जनसंख्या की संरचना: भाषा (Population Composition: Language)

जनसंख्या की संरचना: भाषा (Population Composition: Language)

विश्व में अनेक जाति, संप्रदाय के लोग निवास करते हैं इनमें भाषा ही ऐसा माध्यम है जो विश्व को एक परिवार बनाती है। भाषा यह मौखिक व लिखित दोनों रूपों में पायी जाती है। पीढ़ी दर पीढ़ी संस्कृति के हस्तांतरण में भाषा सर्वाधिक महत्वपूर्ण साधन है जो कथाओं, प्रामाणिक विचारों, गीतों, उपदेशों, वंशावलियों आदि के रूप में सांस्कृतिक तत्वों को सुरक्षित रखती है। भाषा संस्कृति के प्रमुख प्रतीकों में से एक है जो समाज और संस्कृति की स्थानिक भिन्नताओं को समझने में भूगोलवेत्ताओं के लिए अधिक सहायक है। ये विभिन्न भाषाएँ मानव जाति की अतिमहत्वपूर्ण विशिष्ट सम्पत्ति है।

भाषा की परिभाषा (Definition of Language)

भाषा दो व्यक्तियों या समूहों में बातचीत करने एक-दूसरे के द्वारा कही गयी बातों को समझने का एक प्रमुख साधन है। भाषा की कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाएँ निम्नवत् हैं-

(1) क्लार्क के अनुसार भाषा बात-चीत की संगठित पद्धति है जिसके द्वारा मनुष्य एक-दूसरे से संचार करते हैं।

(2) स्टुटैवेण्ट  के अनुसार भाषा बोली जाने वाली या लिखित प्रतीकों की एक प्रणाली है जिसके द्वारा किसी सामाजिक समूह के सदस्य परस्पर सम्पर्क और अंतःक्रिया करते ही

उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि भाषा व्यक्ति द्वारा बोले जाने वाले शब्द की एक संगठित पद्धति जिसके द्वारा दो व्यक्ति या समूह में परस्पर विवेकपूर्ण सम्पर्क करते हैं। भाषा विचारों तथा भावों को प्रकट करने तथा समझने की एक सांकेतिक प्रणाली है जो परम्परागत ढंग से बोली जाती है और निश्चित संकेतों द्वारा लिखी जाती है।

बोली (Dielect) भाषा का ही एक भेद है जिसका प्रयोग सामान्यतः स्थानीय समूह के लोगों द्वारा किया जाता है। एक ही भाषा की विभिन्न बोलियों के शब्दों तथा उनके अर्थों एवं उच्चारण आदि में इतनी समानता पायी जाती है कि उस भाषा को समझने वाले लोग अपने से भिन्न बोलियों को भी कुछ अंश तक समझ सकते हैं। क्षेत्रीय वितरण की दृष्टि से बोली इतनी परिवर्तनशील होती है कि थोड़ी दूरी पर यहाँ तक कि 40-50 किमी. पर बदल जाती है। उत्तरी भारत में अवधी, बुंदेलखण्डी, भोजपुरी, मगधी आदि हिन्दी भाषा की प्रधान बोलियाँ हैं जिनके शब्दों और उच्चारण की शैली में उल्लेखनीय अंतर मिलता है। बोलियों को दो वर्गों में रखा जा सकता है - (1) भौगोलिक बोली और (2) सामाजिक बोली। किसी क्षेत्र या स्थान के लोगों द्वारा बोली जाने वाली विशिष्ट बोली को भौगोलिक बोली कहते हैं जैसे अवधी, भोजपुरी आदि जो क्रमशः मध्यवर्ती उत्तर प्रदेश एवं पश्चिमी बिहार में बोली जाती है। किसी सामाजिक वर्ग (जातीय, धार्मिक, व्यापारिक, शैक्षिक आदि) द्वारा बोली जाने वाली बोली सामाजिक बोली के अन्तर्गत आती है।

भाषा के उद्भव तथा विकास को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Origin and Evolution of Language)

विश्व में हजारों भाषाएँ प्रचलित हैं जिनमें कुछ विश्वव्यापी हैं (जैसे अंग्रेजी) तो कुछ अत्यंत लघु क्षेत्र में ही सीमित तथा स्थानीय हैं। भाषाओं में विविधता तथा उनके आकार-प्रकार में अन्तर के लिए उत्तरदायी प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं-

(1) भौगोलिक कारक- धरातलीय स्वरूप का भाषा के उद्भव और विस्तार पर महत्वपूर्ण प्रभाव पाया जाता है। उच्च पर्वत श्रेणियों के कारण इनके दोनों ओर भिन्न मानव समूह या प्रजातियों का विकास होता है और पारस्परिक सम्पर्क के अभाव में भिन्न भाषा और संस्कृति का जन्म होता है। उदाहरण के लिए रोमन काल में सम्पूर्ण दक्षिणी-पश्चिमी यूरोप में लैटिन भाषा प्रचलित थी। रोमन साम्राज्य के पतन के पश्चात् पर्वतों द्वारा अलगाव के परिणामस्वरूप पुर्तगाल, स्पेन, फ्रांस, इटली और रोमानिया में अलग-अलग भाषाओं का उदय हुआ जिनकी लिखावट और शब्दों में काफी समानताएँ पायी जाती हैं।

भौतिक अवरोध रहित मैदानी भागों में किसी भाषा का विस्तार अपेक्षाकृत विस्तृत भाग पर पाया जाता है। उत्तरी भारत के समतल मैदान में हिन्दी भाषा का विस्तार इसका उदाहरण है। इसके विपरीत पूर्वोत्तर पर्वतीय प्रदेश में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर रहने वाले समूहों की भाषाएँ अलग-अलग हो जाती है।

(2) सामाजिक-सांस्कृतिक कारक- प्राजातीय पार्थक्य, जनसंख्या स्थानान्तरण, सामाजिक संगठन, सांस्कृतिक विकास आदि का प्रभाव भाषाओं की विशेषताओं तथा विवरण का परिलक्षित होता है। सामान्यतः एक जनजातीय समूह दूसरे समूहों से कम सम्पर्क रखता है और पृथक् भाषा का प्रयोग करता है। इस प्रकार भिन्न-भिन्न जनजातीय समूहों की भाषाएँ भी प्रायः अलग-अलग होती हैं। विभिन्न भाषा के कारण अंतः क्रिया के अभाव में उनकी पृथकता कायम रहती है और भाषाई मिश्रण भी कम हो पाता है। मानव स्थानान्तरण भाषा के प्रसार का सबसे प्रमुख और शक्तिशाली कारक ही मानव प्रवास के साथ-साथ भाषा का स्थानान्तरण होता है। नये प्रदेश में बाहरी भाषा के प्रवेश से भाषा मिश्रण की क्रिया होती है जिससे मिश्रित भाषा का विकास होता है। इसी प्रकार यूरोप के सागरीय प्रदेश में विकसित होने वाली लैटिन भाषाओं का प्रसार सम्पूर्ण दक्षिणी और मध्य अमेरिका में हो गया है। ब्रिटिश काल में भारतीय प्रवासी श्रीलंका, दक्षिणी-पूर्वी एशियाई देशों, फिजी, मारीशस, दक्षिण अफ्रीका आदि प्रदेशों में गये और वहीं बस गये। उन भारतीय प्रवासियों के साथ भारतीय भाषाओं का प्रसार संबंधित प्रदेशों में सम्भव हुआ।

