झारखंड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्, राँची (झारखंड)
Jharkhand Council of Educational Research and Training, Ranchi
(Jharkhand)
द्वितीय सावधिक परीक्षा - 2021 2022
Second Terminal Examination - 2021-2022
मॉडल प्रश्नपत्र
Model Question Paper
सेट-3 (Set-3)
वर्ग- 11 | विषय- इतिहास | पूर्णांक-40 | समय - 1:30 घंटे |
सामान्यनिर्देश (General Instructions) -
→ परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में उत्तर दीजिए |
→ कुल प्रश्नों की संख्या 19 है।
→ प्रश्न संख्या 1 से प्रश्न संख्या 7 तक अति लघुत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर अधिकतम एक वाक्य में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 2 अंक निर्धारित है।
→ प्रश्न संख्या 8 से प्रश्न संख्या 14 तक लघुत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं 5 प्रश्नों के उत्तर अधिकतम 50 शब्दों में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 3 अंक निर्धारित है।
→ प्रश्न संख्या 15 से प्रश्न संख्या 19 तक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर अधिकतम 150 शब्दों में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 5 अंक निर्धारित है।
अतिलघुउतरीय
1. सेल्जुक तुर्कों
ने कुस्तुनतुनिया पर कब अधिकार किया?
उत्तर: 29 मई 1453
2. छापाखाना
का आविष्कार किसने किया था ?
उत्तर: योहानेस गुटेनबर्ग
(1440)
3. ब्रिटिश ईस्ट
इंडिया कम्पनी की स्थापना कब हुई?
उत्तर: 31 दिसम्बर 1600 ईस्वी
4. वास्कोडिगामा
कालीकट कब पहुँचा था?
उत्तर: 20 मई 1498
5. फ्लाइंग शटल
का आविष्कार किसने किया था?
उत्तर: जॉन के(1733 ई.)
6. कताई मशीन
का आविष्कार किसने किया था?
उत्तर: जेम्स हरग्रीव्ज
(1764)
7. चीनी कम्युनिस्ट
पार्टी की स्थापना कब हुई थी?
उत्तर: 23 जुलाई 1921 ई०
लघुउतरीय प्रश्न
8. पुनर्जागरण
से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर: पुनर्जागरण का शाब्दिक
अर्थ होता है, “फिर से जागना”। 14वीं और 17वीं सदी के बीच यूरोप में जो सांस्कृतिक
व धार्मिक प्रगति, आंदोलन तथा युद्ध हुए उन्हें ही पुनर्जागरण कहा जाता है। इसके फलस्वरूप
जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में नवीन चेतना आई।
9. कोपरनिकस
क्रांति क्या थी?
उत्तर: कोपरनिकस क्रांति था
बदलाव से टॉलेमी मॉडल आकाश के, जो होने के रूप में ब्रह्मांड वर्णित पृथ्वी , ब्रह्मांड
के केंद्र में स्थिर करने के लिए सूर्य केन्द्रित मॉडल के साथ सूर्य के केंद्र में
सौर प्रणाली । इस क्रांति में दो चरण शामिल थे; पहली प्रकृति में अत्यंत गणितीय और
दूसरा चरण 1610 में गैलीलियो द्वारा एक पुस्तिका के प्रकाशन के साथ शुरू हुआ । निकोलस
कोपरनिकस के डी रिवोल्यूशनिबस ऑर्बियम कोएलेस्टियम के प्रकाशन के साथ शुरुआत,
"क्रांति" में योगदान एक सदी से भी अधिक समय बाद आइजैक न्यूटन के काम के
साथ समाप्त होने तक जारी रहा ।
10. कौन सी नई
खाद्य वस्तुएँ अमेरिका से बाकी दुनिया में भेजी जाती थी ?
उत्तर: मक्का ,कसावा, कुमाला
,आलू , शकरकंद आदि खाद्य खाद्य वस्तुएँ दक्षिणी अमरीका से बाकी दुनिया में भेजी जाती
थीं।
11. मध्य और
दक्षिणी अमेरिका की संस्कृति यूरोपीय संस्कृति से किस प्रकार भिन्न थी ?
