Class XI Hindi Core Set -2 Model Question Paper 2021-22 Term-2

Class XI Hindi Core Set -2 Model Question Paper 2021-22 Term-2



झारखण्ड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद राँची (झारखण्ड)

द्वितीय सावधिक परीक्षा (2021 2022)

सेट- 02

कक्षा- 11

विषय- हिंदी (कोर)

समय 1 घंटा 30 मिनट

पूर्णांक - 40

 सामान्य निर्देश-:

→  परीक्षार्थी यथासंभव अपनी ही भाषा-शैली में उत्तर दें ।

  इस प्रश्न-पत्र के खंड हैं। सभी खंड के प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है।

सभी प्रश्न के लिए निर्धारित अंक उसके सामने उपांत में अंकित है।

प्रश्नों के उत्तर उसके साथ दिए निर्देशों के आलोक में ही लिखें ।

खंड - 'क'
(अपठित बोध)

01. निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए-02+02+02 06

नहीं झुका करते जो दुनिया से

करने को समझौता,

ऊँचे से ऊँचे सपनों को

देते रहते जो न्योता,

दूर देखती जिनकी पैनी

आँख भविष्यत् का तम चीर,

मैं हूँ उनके साथ खड़ी

जो सीधी रखते अपनी रीढ़।

(क) व्यक्ति की दृष्टि कैसी होनी चाहिए ?

उत्तर: व्यक्ति की दृष्टि भविष्य का अंधेरा दूर करने वाली होनी चाहिए।

(ख) ऊँचे-से-ऊँचे सपनों को निमंत्रण देने का भाव क्या होता है ?

उत्तर: उच्च कोटी के सपने देखना और उन्हें सकार करने का प्रयत्न करना।

(ग) 'नहीं झुका करते जो दुनिया से पंक्ति में किसके सामने झुकने की बात की गयी हैं?

उत्तर: विषम परिस्थितियों और अन्याय के सामने।

अथवा

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए-

गंगा के डेल्टा के समुद्रान्त छोर ने बनाच्छादित एक विस्तृत दलदली क्षेत्र को घेर रखा है, जिसे सुंदरवन कहा जाता है। इस सुंदरवन की दर्दनाक दशा की खबरें आए दिन अखबारों में छपती रहती हैं। अब सुंदरवन भी सुंदर नहीं रह गया । हमारी निर्दयता उसे भारी पड़ रही है। गंगा का केवल पौराणिक महत्व ही नहीं है, उसे आज के संदर्भ में भी देखना होगा। यही हाल यमुना का भी है। यह गंगा की पहली तथा बड़ी पश्चिमी सहायक नदी है। यह हिमालय पर्वतमाला में कामेत पर्वत के निकट से निकलती है।

दिल्ली पहुँचने तक गंदगी के कारण यही नदी नाले में बदल जाती है। जरा-सा भी ध्यान दिया जाए तो यह स्पष्ट हो जाता है कि सारा भारत आज भी प्रमुख नदियों के समूह में बँटा हुआ है। ये नदियाँ ही भारत की सवा सौ करोड़ जनता को जीवन प्रदान करती है। इसलिए ये माता के समान पूजनीय, वंदनीय तथा संरक्षणीय हैं। पर हम हैं कि माताओं की महिमा तथा श्रम के फल भोगते हैं और उन्हें निराश, दरिद्र तथा दीन बनाने पर उतर आए हैं। अब आप सोचें हम कैसे हैं?

(क) उपर्युक्त गद्यांश का एक उपयुक्त शीर्षक लिखिए।

उत्तर: गंगा एवं यमुना की दुर्दशा

(ख) नदियाँ माँ के समान पूजनीय और वंदनीय क्यों है?

उत्तर: नदियाँ ही भारत की सवा सौ करोड़ जनता को जीवन प्रदान करती है। इसलिए ये माता के समान पूजनीय और वंदनीय है।

(ग) हमने नदियों को दरिद्र और दीन कैसे बना दिया ?

