पाठ्यपुस्तक से अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए
(i) निम्नलिखित में से कौन-सा नगर नदी तट पर अवस्थित नहीं है
(क)
आगरा
(ख) भोपाल
(ग)
पटना
(घ)
कोलकाता।
(ii) भारत की जनगणना के अनुसार निम्नलिखित में से कौन-सी एक विशेषता
नगर की परिभाषा का अंग नहीं है
(क)
जनसंख्या घनत्व 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी
(ख)
नगरपालिका, निगम का होना
(ग) 75% से अधिक जनसंख्या का प्राथमिक खण्ड में संलग्न होना
(घ)
जनसंख्या आकार 5000 व्यक्तियों से अधिक।
(iii) निम्नलिखित में से किस पर्यावरण में परिक्षिप्त ग्रामीण बस्तियों
की अपेक्षा नहीं की जा सकती
(क) गंगा का जलोढ़ मैदान
(ख)
राजस्थान के शुष्क और अर्द्ध शुष्क प्रदेश
(ग)
हिमालय की निचली घाटियाँ
(घ)
उत्तर-पूर्व के वन और पहाड़ियाँ।
(iv) निम्नलिखित में से नगरों का कौन-सा वर्ग अपने पदानुक्रम के अनुसार
क्रमबद्ध है
(क)
बृहन मुम्बई, बंगलुरु, कोलकाता, चेन्नई
(ख)
दिल्ली, बृहन मुम्बई, चेन्नई, कोलकाता
(ग)
कोलकाता, बृहन मुम्बई, चेन्नई, कोलकाता
(घ) बृहन मुम्बई, कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई।
प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए
(i) गैरिसन नगर क्या होते हैं? उनका क्या प्रकार्य होता है?
उत्तर:
गैरिसन नगर – ब्रिटिशकाल में अंग्रेजी शासकों ने कई छावनियाँ बनाईं जिन्हें
‘गैरिसन नगर’ कहते हैं।
गैरिसन
नगर के कार्य – इनका प्रमुख कार्य सुरक्षा प्रदान करना होता है। उदाहरण-अम्बाला
छावनी, मेरठ छावनी, जालन्धर छावनी, महू छावनी आदि।
(ii) किसी नगरीय संकुल की पहचान किस प्रकार की जा सकती है?
उत्तर:
किसी नगरीय संकुल की पहचान निम्नलिखित तीन में से कोई एक संयोजन से हो सकती है
1.
नगर तथा इसका संलग्न विस्तार
2.
विस्तार सहित या बिना विस्तार के दो या दो से अधिक सटे हुए नगर और
3.
एक नगर और उससे सटे हुए एक या एक से अधिक नगरों और उनके क्रमिक विस्तार।
(iii) मरुस्थलीय प्रदेशों में गाँवों के अवस्थिति के कौन-से मुख्य कारक
होते हैं?
उत्तर:
मानव जीवन के अस्तित्व के लिए जल का उपलब्ध होना अति आवश्यक है और मानव बस्ती उसी
स्थल पर बसती है जहाँ पर जल उपलब्ध होता है, अत: मरुस्थलीय प्रदेशों में गाँवों की
अवस्थिति में जल सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। उच्चावच और जलवायु अन्य महत्त्वपूर्ण
कारक हैं।
(iv) महानगर क्या होते हैं? ये नगरीय संकुलों से किस प्रकार भिन्न होते
हैं?
उत्तर:
दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर को ‘महानगर’ कहते हैं। महानगर और नगरीय संकुलों
में अन्तर यह है कि नगरीय संकुल के आस-पास के नगरीय विस्तार भी शामिल किए जाते
हैं।
प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए
(i) विभिन्न प्रकार की ग्रामीण बस्तियों के लक्षणों की विवेचना कीजिए।
विभिन्न भौतिक पर्यावरणों में बस्तियों के प्रारूपों के लिए उत्तरदायी कारक कौन-से
हैं?
