2.PGT अर्थशास्त्र की परिभाषा (Definition of Economics)

PGT अर्थशास्त्र की परिभाषा (Definition of Economics)

 (1) धन सम्बन्धी परिभाषाएँ (प्रतिष्ठित दृष्टिकोण) :- 

एडम स्मिथ, J.B. Say, रिकार्डो, J.S. मिल, वाकर, सिनियर

👉प्राचीन अर्थशास्त्रियों ने अर्थशास्त्र को धन के शास्त्र के रूप में परिभाषित किया था।

👉एडम स्मिथ के अनुसार " अर्थशास्त्र वह विषय है जो कि राष्ट्रो के धन की प्रकृति एवं कारणों की खोज से सम्बंधित है।

👉एडम स्मिथ ने अपनी अर्थशास्त्र की परिभाषा में " अर्थशास्त्र को धन का विज्ञान कहा है"।

👉J.B.Say के अनुसार "अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जो धन या सम्पति की विवेचना करता है।

👉J.S.Mill के अनुसार "अर्थशास्त्र मानव से सम्बंधित धन का विज्ञान है। "

👉वॉकर के शब्दों में, “अर्थशास्त्र ज्ञान का वह संग्रह है, जो धन से संबंधित है।”

 (2) कल्याण सम्बन्धी परिभाषाएं (नव-प्रतिष्ठित दृष्टिकोण) :-

👉अल्फ्रेड मार्शल, ने 1890, में Principle of Economics लिखीं।

👉प्रो. मार्शल के अनुसार, अर्थशास्त्र धन के विज्ञान के साथ-साथ मानव कल्याण का शास्त्र है।

👉प्रो. मार्शल ने मानव कल्याण को महत्व दिया।

👉प्रो मार्शल के अनुसार अर्थशास्त्र आदर्श विज्ञान है। (मार्शल, पीगू केनन, पेन्सन, वेबरीज इत्यादि ।

 (3) दुर्लभता संबंधी परिभाषा 

देने वाले अर्थशास्त्रियों में प्रमुख रूप से रॉबिन्स का नाम पहले आता है। इन्होंने अपने एक नए दृष्टिकोण से अर्थशास्त्र की परिभाषा प्रस्तुत की। इन्होंने अपनी पुस्तक 'An Essay on the Nature and Significance of Economic Science' में बताया कि आर्थिक जीवन में हम साधनों की सीमितता अभाव की समस्या से जूझते रहते हैं। फलस्वरूप हमारे सामने चयन की मुख्य समस्या होती है।

👉रॉबिन्स के अनुसार- "अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जिसके अंतर्गत सीमित और वैकल्पिक प्रयोगों वाले साधनों से संबंधित मानव के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है।"

👉रॉबिन्स ने अर्थशास्त्र को चयन का विज्ञान (economics is the logic of choice), चयन का तर्कशास्त्र, वैकल्पिक साधन उपयोग कहा है।

👉रॉबिन्स की परिभाषा की निम्नांकित चार तथ्यों के आधार पर व्याख्या की जा सकती है-

1. असीमित आवश्यकताएं

2. साधनों की सीमितता

3. सीमित साधनों के वैकल्पिक प्रयोग

4. आवश्यकताओं की तीव्रता का भिन्न-भिन्न होना

👉रॉबिन्स ने अर्थशास्त्र की परिभाषा में ना तो धन पर जोर दिया, ना ही मनुष्य के कल्याण पर, बल्कि उन्होंने दुर्लभता को ध्यान में रखते हुए मानव की असीमित आवश्यकताओं का सीमित साधनों से संबंध स्थापित किया।

👉रॉबिन्स ने अर्थशास्त्र को वास्तविक विज्ञान माना है।

👉आवश्यकता - विहीनता सम्बंधित परिभाषा प्रो. जे. के. मेहता ने दिया।

👉J.K. मेहता के अनुसार,"अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जो मानव व्यवहारो का अध्ययन आवश्यकता -रहित अवस्था में पहुंचने के लिए साधन के रुप में करता है।

👉J.K. मेहता को 'भारतीय दार्शनिक संन्यासी अर्थशास्त्री' कहा जाता है।

 (4) विकास सम्बन्धी परिभाषा ( बेन्हम, हिक्स,सैम्युलसन)

👉सैमुएलसन ने अर्थशास्त्रियों के लिए गणित को "प्राकृतिक भाषा" माना और अपनी पुस्तक फ़ाउंडेशन ऑफ़ इकोनॉमिक एनालिसिस के साथ अर्थशास्त्र की गणितीय नींव में महत्वपूर्ण योगदान दिया ।

