झारखंड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण
परिषद्, राँची (झारखंड)
Jharkhand Council of Educational Research
and Training, Ranchi
(Jharkhand)
द्वितीय सावधिक परीक्षा - 2021-2022
Second Terminal Examination - 2021-2022
मॉडल प्रश्नपत्र
Model Question Paper
सेट-2
(Set-2)
वर्ग- 12 (Class-12) |
विषय - भूगोल (Sub - Geography) |
पूर्णांक - 35 (F.M-35) |
समय-1:30 घंटे (Time-1:30 hours) |
सामान्य निर्देश- (General
Instruction)
» परीक्षार्थी यथासंभव अपने
शब्दों में उत्तर दें।
» कुल प्रश्नों की संख्या
19 है।
» प्रश्न संख्या 1 से प्रश्न
संख्या 7 तक अति लघु उत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर
एक वाक्य में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 1 अंक निर्धारित है।
» प्रश्न संख्या 8 से प्रश्न
संख्या 14 तक लघु उत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं 5 प्रश्नों के उत्तर अधिकतम
50 शब्दों में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 3 अंक निर्धारित है।
» प्रश्न संख्या 15 से प्रश्न
संख्या 19 तक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर अधिकतम
100 शब्दों में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 5 अंक निर्धारित है।
1. ध्वनि प्रदूषण
से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर: Noise) ध्वनि -शब्द
लेटिन के शब्द ‘नॉजिला’ (Nausea) से व्युत्पन्न किया गया है जिसका अर्थ होता है मिचली
अर्थात् आमाशयिक रोग को उल्टी होने तक महसूस करना।
ध्वनि प्रदूषण मुख्य रूप से
तेज़ म्यूजिक, फोन पर बात करने, मशीनों, परिवहन प्रणालियों, वाहनों, ट्रेन और वायुयानों
और अनुचित शहरी नियोजन और संरचनाओं के डिजाइन के कारण होता है। यहां तक कि घर में बिजली
के उपकरणों से भी भीषण आवाज होती है। जब अधिक ध्वनि के कारण मनुष्यों को कठिनाई तथा
बेचैनी हो तब उसे ध्वनि प्रदूषण कहते हैं।
2. राजमार्ग
(महामार्ग) क्या है?
उत्तर: भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग,
भारत की केन्द्रीय सरकार द्वारा संस्थापित और सम्भाले जानी वाली लंबी दूरी की सड़के
है। मुख्यतः यह सड़के 2 पंक्तियो की है, प्रत्येक दिशा में जाने के लिए एक पंक्ति।
भारत के राजमार्गों की कुल दूरी लगभग 4754000 किमी है, जिसमे से केवल 4,885 किमी की
सड़को के मध्य पक्का विभाजन बनाया गया है।
3. पेट्रो-रसायन
उद्योग क्या है ?
उत्तर: यह ऐसे रसायन तथा यौगिक
हैं, जिन्हें मुख्यत: पेट्रोलियम पदार्थों से प्राप्त किया जाता है। इनका उपयोग कृत्रिम
रेशा, प्लास्टिक, कृत्रिम रबर, रंग-रोगन कीटनाशक, डिटरजेंट और औषधि निर्माण में किया
जाता है।
देश में पेट्रो रसायन उद्योग की शुरुआत निजी क्षेत्र
में सन् 1966 में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड ट्रॉम्बे के संयंत्र की स्थापना से
हुई । सार्वजनिक क्षेत्र प्रथम कारखाना इंडियन पेट्रोकेमिकल लिमिटेड वड़ोदरा में वर्ष
1969 में स्थापित किया गया।
4.मुंबई हाई
क्यों प्रसिद्ध है ?
