झारखंड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्, राँची (झारखंड)
Jharkhand Council of Educational Research and Training, Ranchi
(Jharkhand)
द्वितीय सावधिक परीक्षा - 2021 2022
Second Terminal Examination - 2021-2022
मॉडल प्रश्नपत्र
Model Question Paper
सेट-2 (Set-2)
वर्ग- 11 | विषय- इतिहास | पूर्णांक-40 | समय - 1:30 घंटे |
सामान्यनिर्देश (General Instructions) -
→ परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में उत्तर दीजिए |
→ कुल प्रश्नों की संख्या 19 है।
→ प्रश्न संख्या 1 से प्रश्न संख्या 7 तक अति लघुत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर अधिकतम एक वाक्य में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 2 अंक निर्धारित है।
→ प्रश्न संख्या 8 से प्रश्न संख्या 14 तक लघुत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं 5 प्रश्नों के उत्तर अधिकतम 50 शब्दों में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 3 अंक निर्धारित है।
→ प्रश्न संख्या 15 से प्रश्न संख्या 19 तक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर अधिकतम 150 शब्दों में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 5 अंक निर्धारित है।
अतिलघुउतरीय
1.मार्टिन लूथर
द्वारा पंचानवे थिसिस की रचना कब हुई ?
उत्तर: 31 अक्टूबर, 1517
2. इग्नेशियस
लोयोला ने सोसाईटी ऑफ जीसस नामक संस्था की स्थापना कब की ?
उत्तर: 31 जुलाई 1540
3. किस पेड़ के
नाम पर ब्राजील देश का नाम पड़ा?
उत्तर: ‘ब्रासिल’ (रेडवुड)
वृक्ष
4. इंका सभ्यता
की राजधानी कहाँ थी?
उत्तर: कुस्को(कुज़्को)
5. ब्रिटेन में
प्रथम औद्योगिक क्रांति कब हुई?
उत्तर: 1780 से 1850 के दशक
में
6. लुडिज्म आंदोलन
कब हुआ?
उत्तर: 1811 से 1817 के बीच
हुआ था।
7. आधुनिक चीन
के संस्थापक कौन थे?
उत्तर: डा. सनयात सेन (सुन-यत-सेन)
लघुउतरीय प्रश्न
8. पाप स्वीकारोक्ति
नामक दस्तावेज क्या थी?
उत्तर: 'पाप स्वीकारोक्ति पत्र'
की बिक्री सबसे पहले जर्मनी के बिटेनबर्ग शहर में की गई थी। यूरोप में उस समय पर पोप
को ईश्वर का प्रतिनिधि माना जाता था। उस काल में यूरोप में चर्चों का आधिपत्य होता
था। पोप ने अत्याधिक धन संग्रह करने के उद्देश्य से उस समय क्षमा पत्रों या पाप स्वीकारोक्ति
पत्रों को अपने पादरियों द्वारा जनता में बिकवाना शुरू कर दिया। पाप स्वीकारोक्ति पत्र
की बिक्री सबसे 1817 में हुई जर्मनी के बिटेनबर्ग शहर में शुरू हुई जब पोप का एक प्रतिनिधि
'टेटजेल' ने बिटेनबर्ग सबसे पहले पाप स्वीकारोक्ति पत्रों की बिक्री का आरंभ किया।
पोप के आदेशनुसार इन पत्रों को खरीदने वाला अपने पापों से मुक्त हो जाया करता था और
मृत्यु के बाद उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती थी। तब उस समय मार्टिन लूथर किंग ने इन
पत्रों का विरोध किया।
9. एजटेक और
मेसोपोटामियांई लोगों की सभ्यता की तुलना कीजिए ?