भाषाई विकास को धर्म भी प्रभावित करते हैं। विभिन्न धर्मों से संबंधित भाषाएँ भी प्रायः अलग- अलग होती हैं। अतः किसी विशिष्ट धर्म को मानने वाले लोग उससे संबंधित भाषा को भी सीखने के इच्छुक होते हैं और सीखने का प्रयास करते हैं। भारत में मुसलमान लोग सामान्यतः उर्दू, हिन्दू लोग संस्कृत और हिन्दी तथा सिक्ख लोग पंजाबी भाषा सीखते और प्रयोग करते ही किसी क्षेत्र या समुदाय के लोग आपस में अपनी क्षेत्रीय तथा सामुदायिक भाषा बोलते हैं किन्तु बाह्य भाषा भाषी लोगों से अन्य सम्पर्क भाषा का प्रयोग करते हैं।

(3) राजनीतिक कारक- भाषाओं के विस्तार अथवा विलोप में राजनीतिक कारक की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। प्राचीन तथा मध्यकाल में आक्रमणकारियों तथा विजेताओं ने जीते गये प्रदेशों में अपनी भाषाओं का बालात् अध्यारोपण किया और वहाँ की प्रचलित भाषाओं को नष्ट कर दिया या नष्ट करने का प्रयास किया। सत्रहवीं से उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य दोनों अमेरिकाओं में यूरोपीय विजय तथा बस्तियों के बसने की अवधि में हजारों अमेरिकी इण्डियन बोलियाँ तथा भाषाएँ समाप्त हो गयीं। इससे अन्य प्रदेशों में भाषाएँ मिश्रित भी हुई हैं। बाबर के आक्रमण के पश्चात् भारत में स्थापित मुगल साम्राज्य में उर्दू भाषा का प्रसार सम्पूर्ण भारत में हो गया। अंग्रेजी शासन काल में सरकारी कामकाजों में अंग्रेजी अधिकारिक भाषा बनी और सम्पूर्ण देश में अंग्रेजी भाषा संभ्रांत लोगों की भाषा के रूप में प्रचलित हो गयी। उन्नीसवीं शताब्दी से लेकर बीसवीं शताब्दी के मध्य तक विश्व के जिन-जिन भूभागों पर अंग्रेजी साम्राज्य तथा उपनिवेश स्थापित थे, वहाँ-वहाँ अंग्रेजी भाषा का उल्लेखनीय प्रचार-प्रसार हुआ। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भी अनेक देशों में अंग्रेजो प्रथम अथवा दूसरी प्रमुख अधिकारिक भाषा के रूप में प्रतिष्ठित है। संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका तथा आस्ट्रेलिया के विस्तृत भू-क्षेत्र पर अंग्रेजी प्रधान भाषा है जिसके विकास में भी वहाँ के अंग्रेजी शासन का विशिष्ट हाथ रहा है। इसी प्रकार स्पेन और पुर्तगाल के उपनिवेश मध्य तथा दक्षिण अमेरिका में होने के फलस्वरूप वहाँ स्पेनी और पुर्तगाली भाषाओं का प्रसार हुआ है।

भाषा का महत्व (Importance of Language)-

भाषा का महत्व निम्न प्रकार से समझा जा सकता है-

(1) समान भाषा को बोलने और समझने वाले व्यक्तियों अथवा समूहों में सम्पर्क सुगम होता है और अंतःक्रिया अधिक होती है। भाषा के अभाव में सामाजिक सम्पर्क सम्भव नहीं होता है।

(2) भाषा के माध्यम से ही दो समूहों या प्रदेशों के मध्य संस्कृति तथा विचारों का लेन-देन सम्भव हो पाता है। एक समूह जब दूसरे समूह की बातों को भाषा के द्वारा समझ पाता है तभी प्रतिक्रिया स्वरूप अपने विचार व्यक्त करता है।

(3) भाषा और राष्ट्र में अत्यंत घनिष्ट सम्बन्ध है। भाषाई एकता के आधार पर राष्ट्रीय एकता और प्रांतीय सीमाएँ निर्धारित होती हैं। अलग-अलग देशों की अलग-अलग राष्ट्र भाषा होती है जो देश को एकसूत्रता में बाँधती है।

भाषा का विकास और प्रसार (Development and Spread of Language)

किसी प्रदेश में मानव सभ्यता के विकास के साथ-साथ भाषा का भी विकास होता है। किसी क्षेत्र या प्रदेश में विकसित भाषा का प्रयोग प्रथमतः वहाँ के निवासी करते हैं। जब एक भाषाई समूह के लोग स्थानान्तरण द्वारा अन्य प्रदेशों में जाते हैं तो उनके साथ ही भाषा का भी स्थानान्तरण या प्रसार होता है। विश्व के विभिन्न भागों में विद्यमान भाषा परिवारों का वितरण प्रागैतिहासिक काल से लेकर वर्तमान काल तक के मानव प्रवासों का परिणाम है। विभिन्न देश-काल में व्यापारियों, यात्रियों, आक्रमणकारियों, विजेताओं, उपनिवेशकों आदि के माध्यम से भाषाओं का प्रसार अपने मूल स्थान से दूरवर्ती प्रदेशों में भी होता रहा है। सत्रहवीं से बीसवीं शताब्दी के मध्य उपनिवेश स्थापना के निमित्त बड़ी संख्या में यूरोपीय देशों से उत्तरी एवं दक्षिणी अमेरिका, आस्ट्रेलिया, अफ्रीका और एशिया के विभिन्न देशों के लिए मानव स्थानांतरण हुए। और इन्हीं यूरोपीय प्रवासियों के साथ ही उनकी भाषाएँ भी उन नवीन प्रदेशों में पहुँच गयी अतः जहाँ-जहाँ भी वे पहुंचे उन्होंने अपने उपनिवेश स्थापित किये। यूरोपीय विजय और बस्तियों के बसने के परिणामस्वरूप उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका में पूर्व प्रचलित हजारों बोलियाँ और भाषाएँ नष्ट हो गयीं। प्राचीन भाषाओं के स्थान पर यूरोपीय भाषाओं का प्रसार हो गया। संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में अंग्रेजी भाषा तथा लैटिन अमेरिकी देशों में लैटिन भाषाओं का व्यापक प्रसार हुआ। ब्रिटिश उपनिवेशकों द्वारा आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड, दक्षिण अफ्रीका तथा अनेक अन्य अफ्रीकी तथा एशियाई देशों में अंग्रेजी भाषा का व्यापक प्रसार किया गया। यूरोपीय देशों 'ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, पुर्तगाल, स्पेन, इटली आदि के उपनिवेशों से संबंधित देशों की भाषा को राजभाषा के रूप में प्रतिष्ठित किया गया।

