ेगा। इसे नीचे के चित्र में दिखाया गया है

जहां जर्मनी का प्रस्ताव वक्र OG सरल रेखा वक्र के रूप में दिखाया गया है और OE इंग्लैंड का प्रस्ताव वक्र है। मुक्त व्यापार के अंतर्गत OG व्यापार की शर्ते प्रदान करता है और संतुलन बिन्दु T पर स्थापित होता है जहां दोनों प्रस्ताव वक्र एक-दूसरे को काटते हैं । जब इंग्लैंड प्रशुल्क लगाता है, तो इंग्लैंड का प्रस्ताव वक्र OE1 पर आ जाता है। नया संतुलन T1 पर स्थापित होता है। इस स्थिति में व्यापार की शर्ते अपरिवर्तित रहती हैं। परंतु व्यापार की मात्रा OC + OL से घटकर OC1 + OL1 रह जाती है। यहां प्रशुल्क का धनात्मक प्रभाव शून्य है क्योंकि व्यापार की शर्तों में कोई सुधार नहीं होता। प्रशुल्क का ऋणात्मक प्रभाव अधिक प्रबल है क्योंकि इससे व्यापार की मात्रा बहुत घट जाती है। इसलिए इष्टतम प्रशुल्क शून्य है।

प्रतिशोध के साथ इष्टतम प्रशुल्क (Optimum Tariff with Retaliation)

जब एक देश इष्टतम प्रशुल्क लगाता है तो वह मुक्त व्यापार की स्थिति से ऊपर कल्याण को बेहतर करता है। परंतु यह इस मान्यता पर आधारित है कि दूसरा देश प्रतिशोध नहीं करता है। क्योंकि इष्टतम प्रशुल्क दूसरे देश को हानि पहुंचाता है जिसकी वस्तु पर प्रशुल्क लगाया जाता है, वह अपनी कल्याण स्थिति को सुधारने के लिए प्रशुल्क लगाने वाले देश की वस्तु पर प्रति-प्रशुल्क (Countertariff) लगा सकता है। इस प्रकार के प्रतिरोधात्मक प्रशुल्कों का प्रत्येक देश के कल्याण पर क्या प्रभाव पड़ेगा वह नीचे के चित्र में दर्शाया गया है।

मान लो जर्मनी की लिनन पर इंग्लैंड प्रशुल्क लगाता है जिससे प्रशुल्क वाली स्थिति B होती है जहां इंग्लैंड का व्यापार उदासीनता वक्र TI'e जर्मनी के प्रस्ताव वक्र 0G को स्पर्श करता है। इससे इंग्लैंड से कपड़े के आयात पर जर्मनी प्रतिशोधात्मक प्रशुल्क लगाता है जिससे उसका जर्मनी का प्रस्ताव वक्र दाईं ओर सरक कर OG1 पर और उसका व्यापार उदासीनता वक्र भी सरक कर TI'e पर आ जाता है तथा L बिन्दु पर उसे स्पर्श करता है। इससे जर्मनी का कल्याण भी बढ़ता है क्योंकि वह मुक्त व्यापार स्थिति A के TIg वक्र की तुलना में ऊंचे व्यापार उदासीनता वक्र TI'g पर पहुंच जाता है जो कल्याण के ऊंचे स्तर को व्यक्त करता है। इसका यह मतलब नहीं कि B बिन्दु पर प्रतिशोध समाप्त हो जाएगा। दोनों देश प्रतिशोधात्मक प्रशुल्कों में व्यस्त रह सकते हैं जब तक वे O बिन्दु पर नहीं पहुंच जाते हैं जहां दोनों के बीच कोई व्यापार नहीं होता है। वे चित्र में स्थिर स्थिति जैसे S पर भी पहुंच सकते हैं जहां प्रत्येक देश यह समझता है कि वह एक इष्टतम प्रशुल्क लगा रहा है। जोनसन (Johnson) निष्कर्ष देता है : "अंतिम संतुलन बिन्दु कोई भी हो, मुक्त व्यापार की तुलना में एक देश को अवश्य हानि होगी, क्योंकि लाभ व्यापार की शर्तों में पर्याप्त सुधार प्राप्त करने पर निर्भर करता है ताकि व्यापार की मात्रा की हानि से बढ़ जाएं और यह एक साथ ही दोनों देशों के लिए असंभव है और दोनों देशों को हानि होगी, जैसा चित्र की वास्तविक स्थिति में है; परंतु यह भी आवश्यक तौर से सत्य नहीं है कि दोनों देश हानि उठाएंगे।"

इष्टतम प्रशुल्क फार्मूला (Optimum Tariff Formula)

प्रो. किंडलबर्गर ने इष्टतम प्रशुल्क की दर मापने का निम्न फार्मूला दिया है-

`T_f=\frac1{e-1}`

जहां `T_f` इष्टतम प्रशुल्क दर है और e दूसरे देश के प्रस्ताव वक्र की बिन्दु लोच है। 

जहां T इष्टतम प्रशुल्क दर है और e दूसरे देश के प्रस्ताव वक्र की बिन्दु लोच है। यदि इस फार्मूले को अनंत लोच वाले सरल रेखा प्रस्ताव वक्र की स्थिति पर लागू किया जाए, तो इष्टतम प्रशुल्क    निकलता है। नीचे के चित्र में, बिन्दु A पर विदेश प्रस्ताव वक्र की लोच 1 (एक) है। इष्टतम प्रशुल्क      (अनंत) है।

जब e इकाई (एक) से अधिक हो, तो इष्टतम प्रशुल्क का मूल्य गिर जाता है। जब e इकाई 1 से कम हो, तो इष्टतम प्रशुल्क का मूल्य ऋणात्मक होता है और परिणामस्वरूप यह बताता है कि विदेश प्रस्ताव वक्र के बेलोच भाग पर इष्टतम प्रशुल्क नहीं होता है।