उत्तर: एजटेक और मेसोपोटामियाई
लोगों की सभ्यता की तुलना निम्नलिखित तथ्यों के आधार पर की जा सकती है
1. एजटेक सभ्यता के लोगों को कृषि का ज्ञान तो था परन्तु
पशुपालन का ज्ञान नहीं था। मेसोपोटामिया के लोग कृषि और पशुपालन दोनों करते थे।
2. एजटेक सभ्यता के लोगों की
भाषा नाहुआट थी। उन्होंने चित्रात्मक ढंग से इतिहास की घटनाओं का अभिलेखों के रूप में
वर्णन किया है। मेसोपोटामिया के लोग कलाकार लिपि का प्रयोग करते थे। एक प्रकार से यह
भी चित्रात्मक लिपि थी।
3. एजटेक सभ्यता वालों के पंचांग
के अनुसार एक वर्ष में 260 दिन होते थे। उनका पंचांग धार्मिक समारोहों से जुड़ा था।
मेसोपोटामिया वालों ने चन्द्रमा पर एक पंचांग का निर्माण किया। उसमें 30-30 दिनों के
बारह महीने होते थे।
4. एजटेक सभ्यता के समान मेसोपोटामिया का समाज भी अनेक
वर्गों में विभाजित था।
10. किन कारणों
से स्पेन और पुर्तगाल ने 15वीं शताब्दी में सबसे पहले अटलांटिक महासागर के पार जाने
का साहस किया?
उत्तर: स्पेन और पुर्तगाल ने
ही पंद्रहवी शताब्दी में सबसे पहले अटलांटिक महासागर के पार जाने का साहस किया। इसके
प्रमुख कारण निम्नलिखित थे
1. स्पेन और पुर्तगाल की भौगोलिक
स्थिति ने उन्हें अटलांटिक पारगमन की प्रेरणा दी। इन देशों का अटलांटिक महासागर पर
स्थित होना उनके लिए अटलांटिक पारगमन का प्रथम महत्त्वपूर्ण कारण था।
2. एक स्वतंत्र राज्य बनने
के बाद पुर्तगाल ने मछुवाही एवं नौकायन के क्षेत्र में विशेष प्रवीणता प्राप्त कर ली।
पुर्तगाली मछुआरे एवं नाविक अत्यधिक साहसी थे और उनकी सामुद्रिक यात्राओं में विशेष
अभिरुचि भी थी।
3. पुर्तगाली शासक प्रिन्स
हेनरी वस्तुतः 'नाविक हेनरी' के नाम से प्रसिद्ध थे। उन्होंने नाविकों को जलमार्गों
द्वारा नए-नए स्थानों की खोज के लिए प्रोत्साहित किया। उसने पश्चिमी अफ्रीकी देशों
की यात्रा की तथा 1415 ई० में सिरश पर हमला किया। तत्पश्चात् पुर्तगालियों ने अनेक
अभियान आयोजित करके अफ्रीका के बोजाडोर अंतरीप में अपना व्यापार केंद्र स्थापित किया।
इसके अतिरिक्त उन्होंने नाविकों के प्रशिक्षण के लिए एक प्रशिक्षण स्कूल की भी स्थापना
की। परिणामतः 1487 ई० में पुर्तगाली नाविक कोविल्हम ने भारत के मालाबार तट पर पहुँचने
में सफलता प्राप्त की।
4. इसी प्रकार स्पेनवासियों
ने नाविक कोलंबस को भारत की खोज के लिए धन से यथासंभव सहायता की। नि:संदेह कोलबंस ने
अटलांटिक सागर से होकर भारत पहुँचने का प्रयास किया, परंतु संयोगवश वह अमरीका की खोज
करने में समर्थ हो गया।
5. 15वीं शताब्दी के अंत तक
स्पेन ने यूरोप की सर्वाधिक महान सामुद्रिक शक्ति होने का गौरव प्राप्त कर लिया था।
अंतः सोने-चाँदी के रूप में अपार धन-संपत्ति प्राप्त करने के उद्देश्य से उसमें बढ़-चढ़कर
अटलांटिक पारगमन यात्राओं में भाग लिया।
6. पोप के आशीर्वाद ने भी स्पेन
और पुर्तगाल को अटलांटिक पारगमन यात्राओं की प्रेरणा दी। इसका कारण यह था कि इस दौरान
जर्मनी और इंग्लैंड जैसे देश प्रोटेस्टेंट धर्म को अपनाकर पोप के विरोधी बन चुके थे।
अतः पोप का आशीर्वाद स्पेन और पुर्तगाल के साथ था।
11. नहर और रेलवे
परिवहन के सापेक्षिक लाभ क्या-क्या है ?