उत्तर: (i) मध्य अमेरिका एवं
द० अमेरिका के लोग अपने सीमा क्षेत्र में रहे
ना कि संस्कृति की भाँति
उपनिवेश की स्थापना किते।
(ii) मध्य अमेरिका एवं द० अमेरिका
के लोग बुनाई कला में यूरोपियों की तुलना में
काफी रुचि रखते थे।
(iii) ये लोग काफी सादगी जीवन
जी रहे थे, जबकि यूरोप काफी चमक-धमक से जीवन जीते थे।
(iv) यहां के लोग खान, कृषि
पशुपालन में काम करते थे जबकि यूरोप के लोग औधोगिक क्षेत्रों से ज्यादा जुड़ रहे थे।
(iv)
मध्य
अमेरिका एवं द० अमेरिका संस्कृति के लोग यूरोप के आगमन से पहले होना के बारे में नहीं
जानते थे जबकि यूरोपीय सी की खोज करते रहते थे।
12. ब्रिटेन
के औद्योगीकरण के स्वरूप पर कच्चे माल की आपूर्ति का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर: ब्रिटेन के औद्योगीकरण
के स्वरूप-कच्चे माल की आपूर्ति का बहुत प्रभाव पड़ा इसके अंतर्गत, विश्व के किसी भी
औद्योगीकरण देश को अपने कारखाने को चलाने के लिए कच्चे माल की जरूरत होती है। यदि उस
देश में कच्चे माल की कमी है तो उसकी आपूर्ति दूसरे देशों से आयात करके की जा सकती
है। ब्रिटेन में लोहे व कोयले की खानें पर्याप्त मात्रा में थीं जिसकी वजह से उसके
लिए लोहा और इस्पात से बनने वाली मशीनों के निर्माण में बहुत सहायता मिलीं। फलत: लौह
उद्योग के क्षेत्र में वह अग्रणी देश बन गया। वस्त्र उद्योग ब्रिटेन का दूसरा प्रमुख
उद्योग था। उद्योग के लिए कच्चे माल के रूप में कपास की जरूरत थी। वैसे तो इंग्लैंड
में उपनिवेशों के स्थापित होने से पूर्व भी कपड़ा बुनने का काम होता था, परन्तु बहुत
सीमित रूप से। इंग्लैंड को पर्याप्त मात्रा में कपास उपनिवेशों के स्थापित होने के
बाद आसानी से उपलब्ध होने लगी। भारत से विशेष रूप से प्रतिवर्ष रुई की हजारों गाँठे
इंग्लैंड पहुँचती थीं। इंग्लैंड के सूती वस्त्र उद्योग का अस्तित्व भारत से पहुँचने
वाली रुई की गाँठों पर निर्भर था। रेलवे निर्माण एवं जहाज निर्माण भी इंग्लैंड का एक
महत्वपूर्ण उद्योग था। हालाँकि इन उद्योगों के लिए उत्तम कोटि की लकड़ी की आवश्यकता
थी। उसे उत्तम कोटि की लकड़ी भारत और अमरीकी बस्तियों से मिलती थी। यदि इन दोनों स्थानों
से उत्तम लकड़ी नहीं मिलती तो संभवत: जहाज निर्माण एवं रेलवे निर्माण उद्योग का उल्लेखनीय
विकास न हो पाता। यह स्पष्ट हो जाता है कि ब्रिटेन के औद्योगिकीकरण के स्वरूप पर कच्चे
माल की आपूर्ति का पर्याप्त प्रभाव हुआ।
13. ब्रिटेन
में स्त्रियों के भिन्न-भिन्न वर्गों के जीवन पर औद्योगिक क्रांति का क्या-क्या प्रभाव
पड़ा?
