Economics
Mock Test 2022-23
SUBJECT:
ECONOMICS (ARTS)
अति लघु उत्तरीय प्रश्न 5x4-20
1. व्यष्टि अर्थशास्त्र से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर
:
2. किसने अर्थशास्त्र को धन के विज्ञान के रूप में परिभाषित किया ?
उत्तर
: एडम स्मिथ
3. मांग को परिभाषित कीजिए।
उत्तर : " अन्य बातें समान रहे तो मांग वस्तु की उन मात्राओं को संबोधित करती है जो उपभोक्ता दिए गए समय पर विभिन्न संभव कीमतों पर खरीदने के इच्छुक हैं "।
4. मूल्य ह्मस से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर : उत्पादन प्रक्रिया में पूंजीगत वस्तुओं जैसे भवन, मशीन,पूंजी, उपकरण आदि के मूल्यों के घिसावट, सामान्य टूट-फूट, तकनीकी परिवर्तन आदि के कारण आयें कमी को मूल्यह्रास कहते हैं। इसे स्थायी पूंजी का उपयोग एवं अचल पूंजी का उपयोग अथवा घिसावट भी कहते हैं'।
5. 1936 में प्रकाशित कीन्स के ग्रंथ का नाम क्या है ?
उत्तर
: ' द जनरल थ्योरी ऑफ एंप्लॉयमेंट इंटरेस्ट
एंड मनी'
लघु उत्तरीय प्रश्न : 5 x 4 = 20
6. किसी अर्थव्यवस्था की किन्हीं तीन केन्द्रीय समस्याओं को लिखें।
उत्तर : अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्याएं निम्नलिखित है :-
(क)
साधनों से किन वस्तुओं का तथा कितनी - कितनी मात्रा में उत्पादन किया जाता है ? साधनों
के आवंटन की समस्या
(ख)
वस्तुओं का उत्पादन कैसे किया जाए : उत्पादन तकनीकों के चुनाव की समस्या
(ग)
समाज में वस्तुओं का वितरण किस प्रकार हो:
राष्ट्रीय उत्पादन के वितरण की समस्या
(घ)
क्या साधनों का कुशलता से प्रयोग हो रहा है : कल्याण अधिकतम करने की समस्या
(ड.)
क्या समस्त उपलब्ध साधनो का पूर्ण रूप से उत्पादन के लिए प्रयोग हो
रहा है : साधनों के पूर्ण प्रयोग अथवा
रोजगार की समस्या
(घ) क्या अर्थव्यवस्था की उत्पादन क्षमता तथा राष्ट्रीय आय में वृद्धि हो रही है : आर्थिक विकास की समस्या
7. प्रतिस्थापक एवं पूरक वस्तुओं के उदाहरण दें।
उत्तर
: प्रतिस्थापक वस्तु : चाय और कॉफी, चीनी और गुड़, पेप्सी और कोका-कोला ।
पूरक
वस्तु : चाय और चीनी, जूते तथा जुराबे, पेन और स्याही।
8. उपयोगिता से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर : अर्थशास्त्र में उपयोगिता शब्द का अभिप्राय किसी वस्तु या सेवा के उपभोग से मिलने वाली संतुष्टि से है। अर्थात उपयोगिता किसी वस्तु की वह शक्ति है जो किसी व्यक्ति की आवश्यकता को पूरा करती है।
9. मांग की रेखा नीचे दाहिनी ओर क्यों झुकती है ?
उत्तर :- मूल्य बढ़ने से मांग घटती है और मूल्य घटने से मांग बढ़ती है । इसे मांग का नियम दर्शाता है । मूल्य और मांग में विपरीत संबंध होने के कारण मांग वक्र ऊपर से नीचे दाहिनी और झुकती है । इसे निम्न प्रकार से समझ सकते हैं –
D
= α
+ ap -----------------------------(1)
मान लें की कीमत में
वृद्धि ΔP हुई है अत: मांग में कमी होगी। मान लें की यह कमी ΔD है।
अतः D
- ∆D = α
+ a(p + ∆p) -------------------------------(2)
समी. (1) और (2) से
D – (D -ΔD)
= α
+ ap –(α
+ ap + aΔp)
D – D + ΔD
= α
+ ap – α
– ap – aΔp
ΔD
= - aΔp
ढाल ज्ञात करने के लिए
अतः मांग वक्र का ढाल ऋणात्मक होता है।
कारण
मांग की रेखा ऊपर से नीचे दाहिनी ओर खींचती है। इसके निम्नलिखित कारण
है -
(1) सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम :- वस्तु की सीमांत उपयोगिता (MU)
के ही आधार पर कोई व्यक्ति किसी वस्तु की कीमत देना चाहता है। अधिक MU पर अधिक कीमत तथा मांग , जबकि कम MU पर कम कीमत तथा मांग होती है। चूंकि MU रेखा ऊपर से नीचे झुकी रहती है इसलिए मांग की रेखा भी ऊपर से नीचे दाहिनी ओर झुकी रहती है।
(2) आय प्रभाव :- एक वस्तु की कीमत में परिवर्तन होने के फलस्वरूप खरीददार की वास्तविक आय में परिवर्तन होने के कारण वस्तु की मांगी गई मात्रा में होने वाले परिवर्तन को आए प्रभाव कहा जाता है ।