उत्तर: प्रदूषण फैला कर एवं शहर की गंदगी को नदियों में डाल कर हमने नदियों को दरिद्र और दीन बना दिया।

खंड 'ख'
( अभिव्यक्ति और माध्यम तथा रचनात्मक लेखन )

02. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए- 05+05=10

(क) 'वृक्षारोपण' अथवा 'कोरोना: एक महामारी' विषय पर एक निबंध लिखिए।

उत्तर:  'कोरोना: एक महामारी

प्रस्तावना : विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना वायरस को महामारी घोषित कर दिया है। कोरोना वायरस बहुत सूक्ष्म लेकिन प्रभावी वायरस है। कोरोना वायरस मानव के बाल की तुलना में 900 गुना छोटा है, लेकिन कोरोना का संक्रमण दुनियाभर में तेजी से फ़ैल रहा है।

कोरोना वायरस क्या है?

 कोरोना वायरस (सीओवी) का संबंध वायरस के ऐसे परिवार से है जिसके संक्रमण से जुकाम से लेकर सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या हो सकती है। इस वायरस को पहले कभी नहीं देखा गया है। इस वायरस का संक्रमण दिसंबर में चीन के वुहान में शुरू हुआ था। डब्लूएचओ के मुताबिक बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ इसके लक्षण हैं। अब तक इस वायरस को फैलने से रोकने वाला कोई टीका नहीं बना है।

इसके संक्रमण के फलस्वरूप बुखार, जुकाम, सांस लेने में तकलीफ, नाक बहना और गले में खराश जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। इसलिए इसे लेकर बहुत सावधानी बरती जा रही है। यह वायरस दिसंबर में सबसे पहले चीन में पकड़ में आया था। इसके दूसरे देशों में पहुंच जाने की आशंका जताई जा रही है।

कोरोना से मिलते-जुलते वायरस खांसी और छींक से गिरने वाली बूंदों के ज़रिए फैलते हैं। कोरोना वायरस अब चीन में उतनी तीव्र गति से नहीं फ़ैल रहा है जितना दुनिया के अन्य देशों में फैल रहा है। कोविड 19 नाम का यह वायरस अब तक 70 से ज़्यादा देशों में फैल चुका है। कोरोना के संक्रमण के बढ़ते ख़तरे को देखते हुए सावधानी बरतने की ज़रूरत है ताकि इसे फैलने से रोका जा सके।

क्या हैं इस बीमारी के लक्षण?

 कोवाइड-19 / कोरोना वायरस में पहले बुख़ार होता है। इसके बाद सूखी खांसी होती है और फिर एक हफ़्ते बाद सांस लेने में परेशानी होने लगती है।

इन लक्षणों का हमेशा मतलब यह नहीं है कि आपको कोरोना वायरस का संक्रमण है। कोरोना वायरस के गंभीर मामलों में निमोनिया, सांस लेने में बहुत ज़्यादा परेशानी, किडनी फ़ेल होना और यहां तक कि मौत भी हो सकती है। बुजुर्ग या जिन लोगों को पहले से अस्थमा, मधुमेह या हार्ट की बीमारी है उनके मामले में ख़तरा गंभीर हो सकता है। ज़ुकाम और फ्लू में के वायरसों में भी इसी तरह के लक्षण पाए जाते हैं।

कोरोना वायरस का संक्रमण हो जाए तब?

 इस समय कोरोना वायरस का कोई इलाज नहीं है लेकिन इसमें बीमारी के लक्षण कम होने वाली दवाइयां दी जा सकती हैं।

 जब तक आप ठीक न हो जाएं, तब तक आप दूसरों से अलग रहें।

 कोरोना वायरस के इलाज़ के लिए वैक्सीन विकसित करने पर काम चल रहा है।

 इस साल के अंत तक इंसानों पर इसका परीक्षण कर लिया जाएगा।

 कुछ अस्पताल एंटीवायरल दवा का भी परीक्षण कर रहे हैं।

क्या हैं इससे बचाव के उपाय?

