MODEL TEST 2022
विषय - हिन्दी ऐच्छिक (Elective)
कक्षा -XII
दिनांक - 28.11.2022
पूर्णांक - 30 अंक
उत्तीर्णांक - 10 अंक
समय - 01 घंटे
निर्देश :- सभी प्रश्न अनिवार्य है।
खण्ड -अ 02X05 = 10
1. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर :-
लोकतंत्र का चौथा स्तंभ पत्रकारिता है। सूचना कांति ने विश्व को ग्राम
बना दिया है। मीडिया की जागरूकता ने समाज में एक क्रांति ला दी है और इस कांति की भाषा
हिन्दी है इतने सारे समाचार चैनल है और सभी चैनलों पर हिन्दी अपने हर रूप में नये कलेवर
तेवर में निखर कर सामने आ रही है। तुलनात्मक अर्थों में आज हिन्दी पत्रकारिता का महत्व
पहले की अपेक्षा बढ़ा है। प्रिंट मीडिया में हिन्दी पत्रकारिता में सफलता के नये आयाम
गढ़े है। आज भारत में पत्र-पत्रिकाओं की करोड़ों प्रतियों प्रतिदिन बिकती है चीन के
बाद भारत में सबसे अधिक अखबार पढ़े जाते हैं।
1. उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दिजिए।
उत्तर : पत्रकारिता
2. समाज की जागरूकता में किसका सर्वाधिक योगदान होता है?
उत्तर : समाज की जागरूकता में पत्रकारिता का सर्वाधिक योगदान होता है
3. लोकतंत्र का चौथा स्तंभ किसे कहते हैं?
उत्तर : लोकतंत्र का चौथा स्तंभ पत्रकारिता है।
4. भारत में प्रतिदिन पत्र / पत्रिकाओं की कितनी प्रतियों बिकती है?
उत्तर : भारत में प्रतिदिन पत्र / पत्रिकाओं की करोड़ों प्रतियों बिकती है
5. समाचार पत्र पढ़ने में विश्व में भारत किस स्थान पर है?
उत्तर : समाचार पत्र पढ़ने में विश्व में भारत दूसरा स्थान पर है
खण्ड ब - 05X04-20
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर अपने शब्दों में लिखें :-
1. कार्नेलिया के गीत के आधार पर भारत का वर्णन करें।
उत्तर :
1. भारत पर सूर्य की किरण सबसे पहले पहुँचती है।
2. यहाँ पर किसी अपरिचित व्यक्ति को भी घर में प्रेमपूर्वक रखा जाता
है।
3. यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य अद्भूत और आदित्य है।
4. यहाँ के लोग दया, करुणा और सहानुभूति भावनाओं से भरे हुए हैं।
5. भारत की संस्कृति महान है।
2. बसंत आया कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर : यह कविता उस समय लिखा गया है जबकि द्विवेदी जी 'शांति निकेतन'
में निवास करते थे। द्विवेदी जी ने अपने समीपस्थ वृक्षों का अवलोकन करते हुए बताया
है कि जब 'बसन्त आ गया है' इस आदर्श की प्रतिध्वनि कवि समाज के साथ ही साथ इतर प्राणियों
पर भी गूँज उठी है, तब इस शांति निकेतन में स्थित कुछ वृक्षों पर ऋतुराज के आगमन सूचना
पूर्व से ही मिल गयी है। जिससे वे अपने को स्वागत के लिए पुष्पों और नई कोपलों के रूप
में सज्जित किये हुए हैं पर कुछ कारणों सन्तान के पूर्व सूचना ही उपलब्ध नहीं हो सकी।
अतः वे ज्यों के त्यों नव विकास से ही अपने पूर्व रूप में ही खड़े हुए हैं।
