झारखण्ड
शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद राँची (झारखण्ड)
द्वितीय
सावधिक परीक्षा (2021-2022)
प्रतिदर्श प्रश्न पत्र सेट- 01
कक्षा-12 |
विषय- गृह विज्ञान |
समय- 1 घंटा 30 मिनट |
पूर्णांक- 40 |
सामान्य
निर्देश:
»
परीक्षार्थी यथासंभव अपनी ही भाषा-शैली में उत्तर दें।
»
इस प्रश्न-पत्र के खंड हैं। सभी खंड के प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है।
»
सभी प्रश्न के लिए निर्धारित अंक उसके सामने उपांत में अंकित है।
»
प्रश्नों के उत्तर उसके साथ दिए निर्देशों के आलोक
प्रश्न 1. विकास की उदाहरण के साथ परिभाषित करें।
उत्तर-सभी
गुणात्मक पक्षों में वृद्धि को विकास कहते हैं ।
प्रश्न 2. बच्चों के लिए पूरक आहार का महत्व बताइए।
उत्तर-पूरक
आहार : स्तन्यमोचन की प्रक्रिया के अनुसार माता के दूध या ऊपरी दूध के अतिरिक्त जो
भी भोज्य-पदार्थ शिशु को खिलाया जाता है, वह पूरक आहार कहलाता है।
प्रश्न 3. बजट की परिभाषा दीजिए ।
उत्तर-गृहविज्ञान
की दृष्टि में बजट घरेलू आय-व्यय के एक निश्चित अवधि के लिए लिखित विवरण के रूप में
परिभाषित किया जाता है। यह विवरण वस्तुत: वस्तुओं पर खर्च तथा परिवार द्वारा आवश्यक
सामग्री प्रस्तुत करता
प्रश्न 4. समाजीकरण किसे कहते हैं ? बच्चों में यह किस प्रकार होता
है ?
उत्तर-समाज
के अन्य सामान्य व्यक्तियों की तरह रहना तथा समाज द्वारा स्वीकृत व्यवहार तथा अपनी
संस्कृति के बारे में सहजता से चलना समाजीकरण कहलाता है। प्रत्येक समाज के कुछ मानक
(Norms) होते हैं। समाज के इन मानकों को सीखना तथा इनका व्यवहार में प्रयोग करना समाजीकरण
कहलाता है। जब बच्चा इन व्यवहार मानकों को सीखता है तथा इन्हें प्रयोग में लेता है
तब उसका व्यवहार समाज द्वारा मानवीय होता है। बच्चों के समाजीकरण का अर्थ है उन्हें
परिवार व समाज के तरीके, विश्वास, जीवन मूल्य, रीति-रिवाज व परम्पराएँ सिखाना । जब
बच्चा परिवार में रहकर पलता है तो धीरे-धीरे सामाजिक विकास के साथ-साथ वह अपने परिवार
के तरीके, विश्वास, मूल्य, रोति-रिवाज व परम्पराएँ सीखता है।
प्रश्न 5.आहार आयोजन द्वारा ईंधन की बचत कैसे की जा सकती है?
उत्तर-समय,
ऊर्जा व ईंधन की बचत : पहले से आयोजित आहार से एक ही बार में खरीदारी व्यवस्थित रूप
से हो सकती है तथा समय एवं ऊर्जा की बचत हो जाती है। खरीदारी एक ही बार बड़ी मात्रा
में करने से धन भी कम खर्च होता है। भोजन पकाने के सही तरीके अपनाने से ईंधन की बचत
होती है । प्रेशर कुकर का अधिक-से-अधिक प्रयोग
करना चाहिए। एक समय में एक से अधिक पदार्थ बनाने के लिए कुकर के कन्हेंमेंटो का उपयोग
कीजिए। इससे ईंधन की बचत हो सकती है जो अत्यधिक सीमित स्रोत है।
प्रश्न 6. टी.बी. के दो लक्षण बताइए।
उत्तर-(i)
लगातार सूखी खांसी तथा 99-100° तक हल्का ज्वर।
(ii)
धीरे-धीरे शरीर का कमजोर होते चले जाना तथा छाती में दर्द।
(iii)
बाह्य श्वास में माँस के सड़ने जैसी दुर्गन्ध का होना ।
(iv)
कभी-कभी खाँसी के साथ रक्त आना अथवा खून की उल्टी आना।
इसका
रोकथाम के लिए हमें B.C.G. का टीका लगवाना चाहिए तथा रोगी को अन्य स्वस्थ लोगों से
पृथक् रहना चाहिए ताकि उसका रोग अन्य व्यक्तियों को न लगे।
प्रश्न 7. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-उपभोक्ता
संरक्षण अधिनियम : उपभोक्ताओं के हितों की बेहतर रक्षा के लिए सरकार ने एक प्रगतिशील
विस्तारपूर्ण नियम बनाया जिसे "उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम" के नाम से जाना
जाता है। भारत सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम सन् 1986 ई. में पारित किया जो
15 अप्रैल सन् 1987 जम्मू-कश्मीर राज्य को छोड़कर भारत के सभी राज्यों में क्रियान्वित
हुआ ।
प्रश्न 8. प्रत्यक्ष आय और अप्रत्यक्ष आय क्या हैं?