 स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस से बचने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

 इनके मुताबिक हाथों को साबुन से धोना चाहिए।

 अल्कोहल आधारित हैंड रब का इस्‍तेमाल भी किया जा सकता है।

 खांसते और छीकते समय नाक और मुंह रूमाल या टिश्‍यू पेपर से ढंककर रखें।

 जिन व्यक्तियों में कोल्ड और फ्लू के लक्षण हों, उनसे दूरी बनाकर रखें।

 अंडे और मांस के सेवन से बचें।

 जंगली जानवरों के संपर्क में आने से बचें।

उपसंहार : लगभग 18 साल पहले सार्स वायरस से भी ऐसा ही खतरा बना था। 2002-03 में सार्स की वजह से पूरी दुनिया में 700 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। पूरी दुनिया में हजारों लोग इससे संक्रमित हुए थे। इसका असर आर्थिक गतिविधियों पर भी पड़ा था। कोरोना वायरस के बारे में अभी तक इस तरह के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं कि कोरोना वायरस पार्सल, चिट्टियों या खाने के ज़रिए फैलता है। कोरोना वायरस जैसे वायरस शरीर के बाहर बहुत ज़्यादा समय तक ज़िंदा नहीं रह सकते।

कोरोना वायरस को लेकर लोगों में एक अलग ही बेचैनी देखने को मिली है। मेडिकल स्टोर्स में मास्क और सैनेटाइजर की कमी हो गई है, क्योंकि लोग तेजी से इन्हें खरीदने के लिए दौड़ रहे हैं।

 विश्व स्वास्थ्य संगठन, पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड और नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) से प्राप्त सूचना के आधार पर हम आपको कोरोना वायरस से बचाव के तरीके बता रहे हैं। एयरपोर्ट पर यात्रियों की स्क्रीनिंग हो या फिर लैब में लोगों की जांच, सरकार ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए कई तरह की तैयारी की है। इसके अलावा किसी भी तरह की अफवाह से बचने, खुद की सुरक्षा के लिए कुछ निर्देश जारी किए हैं जिससे कि कोरोना वायरस से निपटा जा सकता है।

(ख) अपने प्रधानाचार्य को एक आवेदन पत्र लिखिए, जिसमें खेल का सामान उपलब्ध कराने की प्रार्थना की गयी हो।

उत्तर:  सेवा में,

        प्रधानाचार्य महोदय

     +2 उ०वि०गोपीकान्दर,दुमका

विषय: खेल का सामान उपलब्ध कराने के संबंध में।

महोदय,

सविनय निवेदन यह है कि हमारे विद्यालय में खेल सामग्री समाप्त हो गयी है।  क्रिकेट का सामान टूट फूट गया है, उसकी गेंद भी काफी पुरानी हो चुकी है। वॉलीबॉल और बास्केटबॉल भी खराब हो गयी है। खेलों की प्रतियोगिता भी नज़दीक है।

इसलिए आप से प्रार्थना है की हमारे विद्यालय में समुचित खेल के सामान उपलब्ध कराने की कृपा करें।

आशा है की आप हम लोगों की प्रार्थना पर जल्द ही ध्यान देकर हमारे विद्यालय में खेल के सामान की उचित व्यवस्था करने की कृपा करेंगे।

दिनांक:__________

आपका/आपकी आज्ञाकारी शिष्य/शिष्या,

_______ (अपना नाम),

_______ (कक्षा)

(ग) अपने क्षेत्र में कानून और व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति पर किसी दैनिक पत्र के संपादक को पत्र लिखिए।

उत्तर: सेवा में,

सम्पादक, 'दैनिक भास्कर', राँची

विषय : कानून-व्यवस्था/चोरी में वृद्धि ।

महाशय,

       आपके सम्मानित पत्र के माध्यम से मै। भारत के सरकार के गृह विभाग का ध्यान अपने क्षेत्र की दयनीय शान्ति-व्यवस्था के सम्बन्ध में आकर्षित करना चाहता हूँ।

