Class XII 2.उपभोक्ता का व्यवहार और मांग (Consumer Behavior & Demand)

उपभोक्ता का व्यवहार और मांग (Consumer Behavior & Demand)

Class XII 2.उपभोक्ता का व्यवहार और मांग (Consumer Behavior & Demand)

प्रश्न :- मांग की रेखा नीचे दाहिनी ओर क्यों झुकती है ? इसके कारण बताएं

>एक उपभोक्ता की मांग के रेखा के दाहिनी ओर खिसकने के तीन कारणों का उल्लेख करें ?

उत्तर :- मूल्य बढ़ने से मांग घटती है और मूल्य घटने से मांग बढ़ती है । इसे मांग का नियम दर्शाता है । मूल्य और मांग में विपरीत संबंध होने के कारण मांग वक्र ऊपर से नीचे दाहिनी और झुकती है । इसे निम्न प्रकार से समझ सकते हैं –

D = α + ap -----------------------------(1)

मान लें की कीमत में वृद्धि  Δहुई है अतमाॅंग में कमी होगी। मान लें की यह कमी   Δहै।

अतः D - D = α + a(p + p) -------------------------------(2)

   समी. (1) और (2) से

D – (D -ΔD) = α + ap –(α + ap + aΔp)

D – D + ΔD = α + ap – α – ap – aΔp

ΔD = - aΔp

ढाल ज्ञात करने के लिए

`\frac{d\left(\Delta D\right)}{d\left(\Delta P\right)}=-a`

अतः मांग वक्र का ढाल ऋणात्मक होता है।

कारण

मांग की रेखा ऊपर से नीचे दाहिनी ओर खींचती है। इसके निम्नलिखित कारण है -

(1) सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम :- वस्तु की सीमांत उपयोगिता (MU) के ही आधार पर कोई व्यक्ति किसी वस्तु की कीमत देना चाहता है। अधिक MU पर अधिक कीमत तथा मांग , जबकि कम MU पर कम कीमत तथा मांग होती है। चूॅकि MU रेखा पर से नीचे झुकी रहती है इसलिए मांग की रेखा भी ऊपर से नीचे दाहिनी ओर झुकी रहती है

(2) आय प्रभाव :- एक वस्तु की कीमत में परिवर्तन होने के फलस्वरूप खरीदार की वास्तविक आय में परिवर्तन होने के कारण वस्तु की मांगी गई मात्रा में होने वाले परिवर्तन को आए प्रभाव कहा जाता है ।

अगर कीमत अधिक हो जाती है तो उपभोक्ता की उस वस्तु के रूप में वास्तविक आय घट जाती है जिससे मांग घट जाती है।

(3) सम-सीमांत उपयोगिता नियम :- प्रत्येक वस्तु की मात्रा अधिक खरीदने से उसकी सीमांत उपयोगिता कम हो जाती है। इसलिए उपभोक्ता उस वस्तु की अधिक मात्रा तभी खरीदेगा जब उस वस्तु की कीमत कम होकर सीमांत उपयोगिता के बराबर हो जाएगी। इससे स्पष्ट होता है कि कीमत कम होने पर वस्तु की अधिक मात्रा खरीदी जाएगी तथा कीमत बढ़ने पर कम मात्रा खरीदी जाएगी।

(4) उपभोक्ता की संख्या में परिवर्तन :- प्रो. मेयर्स ने इस तथ्य को स्पष्ट किया है जब किसी वस्तु के मूल्य में कमी होती है तो उसके क्रेताओं की संख्या में वृद्धि हो जाती है; अतः वस्तु की बाजार मांग बढ़ जाती है । इसके विपरीत जब किसी वस्तु का मूल्य बढ़ जाता है तो बहुत से क्रेता जिनकी आय कम होती है, इस वस्तु का क्रय बंद कर देते हैं। अतः वस्तु की मांग घट जाती है

प्रश्न :- आर्थिक वस्तु एवं नि:शुल्क वस्तु के अंतर को उदाहरण की सहायता से समझाएं ?

उत्तर :- आर्थिक वस्तु :- जिन वस्तुओं एवं सेवाओं को प्राप्त करने के लिए कोई मूल्य देना पड़ता है उन्हें आर्थिक वस्तु करते हैं। उदाहरण - गेहूं, कपड़ा , रेल-सेवा आदि। इन वस्तुओं पर आर्थिक नियम लागू होते हैं।

नि: शुल्क ( गैर आर्थिकवस्तु :- कई वस्तुएं प्रकृति या अन्य स्रोतों से हमें नि:शुल्क प्राप्त हो जाती है । इन्हें प्राप्त करने के लिए हमें कोई खास प्रयत्न नहीं करना पड़ता है और ना ही कोई मूल्य चुकाना पड़ता है । ऐसी वस्तुओं को नि:शुल्क वस्तु कहते हैं । उदाहरण- धूपहवा वर्षा आदि । इन वस्तुओं पर आर्थिक नियम नहीं लागू होते हैं।

प्रश्न :- सीमांत उपयोगिता एवं कुल उपयोगिता से आप क्या समझते हैं ?

>सीमांत उपयोगिता तथा कुल उपयोगिता के बीच क्या संबंध है ? कुल उपयोगिता के साथ क्या होता है जब सीमांत उपयोगिता शून्य हो जाती है ?

उत्तर :- कुल उपयोगिता :- उपभोक्ता द्वारा उपयोग की जाने वाली वस्तु की सभी इकाइयों से प्राप्त उपयोगिता के संपूर्ण योग को कुल उपयोगिता कहते हैं

    TU = MU

सीमांत उपयोगिता :- किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई का उपभोग बढ़ाने पर कुल उपयोगिता में जितन वृद्धि होती है उसे वस्तु की सीमांत उपयोगिता कहते हैं।

     MU = TUn - TUn-1

कुल उपयोगिता तथा सीमांत उपयोगिता में संबंध

मात्रा

कुल उपयोगिता

सीमांत उपयोगिता

वर्णन

0

0

-

आरंभिक उपयोगिता

1

8

8-0 =8

2

14

14-8 =6

3

18

18-14 =4

धनात्मक उपयोगिता

4

20

20-18 =2

5

20

20-20 =0

शून्य उपयोगिता

6

18

18-20 =-2

ऋणात्मक उपयोगिता



चित्र और तालिका से निम्न बातें स्पष्ट है -

i. जब सीमांत उपयोगिता गिरती है तब कुल उपयोगिता में घटती दर पर वृद्धि होती है

ii. जब सीमांत उपयोगिता शून्य होती है तब कुल उपयोगिता अधिकतम होती है

iii. जब सीमांत उपयोगिता ऋणत्मक होती है तब कुल उपयोगिता गिरना शुरू हो जाती है

प्रश्न :- उपभोक्ता के संतुलन से आप क्या समझते हैं ? इसकी शर्तों एवं मान्यताएं को लिखे ?