दक्षिण-पूर्व एशिया में पहले आस्ट्रो-एशियाटिक भाषा परिवार की भाषाएँ प्रचलित थीं किन्तु परवर्ती वर्षों में सिनो-तिब्बती - चीनी, बर्मी, थाई, लाओ आदि भाषाओं के प्रसार से पूर्ववर्ती भाषाओं का प्रभाव और क्षेत्र अत्यंत संकुचित हो गया है। इसी प्रकार पहले अरबी भाषा केवल अरब प्रायद्वीप की भाषा थी। अरबों की विजय तथा मुस्लिम साम्राज्यों के विस्तार के साथ इस भाषा का विस्तार सम्पूर्ण उत्तरी अफ्रीका, दक्षिणी-पश्चिमी तथा मध्य एशिया, दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया तक हो गया। आज अरबी भाषा दो दर्जन से भी अधिक देशों की अधिकारिक भाषा है और लगभग 200 करोड़ लोगों द्वारा प्रयुक्त होती है। प्रभावी ज्ञान और संस्कृति से सम्पन्न भाषाओं का प्रसार आवश्यकता के रूप में भी होता है। ऐसी भाषाएँ व्यापार, सभ्यता, विधि और व्यक्तिगत प्रतिष्ठा की माध्यम समझी जाती है। प्राचीन यूरोपीय सभ्यता अरबी एवं मेसोपोटामियाई सभ्यता तथा भारतीय सभ्यता के पारस्परिक सम्पर्क और आदान-प्रदान एवं मिश्रण के परिणामस्वरूप इण्डो-यूरोपीय भाषा परिवार का विस्तार यूरोप से लेकर मध्य एशिया और भारत तक हो गया। इसी प्रकार विश्व के अनेक देशों में अंग्रेजी, स्पेनी, पुर्तगाली, डच, फ्रेंच आदि भाषाओं का प्रसार प्रशासकीय भाषा या प्रतिष्ठित भाषा के रूप में हुआ है।

भाषाओं के प्रसार में भौतिक अवरोध (पर्वत मालाएँ, जंगल, समुद्र आदि) के साथ ही अनेक सांस्कृतिक अवरोध भी पाये जाते हैं जिनमें अपनी भाषा के प्रति अनन्य लगाव, सीमित दृष्टिकोण, धार्मिक एवं भाषाई कट्टरता, अज्ञान, अशिक्षा आदि प्रमुख हैं।

प्रमुख भाषा परिवार (Major Linguistic Families)

विश्व के विभिन्न भागों में अनेक भाषाएँ प्रचलित हैं जिनकी संख्या हजारों में है। सभी भाषाओं की पहचान करना तथा उनके मूल परिवार का पता लगाना अत्यंत कठिन कार्य है। भाषा-परिवार भाषाओं का एक समूह होता है जिसके अंतर्गत आने वाली सभी भाषाएँ एक ही प्राचीन भाषा या बोली की वंशज होती हैं। अतः एक ही स्रोत या वंश से उत्पन्न भाषाओं के समूह को एक भाषा-परिवार के अंतर्गत वर्गीकृत किया जाता है। भाषाओं में प्रचलित शब्दावली, बोली, व्याकरण आदि में समानता के आधार पर भाषा परिणामस्वरूप उत्पन्न समस्त भाषाएँ उस आदि भाषा के परिवार में सम्मिलित होती ही रोमन भाषाओं की पूर्वज भाषा लैटिन है जिससे कई प्रमुख भाषाओं - पुर्तगाली, स्पेनी, फ्रेंच, इटालियन, रोमानियन आदि की उत्पत्ति हुई है। इसी प्रकार जर्मनिक भाषाओं के अंतर्गत अंग्रेजी, जर्मन, डच, स्कैन्डनेवियन आदि भाषाएँ सम्मिलित हैं।

(1) इण्डो-यूरोपीय भाषा परिवार (Indo-European Linguistic Family)

समस्त इण्डो-यूरोपीय भाषाओं की उत्पत्ति एक समान वंश से हुई मानी जाती है। इनका प्रथम प्रयोग सम्भवतः कुरगन नामक आदि मानव करते थे जिनका निवास कैस्पियन सागर के उत्तर में वोल्गा नदी के समीपवर्ती प्रदेश में था जहाँ की जलवायु स्टेपी प्रकार की थी। यहाँ से कुरगन लोगों के पश्चिम तथा दक्षिण की ओर प्रवास करने से इस भाषा-वंश का विस्तार हुआ। विभिन्न इण्डो-यूरोपीय भाषाओं में अनेक शब्द ऐसे मिलते हैं जिनका उद्भव समान मूल शब्द से हुआ प्रतीत होता है। इण्डो-यूरोपीय भाषा परिवार के उप भाषा-परिवार हैं - (i) इण्डो-ईरानी, (ii) लैटिन या रोमानिक, (iii) सेल्टिक, (iv) जर्मनिक, (v) बाल्टिक स्लाविक, और (vi) हेलेनिक।

(i) इण्डो-ईरानी भाषा परिवार (Indo-Iranian Linguistic Family)

इण्डो-ईरानी भाषा-परिवार में 100 से अधिक भाषाएँ सम्मिलित हैं जिनके बोलने वालों की संख्या लगभग 100 करोड़ है। इसकी दो प्रमुख भाषाएँ हैं - (i) पूर्वी शाखा को इण्डिक कहते हैं जिसका विस्तार पाकिस्तान, भारत और बांग्लादेश में है। इस प्रदेश को भारतीय उपमहाद्वीप के नाम से भी जाना जाता है। (ii) पश्चिमी शाखा को ईरानी या दरानी कहा जाता है जो पश्चिमी एशिया में प्रचलित है।

