झारखण्ड
शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद्, राँची
मॉडल
प्रश्न-पत्र - 2022 2023
विषय : ऐच्छिक (हिन्दी)
(विषयनिष्ठ)
कक्षा
XII समय:- 1.30 घंटा पूर्णांक - 40
सामान्य
निर्देश
•
परीक्षार्थी यथा संभव अपनी ही भाषा में उत्तर दें ।
•
सभी प्रश्न के लिए निर्धारित अंक उसके सामने उपांत में अंकित हैं ।
• प्रश्नों के उत्तर उसके सामने दिये निर्देशों के आलोक में ही लिखें ।
खंड-क (अपठित बोध)
1. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के
उत्तर लिखिए :-2+2+2=6
वैज्ञानिक
उन्नति के कारण मानव सभ्यता की दीवार इतनी ऊँची हो गयी है कि अब वह अपने बोझ से ही
लड़खड़ाने लगी है। भौतिक उन्नति ने मनुष्य के अस्तित्व पर ही प्रश्न चिन्ह लगा
दिया है। यद्यपि विज्ञान की सहायता से मनुष्य वैभवपूर्ण जीवन व्यतीत कर रहा है।
सुख-समृद्धि के सभी उपाय उसके अधीन हो गए हैं, पर वह स्वयं भी स्वतंत्र नहीं रहा।
सवारी को ही लीजिए। आपके पास कार है, जहाँ चाहें पहुँच जाएँगे। परंतु यदि कार खराब
हो गयी, अब बुलाइए मैकेनिक को हैं न आप उसके अधीन ! बिजली से कमरा ठंडा कर लिया
है, कमरा में शिमला का आनंद ले रहे हैं परंतु बिजली फेल हो गयी तो आपका जीवन कितना
कष्टमय होगा।
(क) भौतिक उन्नति ने मनुष्य अस्तित्व पर प्रश्न चिह्न क्यों लगा
दिया है ?
उत्तर
: आज मनुष्य सुख-सुविधाओं के आधुनिक साधनो जैसे- कार, बिजली आदि के बिना जीवन की कल्पना
भी नहीं कर सकता है । अतः भौतिक उन्नति ने मनुष्य के अस्तित्व पर प्रश्न चिह्न ही लगा
दिया है।
(ख) मनुष्य स्वतंत्र क्यों नहीं रहा ?
उत्तर
: वैज्ञानिक उन्नति से मनुष्य को सारी सुख सुविधा उपलब्ध है किंतु वह स्वतंत्र नहीं
है अर्थात उसे दूसरों पर निर्भर रहना पड़ेगा जैसे आपके पास कार है, जहाँ चाहें पहुँच
जाएँगे। परंतु यदि कार खराब हो गयी, अब बुलाइए मैकेनिक को हैं न आप उसके अधीन ! बिजली
से कमरा ठंडा कर लिया है, कमरा में शिमला का आनंद ले रहे हैं परंतु बिजली फेल हो गयी
तो आपका जीवन कितना कष्टमय होगा।
(ग) "वैभवपूर्ण जीवन का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर
: जीवन में सुख समृद्धि का होना ही वैभवपूर्ण जीवन कहलाता है।
खंड-ख ( रचनात्मक लेखन तथा अभिव्यक्ति और माध्यम )
2. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर
दीजिए :- 5+5=10
(क) साहित्य समाज का मार्गदर्शक विषय पर निबंध लिखिए ।
उत्तर
: किसी भी प्रकार के साहित्य की मूल चेतना या भावना, मुख्य आधार, मानव समाज की चहुँमुखी
उन्नति ही होती है। प्रत्येक प्रकार के साहित्य का यह उद्देश्य होता है कि मानव हर
प्रकार के राग, द्वेष, घृणा, ईर्ष्या, शोषण, कलुषित विचार आदि दुर्भावनाओं को त्याग
कर, उस परमपिता परमेश्वर, सर्वशक्तिमान ईश्वर की सत्ता को, उसकी शक्ति को जानने का
प्रयास करता हुआ, “आत्मवत सर्व भूतेषु” यानी सभी को अपने समान समझने का प्रयास करे
तथा “सर्वे भवंतु सुखिन:” का भाव लेकर “परमार्थ” “बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय” के सिद्धान्त
को अपने जीवन में उतार ले।
साहित्य
और समाज का सम्बन्ध- सामाजिक मस्तिष्क अपने पोषण के लिए जो भाव
सामग्री निकालकर समाज को सौपता है उसी के भंडार का नाम साहित्य हैं. साहित्य और समाज
का अटूट संबंध हैं. जो हित सहित हो वही साहित्य
हैं, यह हित समाज का ही हित हो सकता है. अतः समाज अपने हित के लिए साहित्य का स्रजन
किया करता हैं.
