झारखण्ड
शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद राँची (झारखण्ड)
द्वितीय
सावधिक परीक्षा (2021-2022)
प्रतिदर्श
प्रश्न पत्र सेट- 03
कक्षा-12 |
विषय- हिंदी (कोर) |
समय- 1 घंटा 30 मिनट |
पूर्णांक- 40 |
सामान्य
निर्देश:
»
परीक्षार्थी यथासंभव अपनी ही भाषा-शैली में उत्तर दें।
»
इस प्रश्न-पत्र के खंड हैं। सभी खंड के प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है।
»
सभी प्रश्न के लिए निर्धारित अंक उसके सामने उपांत में अंकित है।
»
प्रश्नों के उत्तर उसके साथ दिए निर्देशों के आलोक में ही लिखें ।
खंड
- 'क' (अपठित बोध)
01. निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
02+02+02= 06
रेशमी कलम से भाग्य-लेख लिखने वालो
तुम भी अभाव से कभी ग्रस्त हो रोए हो?
बीमार किसी बच्चे की दवा जुटाने में
तुम भी क्या घर भर पेट बाँधकर सोए हो?
असहाय किसानों की किस्मत को खेतों में
क्या अनायास जल में बह जाते देखा है?
'क्या खाएंगे? यह सोच निराशा से पागल
बेचारों को नीरव रह जाते देखा है?
(क) किसानों को असहाय बेचारा क्यों कहा गया है?
उत्तर:
किसानों का असहाय बेचारा इसलिए कहा गया है कि अथक परिश्रम करने के बाद भी सुखी जीवन
नहीं व्यतीत करते हैं। लहलहाती हुई फसलें बाद में बह जाती है।
(ख) अभावग्रस्त जिंदगी का दर्शन कवि धनिको को क्यों करवाना चाहता है?
उत्तर:
अभावग्रस्त जिंदगी का दर्शन कवि को इसलिए कराना चाहता है कि धनिकों का साम्राज्य अभावग्रस्त
जिंदगी पर ही टिकी रहती है। उन्हें दूसरों के बारे में भी सोचना चाहिए।
(ग) सर्वहारा वर्ग के लोग निराश से पागल और नीरव क्यों हो जाते हैं?
उत्तर:
अभावग्रस्त होने के कारण सर्वहारा वर्ग के लोग निराश से पागल और नीरव हो जाते हैं।
अथवा
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए.
जिस मनुष्य की संसार में कीर्ति होती है, वह सदैव जीवित रहता है, चाहे भले
ही वह पार्थिव शरीर से इस संसार में न रहा हो। कीर्ति का भागी वही मनुष्य होता है,
जिसमें कुछ असाधारण प्रतिभा होती है, जो अपने गुणों और प्रतिभा के सहारे समाज की तन,
मन, धन से सेवा करता है। जो बुराई के बदले सदा भलाई ही करता है, जो ईट का उत्तर फूल
से देता है, जो अपने सुकर्मो और सरल स्वभाव से घृणा को प्रेम में बदल देता है, उससे
बढ़कर कौन गुणवान हो सकता है, उससे अधिक कौन समाज सेवी हो सकता है? समाज-सेवा वही व्यक्ति
कर सकता है, जो समदृष्टा हो, सहनशील हो, सहानुभूतिपूर्ण हो। जिस व्यक्ति ने आपके साथ
दुर्व्यवहार किया है यदि उसके बदले में आपने उससे सद्व्यवहार किया, जिस व्यक्ति ने
आपकी निंदा की है यदि आपने उसकी प्रशंसा की तो आप समाज के अन्य व्यक्तियों में कीर्ति
के पात्र होंगे। समाज में आपका यश बढ़ेगा, घर-घर में आपका गुणगान होगा। एक दिन ऐसा
भी आएगा कि आपके निंदक ही आपके प्रशंसक बन जायेंगे।
(क) कैसे मनुष्य सदैव जीवित रहते हैं?
उत्तर:
वैसे मनुष्य सदैव जीवित रहते हैं, जिनकी संसार में कीर्ति होती है।
(ख) कीर्ति का भागी कौन होता है?