उत्तर:
ग्रामीण बस्तियों के प्रकार
भारत
की ग्रामीण बस्तियों को मुख्य रूप से चार भागों में बाँटा जाता है
1. गुच्छित, संहत अथवा केन्द्रित बस्तियाँ – इस तरह की बस्तियों में ग्रामीण घरों के संहत खण्ड पाए जाते हैं। घरों की दो कतारों को सँकरी, तंग तथा टेढ़ी-मेढ़ी गलियाँ पृथक् करती हैं। सामान्यत: इन बस्तियों का एक अभिन्यास होता है, जो रैखिक, आयताकार, ‘L’ आकृति अथवा कभी-कभी आकृतिविहीन होता है।
2.
अर्द्धगुच्छित या विखण्डित बस्तियाँ – किसी सीमित क्षेत्र में समूहन प्रवृत्ति या समेकित
प्रादेशिक आधार के परिणामस्वरूप ही अर्द्धगुच्छित या विखण्डित बस्तियाँ बनती हैं। प्रायः
किसी बड़े संहत गाँव के पृथक्करण या विखण्डन के परिणामस्वरूप ही ऐसे प्रतिरूप उभरते
हैं। इस उदाहरण में ग्रामीण समाज का एक या एक से अधिक वर्ग स्वेच्छा या मजबूरी से मुख्य
गुच्छित बस्ती से कुछ दूरी पर अलग बस्ती बनाकर रहने लगता या लगते हैं।
3.
पुरवे – जाति व्यवस्था के कारण उत्पन्न सामाजिक विलगाव, कभी-कभी गुच्छित बस्तियों को
विखण्डित कर देता है। बस्तियों की ये गौण इकाइयाँ पान्ना, पाड़ा, पल्ली, नंगला या ढाणी
कहलाती हैं।
4.
परिक्षिप्त या एकाकी बस्तियाँ – इस तरह की बस्ती में छोटे-छोटे हैमलेट एक बड़े क्षेत्र
पर दूर-दूर बिखरे होते हैं। इसका कोई अभिन्यास नहीं होता, क्योंकि इन बस्तियों में
केवल कुछ ही घर होते हैं। सामान्यत: ये बस्तियाँ सुदूर वनों में एकाकी झोपड़ी या कुछ
झोपड़ियों के समूह के रूप में पायी जाती हैं। ऐसी बस्तियाँ छोटी पहाड़ियों पर भी होती
हैं, जिनके आस-पास के ढालों पर खेत अथवा चरागाह होते हैं।
(ii) क्या एक प्रकार्य वाले नगर की कल्पना की जा सकती है? नगर बहुप्रकार्यात्मक
क्यों हो जाते हैं?
उत्तर:
एक प्रकार्य वाले नगर की कल्पना नहीं की जा सकती, क्योंकि कोई भी नगर एक प्रकार्य
पर आश्रित नहीं रह सकता। सभी नगर बहुप्रकार्य होते हैं अर्थात् प्रत्येक नगर एक से
अधिक प्रकार्य करता है। कुछ . नगर अपने एक महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए अवश्य जाने
जाते हैं।
उदाहरण-चण्डीगढ़
प्रशासनिक नगर, फरीदाबाद औद्योगिक नगर तथा कुरुक्षेत्र धार्मिक नगर है, लेकिन इसका
यह अर्थ कदाचित नहीं है कि चण्डीगढ़ प्रशासन के अतिरिक्त अन्य कोई कार्य नहीं
करता। इसका एक सुनिश्चित औद्योगिक क्षेत्र है और विश्वविद्यालय के अतिरिक्त कई
उच्च शिक्षण के संस्थान भी हैं, अत: यह एक बहु-प्रकार्य नगर है, यद्यपि इसका मुख्य
कार्य प्रशासन है। फरीदाबाद में कई शैक्षणिक संस्थान हैं, अत: यह औद्योगिक नगर
होने के साथ-साथ शिक्षा का भी बड़ा केन्द्र है। यद्यपि कुरुक्षेत्र मूलत: धार्मिक
स्थल है तथापि इस नगर में एक विश्वविद्यालय है और यह शिक्षा का भी बड़ा केन्द्र
है।
अन्य परीक्षाउपयोगी महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
दीर्घउत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. ग्रामीण एवं नगरीय बस्तियों में अन्तर को समझाइए।
उत्तर:
प्रश्न 2. गुच्छित एवं परिक्षिप्त बस्तियों में अन्तर को समझाइए।
उत्तर: गुच्छित एवं परिक्षिप्त बस्तियों में अन्तर
प्रश्न 3. ग्रामीण बस्तियों के प्रकारों को निर्धारित करने वाले
कारकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
ग्रामीण बस्तियों के प्रकारों को निर्धारित करने वाले कारक ग्रामीण बस्तियों के
प्रकारों को निर्धारित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं
1.