इष्टतम प्रशुल्क दर की गणना विदेश प्रस्ताव वक्र की लोच के रूप में की जा सकती है।

चित्र में, B वह बिन्दु है जिस पर इष्टतम प्रशुल्क निर्धारित होता है । प्रशुल्क लगाने वाले देश इंग्लैंड में जनता पर आयात शुल्क का OK/KL बोझ पड़ता है जब जर्मनी से लिनन की CB (= OL) मात्रा आयात की जाती है। अब बिन्दु B पर इष्टतम प्रशुल्क OS/OC है । परंतु OS/OC = OS/LB, क्योंकि 0C = LB जो आगे समरूप त्रिभुजों SOK तथा BLK के कारण OK/KL के बराबर है। इष्टतम प्रशुल्क,

`T_f=\frac{OS}{OC}=\frac{OK}{KL}=\frac1{\frac{KL}{KO}}` .....(1)

OK/KL को ऐसे भी लिखा जा सकता है : `=\frac1{\frac{KL}{KO}}` ....(2) 

परंतु KL = OL-OK जिससे (2) में स्थानापन्न करने से,

`=\frac1{\frac{OL-OK}{OK}}` = `=\frac1{\frac{OL}{OK}-\frac{OK}{OK}}` =`=\frac1{\frac{OL}{OK}-1}`

परंतु OL/OK बिन्दु B पर प्रस्ताव वक्र की लोच है। इसलिए बिन्दु B पर इष्टतम प्रशुल्क OS/OC को यों व्यक्त किया जा सकता है

`T_f=\frac1{\frac{OL}{OK}-1}=\frac1{e-1}`

ऊपर दिए गए प्रशुल्क फार्मूले के आधार पर, इष्टतम प्रशुल्क दर की लोच के भिन्न मूल्यों के लिए गणना की जा सकती है, जैसा तालिका 1 में दिखाया गया है।

तालिका 1 : इष्टतम प्रशुल्क दर (Optimum Tariff Rate)

लोच

इष्टतम प्रशुल्क फार्मूला

इष्टतम प्रशुल्क दर

e=

1/(1-1)= ¥

अनंत

e=2

1/(2-1) = 1/1 = 1

100%

e=3

1/(3-1) = 1/2 = 0.5

50%

e=5

1/(5-1) = 1/4 = 0.25

25%

e = ¥

 

1/(¥ -1) = 0

 

शून्य

यदि प्रशुल्क लगाने वाला घरेलू देश इतना छोटा है कि वह विश्व कीमत को प्रभावित नहीं कर सकता तो लोच अनंत होगी। अत: Tf = 0 जिसका अर्थ है कि छोटे देश के लिए इष्टतम नीति मुक्त व्यापार है। यदि घरेलू देश बड़ा है तो इष्टतम प्रशुल्क फार्मूला का मूल्य धनात्मक होगा।

इष्टतम प्रशुल्क की व्यावहारिक प्रासंगिकता (Practical Relevance of Optimum Tariff)

इष्टतम प्रशुल्क से अभिप्राय एक बड़े देश द्वारा एकाधिकार और क्रय एकाधिकार शक्ति का शोषण है। क्योंकि देश के पास एकाधिकार शक्ति है, इसलिए वह विश्व कीमत को प्रभावित कर सकता है । एकाधिकारी के रूप में देश निर्यात्य वस्तु की पूर्ति रोक सकता है। और इस प्रकार इसकी कीमत जबर्दस्ती बढ़ा सकता है। आयात के लिए मार्किट में एक एकाधिकारी के रूप में, वह प्रशुल्क द्वारा मांग को कम करके कीमत को कम कर सकता है । परंतु यह एक राष्ट्रीय तर्क है जिससे दूसरे देश को लागत पर घरेलू देश के कल्याण में वृद्धि होती है।

जहां तक इष्टतम प्रशुल्क नीति का विकसित देशों के साथ औचित्य है, इस नीति की तुलना में संरक्षण के लिए अन्य उद्देश्य अधिक महत्वपूर्ण हैं। ऐसा इस कारण कि इष्टतम प्रशुल्क नीति व्यावहारिक तौर से उचित नहीं है। यह अपेक्षा की जाती है कि घरेलू देश इष्टतम प्रशुल्क लगाने को उचित ठहराने के लिए वस्तु की विश्व कीमत को अधिक मात्रा में अवश्य प्रभावित करे। परन्तु प्रतिरोधी विदेशी प्रशुल्क का सदैव भय रहता है और इसके परिणाम स्वरूप प्रशुल्क युद्ध का। ऐसी स्थिति में, इष्टतम प्रशुल्क सर्वश्रेष्ठ नीति नहीं है क्योंकि इससे मुक्त व्यापार की अपेक्षा दोनों देश पहले से खराव स्थिति में होंगे। फिर भी, यदि प्रशुल्क लगाने वाला देश बड़ा है और दूसरा देश छोटा तो प्रतिशोध का कोई भय नहीं है। जहां तक अल्पविकसित देशों की बात है, इष्टतम प्रशुल्क नीति का उनको कोई विशेष लाभ नहीं है। ऐसा इस कारण कि ऐसी अर्थव्यवस्थाएं विश्व व्यापार में परिवर्तनों के प्रति कम बदलने वाली होती हैं। इसलिए वे ऊंचे प्रशुल्कों से अधिक लाभ नहीं उठा सकती हैं तथा विकसित देशों की तुलना में उनके इष्टतम प्रशुल्क काफी नीचे होते हैं।

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