(a) इण्डिक भाषा परिवार (Indic Linguistic Family)- भारतीय उपमहाद्वीप (पाकिस्तान, भारत और बांग्लादेश) के निवासियों द्वारा बोली जाने वाली भाषाओं को इण्डिक कहते हैं। इन भाषाओं को हिन्दुस्तानी के नाम से भी जाना जाता है। यह भाषाओं का एक समूह है जिसके अंतर्गत हिन्दी, उर्दू, बंगाली, संस्कृत, कश्मीरी, असमी, मराठी, राजस्थानी, पंजाबी, सिन्धी आदि भाषाएँ सम्मिलित हैं। इसका प्रभुत्व पश्चिम में हरियाणा-राजस्थान से लेकर पूर्व में बिहार-मध्य प्रदेश तक है। हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा भी है। पाकिस्तान

की मुख्य भाषा उर्दू है जो एक प्रमुख हिन्दुस्तानी भाषा है। उत्तरी भारत में अधिकांशतः मुसलमान परिवारों में भी उर्दू का प्रयोग होता है। बांगलादेश तथा भारत के पश्चिमी बंगाल प्रांत तथा उसके समीपवर्ती क्षेत्रों में अधिकतर लोग बंगाली भाषा बोलते हैं। श्रीलंका में बोली जाने वाली सिंहली भाषा भी इण्डिक भाषा परिवार की सदस्य मानी जाती है।

(b) ईरानी भाषा परिवार (Iranian Linguistic Family)- पश्चिमी एशिया के देशों में बोली जाने वाली इण्डो-यूरोपीय भाषाओं के समूह को ईरानी भाषा कहते हैं। सभी ईरानी भाषाएँ अरबी भाषा के अक्षरों में लिखी जाती हैं। फारसी, कुर्दिश, बलूची, ताजिक आदि भाषाएँ ईरानी भाषा-परिवार के अन्तर्गत आती हैं। फारसी भाषा ईरान में, कुर्दिश भाषा ईरान, टर्की और सीरिया में, बलूची भाषा बलूचिस्तान और ईरान में, और ताजिक भाषा ताजिकिस्तान में बोली जाती है।

(ii) लैटिन या रोमानिक भाषा परिवार (Latin or Romanic Linguistic Family)

लैटिन भाषा परिवार को रोमानिक या रोमान्स के नाम से भी जाना जाता है। स्पेनी, पुर्तगाली, फ्रेंच, इटैलियन, रोमानियन, प्रोवे-कल और केटेलन इस भाषा परिवार की प्रमुख भाषाएँ हैं। दक्षिणी यूरोप में रोमन साम्राज्य के विस्तार के साथ ही लैटिन भाषा का भी विस्तार हुआ। ईसा की चौथी शताब्दी में जब रोमन साम्राज्य अपने चरम उत्कर्ष पर था, स्पेन एवं पुर्तगाल से लेकर पूर्व में रोमानिया तक सभी पशों में समान भाषा लैटिन का प्रयोग होता था। रोमन साम्राज्य के पतन के पश्चात् यूरोप की एकता भी छिन्न-भिन्न हो गयी और रोमन प्रदेश पृथक् पृथक् रूप में विकसित होने लगे। नदियों, पहाड़ियों तथा शासन द्वारा एक दूसरे से अलग स्थित देशों में अलग-अलग भाषाओं का विकास हुआ जिनका मौलिक आधार एक ही भाषा थी। सत्रहवीं से उन्नीसवीं शताब्दियों के मध्य लैटिन भाषी देशों से बृहत् पैमाने पर जनसंख्या का स्थानान्तरण मध्य और दक्षिण अमेरिका के लिए हुआ जहाँ उन देशों ने अपने-अपने उपनिवेश स्थापित किये। यूरोपीय प्रवासियों ने नई दुनिया में पहुँच कर उन पर अधिकार जमाया और वहाँ की पूर्ववर्ती संस्कृति और भाषा को बलात् समाप्त करके अपनी-अपनी भाषाओं का प्रचार किया। इस प्रकार मैक्सिको से लेकर मध्य अमेरिका और सम्पूर्ण दक्षिणी अमेरिका में लैटिन भाषाओं का ही एकाधिकार है। लैटिन अमेरिका के अधिकांश देशों में स्पेनी अथवा पुर्तगाली भाषाओं का प्रचलन है। 80 प्रतिशत से अधिक स्पेनी और पुर्तगाली बोलने वाले लोग यूरोप से बाहर और अधिकतर लैटिन अमेरिका में रहते हैं।

(iii) जर्मनिक भाषा परिवार (Germanic Linguistic Family)

जर्मनिक भाषा इण्डो-यूरोपीय परिवार की एक उप-भाषा परिवार है जिसकी तीन प्रमुख भाषाएँ हैं (i) उत्तर जर्मनिक, (ii) पूर्व जर्मनिक, और (iii) पश्चिम जर्मनिक।

उत्तर जर्मनिक शाखा के अंतर्गत स्कैण्डनेवियाई भाषाएँ (स्वेडिश, डेनिश, नार्वेजियन और आइसलैंडिक) सम्मिलित हैं। पहले क्रीमिया में बोली जाने वाली गोथिक भाषा पूर्व जर्मनिक भाषा के अन्तर्गत आती है। इस भाषा का ऐतिहासिक महत्व है किन्तु वर्तमान समय में यह प्रचलन में नहीं है। राजनीतिक दबाव के कारण पूर्वकाल में गोथिक भाषा बोलने वालों के वंशजों ने अन्य भाषाओं को अपना लिया है। वर्तमान समय में पश्चिम जर्मनिक शाखा सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाषा परिवार है जिसके अंतर्गत जर्मन, डच, अंग्रेजी, स्काट, डच-फ्लेनिश, प्राचीन सैक्सन, ऐंग्लो-सैक्सन आदि भाषाएँ आती हैं।

(iv) बाल्टो-स्लेविक भाषा परिवार (Balto-Slavic Linguistic Farmily)

बाल्टो-स्लेविक भाषा भी इण्डो-यूरोपीय भाषा परिवार की एक प्रमुख शाखा है जिसका विस्तार बाल्टिक सागर के पूर्व और दक्षिण में अर्थात् सम्पूर्ण पूर्वी यूरोप पर है। लिथुआनियन और लेटिश बाल्टिक भाषा की उपशाखाएँ हैं। पूर्वी स्लेविक भाषाओं में रूसी, यूक्रेनियन और बाललो रूसी प्रमुख हैं। रूसी भाषा लगभग 25 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाती है और संयुक्त राष्ट्र संघ की पांच अधिकारिक भाषाओं में से एक है।

(v) सेल्टिक भाषा परिवार (Celtic Linguistic Family)

पाँचवीं शताब्दी में एंजिल्स, जूट्स तथा सैक्सन जातियों द्वारा ब्रिटिश द्वीपसमूह पर आक्रमण किये जाने के पहले वहाँ सेल्टिक भाषाएँ प्रचलित थीं। किन्तु आक्रमणकारियों द्वारा भगा दिये जाने पर वहाँ के लोग स्काटलैंड और वेल्स के दूरवर्ती क्षेत्रों में जा बसे जहाँ आज भी सेल्टिक भाष बोली जाती हैं। इसके अंतर्गत आयरिश, वेल्स, स्काट, कार्निश, ब्रीटान, गायलिक आदि भाषाएँ सम्मिलित हैं जिनका प्रायः स्थानीय महत्व है।