अगर कीमत अधिक हो जाती है तो उपभोक्ता की उस वस्तु के रूप में वास्तविक आय घट जाती है जिससे मांग घट जाती है।
(3) सम-सीमांत उपयोगिता नियम :- प्रत्येक वस्तु की मात्रा अधिक खरीदने से उसकी सीमांत उपयोगिता कम हो जाती है। इसलिए उपभोक्ता उस वस्तु की अधिक मात्रा तभी खरीदेगा जब उस वस्तु की कीमत कम होकर सीमांत उपयोगिता के बराबर हो जाएगी। इससे स्पष्ट होता है कि कीमत कम होने पर वस्तु की अधिक मात्रा खरीदी जाएगी तथा कीमत बढ़ने पर कम मात्रा खरीदी जाएगी।
(4) उपभोक्ता की संख्या में परिवर्तन :- प्रो. मेयर्स ने इस तथ्य को स्पष्ट किया है ।जब किसी वस्तु के मूल्य में कमी होती है तो उसके क्रेताओं की संख्या में वृद्धि हो जाती है; अतः वस्तु की बाजार मांग बढ़ जाती है । इसके विपरीत जब किसी वस्तु का मूल्य बढ़ जाता है तो बहुत से क्रेता जिनकी आय कम होती है, इस वस्तु का क्रय बंद कर देते हैं। अतः वस्तु की मांग घट जाती है।
10. आय के चक्रीय प्रवाह को समझाइए ।
उत्तर :- सन् 1758 में क्वीने ने आय और उत्पादन की चक्रीय प्रवाह की रचना की थी। 19वी शताब्दी के मध्य में कार्ल मार्क्स ने आय और उत्पादन के चक्रीय प्रवाह के बारे में चर्चा की।
आय
और उत्पाद
के चक्रीय प्रवाह से अभिप्राय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में मौद्रिक आय के
प्रवाह या वस्तुओं और सेवाओं के चक्रीय रूप में प्रवाह से है। राष्ट्रीय आय समष्टि अर्थशास्त्र
की विषय सामग्री है।
आय व उत्पादन प्रवाह के निम्नलिखित
सिद्धांत है -
1. विनिमय चाहे वस्तु के माध्यम से हो अथवा मुद्रा
के माध्यम से, प्रत्येक प्रक्रिया में उत्पादक (विक्रेता)
को उतनी ही राशि प्राप्त होती है जितनी उपभोक्ता (क्रेता) खर्च करते हैं।
2. वस्तुओं व सेवाओं का प्रवाह एक ही दिशा में होता
है परंतु उन्हें प्राप्त करने के लिए किए गए भुगतानो का प्रवाह
विपरीत दिशा में होता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न : 1 x 5 = 5
11. सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम को बताइए।
उत्तर :- सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम को ' गोसेनका प्रथम नियम ' या तृप्ति का नियम भी कहते हैं । इस नियम की वैज्ञानिक व्याख्या प्रो. मार्शल ने की । इनके अनुसार "एक व्यक्ति के पास किसी वस्तु की जो मात्रा होती है , उसके उपभोग में लगातार वृद्धि करने से उसकी उपयोगिता घटने लगती है।"
तालिका से
रोटी की इकाई |
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
6 |
7 |
सीमांत उपयोगिता |
4 |
3 |
2 |
2 |
0 |
-1 |
-2 |
इस तालिका से स्पष्ट है कि व्यक्ति जैसे-जैसे रोटियों का उपभोग करते जाता है वैसे वैसे रोटी की अगली इकाइयों से प्राप्त सीमांत उपयोगिता घटती जाती है।
चित्र में MU सीमांत उपयोगिता की रेखा है जो रोटी की विभिन्न इकाइयों
से प्राप्त सीमांत उपयोगिता को बतलाकर सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम को स्पष्ट करती है। व्यक्ति को पहली रोटी से 4, दुसरी से 3, तीसरी से 2 तथा चौथी से 1 उपयोगिता मिलती है जो उसकी भूख की पूर्ण संतुष्टि का द्योतक है। अत:
चित्र यह भी दिखलाता है कि उसे पांचवीं रोटी से शून्य तथा छठी और सातवीं रोटियों से क्रमशः
-1 और -2 के बराबर ऋणात्मक उपयोगिता मिलती है।इस प्रकार स्पष्ट है कि हर अगली रोटी की इकाई से सीमांत उपयोगिता घटती जाती है।
वस्तु की सीमांत उपयोगिता (MU) के ही आधार पर कोई व्यक्ति किसी वस्तु की कीमत देना चाहता है। अधिक MU पर अधिक कीमत तथा मांग, जबकि कम MU पर कम कीमत तथा मांग होती है। चूॅकि MU रेखा ऊपर से नीचे झुकी रहती है, इसलिए मांग की रेखा भी ऊपर से नीचे दाहिनी ओर झुकी रहती है।
Economics
Mock Test 2022
SUBJECT:
ECONOMICS (I.SC / I.Com)
बहु विकल्पीय प्रश्न : 1 x 5 = 5
1. अर्थशास्त्र के जनक कौन है?
