28.PGT कृषि वित्त और उसके स्रोत (Agricultural Finance and its Sources)

कृषि वित्त और उसके स्रोत (Agricultural Finance and its Sources)
28.PGT कृषि वित्त और उसके स्रोत (Agricultural Finance and its Sources)
🔥 कृषि एवं कृषि से संबंद्ध गतिविधियों के लिए आवश्यक धन की मात्रा कृषि वित्त कहलाता है। इसके अन्तर्गत न केवल कृषकों के लिए ऋण की व्यवस्था सम्मिलित होती है अपितु ऐसे व्यक्तियों एवं संगठनों के लिए ऋण की भी व्यवस्था करना सम्मिलित होता है। 🔥 खाद, बीज, उर्वरक एवं कीटनाक दवाइयों आदि वार्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए दिये जाने वाले ऋण में परिपक्वता अवधि अधिकतम 15 माह होती है, को अल्पकालीन ऋण कहा जाता है। 🔥 कृषि ऋणों का वर्गीकरण-समय तथा उद्देश्य के आधार पर कृषि ऋणों का वर्गीकरण किया जाता है। 🔥 मध्यकालीन ऋण प्रदान करने के प्रमुख उद्देश्य कृषि क्षेत्र के विकास तथा कृषकों के जीवन स्तर में सुधार है। 🔥 मध्यकालीन ऋण परिसम्पत्तियों को क्रय करने हेतु स्थायी परिसंरचना तथा डेयरी पशु भार खींचने वाले बैलों, यंत्रावली एवं उपकरण आदि के क्रय करने के लिए प्रदान किया जाता है। 🔥 भारत में कृषि ऋण के प्रमुख स्रोत संस्थागत एवं गैर संस्थागत हैं। 🔥 कृषि ऋण के संस्थागत स्रोत सहकारी समितियाँ तथा सहकारी बैंक, व्यापारिक बैंक तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक है। 🔥 गैर संस्थागत स्रोत के प्रमुख घटक साहूकार, महाजन, तथा रिश्तेद…