(vi) हेलेनिक भाषा परिवार (Hellenic Linguistic Family)

इसके अन्तर्गत यूनानी एक प्रमुख भाषा है जिसका वैज्ञानिक महत्व अधिक है। इसका विस्तार अत्यंत संकुचित है, क्योंकि यूनानी भाषा मुख्यतः यूनान तथा कुछ समीपवर्ती क्षेत्रों में ही बोली जाती है।

चीनी-तिब्बती भाषा परिवार (Sino-Tibetan Linguistic Family)

चीनी-तिब्बती भाषा परिवार के अंतर्गत चीन, तिब्बत तथा दक्षिण-पूर्व एशिया के कुछ देशों को भाषाएँ सम्मिलित हैं जो एक ही वंश परंपरा के अंतर्गत आती है। इसमें तीन उप-भाषा परिवार समाहित है-

(a) चीनी (Chinese) भाषा परिवार के अंतर्गत मंदारिन, कैन्टोनीज, हक्का, मिन और वू भाषाएँ सम्मिलित हैं। चीन की सबसे अधिक महत्वपूर्ण भाषा मंदारिन है जिसे चीन के लगभग 75 प्रतिशत लोग बोलते हैं। यह विश्व की सबसे अधिक लोगों (लगभग 100 करोड़) द्वारा बोली जाने वाली भाषा है।

(b) तिब्बती (Tibetan) भाषा परिवार की भाषाएँ तिब्बत तथा समीपवर्ती पठारी एवं पर्वतीय प्रदेशों में बोली जाती है। इसके अंतर्गत तिब्बती, शेरपा, सिक्किमी, लेपचा आदि पहाड़ी भाषाएँ सम्मिलित है।

(c) वर्मी (Burman) भाषा परिवार में दो प्रमुख भाषाएँ सम्मिलित हैं - (1) बर्मी भाषा, और (2) थाई भाषा। म्यांमार में बर्मी भाषा और थाईलैंड में थाई भाषा की प्रमुखता पायी जाती है।

(iii) अफ्रीकी-एशियाई भाषा परिवार (Afro-Asiatic Linguistic Family)

इस भाषा महापरिवार के अंतर्गत उत्तरी अफ्रीका तथा दक्षिणी-पश्चिमी एशिया में बोली जाने वाली भाषाएँ सम्मिलित है। इसमें निम्न 4 भाषाओं का समावेश है।

(1) सेमिटिक भाषा परिवार- मुख्यतः पश्चिमी एशिया में फैला हुआ सेमिटिक भाषा परिवार एक प्रमुख भाषा परिवार है जिसमें विश्व के दो प्रमुख धर्मों - यहूदी और इस्लाम की धार्मिक पुस्तकें लिखी गयी हैं। अतः इस भाषा परिवार का अंतर्राष्ट्रीय महत्व बोलने वाले लोगों की संख्या की तुलना में धार्मिक कारण से अधिक है।

(2) मिस्री भाषा परिवार- इसके अंतर्गत दो भाषाएँ सम्मिलित हैं - प्राचीन मिस्री, और कापटिक भाषाए।

(3) कुशिटिक भाषा परिवार- इसके अंतर्गत सम्मिलित भाषाओं में सोमाली, डोनाकिल, सिडोमा आदि प्रमुख हैं।

(4) चाडिक भाषा परिवार- इसके अंतर्गत नाइजीरिया और चाड देशों में प्रचलित छोटी-छोटी लगभग 50 भाषाएँ सम्मिलित हैं जिनका केवल स्थानीय लोग ही प्रयोग करते हैं।

(iv) अफ्रीकी भाषा परिवार (African Linguistic Family)

अफ्रीका के विभिन्न भागों में अनेक छोटी-छोटी तथा स्थानीय भाषाएँ हैं जिनकी संख्या 1000 से. ऊपर होने का अनुमान है। इसके अंतर्गत वे भाषाएँ समाहित हैं जो सहारा के दक्षिण में प्रयुक्त होती हैं। उत्तरी अफ्रीका की भाषाएँ अफ्रीका-एशियाई संघ के अंतर्गत सम्मिलित की जाती ही सर्वेक्षण और जानकारी के अभाव में अफ्रीकी भाषाओं के विषय में बहुत कम जानकारी प्राप्त है। समस्त अफ्रीकी भाषाओं के तीन प्रधान वर्गों में विभक्त किया जाता है-

(1) नाइजर-कांगो भाषा परिवार - इसे तीन उपभाषा में विभक्त किया जाता है - 6) अटलांटिक, (ii) वोल्टाइक, (ii) बेनू-नाइजर। दक्षिणी-पश्चिमी तटीय देशों में अटलांटिक परिवार की भाषाएँ बोली जाती है जिनमें ओलोफ, टेमनी, फुलानी आदि प्रमुख हैं। वोल्टाइक भाषाओं में वोल्टा सर्वप्रमुख है। बेनू-नाइजर भाषा परिवार के अन्तर्गत सम्मिलित भाषाओं में स्वाहिली, थोंगा, बांटू, सोथा आदि प्रमुख हैं। इनमें स्वाहिली भाषा का साहित्य अधिक समृद्ध है।

(2) सूडानिक भाषा परिवार - इनकी भाषाएँ मुख्यतः मध्य अफ्रीका तथा पूर्वी आंतरिक अफ्रीका के देशों में प्रचलित हैं। इनमें तीन प्रमुख भाषा-परिवार है - (i) पूर्वी चारी नील (i) मध्य चारी-नील, और (iii) सहारा भाषा परिवार। सूडानिक भाषा परिवार की भाषाओं में डिंका, लंगो-मसाई, तुरकाना, मंधेटू, टेगा, डाजा, सोंथई, वादाई आदि प्रमुख है।

(3) क्लिक भाषा परिवार- इसके अंतर्गत खोइसन भाषा परिवार सर्व प्रमुख है । जिसके अंतर्गत हाटेन्टाट, संदावी आदि भाषाएँ सम्मिलित है।

(v) यूराल-अल्टाई भाषा परिवार (Ural-Altai Linguistie Family)

यूराल पर्वत के उत्तर-पश्चिम से लेकर पूर्व में अल्टाई क्षेत्र तक अनेक भाषाएँ पायी जाती है जिन्हें यूराल-अल्टाई भाषा परिवार के अंतर्गत सम्मिलित किया जाता है। इसके चार प्रमुख भाषा परिवार हैं-