(a)
जे.बी.से (b) माल्थस (c) एडम स्मिथ (d) श्रीमती जॉन रॉबिंसन
2. अवसर लागत का वैकल्पिक नाम है?
(a) आर्थिक लागत
(b) संतुलन कीमत (c) सीमांत लागत (d) औसत लागत
3. द्वितीय क्षेत्र में निम्नलिखित में कौन सी सेवाएं सम्मिलित है?
(a)
बीमा (b) विनिर्माण (c) व्यापार (d) इनमें से सभी
4. 'जनरल थ्योरी ऑफ एंप्लॉयमेंट इंटरेस्ट एंड मनी' नामक पुस्तक के लेखक
कौन है?
(a)
पीगू (b) माल्थस (c) जे.एम.कीन्स (d) मार्शल
5. श्रम की 2 इकाई लगाने पर कुल उत्पादन 22 है और 1 इकाई लगाने से यह
10 है तो सीमांत उत्पादन होगा ?
(a)
10 (b)
12 (c) 14 (d) 16
लघु उत्तरीय प्रश्न : 4 x 5 = 20
6. मांग के नियम की मान्यताएं बताए।
उत्तर : मांग के नियम की निम्नलिखित मान्यताएं हैं
i. उपभोक्ता की आय स्थिर रहनी चाहिए।
ii. उपभोक्ता की रुचि, आदत तथा फैशन में परिवर्तन नहीं
आना चाहिए।
iii. प्रतिस्थापन की वस्तु का उत्पादन नहीं होना चाहिए।
iv. दूसरी वस्तुओं की कीमत में परिवर्तन नहीं होना चाहिए।
v. जनसंख्या में परिवर्तन नहीं होना चाहिए।
vi. निम्न कोटि की वस्तु नहीं होना चाहिए।
7. प्रतिस्थापक एवं पूरक वस्तुओं में अंतर स्पष्ट करें
उत्तर
: प्रतिस्थापक एवं पूरक वस्तुओं में निम्नलिखित अंतर है
प्रतिस्थापक वस्तुएं |
पूरक वस्तुएं |
प्रतिस्थापक वस्तुओं का प्रयोग अलग-अलग या एक दूसरे के स्थान पर किया जाता है जैसे-
चाय के स्थान पर कॉफी |
पूरक या प्रतिपूरक वस्तुओं
का प्रयोग एक दूसरे
के साथ किया जाता है जैसे
- चाय के साथ दूध |
एक वस्तु के दाम में वृद्धि
होने से दूसरी
वस्तु की मांग में वृद्धि
होती है जैसे
-कॉफी के दाम में वृद्धि
होने पर चाय की मांग में वृद्धि |
एक वस्तु
के दाम में वृद्धि
होने से दूसरी
वस्तु की मांग में कमी हो जाती है जैसे चाय के दाम बढ़ने
पर दूध की मांग में कमी |
8. समष्टि अर्थशास्त्र को उदाहरण सहित समझाइए ।
एम.
एच. स्पेन्सर के अनुसार," समष्टि अर्थशास्त्र का संबंध अर्थव्यवस्था अथवा उसके
बड़े-बड़े हिस्सों से है। इसके अंतर्गत ऐसी समस्याओं का अध्ययन
किया जाता है जैसे बेरोजगारी का स्तर, मुद्रास्फीति की दर राष्ट्र का कुल उत्पादन आदि
जिनका संपूर्ण अर्थव्यवस्था के लिए महत्व होता है"।
आर्थिक विश्लेषण में समष्टिगत दृष्टिकोण की आवश्यकता निम्नलिखित कई कारणों से बढ़ती जा रही है -
1. जटिल अर्थव्यवस्था की कार्य प्रणाली का
ज्ञान
2. आर्थिक उतार चढ़ाव को समझने तथा नियंत्रित करने में सहायक
3. आर्थिक नीतियों के निर्धारण
में सहायक
4. राष्ट्रीय आय का अध्ययन
9. व्यष्टि अर्थशास्त्र तथा समष्टि अर्थशास्त्र में क्या अंतर है ?
