👉निगमन प्रणाली में
सामान्य से विशिष्ट की ओर जाते हैं।उदाहरण स्वरूप मनुष्य मरणशील प्राणी है। राम मनुष्य
है इसीलिए वह मरणशील है।
👉अर्थशास्त्र में प्रतिस्थापन
का नियम निगमन प्रणाली पर आधारित है।
👉निगमन प्रणाली के
दो भाग हैं –
1. गणितीय प्रणाली :- गणितीय
प्रणाली का प्रयोग 19वीं शताब्दी में एजवर्थ नामक अर्थशास्त्री ने किया।
2. अगणितीय या आगमन प्रणाली
:- अगणितीय या आगमन प्रणाली में विशिष्ट से सामान्य का अध्ययन करते हैं। इसका आधार
ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित होता है। माल्थस का जनसंख्या सिद्धांत आगमन प्रणाली पर आधारित
है।
👉 स्थैतिक तथा प्रावैगिक
शब्द मेकानिकस से ग्रहण किया है और August Comte ने पहली बार इस शब्द का परिचय सामाजिक
विज्ञान के रूप में दिया है। उन्होंने इन शब्दो का प्रयोग ऐतिहासिक मामलो का निरीक्षण
करने के लिए किया था।
👉दोनों शब्दों में
स्पष्ट और वैज्ञानिक अन्तर सर्वप्रथम 1928 में Ragnar Frisch (रैगनर फ्रिश) ने प्रस्तुत
किया है।
👉अर्थशास्त्र मे इन
शब्दो का प्रयोग, सर्वप्रथम जे०एस०मिल के द्वारा किया गया।
स्थैतिक अर्थशास्त्र (Statics Economics)
👉प्रोफ़ेसर मैकफाई
ने स्थैतिक अर्थशास्त्र की परिभाषा इस प्रकार की है, “किसी अर्थव्यवस्था को स्थिर दशा
में कहा जाता है जबकि वे साधन जो कि उत्पादन, उपभोग, विनिमय और वितरण पर नियंत्रण करते
हैं, स्थिर हो अथवा स्थिर मान लिए गए हो।
👉स्थैतिक शव्द का सामान्य
अर्थ स्थिरता से लगाया जाता है अर्थशास्त्र में स्थैतिक का अर्थ ऐसी
अर्थव्यवस्था से लगाया जाता है जिसमे गति तो होती है परन्तु यह गति निश्चित दर से होती
है तथा इसमें ज्यादा उतार चढ़ाव नही होते है सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था एक स्थिर गति से
चलती रहती है |
👉Statics शब्द
ग्रीक भाषा के Statike शब्द से बना है जिसका अर्थ है स्थिर करना।
👉जाॅन राबिन्सन की
अपूर्ण प्रतियोगिता और चैम्बरलिन की एकाधिकारी प्रतियोगिता आर्थिक स्थैतिकी के प्रयोग
है।
👉 तुलनात्मक स्थैतिकी
सर्वप्रथम एक जर्मन अर्थशास्त्री ओपनहीमर ने 1916 में प्रयोग की थी।
स्थैतिक अर्थव्यवस्था की विशेषताएँ
1. गतिहीन अर्थव्यवस्था नही
होती
2. बचत एवं विनियोग शून्य होते
हैं।
3. समय रहित धारणा
4. साम्य का विचार एक आधार
स्थैतिक विश्लेषण का महत्व एवं क्षेत्र
1. परिवर्तनशील अर्थव्यवस्था
का अध्ययन करना कठिन - प्रो. मेहता का मत है कि गतिशील अर्थव्यवस्था का अध्ययन करने
हेतु प्रवैगिक अवस्थाओं को छोटी-छोटी स्थैतिक अवस्था में विभाजित करना आवश्यक हो जाता
है।
2. उच्च गणितीय ज्ञान की बचत
- स्थैतिक विश्लेषण में उच्च ज्ञान के बिना भी विश्लेषण करना सरल होता है
3. पूर्वानुमान में सहायक
- कुछ परिस्थितियों में वर्तमान तथा भूतकाल को स्थैतिक आवस्थाओ के आधार पर भविष्य के
सम्बन्ध में पुर्वानुमान लगाया जा सकता है।
4. अनुसन्धान में सहायक - स्थैतिक
अर्थशास्त्र ,आर्थिक समस्याऑ को अनुसन्धान के माध्यम से हल करने में सहायक होता है
|
👉 विषय सामग्री स्थैतिक
विश्लेषण पर आधारित होने से इसका महत्व बढ़ गया है जैसे - एकाधिकार में मूल्य निर्धारण
का सिद्धांत, व्यापार चक्र संबंधी सिद्धांत, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का सिद्धांत, साधन
संबंधी गतिशीलता का सिद्धांत, प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों का स्वतंत्र व्यापार का सिद्धांत,
राॅबिन्स के अर्थशास्त्र की परिभाषा, मूल्य निर्धारण में औसत लागत के स्थान पर सीमांत
लागत का सिद्धांत,लगान सिद्धांत, तुलनात्मक लागत का सिद्धांत, सीमांत उपयोगिता ह्रास
नियम।
👉 स्थैतिक विश्लेषण
का गणितीय सूत्र-
Dt = f (Pt)
जहां, Dt = मांग फलन
, t = एक समय , f = फलन , Pt = समय पर वस्तु की कीमत।
प्रवैंगिक अर्थशास्त्र
👉प्रवैगिक अर्थशास्त्र
का अर्थ - प्रवैगिक अर्थशास्त्र में देश की अर्थव्यवस्था में होने वाले निरन्तर परिवर्तनों
व इन परिवर्तनों को प्रभावित करने वाले तत्वों तथा परिवर्तनों की प्रक्रिया का अध्ययन
किया जाता है।
👉 प्रवैगिक अर्थशास्त्र
में आर्थिक तत्वों को स्थिर नहीं माना गया।
👉रैगनर फ्रिश के अनुसार,"प्रावैगिक
के अन्तर्गत निरन्तर परिवर्तन महत्वपूर्ण न होकर परिवर्तन की प्रक्रिया अधिक महत्वपूर्ण
है और इसी बात का अध्ययन प्रावैगिक का सार होता है"।
👉 स्थैतिक एवं प्रवैगिक
के अन्तर को बताते हुए प्रो. हिक्स का कथन है कि' स्थैतिक अर्थशास्त्र में तिथि देने
की कोई आवश्यकता नहीं होती, परन्तु प्रवैगिक अर्थशास्त्र में तिथि देना आवश्यक हो जाता
है।'