बसन्त जब आता है तो प्रथमतः सबको न्यस्त व्यागमूर्ति बनाकर उनका पूर्व-संचित
धन उन्मुक्त भाव से (पतझड़ के द्वारा) दान करा देता तब अपार सौन्दर्य रूप में पल्लवों,
कोयलों और पुष्पों की सम्पत्ति बाँट देता है । गुरुदेव रवीन्द्रनाथ के हाथ से से लगाई
दो कृष्ण चूड़ायें हैं, जो अभी नादान हैं। अतः हरी-भरी रहकर भी फाल्गुन आषाढ़ मास की
दशा को प्राप्त हैं। अमरूद के लिए तो हमेशा बसन्त ही रहता है। इसके अलावा विषमता यहाँ
तक है कि कुछ समान परिस्थिति वाले वृक्ष भी समान रूप से विकसित नहीं हो पा रहे हैं।
लेखक के निवास के सामने कचनार का वृक्ष है जो स्वस्थ और सबल होते हुये
भी फूलता नहीं है। पड़ोसी का कमजोर कचनार, शाखा शाखा में पुष्प को धारण किये हुये है
। 'कमजोरों' में भावुकता ज्यादा होती होगी। इस कथन से लेखक ने इसकी अविकसितता की पुष्टि
की है।
भारत के नवयुवक उमंग और उत्साह से हीन दिखाई देते हैं। ऐसा पढ़ने में
आया है किन्तु लेखक की दृष्टि में तो भारत के पेड़ पौधे भी उमंगों से हीन दिखाई देते
हैं, क्योंकि जो अविकसित वृक्ष है उन्हें अभी तक यही पता नहीं चल पाया है कि 'बसंत
आ गया है। महुआ और जामुन को देखने से लगता है कि बसन्त आता नहीं हैं, ले आया जाता है।
संवेदन की स्थिति में कचनार की भावुक प्रकृति बसन्त का अनुभव नहीं कर पाई है।
3. यह फूश की राख न थी, उसकी अभिलाषाओं की राख थी कथन के आधार पर सूरदास
की मनःस्थिति का वर्णन करें।
उत्तर : सूरदास एक अँधा भिखारी था। उसकी संपत्ति में एक झोपड़ी, जमीन
का छोटा-सा टुकड़ा और जीवनभर जमा की गई पूंजी थी। यही सब उसके जीवन के आधार थे। ज़मीन
उसके किसी काम की नहीं थी। उस पर सारे गाँव के जानवर चरा करते थे। सूरदास उसी में प्रसन्न
था। झोपड़ी जल गई पर वह दोबारा भी बनाई जा सकती थी लेकिन उस आग में उसकी जीवनभर की
जमापूँजी जलकर राख हो गई थी। उसे दोबारा इतनी जल्दी जमा कर पाना संभव नहीं था। उसमें
500 सौ रुपए थे। उस पूँजी से उसे बहुत-सी अभिलाषाएँ थी। वह गाँववालों के लिए कुँआ बनवाना
चाहता था, अपने बेटे की शादी करवाना चाहता था तथा अपने पितरों का पिंडदान करवाना चाहता
था। झोपड़ी के साथ ही पूँजी के जल जाने से अब उसकी कोई भी अभिलाषा पूरी नहीं हो सकती
थी। उसे लगा कि यह फूस की राख नहीं है बल्कि उसकी अभिलाषाओं की राख है। उसकी सारी अभिलाषाएँ
झोपड़ी के साथ ही जलकर राख हो गई। अब उसके पास कुछ नहीं था। बस दुख तथा पछतावा था।
वह गर्म राख में अपनी अभिलाषाओं की राख को ढूँढ रहा था।
4. कोरोना महामारी अथवा पर्यावरण विषय पर निबंध लिखें।
उत्तर :
कोरोना महामारी
प्रस्तावना : विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना वायरस को महामारी
घोषित कर दिया है। कोरोना वायरस बहुत सूक्ष्म लेकिन प्रभावी वायरस है। कोरोना वायरस
मानव के बाल की तुलना में 900 गुना छोटा है, लेकिन कोरोना का संक्रमण दुनियाभर में
तेजी से फ़ैल रहा है।
कोरोना वायरस क्या है?