उत्तर: औद्योगिक क्रांति का
निम्नलिखित प्रभाव पड़ा :
1. औद्योगीकरण के कारण ब्रिटेन
में पुरुष श्रमिकों के साथ स्त्रियों एवं बच्चों की भी हालत और ज्यादा खराब हो गई।
2. उद्योगपति, स्त्रियों को
पुरुषों की अपेक्षा शीघ्र काम पर रख लेते थे क्योंकि वे इतनी सशक्त नहीं होती थीं कि
संगठन बनाकर उनके अत्याचारों व शोषणवादी प्रवृत्ति की खिलाफत कर सकें। वे इतनी सक्षम
भी नहीं थीं कि वे हिसांत्मक रूप से आदोलन भी कर सकें।
3. ब्रिटेन में औद्योगीकरण
के कारण स्त्रियों को कारखानों में ज्यादा देर तक काम करने के फलस्वरूप उसका बुरा प्रभाव
उनके स्वास्थ्य पर पड़ा और स्त्रियों का गृहस्थ जीवन बर्बादी की कगार पर आ गया। वहीं
दूसरी तरफ औद्योगीकरण के कारण संपन्न व उच्चवर्ग की स्त्रियों का जीवन और भी अधिक आनंदमय
हो गया।
4. स्त्रियों को आसानी से आराम
एवं ऐश्वर्य की वस्तुएँ प्राप्त होने लगीं। उनके भौतिक जीवन में काफी अनुकूल परिवर्तन
आए। यातायात के साधनों के फलस्वरूप उन्हें और भी ज्यादा आजादी प्राप्त हो गई जो औद्योगीकरण
से पूर्व सीमित थी।
5. इसमें कोई संदेह नहीं हैं
कि औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप उच्च वर्ग की महिलाओं का जीवन और अधिक सुविधापूर्ण
तथा आनंदमय बन गया। उन्हें नवीन उपभोक्ता वस्तुएँ व भोजन सामग्री प्राप्त होने लगी।
उनकी जीवन शैली में हर दिन बदलाव आने लगा था।
14. सनयात सेन
के तीन सिद्धांत क्या थे?
उत्तर: सन यात-सेन के नेतृत्व
में 1911 में मांचू साम्राज्य को समाप्त कर दिया गया और चीनी गणतंत्र की स्थापना की
गई। वे आधुनिक चीन के संस्थापक माने जाते हैं। वे एक गरीब परिवार से थे और उन्होंने
मिशन स्कूलों से शिक्षा प्राप्त की जहाँ उनका परिचय लोकतंत्र व ईसाई धर्म सेnहुआ। उन्होंने
डॉक्टरी की पढ़ाई की, परंतु वे चीन के भविष्य को लेकर चिंतित थे। उनका कार्यक्रम तीन
सिद्धांत (सन मिन चुई) के नाम से प्रसिद्ध है। ये तीन सिद्धान्त हैं
1. राष्ट्रवाद - इसका अर्थ
था मांचू वंश-जिसे विदेशी राजवंश के रूप में माना जाता था - को सत्ता से हटाना, साथ-साथ
अन्य साम्राज्यवादियों को हटाना।
2. गणतांत्रिक सरकार की स्थापना
- अन्य साम्राज्यवादियों को हटाना तथा गणतंत्र की स्थापना करना।
3. समाजवाद - जो पूँजी का नियमन
करे और भूस्वामित्व में समानता लाए। सन यात-सेन के विचार कुओमीनतांग के राजनीतिक दर्शन
का आधार बने। उन्होंने कपड़ा, खाना, घर और परिवहन, इन चार बड़ी आवश्यकताओं को रेखांकित
किया।
दीर्घउतरीय प्रश्न
15. पुनर्जागरण
सर्वप्रथम इटली में ही क्यों हुआ?
उत्तर: पुनर्जागरण का वास्तविक
प्रारम्भ इटली में हुआ, ठीक उसी तरह से जैसे धर्म सुधार का आन्दोलन जर्मनी से हुआ।
इसके कई कारण थे-
(क) पुनर्जागरण के लिए इटली
का वातावरण अत्यन्त अनुकूल था इटालियन नगर पुनर्जागरण के प्रोत्साहक थे। भूमध्य सागर
के मध्य में स्थित होने के कारण वहाँ वाणिज्य व्यापार की असाधारण हुई थी और बड़े-बड़े
विद्वानों तथा दार्शनिकों के आश्रयदाता थे, इन इटालियन नगर राज्यों को राजनैतिक, बौद्धिक
और कलात्मक जीवन प्राचीन यूनान के नगरों की तरह था।
(ख) पुनर्जागरण का दूसरा कारण
था कि इटली में विभिन्न जातियों का समागम इन जातियों में गाथ, लोम्बार्ड, फ्रैंक, अरब
नारमन और जर्मन जातियाँ प्रमुख थीं। रोमन वैजन्टाइन, अरब सभ्यताओं एवं बौद्धिक आन्दोलनों
का होना स्वाभाविक था।
(ग) इटालियन स्कूलों तथा विश्वविद्यालयों
के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप ने भी इटली में पुनर्जागरण के विकास में सहायता दी। उत्तरी
यूरोपीय विश्वविद्यालयों में धर्म शास्त्रों के अध्ययन पर ही विशेष जोर दिया जाता रहा,
