Class XI Sociology Set -1 Model Question Paper 2021-22 Term-2

Class XI Sociology Set -1 Model Question Paper 2021-22 Term-2

वर्ग- 11

विषय- समाजशास्त्र

पूर्णांक-40

समय - 1:30 घंटे

सेट-1 (Set-1)

1. जजमानी प्रथा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

उत्तर: जजमानी प्रथा एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें गाँव के प्रत्येक जाति समूह से अन्य जातियों के परिवारों के लिए कुछ विशेष सेवाओं की आशा की जाती है।

2. सामाजिक परिवर्तन से क्या अभिप्राय है ?

उत्तर: परिवर्तन प्रकृति का नियम है और प्रत्येक समाज में परिवर्तन की प्रक्रिया निरन्तर रूप से चलती रहती है। जोन्स का कहना है कि "सामाजिक परिवर्तन वह शब्दावली है जो सामाजिक प्रक्रियाओं, सामाजिक स्वरूपों, सामाजिक अंतःक्रियाओं अथवा सामाजिक संगठन के किसी भी पहलू में परिवर्तन के संबंध में प्रयोग की जाती है।"

3. प्रतिस्पर्दा किस समाज की विशेषता है ?

उत्तर: प्रतिस्पर्धा आधुनिक समाज की विशेषता है ?

4. संस्कृति के भौतिक पक्ष को क्या कहते हैं

उत्तर: संस्कृति का भौतिक पक्ष सभ्यता है।

5. सोशियोलॉजी की अवधारणा का सृजन किसने किया ?

उत्तर: कॉम्ट ने।

6. सत्ता क्या है ?

उत्तर: बियरस्टेड के अनुसार, "सत्ता शक्ति के प्रयोग का संस्थात्मक अधिकार है। वह स्वयं शक्ति नहीं है ।" सी. राइट मिल्स के अनुसार, "सत्ता का तात्पर्य निर्णय लेने के अधिकार तथा दूसरे व्यक्तियों के व्यवहार को अपनी इच्छानुसार तथा संबंधित व्यक्तियों की इच्छा के विरुद्ध प्रभावित करने की क्षमता है।"

7. वर्ग संघर्ष का सिद्धान्त किसने प्रतिपादित किया ?

उत्तर: मॉर्क्स ने।

8. सामाजिक परिवर्तन तथा सांस्कृतिक परिवर्तन से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर: सामाजिक परिवर्तन : सामाजिक संस्थाओं, प्रस्थितियों, भूमिकाओं तथा प्रतिमानों में समय-समय पर होने वाले परिवर्तन की प्रक्रिया को सामाजिक परिवर्तन कहा जाता है। इसके अंतर्गत परिवार, विवाह, नातेदारी, आर्थिक-राजनीतिक, जनसंख्या आदि में होने वाले परिवर्तन सम्मिलित किए जाते हैं।

सांस्कृतिक परिवर्तन : सांस्कृतिक परिवर्तन का तात्पर्य समाज की संस्कृति में होने वाले परिवर्तनों से है। इसके अंतर्गत विचार, ज्ञान, मूल्य, तथा धर्म आदि में होने वाले परिवर्तन सम्मिलित किए जाते हैं।

9. समुदाय के आवश्यक तत्त्व बतलाये।

उत्तर: समुदाय व्यक्तियों का समूह है। किसी भी समूह को समुदाय कहलाने के लिए निम्न आवश्यक तत्वों का होना जरूरी है

1. व्यक्तियों का समूह - समुदाय निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में‌निवास करने वाले व्यक्तियों का मूर्त समूह है। समुदाय का निर्माण एक व्यक्ति से नहीं हो सकता समुदाय के लिए व्यक्तियों का समूह होना आवश्यक है।

2. सामान्य जीवन - प्रत्येक समुदाय में रहने वाले सदस्यों का रहन-सहन, भोजन का ढंग व धर्म सभी काफी सीमा तक सामान्य होते हैं। समुदाय के सदस्य अपना सामान्य जीवन समुदाय में ही व्यतीत करते हैं।

3. सामान्य नियम- समुदाय के समस्त सदस्यों के व्यवहार सामान्य नियमों द्वारा नियन्त्रित होते हैं। जब सभी व्यक्ति सामान्य नियमों के अन्तर्गत कार्य करते हैं तब उनमें समानता की भावना का विकास होता है। यह भावना में पारस्परिक सहयोग की वृद्धि करता है। समुदाय