> परिमाणात्मक उपयोगिता दृष्टिकोण के अंतर्गत (1) एक वस्तु तथा (2) दो वस्तुओं के संपर्क में उपभोक्ता के संतुलन की स्पष्ट व्याख्या करें ?

>केवल एक वस्तु खरीदने की स्थिति में एक उपभोक्ता संतुलन की स्थिति पर कैसे पहुंचता है ? सीमांत उपयोगिता अनुसूची की सहायता से समझाएं ?

> उपभोक्ता के संतुलन का सामान्य सिद्धांत बताइए ?

उत्तर :- मार्शल ने सन् 1890 . में अपनी पुस्तक 'Principles of Economics' में उपभोक्ता संतुलन की व्याख्या की।

"एक उपभोक्ता उस समय संतुलन में होता है जब वह अपनी दी हुई आय तथा बाजार कीमतों से (विभिन्न वस्तुओं तथा सेवाओं पर) इस ढंग से खर्च करता है कि उसे अधिकतम संतुष्टि प्राप्त हो।"

मार्शल ने उपभोक्ता संतुलन के लिए दो सिद्धांतों का प्रतिपादन किया

(1) मूल्य बराबर है सीमांत उपयोगिता के (एक वस्तु) :- इस सिद्धांत के अनुसार एक उपभोक्ता संतुलन की अवस्था में तब पहुंचता है जब कीमत तथा सीमांत उपयोगिता बराबर हो जाती है

 उपभोक्ता अपनी संतुलन की अवस्था त  प्राप्त कर लेता है जब

`P_x=\frac{MU_x}{MU_m}`

जहां , Px = वस्तु × की कीमत      

MUx = वस्तु × की सीमांत उपयोगिता            

MUm = मुद्रा की सीमांत उपयोगित 

 तालिका से

x वस्तु की इकाइयां

x वस्तु के उपभोग से प्राप्त उपयोगिता

वस्तु की कीमत

प्राप्त उपयोगिता का त्यागी जाने वाली उपयोगिता का आधिक्य

1

50

20

30

2

40

20

20

3

30

20

10

4

20

20

0

5

10

20

-10

जब उपभोक्ता x वस्तु की चार इकाइयां खरीदता है तो उससे मिलने वाली सीमांत उपयोगिता तथा कीमत के रुप में त्याग की जाने वाली उपयोगिता एक दूसरे के बराबर होती है। यह संतुलन की स्थिति होगी।

चित्र में, MU मांग अर्थात सीमांत उपयोगिता की रेखा है PP1 मूल्य की रेखा हैदोनों E बिंदु पर बराबर है। अतः या संतुलन बिंदु हैजहां उपभोक्ता वस्तु के लिए OP मूल्य देगा और OM मात्रा क्रय करेगा

(2) सम सीमांत उपयोगिता नियम (दो वस्तु) :- मार्शल के अनुसार,"अगर किसी व्यक्ति के पास कोई वस्तु हो।जिसे वह विभिन्न प्रयोगो में ला सकता है तो वह उस वस्तु को विभिन्न प्रयोगों के बीच इस प्रकार विभाजित करेगा की सभी वस्तुओं की सीमांत उपयोगिता समान हो जाए।"

इकाई

सी० उ० x वस्तु की

सी० उ० y वस्तु की

1

15(1)

15(2)

2

12(3)

11(4)

3

10(5)

8

4

8

7

5

6

5

मान लिया कि उपभोक्ता के पास ₹5 हैंआत: उपभोक्ता ₹1 से x,₹2 से y,₹3 से x, 4 से y एंव 5 से x क्रय करेगा। तभी दोनों वस्तुओं की सीमांत उपयोगिता समान होगी एंव उपभोक्ता को अधिकतम संतुष्टि प्राप्त होगी।

`\frac{MU_x}{P_x}=\frac{MU_y}{P_y}=MU_m`

MUx = x वस्तु से मिलने वाली सीमांत उपयोगिता ,Px = x वस्तु का क्रय मूल्य

MU= y वस्तु से मिलने वाली सीमांत उपयोगिता,Py = y वस्तु का क्रय मूल्य

MUm = मुद्रा की सीमांत उपयोगिता

मान्यताएं( शर्त्त)

(1) उपभोक्ता विवेकशील है।

(2) उपयोगिता को संख्या में मापा जा सकता।

(3) मुद्रा की सीमांत उपयोगिता स्थिर होती है।

(4) बाजार पूर्ण प्रतियोगिता होती है।

 आलोचना

(1) उपयोगिता को संख्या में नहीं मापा जा सकता

(2) उपभोक्ता हिसाबस्वभाव के नहीं होते हैं

(3) मुद्रा के सीमांत उपयोगिता स्थिर नहीं होती

(4) कुछ टिकाऊ वस्तुओं जैसे भवन, जमीन पर सीमांत उपयोगिता की गणना करना कठिन है

प्रश्न :- सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम की आलोचनात्मक व्याख्या करें ?

> सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम मांग रेखा के नीचे की ओर झुकने के लिए कैसे उत्तरदायी है ?