किसी
कवि ने कहा है-
अंधकार
है वहां जहाँ आदित्य नहीं है
मुर्दा
है वह देश जहाँ साहित्य नहीं हैं
साहित्य
समाज को प्रकाश देने वाला सूर्य हैं. साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता हैं इसका भाव
यही है कि समाज में जो कुछ घटित होता हैं उसका प्रतिबिम्ब साहित्य पर अवश्य पड़ता हैं.
साहित्य
समाज का प्रेरणा स्रोत- साहित्य ने समाज को सदा दिशा निर्देश किया
हैं. इतिहास में इसके अनेक प्रमाण हैं. कि साहित्य ने अपनी क्रन्तिकारी विचारधाराओं
से समाज में आश्चर्यजनक परिवर्तन किये हैं. फ्रांस की क्रांति के प्रेरणा स्रोत रूसों
और वाल्टेयर के लेख ही थे.
मैजिनी
के विचारों ने इटली को जीवनी प्रदान की. भारतीय साहित्यकारों ने विदेशी शासन से जूझते
हुए नौजवानों को मर मिटने की भावना भर दी थी. साहित्य ने केवल राजनीतिक परिवर्तन का
ही नहीं अपितु धार्मिक और सांस्कृतिक क्रांतियों का भी मार्गदर्शन किया हैं.
हिंदी
साहित्य और समाज- हिंदी साहित्य के इतिहास पर दृष्टिपात करने
से साहित्य और समाज के सम्बन्ध का प्रत्यक्ष प्रमाण मिलता हैं. वीरगाथाकालीन समाज का
प्रतिबिम्ब तत्कालीन साहित्य पर स्पष्ट रूप से पड़ा हैं. रासो ग्रन्थ की पंक्ति पंक्ति
में तलवारों की झंकार और वीरों की हुंकार भरी हैं.
इसी
प्रकार भक्तिकालीन साहित्य ने भारत की पराभूत और हताश जनता को भक्ति की भागीरथी में
स्नान कराया हैं. रीतिकालीन राजाओं की विलासप्रियता बिहारी, मतिराम और वोधा की पंक्तियाँ
झाँक रही हैं.
इसी
प्रकार आधुनिककालीन हिंदी साहित्य जहाँ सामाजिक परिवेश से प्रभावित हुआ हैं वहीँ उसने
हिंदी समाज को भी सपनों से यथार्थ की कठोर भूमि पर उतारा.
भारत
का स्वतंत्रता संग्राम, देशभक्ति का ज्वार, स्वतंत्रता की प्राप्ति और स्वतंत्रयोतर
भारतीय समाज की दशा दिशा आदि आधुनिक और समसामयिक हिंदी साहित्य में पूर्णतया प्रतिबिम्बित
होता आ रहा हैं. भारतेंदु हरिश्चंद्र, मैथिलीशरण गुप्त, रामधारी सिंह दिनकर, प्रेमचन्द
इत्यादि साहित्यकारों ने भारत के युवकों का मार्गदर्शन किया हैं.
तथा
उनको भारत की स्वतंत्रता के लिए सर्वस्व त्यागकर समर्पित होने की प्रेरणा दी हैं. गुप्त
जी की भारत भारती तथा प्रेमचन्द की कहानी सोजे वतन का अंग्रेजी शासन के प्रतिबंध का
भी सामना करना पड़ा.
साहित्य
का दायित्व- साहित्य और समाज का अटूट संबंध यह संदेश देता है कि साहित्य
को समाज का सही मार्गदर्शन करना चाहिए. उसके उत्थान में और उसकी आकांक्षा को स्वर देने
में सहभागी बनना चाहिए.
(ख) विद्यालय में योग शिक्षा का महत्त्व बताते हुए किसी समाचार-पत्र
के संपादक को पत्र लिखिए
उत्तर
:
सेवा में,
श्रीमान सम्पादक महोदय,
दैनिक जागरण, दुमका
दिनांक-
10.01.2023
विषय-
योग शिक्षा के महत्त्व के संबंध में,
महाश्य,
सविनय निवेदन यह है कि में दीपक कुमार आपके
पत्र के माध्यम से में विद्यालय में योग शिक्षा के महत्त्व को बताना चाहता हूँ। योग
शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थी स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होंगे। योग शिक्षा उनके
स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है।
योग
के माध्यम से वे अपने शरीर की नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकाल सकते हैं। जिससे सकारात्मक
ऊर्जा को ग्रहण कर, वह स्वयं को ऊर्जावान महसूस कर सकते हैं। योग के द्वारा कई लाइलाज
बीमारियों को भी जड़ से समाप्त किया जा सकता है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए जीवनदायिनी
औषधि की भाँति है। आप अपने समाचार-पत्र के माध्यम से पाठकों को योग शिक्षा ग्रहण करने
के लिए आग्रह करें।
सधन्यवाद!