उत्तर:
कीर्ति का भागी वह होता है, जिसमें कुछ असाधारण प्रतिभा होती है।
(ग) कैसा व्यक्ति समाज सेवी हो सकता है?
उत्तर:
समद्रष्टा, सहनशील तथा सहानुभूति से भरा व्यक्ति समाज-सेवी हो सकता है।
खंड
- 'ख' (अभिव्यक्ति और माध्यम)
02. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए - 05+05=10
(क) 'मेरा प्रिय त्योहार' अथवा 'तकनीकी शिक्षा' विषय पर एक निबंध लिखिए।
उत्तर: 'मेरा प्रिय त्योहार'
भारत
विविध संप्रदायों का देश है। यहाँ विविध संस्कृति के रहने के कारण हमेशा कोई-न-कोई
त्योहार आते रहते हैं। जैसे-होली, ईद, दीवाली, सरहुल, बकरीद इत्यादि। किन्तु मेरा प्रिय
त्योहार दीपावली है।
दीपावली
हिंदुओं का महत्त्वपूर्ण त्योहार है। यह कार्तिक मास की अमावस्या की रात्रि में मनाया
जाता है। दीपावली वर्षा ऋतु की सामप्ति पर मनाई जाती है। धरती की कीचड़ और गंदगी समाप्त
हो जाती है। अतः लोग अपने घरों-दुकानों की पूरी सफाई करते हैं ताकि सीलन, कीड़े-मकोड़े
और अन्य रोगाणु नष्ट हो जाएँ। दीप जलाने का भी शायद यही लक्ष्य रहा होगा कि वातावरण
के सब रोगाणु नष्ट हो जाएँ
दीपावली
वाले दिन श्री रामचंद्र जी रावण का संहार करने के पश्चात् वापस अयोध्या लौटे थे। उनकी
खुशी में लोगों ने घी के दीपक जलाए थे। भगवान महावीर तथा स्वामी दयानंद ने इसी तिथि
को निर्वाण प्राप्त किया था। इसलिए जैन संप्रदाय तथा आर्य समाज में भी इस दिनका विशेष
महत्त्व है। सिक्खों के छठे गुरू हरगोविन्द सिंह जी भी इसी दिन कारावास स मुक्त हुए
थे।
व्यापारियों
के लिए दीपावली उत्सव शिरोमणि है। व्यापारी वर्ग विशेष उत्साह से इस उत्सव को मनाता
है। इस दिन व्यापारी लोग लक्ष्मीपूजन करते हैं। बच्चों में उमंग उल्लास का समाँ बंधा
रहता है। आतिशबाजी लेकर इधर-उधर दौड़ते रहते हैं। अधिक आतिशबाजी जलाने से वातावरण प्रदूषित
भी हो जाता है।
अत:
उपसंहार स्वरूप हम कह सकते हैं कि दिपावली असत्य के ऊपर सत्य, अंधकार के ऊपर प्रकाश,
अन्याय के ऊपर न्याय का विजय सूचक है।
'तकनीकी शिक्षा'
आजादी
के बाद से ही शिक्षा की पारम्परिक प्रणाली बदलने की कवायद शुरू हो गई थी। पारम्परिक
शिक्षा प्रणाली में मेधा का एकमात्र पैमाना रटत विद्या था। हमारे देश में असीमित बेरोजगारी
की समस्या है तो दूसरी ओर कुशल मानव-संसाधन की कमी है। रोजगारोन्मुख शिक्षा में तकनीकी
शिक्षा को शामिल किया गया है।
तकनीकी
शिक्षा के माध्यम से देश के युवाओं को प्रशिक्षण देकर उनको हुनर सीखाकर आगे बढ़ाया
जाता है। देश के युवा बढ़ेंगे तभी हमारे देश का विकास होगा। तकनीकी शिक्षा में कई तरह
की समस्याएँ भी हमें देखने को मिलती है। हमारे देश में इस शिक्षा के प्रति लोगों का
दृष्टिकोण उचित नहीं है। शिक्षा में अनुपयुक्त माध्यम की समस्या अंग्रेजी को लेकर बढ़ती
है। हिन्दी भाषी छात्रों को विषय समझने में कठिनाई होती है। तकनीकी शिक्षा संस्थाओं
के लिए सुयोग्य प्रशिक्षित अध्यापक नहीं मिल पाने के कारण विद्यार्थी इससे वंचित रह
जाते हैं।
बेरोजगारी
की समस्या को हल करने के लिए तकनीकी शिक्षा की अत्यन्त आवश्यकता है। कुशल लोग बेरोजगार