उत्तर :- सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम को ' गोसेनका प्रथम नियम ' या तृप्ति का नियम भी कहते हैं इस नियम की वैज्ञानिक व्याख्या प्र. मार्शल ने की इनके अनुसार "एक व्यक्ति के पास किसी वस्तु की जो मात्रा होती है , उसके उपभोग में लगातार वृद्धि करने से उसकी उपयोगिता घटने लगती है"

                                               तालिका से

रोटी की इकाई

1

2

3

4

5

6

7

सीमांत उपयोगिता

4

3

2

2

0

-1

-2

इस तालिका से स्पष्ट है कि व्यक्ति जैसे-जैसे रोटियों का उपभोग करते जाता है वैसे वैसे रोटी की अगली इकाइयों से प्राप्त सीमांत उपयोगिता  घटती जाती है।

चित्र में MU सीमांत उपयोगिता की रेखा है जो रोटी की विभिन्न इकाइयों से प्राप्त सीमांत उपयोगिता को बतलाकर सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम को स्पष्ट करती है। व्यक्ति को पहली रोटी से 4, दुसरी से 3, तीसरी से 2 तथा चौथी से 1 उपयोगिता मिलती है जो उसकी भूख की पूर्ण संतुष्टि का द्योतक है। अत: चित्र यह भी दिखलाता है कि उसे पाॅंचवी रोटी से शून्य तथा छठी और सातवीं रोटियों से क्रमशः -1 और -2 के बराबर ऋणात्मक उपयोगिता मिलती हैइस प्रकार स्पष्ट है कि हर अगली रोटी की इकाई से सीमांत उपयोगिता घटती जाती है

वस्तु की सीमांत उपयोगिता (MU) के ही आधार पर कोई व्यक्ति किसी वस्तु की कीमत देना चाहता है। अधिक MU पर अधिक कीमत तथा मांग, जबकि कम MU पर कम कीमत तथा मांग होती है। चूॅकि MU रेखा ऊपर से नीचे झुकी रहती है, इसलिए मांग की रेखा भी ऊपर से नीचे दाहिनी  ओर झुकी रहती है

मान्यताएं (शर्त्त)

इस नियम कि निम्नलिखित मान्यताएं हैं

(1) उपभोक्ता विवेकशील है

(2) उपयोगिता को संख्या में मापा जा सकता है

(3) मुद्रा की सीमांत उपयोगिता स्थिर होती है

(4) बाजार पूर्ण प्रतियोगी होती है।

आलोचना

(1) उपयोगिता को संख्या में नहीं मापा जा सकता

(2) उपयोगिता ह्रास नियम में व्यक्तिगत विचारों को अधिक महत्व दिया गया है जो उचित नहीं है। व्यक्ति सदैव विवेक से कार्य नही करता , बल्कि वह सामाजिक रीति-रिवाज, फैशन एंव मन के उमंग के बहाव में वस्तुएं खरीदता और उनका उपभोग करता है

(3) मुद्रा सीमांत उपयोगिता स्थिर नहीं रहती है

(4) आवश्यकता विशेष की पूर्ण संतुष्टि की मान्यता ही गलत है। उपभोग की अवधि लंबी होने पर मानवीय आवश्यकता की पूर्ण संतुष्टि संभव नहीं हो पाती

प्रश्न :- मांग के नियम का विश्लेषण विस्तार में करें तथा इसकी सीमाओं का भी उल्लेख करें ?

>मांग अनुसूची तथा उपयुक्त रेखाचित्र कसहायता से मांग के नियम की व्याख्या करें ?

>मांग के नियम को बताएं।'अन्य बातों के समान रहने पर'का क्या मतलब है; जिस पर यह नियम आधारित है ?

>वस्तु की मांग को प्रभावित करने वाले तत्व कौन - कौन से हैं ?

>मांग के निर्धारक तत्व को बताइए ?

>मांग के नियम की व्याख्या करें और इसके अपवादो को लिखें ?

>मांग के नियम की अवधारणा को बताएं ?

उत्तर :- मांग का नियम मूल्य तथा मांग के बीच के विपरीत संबंध को व्यक्त करता है। मार्शल के शब्दों में ,"मांगी गई मात्रा मूल्य में कमी के साथ बढ़ती है तथा मूल्य में वृद्धि के साथ घटती है।"

किसी दिए हुए समय में भिन्न-भिन्न मूल्य पर किसी वस्तु की जितनी मांग की जाती है उसकी एक सूची तैयार करें तो उसे ही मांग की तालिका कहते हैं।

कीमत

8

6

4

2

मांग मात्रा

2

3

4

5

तालिका से स्पष्ट है कि जब कीमत घटती है तो वस्तु की मांग मात्रा में वृद्धि होती है।

चित्र से स्पष्ट है कि X अक्ष पर वस्तु X के लिए मांग मात्रा तथा Y अक्ष पर X वस्तु के मूल्य को दर्शाया गया है। मूल्य घटने से मात्रा बढ़ती जाती है। इसलिए DD मांग की रेखा ऊपर से नीचे दाहिनी ओर गीरती है।

मांग के नियम की मान्यताऐ

या

अन्य बातों के समान रहने पर

'अन्य बातें समान रहे' इस वाक्यांश का अर्थ कुछ मान्यताओं से है। जिस पर यह नियम आधारित है -

i. उपभोक्ता की आय स्थिर रहनी चाहिए।

ii. उपभोक्ता की रुचि, आदत तथा फैशन में परिवर्तन नहीं आना चाहिए।

iii. प्रतिस्थापन की वस्तु का उत्पादन नहीं होना चाहिए।

iv. दूसरी वस्तुओं की कीमत में परिवर्तन नहीं होना चाहिए।

v. जनसंख्या में परिवर्तन नहीं होना चाहिए।

vi. निम्न कोटि की वस्तु नहीं होना चाहिए।

मांग को प्रभावित या निर्धारित करने वाले तत्त्व

(1) आय में परिवर्तन :- जब लोगों की आय बढ़ जाती है तो उनकी क्रय शक्ति बढ़ जाती है और वस्तुओं की मांग बढ़ जाती है ।आय के घटने से कम वस्तुओं की मांग होने लगती है

(2) मूल्य में परिवर्तन :- सामान्यता कीमत के कम होने पर वस्तुओं की मांग बढ़ती है और कीमत के बढ़ जाने पर वस्तुओं की मांग घट जाती है

(3) जनसंख्या में परिवर्तन :- जनसंख्या के बढ़ने पर समस्त वस्तुओं की पहले की तुलना में मांग बढ़ जाती है और जनसंख्या के घट जाने पर मांग कम हो जाती है।

(4) जलवायु तथा मौसम में परिवर्तन :- वर्षा के मौसम में छाते तथा बरसाती की मांग होती है जाड़ा में ऊनी कपड़ों की तथा गर्मी में कूलर ,ठंडे पेय पदार्थों की मांग बढ़ती है।