उत्तर: स्वाधीनता के पश्चात्
अपतटीय क्षेत्रों में तेल तथा प्राकृतिक गैस मिलने की अपार सम्भावनाएँ व्यक्त की गईं
। फलस्वरूप मुम्बई तट से 115 किमी दूर और वड़ोदरा से 80 किमी दक्षिण में अरब सागर में
पेट्रोल के विशाल भण्डारों का पता चला जिसे तेल क्षेत्र में ' बॉम्बे हाई ' के नाम
से जाना जाता है । यह भारत का सबसे बड़ा अपतटीय तेल क्षेत्र है , जो 143 हजार वर्ग
किमी क्षेत्रफल में विस्तृत है ।
यहाँ तेल 1,416 मीटर की गहराई
से निकाला जाता है तथा जापान से आयात किए गए ' सागर सम्राट ' नामक विशाल जलयान द्वारा
सन् 1976 ई ० से तेल का उत्पादन किया जा रहा है ।
इस क्षेत्र में 545 तेल के कुएँ हैं , जिनमें से
391 तेल के कुओं से उत्पादन किया जा रहा है । यहाँ लगभग 262 लाख टन खनिज तेल का उत्पादन
किया जाता है । इस प्रकार देश के पेट्रोलियम उत्पादन में बॉम्बे हाई का योगदान सराहनीय
रहा है ।
5. झूम कृषि
से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर: झूम कृषि (slash
and burn farming) एक आदिम प्रकार की कृषि है जिसमें पहले वृक्षों तथा वनस्पतियों को
काटकर उन्हें जला दिया जाता है और साफ की गई भूमि को पुराने उपकरणों (लकड़ी के हलों
आदि) से जुताई करके बीज बो दिये जाते हैं। पुनः दो तीन वर्षों के प्रश्चात भूमि कि
उर्वरा शक्ति कम होने पर नई भूमि को साफ सूथरा कर के तैयार किया जाता है।फसल पूर्णतः
प्रकृति पर निर्भर होती है और उत्पादन बहुत कम हो पाता है।
6. 'प्रवास'
शब्द से आपका क्या तात्पर्य है ?
उत्तर: व्यक्तियों के एक स्थान
से दूसरे स्थान में जाकर बसने की क्रिया को प्रवास कहते हैं।
7. जनसंख्या
वृद्धि का क्या अर्थ है ?
उत्तर: जनसंख्या वृद्धि किसी
भी क्षेत्र में निश्चित अवधि में लोगों की संख्या बढ़ने को कहा जाता है।
8. जनसंख्या
प्रवास को प्रभावित करने वाले प्रतिकर्ष कारकों को लिखिए।
उत्तर: ग्रामीण क्षेत्रों में
बेरोजगारी, रहन-सहन की निम्न दशाएं, राजनीतिक उपद्रव, प्रतिकूल जलवायु, प्राकृतिक विपदाएं,
महामारियां आदि के कारण लोग गांव से नगरों की ओर प्रवास करते हैं।
9. भारतीय कृषि
की किन्हीं पांच मुख्य विशेषताओं को लिखें।
उत्तर: भारतीय कृषि की विशेषताएँ-
(1) खाद्यान्न की प्रधानता-देश
की कृषि खाद्यान्न प्रधान है क्योंकि विशाल जनसंख्या के लिए भोजन जुटाना मुख्य लक्ष्य
है। कुल कृषि उत्पादन में 80% भाग खाद्यान्नों का होता है।
(2) फसलों की विविधता-भारत
में जलवायु विषमता के कारण कई प्रकार की फसलें ली जाती हैं। एक ही खेत में एक साथ अनेक
फसलें बोयी जाती हैं।
(3) कृषि का पुराना ढंग-देश
में आज भी कृषि पुराने ढंग से की जाती है। मशीनों का प्रयोग नगण्य है, खाद का प्रयोग
कम होती है और कृषक नई वैज्ञानिक विधियों को अपनाने में हिचकते हैं क्योंकि अधिकांश
भारतीय ग्रामीण किसान निर्धन व अशिक्षित हैं।
(4) कृषि मानसून का जुआ-भारतीय
कृषि पूर्णत: मानसून जलवायु पर आधारित है। मानसून की अनिश्चितता के कारण कृषि प्रभावित
होती है। हमारे देश की जलवायु व मिट्टी वर्ष भर कृषि कार्य के लिए उपयुक्त है, लेकिन
वर्षा न होने पर एक ही फसल मिलना कठिन हो जाता है।
(5) कृषि जोत का छोटा आकार-भारत