नहीं होते, वे स्वयं किसी-न-किसी रोजगार की ओर उन्मुख हो जाते हैं। डॉक्टर, इंजीनियर,
तकनीशियम, कारीगर आदि का ज्ञान देश, समाज आदि में विकास की गति प्रदान कर सकता है।
अतः
उपसंहार स्वरूप हम कह सकते हैं कि तकनीकी शिक्षा अपने ज्ञान और अनुभव से प्राप्त प्रशिक्षण
प्रतिभा का सृजन करता है। किसी भी राष्ट्र की प्रगति कुशल लोगों के हाथों पर निर्भर
करती है।
(ख) यातायात नियंत्रण हेतु संबंधित अधिकारी को एक पत्र लिखें।
उत्तर: सेवा में,
वरीय अधीक्षक, यातायात, राँची
विषय-बदहाल यातायात व्यवस्था में सुधार के संबंध
में
महोदय,
आजकल
सड़कों पर वाहनों की संख्या दिन-प्रतिदिन, बढ़ती जा रही है। इसके कारण प्रायः जाम की
स्थिति उत्पन्न हो जाती है। वहीं सड़क दुर्घटनाओं की संख्या का ग्राफ भी ऊपर उठता जा
रहा है। यातायात व्यवस्था सुचारू नहीं होने के कारण कहीं भी समय पर पहुँचना लगभग असंभव
हो गया है। पिछले सप्ताह ही मेरे भाई को प्रतियोगिता परीक्षा के लिए पटना जाना था।
एक घण्टे पहले घर से निकलने के बावजूद भी ट्रैफिक जाम के चलते उसकी ट्रेन छूट गयी।
ट्रैफिक
नियमों की सुचारू व्यवस्था नहीं होने के कारण सड़क दुर्घटना हो जाना आज एक सामान्य-सी
बात हो गयी है। ट्रैफिक सिग्नल और वन-वे-ट्रैफिक की कारगर व्यवस्था से ही स्थिति पर
नियंत्रण करना संभव होगा। मनचले लड़कों द्वारा तेज रफ्तार में और बिना हेलमेट ड्राइविंग
पर रोक लगाना आवश्यक है। नियमों का उल्लंघन करने वालों के साथ सख्ती से पेश आना होगा।
आपसे
सविनय आग्रह है कि सुगम यातायात व्यवस्था के लिए त्वरित एवं प्रभावी कार्रवाई करें।
भवदीय
दिनांक
: 18 फरवरी, 2022 दीपक कुमार, अशोक
नगर, राँची
(ग) अपने क्षेत्र के विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था पर चिंता व्यक्त
करते हुए किसी दैनिक समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में,
संपादक,
हिन्दुस्तान समाचार पत्र, राँची
विषय-विद्यालयों
में शिक्षा व्यवस्था
महोदय,
मैं
इस पत्र के माध्यम से शिक्षा पदाधिकारियों तक विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था की तरफ ध्यान
आकर्षित करना चाहता हूँ। आशा है आप इसे प्रकाशित करके जनसंवा में सहयोग करेंगे। आज
सरकारी विद्यालय का पठन-पाठन चौपट हो गया है। कोई भी विद्यालय का प्राचार्य हो या अध्यापक
समय पर विद्यालय नहीं आते हैं। छात्रों की उपस्थिति भी बीस प्रतिशत तक होती है। अभिभावकों
द्वारा छात्रों को स्कूल जाने के लिए बाध्य करने पर वे कहते हैं कि अध्यापक ही नहीं
आते हैं तो पढ़ाई कैसे होगी। इसका लाभ उठाकर बच्चे इधर-उधर घूमकर समय व्यतीत कर लेते
हैं। यदि ऐसा ही रहा तो विद्यार्थियों का विकास रूक जाएगा। आज के छात्र ही देश, परिवार,
समाज, विश्व आदि के धरोहर हैं।
पढ़ाई
के नाम पर अध्यापक यदा-कदा आकर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाते हैं।
अतः
मेरी सरकार से अनुरोध है कि शिक्षा प्रणाली को चुस्त-दुरुस्त बनाए रखने के लिए अतिशीघ्र
कार्रवाई करें।
भवदीय
दीपक कुमार दुमका।
दिनांक-20
फरवरी, 2022