(5) नुमान में परिवर्तन :- जब किसी कारण से भविष्य में किसी वस्तु के न मिलने का अनुमान होने लगता है तो अधिक कीमत पर भी अधिक मांग होती है

(6) आय के वितरण में परिवर्तन (7) आदत , रुचि एवं फैशन में परिवर्तन (8) विज्ञापन

अपवाद या मांग के नियम की सीमा

कुछ विशेष परिस्थितियों में मूल्य के घटने पर मांग भी घटती है तथा मूल्य के बढ़ने पर मांग घटने के बजाऔर अधिक बढ़ जाती है ऐसी अवस्था में मांग की रेखा नीचे से ऊपर दाहिनी ओर बढ़ती है। इसे मांग का अपवाद कहा जाता है

चित्र में मांग वक्र नीचे से दायी ओर बढ़ती है इसके निम्न कारण है , जब मांग का नियम कार्यशील नहीं हो पाता -

(1) भविष्य में किसी वस्तु के न मिलने की आशंका

(2) बहुमूल्य तथा सामाजिक सम्मान वाली वस्तुएं

(3) अज्ञानता

(4) अनिवार्य वस्तुएं

(5) आदत की वस्तुएं     

(6) विशेष अवसर

प्रश्न :- गिफिन वस्तु से आप क्या समझते हैं? इस वस्तु के लिए माँग वक्र को रेखाचित्र से दर्शाइये।

उत्तरऐसी निम्न कोटि की वस्तुएं हैं जिनका आय प्रभाव ऋणात्मक होता है तथा कीमत प्रभाव धनात्मक होता है। इनके मूल्य में वृद्धि से इनकी माँग में भी वृद्धि हो जाती है तथा मूल्य में कमी से माँग में भी कमी हो जाती है। ऐसी वस्तुओं को गिफेन वस्तु कहते हैं। इसका प्रतिपादन रॉबर्ट गिफेन ने किया था।

Class 12 Economics Science/Commerce Jac Board 2024 Answer key

जब मांग का नियम विफल हो जाता है, तो कीमत और मात्रा के बीच विपरीत संबंध अच्छा नहीं रहता है। इसके बजाय, मांग वक्र ऊपर की ओर झुक सकता है, जो ऊंची कीमत पर अधिक खरीदारी दर्शाता है।

प्रश्न :- मांग की लोंच को प्रभावित करने वाले कारकों को बताइए ?

उत्तर :- मांग की लोच को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित है -

1. प्रतिस्थापक वस्तुओं की उपलब्धता :- यदि किसी वस्तु की प्रतियोगी वस्तु आसानी से बाजार में मिल जाती है तो उस वस्तु की कीमत में थोड़ी सी वृद्धि से ही उपभोक्ता प्रतियोगी वस्तुओं का प्रयोग करने लगते हैं अर्थात वस्तु की मांग पर कीमत परिवर्तन का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है अर्थात वस्तु की मांग लोचदार होती है।

2. वस्तु की प्रकृति :- अनिवार्य वस्तु की मांग बेलोचदार होती है। इसके विपरीत विलासिता की मांग लोचदार होती है।

3. आदतें तथा फैशन :- जब उपभोक्ता एक बार विशेष वस्तु के उपभोग के लिए आदत बना लेते हैं तो वह निश्चित मात्रा तक कीमत परिवर्तन की ओर ध्यान नहीं देते जिस तरह तंबाकू, शराब आदि तो इन वस्तुओं की मांग बहुत कम लोचशील होती है। इसी प्रकार जिन वस्तुओं का फैशन प्रचालित हो जाता है वह भी कम लोचशील होती हैं।

4. उपभोक्ता स्वभाव :- यदि उपभोक्ता किसी वस्तु के उपभोग का आदि हो जाता है तो कीमत परिवर्तन का मांग पर प्रभाव बहुत कम होता है। इसलिए वैसी वस्तुओं की मांग बेलोचदार होती है।

5. वस्तु के प्रयोग की संख्या :- यदि वस्तु के प्रयोग की संख्या अधिक होती है तो कीमत परिवर्तन का मांग पर ज्यादा प्रभाव पड़ता है अतः वस्तु की मांग अधिक लोचदार होती है।

प्रश्न :- मांग के विस्तार तथा मांग में वृद्धि में क्या अंतर है ? स्पष्ट करें

मांग का विस्तार

मांग में वृद्धि

यह केवल कीमत में परिवर्तन के कारण होती है

यह कीमत के अतिरिक्त अन्य निर्धारक तत्व में परिवर्तन होने के कारण होती है

यह कीमत में कमी होने के कारण होती है।

यह उपभोक्ता की आय में वृद्धि,प्रतिस्थापन वस्तु की कीमत में वृद्धि, पूरक वस्तुओं की कीमत में कमी तथा उपभोक्ता की वस्तु के लिए रुचि में वृद्धि आदि के कारण होती है।

यह एक मांग वक्र के ऊपर के बिंदु A से नीचे के बिंदु B की ओर संचन द्वारा प्रकट होती है


  

यह मांग वक्र DD के दायी ओर खिसकाव  D1D1  द्वारा प्रकट होती है।



 प्रश्न :- मांग के संकुचन तथा मांग में कमी में क्या अंतर है ? स्पष्ट करें

मांग का संकुचन

मांग में कमी

यह केवल कीमत में परिवर्तन के कारण होती है।

यह कीमत के अतिरिक्त अन्य निर्धारक तत्व में परिवर्तन होने के कारण होती है।

यह कीमत में वृद्धि होने के कारण होती है।

यह उपभोक्ता की आय में कमी,प्रतिस्थापन वस्तु की कीमत में कमी, पूरक वस्तुओं की कीमत में वृद्धि तथा उपभोक्ता की वस्तु के लिए रुचि में कमी आदि के कारण होती है।

यह एक मांग वक्र के नीचे बिंदु A से ऊॅंचे बिंदु B की ओर संचलन द्वारा प्रकट होती है।



यह मांग वक्र DD के बारी ओर खिसकाव  D1D1  द्वारा प्रकट होती है।



प्रश्न :- व्यक्तिगत मांग अनुसूची तथा बाजार मांग अनुसूची में अंतर बताएं ?