उत्तर: नहर तथा रेलवे परिवहन
के सापेक्षिक लाभ निम्नलिखित हैं
नहरों के सापेक्षिक लाभ
1. नहरों द्वारा खानों से कोयले
और लोहे जैसे भारी पदार्थों को कारखानों तक ले जाना काफी सरल हो गया है।
2. नहरों द्वारा माल का आयात
व निर्यात सबसे सस्ता पड़ता था।
3. बड़े-बड़े नगरों को जब इन
नहरों से मिला दिया गया तो शहरवासियों को सस्ते परिवहन भी उपलब्ध हुए।
4. अन्य साधनों की अपेक्षाकृत
नहरों द्वारा की जाने वाली यात्रा में कम समय लगता था।
रेलवे परिवहन के सापेक्षिक
लाभ
1. इंग्लैंड के औद्योगीकरण
में रेलवे का काफी सराहनीय योगदान रहा है।
2. रेल परिवहन से पूर्व यात्रियों
को नहरों में यातायात के साधनों से यात्रा करते समय अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता
था। उन्हें उन परेशानियों से छुटकारा मिल गया। रेल की गति नहर के यातायात की साधनों
की अपेक्षा तीव्र थी और उस पर बाढ़, सूखे या तूफान का प्रभाव नहीं पड़ता था ।
3. रेल संचार का सबसे सस्ता
व सरल साधन है जिससे लोगों को यात्रा करने में आराम हो गया।
12. मेज पुनस्थार्पना
से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: जापान में मेईजी पुनर्स्थापन
उन्नीसवीं सदी में जापान में घटित एक घटनाक्रम था, जिससे जापान के राजनैतिक और सामाजिक
वातावरण में महत्त्वपूर्ण बदलाव आए, जिनसे जापान तेज़ी से आर्थिक, औद्योगिक तथा सैन्य
विकास की ओर बढ़ने लगा। इस क्रांति द्वारा सैद्धांतिक रूप से सम्राट की सत्ता को पुनः
स्थापित किया गया तथा नए सम्राट ने ‘मेइजी’ की उपाधि धारण की।
पश्चिम की सामुद्रिक शक्तियों
से व्यापारिक संबंधों की नयी नीति नवीन जापान के उदय की द्योतक थी। 1868 में जापान
में तोकूगावा शोगुनों की शक्ति का अंत हुआ और अभी तक निष्क्रिय रहे जापान के सम्राट
ने राजशक्ति को अपने हाथ में ले लिया। जापान के जिस सम्राट के शासनकाल में यह महत्त्वपूर्ण
परिवर्तन हुआ उसका नाम मुत्सुहितो था। वह 1867 में सिंहासना रूढ़ हुआ था। उसने
1868 में मेईजी (प्रकाशपूर्ण शांति) की उपाधि धारण की। सत्ता परिवर्तन की इस घटना को
जापान के इतिहास में ‘मेईजी ईशीन‘ अथवा ‘मेईजी पुनर्स्थापना’ के नाम से जाना जाता है
13. 1911ई. की
चीनी क्रांति के क्या कारण थे?
उत्तर: 1911 ई0 की चीनी क्रांति
के मुख्य कारण :
1. मंचू राजवंश की दुर्बलता.
2. पाश्चात्य जगत से संपर्क
चीनी क्रांति का एक प्रमुख कारण था ।
3. चीन की क्रांति का एक प्रमुख
कारण आर्थिक दुर्दशा भी था। चीन की आबादी बड़ी तेजी से बढ़ रही थी किंतु सरकार उसके
भोजन के इंतजाम करने में असमर्थ थी। देश में जो खाद्य सामग्री उत्पन्न होती थी। वह
जनता के लिए पर्याप्त नहीं थी।
14. पुनर्जागरण
के प्रमुख प्रभाव का उल्लेख करें?