1.फिनो-यूग्निक भाषा परिवार- इसी प्रमुख भाषायें हैं - चेरेमिस, परामियन, फिनिश, लैपिस हंगेरियन, बोगुल आदि।

2. तुर्किक भाषा परिवार- मध्य एशिया तथा कैस्पियन सागर के दक्षिण में स्थित विस्तृत भूभागों पर तुर्किक भाषा प्रचलित हैं। इसके अंतर्गत कई भाषाएँ सम्मिलित हैं जिनमें प्रमुख हैं- अल्टाई, खिरगीज, कजाक, उजबेक, तुर्की, तुर्कमेनियन, अजरबेजान आदि।

3. मंगोलिक भाषा परिवार- इसके अंतर्गत मंगोल, डोगर, बुर्यात आदि भाषाएँ सम्मिलित हैं जो मंगोलिया तथा उसके समीपवर्ती भागों में बोली जाती है।

4. तुंगुजिक भाषा परिवार- इससे संबंधित भाषाएँ मंचूरिया तथा उसके समीपस्थ क्षेत्रों में बोली जाती हैं। इनमें मंचुक और तुंगुज प्रमुख हैं।

(vi) द्रविड़-मलय-पालिनेशियन भाषा परिवार (Dravidian-Malayo-Polynesian Linguistic Family)

दक्षिण भारत की आदि काल से प्रचलित भाषाएँ द्रविड़ कहलाती हैं जो आज आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक प्रांतों में बोली जाती हैं। इनमें तेलगु, तमिल, मलयालम, कनड़, कोटा, टोडा आदि प्रमुख हैं। इस भाषाई महासमूह में पाँच प्रमुख भाषा परिवारों को सम्मिलित किया जाता है। - 1. द्रविड़ 2. मलय, 3. मेलेनेशियन, 4. माइक्रोनेशियन और 5. पालीनेशियन।

प्रमुख भाषाओं का विश्व वितरण (World Distribution of Major Languages)

वर्तमान समय में विश्व में ऐसी 6 बृहत् भाषाएँ हैं जिसके बोलने वालों की संख्या 20 करोड़ से ऊपर है। 13 बृहत् भाषाओं में बोलने वालों की संख्या 10 करोड़ से ऊपर है जबकि 5 करोड़ से अधिक लोगों द्वारा बोली जाने वाली कुल 33 भाषाएँ हैं। विश्व की प्रमुख भाषाओं में चीनी, अंग्रेजी, हिन्दी, स्पेनी, रूसी, अरबी, मलय, जापानी, बंगाली, जर्मन, उर्दू, फ्रेंच, पंजाबी, कोरियन, तेलगू, तमिल, मराठी, वियतनामी, इटैलिन, तुर्की, फिलीपिनो, थाई आदि हैं।

विश्व की प्रमुख भाषाएँ और उनका वितरण

क्र.

भाषा

बोलने वालों की संख्या (करोड़ में)

देश जहाँ बोली जाती है

1.

चीनी (मंदारिन)

100.0

चीन, ताइवान, सिंगापुर, मलेशिया तथा अन्य देश।

2.

अंग्रेजी

46.0

यूनाइटेड किंगडम, आंग्ल अमेरिका, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड, दक्षिण अफ्रीका और पूर्ववर्ती ब्रिटिश उपनिवेश।

3.

हिन्दी

43.0

भारत, पाकिस्तान तथा मारिशस

4.

स्पेनी

30.0

स्पेन, तथा लैटिन अमेरिकी देश।

5.

रुसी

29.0

रूस (CIS देशों सहित)

6.

अरबी

20.0

मध्य पूर्व तथा उत्तरी अफ्रीकी देश।

7.

पुर्तगाली

16.8

पुर्तगाल, ब्राजील तथा पूर्ववर्ती पुर्तगाली उपनिवेशी देश।

8.

मलयालमी

15.9

मलेशिया, इण्डोनेशिया और सिंगापुर।

9.

जापानी

12.5

जापान और प्रशांत महासागर स्थित द्वीप

10.

बंगाली

12.0

बांगलादेश और भारत

11.

जर्मन

11.7

जर्मनी, आस्ट्रिया, लग्जेमबर्ग, अर्जेन्टीना, स्विटजरलैण्ड आदि।

12,

उर्दू

10.2

पाकिस्तान और भारत।

13.

फ्रेंच

10.0

फ्रांस, अल्जीरिया, ज्यूनीशिया, मोरक्को, भारत (पुडुचेरी) आदि।

14.

पंजाबी

9.5

भारत और पाकिस्तान।

15.

कोरियन

7.5

उत्तरी और दक्षिणी कोरिया।

16.

तेलगू

7.4

भारत

17.

तमिल

7.1

भारत, श्रीलंका और सिंगापुर।

18.

मराठी

7.0

भारत

19.

वियतनामी

6.5

वियतनाम और कम्बोडिया

20.

इटैलियन

6.3

इटली, स्विटजरलैंड, कार्सिया आदि।

21.

तुर्की

6.0

टर्की

22.

फिलीपाइनी

5.4

फिलीपाइन्स

23.

थाई

5.1

थाईलैण्ड

1. चीनी (Chinese)- चीन की सबसे प्रमुख भाषा मंदारिन (Mandarin) है जिसे चीन के लगधा 75 प्रतिशत लोग बोलते हैं। बोलने वाले व्यक्तियों की संख्या की दृष्टि से यह विश्व की बृहत्तम भाषा है। जिसे लगभग 100 करोड़ लोग बोलते हैं। चीनी प्रवासियों के साथ इस भाषा का प्रसार ताइवान, सिंगापुर, मलेशिया तथा कई अन्य देशों में भी हुआ है।

2. अंग्रेजी (English)- इसे बोलने वाले व्यक्तियों की संख्या की दृष्टि से अंग्रेजी का स्थान चीनी भाषा के बाद दूसरा है। यह जर्मनिक भाषा परिवार की पश्चिमी शाखा के अंतर्गत आती है जिसकी उत्पत्ति 500 ई.पू. में इंग्लैण्ड में हुई थी। यह विश्व के सर्वाधिक विस्तृत क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा है। यूनाइटेड किंगडम, आंग्ल अमेरिका (सं.रा.अ. और कनाडा), न्यूजीलैण्ड, दक्षिण अफ्रीका तथा अनेक पूर्ववर्ती ब्रिटिश उपनिवेशी देश प्रमुख आंग्ल भाषी देश हैं।

3. हिन्दी (Hindi)- हिन्दी विश्व की तृतीय बृहत्तम भाषा है। यह इण्डिक भाषा परिवार की सबसे महत्वपूर्ण और सर्वाधिक लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा है। सर्वाधिक हिन्दी भाषी लोग उत्तरी भारत (हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार) में संकेन्द्रित हैं। इनके अतिरिक्त पाकिस्तान और मारिशस में भी काफी संख्या में हिन्दी बोलने वाले हैं।