में कृषि जोत या खेतों का आकार छोटा है। देश में कृषि योग्य भूमि भौतिक, पारिवारिक,
आर्थिक, सामाजिक आदि कारणों से छोटे-छोटे खेतों में बँटी हुई है। इस पर आधुनिक ढंग
से कृषि करना कठिन है।
10. भारत में
सिंचाई क्यों आवश्यक है ? कोई तीन कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: भारत में सिंचाई क्यों
आवश्यक है
1. भारत विशाल और आबादी के
लिहाज से चीन के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है। देश की करोड़ों की आबादी का
पेट भरने के लिये ज्यादा खाद्यान्न उपजाने की जरूरत है जिसके लिये सिंचाई सुविधाएँ
आवश्यक हैं।
2. देश में वर्षा का वितरण
असमान और अनिश्चित होने की वजह से अकाल और सूखा पड़ते रहते हैं। हम इन समस्याओं से
सिंचाई के जरिए निपट सकते हैं।
3. विभिन्न फसलों के लिये पानी
की जरूरतें अलग-अलग होती हैं जिन्हें सिंचाई सुविधाओं से ही पूरा किया जा सकता है।
4. भारत जैसे उष्ण-कटिबन्धीय
देश में तापमान ज्यादा होने की वजह से वाष्पीकरण भी तेजी से होता है। लिहाजा, पानी
की पर्याप्त आपूर्ति तथा सर्दी के लम्बे और सूखे मौसम में इसकी तंगी को दूर करने के
लिये कृत्रिम सिंचाई जरूरी है।
11. लौह अयस्क
के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर: यह पाँच प्रकार
(five types) के होते हैं, यह निम्न प्रकार से हैं-
1.हेमेटाइट- इसको ‘प्राकृतिक
अयस्क’ (natural ore) भी कहा जाता है। इसका रासायनिक सूत्र- Fe2O7 होता है। इसमें
60% से 65% तक पाया जाता है। इसकी स्पेसिफिक ग्रेविटी 4.9 से 5.3 होती है। हेमेटाइट
अधिकतर बिहार(Bihar), मैसूर, ओडिशा व मध्य प्रदेश में पाया जाता है। और इसके अलावा
यह चीन व अमेरिका में भी मिलता है।
2.मैगनेटाइट- इसका रासायनिक
सूत्र- Fe2O4 होता है। इसमें 70% से 75% तक लोहा पाया जाता है। इसमें चुम्बकीय
(magentic) गुण होते हैं। और यह अधिकतर भारत, कनाडा व अमेरिका में मिलता है।
3.लिमोनाइट- इसमें 60% तक लोहा
(iron) पाया जाता है। और इसमें 14.5% पानी भी मिलता है। यह अधिकतर फ्रांस, बेल्जियम,
जर्मनी व दक्षिणी अमेरिका में मिलता है।
4.सिडेराइट- इसका रासायनिक
सूत्र- Fe2CO3 होता है। इसमें 40% से 43% तक लोहा (iron) पाया जाता है। इसकी स्पेसिफिक
ग्रेविटी 3.85 होती है। यह अधिकतर इंग्लैण्ड, ऑस्ट्रेलिया व जर्मनी में मिलता है।
5.पाइराइट- इसका रासायनिक सूत्र-
FeS2 होता है। इसमें 43% तक लोहा पाया जाता है। और इसमें गन्धक (sulfur) की भी मात्रा
होती है। इसे शुद्ध करने के लिए गन्धक जलाई जाती है। इसमें गन्धक (sulfur) होने के
कारण यह भंगुर होता है। इसलिए इससे लोहा प्राप्त करना मुश्किल होता है।
12. कुटीर एवं
लघु उद्योगों में तीन-तीन अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
क्र. |
लघु उद्योग |
कुटीर उद्योग |
1. |
इस उद्योग में थोड़ी-सी पूँजी द्वारा छोटी-छोटी मशीनों की सहायता से वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। |
इस उद्योग में वस्तुओं का निर्माण स्थानीय कच्चे माले का प्रयोग करके घरों में किया जाता है। कम पूँजी की आवश्यकता होती है। |
2. |
इस उद्योग में खिलौने बनाना, जूते बनाना, रेडियो, टी. वी., घड़ी के पूर्जे आदि। |