उत्तर: पुनर्जागरण के प्रमुख
प्रभावः
1. पुनर्जागरण एक ऐसा आंदोलन
था जिसके द्वारा यूरोप महाद्वीप के देश पुराने विचारों को छोड़कर आधुनिक विचारों को
अपनाने लगे थे |
2. आधुनिक विचार के साथ जीवन
शैली में बदलाव आया |
3. पुराने अंधविश्वास और सामाजिक
बुराइयों का अंत हुआ।
4. शिक्षा र ज्ञान का प्रसार
हो रहा था।
दीर्घउतरीय प्रश्न
15. धर्म सुधार
आंदोलन का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर: धर्म सुधार आन्दोलन
के प्रभाव
1. राजनीतिक
परिणाम:
इसने यूरोप में राष्ट्रीयता की भावना को प्रोतसाहन दिया और राजाओं की निरंकुश सत्ता
को मान्यता दे दी। फ्रांस तथा स्पेन को छोड़ कर यूरोप के अधिकांश देशों में प्रोटेस्टैण्ट
धर्म की स्थापना हुई। कैथोलिकों तथा प्रोटेस्टैण्टों के बीच धर्म के नाम पर तीस वर्षीय
(1618 1648 ई०) युद्ध हुआ।
2. धार्मिक परिणाम: इस
आन्दोलन ने यूरोप के ईसाई देशों की एकता नष्ट कर दी। ‘ईसाई जगत’ शब्द का नामोनिशान
मिट गया। इंग्लैण्ड, स्कॉटलैण्ड, उत्तरी जर्मनी, डेनमार्क, नावें, स्वीडन, नीदरलैण्ड
के कुछ प्रदेश रोम के चर्च से अलग हो गए। यूरोप में धार्मिक सहिष्णुता और वैयक्तिक
नैतिकता का उदय हुआ। ईसाई धर्म में तीन सम्प्रदायों का जन्म हुआ—लूथर का सम्प्रदाय
‘लूथेरियन’, ‘ज्विगली’ को सम्प्रदाय ‘विगलीयन’ और काल्विन का सम्प्रदाय ‘प्रेसविटेरियन’।
3. आर्थिक परिणाम:
इस आन्दोलन ने यूरोप की अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित किया। रोमन चर्च ने सूदखोरी
को अनैतिज और अधार्मिक बताया था, लेकिन प्रोटेस्टेण्ट सम्प्रदाय ने इसे कानूनी घोषित कर दिया। इससे यूरोप में पूँजीवाद
का विकास और व्यापार में वृद्धि हुई।
4. राष्ट्रीय
भाषा व साहित्य का विकास: धर्म सुधार आन्दोलन ने राष्ट्रीय भाषा
तथा साहित्य के विकास को प्रोत्साहन दिया। लूथर ने ‘बाइबिल’ का अनुवाद जर्मन भाषा में
करके लैटिन भाषा के महत्त्व को कम कर दिया। अब धार्मिक साहित्य राष्ट्रीय भाषाओं में
अनुवादित तथा प्रकाशित होने लगा।
5. धर्म सुधार
विरोधी आन्दोलन: धर्म सुधार आन्दोलनों ने ‘धर्म सुधार विरोधी
आन्दोलन (Counter Reformation) को जन्म दिया। इस धर्म सुधार विरोधी आन्दोलन के फलस्वरूप
कैथोलिक धर्म में अनेक सुधार किए गए तथा रोमन चर्च के दोषों को दूर करने का प्रयत्न
किया गया। इससे प्रोटेस्टेण्ट धर्म की प्रगति रुक गई। इस प्रकार धर्म सुधार आन्दोलन
एक महत्त्वपूर्ण घटना थी। उसने यूरोप के राजनीतिक, आर्थिक और धार्मिक जीवन को प्रभावित
किया। वास्तव में पुनर्जागरण और धर्म सुधार आन्दोलन विश्व-इतिहास की युगान्तरकारी घटनाएँ
सिद्ध हुईं। इसके साथ ही मध्य युग का अन्त और आधुनिक युग का आगमन हुआ।
16. ऐसे कौन
से कारण थे जिनसे 15वीं शताब्दी में यूरोपीय नौचालन को सहायता मिली?