उत्तर-प्रत्यक्ष
वास्तविक आय : सेवाओं के बदले में प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त होनेवाली सुविधाएँ तथा
वस्तुएँ प्रत्यक्ष वास्तविक आय कहलाती हैं । उदाहरण के लिए रहने के लिए घर, टेलीफोन,
यूनिफॉर्म । गाँवों में कई बार जमींदार, भूस्वामी गरीब किसानों को खेत के लिए अपनी
जमीन दे देते हैं तथा बदले में उपज का एक निश्चित हिस्सा ले लेते हैं। यह प्रत्यक्ष
वास्तविक आय का उदाहरण है।
अप्रत्यक्ष
वास्तविक आय : यह आय परिवार के सदस्यों के गुणों द्वारा प्राप्त होती है। किसी विषय-विशेष
का ज्ञान तथा किसी कार्य में निपुणता भी घर में होनेवाले खर्चों की कटौती कर देती है
और इस प्रकार अप्रत्यक्ष रूप से आय प्राप्ति होती है। उदाहरण के लिए गृहिणी का किचन
का ज्ञान, गार्डेन का शौक, सब्जियों में हुए खर्चों की कटौती तो करता ही है साथ ही
परिवार को ताजी तथा पौष्टिक सब्जियाँ भी उपलब्ध कराता है।
प्रश्न 9. बचत क्या है?
उत्तर-परिवार
की कुल आय का वह भाग जो 'वर्तमान' की (Present) आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद आनेवाले
कल (Future) की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बचाकर रखा जाये और देश के विकास हेतु
उत्पाद-कार्यों में लगा दिया जाये, उसे बचत कहते हैं। बचत अर्थात् आवश्यकताएं पूरी
करने के बाद बचा हुआ आय का भाग।
प्रश्न 10. अपने लिए पोशाक खरीदते समय किन बातों पर ध्यान देंगे?
उत्तर-वस्तु
का क्रय करने से पूर्व ध्यान देने योग्य बातें:
(i)
खरीदे जाने वाले वस्त्र का प्रयोजन (purpose) क्या है? क्या यह वस्त्र प्रयोजन के अनुकूल
(suitable) है? जिस प्रयोजन के लिए वस्त्र क्रय किया जा रहा है क्या यह वस्त्र उस आवश्यकता
को पूरा करता है?
(ii)
क्या यही वस्त्र इस प्रयोजन के अतिरिक्त किसी अन्य प्रयोजन के अनुकूल भी है।
(iii)
क्या यह वस्त्र गुणवत्ता तथा टिकाऊपन के दृष्टिकोण से कुछ समय के लिए चलेगा
(quality & durability) या जल्दी ही फट जाएगा?
(iv)
क्या धोने से वस्त्र का रंग हल्का तो नहीं पड़ जाएगा?
(v)
क्या यह वस्त्र सिकुड (Shrink) जाएगा?
(vi)
वस्त्र की संरचना (Texture) कैसी है ?
(vii)
वस्त्र का रख-रखाव (Maintenance) आसान है या नहीं?