इस उद्योग में गाँव में विकसित विविध शिल्प रंगाई, छपाई, चटाइयाँ, मिट्टी के बर्तन, ईंटे, सोना, चाँदी के आभूषण बनाए जाते हैं। |
3. |
गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाता है। |
गुणवत्ता का विशेष ध्यान नहीं दिया जाता। |
4. |
इसका उत्पाद व्यापारी के माध्यम से बाजारों में बेचा जाता है। |
इसका उत्पाद स्थानीय बाजार में परिवार के सदस्यों द्वारा बेचा जाता है। |
13. पर्यावरण
प्रदूषण क्या है ? प्रदूषण के प्रकार को लिखें।
उत्तर: पर्यावरण मे मिलने वाले
हानिकारक पदार्थ, जो पर्यावरण को प्रदूषित बनाते है प्रदूषक कहलाते है तथा इस समस्या
को प्रदूषण कहते है। प्रदूषण के निम्न प्रकार होते है
1. वायू प्रदूषण- जीवाश्य ईधन,
कोयला, लकड़ी, खनिज तेल, पेट्रोल, कल-कारखानों तथा वाहनों का धुआं वायू प्रदूषण पैदा
करते है। इनके कारण वायुमंडल मे जहरीली कार्बन डाईआक्साइड, सल्फर हाईऑक्साइड, कार्बन
मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सीसा इत्यादि की मात्रा बढ़ रही है। इससे भूमंडलीय
तापमान मे वृद्धि हो रही है। सांस तथा गले की बीमारी, अम्लीय वर्षा, ओजोन परत मे कमी,
जीव-जंतुओं की असमय मृत्यु होना वायु प्रदूषण के हानिकारक दुष्परिणाम है।
2. जल प्रदूषण- कल-कारखानों
का कूड़ा-कचरा तथा हानिकारक रसायन नही व जलाशयों मे फेंकने, शहर की गंदगी व सीवर नदियों
मे बहाने, रासायनिक खाद तथा कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करने, मृत जीव-जंतुओं व मनुष्यों
के शव अथवा उनके अवशेषों को नदियों मे फेंकने आदि कारणों से जल प्रदूषण होता है। प्रदूषित
जल मनुष्यों मे पीलिया, पेचिश, टायफाइड, पेट के रोग, त्वचा के रोग पैदा करता है। इसके
कारण नदियों व समुद्रों मे जीव-जंतुओं की ऑक्सीजन की कमी होने व जहरीला पानी होने के
कारण मृत्यु हो जाती है।
3. भूमि प्रदूषण- रासायनिक
खादों और कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करने शहरी गंदगी तथा कूड़ा-करकट को खुला फेंकने,
कल-कारखानों का अपशिष्ट पदार्थ व रसायनों को भूमि पर फेंकने से भूमि प्रदूषण होता है।
भूमि प्रदूषण के प्रभाव से मृदा उपजाऊ नही रह जाती है, कृषि का उत्पादन घट जाता है
तथा फसल मे खनिज एवं पोषक तत्वों की मात्रा घट जाती है।
4. रेडियोऐक्टिव प्रदूषण- रेडियोऐक्टिव
पदार्थों के प्रयोग से रेडियोऐक्टिव किरणों का विकिरण होता है। अणु, बम, परमाणु बम
इत्यादि के विस्फोट से भी हानिकारक रेडियोऐक्टिव किरणें पैदा होती है जिनके कारण वातावरण
प्रदूषित हो जाता है। रेडियोऐक्टिव किरणों के ज्यादा विकिरण से त्वचा रोग, कैंसर, गुणसूत्रों
का दुष्प्रभाव, विकलांगता आदि प्रभाव पैदा हो जाते है।
5. ध्वनि प्रदूषण- वाहनों,
मशोनों, जनरेटरों, वाद्ययंत्रों इत्यादि के शोर से ध्वनि प्रदूषण होता है। ध्वनि प्रदूषण
से बहरापन, पागलपन, चिड़चिड़ापन इत्यादि लक्षण पैदा हो जाते है। ज्यादा शोर के कारण
गर्भ मे बच्चों मे विकलांगता आ जाती है।
14. उपग्रह संचार
क्या है ? उपग्रह संचार के लाभ बताएं।
उत्तर: पृथ्वी के चारों तरफ
कक्षा में स्थित किसी उपग्रह की सहायता से एक जगह से दूसरी जगह तक सूचना को पहुँचाना
