खण्ड-अ (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
प्रश्न- संख्या
1 से 40 तक के प्रत्येक प्रश्न के साथ चार विकल्प दिये गये हैं.. जिनमें से एक सही
है। अपने द्वारा चुने गये सही विकल्प को OMR शीट पर चिह्नित करें। 40 x 1 = 40
1. भारत के किस
विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र की पढ़ाई शुरू हुई थी ?
(1) बम्बई विश्वविद्यालय
(2) कलकत्ता
विश्वविद्यालय
(3) पटना विश्वविद्यालय
(4) दिल्ली विश्वविद्यालय
2. मुस्लिम विवाह
है एक
(1) संस्कार
(2) समझौता
(3) मित्रता
(4) उपर्युक्त
में से कोई नहीं
3. एक ग्राम
पंचायत में कौन न्यायाधीश की भूमिका अदा करता है ?
(1) मुखिया
(2) सरपंच
(3) पंच
(4) ग्राम सेवक
4. निम्न में
से कौन भारत का सबसे अधिक नगरीयकृत राज्य है ?
(1) पश्चिम बंगाल
(2) महाराष्ट्र
(3) आन्ध्रप्रदेश
(4) केरल
5. निम्न में
से कौन-सा हिन्दू विवाह का उद्देश्य है।
(1) धार्मिक
कर्तव्य
(2) पुत्र प्राप्ति
(3) रति
(4) इनमें से
सभी
6. निम्नलिखित
में से किसको नगरीकरण बढ़ावा देती है?
(1) गुमनामिता
(2) भीड़
(3) प्रदूषण
(4) उपरोक्त
सभी
7. चाची नातेदारी
के किस श्रेणी के अन्तर्गत आती है ?
(1) प्राथमिक
(2) द्वितीयक
(3) तृतीयक
(4) उपर्युक्त
में से कोई नहीं
8. किस समाज
में हठ विवाह का प्रचलन है ?
(1) हिन्दू समाज
में
(2) मुस्लिम
समाज
(3) जनजातीय
समाज में
(4) उपरोक्त
से कोई नहीं
9. निम्न में
से कौन-सी जनजाति उत्तरी-पूर्वी भारत की नहीं है ?
(1) नागा
(2) कूकी
(3) बोडा
(4) खस
10. संविधान
के लिए किस अनुच्छेद में जनजातियों के लिए नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान है ?
(1) 335
(2) 244
(3) 341
(4) 15
11. किसने कहा
धर्म किसी आध्यात्मिक शक्ति में विश्वास है ?
(1) टायलर
(2) फ्रेजर
(3) दुर्खीम
(4) मॉलिनोस्की
12. डेन्जरस
ड्रग्स एक्ट किस वर्ष में पारित किया गया ?
(1) 1930
(2) 1931
(3) 1938
(4) 1933
13. भारतीय संविधान
के किस अनुच्छेद के अंतर्गत अनुसूचित जनजातियों को अपनी संस्कृति और भाषा बनाये रखने
के लिए संरक्षण प्रदान किया गया है ?
(1) धारा 16
(2) धारा 29
(3) धारा 42
(4) धारा 46
14. किस विद्वान
ने समाज को "सामाजिक सम्बन्धों के जाल" के रूप में परिभाषित किया ?
(1) पार्सन्स
(2) मर्टन
(3) फिक्टर
(4) मेकाईवर
एवं पेज
15. वर्ग व्यवस्था
है एक
(1) खुली व्यवस्था
(2) बन्द व्यवस्था
(3) न ही खुली
न ही बन्द
(4) उपरोक्त
में से कोई नहीं
16. सामाजिक
परिवर्तन का तात्पर्य है
(1) सामाजिक
संबंधों में परिवर्तन
(2) सामाजिक
समूहों में परिवर्तन
(3) सामाजिक
अन्तः क्रियाओं में परिवर्तन
(4) उपरोक्त
सभी
17. सहपलायन
विवाह, विवाह का एक प्रकार है
(1) जनजातिय
समाज में
(2) हिन्दू समाज
में
(3) मुस्लिम
समाज में
(4) इसाई समाज
में
18. 'सोसायटी
इन इण्डिया' किसने लिखी ?