👉प्रो. सैम्युलसन ने समय तत्व को आधार बनाकर विकासवादी दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।

👉प्रो. सैम्युलसन ने आर्थिक अध्ययन को स्थैतिक के स्थान पर प्रावैगिक बना दिया है।

👉अर्थशास्त्र की आर्थिक क्रियाओं को 5 भागों में विभाजन किया जा सकता है।

(1) उपभोग

(2) उत्पादन

(3) विनिमय

(4) वितरण

(5) राजस्व

( A ) अर्थशास्त्र विज्ञान के रूप में : विज्ञान का अर्थ (meaning of science) - विज्ञान ज्ञान का वह क्रमबद्ध और सम्पूर्ण अध्ययन है जो कारण और प्रभाव के सम्बन्ध की व्याख्या करता है । विज्ञान किसी भी घटना का वस्तुगत विश्लेषण करता है , उसका क्रमबद्ध अध्ययन करता है और इस विश्लेषण तथा अध्ययन के आधार पर किसी भी तथ्य का पूर्वानुमान कर भविष्यवाणी करता है ।

(B ) अर्थशास्त्र कला के रूप में : कला का अर्थ ( Meaning of Art ) - सामान्य अर्थ में किसी लक्ष्य की पूर्ति को कार्य कुशलता के साथ करना ही कला है । कला हमें व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करती है । यह समस्या का केवल विश्लेषण ही नहीं करती अपितु समाधान भी करती है । प्रो . कीन्स के अनुसार कला ज्ञान की वह शाखा है जो निश्चित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए एक सर्व श्रेष्ठ तरीका बताती है ।

👉अर्थशास्त्रियों का एक वर्ग जिसमें एडम स्मिथ , रिकार्डो , मिल , मार्शल , पीगू आदि आते हैं अर्थशास्त्र को कला मानते हैं ।

👉अर्थशास्त्र की प्रकृति के सम्बन्ध में अर्थशास्त्रियों में मतभेद हैं कि यह विज्ञान है या कला अथवा विज्ञान एवं कलादोनों ।

👉अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान होने के साथ - साथ आदर्शात्मक विज्ञान भी है ।

👉अर्थशास्त्र एक मानवीय विज्ञान भी है अतएव विभिन्न आर्थिक घटनाओं के सम्बन्ध में नैतिक निर्णय लेते हुए इनकी अच्छाई का अध्ययन करना भी आवश्यक है ।

👉जो शास्त्र कारण एवं परिणाम के सम्बन्ध की व्याख्या करता है विज्ञान कहलाता है ।

👉ज्ञान की वह शाखा जो निश्चित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए एक सर्वश्रेष्ठ तरीका बताती है उसे कला कहा जाता है ।

👉अर्थशास्त्र एक विज्ञान के साथ-साथ कला भी है

👉प्रो. केन्स के अनुसार "अर्थशास्त्र ने परिभाषा से अपना गला घोट डाला है।"

👉सामान्य से विशिष्ट की ओर का संबंध है - निगमन अनुभव प्रणाली

👉विशिष्ट से सामान्य की ओर का संबंध है - आगमन अनुभव प्रणाली

👉प्रो. मार्शल ने आगमन एवं निगमन प्रणालियों को परस्पर पूरक बताया है।

👉आगमन निगमन विधि के जनक/प्रतिपादक अरस्तू हैं।

 व्यष्टि एवं समष्टि अर्थशास्त्र

👉 आर्थिक विश्लेषण की दो शाखाएं है जिन्हे (I) सूक्ष्म अर्थशास्त्र (II) व्यापक अर्थशास्त्र कहा जाता है।

👉  ओस्लो विश्वविद्यालय के सुप्रसिद्ध अर्थशास्त्री रैगनर फ्रिश ने 1933 मे पहली बार आर्थिक सिद्धांतो जी दो शाखाओं को दर्शाने के लिए व्यष्टि तथा समष्टि शब्दो का प्रयोग किया।

 सूक्ष्म/ व्यष्टि अर्थशास्त्र (Micro Economics)

👉 सूक्ष्म अर्थशास्त्र के प्रमुख समर्थक एडम स्मिथ, डेविड रिकार्डो, जे .बी. से. तथा जे.एस.मिल है।

👉 माइक्रो (Micro) शब्द ग्रीक शब्द 'माइक्रोज (Mikros)) से बना है जिसका अर्थ लघु/छोटा या सूक्ष्म से लगाया जाता है।