4. विशिष्ट नाम- प्रत्येक समुदाय का कोई न कोई नाम अवश्य होता है। इसी नाम के कारण ही सामुदायिक एकता का जन्म होता है। समुदाय का नाम ही व्यक्तियों में अपनेपन की भावना को प्रोत्साहित करता है।

5. स्थायित्व - समुदाय चिरस्थाई होता है। इसकी अवधि व्यक्ति के जीवन से लम्बी होती है। व्यक्ति समुदाय में जन्म लेते हैं, आते हैं तथा चले जाते हैं, परन्तु इसके बावजूद समुदायका अस्तित्व बना रहता है। इसी कारण यह स्थायी संस्था है।

6. निश्चित भौगोलिक क्षेत्र - समुदाय का एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र होता है। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि समुदाय के सभी सदस्य निश्चित भौगोलिक सीमाओं के अन्तर्गत ही निवास करते हैं।

7. अनिवार्य सदस्यता- समुदाय की सदस्यता अनिवार्य होती है। यह व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर नहीं करती। व्यक्ति जन्म से ही उस समुदाय का सदस्य बन जाता है जिसमें उसका जन्म हुआ है। सामान्य जीवन के कारण समुदाय से पृथक् रहकर व्यक्ति की आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो सकती है।

8. सामुदायिक भावना- सामुदायिक भावना समुदाय की नींव है। समुदाय के सदस्य अपने हितों की पूर्ति के लिए ही नहीं सोचते। वे सम्पूर्ण समुदाय का ध्यान रखते हैं। हम की भावना, दायित्व तथा निर्भरता की भावना हैं जोकि सामुदायिक भावना के तीन तत्त्व हैं, समुदाय के सभी सदस्यों को एक सूत्र में बाँधने में सहायता देते हैं।

10. भूमिका संघर्ष तथा भूमिका तनाव का अर्थ स्पष्ट करें।

उत्तर: भूमिका संघर्ष- जब किसी व्यक्ति को एक ही परिस्थिति में अपनी भूमिका कुल के अन्तर्गत दो विभिन्न भूमिकाएँ निभाने में असमंजस का अनुभव होता है कि वह यह भूमिका निभाए या वह निभाए तो इसे भूमिका संघर्ष कहा जाता है। उदाहरणस्वरूप जब एक सरपंच को किसी ऐसे मामले का निर्णय करना।

भूमिका तनाव- अपनी व्यक्तिगत कठिनाईयों के कारण अपनी भूमिका निभा पाता हो या न निभाना हो। उदाहरणस्वरूप यदि एक अधिकारी अपने कर्मचारी को उसके पुत्र के बिगारी के कारण भी उसे अवकाश न देता हो तो कर्मचारी में भूमिका तनाव की स्थिति पैदा हो जाती है और कई बार वह अधिकारी के साथ ढंग से बातचीत भी नहीं कर पाता।

11. ग्रामीण समुदाय से आप क्या हैं?

उत्तर: साधारण रूप से यह कहा जा सकता है कि ग्रामीण समुदाय ग्रामीण पर्यावरण में स्थित व्यक्तियों का छोटा या बड़ा समूह है जो प्रत्यक्ष रूप से प्रकृति पर निर्भर होता है, प्रकृति की सहायता से आजीविका उपार्जित करता प्राथमिक सम्बन्धों को अपने लिए आवश्यक मानता है तथा एक सामुदायिक भावना के द्वारा बँधा होता है। मेरिल तथा एलरिज ने इसकी परिभाषा इन शब्दों में दी है, "ग्रामीण समुदाय के अंतर्गत ऐसी संस्थाओं एवं व्यक्तियों का समावेश होता है जो एक छोटे-से केन्द्र के चारों ओर संगठित होते हैं तथा सामान्य प्राथमिक हितों द्वारा आपस में बंधे रहते हैं।" सिम्स के अनुसार "जिन वृहद क्षेत्रों में एक समूह के लगभग सभी महत्त्वपूर्ण हितों को संतुष्टि हो जाती है उनको ग्रामीण समुदाय मान लेने के लिए समाज शास्त्रियों की प्रतिबद्धता बढ़ती जा रही है।" इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि ग्रामीण समुदाय का तात्पर्य एक निश्चित भूभाग पर रहनेवाले किसी भी ऐसे छोटे या बड़े समूह से है, जिसमें जनसंख्या की समरूपता, सामाजिक एवं सांस्कृतिक समानता, प्रकृति से सम्बद्धता, सरलता एवं सामुदायिक भावना की प्रधानता होती है।