हमलोग मधुपुर क्षेत्र के रहनेवाले हैं। मधुपुर से दो मील की दूरी पर अपौया-बैजलपुर नामक गाँव है, जहाँ दो वर्ग के लोगों में पिछले तीन वर्षों से बेहद तनाव रहता है। इस अवधि में करीब पच्चीस लोग मारे जा चुके हैं। आस-पास के गाँवों पर भी इसका असर पड़ रहा है। घर-घर में लोग देशी पिस्तौल रखने लगे हैं। राह चलते लोगों पर खतरा बढ़ गया है। दिन को भी रास्ता चलते लोगों की जान सुरक्षित नहीं है। हत्या, डकैती और लूट-पाट, रोजमरे की बातें हो गयी हैं।

मधुपुर में एक थाना लगा है, लेकिन वहाँ से इस क्षेत्र की व्यवस्था को बनाये रखना संभव नहीं है। होना तो यह चाहिए कि स्वयं अमैया-बैजलपुर के बीच में एक पुलिस फांडी हो। साथ ही, कल्याणपुर से जो सड़क उन गांवों से होकर गुजरती है उस पर पुलिस का गश्ती पहरा हो और पास के सभी गांवों से तलाशी लेकर अवैध हथियारों को खोज निकाला जाय। जिला प्रशासन तो पूरी तरह सचेष्ट है, लेकिन राज्य सरकार के स्तर पर जब तक ठोस कदम नही उठाये जायेंगे तब तक कुछ नहीं होने को है।

आशा है, सरकार अविलम्ब इस दिशा में ध्यान देगी।

                                                         भवदीय

दिनांक : 21 फरवरी, 2022        दीपक कुमार , दुमका

(घ) पत्रकारिता किसे कहते हैं? पत्रकारिता के प्रकारों को लिखिए।

उत्तर: ज्ञान और विचारों का समीक्षात्मक टिप्पणियों के साथ शब्द, ध्वनि तथा चित्रों के माध्यम से जन-जन तक पहुँचा ही पत्रकारिता है।

पत्रकारिता के निम्नलिखित प्रकार हैं-

(i) खोजपरक या खोजी पत्रकारिता (ii) विशेषीकृत पत्रकारिता (ii) वाचडॉग पत्रकारिता (iv) एडवोकेसी पत्रकारिता एवं (v) वैकल्पिक पत्रकारिता ।

(1) खोजपरख या खोजी पत्रकारिता ! खोजी पत्रकारिता द्वारा सार्वजनिक महत्त्व के मामलों में भष्टाचार, गड़बड़ी, अनियमितताओं और अनैतिकताओं को उजागर करने का प्रयत्न किया जाता है। खोजी पत्रकारिता का ही नया रूप टेलीविजन में 'स्टिंग आपरेशन' के रूप में सामने आया है।

(ii) विशेषीकृत पत्रकारिता :, इसके लिए पत्रकार से किसी व्यापक क्षेत्र में विशेषज्ञता की अपेक्षा की जाती है। पत्रकारिता के विषयानुसार विशेषज्ञता के प्रमुख क्षेत्र हैं-'संसदीय पत्रकारिता', 'न्यायालय पत्रकारिता', 'आर्थिक पत्रकारिता', 'विज्ञान और विकास पत्रकारिता', 'अपराध फैशन तथा फिल्म पत्रकारिता' ।

(iii) वाचडॉग पत्रकारिता : 'बाँचडॉग पत्रकारिता' का मुख्य काम और जवाबदेही सरकार के कामकाजों और गतिविधियों पर पैनी नजर रखनी है। जहाँ कहीं भी कोई गड़बड़ी नजर आये वह उसको उद्घाटित करें।

(iv) एडवोकेसी पत्रकारिता : एडवोकेसी या पक्षधर पत्रकारिता का संबंध विशेश विचारधारा, मान्यता या मुद्दों से होता है। एडवोकेसी पत्रकारिता के संचालक समाचार संगठन अपने विशेष उद्देश्यों, मुद्दों और विचारधारा को जोर-शोर से उठाते हैं उनके पक्ष में जनमत की दिशा मोड़ने की कोशिश करते हैं। कभी-कभी किसी विशिष्ट मुद्दे पर जनमत बनाकर उसके अनुकूल प्रतिक्रिया करने या (निर्णय) लेने के लिए दबाव बनाते हैं।