कोरोना वायरस (सीओवी) का संबंध वायरस के ऐसे परिवार से है जिसके संक्रमण
से जुकाम से लेकर सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या हो सकती है। इस वायरस को पहले कभी
नहीं देखा गया है। इस वायरस का संक्रमण दिसंबर में चीन के वुहान में शुरू हुआ था। डब्लूएचओ
के मुताबिक बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ इसके लक्षण हैं। अब तक इस वायरस को फैलने
से रोकने वाला कोई टीका नहीं बना है।
इसके संक्रमण के फलस्वरूप बुखार, जुकाम, सांस लेने में तकलीफ, नाक बहना
और गले में खराश जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति
में फैलता है। इसलिए इसे लेकर बहुत सावधानी बरती जा रही है। यह वायरस दिसंबर में सबसे
पहले चीन में पकड़ में आया था। इसके दूसरे देशों में पहुंच जाने की आशंका जताई जा रही
है।
कोरोना से मिलते-जुलते वायरस खांसी और छींक से गिरने वाली बूंदों के
ज़रिए फैलते हैं। कोरोना वायरस अब चीन में उतनी तीव्र गति से नहीं फ़ैल रहा है जितना
दुनिया के अन्य देशों में फैल रहा है। कोविड 19 नाम का यह वायरस अब तक 70 से ज़्यादा
देशों में फैल चुका है। कोरोना के संक्रमण के बढ़ते ख़तरे को देखते हुए सावधानी बरतने
की ज़रूरत है ताकि इसे फैलने से रोका जा सके।
क्या हैं इस बीमारी के लक्षण?
कोवाइड-19 / कोरोना वायरस में पहले बुख़ार होता है। इसके बाद सूखी खांसी
होती है और फिर एक हफ़्ते बाद सांस लेने में परेशानी होने लगती है।
इन लक्षणों का हमेशा मतलब यह नहीं है कि आपको कोरोना वायरस का संक्रमण
है। कोरोना वायरस के गंभीर मामलों में निमोनिया, सांस लेने में बहुत ज़्यादा परेशानी,
किडनी फ़ेल होना और यहां तक कि मौत भी हो सकती है। बुजुर्ग या जिन लोगों को पहले से
अस्थमा, मधुमेह या हार्ट की बीमारी है उनके मामले में ख़तरा गंभीर हो सकता है। ज़ुकाम
और फ्लू में के वायरसों में भी इसी तरह के लक्षण पाए जाते हैं।
कोरोना वायरस का संक्रमण हो जाए तब?
1. इस समय कोरोना वायरस का कोई इलाज नहीं है लेकिन इसमें बीमारी के
लक्षण कम होने वाली दवाइयां दी जा सकती हैं।
2. जब तक आप ठीक न हो जाएं, तब तक आप दूसरों से अलग रहें।
3. कोरोना वायरस के इलाज़ के लिए वैक्सीन विकसित करने पर काम चल रहा
है।
4. इस साल के अंत तक इंसानों पर इसका परीक्षण कर लिया जाएगा।
5. कुछ अस्पताल एंटीवायरल दवा का भी परीक्षण कर रहे हैं।
क्या हैं इससे बचाव के उपाय?
1. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस से बचने के लिए दिशा-निर्देश
जारी किए हैं।
2. इनके मुताबिक हाथों को साबुन
से धोना चाहिए।
3. अल्कोहल आधारित हैंड रब
का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
4. खांसते और छीकते समय नाक
और मुंह रूमाल या टिश्यू पेपर से ढंककर रखें।
5. जिन व्यक्तियों में कोल्ड
और फ्लू के लक्षण हों, उनसे दूरी बनाकर रखें।
6. अंडे और मांस के सेवन से
बचें।
7. जंगली जानवरों के संपर्क
में आने से बचें।
मास्क कौन और कैसे पहनें?