जबकि दूसरी ओर इटली में रोमन विधि तथा चिकित्सा शास्त्र जैसे धर्मनिरपेक्ष और उपयोगी
विषयों की पढ़ाई ही अधिक होती थी। धर्मनिरपेक्ष ज्ञानार्जन का विशेष महत्व होने के
कारण इटली में पुनर्जागरण कालीन नवीन संस्कृति की नींव पड़ी।
(घ) इटली में पुनर्जागरण को
जन्म देने एवं उसे विशिष्ट दिशा प्रदान करने में प्राचीन रोमन स्मारकों का भी विशेष
महत्व था। इटालियन नगर वस्तुतः प्राचीन साम्राज्य के अवशिष्ट चिह्न थे। सम्पूर्ण प्रायद्वीप
प्राचीन रोमन स्मारकों के खण्डहरों से भरा पड़ा था। रोमन प्राचीनता के प्रति यह मौज
ब्रेसिया के आरनल्ड नियेंजी तथा पेवांक की आत्मकथाओं में स्पष्ट परिलक्षित होता है,
इटली की नवोदित आत्मा ने पूर्वकालिक महानता को सहजरूप में ग्रहण किया और इस तरह का
मत प्रायः ग्रीक रोमन संस्कृति के विशेष उत्पादनों को पुनरुज्जीवित करने में सहायता
मिली, इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण दाँते हैं, जिसे इटली के पुनर्जागरण का अग्रदूत कहा
गया है।
(ङ) यूरोपियन पुनर्जागरण के
इटली में प्रारम्भ होने का एक अन्य कारण यह था कि कन्स्टेटीनोपुल के पतन के पश्चात्
वहां के विद्वानों ने भागकर इटली के नगरों में आश्रय लिया। इससे उन नगरों में पुनः
प्राचीन विद्या एवं ज्ञान का प्रसार शुरू हुआ और अल्पकाल में ही इन विद्वानों की विद्वता
की चिनगारी यूरोप के अन्य देशों में फैल गयी। इटली में इन नवागत विद्वानों की संख्या
इतनी अधिक थी कि लगता था कि यूनान का पतन नहीं हुआ था, उसका इटली में, जिसे प्राचीनकाल
में मैगनाग्रेसिया कहते थे, प्रवजन हो गया था। ये विद्वान् भगोड़े अपने साथ प्राचीन
यूनानी साहित्य की अनेक अनमोल, पाण्डुलिपियाँ लेते आये थे, जिनका उस समय तक यूरोप को
कोई ज्ञान नहीं था। इनमें से अनेक इटालियन स्कूलों तथा विश्वविद्यालयों में शिक्षक
तथा व्याख्याता नियुक्त किए गए। इस तरह रोमन प्रजातंत्रकाल में जो कुछ हुआ था, उसकी
अब पुनरावृत्ति हुई। इटली पर यूनानी पाण्डित्य की दूसरी बार विजय हुई।
16. विज्ञान
और दर्शन में अरबीयों का क्या योगदान रहा ?
उत्तर: विज्ञान और दर्शन में
अरबीयों का योगदान निम्नलिखित हैं-
1. पूरे मध्यकाल में ईसाई गिरजाघरों
और मठों के विद्वान यूनानी और रोमन विद्वानों की कृतियों से परिचित थे । पर इन लोगों
ने इन रचनाओं का प्रचार प्रसार नहीं किया ।
2. चौदहवीं शताब्दी में अनेक
विद्वानों ने प्लेटो और अरस्तू के ग्रंथों से अनुवादों को पढ़ना शुरू किया ।
3. अरब के अनुवादकों ने अतीत
की पांडुलिपियों का संरक्षण और अनुवाद सावधानीपूर्वक किया था ।
4. एक ओर यूरोप के विद्वान
यूनानी ग्रंथों के अरबी अनुवादों का अध्ययन कर रहे थे दूसरी ओर यूनानी विद्वान अरबी
और फ़ारसी विद्वानों की कृतियों को अन्य यूरोपीय लोगों के बीच प्रसार के लिए अनुवाद
कर रहे थे ।
5. ये ग्रंथ प्राकृतिक विज्ञान
, गणित , खगोल विज्ञान , औषधि विज्ञान और रसायन विज्ञान से संबंधित थे । टॉलेमी के
अलमजेस्ट ( खगोल शास्त्र पर रचित ग्रंथ 140 ई . के पूर्व यूनानी भाषा में लिखा गया
था और बाद में इसका अरबी में अनुवाद भी हुआ ) में अरबी भाषा के विशेष उपपद ‘ अल ‘ का
उल्लेख है जो कि यूनानी और अरबी भाषा के बीच रहे संबंधों को दर्शाता है ।
6. मुसलमान लेखकों , जिन्हें
इतालवी दुनिया में ज्ञानी माना जाता था , में अरबी के हकीम और मध्य एशिया के बुखारा
के दार्शनिक इब्न – सिना और आयुर्विज्ञान विश्वकोश के लेखक अल – राजी ( रेजेस ) सम्मिलित
थे ।
7. स्पेन के अरबी दर्शानिक
इब्न रूश्द ने दार्शनिक ज्ञान ( फैलसुफ़ ) और धार्मिक विश्वासों के बीच रहे तनावों
को सुलझाने की चेष्टा की । उनकी पद्धति को ईसाई चिंतकों द्वारा अपनाया गया ।
17. यूरोपवासियों
की खोज यात्राओं के बारे में बताएँ?