उत्तर
: व्यष्टि अर्थशास्त्र समष्टि अर्थशास्त्र में निम्नलिखित अंतर है
व्यष्टि |
समष्टि |
1. इसमें व्यक्तिगत आर्थिक
इकाइयों जैसे एक फर्म,
एक उपभोक्ता आदि की समस्याओं का अध्ययन किया जाता है। |
1. इसमें पूरी अर्थव्यवस्था को एक इकाई मानकर
इसकी आर्थिक समस्याओं का अध्ययन किया जाता है। |
2. माइक्रो (Micro) शब्द ग्रीक
शब्द माइक्रस से बना है जिसका
अर्थ होता है छोटा या सूक्ष्म। |
2 अँग्रेज़ी भाषा का मैक्रो
(Macro) शब्द भी ग्रीक
शब्द मेक्रोज से बना है जिसका
अर्थ होता है विशाल
अथवा व्यापक। |
3. व्यष्टि का मुख्य
उद्देश्य संसाधनों के सर्वोत्तम बंटवारे से होता है। |
3. समष्टि का मुख्य
उद्देश संसाधनों के पूर्ण
रोजगार व विकास
से होता है। |
4. इसकी मुख्य समस्या
कीमत निर्धारण है। |
4. इसकी मुख्य समस्या
आय व रोजगार
का निर्धारण है। |
5. इसका मुख्य उपकरण
मांग व पूर्ति
है। |
5. इसका मुख्य उपकरण
अर्थव्यवस्था की सम्रग
मांग व सम्रग
पूर्ति है। |
6. व्यष्टि अर्थशास्त्र की अवधारणा
को समझना सरल होता है। |
6. समष्टि अर्थशास्त्र की अवधारणा
को समझने में कठिनाई
होती है । |
7. व्यष्टि अर्थशास्त्र में आवंटन
बहुत जरूरी काम होता है । |
7. इसमें
आवंटन को स्थिर
माना जा सकता है । |
10. अल्पकालीन एवं दीर्घकालीन उत्पादन फलन में क्या अंतर है ?
उत्तर :- साधन के प्रतिफल तथा पैमाने के प्रतिफल
में मुख्य अंतर निम्नलिखित हैं
(क)
उत्पादन फलन का प्रकार :- साधन के प्रतिफल की यह मान्यता है कि साधनों का अनुपात
परिवर्तनशील होता है। इसके विपरीत पैमाने के प्रतिफल की यह मान्यता है कि साधनों का
अनुपात स्थिर रहता है।
(ख)
परिवर्तनशील साधनों की संख्या :- साधन के प्रतिफल उस समय लागू होते हैं
जब केवल एक साधन परिवर्तनशील होता है तथा बाकी साधन स्थिर रहते हैं। इसके विपरीत पैमाने
का प्रतिफल उस समय लागू होता है जब उत्पादन के सभी साधन परिवर्तनशील होते हैं।
(ग) उत्पादन
का पैमाना :- साधन के प्रतिफल इस
मान्यता पर आधारित है कि उत्पादन के पैमाने में परिवर्तन नहीं होता। इसके विपरीत पैमाने
के प्रतिफल इस मान्यता पर आधारित है कि उत्पादन के पैमाने में परिवर्तन होता है।
(घ)
साधन अनुपात :- पैमाने के प्रतिफल का अध्ययन इस मान्यता पर किया जाता है कि साधन अनुपात
स्थिर रहता है। इसके विपरीत साधन प्रतिफल इस मान्यता पर आधारित है कि साधन अनुपात में
परिवर्तन होता है।
(ड़)
समय अवधि :- पैमाने का प्रतिफल केवल दीर्घकालीन संभावना है जबकि साधन के प्रतिफल का
अध्ययन अल्पकाल के संदर्भ में किया जाता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न : 1 x 5 = 5
11. सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :- सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम को ' गोसेनका प्रथम नियम ' या तृप्ति का नियम भी कहते हैं । इस नियम की वैज्ञानिक व्याख्या प्रो. मार्शल ने की । इनके अनुसार "एक व्यक्ति के पास किसी वस्तु की जो मात्रा होती है , उसके उपभोग में लगातार वृद्धि करने से उसकी उपयोगिता घटने लगती है।"
तालिका से
रोटी की इकाई |
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
6 |
7 |
सीमांत उपयोगिता |
4 |
3 |
2 |
2 |
0 |
-1 |
-2 |
इस तालिका से स्पष्ट है कि व्यक्ति जैसे-जैसे रोटियों का उपभोग करते जाता है वैसे वैसे रोटी की अगली इकाइयों से प्राप्त सीमांत उपयोगिता घटती जाती है।
चित्र में MU सीमांत उपयोगिता की रेखा है जो रोटी की विभिन्न इकाइयों
से प्राप्त सीमांत उपयोगिता को बतलाकर सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम को स्पष्ट करती है। व्यक्ति को पहली रोटी से 4, दुसरी से 3, तीसरी से 2 तथा चौथी से 1 उपयोगिता मिलती है जो उसकी भूख की पूर्ण संतुष्टि का द्योतक है। अत:
चित्र यह भी दिखलाता है कि उसे पांचवीं रोटी से शून्य तथा छठी और सातवीं रोटियों से क्रमशः
-1 और -2 के बराबर ऋणात्मक उपयोगिता मिलती है।इस प्रकार स्पष्ट है कि हर अगली रोटी की इकाई से सीमांत उपयोगिता घटती जाती है।