(घ) अपने विद्यालय के वार्षिकोत्सव पर एक प्रतिवेदन तैयार कीजिए।
उत्तर:
इस वर्ष 5 सितम्बर का दिन हमारे विद्यालय के लिए खास महत्त्व का था। हर साल इस दिन
हमारे विद्यालय में वार्षिकोत्सव मनाया जाता है। इस वर्ष हमारे विद्यालय ने अपना पच्चीसवाँ
वार्षिकोत्सव पूरे गौरव और गरिमा के साथ मनाया। यही दिन शिक्षक-दिवस भी होता है।
उत्सव
का सिलसिला तो 15 अगस्त के बाद से ही शुरू हो गया था। अनेक प्रकार की प्रतियोगिताओं
का दौर शुरू हुआ। वाद-विवाद, नाटक, गीत-संगीत तथा विभिन्न खेलों की प्रतियोगिताओं में
सभी वर्ग के छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।
वार्षिकोत्सव
के दिन पूरा विद्यालय सज-धज कर तैयार था। राज्य के शिक्षा-मंत्री इस समारोह के मुख्य
अतिथि थे। ठीक 11 बजे कार्यक्रम का शुभारभ हुआ। एन.सी.सी. के छात्रों ने मुख्य अतिथि
तथा अन्य माननीय अतिथियों का स्वागत किया। मंच पर स्वागत गान के बाद अनेक रंगारंग कार्यक्रम
प्रस्तुत किये गये।
हमारे
प्राचार्य महोदय ने विद्यालय के पच्चीस वर्षों की प्रगति और उत्कृष्ट सेवाओं का लेखा-जोखा
प्रस्तुत किया। मुख्य अतिथि ने विजयी प्रतियोगियों को पुरस्कृत किया। विद्यालय के गौरवमय
इतिहास की चर्चा करते हुए उन्होंने बतलाया कि वे भी इसी विद्यालय के छात्र रह चुके
हैं। उन्होंने छात्रों और शिक्षकों के प्रयास की सराहना की तथा विद्यालय के उत्थान
क लिए सरकार की ओर से सहायता का आश्वासन भी दिया। अन्त में धन्यवाद ज्ञापन के साथ महोत्सव
का समापन हुआ।
खंड
- 'ग' (पाठ्यपुस्तक)
03. निम्नलिखित में से किसी एक का काव्य-सौंदर्य लिखिए- 05
(क) किसबी, किसान-कुल, बनिक, भिखारी, भाट,
चाकर, चपल नट, चोर, चार, चेटकी।
पेटको पढ़त, गुन गढत, चढत गिरि,
अटत गहन-गन अहन अखेटकी।।
उत्तर:
इन पंक्तियों में पेट के लिए किए जानेवाले सही-गलत कार्यों का वर्णन है। भाषा ब्रज
है तथा छंद कवित है। यहाँ अनुप्रास अलंकार का सुंदर प्रयोग है।
(ख) आँगन में ठुनक रहा है जिदयाया है
बालक तो हई चाँद पै ललचाया है
दर्पण उसे दे के कह रही है माँ
देख आईने में चाँद उतर आया है
उत्तर:
इस रुबाई में कवि ने बालक की जिद एवं माँ की चतुराई का आकर्षक चित्रण किया है। आँगन
में खड़े होकर बालक चाँद को देखकर तुनकने लगता है और चाँद को लेने की जिद कर रहा है
। बालक का मन चाँद को देख ललचा गया है और माँ उसे हाथ में आईना पकड़ा कर कहती है कि
लो देखो चाँद आईने में उतर आया है।
04. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए - 03+03= 06
(क) 'बादल राग' कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि 'विप्लव-रव से छोटे
ही हैं शोभा पाते।
उत्तर:
विप्लव-रव से तात्पर्य 'क्रांति की हुंकार' है । किसी समाज में जब क्रांति आती है तो
उससे बड़े पूँजीपति आतंकित हो जाते हैं क्योंकि उनकी दौलत छिन जाती हैं, जबकि क्रांति
से शोषित-मजदूर सर्वहारा वर्ग के चेहरे पर प्रसन्नता छा जाती है, उन्हें क्रांति का
लाभ मिलता है।
(ख) 'लक्ष्मण-मूर्छा और राम का विलाप पाठ के आधार पर लक्ष्मण के प्रति
राम के स्नेह-संबंधों पर प्रकाश डालिए?