(1) मेडलबम
(2) के० एम०
कपाड़िया
(3) ए. एम. शाह
(4) डब्ल्यू.
आई. वार्नर
19. मध्याह्न
भोजन कहाँ लागू हुआ ?
(1) स्कूल
(2) कॉलेज
(3) ऑफिस
(4) उपर्युक्त
सभी
20. निम्नलिखित
में से बन्द स्तरीकरण का उदाहरण कौन सा है ?
(1) वर्ग
(2) सत्ता
(3) जाति
(4) उपर्युक्त
सभी
21. धर्म निरपेक्षता
का अर्थ क्या है ?
(1) विभिन्न
धर्मों का सह अस्तित्व
(2) अन्य धर्मों
के प्रति श्रद्धा
(3) राज्य का
अपना कोई धर्म न होना है।
(4) इनमें से
सभी
22. निम्न में
से कौन से कारक भारतीय जाति व्यवस्था में परिवर्तन के उत्तरदायी है?
(1) औद्योगिकरण
(2) पंचायती
राज
(3) जजमानी व्यवस्था
(4) प्रभु जाति
23. संस्कृतिकरण
की अवधारणा किसने विकसित की ?
(1) एस. सी.
दुबे
(2) एम. एन.
श्रीनिवास
(3) सच्चिदानंद
(4) योगेन्द्र
सिंह
24. अनुसूचित
जातियों को आरक्षण दिया जाता है उनकी
(1) गरीबी के
संदर्भ में
(2) आर्थिक आवश्यकताओं
के संदर्भ में
(3) संख्या के
संदर्भ में
(4) निम्न अनुष्ठानिक
स्थिति के संदर्भ में
25. निम्नलिखित
में से किसको किसी एक जाति को अनुसूचित जाति घोषित करने का अधिकार है ?
(1) भारत के
राष्ट्रपति
(2) राज्य का
राज्यपाल
(3) अनुसूचित
जाति आयुक्त
(4) केन्द्रीय
मंत्रीमंडल
26. मंडल आयोग
के अध्यक्ष कौन थे ?
(1) बिंदेश्वरी
प्र. मंडल
(2) धनिक लाल
मंडल
(3) मंगनीलाल
मंडल
(4) चन्देश्वरी
लाल मंडल
27. पश्चिमीकरण
की अवधारणा किसने विकसित की थी ?
(1) श्रीनिवास
(2) दुर्खीम
(3) फ्रेजर
(4) टायलर
28. निम्नलिखित
में से किसने सामाजिक परिवर्तन में विचारों की भूमिका पर बल दिया ?
(1) कार्ल मार्क्स
(2) मैक्स वेबर
(3) पैरेटो
(4) टॉयनबी
29. निम्नलिखित
में कौन सामाजिक स्तरीकरण का रूप नहीं है ?
(1) धर्म
(2) वर्ग
(3) जाति
(4) लिंग
30. 'सोशल चेंज'
शब्दावली का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया?
(1) हर्बर्ट
स्पेंसर
(2) एल. एच.
मॉर्गन
(3) डब्ल्यू.
एफ० आगबर्न
(4) ई० दुर्खीम
31. समाजशास्त्र
के जनक के रूप में किसे जाना जाता है?
(1) मेकाईवर
(2) कॉम्टे
(3) सोरोकिन
(4) दुर्खीम
32. हिन्दुओं
में विवाह के कितने स्वरूप माने जाते हैं ?
(1) दस
(2) पाँच
(3) आठ
(4) चार
33. इनमें से
कौन आदिम अर्थव्यवस्था का दूसरा स्तर है ?
(1) शिकार एवं
भोजन संग्रह स्तर
(2) कृषि स्तर
(3) पशुचारण
स्तर
(4) औद्योगिक
स्तर
34. 'सबला' स्कीम
केन्द्रित है।
(1) असहाय महिलाएँ
(2) किशोरियाँ
(3) मातृत्व
लाभ
(4) इनमें से
सभी
35. किसने लैंगिक
असमानता के सात प्रकार का उल्लेख किया है ?