(v) वैकल्पिक पत्रकारिता : पत्रकारिता को जो रूप स्थापित व्यवस्था के विकल्प को सामने लाने और उसकी सोच को अभिव्यक्त करने का प्रयत्न करता है उसे वैकल्पिक पत्रकारिता कहा जाता है। इस तरह की मीडिया को न तो पूँजीपतियों का बरदहस्त प्राप्त होता है और न ही सरकार का रक्षा कवच ही उसे मिलता है। वह तो पाठकों के सहयोग पर ही साँस लेती है।

खंड - 'ग' (पाठ्यपुस्तक)

03. निम्नलिखित में से किसी एक का काव्य सौंदर्य लिखिए- 05

(क) चंपा काले-काले अच्छर नहीं चीन्हती

मैं जब पढ़ने लगता हूँ वह आ जाती है

खड़ी खड़ी चुपचाप सुना करती है

उसे बड़ा अचरज होता है:

इन काले चिह्नों से कैसे ये सब स्वर

निकला करते हैं

उत्तर: प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित कविता ‘चंपा काले-काले अच्छर नहीं चीन्हती’ से उद्धृत है। इसके रचयिता प्रगतिशील कवि त्रिलोचन हैं। इस कविता में कवि ने पलायन के लोक अनुभवों को मार्मिकता से अभिव्यक्त किया है। गाँव में साक्षरता के प्रति उदासीनता को चंपा के माध्यम से मुखरित किया गया है।

व्याख्या-कवि चंपा नामक लड़की की निरक्षरता के बारे में बताते हुए कहता है कि चंपा काले-काले अक्षरों को नहीं पहचानती। उसे अक्षर ज्ञान नहीं है। जब कवि पढ़ने लगता है तो वह वहाँ आ जाती है। वह उसके द्वारा बोले गए अक्षरों को चुपचाप खड़ी-खड़ी सुना करती है। उसे इस बात की बड़ी हैरानी होती है कि इन काले अक्षरों से ये सभी ध्वनियाँ कैसे निकलती हैं? वह अक्षरों के अर्थ से हैरान होती है।

विशेष–

1. निरक्षर व्यक्ति की हैरानी का बिंब सुंदर है।

2. ‘काले काले’, ‘खड़ी खड़ी’ में पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार है।

3. ग्राम्य-भाषा का सुंदर प्रयोग है।

4. सरल व सुबोध खड़ी बोली है।

5. मुक्त छंद होते हुए भी लय है।

6. अनुप्रास अलंकार है।

(ख) खुदा नहीं, न सही, आदमी का ख़्वाब सही,

ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफर के लिए

उत्तर: प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित ‘गजल’ से उद्धृत हैं। यह गजल दुष्यंत कुमार द्वारा रचित है। यह उनके गजल संग्रह ‘साये में धूप’ से ली गई है। इस गजल का केंद्रीय भाव है-राजनीति और समाज में जो कुछ चल रहा है, उसे खारिज करना और नए विकल्प की तलाश करना।

व्याख्या-कवि आम व्यक्ति के विषय में बताता है कि ये लोग गरीबी व शोषित जीवन को जीने पर मजबूर हैं। यदि । इनके पास वस्त्र भी न हों तो ये पैरों को मोड़कर अपने पेट को ढँक लेंगे। उनमें विरोध करने का भाव समाप्त हो चुका है। ऐसे लोग ही शासकों के लिए उपयुक्त हैं, क्योंकि इनके कारण उनका राज शांति से चलता है। दूसरे शेर में, कवि कहता है कि संसार में भगवान नहीं है तो कोई बात नहीं। आम आदमी का वह सपना तो है। कहने का तात्पर्य है कि ईश्वर मानव की कल्पना तो है ही। इस कल्पना के जरिये उसे आकर्षक दृश्य देखने के लिए मिल जाते हैं। इस तरह उनका जीवन कट जाता है।