उपग्रह संचार कहलाता है। इसी संचार के कारण हम दुनिया के किसी भी कोने में हो रहे मैच
का लाइव टेलीकास्ट देख सकते है।
उपग्रह संचार (सैटकॉम) कुछ
अद्वितीय लाभ प्रदान करता है जैसे कि हर जगह का कवरेज, दूर दराज के क्षेत्रों में सेवाएं,
हर जगह कनेक्टिविटी आदि। पिछले ढाई दशकों में भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह (इन्सैट) और
जीसैट प्रणाली ने देश में दूरसंचार टीवी प्रसारण, डीटीएच सेवाओं, व्यापार संचार, ग्रामीण
क्षेत्र कनेक्टिविटी आदि में क्रांति ला दी है। उपग्रह संचार प्रौद्योगिकी पिछले तीन
दशकों में काफी परिपक्व हो गयी है और वाणिज्यिक आधार पर बड़ी संख्या में अनुप्रयोगों
का इस्तेमाल किया जा रहा है।
सैटकॉम अनुप्रयोगों में, उपग्रह
आधारित टेली-शिक्षा, टेली मेडिसिन, ग्रामीण संसाधन केंद्रों, वाइड-बैंड सेवा वर्तमान
में महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं। निकट भविष्य में, मल्टी स्पॉट बीम उच्च शक्ति, केयू/केए
आवृत्ति का उपयोग करते हुए उच्च थ्रूपुट उपग्रहों के उपयोग से ब्रॉडबैंड इंटरनेट और
इसी तरह के वीएसएटी अनुप्रयोग उपलब्ध कराए जाएंगे।
एडूसैट अनुप्रयोगों परियोजना
स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय स्तर पर पूरे देश के लिए उपग्रह आधारित दूरस्थ शिक्षा
के प्रसार पर केंद्रित है। दूरचिकित्सा दूरदराज के क्षेत्रों में सुपर स्पेश्यलिटी
चिकित्सकों की सेवाएं देकर ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बहुत मूल्यवान समर्थन प्रदान
कर रही है।
15. वायु प्रदूषण
के स्रोत क्या है ? इसका मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर: प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों
में बिजली और गर्मी उत्पादन, ठोस अपशिष्टों का जलना, औद्योगिक प्रक्रियाएँ और विशेष
रूप से परिवहन हैं। कोयला, मिट्टी के तेल, जलाऊ लकड़ी, गोबर के केक, सिगरेट से निकलने
वाले धुएं आदि के जलने के दौरान निकलने वाली आम प्रदूषक गैसें कार्बन मोनोऑक्साइड
(CO), कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), आदि
लगभग 90% हैं।
मानव जीवन पर इसका प्रभाव निम्न
है-
(i) मानव स्वास्थ्य पर पड़ने
वाले प्रभावः वायु प्रदूषण से मानव स्वास्थ्य पर कई प्रभाव जुड़े हैं, जिनमें फुफ्फुसीय,
हृदय, संवहनी और तंत्रिका संबंधी दुर्बलताएं शामिल हैं। स्वास्थ्य प्रभाव व्यक्ति से
दूसरे व्यक्ति में बहुत भिन्न होता है। उच्च जोखिम वाले समूह जैसे कि बुजुर्ग, शिशु,
गर्भवती महिलाएं और पुराने दिल और फेफड़ों की बीमारियों से पीड़ित लोग वायु प्रदूषण
के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं। बच्चों को अधिक जोखिम होता है क्योंकि वे आमतौर पर
अधिक सक्रिय होते हैं और उनके फेफड़े अभी भी विकसित हो रहे हैं। वायु प्रदूषण के संपर्क
में तीव्र (अल्पकालिक) और दीर्घकालिक (दीर्घकालिक) स्वास्थ्य प्रभाव दोनों हो सकते
हैं।
(ii) पौधों पर प्रभाव: जब कुछ
गैसीय प्रदूषक पत्ती छिद्रों में प्रवेश करते हैं तो वे फसल के पौधों की पत्तियों को
नुकसान पहुंचाते हैं। वायु प्रदूषकों के लिए पत्तियों का पुराना जोखिम मोमी कोटिंग