उत्तर :- व्यक्तिगत मांग :- व्यक्तिगत मांग से अभिप्राय वस्तु की उमात्रा से है जिसे एक उपभोक्ता एक निश्चित समय तथा कीमत पर खरीदना चाहता है।

          बाजार मांग :- बाजार मांग से अभिप्राय वस्तु की उस मात्रा से जिसे बाजार में सभी खरीदना चाहते हैं। विभिन्न उपभोक्ताओं द्वारा की जाने वाली मांग को जोड़कर बाजार मांग ज्ञात की जाती है।                                              

कीमत

परिवार () मात्रा

परिवार () मात्रा

परिवार () मात्रा

बाजार मांग मात्रा

5

2

3

5

10

4

4

6

10

20

3

6

9

15

30

2

8

12

20

40

1

10

15

25

50


प्रश्न :- रेखाचित्र की सहायता से किसी वस्तु की मांग पर निम्नलिखित परिवर्तनों के प्रभाव की व्याख्या करें

() पूरक वस्तु की कीमत में वृद्धि / कमी () प्रतिस्थापन वस्तु की कीमत में वृद्धि /कमी

उत्तर :- () पूरक वस्तु की कीमत के संबंध में एक वस्तु की मांग :- कार तथा पेट्रोल पूरक वस्तुएं हैंमान लिया कि कार वह वस्तु है जिसकी मांग की जाती है

(a) पूरक वस्तु की कीमतों में वृद्धि :- यदि कार की कीमत OP1 स्थिर रहती हैकिंतु पेट्रोल की कीमत बढ़ जाती है ऐसी स्थिति में उपभोक्ताओं की कार की मांग मात्रा OT1 से घटकर OT2 हो जाएगी तथा मांग वक्र बाये ओर खिसक जाएगी

(b) पूरक वस्तु की कीमतों में कमी :- यदि पेट्रोल की कीमत में कमी आ जाएगी भले ही कारों की कीमत स्थिर रहती है तब भी लोगों में अधिक कारें खरीदने की प्रवृत्ति होगी । इससे मांग में वृद्धि होगी और मांग वक्र जाती और खिसक जाएगा।

चित्र से,कार का मूल्य OP1 पर मांग मात्रा OT1 है। जब पेट्रोल की कीमत में कमी होती है तो मांग वक्र D1 से D2 हो जाती है जिससे मांग मात्रा OT1 से बढ़कर  OT2 हो जाती है।

(ख) प्रतिस्थापक वस्तु की कीमत के संबंध में एक वस्तु की मांग :- चाय तथा कॉफी दो प्रतिस्थापन वस्तुएं हैचाय वह वस्तु है जिसकी मांग की जा रही है

(a) प्रतिस्थापन वस्तु की कीमत में वृद्धि :- जब चाय की कीमत OP1 है तथा उसकी मांग OT1 है। मान लो चाय की कीमत स्थिर रहती है किंतु कॉफी की कीमत में वृद्धि हो जाती हैतब एक विवेकशील उपभोक्ता चाय की मांग में वृद्धि करेगा

कॉफी के मूल्य बढ़ने से चाय की मांग D1 से D2 हो जाती है तथा उपभोक्ता OP1 मूल्य चाय की मात्रा को OT1 से  OT2  बढ़ा देता है

(b) प्रतिस्थापक वस्तु की कीमत में कमी :- यदि कॉफी की कीमत में कमी हो जाए तो ऐसी स्थिति में उपभोक्ता चाय के स्थान पर कॉफी का प्रतिस्थापन करना चाहेगा। अतः चाय की मांग घट जाएगी और मांग वक्र बायी ओर खिसक जाएगा

प्रश्न :- मांग की लोच () इकाई () इकाई से अधिक () इकाई से कम () अन्य के बराबर दिखलाने के लिए रेखाचित्र खींचे ?

उत्तर :- "किसी वस्तु के मूल्य में प्रतिशत परिवर्तन के फलस्वरुप उसकी मांग मात्रा में जो प्रतिशत परिवर्तन होता है, उसे मांग की लोच कते हैं"

मांग की लोच के प्रकार

1. पूर्णतया लोचदार मांग या अनन्त लोंच :- जब ूल्य में कमी होने पर मांग में अनन्त वृद्धि हो जाए तथा मूल्य में अल्प ृद्धि होने पर मांग घट कर शून्य हो जाए तो मांग पूर्णतया लोचदार होती है

2. सम लोचदार मांग या इकाई लोचदार मांग :- जिस अनुपात में मूल्य में परिवर्तन हो उसी अनुपात में मांग में परिवर्तन हो तो इसे समलोचदार मांग कते हैं

3. इकाई से अधिक लोचदार मांग :- जिस अनुपात में मूल्य में परिवर्तन हो रहा हो उससे अधिक अनुपात में मांग में परिवर्तन हो तो इसे इकाई से अधिक लोचदार मांग कते हैं

4. इकाई से कम लोचदार मांग :- जिस अनुपात में मूल्य में परिवर्तन हो रहा है उससे कम अनुपात में मांग में परिवर्तन हो तो इसे इकाई से कम लोचदार मांग कते हैं

5. पूर्णतया बेलोचदार मांग :- जब मूल्य में कमी अथवा वृद्धि का मांग पर कुछ भी प्रभाव न पड़े तो इसे पूर्णतया बेलोचदार मांग कते हैं

प्रश्न :- मांग की लोच की परिभाषा देंमांग की लोच को कैसे मापा जा सकता है ?