1. अगर आप स्वस्थ हैं तो आपको मास्क की जरूरत नहीं है।
2. अगर आप किसी कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति की देखभाल कर रहे
हैं, तो आपको मास्क पहनना होगा।
3. जिन लोगों को बुखार, कफ या सांस में तकलीफ की शिकायत है, उन्हें
मास्क पहनना चाहिए और तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
मास्क पहनने का तरीका :-
1. मास्क पर सामने से हाथ नहीं
लगाना चाहिए।
2. अगर हाथ लग जाए तो तुरंत
हाथ धोना चाहिए।
3. मास्क को ऐसे पहनना चाहिए
कि आपकी नाक, मुंह और दाढ़ी का हिस्सा उससे ढंका रहे।
4. मास्क उतारते वक्त भी मास्क
की लास्टिक या फीता पकड़कर निकालना चाहिए, मास्क नहीं छूना चाहिए।
5. हर रोज मास्क बदल दिया जाना
चाहिए।
कोरोना का संक्रमण फैलने से कैसे रोकें?
1. सार्वजनिक वाहन जैसे बस,
ट्रेन, ऑटो या टैक्सी से यात्रा न करें।
2. घर में मेहमान न बुलाएं।
3. घर का सामान किसी और से मंगाएं।
4. ऑफ़िस, स्कूल या सार्वजनिक जगहों पर न जाएं।
5. अगर आप और भी लोगों के साथ रह रहे हैं, तो ज़्यादा सतर्कता बरतें।
6. अलग कमरे में रहें और साझा रसोई व बाथरूम को लगातार साफ़ करें।
7. 14 दिनों तक ऐसा करते रहें ताकि संक्रमण का ख़तरा कम हो सके।
8. अगर आप संक्रमित इलाक़े से आए हैं या किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क
में रहे हैं तो आपको अकेले रहने की सलाह दी जा सकती है। अत: घर पर रहें।
उपसंहार : लगभग 18 साल पहले सार्स वायरस
से भी ऐसा ही खतरा बना था। 2002-03 में सार्स की वजह से पूरी दुनिया में 700 से ज्यादा
लोगों की मौत हुई थी। पूरी दुनिया में हजारों लोग इससे संक्रमित हुए थे। इसका असर आर्थिक
गतिविधियों पर भी पड़ा था। कोरोना वायरस के बारे में अभी तक इस तरह के कोई प्रमाण नहीं
मिले हैं कि कोरोना वायरस पार्सल, चिट्टियों या खाने के ज़रिए फैलता है। कोरोना वायरस
जैसे वायरस शरीर के बाहर बहुत ज़्यादा समय तक ज़िंदा नहीं रह सकते।
कोरोना वायरस को लेकर लोगों में एक अलग ही बेचैनी देखने को मिली है।
मेडिकल स्टोर्स में मास्क और सैनेटाइजर की कमी हो गई है, क्योंकि लोग तेजी से इन्हें
खरीदने के लिए दौड़ रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन, पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड और नेशनल हेल्थ सर्विस
(एनएचएस) से प्राप्त सूचना के आधार पर हम आपको कोरोना वायरस से बचाव के तरीके बता रहे
हैं। एयरपोर्ट पर यात्रियों की स्क्रीनिंग हो या फिर लैब में लोगों की जांच, सरकार
ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए कई तरह की तैयारी की है। इसके अलावा किसी भी तरह
की अफवाह से बचने, खुद की सुरक्षा के लिए कुछ निर्देश जारी किए हैं जिससे कि कोरोना
वायरस से निपटा जा सकता है।
पर्यावरण
प्रस्तावना
सभी प्रकार के प्राकृतिक तत्व जो जीवन को सम्भव बनाते हैं वह पर्यावरण
के अन्तर्गत आते हैं जैसे- पानी, हवा, भूमि, प्रकाश, आग, जंगल, जानवर, पेड़ इत्यादि।
ऐसा माना जाता है की पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन है तथा जीवन के अस्तित्व