12. नगरीय समुदाय से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर: आम तौर पर नगर का अभिप्राय एक ऐसे विस्तृत और औपचारिक समुदाय से लिया जाता है जिसका निर्धारण एक विशेष क्षेत्र में रहने वाले व्यक्तियों के जीवन स्तर तथा उसकी नगरीय मनोवृत्ति के आधार पर किया जाता है। इसमें ग्रामीण समुदाय से अधिक व्यापक पारस्परिक सम्बन्ध पाये जाते हैं। बर्गल ने नगरीय समुदाय की परिभाषा इन शब्दों में दी है, "नगर एक ऐसा स्थान है जहाँ के अधिकतर निवासी कृषि कार्य के अतिरिक्त अन्य उद्योगों में व्यस्त हो।" किंग्सले डेविस के अनुसार किसी स्थान पर जनसंख्या का घनत्व चाहे एक हजार से कम हो या अधिक, यदि वहाँ पर नगरीय दशाएँ एवं नगरीय मनोवृत्ति पायी जाती हैं तो वह नगर है।" इस प्रकार यह स्पष्ट है कि केवल जनसंख्या का आधार ही नगर के निर्धारण में महत्त्वपूर्ण नहीं है। नगर जीवन को एक विशेष विधि है जिसमें औपचारिकता तथा व्यक्तिवादिता का प्रमुख महत्त्व होता है।

13. नगरीय समुदाय की विशेषताओं का उल्लेख करें।

उत्तर: नगरीय समुदाय की निम्नलिखित विशेषता हैं

1. इसका आकार बड़ा होता है।

2. इसकी आबादी घनी होती है।

3. इसमें मानव निर्मित पर्यावरण की प्रधानता होती है।

4. इसकी आबादी में असमानता पायी जाती है।

5. इसमें द्वितीयक सम्बन्धों की प्रधानता होती है।

6. यह आर्थिक क्रियाओं का केन्द्र है।

7. इसमें आर्थिक आधार पर वर्ग विभाजन पाया जाता है।

14. ग्रामीण तथा नगरीय समुदाय में अंतर बताएँ।

उत्तर: ग्रामीण तथा नगरीय समुदाय में निम्नलिखित अंतर है

1. ग्रामीण समुदाय का आकार छोटा होता है, परन्तु नगरीय समुदाय का बड़ा ।

2. ग्रामीण समुदाय का मुख्य व्यवसाय कृषि होता है, परन्तु नगरीय समुदाय का गैर-कृषि।

3. ग्रामीण समुदाय की आबादी कम होती है, परन्तु नगरीय समुदाय आबादी घनी होती है।

4. ग्रामीण समुदाय में प्राथमिक क्षेत्र की प्रधानता होती है परन्त नगरीय समुदाय में द्वितीयक क्षेत्र की।

15. व्यक्तित्व की परिभाषा दीजिए। व्यक्तित्व के निर्माण में संस्कृति की भूमिका का विवेचना कीजिए।

उत्तर: व्यक्तित्व की परिभाषा- साधारण तौर पर व्यक्तित्व का अर्थ किसी व्यक्ति को शारीरिक बनावट तथा उसके रंग-रूप से लिया जाता है और कहा जाता है कि अमुक व्यक्ति का व्यक्तित्व बड़ा आकर्षक है अथवा अमुक व्यक्ति का व्यक्तित्व अधिक आकर्षण या प्रभाव डालने वाला नहीं है । परन्तु व्यक्तित्व का यह पूर्ण और सही अर्थ नहीं। व्यक्तित्व शरीर की बनावट तथा रंग-रूप मात्र नहीं होता। व्यक्तित्व में शरीर की बनावट और रंग-रूप के साथ-साथ व्यक्ति के विचारों, आदतों, मूल्यों व प्रतिमानों तथा व्यवहार के तत्व भी सम्मिलित होते हैं।

व्यक्तित्व निर्माण में संस्कृति की भूमिका - व्यक्तित्व की परिभाषा से स्पष्ट है कि इसमें शारीरिक बनावट तथा विचारों, आदतों, मनोवृत्तियों, मूल्यों तथा व्यवहार प्रतिमानों का संग्रह होता है । शारीरिक बनावट की रचना में तो सांस्कृतिक व सामाजिक पर्यावरण का इतना हाथ नहीं होता परन्तु व्यक्ति के विचारों, आदतों, मूल्यों और व्यवहार प्रतिमानों के निर्माण और विकास में सामाजिक सांस्कृतिक पर्यावरण की ही प्रभावकारी भूमिका रहती है।

16. सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारक की विवेचना करें।

उत्तर: सामाजिक परिवर्तन के अनेक कारकों में संस्कृति कारक का भी महत्त्वपूर्ण स्थान है। मनुष्य अपने जीवन को चलाने के लिए जिस व्यवस्था को विकसित एवं स्थापित करता है उसे संस्कृति कहते हैं। संस्कृति ही मानव जीवन को सुचारू रूप से चलाने‌की व्यवस्था करती है। संस्कृति की परिभाषा देते हुए डॉ. मजूमदार ने लिखा है कि- "संस्कृति सामूहिक जीवन की उस अवस्था को सम्बोधित करती है जो विभिन्न संस्कारों से गुजरने के बाद ही प्राप्त होती है। संस्कृति में धर्म, विचार, नैतिकता, विश्वास, प्रथा, परम्परा, लोकाचार तथा विभिन्न संस्थाओं को सम्मिलित किया जाता है। प्राय: यह देखा जाता है कि लोग पुरानी परम्पराओं और प्रथाओं को तत्कालीन आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अपर्याप्त समझते हैं। मनुष्य उन प्रथाओं और परम्पराओं में परिवर्तन की बात सोचने लगता है। इस परिवर्तन के साथ ही सामाजिक परिवर्तन का कार्य शुरू हो जाता है। उसी प्रकार धर्म और नैतिकता में परिवर्तन के साथ सामाजिक परिवर्तन कार्य शुरू हो जाता है। सामाजिक परिवर्तन में सबसे बड़ा हाथ संस्थाओं का होता है। संस्थाओं में परिवर्तन होने से सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया तीन हो जाती है। संस्थाएँ एक प्रकार का कानून या रीति-रिवाज है जो समाज, जाति तथा समितियों में मनुष्य के पारस्परिक व्यवहार पर नियन्त्रण रखती हैं।  विवाह प्रथा, दण्ड-व्यवस्था, संयुक्त परिवार प्रणाली आदि का नाम संस्थाओं के अन्तर्गत ही लिया जाता है। इन अवस्थाओं में परिवर्तन के साथ समाज में महत्वपूर्ण परिवर्तन हो जाते हैं।

इसे उदाहरण द्वारा अच्छी तरह समझाया जा सकता है। विवाह प्रथा भी एक संस्था है। यदि विवाह प्रथा में अन्तर आता है तो उससे परिवार का रूप भी बदल जायगा। यदि अन्तर्जातीय विवाह अधिक लोकप्रिय हो जाएगी तो परिवार का स्वरूप बदल जाना स्वाभाविक है। इसका प्रभाव सामाजिक सम्बन्धों पर पड़े बिना नहीं रह सकता है और इससे सम्पूर्ण समाज में परिवर्तन हो जायगा ।

17. कार्ल मार्क्स के विचारों पर टिप्पणी लिखें।

अथवा, मार्क्स के योगदानों का उल्लेख करें।

उत्तर: कार्ल मार्क्स के योगदान को चार हिस्सों में बाँटा गया है

1. द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद- द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद मार्क्स के चिंतन की आधारशिला है। मार्क्स के विचार का स्थान क्रिया से और कल्पना का स्थान यथार्थता या वास्तविकता से लिया है। द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद में मार्क्स ने बताया कि घटनाएँ अन्तःसम्बन्धित तथा आत्मनिर्भर होती हैं। संसार में कुछ भी स्थायी नहीं है। इसमें तीव्र और क्रांतिकारी परिवर्तन होते रहते हैं। प्रत्येक समाज में आंतरिक विरोध की क्रिया पायी जाती है।

2. ऐतिहासिक भौतिकवाद - मार्क्स के अनुसार उत्पादन प्रणाली इतिहास की घटनाओं का निर्धारण करती है। मनुष्य, उत्पादन, अनुभव और श्रम कौशल ये सब मिलकर उत्पादन शक्ति का निर्माण करते हैं। यह उत्पादन शक्ति उत्पादन प्रणाली के एक पक्ष का प्रतिनिधित्व करती है, जबकि उत्पादन प्रणाली का दूसरा पक्ष उत्पादन सम्बन्धों का प्रतिनिधित्व करता