उत्तर :- प्रो. बोर्डिंग के अनुसार," किसी वस्तु के मूल्य में प्रतिशत परिवर्तन के फलस्वरूप उसकी मांग मात्रा में जो प्रतिशत परिवर्तन होता है उसे मांग की लोंच कहते हैं।"

                                   मांग की लोंच की माप

1. कुल व्यय प्रणाली :- इस विधि का प्रयोग मार्शल ने किया था इस विधि द्वारा यह पता लगाया जाता है की मांग की लोच इकाई से ज्यादा ,इकाई के बराबर है अथवा इकाई से कम है।

चित्र सेकुल व्यय = मूल्य × मात्रा  

वस्तु पर किया गया कुल व्यय = OP × OQ = OQRP

नई कीमत पर कुल व्यय = OP1 × OQ1 = OQ1R1P1

कीमत बदलने पर कुल व्यय बढ़ेगा या घटेगा, यह मांग की मूल्य लोच पर निर्भर करता है।

मूल्य लोच

कीमत घटने पर

कीमत बढ़ने पर

ep >1

कुल व्यय बढ़ता है

कुल व्यय घटता है

ep < 1

कुल व्यय घटता है

कुल व्यय बढ़ता है

e=1

कुल व्यय स्थिर रहता है

कुल व्यय स्थिर रहता है

2. प्रतिशत प्रणाली :- प्रो. फ्लक्स ने इस प्रणाली का सर्वप्रथम प्रयोग किया

     मांग की लोंच = (-) मांग में प्रतिशत परिवर्तन / मूल्य में प्रतिशत परिवर्तन 

`=(-)\frac{\Delta Q}{\Delta P}\times\frac PQ`

यदि भागफल 1 आता है तो मांग की लोंच इकाई के बराबर होता है। यदि भागफल 1 से अधिक आता है तो मांग की लोंच इकाई से अधिक होती है और यदि भागफल 1 से कम आता है तो मांग की लोंच इकाई से कम होती है।

3. बिन्दु प्रणाली या ज्यामितिक विधि :-

1. मांग की इकाई लोच :- यदि P बिन्दु रेखा के मध्य में स्थित है तो PN = PM इसलिए P बिन्दु पर मांग की लोच`\frac{PN}{PM}`1 होगी।

2. इकाई से अधिक या लोचदार मांग :- यदि A बिन्दु मध्य बिन्दु P से ऊपर है तो निचला हिस्सा AN ऊपर के हिस्से AM से अधिक होगा। इसलिए A बिन्दु पर मांग की लोंच =`\frac{AN}{AM}`> 1 होगी।

3. इकाई से कम या बेलोचदार मांग :- यदि B बिन्दु P से नीचे है तो निचला हिस्सा BN ऊपर के हिस्से BM से कम होगा। इसलिए B बिन्दु पर मांग की लोंच =`\frac{BN}{BM}`< 1 होगी।

4. ep= 0 :- N बिन्दु पर मांग की लोंच `\frac0{NM}` = 0

5. ep= `\infty`  :- M बिन्दु पर मांग की लोंच = `\frac{NM}0=\infty`

4. चाप प्रणाली :- प्रो. स्टिगलर ने अपनी पुस्तक ' The Theory of Price' में बिन्दु प्रणाली को गणितीय फलनो तक सीमित ज्ञान कर मांग की लोंच की माप के लिए चाप प्रणाली का प्रयोग किया । इसमें नए एवं पुराने मूल्यों के औसत के आधार पर मांग की मूल्य लोंच की माप की जाती है।

`E_p=(-)\frac{\Delta Q}{\frac{Q_1+Q_2}2}\div\frac{\Delta P}{\frac{P_1+P_2}2}`

`=(-)\frac{\Delta Q}{\Delta P}\div\frac{P_1+P_2}{\Q_1+Q_2}`

प्रश्न :- एक उपभोक्ता किसी वस्तु की कीमत ₹3 प्रति इकाई रहने पर उसकी 40 इकाइयां खरीदता है। जब कीमत बढ़कर ₹4 प्रति इकाई हो जाती है, तो वह उसकी 30 इकाइयां खरीदता है। कुल ्यय प्रणाली द्वारा मांग की लोच की माकरें ?

कीमत (P)

मांग की मात्रा (Q)

कुल व्यय (PQ)

3

40

120

4

30

120

मांग की लोच इकाई के समान है,क्योंकि कीमत में परिवर्तन होने के फलस्वरुप कुल व्यय में कोई परिवर्तन नहीं होता यद्यपि  मांग की मात्रा घट जाती है

प्रश्न :- निम्नलिखित तालिका से मांग एवं पूर्ति वक्र बनाए तथा संतुलन बिंदु , कीमत तथा क्रय-विक्रय के मात्रा को बताएं ?

Price

6

5

4

3

2

1

0

Demand

0

20

40

60

80

100

120

Supply

120

100

80

60

40

20

0



चित्र में संतुलन बिन्दु E है जहां मांग और पूर्ति आपस में बराबर है। मूल्य OP (3) तथा क्रय विक्रय की मात्रा OQ(60) निर्धारित है।

प्रश्न :- किसी वस्तु की मांग की लोच 2  है। यदि उसकी मांग मात्रा में 10% वृद्धि होगी, तो मूल्य में प्रतिशत परिवर्तन क्या होगा

उत्तर :- मांग की लोच = मांग में प्रतिशत परिवर्तन/ मूल्य में प्रतिशत परिवर्तन

               2 = 10 / मूल्य में प्रतिशत परिवर्तन

            अतः मूल्य में प्रतिशत परिवर्तन = 10/2 = 5% होगी।

प्रश्न :- निम्नलिखित मांग वक्रो की मांग लोच डिग्री कितनी है।

1. OX- अक्ष के सामानांतर सीधी रेखा

2. OY- अक्ष के सामानांतर सीधी रेखा

3. बाएं से दाएं नीचे की ओर ढालू सीधी रेखा के मध्य बिन्दु पर

उत्तर :- (1) पूर्णतया लोचदार मांग या अनन्त लोच (e = )

           (2) पूर्णतया बेलोचदार मांग या शून्य लोंच (e = 0)

           (3) इकाई के बराबर लोचदार मांग (e = 1)

प्रश्न :- सामान्य और घटिया वस्तुओं के अर्थ बताएं ?

उत्तर :- सामान्य वस्तुएं :- सामान्य वस्तु में उन वस्तुओं को कहते हैं जिनकी मांग क्रेताओं की आय के बढ़ने पर बढ़ती है। अतः य और मांग में धनात्मक संबंध पाया जाता है। इसे धनात्मक आप्रभाव कहते हैं

           घटिया या निम्नकोटि वस्तुएं :- घटिया वस्तुएं उन वस्तुओं को कहते हैं जिनकी मांग क्रेताओं की आय के बढ़ने पर घटती है। आय और मांग में ऋणात्मक संबंध पाया जाता है। इसे ऋणात्मक आय प्रभाव कहते हैं।

प्रश्न :- मांग वक्र क्या है ?