उत्तर: 15वीं शताब्दी में शुरू
की गई यूरोपीय समुद्री यात्राओं ने एक महासागर को दूसरे महासागर से जोड़ने के लिए समुद्री
मार्ग खोल दिए। सन् 1380 में ही दिशासूचक यंत्र का निर्माण हो चुका था। इस दिशासूचक
यंत्र के माध्यम से यूरोपवासियों ने नए-नए क्षेत्रों की ठीक-ठीक जानकारी प्राप्त की।
इसके अतिरिक्त यात्रा के साहित्य और विश्व - वृत्तांत वे भूगोल पर लिखी पुस्तकों ने
पंद्रहवी शताब्दी में अमरीका महाद्वीप के बारे में यूरोपवासियों के दिलों में रुचि
उत्पन्न कर दी। स्पेन और पुर्तगाल के शासक इन नए क्षेत्रों की खोजों के लिए धन देने
को तैयार थे और ऐसा करने के लिए उनके आर्थिक, धार्मिक तथा राजनीतिक उद्देश्य भी थे।
इस प्रकार 15वीं शताब्दी में यूरोपीय नौ- संचालन को सहायता देने वाले कारण निम्नलिखित
थे
1. यूरोप महाद्वीप के बहुत
से लोग जैसे पुर्तगाल एवं स्पेन के निवासी एवं उनके शासक दूसरे देशों से सोना और चाँदी
प्राप्त करके विश्व के सबसे अमीर लोग बनना चाहते थे। इसका कारण था कि प्लेग और युद्धों
के कारण जनसंख्या में अत्यधिक कमी आई और व्यापार में मंदी आ गई थी।
2. संसार के कुछ देशों के वासी
अपनी ख्याति एवं प्रसिद्धि दुनिया के लोगों के सामने रखना चाहते थे और ऐसा करने के
लिए वे अनेक समुद्री यात्राओं पर निकल पड़े।
3. यूरोप के ईसाई अधिक-से-अधिक
लोगों को अपने धर्म में परिवर्तित करने के लिए दूर-दूर के देशों की यात्राएँ करने को
तैयार थे। धर्मयुद्धों के परिणामस्वरूप एशिया के साथ व्यापार में वृद्धि हुई। ऐसा समझा
जाता था कि व्यापार के समानांतर यूरोपीय लोगों का इन देशों में राजनीतिक नियंत्रण स्थापित
हो जाएगा तथा वे इन गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में अपनी बस्तियाँ स्थापित कर लेंगे।
इस प्रकार बाहरी दुनिया के
लोगों को ईसाई बनाने की संभावना ने भी यूरोप के धर्मपरायण ईसाइयों को यूरोपीय नौसंचालन
कार्यों की ओर उन्मुख किया।
17. दक्षिणी
अमेरिका की खोज ने यूरोपीय उपनिवेशवाद के विकास को जन्म दिया, कैसे ?
उत्तर: दक्षिणी अमेरिका की
खोज ने यूरोपीय उपनिवेशवाद के विकास को निम्न कारणों से जन्म दिया
1. दक्षिणी अमरीका की खोज से
पुर्तगाल और स्पेन को भारी मात्रा में सोने-चाँदी की प्राप्ति हुई। इसे देखकर फ्रांस,
इंग्लैंड, हॉलैंड और इटली जैसे देश आश्चर्यचकित रह गए। फलतः ये देश भी अमरीकी महाद्वीपों
में अपनी-अपनी बस्तियाँ बनाने के लिए प्रयास करने लगे। इस प्रकार उपनिवेशवाद और वहाँ
का प्राकृतिक दोहन करने के दौर में विश्व के अनेक देश सम्मिलित हो गए।
2. इस क्रम में स्पेन ने मध्य
और दक्षिणी अमरीका के अनेक हिस्सों पर तथा फ्लोरिडा एवं आधुनिक संयुक्त राज्य अमरीका
के दक्षिणी- पश्चिमी हिस्सों पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया। पुर्तगाल ने ब्राजील
पर अधिकार कर लिया । इंग्लैंड ने अटलांटिक सागर की तटवर्ती तेरह बस्तियों, कैरीबियन