18. मैक्स वेबर के नौकरशाही सिद्धान्त की विवेचना करें।

उत्तर: मैक्स वेबर नौकरशाही (अधिकारी तंत्र) का व्यवस्थित अध्ययन करने वाले प्रथम समाजशास्त्री है। इन्होंने नौकरशाही को प्रशासन की तर्कपूर्ण व्यवस्था माना है। नौकरशाही को परिभाषित करते हुए इन्होंने कहा है-"नौकरशाही एक स्थायी संगठन है जो बहुत से व्यक्तियों में सहयोग पैदा करता है तथा जिसमें प्रत्येक के पास एक विशिष्ट कार्य रहता है।" वेबर ने नौकरशाही का एक संगठन (प्रशासन) है। इस संगठन या प्रशासन में बहुत से व्यक्ति होते हैं। इन व्यक्तियों का चुनाव एक निश्चित प्रविधि या प्रक्रिया द्वारा की जाती है। व्यक्ति को उसकी योग्यता के आधार पर पद (प्रस्थिति) प्राप्त होते हैं। पद के अनुकूल भूमिका (कार्य) का निर्धारण होता है। इसमें स्पष्टतः प्रस्थितियों तथा भूमिकाओं का विभेदीकरण पाया जाता है, लेकिन सहयोगात्मक रूप में सामान्य नियमों के अधीन सबों को काम करना होता है। इस प्रकार नौकरशाही एक ऐसा संगठन है जो विभिन्न पदों के माध्यम से व्यक्तियों को अधिकार प्रदान करती है जिसके द्वारा शासन के कार्यों का संचालन होता है।

वेबर ने नौकरशाही के निम्नलिखित विशेषताओं की चर्चा की है- (i) नियमबद्ध संगठन, (ii) पदसोपान, (iii) श्रम विभाजन, (iv) निश्चित कार्यक्षेत्र, (v) निश्चित कार्यविधि लिखित प्रलेख, (vi) योग्यता पर नियुक्त (vii) विशिष्ट प्रशिक्षण, (viii) कठोर एवं व्यवस्थित अनुशासन तथा नियंत्रण (ix) लालफीताशाही (x) वेतन एवं पेंशन (xi) पृथक वर्ग।

19. नियंत्रित अवलोकन से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर: नियंत्रित अवलोकन में दोहरे नियंत्रित की प्रक्रिया कार्यरत रहती है। एक तो अवलोकनकर्ता पर नियंत्रण रखा जाता है, दूसरे अवलोकन की जानेवाली घटनाओं एवं परिस्थितियों पर भी नियंत्रण रखा जाता है। नियंत्रित अवलोकन पूर्व व्यवस्थित योजनाओं के अनुसार किया जाता है जिसके अंतर्गत पर्याप्त प्रयोगात्मक कार्य प्रणाली सम्मिलित होती है। सम्पूर्ण अवलोकन एक पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार किया जाता है जिसमें अवलोकनकर्ता पूर्व नियोजित प्रक्रिया एवं साधनों का प्रयोग करते हुए एक स्वचालित यंत्र की भाँति कार्य करता रहता है। इसीलिए इसे पूर्व नियोजित, पूर्व संरचित एवं व्यवस्थित अवलोकन को संज्ञा दी जाती है। इसमें अवलोकित की जाने वाली इकाइयों को स्पष्टतः परिभाषित कर दिया जाता है तथा यह सुनिश्चित कर दिया जाता है कि किस प्रकार की जानकारी एवं सूचनाएँ एकत्रित की जाती है। अवलोकन के लिए विशिष्ट सामग्री का चुनाव किया जाता है तथा अवलोकन के समग्र स्थान, व्यक्ति आदि का प्रमाणीकरण कर दिया जाता है। इसी प्रकार अवलोकन में प्रयुक्त होने वाली सूचियों, फोटोग्राफ, नक्शों, उपकरणों, टेपरिकॉर्डर, फिल्मों आदि का भी निर्धारण कर लिया जाता है। इस प्रकार अवलोकनकर्त्ता एवं अवलोकन की प्रक्रिया दोनों ही पूर्णत: नियंत्रित रहते हैं। अवलोकनकर्ता की व्यक्तिगत भावनाओं का प्रभाव अवलोकन पर नहीं पड़े तथा अध्ययन पक्षपातरहित हो इसलिए साक्षात्कार अनुसूची, टेपरिकार्डर, फोटोग्राफ, नक्शे, नोट्स, डायरी, कैमरा, फिल्म आदि का प्रयोग अवलोकन में किया जाता है ताकि घटनाओं का यथार्थ चित्रण हो सके। इस प्रकार नियंत्रित अवलोकन वह प्रविधि है जिसमे अवलोकन एवं अवलोकित घटना एवं परिस्थिति को नियंत्रित कर अवलोकन किया जाता है।

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