विशेष-

1. कवि ने भारतीयों में विरोध-भावना का न होना तथा खुदा को कल्पना माना है।

2. ‘पाँवों से पेट ढँकना’ नयी कल्पना है।

3. उर्दू मिश्रित खड़ी बोली है।

4. ‘सफ़र’ जीवन यात्रा का पर्याय है।

5. संगीतात्मकता है।

6. ‘सफ़र’ जीवन यात्रा का पर्याय है।

7. संगीतात्मकता है।

04. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए -03+03= 06

(क) चंपा ने ऐसा क्यों कहा कि कलकत्ते पर बजर गिरे ?

उत्तर: चंपा नहीं चाहती थी कि उसका पति उसे छोड़कर कमाने के लिए कलकत्ता जाए। कलकत्ता शहर परिवारों को तोड़ने वाला है। यह प्रतीक है-शोषण का। इस शोषण से आम व्यक्ति का जीवन नष्ट हो जाता है। चंपा अपने पति से अलग नहीं होना चाहती। अत: वह कलकत्ता का विनाश चाहती है ताकि उसका परिवार नहीं टूटे।

(ख) कवि अपनी गजल में चिराग के माध्यम से क्या संकेत करता है?

उत्तर: पहले शेर में चिराग शब्द का बहुवचन ‘चिरागाँ’ का प्रयोग हुआ है इसका अर्थ है अत्यधिक सुख-सुविधाओं से है। दूसरी बार यह एकवचन के रूप में प्रयुक्त हुआ है जिसका अर्थ है सीमित सुख-सुविधाओं का मिलना। दोनों का ही अपना महत्त्व है। बहुवचन शब्द कल्पना को दर्शाता है वहीँ एकवचन शब्द जीवन की यथार्थता को दर्शाता है। इस प्रकार दोनों बार आया हुआ एक ही शब्द अपने-अपने संदर्भ में भिन्न-भिन्न प्रभाव रखता है।

(ग) 'आओ मिलकर बचाएँ में कवयित्री क्या बचाने कि प्रेरणा देती है ?

उत्तर: इस कविता में दोनों/पक्षों का यथार्थ चित्रण हुआ है। बृहतर संदर्भ में यह कविता समाज में उन चीजों को बचाने की बात करती है जिनका होना स्वस्थ सामाजिक परिवेश के लिए जरूरी है। प्रकृति के विनाश और विस्थापन के कारण आज आदिवासी समाज संकट में है, जो कविता का मूल स्वरूप है। कवयित्री को लगता है कि हम अपनी पारंपरिक भाषा, भावुकता, भोलेपन, ग्रामीण संस्कृति को भूलते जा रहे हैं। प्राकृतिक नदियाँ, पहाड़, मैदान, मिट्टी, फसल, हवाएँ-ये सब आधुनिकता का शिकार हो रहे हैं। आज के परिवेश में विकार बढ़ रहे हैं, जिन्हें हमें मिटाना है। हमें प्राचीन संस्कारों और प्राकृतिक उपादानों को बचाना है। वह कहती है कि निराश होने की बात नहीं है, क्योंकि अभी भी बचाने के लिए बहुत कुछ बचा है।

05. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए -03+03=06

(क) भारत माता के प्रति नेहरू जी की क्या अवधारणा थी ?

उत्तर: भारत माता के प्रति नेहरू जी की अवधारणा यह थी कि यहाँ की धरती, पहाड़, जंगल, नदी, खेत आदि के साथ-साथ यहाँ के करोड़ों निवासी भी भारत माता हैं। भारत जितना भी हमारी समझ था उससे भी परे जितना है उससे कहीं अधिक व्यापक है। ‘भारत माता की जय’ से मतलब यहाँ के लोगों की जय से है।

(ख) क्या आप हेडमास्टर को ट्यूशन में सहायता करने का दोषी मानते हैं? क्यों?