(1) पाणिकर
(2) मजूमदार
(3) दुबे
(4) अमर्त्यसेन
36. परिवीक्षा
विवाह, विवाह का एक प्रकार है
(1) जनजातीय
समाज में
(2) हिन्दू समाज
में
(3) मुस्लिम
समाज में
(4) इसाई समाज
में
37. समाजशास्त्र
की उत्पत्ति किन भाषाओं से हुई है ?
(1) लैटिन एवं
फ्रेंच
(2) लैटिन एवं
ग्रीक
(3) लैटिन एवं
अंग्रेजी
(4) ग्रीक एवं
अंग्रेजी
38. "भारत
में विवाह और परिवार" किसने लिखी ?
(1) ए. एम. शाह
(2) जी० एस०
घुर्ये
(3) के० एम०
कपाड़िया
(4) डब्ल्यू.
आई. वार्नर
39. शहरीकरण
का लक्षण है
(1) व्यापार
में विकास
(2) एक शहर चारों
ओर केन्द्रों का विकास
(3) ग्रामीण
से शहरी प्रवसन
(4) उपर्युक्त
सभी
40. निम्नलिखित
में से किस शारदा एक्ट कहा जाता है ?
(1) विशेष विवाह
एक्ट
(2) सहमति आयु
बिल
(3) बाल विवाह
एक्ट
(4) हिन्दू विवाह
एक्ट
खण्ड-ब (विषयनिष्ठ प्रश्न)
खण्ड-क (अतिलघु उत्तरीय प्रश्न)
किन्हीं पाँच प्रश्नों
के उत्तर दीजिए। 2 × 5 = 10
1. जनसांख्यिकी
लाभांश का क्या अर्थ है ?
उत्तर -विकासशील
देशों में अर्थव्यवस्था के सुधार से प्राप्त जनसंख्या वृद्धि के कम होने को जनसांख्यिकी
लाभांश कहते हैं। यह लाभांश पिछले दशक में पूर्व एशियाई अर्थव्यवस्थाओं की तरह तथा
आज के आयरलैंड की भाँति भारत को भी मिलना शुरू हो गया है।
2. वर्ग और जाति
में क्या अंतर है?
उत्तर-वर्ग के
समूह होते हैं जिनमें सीमाएँ बनावटी, मनमानी एवं बाढ़ होती है। कोई भी व्यक्ति इन समूहों
में प्रवेश पा सकता है। जाति की सीमाएँ वर्ग समूहों की तुलना में अधिक कठोर और रूढ़ियों
पर आधारित होती हैं।
3. 'राष्ट्रवाद'
को परिभाषित करें।
उत्तर- अपने
राष्ट्र और उससे संबंधित हर चीज के लिए प्रतिबद्धता, आमतौर पर भावात्मक प्रतिबद्धता
राष्ट्रवाद है। हर हाल में, हर मामले में राष्ट्र को सर्वोपरि रखना, उसके पक्ष में
झुकाव रखना राष्ट्रवाद की पहचान है। यह विचारधारा कि भाषा, धर्म, इतिहास, प्रजाति,
संजाति आदि की समानता समुदाय को विशिष्टता प्रदान करती है; राष्ट्रवाद का मूलाधार है।
4. फ्रांसीसी
क्रांति के कौन-से तीन आदर्श (शब्द) थे?
उत्तर- आज समाज
नए रूप में स्थापित होने की ओर अग्रसर है। समाज के इस नए रूप को फ्रांसीसी क्रांति
ने तीन आदर्शो को बंधुता, स्वतंत्रता और समानता जैसे शब्दों में अभिव्यक्ति किया था।
5. हरित क्रांति
कब और किन क्षेत्रों में प्रारंभ की गई?
उत्तर-
1960-70 के दशक में विशेषतः 1966-67 में देश में हरित क्रांति आई। यह कार्यक्रम मुख्यतया
गेहूँ तथा चावल उत्पादन करनेवाले क्षेत्रों पर ही लक्षित था। हरित क्रांति पैकेज की
प्रथम लहर पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, तटीय आंध्र प्रदेश तथा तमिलनाडु के कुछ हिस्सों
में ही चली।
6. विनिवेश क्या
है ?