वस्तु की सीमांत उपयोगिता (MU) के ही आधार पर कोई व्यक्ति किसी वस्तु की कीमत देना चाहता है। अधिक MU पर अधिक कीमत तथा मांग, जबकि कम MU पर कम कीमत तथा मांग होती है। चूॅकि MU रेखा ऊपर से नीचे झुकी रहती है, इसलिए मांग की रेखा भी ऊपर से नीचे दाहिनी ओर झुकी रहती है।
मान्यताएं (शर्त्त)
इस नियम कि निम्नलिखित मान्यताएं हैं
(1) उपभोक्ता विवेकशील है।
(2) उपयोगिता को संख्या में मापा जा सकता है।
(3) मुद्रा की सीमांत उपयोगिता स्थिर होती है ।
(4) बाजार पूर्ण प्रतियोगी होती है।
आलोचनाऐ
(1) उपयोगिता को संख्या में नहीं मापा जा सकता
(2) उपयोगिता ह्रास नियम में व्यक्तिगत विचारों को अधिक महत्व दिया गया है जो उचित नहीं है। व्यक्ति सदैव विवेक से कार्य नही
करता , बल्कि वह सामाजिक रीति-रिवाज, फैशन एंव मन के उमंग के बहाव में वस्तुएं खरीदता और उनका
उपभोग करता है
(3) मुद्रा की सीमांत उपयोगिता स्थिर नहीं रहती है
(4) आवश्यकता विशेष की पूर्ण संतुष्टि की मान्यता ही गलत है। उपभोग की अवधि लंबी होने पर मानवीय आवश्यकता की पूर्ण संतुष्टि संभव नहीं हो पाती।
Economics Mock Test-2, 2022
SUBJECT: ECONOMICS (ARTS)
अति लघु उत्तरीय प्रश्न 5x4-20
1. एकाधिकार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर
:- अंग्रेजी के मोनोपोली शब्द का अर्थ एक विक्रेता से होता है। अंग्रेजी के मोनो का
अर्थ है एक और पोली का अर्थ है विक्रेता
2. सीमांत उपयोगिता क्या है
उत्तर
:- किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई का उपभोग बढ़ाने पर कुल
उपयोगिता में जितनी वृद्धि होती है उसे वस्तु की सीमांत उपयोगिता कहते हैं।
3. एक वस्तु की पूर्ति लोच 0.8 है ; यहां पूर्ति लोचदार है या बेलोचदार
उत्तर
:- बेलोचदार
1. Es =1,तब पूर्ति की लोच इकाई के समान होती है।
2. Es <1, तब पूर्ति बेलोचदार होती है।
3.
Es >1, तब पूर्ति लोचदार होती है।
4. 'बाजार' की परिभाषा दीजिए
उत्तर
:- "बाजार एक ऐसा स्थान है जिसके द्वारा क्रेताओं तथा विक्रेताओं को इकट्ठा किया जाता है, इसका स्थान निश्चित होना जरूरी नहीं है।"
5. औसत स्थिर लागत क्या है/औसत बंधी लागत क्या है
उत्तर
:- औसत स्थिर लागत प्रति इकाई स्थिर (बंधी)
लागत है। इसका अनुमान कुल स्थिर लागत को
उत्पादन की मात्रा से भाग लेकर लगाया जाता है
`AFC=\frac{TFC}Q`
जहां
, AFC = औसत स्थिर लागत , TFC = कुल स्थिर
लागत, Q = उत्पादन की मात्रा
लघु उत्तरीय प्रश्न : 5 x 4 = 20
6. एक उपभोक्ता किसी
वस्तु की कीमत
₹3 प्रति इकाई रहने पर उसकी 40 इकाइयां
खरीदता है। जब कीमत बढ़कर ₹4
प्रति इकाई हो जाती है,
तो वह उसकी
30 इकाइयां खरीदता है। कुल व्यय प्रणाली द्वारा
मांग की लोच
की माप करें
?
उत्तर
:
कीमत (P) |
मांग की मात्रा (Q) |
कुल व्यय (PQ) |
3 |
40 |
120 |
4 |
30 |
120 |
मांग की लोच इकाई के समान है,क्योंकि कीमत में परिवर्तन होने के फलस्वरुप कुल व्यय में कोई परिवर्तन नहीं होता यद्यपि मांग की मात्रा घट जाती है।
7. मांग की
कीमत लोच तथा
मांग की लोच
में अंतर बताएं
?
उत्तर
:
मांग की कीमत लोच |
मांग की लोच |
मांग की कीमत लोच किसी वस्तु की कीमत में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन तथा उस वस्तु की मांग में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन का अनुपात है। |
मांग की लोच मांग को प्रभावित करने वाले संख्यात्मक तत्वों में वृद्धि या कमी होने के फलस्वरूप मांग की मात्रा में होने वाले कमी या वृद्धि के विस्तार की मात्रा को मापती है। |
जब वस्तु की मांगी गई मात्रा के परिवर्तन को वस्तु की कीमत में हुए परिवर्तन द्वारा मापा जाता है तो इसे मांग की कीमत लोच कहते हैं। |
एक वस्तु की कीमत उपभोक्ता की आय तथा
संबंधित वस्तुओं की कीमत में परिवर्तन होने से उस वस्तु की मांग की मात्रा में
होने वाले परिवर्तन के माप को मांग की लोच कहा जाएगा। |
8. प्रश्न :- निम्न तालिका में
एक साधन की MPP दी जा रही है। TPP तथा APP सारणियो की रचना करें ?