उत्तर: रजनी ट्यूशन के रैकेट के बारे में निदेशक के पास जाती है। उसे बताती है कि बच्चों को जबरदस्ती ट्यूशन करने के लिए कहा जाता है। ऐसे लोगों के बारे में बोर्ड क्या कर रहा है? निदेशक ने इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया। वे सहज भाव से कहते हैं कि ट्यूशन करने में कोई मजबूरी नहीं है। कमजोर बच्चे को ट्यूशन पढ़ना पड़ता है। अगर कोई अध्यापक उन्हें लूटता है तो वे दूसरे के पास चले जाएँ। शिक्षा निदेशक का यह जवाब बहुत घटिया व गैरजिम्मेदाराना है। वे ट्यूशन को बुरा नहीं मानते। उन्हें इसमें गंभीरता नज़र नहीं आती। वे बच्चों के शोषण को नहीं रोकना चाहते। ऐसी बातें कहकर वह अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ना चाहता है।

(ग) स्पीति के लोग जीवनयापन के लिए किन कठिनाइयों का सामना करते हैं?

उत्तर: स्पीति के लोग जीवनयापन के लिए सब प्रकार की कठिनाइयों का सामना करते हैं। स्पीति में साल के आठ-नौ महीने बर्फ रहती है तथा यह क्षेत्र शेष संसार से कटा रहता है।कठिनता से तीन-चार महीने बसंत ऋतु आती है। यहाँ न हरियाली है, न पेड़। यहाँ वर्ष में एक बार बाजरा, गेहूँ, मटर, सरसों की फसल होती है। यहाँ रोजगार के साधन नहीं हैं।

06. 'शेखर जोशी' अथवा 'निर्मला पुतुल' की किन्हीं दो रचनाओं के नाम लिखिए। 02

उत्तर: शेखर जोशी की रचनाएं: 1. हलवाहा और 2. साथ के लोग

         निर्मला पुतुल की रचनाएं: 1. अपने घर की तलाश में और 2. क्या तुम जानते हो

07. 'आलो आँधारि' रचना बेबी की व्यक्तिगत समस्याओं के साथ ही कई सामाजिक मुद्दों को समेटे है। किसी दो समस्याओं पर अपने विचार प्रकट करें। 03

उत्तर: आलो-आँधारि रचना बेबी की व्यक्तिगत समस्याएँ थीं; जैसे बच्चों की ज़िम्मेदारी, अपने लिए काम की तलाश, अपने लिए छत की तलाश, अपने सम्मान की रक्षा, बच्चों का भविष्य इत्यादि। इनके साथ-साथ कई सामाजिक मुद्दे भी इस रचना के माध्यम से दिखाई देते है; जैसे- बाल मज़दूरी, स्त्री शोषण, गरीबी।

बेबी एक ऐसी महिला थी, जो अपने पति को छोड़कर अपने बच्चों के साथ रह रही थी। उस पर तीन बच्चों की ज़िम्मेदारी थी। वह अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित थी। इसकी अतिरिक्त अकेली स्त्री के रूप में स्वयं के मान-सम्मान की रक्षा करना उसके लिए बहुत बड़ी चुनौती थी। दो समस्याएँ थीं, जो बेबी के लिए बहुत बड़ा प्रश्न थीं-