भौतिक कारक – बस्तियों के प्रकार और विभिन्न बस्तियों के बीच आपसी दूरी के निर्धारण
में उच्चावच, ऊँचाई, अपवाह-तन्त्र, भौम जल-स्तर की गहराई, जलवायु तथा मिट्टी जैसे भौतिक
कारकों का महत्त्वपूर्ण योगदान है। उदाहरण के लिए; शुष्क क्षेत्रों में बस्ती का प्रकार
निर्धारित करने वाला पानी अकेला महत्त्वपूर्ण कारक है। वहाँ मकान जल के स्रोत जैसे
कुएँ या तालाब के चारों तरफ बनाए जाते हैं।
2.
सांस्कृतिक एवं मानवजातीय कारक – नृ-जातीय एवं सांस्कृतिक कारण जैसे जन-जातीयता, जाति
व्यवस्था अथवा साम्प्रदायिक पहचान आदि भी ग्रामीण बस्तियों के अभिन्यास को प्रभावित
करते हैं। भारत के गाँवों में उच्च जातियों के जमींदारों के घर गाँव के बीचों-बीच उनके
केन्द्र के रूप में बने होते हैं। इनके चारों तरफ सेवा व चाकरी करने वाले कमजोर वर्ग
की जातियों जैसे कुम्हार, लोहार, बुनकर, बढ़ई आदि के घर होते हैं। अनुसूचित जाति के
लोगों के घर प्रायः बस्ती से दूर गाँव की सीमा पर होते हैं। यह प्रवृत्ति सामाजिक अलगाव
का उदाहरण है। इससे गुच्छित बस्ती का छोटी इकाइयों से विखण्डन हो जाता है।
3.
सुरक्षा सम्बन्धी कारक – भारत के इन प्रदेशों में जहाँ बाहर से आने वाले आक्रमणकारी
बार-बार युद्ध करते थे, लोग फौजों के आतंक से बचने के लिए संहत बस्तियों में रहने को
प्राथमिकता देते थे। भारत के उत्तरी भाग में संहत बस्तियों के निर्माण में इन बाहरी
युद्धों का भी योगदान है। ये संहत बस्तियाँ राजनीतिक अराजकता के समय भी ग्रामीण लोगों
को सुरक्षा प्रदान करती थीं, जब राजनीतिक शक्ति प्राप्त करने की होड़ में कुछ दल आपसी
लड़ाई के भय और लूट का माहौल बना देते थे।
प्रश्न 4. परिक्षिप्त बस्तियाँ क्या हैं? इनकी विशेषताएँ, उत्पत्ति
के कारक एवं वितरण को समझाइए।
उत्तर:
परिक्षिप्त बस्तियाँ – इस प्रकार की बस्ती में आठ-दस घरों से बनी छोटी-छोटी
पल्लियाँ एक बड़े क्षेत्र पर दूर-दूर बिखरी होती हैं। इन बस्तियों को छितरी हुई,
एकाकी, बिखरी हुई बस्तियाँ कहते हैं। परिक्षिप्त बस्तियों की विशेषताएँ
परिक्षिप्त
बस्तियों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1.