उत्तर:
श्री राम का लक्ष्मण के प्रति अटूट स्नेह। वे लक्ष्मण के मूच्छित होने से व्याकुल हो
जाते हैं। वे धन, पुत्र, स्त्री और परिवार के सामने स्त्री भाई को लक्ष्मण राम के व्याकुल
वचन को भी सुनकर मूछित लक्ष्मण नहीं उठ पाते हैं।
(ग) माँ द्वारा शिशु को खेलाने का दृश्य अंकित कीजिए।
उत्तर:
माँ अपने नन्ने को कभी गोद में झुलाती है और कभी रह-रहकर हवा में लहराती है। इस प्रकार
वह उनको प्रसन्न करने का प्रयास करती है।
05. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए - 03+03= 06
(क) लोगों ने लड़कों की टोली को 'मेंढक मंडली' नाम किस आधार पर दिया?
यह टोली अपने आपको इंदरसेना कहकर क्यों बुलाती थी?
उत्तर:
लोग इस टोली के लड़कों को नंगा-बदन, कीचड़ के लथ-पथ शरीर तथा उनकी उछल-कूद और शोर-शराबे
को देखकर मेढक-मंडली कहते थे। ये लड़के स्वयं को इंदर के सैनिक इसलिए कहते थे कि वे
इंद्र के नाम पर लोगों से पानी मांगते थे ताकि इंद्र बादलों के रूप में हम सबको वर्षा
दे सके।
(ख) लुट्टन पहलवान को ऐसा क्यों लगा होगा कि मेरा गुरु कोई पहलवान नहीं,
यही ढोल है?
उत्तर:
लुटन ने किसी गुरु से पहलवानी नहीं सीखी थी। चाँद सिंह के साथ हुए मुकाबले में उसने
ढोल की आवाज से प्रेरणा प्राप्त की थी और 'शेर के बच्चे' चाँद सिंह को हरा पाया था।
उसके बाद से ही उसने ढोल को अपना गुरु मान लिया। अपने पुत्रों शिष्यों को भी वह ढोल
की आवाज में छिपे प्रेरणादायक उक्तियों को पहचानने की शिक्षा दिया करता था।
(ग) जाति-प्रथा के संबंध में डॉ. अंबेडकर के विचारों पर संक्षेप में
प्रकाश डालिए।
उत्तर:
लेखक ने जाति-प्रथा के श्रम-विभाजन को अस्वाभाविक तथा भेदभावपूर्ण कहा है। पेशा चुनने
की स्वतंत्रता का न होना, व्यक्ति की रुचि व क्षमता पर ध्यान न देना, जन्म से ही पेशा
का पूर्व निर्धारण होना, जीवन भर एक ही पेशे से बंधे रहना, पेशा परिवर्तन की स्वतंत्रता
का न होना, बेरोजगारी व भुखमरी को प्रश्रय देना, मनुष्य की आत्मशक्ति को दबाकर उसे
निष्क्रिय बनाना, जैसी अनेक बुराइयों का लेखक ने उल्लेख किया है।
06. 'निराला' अथवा फणीश्वरनाथ 'रेणु' की किन्हीं दो रचनाओं का नाम लिखिए।
02
उत्तर:
निराला-परिमल, अनामिका।
फणीश्वर
नाथ रेणु-मैला आँचल, आदिम रात्रि की महक।
07. लेखक का पाठशाला में विश्वास कैसे बढा? जूझ कहानी के आधार पर बताइए।
03
उत्तर:
मंत्री गणित की कक्षा लेते थे। वे बहुत कर्मठ एवं कठोर थे। वे योग्य विद्यार्थियों
को पूरा प्यार और प्रोत्साहन देते थे। वे शरारती लड़कों की पिटाई करने लगे, जिससे कक्षा
में शरारत कम हुई। शरारती बच्चों की पीठ पर वे ऐसा घूसा मारते थे कि बच्चा हूक भरने