आपका
भवदीय
दीपक
कुमार
(ग) जनसंचार के प्रमुख कार्य क्या-क्या है ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए
।
उत्तर
: “जनसंचार का अर्थ है जन संचार माध्यमों - जैसे रेडियो, दूरदर्शन, प्रेस और चलचित्र
द्वारा सूचना, विचार और मनोरंजन का प्रचार-प्रसार करना।”
जनसंचार
के कार्य :
जिस
प्रकार संचार के कई कार्य हैं, उसी तरह जनसंचार माध्यमों के भी कई कार्य हैं। उनमें
से कुछ प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं
1.
सूचना देना-जनसंचार माध्यमों का प्रमुख कार्य सूचना देना है। हमें उनके
ज़रिये ही दुनियाभर से सूचनाएँ प्राप्त होती हैं। हमारी ज़रूरतों का बड़ा हिस्सा जनसंचार
माध्यमों के ज़रिये ही पूरा होता है।
2.
शिक्षित करना-जनसंचार माध्यम सूचनाओं के ज़रिये हमें जागरूक
बनाते हैं। लोकतंत्र में जनसंचार माध्यमों की एक महत्त्वूपर्ण भूमिका जनता को शिक्षित
करने की है। यहाँ शिक्षित करने से आशय उन्हें देश-दुनिया के हाल से परिचित कराने और
उसके प्रति सजग बनाने से है।
3.
मनोरंजन करना-जनसंचार माध्यम मनोरंजन के भी प्रमुख साधन हैं।
सिनेमा, टी.वी., रेडियो, संगीत के टेप, वीडियो और किताबें आदि मनोरंजन के प्रमुख माध्यम
हैं।
4.
एजेंडा तय करना-जनसंचार माध्यम सूचनाओं और विचारों के ज़रिये
किसी देश और समाज का एजेंडा भी तय करते हैं। जब समाचारपत्र और समाचार चैनल किसी खास
घटना या मुद्दे को प्रमुखता से उठाते हैं या उन्हें व्यापक कवरेज देते हैं तो वे घटनाएँ
या मुद्दे आम लोगों में चर्चा के विषय बन जाते हैं। किसी घटना या मुद्दे को चर्चा का
विषय बनाकर जनसंचार माध्यम.सरकार और समाज को उस पर अनुकूल प्रतिक्रिया करने के लिए
बाध्य कर देते हैं।
5.
निगरानी करना-जनसंचार माध्यम किसी सरकार और संस्थाओं के कामकाज
पर निगरानी रखते हैं। अगर सरकार कोई गलत कदम उठाती है या किसी संगठन/संस्था में कोई
अनियमितता बरती जा रही है तो उसे लोगों के सामने लाने की ज़िम्मेदारी जनसंचार माध्यमों
पर है।
6.
विचार-विमर्श के मंच-जनसंचार माध्यम लोकतंत्र में विभिन्न विचारों
को अभिव्यक्ति का मंच उपलब्ध कराते हैं। इसके जरिये विभिन्न विचार लोगों के सामने पहुंचते
हैं। जैसे किसी समाचारपत्र के संपादकीय पृष्ठ पर किसी घटना या मुद्दे पर विभिन्न विचार
रखने वाले लेखक अपनी राय व्यक्त करते हैं। इसी तरह संपादक के नाम चिट्ठी स्तंभ में
आम लोगों को अपनी राय व्यक्त करने का मौका मिलता है। इस तरह जनसंचार माध्यम विचार-विमर्श
के मंच के रूप में भी काम करते हैं।
खण्ड 'ग' (पाठ्य पुस्तक )
3. निम्नलिखित में से किसी एक काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :-5
(क) श्रमित स्वप्न की मधुमाया
में,
गहन - विपिन की तरू छाया
में,
पथिक उनींदी श्रुति में
किसने,
यह विहाग की
तान उठाई।
उत्तर
: भावपक्ष-स्कन्दगुप्त से प्रेम करके देवसेना जीवनभर सुख के सपने देखती रही, उसके प्रेम
को पाने की आकांक्षा को संजोये रही। किन्तु उसे स्कन्दगुप्त का प्रेस नहीं मिला। जीवन
की संध्या बेला में स्कन्दगुप्त का प्रेम-प्रस्ताव उसे ऐसा लगा मानो किसी ने निद्रावस्था
में विहाग राग सुना दिया हो।
कलापक्ष
छायावादी शैली है। तत्सम शब्दावली का प्रयोग है। भाषा लाक्षणिक है, स्वप्न का मानवीकरण
किया गया है और 'श्रमित स्वप्न' में अनुप्रास है। इस प्रकार अलंकार शैली को अपनाया
