5.PGT उपयोगिता का अर्थ (Meaning of Utility)

उपयोगिता का अर्थ (Meaning of Utility)

 तुष्टिगुण (उपयोगिता) का अर्थ

👉किसी भी वस्तु का वह गुण जिसके द्वारा वस्तु मनुष्य की किसी न किसी आवश्यकता की पूर्ति होती है, तुष्टिगुण कहलाता है।

👉वस्तुओं के उस गुण को तुष्टिगुण या उपयोगिता कहते हैं जिससे मनुष्य की आवश्यकता की सन्तुष्टि होती है।

👉श्रीमती जॉन रॉबिंसन के अनुसार - उपयोगिता वस्तुओं का वह गुण है जिसके फलस्वरूप लोग उसे खरीदा करते हैं।

👉तुष्टिगुण की निम्नलिखित विशेषतायें होती हैं -

क. तुष्टिगुण मानव की आवश्यकता द्वारा उत्पन्न होती है।

ख. तुष्टिगुण अमूर्त होती है।

ग. इसमें नैतिकता का गुण निहित होता है। तुष्टिगुण सापेक्षिक होती है।

घ. तुष्टिगुण वस्तुएँ और उपभोक्ता के सम्बन्ध पर निर्भर होती है।

👉तुष्टिगुण के भेद - सीमान्त तुष्टिगुण तथा कुल तुष्टिगुण ।

👉सीमान्त तुष्टिगुण - किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई के प्रयोग से जिससे तुष्टिगुण में वृद्धि होती है उसे सीमान्त तुष्टिगुण कहते हैं।

👉प्रो० के० ई० बोल्डिंग के अनुसार - वस्तु की किसी मात्रा की सीमांत तुष्टिगुण कुल तुष्टिगुण में वृद्धि है जो कि उपभोग के एक और इकाई के परिणामस्वरूप प्राप्त होती है।

👉सीमान्त तुष्टिगुण धनात्मक (Positive), शून्य (Zero) तथा ऋणात्मक तीनों प्रकार की हो सकती हैं।

👉कुल तुष्टिगुण - जब उपभोक्ता किसी वस्तु की एक से अधिक इकाइयों का उपभोग करता है तो समस्त इकाइयों से प्राप्त होने वाली सभी तुष्टिगुण के योग को कुल तुष्टिगुण कहते हैं।

👉जब तक वस्तु की सीमान्त तुष्टिगुण धनात्मक होती है, कुल तुष्टिगुण बढ़ती जाती है।

👉जब सीमान्त तुष्टिगुण ऋणात्मक होती है तो कुल तुष्टिगुण कम हो जाती है।

 ह्रासमान सीमान्त तुष्टिगुण

👉मानवीय आवश्यकतायें असीमित होते हुए भी समय विशेष पर किसी आवश्यकता विशेष की सन्तुष्टि की जा सकती है, आवश्यकताओं की इसी विशेषता पर ह्रासमान तुष्टिगुण नियम आधारित है।

👉प्रो० मार्शल के शब्दों में- अन्य बातें समान रहने पर किसी व्यक्ति के पास किसी वस्तु की मात्रा में वृद्धि होने से जो अतिरिक्त लाभ प्राप्त होता है वह उस वस्तु की मात्रा को प्रत्येक इकाई के वृद्धि के साथ-साथ घटता जाता है।

👉प्रो० चैपमैन के अनुसार - किसी भी वस्तु की जितनी भी अधिक मात्रा हमारे पास होती है, उस वस्तु की मात्राओं में वृद्धि के लिए हम उतने ही कम इच्छुक होते हैं, अथवा उतनी ही हम उसकी अतिरिक्त वृद्धि नहीं चाहते।

👉ह्रासमान सीमान्त उपयोगिता नियम अप्राप्य या दुर्लभ वस्तुओं पर लागू नहीं होता, फैशन, दिखावटी सामानों के उपभोग पर यह नियम लागू नहीं होता है।

👉पूरक वस्तुओं के सन्दर्भ में भी यह नियम क्रियाशील नहीं होता।

👉ह्रासमान तुष्टिगुण नियम प्रो० मार्शल के आर्थिक विश्लेषण के केन्द्र बिन्दु है।

👉यह नियम माँग का आधार है, उपभोक्ता की बचत का विचार भी इस पर आधारित है तथा यह नियम इस तथ्य को भी स्पष्ट करता है कि पूर्ति में वृद्धि के साथ ही मूल्य में कमी क्यों आ जाती है।

👉सम सीमान्त तुष्टिगुण नियम उपभोग का आधार नियम है इसका प्रतिपादन सबसे पहले एस० एस० गोसेन द्वारा किया गया था। इसीलिए इस नियम को गोसेन का दूसरा नियम कहते हैं।

👉प्रो० मार्शल ने इस नियम को सम सीमान्त तुष्टिगुण नियम कहा है।

👉प्रो० लेफ्टविच सम सीमान्त तुष्टिगुण को उपभोक्ता की सन्तुष्टि के अधिकतमकरण के सामान्य सिद्धान्त का नाम दिया है।

👉प्रो० हिब्बड़न ने इस नियम को विचारवान उपभोक्ता का नियम कहा है।

👉लार्ड राबिन्स के अनुसार यह 'अर्थशास्त्र का नियम' (Law of Economics) है क्योंकि यह नियम अर्थशास्त्र के प्रत्येक भाग, उत्पादक, उपभोग, विनिमय, वितरण तथा राजस्व पर लागू होता है।

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