इनमें मकान एक-दूसरे से दूर बने होते हैं। कभी-कभी मकानों के बीच कई खेत होते हैं।
2.
इनमें लोग अलग-अलग एकाकी रहते हैं।
3.
इन बस्तियों के लोग व्यक्तिवादी और स्वतन्त्र जीवन-यापन के अभ्यस्त होते हैं।
4.
इनमें पड़ोसी धर्म की भावना, सामुदायिक अन्तर्निर्भरता और सामाजिक अन्तक्रिया नहीं
होती।
परिक्षिप्त
बस्तियों की उत्पत्ति के कारक
परिक्षिप्त
बस्तियों की उत्पत्ति के कारक निम्नलिखित हैं
1.
ऊबड़-खाबड़, बीहड़ों और अनुपजाऊ मृदा के कारण कृषि के अयोग्य भूमि, ऐसी बस्तियों
की उत्पत्ति में सहायक होती है,
2.
मि की बाढ़ प्रवणता
3.
भूमि का ऊसर होना
4.
कृषि कार्यों में लगी जातियों में ऊँच-नीच की भावना
5.
कृषि भूमि का ठेके पर दिया जाना,
6.
शान्ति और सुरक्षा की भावना का होना।
परिक्षिप्त
बस्तियों का वितरण
परिक्षिप्त
बस्तियों का वितरण निम्न प्रकार है
1.
हिमालय क्षेत्र में कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक ऐसी बस्तियाँ पायी जाती हैं।
2.
हिमालय के तराई और भाबर क्षेत्र।
3.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश का गंगा के खादर का क्षेत्र।
4.
पूर्वी तथा दक्षिणी राजस्थान।
5.
असम के वन क्षेत्र।
प्रश्न 5. पल्ली बस्तियाँ किसे कहते हैं? इसकी विशेषताएँ व वितरण
को समझाइए।
उत्तर:
पल्ली बस्तियाँ-कई बार बस्ती भौतिक रूप से एक-दूसरे से अलग अनेक इकाइयों में बँट
जाती है, लेकिन उन सबका नाम एक रहता है। इन इकाइयों के स्थानीय नाम हैं—पान्ना,
पाड़ा, पाली, नगला, ढाँणी आदि।
पल्ली
बस्तियों की विशेषताएँ
पल्ली
बस्तियों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1.
इनमें मकान अधिक सटे होते हैं।
2.
इनका विस्तार अपेक्षाकृत बड़े क्षेत्र में होता है।
3.
मुख्य बस्ती के साथ एक या उससे अधिक पुरवे होते हैं।
4.
भीड़ बढ़ जाने पर बस्ती के केन्द्रीय भाग से निकलकर लोग गाँव की सीमा से लगे खेतों
में घर बनाकर रहने लगते हैं।
पल्ली
बस्तियों का वितरण
ये
बस्तियाँ मैदानी भागों में ही मिलती हैं। इनके मुख्य क्षेत्र हैं
1.
गंगा-घाघरा दोआब के पूर्वी भाग में
2.
मध्य गंगा के विशेषत: गंगा के खादर में
3.
रुहेलखण्ड के बांगर क्षेत्र में
4.
वध के मैदान में
5.
गंगा – यमुना दोआब के कुछ भाग में, छत्तीसगढ़ और हिमालय की निचली घाटियों में तथा
6.
मध्य उत्तरी बिहार में
7.