साधन
: 1
2 3 4
5 6
MPP : 20 22 18 16 14
6
उत्तर
:
साधन |
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
6 |
MPP |
20 |
22 |
18 |
16 |
14 |
6 |
TPP |
20 |
42 |
60 |
76 |
90 |
96 |
APP |
20 |
21 |
20 |
19 |
18 |
16 |
9. स्थिर
और परिवर्ती लागत में भेद करें। प्रत्येक के दो उदाहरण लीजिए
उत्तर :-
स्थिर लागत :- जो लागते उत्पादन में परिवर्तन के कारण घटती बढ़ती नहीं है उन्हें स्थिर लागत कहते हैं। जैसे किराया, बीमे की किस्त।
परिवर्ती लागत :- जो लागते उत्पादन
में परिवर्तन के कारण घटती- बढ़ती रहती है। परिवर्ती कहलाती
है जैसे मजदूरी , कच्चे माल का मूल्य।
10. कुल आगम कब घटना प्रारम्भ कर देती है ?
उत्तर :- जब सीमांत आगम शून्य के बराबर होता है तब कुल आगम का बढ़ना बंद हो जाता है।
इसलिए जब सीमांत आगम शून्य तो कुल आगम अधिकतम होता है। सीमांत आगम जब ऋणात्मक होता
है तो कुल आगम घटना प्रारम्भ कर देती है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न : 1 x 5 = 5
11. केंद्रीय बैंक से क्या समझते हैं ? केंद्रीय बैंक के कार्यों का
वर्णन करें
उत्तर
:- डी. कॉक के शब्दों में,"
केंद्रीय बैंक का बैंक है जो देश की मौद्रिक तथा बैंकिंग प्रणाली
के शिखर पर होता है"
भारत
का केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया है जिसकी स्थापना 1 अप्रैल 1935 ई. को की गई।
एक
केंद्रीय बैंक द्वारा किए जाने वाले मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं
1.
मुद्रा जारी करना :- वर्तमान समय में संसार
के प्रत्येक देश में नोट (मुद्रा ) छापने का एकाधिकार केवल केंद्रीय बैंक को ही प्राप्त
होता है और केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किए गए नोट सारे देश में असीमित विधिग्राह्म के रूप में घोषित होते हैं
2.
सरकार का बैंक :- केंद्रीय
बैंक
सभी देशों में सरकार के बैंकर, एजेंट एवं वित्तीय परामर्शदाता
के रूप में कार्य करते हैं। सरकार बैंकर
के रूप में यह सरकारी विभागों के खाते रखता है तथा सरकारी कोषों की व्यवस्था
करता है। यह सरकार के लिए उसी प्रकार कार्य करता है जिस प्रकार
व्यवसायिक बैंक अपने ग्राहकों के लिए करते हैं। आवश्यकता पड़ने
पर सरकार को बिना ब्याज के ऋण दिया जाता है।
3. बैंकों का बैंक :- केंद्रीय
बैंक देश के अन्य बैंकों के लिए बैंक का कार्य करता है। केंद्रीय
बैंक अन्य बैंकों के नगद कोष का कुछ
भाग अपने पास जमा के रूप में रखता है, ताकि
ग्राहकों की मांग होने पर वह उनके धन की अदायगी कर
सके।
4.
बैंको का निरीक्षण :- बैंकों का बैंक होने
के कारण केंद्रीय बैंक वाणिज्य बैंकों का निरीक्षण भी करता है। इसके
लिए उसे ये कार्य करने होते हैं - (a) वाणिज्यिक बैंकों को
लाइसेंस जारी करना (b) देश के विभिन्न भागों तथा विदेशों में वाणिज्यिक बैंकों की शाखाएं
खुलवा कर उनका विस्तार करना (c) वाणिज्यिक बैंकों का विलयन तथा
(d) बैंको का परिसमापन
5.
अन्तिम ऋणदाता 6. देश के विदेशी मुद्रा कोषों का संरक्षण
7. समाशोधन गृह का कार्य 8. साख मुद्रा
का नियंत्रण 9. आंकड़े इकट्ठा करना 10. अन्य
कार्य - (a) कृषि वित्त (b) अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा
सम्मेलन (c) मुद्रा तथा बिल बाजार
(d) फटे पुराने नोट वापिस लेना।
Economics Mock Test 2022
SUBJECT: ECONOMICS (I.SC / I.Com)
बहु विकल्पीय प्रश्न : 1 x 5 = 5
1. बाजार वर्गीकरण का निम्नलिखित में कौन सा आधार
है
(1)
पूर्ण प्रतियोगिता
(2) शून्य प्रतियोगिता (एकाधिकार)
(3) अपूर्ण प्रतियोगिता
(4) इनमें से सभी
2. उत्पादन संभावना वक्र की ढाल गिरती है
(1) बायें से दायें
(2) दायें से बाये
(3) ऊपर से नीचे
(4) नीचे से ऊपर
3. गोसेन का प्रथम नियम कौन-सा है ?
(1) माँग का नियम
(2) सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम
(3) पूर्ति का नियम
(4) उपभोक्ता की बचत
4. मांग फलन को किस समीकरण
द्वारा व्यक्त किया जाता है?