👉 सूक्ष्म अर्थशास्त्र मे अर्थव्यवस्था की छोटी छोटी इकाईयों को सम्मिलित किया जाता है। जैसे-एक उपभोक्ता, एक उत्पादन, एक फर्म, एक उद्योग इत्यादि।

👉 सुक्ष्म अर्थशास्त्र मे वैयक्तिक इकाइयों का अध्ययन किया जाता है।

👉 व्यष्टि अर्थशास्त्र की इस रीति का प्रयोग किसी विशिष्ट वस्तु की कीमत निर्धारण, व्यक्तिगत उपभोक्ताओं तथा उत्पादकों के व्यवहार एवं आर्थिक नियोजन, व्यक्तिगत फर्म तथा उद्योग के संगठन आदि तथ्यों के अध्ययन हेतु किया जाता है।

👉 प्रो. बोल्डिग ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक 'आर्थिक विश्लेषणं' में लिखा है कि “व्यष्टिगत अर्थशास्त्र के अन्तर्गत विशेष फर्मों, विशेष परिवारों, वैयक्तिक कीमतों, मजदूरियों, आयों आदि वस्तुओं का अध्ययन किया जाता है। एक अन्य पुस्तक में प्रो. बोल्डिग ने लिखा है कि “व्यष्टिगत अर्थशास्त्र विशिष्ट आर्थिक घटकों एवं उनकी पारस्परिक प्रतिक्रिया और इसमें विशिष्ट आर्थिक मात्राओं तथा उनका निर्धारण भी सम्मिलित है, का अध्ययन है।”

👉 व्यष्टिगत अर्थशास्त्र को ‘कीमत सिद्धान्त' भी कहा जाता है ।

👉 प्रो. शुल्ज़ के अनुसार- "व्यष्टि अर्थशास्त्र का मुख्य यंत्र कीमत सिद्धांत है।"

👉 18वीं-19वीं शताब्दी में इसको मूल्य का सिद्धान्त कहा जाता था ।

👉 व्यष्टिगत अर्थशास्त्र को कभी-कभी ‘सामान्य सन्तुलन विश्लेषण' भी कहा जाता है ।

👉 व्यष्टिगत अर्थशास्त्र अर्थव्यवस्था को बहुत छोटे टुकड़ों या भागों में बाँटकर अध्ययन करता है, इसलिए व्यष्टिगत अर्थशास्त्र को कभी-कभी ‘फॉके या कतले करने की रीति, स्लाइसिंग की रीति' भी कहा जाता है ।

👉 सूक्ष्म अर्थशास्त्र के अन्य नाम इस प्रकार है- अणु या व्यष्टि अर्थशास्त्र, वैयक्तिक पद्धति अर्थशास्त्र तथा आर्थिक व्यष्टिभाव।

 विशेषताएं

1. वैयक्तिक इकाइयों का अध्ययन

2. कीमत सिद्धान्त

3. सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था को स्थिर मान लेना

4. सूक्ष्म चरों का अध्ययन

5. पूर्ण रोज़गार की मान्यता

 व्यष्टि अर्थशास्त्र की शाखाएं

A. वस्तु कीमत  सिद्धांत

1. मांग का सिद्धांत

2. लागत तथा उत्पादन सिद्धांत

B. साधन कीमत सिद्धांत या वितरण का सिद्धांत

1. लगान

2. मजदूरी

3. ब्याज

4. लाभ

 व्यष्टि अर्थशास्त्र का महत्व

1. सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक

2. व्यक्तिगत इकाइयों को अपने क्षेत्र में आर्थिक निर्णय लेने में सहायक

3. आर्थिक नीति के निर्धारण में सहायक

4. आर्थिक कल्याण एवं कार्य-कुशलता का निरीक्षण

5. कीमत सिद्धांत के विश्लेषण में सहायक

👉 सन 1930 की भयानक विश्वव्यापी आर्थिक मंदी की स्थिति और प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों के पूर्ण रोज़गार के सिद्धांत की असफलता के कारण प्रो. जे. एम. कीन्स ने सबका ध्यान इस ओर आकर्षित किया कि मंदी में फँसी हुई अर्थव्यवस्था का अध्ययन करने के लिए "व्यापक विश्लेषण" अपनाना चाहिए।

 समष्टि / व्यापक/ वृहत अर्थशास्त्र (Macro Economics)