बिहार के दक्षिण में गंगा की धारा के कुछ दूर, लेकिन इसके समान्तर, ये बस्तियाँ
फैली हैं।
प्रश्न 6. आधुनिक नगरों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सन् 1707 के बाद की अवधि के भारत के नगरीय परिदृश्य को अंग्रेजों और अन्य
यूरोपवासियों ने आकर बदला। बाहरी शक्ति के रूप में आए इन विदेशियों ने सर्वप्रथम
भारत के तटीय स्थानों पर अपने पैर जमाए थे। व्यापार के इरादे से आए इन लोगों ने
सबसे पहले कुछ व्यापारिक पत्तनों जैसे गोवा, पुड्डुचेरी, सूरत व दमन आदि का विकास
किया। बाद में अंग्रेजों ने देश में रेलमार्गों का विस्तार किया और तीन मुख्य
नगरों मुम्बई, चेन्नई और कोलकाता में अपनी प्रशासनिक जड़ों को मजबूत किया।
अंग्रेजों द्वारा निर्मित नगर अंग्रेजी स्थापत्य कला के अनुसार विकसित हुए थे।
अंग्रेज प्रत्यक्ष नियन्त्रण द्वारा भारतीय रियासतों पर तेजी से कब्जा करते गए और
इसी दौरान उन्होंने प्रशासनिक केन्द्रों व पर्यटन स्थलों के रूप में अनेक पर्वतीय
नगरों का विकास किया। उन्होंने पहले से विद्यमान नगरों में छावनी क्षेत्र,
प्रशासनिक क्षेत्र व सिविल लाइन्स इत्यादि जोड़ दिए। सन् 1850 के बाद भारत में
आधुनिक उद्योगों पर आधारित अनेक नगरों का विकास हुआ। जमशेदपुर इसका उदाहरण है। .
स्वतन्त्रता-प्राप्ति
के पश्चात् भारत में अनेक नगरों का उदय प्रशासनिक मुख्यालयों तथा औद्योगिक नगरों
के रूप में हुआ। गांधीनगर, चण्डीगढ़, भुवनेश्वर तथा दिसपुर प्रशासनिक मुख्यालयों
तथा भिलाई, दुर्गापुर, बरौनी तथा सिंदरी नए औद्योगिक केन्द्रों के उदाहरण हैं।
सन्
1960 के बाद कुछ प्राचीन नगरों का महानगरों के चारों तरफ उपनगरों के रूप में विकास
किया गया। उदाहरणत: दिल्ली के चारों तरफ विकसित आधुनिक नगरों में नोएडा व
गुरुग्राम का नाम प्रमुख है। इसके अलावा फरीदाबाद, गाजियाबाद, रोहतक इत्यादि भी
दिल्ली के उपनगर हैं। सन् 1980 के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में विनिवेश बढ़ने के
फलस्वरूप भारत में अधिक संख्या में मध्यम और छोटे कस्बों का विकास हुआ है।
प्रश्न 7. विशिष्ट प्रकार्यों के आधार पर भारतीय नगरों को वर्गीकृत
कीजिए।
Ø अथवा नगरों के प्रकार्यात्मक वर्गीकरण का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारतीय नगरों का प्रकार्यात्मक वर्गीकरण
विशिष्ट
प्रकार्यों के आधार पर भारत के नगरों को निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकृत किया जा
सकता है
1.
प्रशासनिक नगर-इन नगरों का प्रमुख कार्य अपने निर्धारित क्षेत्र की सीमाओं में प्रशासनिक
कार्यों का निष्पादन होता है। इन नगरों में राजधानी के अलावा नगर भी शामिल होते हैं;
जैसे-नई दिल्ली, शिमला, . चण्डीगढ़, भोपाल, शिलांग आदि।
2.
औद्योगिक नगर – ये नगर मुख्य रूप से कच्चे माल तथा अर्द्धनिर्मित माल को उपयोगी विनिर्मित
वस्तुओं में बदलने का कार्य करते हैं; जैसे-हुगली, भिलाई, जमशेदपुर, मोदीनगर, सेलम
आदि।
3.
परिवहन नगर – ये नगर सड़क/रेल/वायु/जलमार्ग के प्रमुख केन्द्र होते हैं; जैसे—मुम्बई,
कोलकाता, मुगलसराय, इटारसी, कटनी आदि।
4.
वाणिज्यिक नगर – व्यापार और वाणिज्य में विशिष्टता प्राप्त शहरों और नगरों को इस वर्ग
में रखा जाता है; जैसे-कोलकाता, सहारनपुर, सतना आदि।
5.