उत्तर :- प्रो.लिफ्टविच के अनुसार,"मांग वक्र वस्तु की उन अधिकतम मात्राओं को प्रकट करती है । जिन्हें उपभोक्ता समय की एक अवधि में विभिन्न कीमतों पर खरीदेंगे।"

प्रश्न :- मांग की कीमत लोच तथा मांग की लोच में अंतर बताएं ?

मांग की कीमत लोच

 मांग की लोच

मांग की कीमत लोच किसी वस्तु की कीमत में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन तथा उस वस्तु की मांग में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन का अनुपात है

मांग की लोच मांग को प्रभावित करने वाले संख्यात्मक तत्वों में वृद्धि या कमी होने के फलस्वरूप मांग की मात्रा में होने वाले कमी या वृद्धि के विस्तार की मात्रा को माती है

जब वस्तु की मांगी गई मात्रा के परिवर्तन को वस्तु की कीमत में हुए परिवर्तन द्वारा मापा जाता है तो इसे मांग की कीमत लोच कहते हैं

एक वस्तु की कीमत उपभोक्ता की आय तथा संबंधित वस्तुओं की कीमत में परिवर्तन होने से उस वस्तु की मांग की मात्रा में होने वाले परिवर्तन के माप को मांग की लोच कहा जाएगा।

प्रश्न :- मांग क्र को खिसका सकने वाले तीन कारक बताएं ?

>मांग में परिवर्तन से आप क्या समझते हैं ? मांग में परिवर्तन के तीन कारकों का उल्लेख करें ?

>मांग में कमी लाने वाले किन्हीं तीन कारकों की संक्षेप में व्याख्या करें ?

>मांग में वृद्धि लाने वाले किन्हीं तीन कारकों की संक्षेप में व्याख्या करें ?

उत्तर :- जब कीमत के अलावा किन्ही अन्य कारकों में परिवर्तन होने पर वस्तु की अधिक या कम मांग की जाती है तो उसे मांग वक्र का खिसकाव अथवा मांग में परिवर्तन कहा जाता है

मांग में परिवर्तन के कारण

(A) मांग में वृद्धि ( या मांग वक्र जाती और खिसकाव ) के कारण :-

1. जब उपभोक्ता की आय में वृद्धि होती है 

2. जब प्रतिस्थापन वस्तु की कीमत में वृद्धि होती है 

3. जब पूरक वस्तु की कीमत में कमी होती है 

4. जब फैशन या ऋतु में परिवर्तन वस्तु के लिए उपभोक्ता की रूचि में परिवर्तन लाता है 

5. जब क्रेताओं की संख्या में वृद्धि हो 

6. जब भविष्य में कीमत बढ़ने की संभावना हो तथा 

7. जब भविष्य में उपभोक्ता की आय बढ़ने की संभावना हो

(B) मांग में कमी ( या मांग वक्र बारे ओर खिसकाव ) के कारण :-

1. जब उपभोक्ता की आय में कमी होती है 

2. जब प्रतिस्थापन वस्तु की कीमत में कमी होती है 

3. जब पूरक वस्तु की कीमत में वृद्धि होती है 

4. जब फैशन या ऋतु में परिवर्तन के कारण वस्तु के लिए उपभोक्ता की रूचि में कमी आती है 

5.  क्रेताओं की संख्या में कमी का होना 

6. जब निकट भविष्य में कीमत कम होने की संभावना हो तथा 

7. निकट भविष्य में उपभोक्ता की आय कम होने की संभावना हो।

प्रश्न :- प्रतिस्थापक  एवं पूरक वस्तुओं में अंतर करें ?

प्रतिस्थापक वस्तुएं

पूरक वस्तुएं

प्रतिस्थापक वस्तुओं का प्रयोग अलग-अलग या एक दूसरे के स्थान पर किया जाता है जैसे- चाय के स्थान पर कॉफी

पूरक या प्रतिपूरक वस्तुओं का प्रयोग एक दूसरे के साथ किया जाता है जैसे - चाय के साथ दूध

एक वस्तु के दाम में वृद्धि होने से दूसरी वस्तु की मांग में वृद्धि होती है जैसे -कॉफी के दाम में वृद्धि होने पर चाय की मांग में वृद्धि

एक वस्तु के दाम में वृद्धि होने से दूसरी वस्तु की मांग में कमी हो जाती है जैसे चाय के दाम बढ़ने पर दूध की मांग में कमी

प्रश्न :- इच्छा और मांग में अंतर करें ?

उत्तर :- इच्छा और मांग में निम्नलिखित अंतर है

1. मांग सदैव निश्चित कीमत एवं समय से संबंधित होती है लेकिन इच्छा में समय और कीमत से कोई संबंध नहीं है

2. मांग के लिए साधन होना आवश्यक है किंतु इच्छा के लिए नहीं

3. मांग को संतुष्ट किया जा सकता है किंतु इच्छा को नहीं

प्रश्न :- एक उपभोक्ता किसी वस्तु की 10 इकाइयां क्रय करता है । जब इसकी कीमत ₹5 प्रति इकाई था , जब उस वस्तु की कीमत घटकर ₹4 प्रति इकाई हो गई ।तो उसने उस वस्तु की 12 इकाइयां खरीदी । उस वस्तु की उस कीमत पर मांग की लोच क्या है ?

उत्तर :- 

P=5,.    P1=4       

Q=10,   Q1=12

 P= P1 -P= 4-5= -1

Q = Q1 -Q =12-10=2

`E_d=(-)\frac{\Delta Q}Q\times\frac P{\Delta P}`

`E_d=(-)\frac2{10}\times\frac5{-1}=1`

अत: Ed =1, मांग की लोच इकाई है।

प्रश्न :- निम्नलिखित वस्तुओं की मांग की लोच बताएं ?