(viii)
क्या यह उचित कीमत (Cost) का है ? कहीं ऐसा तो नहीं कि अधिक मूल्य देकर हम नकली वस्तु
(imitation) खरीद रहे हैं।
(ix)
क्या यह वस्त्र मौसम (season) के अनुकूल है ? कहीं यह वस्त्र गर्मियों में गर्म और
सर्दियों में ठंडा तो नहीं रहेगा।
प्रश्न 11. संवेगों के विकास को प्रभावित करनेवाले कारकों के बारे में
लिखें।
उत्तर-संवेगों
के विकास को प्रभावित करनेवाले कारकों में दुःख, क्रोध, भय, ईर्ष्या, समानता, सुख,
हर्ष, स्नेह इत्यादि शामिल हैं। बच्चों की आयु सीमा, आस-पास का वातावरण एवं मनुष्य
भी प्रभावित करते हैं।
प्रश्न 12. प्रतिरक्षा तंत्र किसे कहते हैं ?
उत्तर-दबाव
जीवन का एक अंग है। दबाव न तो एक उद्दीपन और न ही एक अनुक्रिया है बल्कि व्यक्ति एवं
पर्यावरण के मध्य एक सतत् संव्यवहार प्रक्रिया है। जिसके अन्तर्गत व्यक्ति अपने सामाजिक
एवं सांस्कृतिक पर्यावरणों में कार्य-संपादन करता है, संघर्षों का मूल्यांकन करता है
तथा उससे उत्पन्न होनेवाली समस्याओं का सामना करने का प्रयत्न करता है।
अतः
दबाव प्रकारांतर में हमारा प्रतिरक्षा-तंत्र है । दबाव का सामना करने की हमारी योग्यता
इस बात पर निर्भर करती है कि हम दैनिक जीवन की माँगों के प्रति संतुलन करने तथा उनके
संबंध में व्यवहार करने के लिए कितने तैयार हैं तथा अपने जीवन में साम्यावस्था बनाए
रखने के लिए कितने तैयार हैं। ये जीवन कौशल सीखे जा सकते हैं तथा उसमें सुधार स्वयं
की देखभाल के साथ-साथ ऐसी असहायक आदतों जैसे-पूर्णतवादी होना, विलंबन या टालना इत्यादि
से, कुछ ऐसे जीवन-कौशल हैं जिनसे जीवन की चुनौतियों का सामना करने में मदद मिलेगी तथा
ये हमारे प्रतिरक्षा तंत्र हैं।
प्रश्न 13. संज्ञानात्मक चिकित्सा में केन्द्रीय बिन्दु क्या है ?
उत्तर-संज्ञानात्मक
व्यवहार चिकित्सा, सर्वाधिक प्रचारित चिकित्सा पद्धति है। मनोचिकित्सा की प्रभाविता
एवं परिणाम पर किए गए अनुसंधान ने निर्णायक रूप से यह प्रमाणित किया जाता है कि संज्ञानात्मक
व्यवहार चिकित्सा विभिन्न प्रकार के मनोवैज्ञानिक विकरों, जैसे-दुश्चिता, अवसाद, आतंक-दौरा,
सीमावर्ती व्यक्तित्व इत्यादि के लिए एक संक्षिप्त और प्रभावोत्पादक उपचार है। मनोविकृति
रूपरेखा बताने के लिए संज्ञानात्मक व्यवहार चिकित्सा जैव-मनोसामाजिक उपागम का उपयोग
करती है। यह संज्ञानात्मक चिकित्सा को व्यवहारपरक तकनीकों के साथ संयुक्त करती है।
इसमें सेवार्थी के कष्टों का मूल या उद्गम जैविक मनोवैज्ञानिक और सामाजिक क्षेत्रों
में होता है। अतः समस्या के जैविक पक्षों की विश्रांती की विधियों द्वारा मनोवैज्ञानिक
पक्षों को व्यवहार चिकित्सा तथा संज्ञात्मक चिकित्सा तकनीकों द्वारा और सामाजिक पक्षों
को पर्यावरण में परिवर्तन द्वारा संबोधित करने के कारण संज्ञानात्मक व्यवहार चिकित्सा
को एक व्यापक चिकित्सा बनाती है जिसका उपयोग करना आसान है। यह कई प्रकार के विकारों
के लिए प्रयुक्त की जा सकती है तथा जिसकी प्रभावोत्पादकता प्रमाणित हो चुकी है।
प्रश्न 14. बाल अपराध से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-बाल
अपराध का एक प्रमुख कारण उसके माता-पिता तथा अभिभावकों द्वारा उसके भविष्य निर्माण
की दिशा में अपनायी गयी असावधानी एवं उपेक्षा- भाव है।
बाल्यावस्था
में अपने अभिभावकों द्वारा समुचित आत्मीयता तथा मार्गदर्शन के अभाव में बालकों तथा