लगता था । बच्चे उनसे भयभीत रहते थे। लेखक के लगन को देख कर वे बहुत प्रसत्र हुए ।
जब लेखक ने मेहनत
करके
सवाल ठीक बनाने शुरू कर दिये, तब उन्होंने उसे भी मॉनीटर की तरह सबके सवाल देखने के
काम में लगा दिया ।
अथवा,
'डायरी के पन्ने पाठ के आधार पर ऐन के व्यक्तित्व की तीन विशेषताओं
पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
ऐन फ्रैंक एक साधारण परिवार की लड़की है, जिसकी संवेदनशीलता एक सजग समझदार व्यक्ति
के स्तर की है। वह कहती है कि मेरे दिमाग में हर समय इच्छाएँ, विचार, आशय तथा डाँट-फटकार
ही चक्कर खाते रहते हैं। गुप्त आवास में रहते हुए ऐन का संपर्क केवल अन्य सात व्यक्तियों
से है। इन सात में से वान-दान दंपति हमेशा उसकी नुक्ता चीनी करते हैं । ऐन की माँ भी
केवल उपदेष्टा बन कर व्यवहार करती है। पीटर से उसका लगाव तो है किन्तु वह घुन्ना किस्म
का व्यक्ति है, जिससे बात करना उसे आसान नहीं लगता । वह प्रकृति के प्रति आकर्षण महसूस
करती है किन्तु उसे भी निहारना निषिद्ध है। ऐसे में उसकी भावनाओं को गंभीरता से समझ
पाने वाला कोई नहीं है। इसी अभाव की पूर्ति ने ही उसे डायरी लेखन का माध्यम चुनने के
लिए विवश किया होगा, ताकि वह अपनी भावना, संवेदना, उदारता व्यक्त कर सके।
08. 'जूझ' कहानी के माध्यम से लेखक ने क्या सीख दी है? 02
उत्तर: आनन्द यादव का उपन्यास जूझ साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत रचना
है
। उपन्यास का प्रस्तुत अंश किशोर-वय लेखक की पढ़ाई के प्रति उसकी संघर्षशीलता को चित्रित
करता है । कथाकार ने इस अंश में ग्रामीण जीवन के संघर्षपूर्ण परिवेश तथा निम्न मध्यवर्गीय
जीवन की यथार्थता का चित्रण किया है। रोटी-कपड़ा-मकान की जद्दोजहद में किसानों-मजदूरों
की समस्याओं का चित्रण इस कहानी का प्रमुख उद्देश्य है।
यह
कहानी किशोरवय लेखक की संघर्ष गाथा द्वारा यह भी प्रतिपादित करना चाहती है कि यदि किशोरों
के अंदर समझ-बूझ, परिवेश को समझने की योग्यता एवं प्रतिभा हो तो प्रतिकूल परिस्थितियों
के बावजूद वह अपने जीवन को सार्थक दिशा दे सकता है।
अथवा
ऐन का परिवार अज्ञातवास में जाने के लिए क्यों मजबूर हुआ?
उत्तर: फ्रैंक परिवार मूलतः फ्रैंकफर्ट शहर का निवासी था। वहाँ से वे हॉलैंड के एम्सटर्डम शहर में आकर बस गये थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान हिटलर की जर्मनी का हालैंड पर कब्जा हो गया था। हिटलर की नस्लवादी नीति ने हॉलैण्ड के अनेक यहूदी परिवारों को प्रभावित किया । फ्रैंक परिवार भी यहूदी था। एक दिन ऐन की बड़ी बहन को ए.एस. एस. का बुलावा आता है। एक सोलह वर्षीय लड़की के लिए ऐसा बुलावा सभी को आतंकित कर देता है। इसीलिए पूरा परिवार तुरंत ही अज्ञातवास में चला गया।