को बनाए रखने के लिए, पर्यावरण है।
पर्यावरण प्रदूषण का हमारे जीवन पर प्रभाव
पर्यावरण के अभाव में जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती तथा हमें भविष्य
में जीवन को बचाये रखने के लिए पर्यावरण की सुरक्षा को सुनिश्चित करना होगा। यह पृथ्वी
पर निवास करने वाले प्रत्येक व्यक्ति की ज़िम्मेदारी है। हर व्यक्ति सामने आये तथा
पर्यावरण संरक्षण के मुहिम का हिस्सा बने।
पृथ्वी पर विभिन्न चक्र है जो नियमित तौर पर पर्यावरण और जीवित चीजों
के मध्य घटित होकर प्रकृति का संतुलन बनाये रखते हैं। जैसे ही यह चक्र विक्षुब्ध
(Disturb) होता है पर्यावरण संतुलन भी उससे विक्षुब्ध होता है जो निश्चित रूप से मानव
जीवन को प्रभावित करता है। हमारा पर्यावरण हमें पृथ्वी पर हजारों वर्ष तक पनपने तथा
विकसित होने में मदद करता है, वैसे ही जैसे की मनुष्य को प्रकृति द्वारा बनाया गया
पृथ्वी का सबसे बुद्धिमान प्राणी माना जाता है, उन में ब्रम्हांड के तथ्यों को जानने
की बहुत उत्सुकता होती है जो की उन्हें तकनीकी उन्नति की ओर अग्रसर करता है।
पर्यावरण का महत्व
हम सभी के जीवन में इस तरह की तकनीक उत्पन्न हुई है, जो दिन प्रति दिन
जीवन की संभावनाओं को खतरे में डाल रही है तथा पर्यावरण को नष्ट कर रही है। जिस तरह
से प्राकृतिक हवा, पानी, और मिट्टी दुषित हो रहे हैं, ऐसा प्रतीत होता है जैसे यह एक
दिन हमें बहुत हानि पहुंच सकता है। यहाँ तक की इसने अपना बुरा प्रभाव मनुष्य, जानवर,
पेड़ तथा अन्य जैविक प्राणी पर दिखाना शुरू भी कर दिया है। कृत्रिम रूप से तैयार खाद
तथा हानिकारक रसायनों का उपयोग मिट्टी की उर्वरकता को नष्ट करता है, तथा हम जो रोज
खाना खाते है उसके माध्यम से हमारे शरीर में एकत्र होता जाता है। औद्योगिक कम्पनीयों
से निकलने वाला हानिकारक धुंआ हमारी प्राकृतिक हवा को दुषित करती है जिससे हमारा स्वास्थय
प्रभावित होता है, क्योंकि हमेशा हम सांस के माध्यम से इसे ग्रहण करते हैं।
पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारियाँ
प्रदूषण में वृद्धि, प्राकृतिक स्त्रोत में तेजी से कमी का मुख्य कारण
है, इससे न केवल वन्यजीवों और पेड़ों को नुकसान हुआ है बल्की इनके द्वारा ईको सिस्टम
को भी बाधित हुआ है। आधुनिक जीवन के इस व्यस्तता में हमें कुछ बुरे आदतों को बदलना
आवश्यक है जो हम दैनिक जीवन में करते हैं। यह सत्य है कि नष्ट होते पर्यावरण के लिए
हमारे द्वारा किया गया छोटा प्रयास बड़ा सकारात्मक बदलाव कर सकता है। हमें अपने स्वार्थ
की पूर्ति तथा विनाशकारी कामनाओं के लिए प्राकृतिक संसाधनों का गलत उपयोग नहीं करना
चाहिए।
निष्कर्ष
हमें इस बात का खयाल रखना चाहिए कि आधुनिक तकनीक, पारिस्थितिकीय संतुलन को भविष्य में कभी विक्षुब्ध न कर सके। समय आ चुका है कि हम प्राकृतिक संसाधनों का अपव्यय बंद करें और उनका विवेकपूर्ण तरह से उपयोग करें। हमें हमारे जीवन को बेहतर बनाने के लिए विज्ञान तथा तकनीक को विकसित करना चाहिए पर हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए की यह वैज्ञानिक विकास भविष्य में पर्यावरण को किसी भी प्रकार से नुकसान न पहुचाए।