(1) Px
(2) DX = Px
(3)
Dx = f(Px)
(4) इनमें से कोई नहीं
5. "मुद्रा वह है, जो मुद्रा का कार्य
करे।" किसने कहा?
(1) हार्टले विदर्स
(2) हाट्रे
(3) जे. एम. केन्स
(4) मार्शल
लघु उत्तरीय प्रश्न : 4 x 5 = 20
6. निवेश गुणक को परिभाषित करें।
उत्तर
:- 1936 में केन्स ने ," The General Theory of
Employment Interest and Money" में गुणक सिद्धांत की विस्तृत
व्याख्या की।
केन्स
के अनुसार,"
गुणक, विनियोग में हुए परिवर्तन के
फलस्वरुप आय में होने वाले परिवर्तन का अनुपात है।"
सूत्र के रूप में,
गुणक सीमांत उपभोग प्रवृत्ति पर निर्भर करता है। सीमांत उपभोग प्रवृत्ति (MPC ) या सीमांत बचत प्रवृत्ति (MPS) का ज्ञान होने पर गुणक का अनुमान लगाया जा सकता है। MPC और गुणक में प्रत्यक्ष तथा MPS और गुणक में विपरीत संबंध होता है। जब MPC शुन्य होता है तो गुणक एक होगा। इसी प्रकार यदि MPC एक हो गुणक अनन्त होगा। यदि MPC = 0, तो
7. मांग आपूर्ति सारणियों को एक चित्र के माध्यम
से बाजार संतुलन का निर्धारण समझाएं ? मूल्य निर्धारण में
मांग और पूर्ति में कौन अधिक प्रभावशाली होता है स्पष्ट करें ?
उत्तर
:- बाजार संतुलन से अभिप्राय बाजार की उस दशा से है जिसमें वस्तु
की मांग व आपूर्ति बराबर होती है। कीमत बढ़ाने व घटाने वाली शक्तियां शांत हो जाती
है। इसे निम्न सारणियों द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं
तालिका से
सेब की कीमत | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 |
मांग की मात्रा | 90 | 80 | 70 | 60 | 50 |
आपूर्ति की मात्रा | 50 | 60 | 70 | 80 | 90 |
उपर्युक्त तालिका से जब सेब की कीमत ₹20 प्रति किलो है, उस दशा में मांग और पूर्ति 70 किलो है।
चित्र में DD मांग वक्र तथा SS आपूर्ति वक्र है। दोनों E बिंदु पर बराबर होते हैं। अतः बाजार में संतुलन कीमत OP(20 तथा मांग और पूर्ति की मात्रा OQ(70) है।
संतुलन कीमत निर्धारण में मांग और पूर्ति दोनों का बराबर योगदान है।
8. प्रतियोगी फर्म का औसत आगम (AR) सदा सीमांत आगम (MR) के समान क्यों होता है ?
उत्तर :- प्रतियोगी फर्म का AR वस्तु की कीमत के समान होता है। MR भी वस्तु की कीमत के समान होता है। इसलिए AR सदा MR के समान होता है।
AR = Price
MR = Price
अतः AR = MR
9. प्रश्न
:- पूर्ति के मात्रा में वृद्धि( विस्तार) और पूर्ति में वृद्धि
के बीच अंतर स्पष्ट करें ?
उत्तर :- पूर्ति में वृद्धि:- जब उत्पादक कीमत के अतिरिक्त अन्य बातों के कारण अधिक इकाइयों की पूर्ति करता है। इसे पूर्ति में वृद्धि कहते हैं। इस अवस्था में उत्पादक की पूर्ति अनुसूची बदल जाती है तथा उसका पूर्ति वक्र दायी ओर खिसक जाता है।
चित्र में मूल्य OP पर OQ1 मात्रा की पूर्ति होती है। मूल्य OP पर OQ2 मात्रा की पूर्ति होती है। इसे पूर्ति में वृद्धि कहेंगे।
पूर्ति में विस्तार:- जब वस्तु की कीमत में वृद्धि के कारण उत्पादक अधिक इकाइयों की पूर्ति करते हैं तो इसे पूर्ति में विस्तार कहा जाता है। इस अवस्था में उत्पादक उसी पूर्ति वक्र पर नीचे से ऊपर की ओर सरक जाता है।
10. चेक तथा ओवरड्राफ्ट में अंतर बताइएं ?
उत्तर
:- चेक :- व्यक्ति अपने खाते में जमा राशि को चेक के माध्यम से निकालता है। चालू जमा
खाता में प्राय: सभी लेनदेन चेक के माध्यम से होता है। इसमें
व्यक्ति अपनी जमा राशि से अधिक रुपया चेक के माध्यम से निकाल सकता है।
ओवरड्राफ्ट
:- बैंक में चालू जमा रखने वाले ग्राहक बैंक से एक समझौते
के अनुसार अपनी जमा से अधिक रकम निकलवाने की अनुमति ले लेते हैं।
निकाली गई रकम को ओवरड्राफ्ट कहते हैं। यह सुविधा अल्पकाल के लिए विश्वसनीय ग्राहकों
को ही मिलता है। मान लीजिए एक व्यक्ति के 10000 रुपये जमा है और उसको बैंक 12000 रुपये तक के चेक
काटने का अधिकार दे देता है तो 2000 रुपया ओवरड्राफ्ट कहलाएगा।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न : 1 x 5 = 5
11. एकाधिकार से आप क्या समझते हैं ? इसके अंतर्गत मूल्य निर्धारण को समझाऐ
? क्या एक एकाधिकारी ऊंची कीमत पर अधिक वस्तुएं बेच सकता है ? स्पष्ट करें ?