खनन नगर – खनन कार्यों में विशिष्टता प्राप्त करने वाले भारत के प्रमुख नगर हैं, जैसे-रानीगंज,
झरिया, अंकलेश्वर व सिंगरौली आदि।
6.
गैरिसन (छावनी) नगर – ये वे नगर हैं जिनका विकास आरम्भ में सुरक्षा सेनाओं की छावनी
के रूप में हुआ था; जैसे—अम्बाला, मेरठ, जालन्धर, बबीना, हिसार व महू आदि।
7.
धार्मिक और सांस्कृतिक नगर – ऐसे नगरों में धार्मिक व सांस्कृतिक क्रियाकलापों की प्रधानता
होती है; जैसे-अमृतसर, मथुरा, वृन्दावन, हरिद्वार, तिरुपति, शिरडी आदि।
8.
शैक्षिक नगर – इस श्रेणी के नगरों में शैक्षिक कार्यों की प्रधानता रहती है; जैसे-रुड़की,
वाराणसी, दिल्ली, अलीगढ़, पिलानी, रोहतक व कुरुक्षेत्र आदि।
9.
पर्यटन नगर – इस श्रेणी के नगरों में स्वास्थ्यवर्धक जलवायु, सुन्दर, मनोहारी प्राकृतिक
दृश्यावली तथा मनोरंजन की विभिन्न सुविधाएँ मिलती हैं; जैसे—कुल्लू, मनाली, शिमला,
नैनीताल, माउण्ट आबू आदि।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. नगरीय क्षेत्र में शामिल बस्तियों के लक्षण बताइए।
उत्तर:
नगरीय क्षेत्र में शामिल बस्तियों की विशेषताएँ (लक्षण) निम्नलिखित हैं
1.
नगरपालिका, नगर-निगम, अधिसूचित नगर क्षेत्र समिति, छावनी बोर्ड आदि सहित सभी
सांविधिक स्थान।
2.
बस्ती की जनसंख्या कम-से-कम हो।
3.
बस्ती की कम-से-कम 75 प्रतिशत पुरुष जनसंख्या गैर-कृषि कार्यकलापों में कार्यरत
हो।
4.
बस्ती में जनसंख्या का घनत्व कम-से-कम 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी हो।
प्रश्न 2. गुच्छित बस्तियों की विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
गुच्छित बस्तियों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1.
ये बस्तियाँ प्रायः खेतों के मध्य किसी ऊँचे और बाढ़ आदि से सुरक्षित स्थानों पर
बसी होती हैं।
2.
इनमें सभी मकान एक-दूसरे से सटाकर बनाए जाते हैं।
3.
ये बस्तियाँ एक स्थान पर संकेन्द्रित होती हैं।
4.
इन बस्तियों में रहने वालों को सुख-दुःख में एक-दूसरे से सहायता मिलती है।
प्रश्न 3. गुच्छित बस्तियों के सघन होने के क्या कारण हैं?
उत्तर:
गुच्छित बस्तियों के सघन होने के निम्नलिखित कारण हैं
1.
ये बस्तियाँ उपजाऊ मृदा व भू-जल उपलब्धता वाले क्षेत्रों में
बसती हैं। कृषि में सहयोग की आवश्यकता और वंश तथा जातियों के साथ मिलकर रहने की भावना
से भी बस्तियाँ सघन हो जाती हैं।
2.
जाटों, गुर्जरों, राजपूतों आदि के वंशों के एकजुट होने के कारण ये बस्तियाँ सघन हो
गई हैं।
3.
मजदूरों, दस्तकारों आदि के आर्थिक-सामाजिक बन्धनों ने भी बस्तियों को सघन बनाया
है।
4.
असुरक्षा की भावना से वशीभूत लोग भी बड़ी संख्या में एक साथ रहना चाहते हैं।
प्रश्न 4. अर्द्धगुच्छित बस्तियों की विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
अर्द्धगुच्छित बस्तियों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1.
मकान एक-दूसरे से अलग, लेकिन एक ही बस्ती में होते हैं।
2.