गया है। विरही हृदय का बिम्ब प्रस्तुत किया गया है। भाषा भावानुकूल है, उसमें प्रवाह
तथा प्रतीकात्मकता है।
(ख) तुम्ह बिनु कंता धनि हरुई
तन तिनुवर भाडोल ।
तेहि पर बिरह जराई है
चैट उड़ावा झोल ।।
उत्तर
: प्रस्तुत पंक्तियों में नागमती कहती है कि हे प्रियतम! मैं तुम्हारे वियोग में सूखती
जा रही हूँ। मेरी स्थिति तिनके के समान हो गई है। अर्थात में कमज़ोर हो गई हूँ। मैं
इतनी दुर्बल हो गई हूँ कि मेरा शरीर वृक्ष के समान हिलने लगता है। अर्थात जिस प्रकार
वृक्ष हवा के झोंके से ही हिलने लगता है, इसी प्रकार में कमज़ोर होने के कारण हिल जाती
हूँ। इस पर भी यह विरहग्नि मुझे राख बनाने को व्यग्र है तथा मेरे तन की राख को भी उड़ा
दिए जा रहा है।
4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :- 3+3=6
(क) राम के प्रति अपने श्रद्धाभाव को भरत किस प्रकार प्रकट करते हैं
? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर : संपूर्ण काव्य पंक्तियों से यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि भरत अपने भाई श्री राम से बहुत प्रेम करते हैं। जब वे अपने भाई श्री राम से मिलने वनवास जाते हैं, तो उनको देखकर उनके आंखों से आंसू बहाने लगते हैं।
वन
में श्री राम का जीवन कठिन था। उस कठिन जीवन को देखकर भरत भाव विभोर हो चुके थे। अपने
भाई के इस कठिन दशा का जिम्मेदार वह स्वयं को ठहराते हैं।
(ख) रहि चकि चित्रलिखी-सी पंक्ति का मर्म अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए
उत्तर
: इस पंक्ति में पुत्र वियोगिनी माता का दुख दुष्टिगोचर होता है। माता कौशल्या राम
से हुए वियोग के कारण दुखी और आहत है। वे राम की वस्तुएँ को देखकर स्वयं को बहलाने
का प्रयास करती हैं। उनका दुख कम होने के स्थान पर बढ़ता चला जाता हैं। परन्तु जब राम
के वनवासी जीवन का स्मरण करती हैं, तो हैरानी से भरी हुई चित्र के समान स्थिर हो जाती
हैं। जैसे चित्र में बनाई स्त्री के मुख तथा शरीर में किसी तरह का हाव-भाव विद्यमान
नहीं होता है, वैसे ही राम की दुखद अवस्था का भान करके माता कौशल्या चकित तथा स्तब्ध
अवस्था में होने के कारण हिलती भी नहीं हैं।
5. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए: 3+3=6
(क) "बालक बच गया। उसके बचने की आशा है क्योंकि वह लड्डू की पुकार
जीवित वृक्ष के हरे पत्तों का मधुर मर्मर था, मरे काठ की अलमारी की सिर दुखाने वाली
खड़खड़ाहट नहीं" कथन के आधार पर बालक की स्वाभाविक प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए
।
उत्तर
: लेखक ने बताया है कि बालक की सहज प्रवृत्ति खेल में होती है । खाने की प्रवृत्ति
में बालक को लड्डू सबसे अधिक पसंद होता है । जब तक बालक को उसके अध्यापकों व पिता द्वारा
ज्ञान लादा गया था वह अपने आप के सहज महसूस नहीं कर रहा था । उस पर कृत्रिमता का आवरण
चढ़ा था । पर वृद्ध के पूछने पर कि वह इनाम में क्या चाहता है तो बालक ने बड़ा सोच
विचार कर अपने मन की सहज प्रवृत्ति स्वरूप खाने का लड्डू माँगा । लेखक को लगा बालक
बच गया । अर्थात् उसका बालकपन या बच्चे की सहज इच्छाएँ उसमें शेष हैं । बालक की सहज
प्रवृत्ति खेलने में भी अधिक होती है । बचपन में वह खिलौनों को खरीदने उनसे खेलने की
इच्छा भी रखता है ।
(ख) संवदिया की क्या विशेषताएँ हैं और गाँव वालों के मन में संवदिया
की क्या अवधारणा है?