उत्तर: कोलम्बस ने आर्थिक सहायता
प्राप्त करने का प्रयास किया और इससे भी लगभग निराश हो गया था। अन्त में 5 वर्षों के
प्रयास के बाद उसे सफलता मिली। रानी ईसाबेला द्वारा उसकी योजना स्वीकार कर ली गई। अगस्त,
1492 ई. में तीन जहाजों के साथ कोलम्बस ने स्पेन के पालोस बन्दरगाह से पश्चिम की ओर
प्रस्थान किया। लगभग दो महीनों की कठिन यात्रा के पश्चात् वह पश्चिमी द्वीप समूह के
टापू पर उतरा। निकट के द्वीपों की उसने यात्रा की। उसे विश्वास था कि उसने भारत को
खोज लिया था। इन टापुओं को उसने इण्डीज और यहाँ के निवासियों को इण्डियन कहा। उसने 1498 ई. में तीसरी यात्रा की । वह दक्षिणी
अमेरिका के उस स्थान पर पहुँचा जिसे आजकल वेनेजुएला कहते हैं। उसने 1502 ई. की चौथी
यात्रा में होन्डूरस खोजा। उसकी 1506 ई. में मृत्यु हुई और इस समय तक उसे यही विश्वास
रहा कि उसने भारत की खोज की। 1492 में जब कोलंबस ने नईदुनिया अमेरिका की खोज कर ले
तो इसका पूरी दुनिया में बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ा।
अमेरिका की खोज करने के बाद
कोलंबस अपने साथ स्पेन में कई सारा धन और खाद्य पदार्थ ले गया और इसके बाद स्पेन ने
लगातार अमेरिका की सभी देश में अपने उपयोग स्थापित कर लिए और अमेरिका से खाद्य पदार्थ
को विदेशों में आयात किया।
स्पेन के उपनिवेश को देखकर
इंग्लैंड ने भी अमेरिका में अपने उपनिवेश स्थापित करने शुरू कर दिए लेकिन प्रथम विश्व
युद्ध का अमेरिकन उपनिवेश में सबसे ज्यादा असर पड़ा। प्रथम विश्व युद्ध में स्पेन की
हार हुई जिसके कारण अमेरिकन उपनिवेश से उसका महत्व कम हो गया और बिट्रेन का अमेरिकन
उपनिवेश में महत्व बढ़ गया इसी दौरान बिट्रेन भारत में चाय का उत्पादन करके अमेरिका
भेजने लगा और अमेरिका से गुलाम बनाकर अमेरिका ले जाए जाने लगे।
अमेरिका की खोज के बाद दुनिया
में कई खोज हुई, ऑस्ट्रेलिया देश की खोज, भारत देश की खोज, ब्राजील देश की खोज आदि।
18. ब्रिटेन
1793 से 1815 तक कई युद्धों में शामिल रहा जिसका ब्रिटेन के उद्योगों पर क्या प्रभाव
पड़ा?