सागर के कुछ टापुओं तथा मध्य अमरीका में ब्रिटिश होडुरास पर अपना प्रभुत्व कायम कर
लिया। हॉलैंड ने उत्तरी अमरीका की हडसन घाटी तथा कैरीबियन के कुछ द्वीपों सहित गुयाना
पर अपना नियंत्रण स्थापित किया। उपनिवेशवाद की दौड़ में स्वीडन भी पीछे नहीं था। उसने
भी उत्तरी अमरीका की प्रसिद्ध घाटी दिलावरे नदी की घाटी पर अपना अधिकार जमा लिया।
3. अमरीका की खोज यूरोपीय देशों
के लिए आर्थिक दृष्टिकोण से काफी सकारात्मक रही। इन देशों में सोने- चाँदी की बाढ-
सी आ गई। फलतः अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और औद्योगीकरण को काफी बढ़ावा मिला। 1560 ई०
से लगभग 40 वर्षों तक सैकड़ों जहाज निरंतर दक्षिणी अमरीका की खानों से चाँदी स्पेन
लाते रहे। औद्योगिकीकरण के विस्तार से यूरोपीय कारखानों द्वारा भारी मात्रा में उत्पाद
तैयार किया जाने लगा। जिसे बेचने के लिए नए- नए बाजारों की आवश्यकता महसूस की जाने
लगी। इससे भी उपनिवेशवाद को काफी प्रोत्साहन मिला। परिणामस्वरूप विश्व के सभी समृद्ध
देश उपनिवेशवाद की दौड़ में शामिल हो गए। बहुत जल्द ही अफ्रीका और एशिया के अनेक देश
विभिन्न यूरोपीय शक्तियों के उपनिवेश बन गए।
18. विश्व के
भिन्न-भिन्न देशों में रेलवे आ जाने से वहाँ के जन जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा। तुलनात्मक
विवेचना कीजिए?
उत्तर: विश्व के भिन्न-भिन्न
देशों में रेलवे आ जाने से वहाँ के जन जीवन पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ा
1. रेलवे के आ जाने से जहाँ
साम्राज्यवादी राष्ट्रों के कारखानों के लिए कच्चे माल तथा खाद्य सामग्रियों की आपूर्ति
होने लगी वहीं गुलाम देशों को इन साम्राज्यवादी ताकतों द्वारा और भी अधिक शोषण किया
जाने लगा। फलतः उनकी अर्थव्यवस्था एकदम चरमरा गई।
2. रेलवे के विकास के कारण
जहाँ साम्राज्यवादी देशों के लोग धनवान होते गए वहीं पर उसके कारण उपनिवेशी देशों की
जनता बेकार और गरीब होती चली गई।
3. रेलवे के विकास के फलस्वरूप
साम्राज्यवादी शक्तियों को विशेष रूप से लाभ मिला क्योंकि उनका तैयार माल तेजी से अपने
औपनिवेशिक क्षेत्रों में पहँचने लगा और उन्हें अधिकाधिक लाभ मिलने लगा। किन्तु इसके
फलस्वरूप औपनिवेशिक राष्ट्रों के ऊपर बहुत दुष्प्रभाव पड़ा। वहाँ पर निर्धनता, शोषण
व भुखमरी चारों तरफ फैल गई।
4. रेलवे का विकास खासकर साम्राज्यवादी
शक्तियों के लिए लाभप्रद रहा क्योंकि इससे उन्हें कच्चे माल को ले जाने और तैयार माल
को अपने अधीन राष्ट्रों में खपत करने का पूरा-पूरा अवसर मिलने लगा। औपनिवेशिक राष्ट्रों
में रेलवे का निर्माण साम्राज्यवादी शक्तियों ने अपने हितों की पूर्ति के लिए किया
था।
5. साम्राज्यवादी शक्तियों
द्वारा स्वतंत्र किए जाने पर अब रेलवे के विकास का लाभ उन राष्ट्रों को भी मिलने लगा
है जो सदियों से इसके लाभों से वंचित रह गए थे। अब उन राष्ट्रों की सरकारों को रेलवे