4. स्पेनी (Spanish)- बोलने वाले व्यक्तियों की संख्या की दृष्टि से यह विश्व की चतुर्थ बृहत्तम भाषा है। यह लैटिन भाषा परिवार की एक प्रमुख भाषा है जिसका मूल स्थान स्पेन देश है। यूरोपीय प्रवास की अवधि में स्पेनवासी मैक्सिको, मध्य अमेरिका तथा दक्षिण अमेरिका के जिन-जिन देशों में अपने उपनिवेश बनाये अथवा बस गये, वहाँ-वहाँ स्पेनी भाषा का प्रचार हुआ और अधिकांश ऐसे क्षेत्रों में यह राजभाषा के रूप में प्रतिष्ठित है। विश्व भर में लगभग 30 करोड़ व्यक्ति स्पेनी बोलते हैं जिनमें 80 प्रतिशत से अधिक लैटिन अमेरिका में रहते हैं। स्पेन के अतिरिक्त मैक्सिको, पनामा, हाण्डूरास, अर्जेन्टीना, कोलम्बिया, ग्वाटेमाला, वेनेजुएला, युरुग्वे, पराग्वे, इक्वेडोर, क्यूबा, कोस्टारिका, जमैका, एल सल्वाडोर आदि लैटिन अमेरिकी देशों की प्रमुख भाषा स्पेनी है।

5. रूसी (Russian)- स्लेविक भाषा परिवार की इस भाषा को बोलने वालों की संख्या लगभग 21 करोड़ है। रूसी भाषा रूस की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाषा है। रूसी भाषा का विस्तार रूस, यूक्रेन, बेलारूस, लिथुआनिया, जार्जिया, अजरबेजान, कजाकिस्तान, उजबेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, कजाकिस्तान, किरगिस्तान आदि देशों में पाया जाता है।

6. अरबी (Arabic)- यह सेमेटिक भाषा परिवार की सर्वप्रमुख भाषा है। बोलने वाले लोगों की संख्या (20 करोड़) की दृष्टि से यह विश्व की छठी बृहत्तम भाषा है। इसका अंतर्राष्ट्रीय महत्व बोलने वाले लोगों की संख्या की तुलना में धार्मिक कारण से अधिक है। इस्लाम धर्म की पवित्र पुस्तक 'कुरान' अरबी भाषा में ही लिखी गयी है। मोरक्को से लेकर मिस्र तक सम्पूर्ण उत्तरी अफ्रीका और अरब, सीरिया, लेबनान, इजराइल, ईराक, जार्डन, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, ओमान, यमन आदि देशों तथा उत्तरी अफ्रीका में लीबिया, अल्जीरिया, टयूनीशिया, सूडान, मिस्र आदि देशों की प्रमुख भाषा है।

7. मलय (Malay)- बोलने वालों की संख्या (15.9 करोड़) की दृष्टि से मलय विश्व की आठवीं बृहत्तम भाषा है। यह मलय भाषा परिवार की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाषा है जिसका विस्तार मलेशिया, इण्डोनेशिया तथा सिंगापुर में है।

(8) जापानी (Japanese)- जापानी मलय भाषा परिवार की भाषा मानी जाती है जिसका विस्तार जापान तथा प्रशांत महासागर स्थित अनेक द्वीपों पर है।

(9) बंगाली (Bengali)- मुख्यतः बांग्लादेश और भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में बोली जाने वाली इस भाषा का स्थानीय महत्व अधिक है। बंगाली बोलने वाले व्यक्तियों की कुल संख्या लगभग 12 करोड है।

(10) जर्मन (German)- मुख्यतः यूरोप के जर्मनी, आस्ट्रिया, लग्जेमबर्ग और स्विटजरलैण्ड में बोली जाने वाली यह भाषा विश्व की प्रमुख भाषाओं में से एक है। विश्व में कुल मिलाकर लगभग 11.7 करोड़ लोग जर्मन भाषा का प्रयोग करते हैं।

(11) उर्दू (Urdu)- इण्डिक या हिन्दुस्तानी भाषा समूह के अन्तर्गत आने वाली इस भाषा को लगभग 10.2 करोड़ लोग बोलते हैं। उर्दू भारत और पाकिस्तान में रहने वाले अधिकांश मुसलमानों द्वारा व्यवहृत होती है। यह पाकिस्तान की अधिकारिक भाषा भी है।

(12) फ्रेंच (French)- फ्रेंच या फ्रांसीसी विश्व की अति महत्वपूर्ण और समृद्ध साहित्य वाली भाषा है जिसके बोलने वालों की संख्या लगभग 10 करोड़ है। यह लैटिन भाषा परिवार की प्रमुख और फ्रांस की अधिकारिक भाषा है। इसे कनाडा, स्विटजरलैण्ड कुछ अफ्रीकी देशों में भी अधिकाधिक भाषा का दर्जा दिया गया है।

(13) अन्य महत्वपूर्ण भाषाएँ (Other Important Languages)- 5 करोड़ से लेकर 10 करोड़ व्यक्यिों द्वारा बोली जाने वाली भाषाओं में पंजाबी (9.5 करोड़), कोरियाई (7.5 करोड़), तेलगु (7.4 करोड़), तमिल (7.1 करोड़), मराठी (7.0 करोड़), वियतनामी (6.5 करोड़), इटैलियन (6.3 करोड़), तुर्की (6 करोड़), फिलीपाइनी (5.4 करोड़) और थाई (5.1 करोड़) सम्मिलित हैं।

भारत की प्रमुख भाषाएँ एवं भाषा प्रदेश (Major Languages of India)

भारत के विभिन्न भागों में भिन्न-भिन्न नृजातीय एवं सामाजिक वर्गों के लोग रहते हैं जिनमें अधिकांश की अपनी-अपनी भाषाएँ और बोलियाँ हैं। भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में भाषाओं और बोलियों की विविधता का पाया जाना स्वाभाविक ही है। आँकड़ों से पता चलता है सम्पूर्ण भारत, 200 से अधिक भाषाएँ बोली जाती ही देश की 23 प्रमुख भाषाएँ लगभग 97 प्रतिशत जनसंख्या द्वारा बोली जाती थीं। भारतीय संविधान के आठवें अनुच्छेद में अंग्रेजी के अतिरिक्त 18 भारतीय भाषाएँ सम्मिलित हैं जो इस प्रकार हैं- 1. कश्मीरी, 2. पंजाबी, 3. हिन्दी, 4. उर्दू, 5. बंगला, 6. असमी, 7. गुजराती, 8. मराठी, 9. कनड़, 10. तमिल, 11. तेलगु, 12. मलयालम, 13. सिन्धी, 14. संस्कृत, 15. ओड़िसा, 16. नेपाली, 17. कोंकणी और 18. मणिपुरी।