उत्तर
: संवदिया कि विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
(क)
दिए गए संवाद को जैसे है, वैसा ही बोलना पड़ता है।
(ख)
संवाद के साथ भावों को भी वैसे का वैसा बताना पड़ता है।
(ग)
संवाद को समय पर पहुँचाना एक संवदिया की विशेषता होती है।
(घ)
संवदिया को भावनाओं में नहीं बहना चाहिए। उसे संवाद को भावनाओं से अलग रखना चाहिए।
(ङ)
उसे मार्ग का ज्ञान होना चाहिए।
(च)
संवाद को पहुँचाने में गोपनियता बहुत आवश्यक है।
गाँववालों
के मन में अवधारणा है कि संवदिया एक कामचोर, निठल्ला तथा पेटू आदमी होता है, जिसके
पास कोई काम नहीं होता, वह संवदिया बन जाता है।
(ग) 'कुटज' पाठ के आधार पर सिद्ध कीजिए कि दुख और सुख तो मन के विकल्प
है।
उत्तर
: दुख और सुख सच में मन के विकल्प हैं। लेखक के अनुसार जिस व्यक्ति का मन उसके वश में
है, वह सुखी कहलाता है। कारण कोई उसे उसकी इच्छा के बिना कष्ट नहीं दे सकता है। वह
अपने मन अनुसार चलता है और जीवन जीता है। दुखी वह है, जो दूसरों के कहने पर चलता है
या जिसका मन स्वयं के वश में न होकर अन्य के वश में है। वह उसकी इच्छानुसार व्यवहार
करता है। उसे खुश करने के लिए ही सारे कार्य करता है। वह दूसरे के समान बनना चाहता
है। अतः दूसरे के हाथ की कठपुतली बन जाता है। अतः दुख और सुख तो मन के विकल्प ही हैं।
जिसने मन को जीत लिया वह उस पर शासन करता है, नहीं तो दूसरे उस पर शासन करते हैं।
6. निम्नलिखित में से किसी एक प्रश्न का उत्तर दीजिए :- 2
(क) अज्ञेय द्वारा रचित किन्हीं दो उपन्यासों के नाम बताइए
उत्तर
: शेखर : एक जीवनी (दो भाग); नदी के द्वीप
(ख) ममता कालिया के किन्हीं दो रचनाओं के नाम लिखें।
उत्तर
: बेघर ; नरक दर नरक
7. निम्नलिखित में से किसी एक प्रश्न का उत्तर दीजिए :- 3
(क) यह फूस की राख न थी, उसकी अभिलाषाओं की राख थी । संदर्भ सहित विवेचन
कीजिए ।
उत्तर
: सूरदास एक अँधा भिखारी था। उसकी संपत्ति में एक झोपड़ी, जमीन का छोटा-सा टुकड़ा और
जीवनभर जमा की गई पूंजी थी। यही सब उसके जीवन के आधार थे। ज़मीन उसके किसी काम की नहीं
थी। उस पर सारे गाँव के जानवर चरा करते थे। सूरदास उसी में प्रसन्न था। झोपड़ी जल गई
पर वह दोबारा भी बनाई जा सकती थी लेकिन उस आग में उसकी जीवनभर की जमापूँजी जलकर राख
हो गई थी। उसे दोबारा इतनी जल्दी जमा कर पाना संभव नहीं था। उसमें 500 सौ रुपए थे।
उस पूँजी से उसे बहुत-सी अभिलाषाएँ थी। वह गाँववालों के लिए कुँआ बनवाना चाहता था,
अपने बेटे की शादी करवाना चाहता था तथा अपने पितरों का पिंडदान करवाना चाहता था। झोपड़ी
के साथ ही पूँजी के जल जाने से अब उसकी कोई भी अभिलाषा पूरी नहीं हो सकती थी। उसे लगा
कि यह फूस की राख नहीं है बल्कि उसकी अभिलाषाओं की राख है। उसकी सारी अभिलाषाएँ झोपड़ी
के साथ ही जलकर राख हो गई। अब उसके पास कुछ नहीं था। बस दुख तथा पछतावा था। वह गर्म
राख में अपनी अभिलाषाओं की राख को ढूँढ रहा था।
(ख) 'बच्चे का माँ का दूध पीना सिर्फ दूध पीना नहीं माँ से बच्चे के
सारे संबंधों का जीवन-चरित होता है - टिप्पणी कीजिए
उत्तर
: बच्चे का अपनी माँ से बहुत गहरा संबंध होता है। यह संबंध माँ की कोख में आने के साथ
ही जुड़ जाता है। जब वह जन्म लेता है, तो माँ के दूध पर ही 6 महीने तक निर्भर रहता
है। इस दूध को वह आगे 3 वर्षों तक और ग्रहण करता है। माँ अपने बच्चे को दूध पिलाते
समय अपने आँचल की छाँव में रखती है। इससे माँ-बच्चे के मध्य संबंध सजीव हो उठता है।
इस तरह दोनों एक-दूसरे के साथ जीवन के कई वर्ष बिताते हैं। बच्चा माँ के साथ ही रोता,
हँसता, खेलता, खाता, पीता बड़ा होता है। माँ इन क्रियाओं से सुखी होती है। वह बच्चे
पर अपनी ममता लुटाती है। वह बच्चे को अपनी ममता की छाँव के तले रखती है। बच्चा माँ
के आँचल में दूध पीता हुआ अपनी माँ के स्पर्श तथा गरमाहट को महसूस करता है। वह बच्चे
के लिए उसका पोषण करने वाली, मित्र तथा एक स्त्री होती है। माँ का दूध पीकर बच्चा मानव
जीवन की सार्थकता को पूर्ण कर देता है।
8. निम्नलिखित में से किसी एक प्रश्न का उत्तर दीजिए :- 2
(क) शैला और भूप ने मिलकर किस तरह पहाड़ा पर अपनी मेहनत से नयी जिंदगी
की कहानी लिखी ?