बस्ती अनेक पुरवों में विभक्त होती है।
3.
प्राय: जमीन के मालिक धनी और प्रभावशाली व्यक्ति गाँव के मध्य में रहते हैं और
गाँव का एक ही नाम होता है।
4.
अलग-अलग पुरवों में अलग-अलग जातियों के लोग रहते हैं।
प्रश्न 5. पल्ली बस्तियों की विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
पल्ली बस्तियों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1.
पल्ली बस्तियों में मकान अधिक सटे नहीं होते हैं।
2.
इनका विस्तार अपेक्षाकृत बड़े क्षेत्र में होता है।
3.
मुख्य बस्ती के साथ एक या उससे अधिक पुरवे होते हैं।
4.
भीड़ बढ़ जाने पर बस्ती के केन्द्रीय भाग से निकलकर लोग गाँव की सीमा से लगे खेतों
में घर बनाकर रहने लगते हैं।
प्रश्न 6. भारतीय नगरों की विशेषताओं को समझाइए।
उत्तर:
भारतीय नगरों की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं
1.
भारत के अधिकांश नगरों में गाँवों की छाप स्पष्ट झलकती है। वास्तव में नगर बड़े
गाँव हैं।
2.
अधिकांश नगरीय जनसंख्या व्यवहार, आदतों, दृष्टिकोण और भाषा हर प्रकार से ग्रामीण
है।
3.
अनेक नगरों में प्राचीन प्रकार्यों के चिह्न देखने को मिलते हैं।
4.
भारतीय नगरों का प्रकार्यात्मक पृथक्करण अभी प्रारम्भिक अवस्था में है। इसकी
पश्चिमी देशों से तुलना नहीं की जा सकती है।
प्रश्न 7. नगरीय बस्तियों के लक्षणों को समझाइए।
उत्तर:
नगरीय बस्तियों के लक्षण (विशेषताएँ) निम्नलिखित हैं
1.
नगरीय बस्तियाँ संख्या में अपेक्षाकृत कम किन्तु बड़ी बस्तियाँ होती हैं।
2.
नगरीय बस्तियाँ द्वितीयक एवं तृतीयक क्रियाकलापों में विशेषीकृत होती हैं।
3.
नगरीय बस्तियाँ एक तरफ कच्चे माल के प्रक्रमण और निर्मित माल के विनिर्माण तथा
दूसरी तरफ विभिन्न प्रकार की सेवाओं पर निर्भर करती हैं।
4. नगरीय क्षेत्रों में जीवन का ढंग जटिल और तीव्र होता है और सामाजिक सम्बन्ध भी औपचारिक व व्यक्तिगत होते हैं।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. मानव बस्ती किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी भी प्रकार और आकार के घरों का संकुल जिसमें मनुष्य रहते हैं, ‘मानव बस्ती’
कहलाती है।
प्रश्न 2. बस्ती की प्रक्रिया में मूल रूप से किसे शामिल किया जाता
है?
उत्तर:
बस्ती की प्रक्रिया में मूल रूप से दो बातें शामिल होती हैं
1.
लोगों का समूहन, एवं
2.
संसाधन आधार के रूप में भूमि का आवंटन।
प्रश्न 3. बस्ती कितने प्रकार की होती है?
उत्तर:
बस्तियाँ सामान्यत: दो प्रकार की होती हैं
1.
ग्रामीण बस्तियाँ, एवं
2.
नगरीय बस्तियाँ।
प्रश्न 4. ग्रामीण व नगरीय बस्तियाँ किन आधारों पर एक-दूसरे से
भिन्न होती हैं?
उत्तर:
ग्रामीण व नगरीय बस्तियों में भिन्नता के आधार हैं
1.
व्यवसाय
2.
आकार
3.
कुल जनसंख्या
4.
पालन की क्षमता
5.
जनघनत्व
6.
आधुनिक सुविधाएँ एवं
7.
जन सम्बन्ध आदि।
प्रश्न 5. भारत में ग्रामीण बस्तियों के प्रकार बताइए।
उत्तर:
भारत में ग्रामीण बस्तियाँ चार प्रकार की होती हैं
1.