से अत्यधिक आय हो रही है।
6. रेलों के निर्माण से साम्राज्यवादी
देशों ने बाहरी आक्रमणों तथा आंतरिक विद्रोहों का सुगमता से मुकाबला किया। इसका कारण
यह था कि फौजों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से ले जाया जा सकता था जबकि राष्ट्रीय
भावना से ओत-प्रोत आंदोलनकारियों के लिए यह विकास प्रतिक्रियावादी था।
7. भारत जैसे औपनिवेशिक राष्ट्र
के लिए रेलवे का बड़ा ही महत्त्व है। इसकी सहायता से देश में राजनीतिक चेतना जागी।
अब उपनिवेशों के विभिन्न भागों में रहने वाले लोगों के मध्य विचारों का संचार आसानी
से होने लगा था जबकि यह संचार उपनिवेशवाद के लिए घातक था।
8. रेलवे के निर्माण से औपनिवेशिक
राष्ट्रों को आर्थिक रूप से लाभ पहुँचा। इससे इन राष्ट्रों के व्यापार में वृद्धि हुई।
हम कह सकते हैं कि उनका आंतरिक व्यापार चमक उठा जबकि उपनिवेशों का देशी व्यापार छिन्न-भिन्न
हो गया।
9. रेलों ने उपनिवेशों में
आधुनिक उद्योगों को प्रोत्साहित किया। भारत जैसे उपनिवेश में रेलवे द्वारा सभी आंतरिक
। प्रमुख बंदरगाहों को जुड़ने का अवसर मिला। फलतः देश के विभिन्न भागों में आधुनिक
उद्योगों की स्थापना होने लगी।
10. उपनिवेशों में रेलों के
आगमन से अकालों की भीषणता को कम करने में सहायता मिली। इसकी सहायता से अभावग्रस्त एवं
अकालग्रस्त क्षेत्रों में खाद्यान्न एवं अन्य आवश्यक वस्तुएँ शीघ्रतापूर्वक पहुँचाई
जा सकती थीं तथा समय रहते उचित कार्यवाही भी की जा सकती थी।
19. जापान के
विकास के साथ-साथ वहाँ की रोजमर्रा की जिंदगी में किस तरह बदलाव आये?
उत्तर: जापान का एक आधुनिक
समाज में बदलाव रोजाना की जिंदगी में आए परिवर्तनों में भी देखा जा सकता है। परिवार
व्यवस्था में कई पीढ़ियाँ परिवार के मुखिया के नियंत्रण में रहती थीं लेकिन जैसे-जैसे
लोग समृद्ध एवं संपन्न हुए, परिवारों के संदर्भ में नये विचार फैलने लगे। नया घर (जिसे
जापानी अंग्रेजी शब्द का इस्तेमाल करते हुए होम कहते हैं) का संबंध मूल परिवार से था,
जहाँ पति-पत्नी साथ रहकर कमाते हैं और घर बसाते हैं। पारिवारिक जीवन की इस नयी समझ
ने नए तरह के घरेलू उत्पादों, नए किस्म के पारिवारिक मनोरंजन और नए प्रकार की माँग
पैदा की। 1920 के दशक में निर्माण कम्पनियों द्वारा शुरू में 200 येन देने के बाद लगातार
10 साल के लिए 12 येन प्रति माह की किस्तों पर लोगों को सस्ते मकान उपलब्ध कराए गए।
यह एक ऐसे समय में जब एक बैंक कर्मचारी ( उच्च शिक्षा प्राप्त व्यक्ति) की मासिक आय
40 येन प्रति मास थी।
जापान के विकास के साथ-साथ
नवीन घरेलू उत्पादों, जैसे कुकर टोस्टर आदि का प्रयोग होने लगा। आधुनिकता के प्रसार
ने नवीन मध्यमवर्गीय परिवारों को प्रभावित किया। ट्रामों के आने से आवागमन की गतिविधियाँ
आसान हो गईं। मनोरंजन के नए-नए साधनों का आविष्कार हुआ। 1899 ई० में फिल्मों का निर्माण
होने लगा। सन् 1925 ई० में पहला रेडियो स्टेशन खोला गया।