(क) बाल मज़दूरी तथा गरीबी-  बेबी को अपने बेटे को गरीबी के कारण किसी व्यक्ति के घर में काम करने के लिए भेजना पड़ा। बॉल मज़दूरी अपराध है मगर बेबी विवश थी। आजकल बहुत से लोग होते हैं, जो बच्चों बॉल मज़दूरी करवाते हैं। यह बहुत बड़ा अपराध है। भारत एक बहुत बड़ा देश है। यहाँ की आबादी भी बहुत अधिक है। भारत में आबादी का एक बहुत बड़ा भाग गरीबी रेखा के नीचे आता है। जिन्हें नौकरी, रोटी, कपड़ा सरलता से नहीं मिल पाते, वे सब इस रेखा के अंदर आते हैं। इस तरह के हालात ऐसे लोगों में अधिकतर पाए जाते हैं, जिनका परिवार बहुत बड़ा होता है और कमाने वाले बहुत ही कम। परिणामस्वरूप हालात ऐसे बन जाते हैं कि इन परिवारों के बच्चे छोटी-छोटी उम्र में कमाने के लिए घर से बाहर जाने लगते हैं। छोटी उम्र में नौकरी करने के कारण ये बाल श्रमिक कहलाते हैं। लोग इनकी छोटी उम्र को देखते हुए  इनसे काम अधिक करवाते हैं और पैसे कम देते हैं। पढ़ने की उम्र में रोटी के लालच में यह हर स्थान पर नौकरी करते देखे जाते हैं। अधिकतर गाँवों से रहने आए परिवारों, गरीब परिवारों, अशिक्षित परिवारों के बच्चे बाल श्रमिक बन जाते हैं।

(ख) अशिक्षित स्त्री अपने अधिकारों से वचिंत होती है। कोई भी उसका फ़ायदा उठा सकता है। समाज में अशिक्षित होने के कारण उसका शोषण सबसे ज्यादा होता है। यदि स्त्री शिक्षित है तो वह स्वयं को स्वाबलंबी बना लेती है, इससे वह अपने भरण पोषण के लिए किसी दूसरे पर निर्भर नहीं होती है। इस तरह व अपने ऊपर हो रहे शोषण का विरोध कर स्वयं को बचा सकती है। स्त्री का शिक्षित होना समाज, देश व उसके स्वयं के विकास के लिए अति आवश्यक है। जिस स्थान पर स्त्री शिक्षित होती है, वहाँ इतनी विषमताएँ देखने को नहीं मिलती है। हमें चाहिए की स्त्रियों को नाम का आदर व सम्मान न देकर उन्हें जीवन में सही विकास करने व जीवन स्वतंत्र रूप से जीने के अवसर प्रदान करने चाहिए। इसके लिए सबसे पहले उनकी शिक्षा का उचित प्रबंध करना चाहिए

अथवा,

जब लेखिका ने अपनी रचना अपने नाम के साथ पत्रिका में छपी देखी तो उसकी मनःस्थिति कैसी थी?

उत्तर: बेबी को जैसे ही पैकेट में पत्रिका मिली। उसे पत्रिका के पन्ने पर अपना नाम दिखाई दिया-“आलो-आँधारि” बेबी हालदार। वह प्रसन्नता से झूम उठी। उसने अपने बच्चों से उसे पढ़वाया। बच्चे नाम पढ़कर हँसने लगे। उन्हें हँसता देख बेबी ने उन्हें अपने पास खींच लिया। तभी उसे तातुश की याद आई, जिनकी प्रेरणा से उसने लिखना शुरू किया था। वह बच्चों को छोड़कर भागती हुई तातुश के पास गई और उन्हें प्रणाम किया। तातुश ने उसके सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया।

08. तातुश लेखिका को देखकर प्रसन्न क्यों हो उठते थे? 02

उत्तर: लेखिका जब तातुश को तातुश कहकर बुलाती तो वह बहुत खुश होते और कहते, तुम मेरी लड़की जैसी हो। इस घर की लड़की हो। कभी यह मत सोचना कि तुम परायी हो।

अथवा

लेखिका बेबी हालदार बाहर किसी व्यक्ति से बात क्यूँ नहीं करती है?

उत्तर: घर के बाहर लेखिका किसी से भी अधिक बात नहीं करती थी। उसने औरतों के बीच बैठना भी नहीं सीखा था । कभी-कभी कहीं खड़ी भी होती तो वही बातें आरम्भ हो जातीं-कैसे रहती हो, बच्चों के साथ अकेली । तुम्हारा पति तुम्हारे साथ क्यों नहीं रहता ? अपरिचित भी उससे बातें करने का प्रयास करते थे। मगर लेखिका उनका मतलब समझती थी। इसी कारण वह सभी से दूरी बनाकर रखती थी।

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