उत्तर
: भूप ने सबसे पहले वह मलबा हटाया, जो भूखलन के कारण आया था। शैला और भूप दोनों ने
मिलकर खेतों को ढलवा बनाया ताकि बर्फ उसमें अधिक समय तक जम न पाए। जब खेत तैयार हो
गए, तो उनके सामने पानी की समस्या आई। अतः उन्होंने झरने का रुख मोड़ने की सोची। इस
तरह से उनके खेतों में पानी की समस्या हल हो सकती थी। फिर समस्या आई कि गिरते पानी
से पहाड़ को कैसे काटा जाए। यह बहते पानी में संभव नहीं था। क्वार के मौसम में उन्होंने
अपनी समस्या का हल पाया और उन्होंने पहाड़ को काटना आरंभ किया। इस मौसम में झरना जम
जाता था और सुबह धूप के कारण धीरे-धीरे पिघता था। इस स्थिति में सरलतापूर्वक काम किया
जा सकता था। अंत में सफलता पा ही ली और झरने का रुख खेतों की ओर किया जा सका। सर्दियों
के समय में झरना जम जाता था, तो वे उसे आग की गर्मी से पिघला देते और खेतों में पानी
का इतंज़ाम करते। इस तरह उन्होंने अपनी मेहनत से नयी ज़िंदगी की कहानी लिखी।
(ख) अब मालवा में वैसा पानी नहीं गिरता जैसा गिरा करता था। उसके क्या
कारण हैं ?
उत्तर
: इस बात के बहुत से कारण हैं-
(क)
औद्योगिकरण ने पर्यावरण को नुकसान पहुँचाया
है। इसके कारण पर्यावरण में भयंकर बदलाव देखने को मिले हैं। इसने जल, थल तथा भूमि प्रदूषण
को बढ़ावा दिया है।
(ख)
वायुमण्डल में कार्बन डाईऑक्साइड गैस की अधिकता के कारण भी मौसम पर प्रभाव पड़ रहा
है। यह गर्म होती है, जिसके कारण वायुमण्डल और ओजन परत को नुकसान पहुँच रहा है।
(ग) पेड़ों की अत्यधिक कटाई के कारण भी मालवा धरती उज़डने लगी है।
झारखंड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद रांची, झारखंड
मॉडल प्रश्न पत्र (2022 2023) ( वस्तुनिष्ठ )
सामान्य निर्देश-
• कुल 40 प्रश्न है!
• सभी प्रश्नों के उत्तर अनिवार्य है!
• प्रत्येक प्रश्न के लिए एक अंक निर्धारित है!
• प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्प दिए गए हैं सही विकल्प का चयन कीजिए!
• गलत उत्तर के लिए कोई अंक नहीं काटे जाएंगे!
खंड क (अपठित बोध)
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर संख्या 1 से 4 के लिए सही विकल्प
का चयन कीजिए-
वर्तमान शिक्षा पद्धति के अन्तर्गत हम जो विद्या प्राप्त कर रहे हैं,
उसकी विशेषताओं को सर्वथा नकारा भी नहीं जा सकता। यह शिक्षा कुछ सीमा तक हमारे दृष्टिकोण
को विकसित भी करती है, हमारी मनीषा को प्रबुद्ध बनाती है तथा भावनाओं को चेतन करती
है, किंतु कला शिल्प प्रौद्योगिकी आदि की शिक्षा नाममात्र की होनी के फलस्वरूप इस देश
के स्नातकों के लिए जीविकोपार्जन टेढ़ी खीर बन जाता है और बृहस्पति बना युवक नौकरी
की तलाश में अर्जियाँ लिखने में ही अपने जीवन का बहुमूल्य समय बर्बाद कर लेता है। जीवन
के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए यदि शिक्षा के क्रमिक सोपनों पर विचार किया
जाय, तो भारतीय विद्यार्थी को सर्वप्रथम इस प्रकार शिक्षा दी जानी चाहिए, जो आवश्यक
हो, दूसरी जो उपयोगी हो और तीसरी जो हमारी जीवन को परिष्कृत एवं अलकृत करती हैं।
1. वर्तमान समय में दी जानी वाली जाने वाली शिक्षा की विशेषता निम्न
में से कौन सी है ?
1. दृष्टिकोण को विकसित करने में सहायक
2. बुद्धि को तेज़ करनेवाली
3. व्यक्ति की भावनाओं को सचेत करनेवाली
4. इनमें से सभी
2. आज पढ़ा लिखा युवक अपने जीवन का बहुमूल्य समय कहाँ नष्ट कर देता है
?