गुच्छित, संकुलित अथवा केन्द्रित
2.
अर्द्धगुच्छित अथवा विखण्डित
3.
पल्लीकृत और
4.
परिक्षिप्त अथवा एकाकी।
प्रश्न 6. गुच्छित बस्तियाँ कहाँ पायी जाती हैं?
उत्तर:
गुच्छित बस्तियाँ प्राय: उपजाऊ जलोढ़ मैदानों, शिवालिक की घाटियों और पूर्वोत्तर
राज्यों में पायी जाती हैं।
प्रश्न 7. एकाकी बस्तियाँ कहाँ पायी जाती हैं?
उत्तर:
एकाकी बस्तियाँ उच्च भूमियों, पर्वतीय क्षेत्रों और मरुस्थलीय भागों में पायी जाती
हैं।
प्रश्न 8. नगरीय बस्तियाँ किसका केन्द्र होती हैं?
उत्तर:
नगरीय बस्तियाँ उद्योग, व्यापार, प्रशासन, सुरक्षा, शिक्षा, तकनीक, संस्कृति और
मनोरंजन का केन्द्र होती हैं।
प्रश्न 9. नगरीकरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
नगरीय जनसंख्या के बढ़ने को नगरीकरण की प्रक्रिया कहते हैं।
प्रश्न 10. नगरीय जनसंख्या किस प्रकार से बढ़ती है?
उत्तर:
नगरीय जनसंख्या तीन प्रकार से बढ़ती है
1.
प्राकृतिक वृद्धि
2.
गाँवों से नगरों की ओर प्रवास तथा
3.
किसी ग्रामीण क्षेत्र के नगरीय घोषित हो जाने से।
प्रश्न 11. नगरों के वर्गीकरण के सर्वाधिक प्रचलित आधार क्या हैं?
उत्तर:
नगरों के वर्गीकरण के सर्वाधिक प्रचलित आधार हैं
1.
जनसंख्या आकार के आधार पर
2.
प्रकार्यों के आधार पर।
प्रश्न 12. भारत के कोई दो प्रशासनिक नगरों के नाम लिखिए।
उत्तर: भारत के प्रशासनिक नगर हैं
1.
नई दिल्ली
2.
शिमला।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. सामान्यतः बस्तियाँ कितने प्रकार की होती हैं
(a) दो
(b)
तीन
(c)
चार
(d)
पाँच।
प्रश्न 2. ग्रामीण बस्तियों की प्रमुख विशेषता है
(a)
छोटी बस्तियाँ
(b)
प्राथमिक क्रियाकलाप
(c)
कम गतिशीलता
(d) उपर्युक्त सभी।
प्रश्न 3. नगरीय बस्तियों का लक्षण है
(a)
अपेक्षाकृत बड़ी बस्तियाँ
(b)
द्वितीयक व तृतीयक क्रियाकलापों में विशेषीकृत
(c)
जीवन का जटिल होना
(d) उपर्युक्त सभी।
प्रश्न 4. पल्लीकृत बस्तियों का स्थानीय नाम है
(a)
पान्ना
(b)
पाड़ा
(c)
पाली
(d) उपर्युक्त सभी।
प्रश्न 5. भारत का प्राचीन नगर है
(a)
इलाहाबाद
(b)
पटना
(c)
मथुरा
(d) उपर्युक्त सभी।
प्रश्न 6. प्रशासनिक नगर है
(a) नई दिल्ली
(b)
कालका
(c)
सिंगरौली
(d)
नैनीताल।
प्रश्न 7. निम्नलिखित में से कौन-सा औद्योगिक नगर नहीं है
(a)
जमशेदपुर
(b)
फरीदाबाद
(c) काठगोदाम
(d)
सेलम।
प्रश्न 8. परिवहन नगर का उदाहरण है
(a)
रानीगंज
(b)
अमृतसर
(c)
मनाली
(d) मुम्बई।