किशोरों के अन्तस्तल में कुंठा की भावना उत्पन्न होती है। अकसर अत्यधिक लाड़-प्यार
तथा उनके पठन-पाठन पर समुचित ध्यान नहीं दिया जाना भी उन्हें अपराध तथा अन्य समाज विरोधी
गतिविधियों की ओर ले जाता है तथा वे चोरी-डकैती, बलात्कार, अनैतिक यौनाचार, हत्या एवं
अन्य जघन्य अपराधों में लिप्त हो जाते हैं।
बाल्यावस्था
में अभिभावकों द्वारा अपने बालकों तथा किशोरों के भविष्य निर्माण में अपनायी गई लापरवाही
के फलस्वरूप उनमें (नौनिहालों) निम्नांकित मानसिकता विशेष रूप से परिलक्षित होती है-
(1) मानसिक तनाव : वह मानसिक रूप से रूग्ण एवं
पीड़ित रहता है। किसी कार्य में उसके द्वारा दिलचस्पी का अभाव रहता है। इसका परिणाम
यह होता है कि वह अपराध की दुनियाँ में कदम रखता है। किशोरावस्था में इस प्रवृत्ति
का उत्तरोत्तर विकास होता है।
(ii) अपराध-बोध : अपराध-बोध से ग्रस्त होकर वह अनैतिक कार्यों
में एवं भ्रष्ट आचरण में लिप्त हो जाता है। विद्यालय से भाग जाना, पढ़ने-लिखने का कार्य
न करके चोरी-डकैती, लूटपाट, हत्या आदि हिंसात्मक तथा अनैतिक कार्य करना प्रारंभ कर
देता है।
(iii) बहिःकरण विकार तथा आंतरिकीकरण विकार : बहिःकरण
विकार विध्वंसकारी तथा आक्रामक होता है। आंतरिकीकरण विकार बालकों तथा किशोरों में अवसाद,
दुश्चिन्ता, कष्ट तथा अस्वस्थता उत्पन्न करते हैं।
उपरोक्त
तथ्यों के आधार पर आवश्यकता इस बात की है कि बालकों/किशोरों की गतिविधियों पर पर्याप्त
ध्यान रखा जाय तथा उनका समुचित मार्गदर्शन एवं प्रशिक्षण हो, ताकि उनमें कुंठा, क्षोभ,
निराशा तथा उपेक्षित होने का भाव उत्पन्न न हो।
प्रश्न 15. फोबिआ के कारणों का वर्णन करें।
उत्तर-फोबिया अर्थात वुर्भीति : यह विकार एक बहुत ही सामान्य
दुश्चिता विकार है जिसमें व्यक्ति अकारण या अयुक्तिक अथवा विवेकहीन डर अनुभव करता है
। इसमें व्यक्ति कुछ खास प्रकार की वस्तुओं या परिस्थितियों से डरना सीख लेता है, जैसे-जिस
व्यक्ति में मकड़ा से दुर्भीति होती हे वह व्यक्ति वहाँ नहीं जा सकता है, जहाँ भकड़ा
उपस्थित हो जबकि मकड़ा एक ऐसा जीव है जो व्यक्ति-विशेष के लिए खतरा पैदा नहीं करता
है। फिर भी व्यक्ति में दुर्भांति उत्पन्न हो जाने पर सामान्य व्यवहार को विचलित कर
देता है । यद्यपि डरा हुआ व्यक्ति यह जानता है कि उसका डर अयुक्तिक है, फिर भी वह उस
डर से मुक्त नहीं हो पाता है। इसका कारण व्यक्ति का आंतरिक रूप से चिन्तित होना होता
है। व्यक्ति की यह चिन्ता किसी खास वस्तु से अनुकूलित होकर संलग्न हो जाती है । उदाहरणार्थ;
कुछ महत्वपूर्ण दुर्भातियाँ (फोबिया) जैसे-बिल्ली से डर 'एलुरोफोबिया', मकड़ा से डर
“एरेकनोफोबिया', रात्रि से डर- 'नायक्टोफोबिया' तथा आग से डर 'फायरोफोबिया' आदि दुर्भीति
के उदाहरण हैं।
प्रश्न 16. स्वास्थ्य तथा बीमारी को परिभाषित करें।
उत्तर-स्वास्थ्य: किसी व्यक्ति की वह अवस्था जिसमें वह शारीरिक
तथा मानसिक रूप से स्वस्थ होता है, उस अवस्था को उस व्यक्ति का स्वास्थ्य कहते हैं।
बीमारी : किसी मनुष्य की वह अवस्था जिसमें वह शारीरिक
तथा मानसिक रूप से अस्वस्थ होता है तथा उसे शारीरिक अथवा मानसिक कष्ट होता है, उस अवस्था
को बीमारी की अवस्था कहते हैं।
प्रश्न 17. ऊनी वस्त्रों को संग्रह करते समय क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?