उत्तर
:- अंग्रेजी के मोनोपोली शब्द का अर्थ एक विक्रेता से होता
है अंग्रेजी के मोनो का अर्थ है एक और पोली का अर्थ है विक्रेता।
अतएव एकाधिकार बाजार की
वह स्थिति है जिसमें किसी वस्तु या सेवा का केवल एक ही उत्पादक होता है तथा उस वस्तु
का कोई निकटतम प्रतिस्थापन नहीं होता।
मूल्य
निर्धारण
एकाधिकार में मूल्य निर्धारण को दो अर्थशास्त्रियों ने बतलाया है।मार्शल के अनुसार, "एकाधिकारी उस बिंदु पर मूल्य निर्धारण करेगा जहां कुल आगम तथा कुल लागत का अंतर अधिक होगा।"
चित्र से स्पष्ट है की TR और TC का अंतर AB अधिक है अतः वह OQ मात्रा का उत्पादन करके अधिक लाभ कमाऐगा।
श्रीमती रॉबिंसन के अनुसार," एकाधिकार में संतुलन या कीमत निर्धारण उस बिंदु के आधार पर होता है जहां
(1) MR = MC
(2) MC की रेखा MR रेखा को नीचे से ऊपर जाते हुए काटे
हम जानते हैं की
π = R – C
जहां , π = लाभ , R = आय , C = लागत
We find first derivatives with Respect to X
`\frac{d\pi}{dx}=\frac{dR}{dx}-\frac{dC}{dx}`
लाभ अधिकतम करने पर ;`\frac{d\pi}{dx}=` 0
`or,\frac{dR}{dx}=\frac{dC}{dx}`
⸫ MR = MC
We find Second derivatives With Respect To X
`\frac{d^2\pi}{dx^2}=\frac{d^2R}{d^2x}-\frac{d^2C}{d^2x}`
लाभ अधिकतम करने पर ; `\frac{d^2\pi}{dx^2}`< 0
`or,\frac{d^2R}{d^2x}-\frac{d^2C}{d^2x}<0`
`or,\frac{d^2R}{d^2x}<\frac{d^2C}{d^2x}`
`or,\frac{d^2C}{d^2x}>\frac{d^2R}{d^2x}`
`or,\frac d{dx}\left(\frac{dC}{dx}\right)>\frac d{dx}\left(\frac{dR}{dx}\right)`
अतः , Slope of (MC) > Slope of (MR)
चित्र में, MR = MC , E बिंदु पर है। उससे खड़ी रेखा AR तक खींचने से पता चलता है कि एकाधिकार में मूल्य OP तथा उत्पादन की मात्रा OQ निर्धारित होगी। AC वक्र चूंकि मूल्य से कम है अतः फर्म को असामान्य लाभ प्राप्त होगा।
We Know that
असामान्य लाभ = TR - TC
TR = AR ( output ) TC = AC ( output )
TR = QR ( OQ ) TC = MQ ( OQ )
TR = OPRQ TC = OSMQ
असामान्य लाभ = OPRQ - OSMQ. = PRMS
एकाधिकारी के कीमत पर पूर्ण नियंत्रण से यह अभिप्राय नहीं है कि एकाधिकारी वस्तु की कितनी भी मात्रा को किसी भी कीमत पर बेच सकता है। एकाधिकारी जब किसी वस्तु की कीमत को एक बार निर्धारित कर देता है तो मांगी गई मात्रा पूरी तरह से क्रेताओं पर निर्भर करती है।
यदि क्रेता या अनुभव करते हैं की कीमत अधिक है तो वस्तु की कम मात्रा मांगी जाती है। इसके विपरीत यदि वे अनुभव करते हैं कि कीमत कम है तो वस्तु की अधिक मात्रा मांगी जाती है। इसलिए एकाधिकारी द्वारा निर्धारित कीमत तथा उसके द्वारा बेची जाने वाली मात्रा या उसके उत्पादन की मांगी गई मात्रा में विपरीत संबंध है।
एकाधिकारी फर्म का मांग वक्र
चित्र में Dm एकाधिकारी के उत्पादन की मांग वक्र है जो ऊपर से नीचे की ओर झुकी होती है।
जब एकाधिकारी OP कीमत निर्धारित करता है तो मांगी गई मात्रा OQ है। इसके विपरीत यदि वह कीमत कम करके OP1 कर देता है तो मांगी गई मात्रा बढ़कर OQ1 हो जाती है। इससे यह सिद्ध हो जाता है कि एकाधिकारी की मांग वक्र नीचे की ओर झुकी होती है अर्थात वह कम कीमत पर अधिक मात्रा बेच सकता है।