रिकार्डो का सिद्धान्त (The Ricardian Theory)

रिकार्डो का सिद्धान्त (The Ricardian Theory)
रिकार्डो का सिद्धान्त (The Ricardian Theory)
डेविड रिकार्डो ( David Ricardo ) ने अपनी पुस्तक The Principles of Political Economicy and Taxation में स्मिथ की तरह अव्यवस्थित ढंग से आर्थिक विकास से सम्बन्धित अपने विचार व्यक्त किए। यह पुस्तक 1917 में प्रकाशित हुई और इसके 1921 के तीसरे संस्करण एवं कई अर्थशास्त्रियों के साथ किए गए पत्र-व्यवहारों के आधार पर रिकार्डों का सिद्धान्त प्रस्तुत किया गया है। रिकार्डो का सिद्धान्त (RICARDO'S THEORY) रिकार्डो ने आर्थिक विकास के सिद्धान्त का प्रतिपादन नहीं किया। शूम्पीटर के अनुसार उसने केवल वितरण के सिद्धान्त का विवेचन किया। इसलिए रिकार्डो का विश्लेषण एक चक्करदार मार्ग है। यह सीमान्त और अतिरेक नियमों पर आधारित है। 'सीमान्त नियम राष्ट्रीय उत्पादन में लगान के भाग की व्याख्या करता है और 'अतिरेक नियम' बाकी बचे भाग के मजदूरी और लगान में विभाजन की। सिद्धांत की मान्यताएं (Assumption of the Theory) रिकार्डो का सिद्धान्त निम्नलिखित मान्यताओं पर आधारित है: (i) कि अनाज के उत्पादन में समस्त भूमि का प्रयोग होता है और कृषि में कार्यशील शक्तियाँ उद्योग में वितरण निर्धारित करने का काम करती हैं; (ii) कि …