भारत की प्रमुख भाषाएँ एवं भाषा प्रदेश

सम्पूर्ण भारत को 12 भाषा प्रदेशों में विभक्त किया गया है जिनका विवरण तालिका में प्रदर्शित है-

1. हिन्दी (Hindi)- हिन्दी भारत की राष्ट्र भाषा और लगभग 42.20 करोड़ लोगों की मातृभाषा है। देश की लगभग 41 प्रतिशत जनसंख्या हिन्दी बोलती है। उत्तरी तथा मध्य भारत में विस्तृत हिन्दी मेखला के अंतर्गत हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्य सम्मिलित हैं। इन राज्यों के 80 प्रतिशत से अधिक लोग हिन्दी बोलते हैं यद्यपि उनकी बोलियों में पर्याप्त भिन्नता पाई जाती है।

2. बंगाली (Bengali)- यह भारत की द्वितीय बृहत्तम भाषा है जो मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल में बोली जाती है किन्तु इनका विस्तार संलग्न राज्यों-बिहार और असम में भी है। जनगणना 2001 के अनुसार यह लगभग 8.34 करोड़ लोगों (8.11 प्रतिशत) द्वारा बोली जाती है।

भारत  के प्रमुख भाषा प्रदेश

भाषा प्रदेश

सम्मिलित राज्य

1. कश्मीरी

जम्मू एवं कश्मीर

2. पंजाबी

पंजाब

3. हिन्दी-उर्दू

उत्तरप्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश

4. बंगाल

पश्चिम बंगाल तथा अंडमान निकोबार द्वीप समूह

5. असमी

असम, मेघालय तथा अन्य उत्तरी-पूर्वी राज्य

6. उड़िया

ओड़ीसा

7. गुजराती

गुजरात

8. मराठी

महाराष्ट्र तथा गोवा

9. कन्नड़

कर्नाटक

10. तेलगु

आंध्र प्रदेश

11. तमिल

तमिलनाडु एवं पुडुचेरी

12. मलयालम

केरल तथा लक्षद्वीप समूह

3. तेलुगु (Telugu)- यह देश की तीसरी प्रमुख भाषा है जिसके बोलने वाले 80 प्रतिशत से अधिक लोग आंध्र प्रदेश में रहते हैं। शेष तेलगु भाषी व्यक्ति संलग्न राज्यों - तमिलनाडु और कर्नाटक में पाये जाते हैं। 2001 में तेलगु भाषियों की संख्या (7.40 करोड़) देश की कुल संख्या की 7.37 प्रतिशत थी।

4. मराठी (Marathi)- संख्यात्मक (7.19 करोड़) दृष्टि से मराठी भारत की चौथी प्रमुख भाषा है। मराठी बोलने वाले 93 प्रतिशत लोग महाराष्ट्र में संकेन्द्रित हैं।

5. तमिल (Tamil)- यह द्रविड़ परिवार की सर्व प्रमुख और बोलने वाली जनसंख्या के अनुसार देश की पाँचवों बृहत्तम भाषा है जो 6.08 करोड़ (2001) व्यक्तियों द्वारा बोली जाती हैं जो भारत की कुल जनसंख्या का 5.91 प्रतिशत है। इसका अपना सम्पन्न साहित्य है। देश के 91.00 प्रतिशत तमिल भाषी तमिलनाडु में है किन्तु इसका प्रसार संलग्न राज्यों - कर्नाटक (3.3 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश (1.4 प्रतिशत) और पाण्डिचेरी (1.4 प्रतिशत) में भी है।

6. उर्दू (Urdu)- यह हिन्दी का ही रूपान्तर है जो अरबी लिपि में लिखी जाती है। इसका विकास मुस्लिम शासन काल में भारत में हुआ। वर्तमान में यह लगभग 5.00 प्रतिशत भारतीय विशेषतः मुस्लिम जनसंख्या को मातृभाषा है। जम्मू और कश्मीर में इसे राज्य की अधिकारिक भाषा बनाया गया है। आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा, बिहार, उत्तर प्रदेश आदि में उर्दू भाषा बोली जाती है।

7. गुजराती (Gujrati)- यह देश की सातवीं बड़ी भाषा है जो लगभग 4.5 प्रतिशत जनसंख्या द्वारा बोली जाती है। 4.60 करोड़ गुजराती बोलने वालों में से अधिकांश गुजरात राज्य में संकेन्द्रित हैं और थोड़े लोग समीपवर्ती राज्यों - महाराष्ट्र और राजस्थान में भी मिलते हैं।

8. कन्नड़ (Kannad)- यह द्रविड़ परिवार की द्वितीय प्रमुख भाषा है। संख्यात्मक दृष्टि से देश में 3.79 करोड़ से अधिक लोग कन्नड़ भाषी हैं जिनमें से लगभग 91 प्रतिशत कर्नाटक के निवासी हैं। शेष 9 प्रतिशत कन्नड़ भाषी तमिलनाडु (3.7 प्रतिशत), महाराष्ट्र (3.2 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश (1.6 प्रतिशत) आदि राज्यों के अन्तर्गत आते हैं।

9. मलयालम (Malyalam)- यह द्रविड़ परिवार की लघुतम भाषा है जो देश की लगभग 3.30 प्रतिशत जनसंख्या द्वारा बोली जाती है। इसका मुख्य केन्द्र केरल (91.8 प्रतिशत) है!

10. उड़िया (Oriya)- यह उड़ीसा प्रमुख भाषा है जो प्राचीन अपभ्रंश को सुरक्षित रखते हुए संस्कृत भाषा के शब्दों से सम्पन्न है।

11. पंजाबी (Punjabi)- मुख्यतः पंजाब राज्य की प्रमुख भाषा है किन्तु यह हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के नगरों में रहने वाले पंजाबी परिवारों में भी बोली जाती है।

12. असमी (Assamese)- मुख्यतः असम तथा समीपवर्ती राज्यों - मेघालय, त्रिपुरा आदि में बोली जाती हैं।

13. अन्य भाषाएँ - उपर्युक्त 12 प्रमुख भारतीय भाषाओं के अतिरिक्त कश्मीरी, सिन्धी, नेपाली, कोंकणी, मणिपुरी आदि उन भाषाओं में से है जिनके बोलने वालों की संख्या 10 लाख से अधिक है। कश्मीरी भाषा जम्मू एवं कश्मीर में, मारवाड़ी राजस्थान में, नेपाली उत्तरांचल में, कोंकणी महाराष्ट्र में और मणिपुरी मणिपुर राज्य में बोली जाती है।

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