उत्तर: ब्रिटेन 1793 से
1815 ई० तक युद्धों में संलिप्त रहा। इस समयावधि में ब्रिटेन लगातार फ्रांस के महान
सेनापति सम्राट नेपोलियन से जीवन और मरण के संघर्ष में फैसा रहा। इस समय लड़े गए भयंकर
युद्धों का व्यापक प्रभाव ब्रिटेन के उद्योगों पर भी पड़ा, जो निम्नलिखित थे
1. युद्धों के परिणामस्वरूप
देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई।
2. यूरोप के साथ युद्धों के
कारण उसका व्यापार वहाँ से अलग हो गया।
3. व्यापारों के बन्द हो जाने
का प्रभाव वहाँ की फैक्टिरियों पर भी पड़ा जिससे वे उद्योगधंधे व कारखाने शीघ्र ही
बंद हो गए।
4. उद्योगधंधों व कारखानों
के बंद हो जाने की वजह से मजदूर विवश हो गए और बेरोजगारी के कारण वे भुखमरी के शिकार
होने लगे।
5. नेपोलियन बोनापार्ट की महाद्वीपीय
व्यवस्था या आर्थिक बहिष्कार की नीति ने इंग्लैंड को आर्थिक संकट में फँसा दिया। वस्तुतः
नेपोलियन इंग्लैंड के विदेशी व्यापार को समाप्त कर देना चाहता था।
6. इंग्लैंड में रोटी तथा मांस
की कीमतें आसमान छूने लगीं। साथ-साथ इंग्लैंड की मुद्रा का भी अवमूल्यन हुआ।
19. मेजी पुनर्स्थापना
से पहले की वे अहम घटनाएँ क्या थीं, जिन्होंने जापान की तीव्र आधुनिकीकरण को संभव किया
?
उत्तर: 1867-68 में जापान में
एक युगांतकारी घटना मेजी पुनस्थापना के रूप में घटी। सदियों पूर्व जापान में दो अहम
प्रशासनिक शक्तियाँ थीं-सम्राट तथा प्रधान सेनापति अथवा शोगुन । हालाँकि प्रशासन की
समस्त शक्तियाँ शोगुन में केंद्रित थीं। सम्राट मात्र राजनैतिक मुखौटा होता था। किंतु
1668 ई० में एक आंदोलन द्वारा शोगुन का पद समाप्त कर दिया गया। उसके सारे अधिकार सम्राट
के हाथों में दे दिए गए। नए सम्राट चौदह वर्षीय मुत्सुहितों ने मेजी की उपाधि धारण
की। मेजी पुनस्थापना से पूर्व जापान में कुछ महत्त्वपूर्ण घटनाएँ घटित हुईं। फलतः आधुनिकीकरण
का मार्ग प्रशस्त हुआ।
1. 16 वीं शताब्दी तक जापान
में किसान भी हथियार रखते थे। फलतः यदा-कदा अराजकता का वातावरण उत्पन्न | हो जाता था।
हालाँकि इस शताब्दी के अंतिम वर्षों में किसानों से हथियार ले लिए गए। अब मात्र सामुदाई
वर्ग के लोग ही हथियार रख सकते थे। इससे किसान अपना संपूर्ण समय और ध्यान कृषि कार्य
में लगाने लगे।
2. इससे पूर्व दम्यों को अधिकांश
समय शोगुन के निर्देशानुसार राजधानी एदो में व्यतीत करना पड़ता था। फलतः अपने क्षेत्रों
के प्रशासनिक कार्यों का संचालन सुचारु रूप से करने में असमर्थ हो जाते थे। 16वीं शताब्दी
के अंतिम वर्षों में उन्हें अपनी राजधानियों में रहने के आदेश दिए गए।
3. भूमि का सर्वेक्षण तथा उत्पादकता
के आधार पर भूमि का वर्गीकरण किया गया। इस कार्य का मुख्य उद्देश्य मालिकों तथा करदाताओं
का निर्धारण करना था। इस परिवर्तन ने राजस्व के स्थायी निर्धारण में महत्त्वपूर्ण योगदान
दिया।
4. मेजी पुनस्थापना से पूर्व
जापान में अनेक महत्त्वपूर्ण एवं विशाल शहरों का विकास हुआ। शहरों के विकास ने वाणिज्यिक
अर्थव्यवस्था के विकास को प्रोत्साहित किया। फलतः वित्त और ऋण की प्रणालियाँ स्थापित
हुईं। गुणों को पद से अधिक महत्त्वपूर्ण माना जाने लगा। व्यापार का विकास हुआ और शहरों
की जीवित संस्कृति विकसित होने लगी। सांस्कृतिक कार्यक्रमों को बढ़ावा मिला।
इन सभी घटनाओं के सामूहिक प्रयास
से जापान में तीव्रगति से आधुनिकीकरण का सपना साकार हुआ।