उत्तर-(1)
कपड़ों को धोने के उपरान्त उनको ठीक प्रकार ब्रुश करके रखना चाहिए जिससे उनकी धूल निकल
जाए।
(2)
अधिक धूप अथवा प्रकाश में पड़े रहने से वस्त्रों के रंग खराब हो जाते हैं इसलिए ऐसे
वस्त्रों को अधिक समय तक धूप तथा प्रकाश में नहीं रखना चाहिए।
(3)
गर्म कपड़ों को आलमारी में रखने से पहले अखबार के कागज में लपेट देना चाहिए। इससे उनमें
कीड़ा नहीं लगता।
(4)
आलमारी की पूर्ण सफाई होनी चाहिए तथा टूटे-फूटे भागों की मरम्मत होती रहनी चाहिए।
(5)
पालिथिन बैग में मॉथ फ्रूक पाउडर (Moth Proof Powder) या नैपथिलिन की गोलियाँ डालकर
रखनी चाहिए।
प्रश्न 18. खाद्य वर्गों का आहार आयोजन में क्या महत्व है ?
उत्तर-परिवार
के बजट के अनुरूप संतुलित एवं रुचिकर भोजन की प्राप्ति : केवल उचित आहार आयोजन द्वारा
ही गृहिणी अपेक्षित धनराशि में अपने परिवार के सदस्यों को श्रेष्ठ भोजन प्रदान कर सकती
है। इसके लिए गृहिणी सस्ते पौष्टिक खाद्य-पदार्थ, जैसे-सोयाबीन, मूंगफली, सस्ते मौसमी
फल, खाद्य-पदार्थ तथा खाद्य पदार्थों के पौष्टिक मान बढ़ाने की विधियाँ, जैसे-अंकुरों,
खमीरीकरण एवं खाद्य-पदार्थों को मिला-जुलाकर प्रयोग में लाती है।
(i)
एक साथ थोक में समान खरीदने से धन की बचत की जा सकती है
(ii)
मौसमी फल व सब्जियाँ का प्रयोग किया जाना चाहिए।
(iii)
खाद्य संरक्षण द्वारा खाद्य पदार्थों का उनके मौसम न होने पर भी स्वाद लिया जा सकता
है।
प्रश्न 19. बचत खाता से आप क्या समझते हैं ? किन्हीं चार बचत योजनाओं
का वर्णन करें।
उत्तर-बचत
के चार लाभ निम्नलिखित हैं-
(i)
परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने मं, जैसे—स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा, बच्चों की
शादी इत्यादि ।
(ii)
आपातकालीन स्थितियों के लिए जो असामाजिक व आकस्मिक होती हैं; धन की या बचत की आवश्यकता
है।
(iii)
सुरक्षित भविष्य के लिए विशेषकर नौकरी से निवृत्ति तथा वृद्धावस्था में सुखद जीवनयापन
के लिए अधिकतर लोग बचत करते हैं।
(iv) जीवन का स्तर ऊँचा रखने के लिए, जैसे—कार, कम्प्यूटर, एअर कण्डीशनर इत्यादि । लगातार बचत करके ये वस्तुएँ खरीदी जा सकती हैं।