को तोड़ सकता है जो पानी के अत्यधिक नुकसान को रोकने में मदद करता है और बीमारियों,
कीटों, सूखे और ठंढ से नुकसान पहुंचाता है। इस तरह के एक्सपोज़र प्रकाश संश्लेषण और
पौधों के विकास में हस्तक्षेप करते हैं, पोषक तत्वों की कमी को कम करते हैं और पत्तियों
को पीले, भूरे या पूरी तरह से छोड़ देते हैं।
(iii) सामग्री पर वायु प्रदूषण
का प्रभावः हर साल वायु प्रदूषक अरबों रुपए की सामग्री को नुकसान पहुंचाते हैं। वायु
प्रदूषक कारों और घरों पर बाहरी पेंट को तोड़ते हैं। दुनिया भर के सभी वायु प्रदूषकों
ने अपूरणीय स्मारकों, ऐतिहासिक इमारतों, संगमरमर की मूर्तियों आदि को नष्ट कर दिया
है,
(iv) जलवायु पर प्रभावः प्रदूषण
से प्रेरित वायुमंडलीय परिवर्तन ग्लोबल वार्मिंग में योगदान करते हैं, एक घटना जो कुछ
गैसों की एकाग्रता में वृद्धि के कारण होती है। जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन
ऑक्साइड, मीथेन और सीएफसी। ग्लोबल वार्मिंग के कई प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं। एक
गर्म पृथ्वी के साथ ध्रुवीय बर्फ की टोपी पिघल जाएगी, जिससे समुद्र का स्तर बढ़ जाएगा
और तटीय क्षेत्रों में बाढ़ आ जाएगी। बांग्लादेश या मालदीव जैसे देशों में यह विनाशकारी
होगा। यदि समुद्र का स्तर 3 मीटर बढ़ जाता है, तो मालदीव लहरों के नीचे पूरी तरह से
गायब हो जाएगा।
16. भारत में
जनसंख्या के असमान वितरण के कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर: लोग ऐसे स्थानों पर
बसना चाहते है जहाँ उन्हें भोजन, पानी, घर बनाने के लिए उपयुक्त स्थान मिल जाए। जनसंख्या
के वितरण को निम्न कारक सम्मिलित रूप से प्रभावित करते हैं। इनको निम्न वर्गों में
विभाजित किया जा सकता है:-
(1) प्राकृतिक कारक
(2) आर्थिक कारक
(3) सांस्कृतिक कारक
(4) राजनैतिक कारक
प्राकृतिक कारक
क. उच्चावच: पर्वतीय, पठारी
अधचा ऊबड़-खाबड़ प्रदेशों में कम लोग रहते हैं जबकि मैदानी क्षेत्रों में लोगों का
निवास अधिक होता है क्योंकि इन क्षेत्रों में भूमि उर्वरा होती है और कृषि की जा सकती
है। यही कारण है कि नदी घाटियाँ जैसे गंगा, ब्रह्मपुत्र, हांग-हो आदि की घाटियाँ अधिक
घनी बसी हैं।
ख. जलवायु: अत्याधिक गर्म या
अत्याधिक ठंडे भागों में कम जनसंख्या निवास करती है। ये विरल जनसंख्या वाले क्षेत्र
है। इसके विपरीत शीतोष्ण जलवायु तथा मानसूनी प्रदेशों में अधिक जनसंख्या निवास करती
है।
ग. मृदा: जनसंख्या के वितरण
पर मृदा की उर्वरा शक्ति का बहुत प्रभाव पड़ता है। उपजाऊ मिट्टी वाले क्षेत्रों में
खाद्यान्न तथा अन्य फसलें अधिक पैदा की जाती हैं तथा प्रति हैक्टेयर उपज अधिक होती
है। इसलिए नदी घाटियों की उपजाऊ मिट्टी वाले क्षेत्र अधिक घने बसे हैं।
घ. खनिज पदार्थ: विषम जलवायु
होने पर भी उपयोगी खनिजों की उपलब्धता से लोग वहाँ बसने लगते हैं।
ड. वनस्पतिः अधिक घने वनों
के कारण भी जनसंख्या अधिक नहीं पाई जाती है लेकिन कोणधारी वनों की आर्थिक उपयोगिता
अधिक है। इसलिए लोग उन्हें काटने के लिए वहाँ बसते हैं।
आर्थिक कारकः
1. परिवहन का विकास: परिवहन
के साधनों के विकास से लोग दूर के क्षेत्रों से परिवहन के बेहतर साधनों से जुड़ जाते