उत्तर :- नमक :- बेलोचदार

        हीरा :- लोचदार

           दूध :- लोचदार

प्रश्न :- दिये गये आंकडो से मांग की लोच ज्ञात कीजिए

कीमत

मांग की लोच

10

15

20

10

उत्तर :- 

P=10    P1=20     

Q=15,   Q1=10

P= P1 -P= 20-10= 10  

 Q = Q1 -Q =10-15=-5  

`E_d=(-)\frac{\Delta Q}Q\times\frac P{\Delta P}`

`E_d=(-)\frac5{15}\times\frac{10}{10}` `=\frac1{3}=0.33`

प्रश्न - उदासीनता वक्र किसे कहा जाता है? रेखाचित्र से दर्शाइए।

उत्तर– उदासीनता वक्र - यह दो वस्तुओं के उन विभिन्न संयोगों को दर्शाता है जिससे उपभोक्ता को समान संतुष्टि प्राप्त होती है। क्योंकि सभी संयोग समान संतुष्टि स्तर के होते हैं एक उपभोक्ता इन संयोगों के बीच तटस्थ होता है।

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रेखाचित्र में A,B,C विभिन्न संयोग को बताते हैं। जिस पर उपभोक्ता को समान संतुष्टि प्राप्त होती है।

प्रश्न - उदासीनता वक्र मूल बिन्दु की ओर उत्तल क्यों होता है ?

उत्तर - MRSXY (प्रतिस्थापन की सीमांत दर) घटने के कारण उदासीनता वक्र मूल की ओर उत्तल होता है।

प्रश्न :- उदासीनता वक्रों की किन्ही तीन विशेषताओं को लिखे ?

उत्तर :- उदासीनता वक्रों की निम्न विशेषताएं हैं

a. उदासीनता वक्र मूल बिंदु की ओर उन्नतोदर होते हैं क्योंकि MRS में घटने की प्रवृत्ति होती है

b. उदासीन वक्र ऋणात्मक ढाल वाले होते हैं

c. अधिक ऊंचा उदासीन वक्र पहले वाले उदासीन वक्र की तुलना में अधिक संतुष्टि को व्यक्त करता है

d. उदासीन वक्र एक दूसरे को नहीं काटते हैं

 प्रश्न :- दी गई तालिका को पूरा करें ?

वस्तु X की इकाई

1

2

3

4

TU

10

22

27

28

AU

10

11

9

7

MU

-

12

5

1

प्रश्न :- एक उपभोक्ता 20 पेन खरीदता है जब उसकी कीमत ₹10 प्रति पेन था। कीमत ₹5 प्रति पेन होने पर वह 30 पेन खरीदता है। पेन की मांग की लोच की गणना करें ?

उत्तर :-    

P=10       P1=5                   

Q=20,   Q1=30  

P= P1 -P= 5-10= -5    

Q = Q1 -Q =30-20=10

`E_d=(-)\frac{\Delta Q}Q\times\frac P{\Delta P}`

`E_d=(-)\frac10{20}\times\frac10{-5}=1`

अत: E=1, मांग की लोच इकाई है।

प्रश्न :- उदासीनता वक्र विश्लेषण में उपभोक्ता संतुलन के शर्तों को लिखें ?

उत्तर :- उपभोक्ता के संतुलन को ज्ञात करने के लिए दो बातों को जानना आवश्यक है -(1) तटस्थता मानचित्र तथा(2)कीमत रेखा

                                   संतुलन के शर्त

संतुलन की दशा में उपभोक्ता का उदासीन वक्र कीमत रेखा को स्पर्श करेगा।

संतुलन बिंदु पर संतुष्टि अधिकतम तब होगी जब X वस्तु की Y वस्तु के लिए सीमांत प्रतिस्थापन दर X वस्तु की कीमत और Yवस्तु की कीमत के बराबर हो जाएअर्थात MRSxy=Px/Py

तटस्थता वक्र मूल बिंदु के प्रति उन्नतोदर होना चाहिए अर्थात संतुलन बिंदु पर सीमांत प्रतिस्थापन दर घटती हुई होनी चाहिए।


रेखा चित्र में उपभोक्ता संतुलन E बिंदु पर होगा जहां कीमत रेखा AB को उदासीन वक्र IC1 स्पर्श कर रही है।

प्रश्न :- घटिया वस्तुओं के लिए आय में वृद्धि मांग वक्र को कैसे प्रभावित करती है ?

उत्तर :- आय में वृद्धि होने की स्थिति में एक निम्न कोटि वस्तु की मांग में कमी होती है।उपभोक्ता बढ़िया प्रतिस्थापन को अधिक प्राथमिकता देने लगता है क्योंकि अब उसके लिए इसे खरीदना संभव होता है। प्रचलित कीमत पर वस्तु की कम मात्रा के खरीदने का अर्थ मांग वक्र का पीछे की ओर खिसकना है अर्थात मांग में कमी का होना है। इसके विपरीत यदि आय घटती है तो उपभोक्ता जो पहले ही निम्न कोटि वस्तु का उपयोग कर रहा होता है, अब और अधिक इसी वस्तु पर निर्भर करने लगता है।

संभव है कि उसे बढ़िया प्रतिस्थापन के उपभोग में कमी करनी पड़े ताकि वह निम्नकोटि वस्तु की अधिक मात्रा खरीद सके। इसका अर्थ मांग वक्र का आगे को खिसकना है अर्थात मांग में वृद्धि का होना है। 

प्रश्न :- जब कोई वस्तु ₹5 में बिक रही थी तो उसकी मांग 100 इकाइयां थी। अब वस्तु का मूल्य बदलकर ₹8 हो जाता है जिसके फलस्वरूप मांग घटकर 50 इकाइयां हो जाती है। मांग की मूल्य लोच की गणना करें ?

उत्तर :-     

P=5   P1=8                  

Q=100,   Q1=50

P= P1 -P= 8-5= 3             

Q = Q1 -Q = 50-100= -50

`E_d=(-)\frac{\Delta Q}Q\times\frac P{\Delta P}`

`E_d=(-)\frac{-50}{100}\times\frac5{3}` `=\frac5{6}=0.83`

अत: मांग की मूल्य लोच इकाई से कम है।

प्रश्न :- निम्न तालिका से माँग की कीमत लोच की गणना कीजिए:

वस्तु की कीमत

वस्तु की माँग

8

32

6

42

उत्तर :    

P= 8     P1=6       

Q=32,   Q1=42 

P= P-P= 6-8= -2      

Q = Q1 -Q =42-32=10

`E_d=(-)\frac{\Delta Q}Q\times\frac P{\Delta P}`

`E_d=(-)\frac10{32}\times\frac{8}{-2}` `=\frac10{8}=1.25`

अतमांग की लोच इकाई से अधिक है।

1 comment

  1. Anonymous
    Kanha se download kare
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