1. उच्च शिक्षा पाने में
2. तकनीक शिक्षा पाने में
3. जीवन मूल्यों को मजबूत करने में
4. नौकरी खोजने में
3. भारतीय विद्यार्थी को दी जाने वाली शिक्षा का प्रथम सोपान है ?
1. शिक्षा जो उपयोगी हो
2. शिक्षा जो आवश्यक हो
3. शिक्षा जो परिष्कृत करती हो
4. शिक्षा जो जीवन को अलंकृत करती हो
4. रेढ़ी खीर वन जाना मुहावरे का अर्थ है-
1. काम कठिन हो जाना
2. खीर गीला हो जाना
3. खीर न बन पाना
4. काम सरल हो जाना
निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्न संख्या 5 से 8 के लिए सही
विकल्प का चयन करें।
युग-युग तक चलती रहे कठोर कहानी
रघुकुल में थी एक अभागिन रानी
निज जन्म-जन्म में सुने जीव यह मेरा-
धिक्कार ! उसे या महास्वार्थ ने घेरा।
सौ बार धन्य वह एक लाल की माई'
जिस जननी ने है जना भरत सा भाई"
पागल सी प्रभु के साथ सभा चिल्लाई-
"सौ बार धन्य वह एक लाल की माई।"
5. रघुकुल की अभागिन रानी कौन है?
1. कौशल्या
2. सीता
3. कैकयी
4. उर्मिला
6. धिक्कार! उसे था महास्वार्थ ने घेरा' पंक्ति में किसे महास्वार्थ
ने घेरा था ?
1. राम
2. भरत
3. सुमित्रा
4. कैकयी
7. 'प्रभु' शब्द का प्रयोग किसके लिए हुआ है ?
1. राम
2. लक्ष्मण
3. भरत
4. दशरथ
8. भाववाचक संज्ञा का एक उदाहरण है ?
1. रघुकुल
2. कहानी
3. कठोर
4. सभा
खंड- 'ख' (रचनात्मक लेखन तथा अभिव्यक्ति और माध्यम )
9. भारत मे पहला छापाखाना कब खुला ?
1. 1555 ई0
2. 1556 ई0
3. 1557 ई0
4. 1558 ई0
10. जनसंचार के आधुनिक माध्यमों में सबसे पुराना माध्यम कौन सा है
?
1. प्रिंट माध्यम
2. श्रव्य माध्यम
3. दृश्य श्रव्य माध्यम
4. इंटरनेट
11. मुद्रण की शुरूआत किस देश से हुई ?
1. भारत
2. जपान
3. इंग्लैण्ड
4. चीन
12. तुरंत घटी घटनाओं की जानकारी जनसंचार के किस माध्यम द्वारा दिया
जाना संभव नहीं हो पाता है ?
1. समाचार
2. रेडियो
3. टेलीविजन
4. इंटरनेट
13. समाचार शैली क्या कहलाती है?
1. उल्टा सीधा शैली
2. मनोरंजक शैली
3. उल्टा पिरामिड शैली
4. लाइव शैली
14. समाचार पढने वाले को क्या कहते हैं ?
1. वाचक
2. श्रोता
3. द्रष्टा
4. प्रतिवेदक
15. फ्रीलांसर पत्रकार का कार्य है ?
1. किसी एक समाचार पत्र के लिए नियमित लिखना
2. भुगतान के आधार पर अलग-अलग समाचार पत्रों के लिए लिखना
3. किसी समाचार पत्र के लिए निश्चित मानदेय पर काम करना
4. उपरोक्त में से कोई नहीं
16. कविता की पहली सर्व क्या हैं ?
1. शब्दों से मेल जोल
2. ज्ञान-विज्ञान
3. ध्वनियों से खेल
4. स्मृति चित्र
17. साहित्य की कौन-सी विद्या पढ़ने सुनने के साथ साथ देखने के तत्व
को भी अपने अंदर समेटे हुए है ?
1. कविता
2. नाटक
3. कहानी
4. डायरी
18. कहानी का केन्द्रीय बिंदु क्या कहलाता है ?
1. उद्देश्य
2. कथानक
3. संवाद
4. चरम उत्कर्ष
खंड- 'ग' (पाठ्यपुस्तक)
निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्न संख्या 19-22 के लिए सही
विकल्प का चयन कीजिए:
मुझ भाग्यहीन की तू संबल
युग वर्ष बाद जब हुई विकल्प
दुख ही जीवन की कथा रही
क्या कहूँ आज, जो नहीं कही।
19. प्रस्तुत काव्यांश के कवि है ?
1. जयशंकर प्रसाद
2. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
3. रघुवीर सहाय
4. केदारनाथ सिंह
20. कवि ने किसे अपना संबल कहा है?
1. स्वयं का
2. परिवार को
3. सरोज को
4. समाज
21. कवि का जीवन कैसा रहा है ?