है विश्व के सभी परिवहन साधनों से जुड़े क्षेत्र सघन आबाद है।
2. नगरीकरण और औद्योगिक क्षेत्रों
में उद्योगों और नगरीय केन्द्रों की वृद्धि एक उच्च जनसंख्या घनत्व को आकर्षित करती
है। धार्मिक एवं सांस्कृतिक कारकः
3. धार्मिक कारक: धार्मिक कारणों
से लोग अपने देश छोड़ने को मजबूर हो जाते है। जैसे भारत पाकिस्तान विभाजन।
4. राजनैतिक कारक: किसी देश
में गृह युद्ध, अशान्ति आदि के कारण भी जनसंख्या वितरण पर प्रभाव पड़ता है।
17. परिवहन एवं
संचार सेवाओं के महत्व का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर: परिवहन तथा संचार का
तात्पर्य किसी भी राष्ट्र की जीवन रेखा तथा इसकी आर्थिकी से है। संसार का विकास बहुत
तेजी से हो रहा है। तात्पर्य है कि संसार के विकास में संचार जैविक भूमिका निभा रहा
है।
1. यह अच्छी तकनिकी को एक राष्ट्र
से दूसरे राष्ट्र में या एक स्थान से दूसरे स्थान पर परिवहन में सहायता करते हैं।
2. संचार का तात्पर्य है कि
एक व्यापारी का दूसरे व्यापारी के साथ सम्बन्ध में सहायता करते हैं तथा परिवहन का तात्पर्य
आवश्यक उत्पाद उपलब्ध करवाने से है।
3. मानव शरीर में तंत्रिाका
तंत्रा के समान संचार होता है।
4. परिवहन का अर्थ सामान्य
लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना है।
5. आर्थिकी में मांग तथा पूर्ति
के संतुलन में सामंजस्य बनाए रखते हैं
6. यह राष्ट्र के विपक्ष में
जैविक भूमिका निभाते हैं
7. विभिन्न स्थानों के मध्य
यह दूरियों को कम कर देते हैं।
18. भारतीय कृषि
की विशेषताओं को विस्तार पूर्वक लिखें।
उत्तर: भारतीय कृषि की विशेषताएँ-
(1) खाद्यान्न की प्रधानता-देश
की कृषि खाद्यान्न प्रधान है क्योंकि विशाल जनसंख्या के लिए भोजन जुटाना मुख्य लक्ष्य
है। कुल कृषि उत्पादन में 80% भाग खाद्यान्नों का होता है।
(2) फसलों की विविधता-भारत
में जलवायु विषमता के कारण कई प्रकार की फसलें ली जाती हैं। एक ही खेत में एक साथ अनेक
फसलें बोयी जाती हैं।
(3) कृषि का पुराना ढंग-देश
में आज भी कृषि पुराने ढंग से की जाती है। मशीनों का प्रयोग नगण्य है, खाद का प्रयोग
कम होती है और कृषक नई वैज्ञानिक विधियों को अपनाने में हिचकते हैं क्योंकि अधिकांश
भारतीय ग्रामीण किसान निर्धन व अशिक्षित हैं।
(4) कृषि मानसून का जुआ-भारतीय
कृषि पूर्णत: मानसून जलवायु पर आधारित है। मानसून की अनिश्चितता के कारण कृषि प्रभावित
होती है। हमारे देश की जलवायु व मिट्टी वर्ष भर कृषि कार्य के लिए उपयुक्त है, लेकिन
वर्षा न होने पर एक ही फसल मिलना कठिन हो जाता है।
(5) कृषि जोत का छोटा आकार-भारत
में कृषि जोत या खेतों का आकार छोटा है। देश में कृषि योग्य भूमि भौतिक, पारिवारिक,
आर्थिक, सामाजिक आदि कारणों से छोटे-छोटे खेतों में बँटी हुई है। इस पर आधुनिक ढंग
से कृषि करना कठिन है।
(6) उत्पादन कम होना-भारत में
अधिकांश कृषि जीवन निर्वाह मूलक है। गहन कृषि का अभाव है। फलतः कृषि योग्य भूमि की
पर्याप्तता के बावजूद फसलों का प्रति हेक्टेयर उत्पादन यहाँ अत्यन्त कम है।
19. भारत के
मानचित्र में निम्नलिखित को दर्शाइए :
(क) झरिया
(ख) तलचर
(ग) नवेली
(घ) कोरबा
(ड.) सिंगरौली