👉 समष्टि अर्थशास्त्र के प्रमुख समर्थक अर्थशास्त्री प्रो. माल्थस, कार्ल मार्क्स, प्रो इरविंग फिशर, विकसैल आदि प्रमुख हैं।

👉 1929 की विश्वव्यापी मंदी तथा प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रीयों के पूर्ण रोजगार के सिद्धांत की विफलता तथा प्रो. कीन्स की प्रसिद्ध पुस्तक "The General Theory of Employment Intrent and Money (1936) के प्रकाशन से व्यापक अर्थशास्त्र को अधिक प्रोत्साहन मिला।

👉 मैक्रो (Macro) ग्रीक भाषा के शब्द मैक्रोज (Macros) से लिया गया है जिसका अर्थ होता है, विशाल / व्यापक

👉 समष्टि अर्थशास्त्र में ऐसे विशाल समूहों का अध्ययन किया जाता है जो सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था को प्रदर्शित करते हैं। जैसे कुल रोजगार, कुल आय, कुल उत्पादन, कुल विनियोग, कुल बचत, कुल उपभोग, कुल पूर्ति, कुल मांग, सामान्य कीमत स्तर, राष्ट्रीय आय इत्यादि

 विशेषताएँ

(1) समष्टि इकाइयों का अध्ययन

(2) सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित

(3) समष्टि आर्थिक चर

(4) समष्टि उपकरण → राजकोषीय नीति, मौद्रिक नीति, आय नीति

(5) परस्पर निर्भरता

(6) व्यक्ति की अपेक्षा समूह का हित

 व्यापक अर्थशास्त्र का क्षेत्र

1. आय व रोजगार का सिद्धांत

a. उपभोग का सिद्धांत

b. विनियोग का सिद्धांत

2. सामान्य कीमत स्तर एवं मुद्रा स्फीति का सिद्धांत

3. व्यापार चक्रों का सिद्धांत

4. आर्थिक विकास का सिद्धांत एवं नियोजन

5. वितरण का व्यापक विश्लेषण सिद्धांत

 समष्टि अर्थशास्त्र का महत्व

(1) सरकारी आर्थिक नीतियों का निर्माण

(2) आर्थिक विकास

(3) अर्थव्यवस्था का सम्पूर्ण अध्ययन

(4) सूक्ष्म अर्थशास्त्र के अध्ययन मे सहायक

(5) अन्तराष्ट्रीय तुलनाएँ

👉प्रो बोल्डिंग तथा सैम्युल्सन सूक्ष्म तथा व्यापक अर्थशास्त्र को परस्पर एक दूसरे का पूरक मानते हैं।

👉परम्परागत अर्थशास्त्रियों के सभी सिद्धांत स्थैतिक विश्लेषण पर आधारित है।

👉 प्रो. रेगनर फ्रिश पहले अर्थशास्त्री थे जिन्होंने अर्थशास्त्र को स्थैतिक तथा प्रावैगिक रूप में विभाजित किया।

 अर्थशास्त्र की विषय सामग्री

(1) उपयोग :-आवश्यकताएँ, उभोक्ता की बचत, ह्मसमान त्रुष्टिगुण, माँग का नियम, माँग की मूल्य सापेक्षता

(2) उत्पादन :-उत्पादन का पैमाना, उत्पादन के साधन, उत्पादन का नियम,बाह्म तथा आंतरिक बचते, जनसंख्या के सिद्धांत

(3) विनिमय :- पूर्ण प्रतियोगिता, अपूर्ण प्रतियोगिता, एकाधिकार, अल्पाधिकार, द्वयाधिकार, साधनो की कीमतो का निर्धारण

(4) वितरण :- मजदूरी, लगान, व्याज, लाभ के सिद्धांत

(5) राजस्व :- राजस्व का अर्थ, राजस्व के माँग, कर के सिद्धांत, राजस्व के सिद्धांत, करदान क्षमता,सार्वजनिक ऋण, गैर कर आय (स्थानीय राज्य तथा केन्द्र सरकारो के मध्य सम्बन्ध)।

👉 निगमन प्रणाली एक प्राचीन प्रणाली है, इसके अन्तर्गत सामान्य सत्य के आधार पर विशिष्ट सत्य का पता लगाया जाता है।

👉 आगमन प्रणाली निगमन प्रणाली के ठीक विपरित दशा होती है, इसके अन्तर्गत अध्ययनकर्ता की रूचि विशिष्ठ सत्य से सामान्य सत्य की ओर बढती है। (जैसे माल्थस का जनसंख्या सिद्धांत)

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