1. आनंपूर्ण
2. दुखपूर्ण
3. सफलतापूर्ण
4. भाग्यपूर्ण
22. विकल शब्द का अर्थ है
1. व्याकुल
2. विशेष
3. शांत
4. युग
23. जीवन के अंतिम मोड़ पर देवसेना द्वारा ठुकराने के पश्चात स्कंदगुप्त
कौन सा व्रत लेता है ?
1. विजया से विवाह करने का
2. आजीवन अविवाहित रहने का
3. गृह त्याग करने का
4. इनमें कोई नहीं
24. सत्य कविता में कवि ने जीवन में सत्य की महत्ता को दर्शाने के लिए
किसे माध्यम बनाया है ?
1. रामायण के पात्रों को
2. पंचतंत्र की कथाओं को
3. महाभारत के पौराणिक संदर्भों को
4. बेताल पच्चीसी के पात्रों को
25. तुलसीदास की प्रसिद्ध रचना इनमें कौन-सी है ?
1. पद्मावत
2. साहित्य लहरी
3. कीर्तिलता
4. रामचरित मानस
26. 'पिय सौ कहेडु संदेसड़ा ऐ भँवरा ऐ काग-पंक्ति किस कवि की है ?
1. जायसी
2. घनांनद
3. विद्यापति
4. देव
27. केशवदास की काव्य भाषा क्या है ?
1. संस्कृति
2. हिन्दी
3. ब्रज
4. अवधी
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्न संख्या 28-31 के लिए सही
विकल्प का चयन कीजिए-
अभी भी संबंध के पिंजड़े में भारतीय जीवन विहग बंदी है। मुक्त गगन में
उड़ान भरने के लिए वह व्याकुल है। लेकिन आज भारतीय जनजीवन संगठित प्रहार करके एक के
बाद एक पिंजड़े की तीलियाँ तोड़ रहा हैं। धिक्कार है उन्हें जो तीलियाँ तोड़ने के बदले
उन्हें मजबूत कर रहे हैं
28. प्रस्तुत पंक्तियाँ किस पाठ से ली गई है ?
1. प्रेमघन की छाया स्मृति
2. सुमिरिनी के मनके
3. यथास्मै रोचते विश्वम
4. कुटज
29. प्रस्तुत पंक्तियों के रचनाकार है-
1. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
2. पंडित चन्द्रधर शर्मा गुलेरी
3. रामविलास शर्मा
4. हजारी प्रसाद द्विवेदी
30. भारतीय जीवन विहग कहाँ बंदी हैं ?
1. लोहे के पिंजड़ो में
2. विदेशी पिंजड़ों में
3. सपनों के पिंजड़ों में
4. संबंधों के पिंजड़ों में
31. लेखक किसे धिक्कारता हैं ?
1. मुक्त गगन में उड़ान भरने वालों को
2. पराधीनता को बढ़ावा देने वाले को
3. स्वतंत्रता की माँग करने वाले को
4. इनमें से सभी
32. रामचन्द्र शुक्ल के पिता का तबादला जब हमीरपुर से मिर्जापुर हुआ
तब शुक्लजी की उम्र कितनी थी ?
1. आठ वर्ष
2. दस वर्ष
3. बारह वर्ष
4. अठारह वर्ष
33. सुमिरिनी के मनके पाठ के अन्तर्गत कितने लघु निबंध हैं ?
1.. दो
2. तीन
3. चार
4. पाँच
34. मैं भाई भाभियों की नौकरी करके पेट पाल लूंगी- यह कथन किसका है
?
1. मोदिआइन बुढ़िया
2. बडी बहुरिया
3. बहुरिया की माँ
4. छोटी बहुरिया
35. दूसरा देवदास कहानी की नायिका कौन है ?
1. निर्मला
2. सिंदूरी
3. पारो
4. बेला
36. कुटज के पौधे की क्या विशेषता है ?
1. अपराजेय जीवनशक्ति
2. स्वावलंबन
3. आत्मविश्वास
4. ये सभी
37. सूरदास की झोंपड़ी पाठ के अंत में सूरदास क्या निश्चय करता है
?
1. मुहल्ला छोडने का
2. कोई दूसरा काम आरंभ करने का
3. पुनः झोपड़ी बनाने का
4. इनमें से कोई नहीं
38. स्तब्ध रह गए रूप और शेखर सिर्फ झरने के गिरने के शोर को छोड़ कर
कोई आवाज नहीं थी कही। - पंक्ति के लेखक है-
1. प्रेमचंद
2. भीष्म साहनी
3. संजीव
4. विश्वनाथ त्रिपाटी
39. विकास की औद्योगिक सभ्यता को लेखक प्रभाष जोशी ने किसकी संज्ञा
दी है ?
1. उजाड़ की सभ्यता
2. प्रगति की सभ्यता
3. विनाश की सभ्यता
4. इनमें से कोई नहीं
40. विस्कोहर की माटी का कथानायक का नाम है-
1. सोमनाथ
2. बद्रीनाथ
3. काशीनाथ
4. विसनाथ