उत्तर- सरकार
सार्वजनिक कंपनियों के अपने शेयर्स जब निजी कंपनियों को बेचती है तो इसे विनिवेश कहते
हैं। सरकार के हाथों ऐसी कंपनियाँ घाटे में चलने का जब अनुमान होने लगता है तब ऐसा
अक्सर होता है। इससे सरकारी कर्मचारियों को भय होने लगता है कि विनिवेश के कारण कहीं
उनकी नौकरी नहीं चली जाए।
7. इंगलैंड में
'चार्टरवाद' क्या था ?
उत्तर - ब्रिटेन
में भी सभी को मतदान का अधिकार नहीं था। यह अधिकार सम्पत्ति के स्वामियों तक ही सीमित
था। इसी के लिए चार्टरवाद इंगलैंड में संसदीय प्रतिनिधित्व से संबंधित एक सामाजिक आंदोलन
था। यह आंदोलन 1839 में प्रारंभ होकर प्रथम विश्वयुद्ध तक मतदान के अधिकार के लिए लोगों
के हस्ताक्षर अभियान के रूप में चलता रहा।
खण्ड ख (लघु उत्तरीय प्रश्न)
किन्हीं पाँच प्रश्नों
के उत्तर दीजिए। 3 × 5 = 15
8. जाति और जनजाति
में क्या अंतर है ?
उत्तर- अवधारणा
के रूप में जाति एक फैला हुआ सामाजिक समूह है जबकि जनजाति एक क्षेत्रीय समूह है। मेकाइवर
का कहना है कि जब एक जनजाति अपनी क्षेत्रीय पहचान खो देती है तो वह जाति का रूप ले
लेती है। पर, जाति कभी जनजाति का रूप नहीं लेती जाति विकसित होती है और इसका मुख्य
धारा में एकीकरण अधिक होता है, वहीं जनजाति कम विकसित होती है और इसका एकीकरण भी कम
होता है। इसी तरह जाति-व्यवस्था में सावयवी (organic) एकता पाई जाती है; संस्तरण होता
है; संसाधनों पर व्यक्तिगत अधिकार होता है। ठीक इसके विपरीत जनजाति एक खण्डात्मक और
समतावादी व्यवस्था है; संसाधनों पर स्वामित्व सामूहिक होता है तथा इसमें स्तरीकरण भी
नहीं होता। सामान्यतः हर जनजाति की अपनी एक अलग भाषा होती है परंतु जातियों के साथ
ऐसा नहीं होता। एक जनजाति कभी भी अपने सदस्यों के व्यवसाय को चुनने के विषय पर कोई
प्रतिबंध नहीं लगाती है, लेकिन एक जाति प्रायः अपने सदस्यों को वंशानुगत व्यवसाय चुनने
के लिए प्रेरित करती है।
9. असक्षमता
और गरीबी के बीच एक गहरा संबंध है; कैसे ?
उत्तर-असक्षमता
और गरीबी के बीच एक अटूट संबंध होता है। बार-बार गर्भधारण करने से माताएँ अपनी रोग-प्रतिरोधक
क्षमता खोती जाती हैं। वे अत्यधिक कमजोर हो जाती है जिसका प्रभाव बच्चे पर पड़ता है।
फिर, जिन घरों में कई परिवार एक साथ रहते हैं, वहाँ कोई आकस्मिक दुर्घटना होने से भी
गरीब लोगों में असक्षमता हो जाती है। असक्षमता से पूरे परिवार पर पृथक्करण और आर्थिक
की स्थिति बढ़ जाती है। फलस्वरूप गरीबी की स्थिति उत्पन्न होने से अत्यंत विकट स्थिति
उभरती है।
10. विधवा-विवाह
का समर्थन और आंदोलन किसने और कैसे किया ?
उत्तर - विधवा
विवाह का समर्थन और इसके लिए आंदोलन बंबई प्रेसिडेंसी के समाज सुधारक श्री महादेव गोविंद
रानाडे ने किया। 1861 में रानाडे ने महाराष्ट्र में विधवा-विवाह के प्रचार के लिए विडो
रिमैरेज एसोसिएशन की स्थापना की। हिंदुओं की ऊँची जातियों में विधवाओं के साथ उस समय
किया जा रहा निंदनीय और अन्यायपूर्ण व्यवहार एक प्रमुख मुद्दा था। रानाडे ने इस संबंध
में बिशप जोसेफ बटलर जैसे विद्वानों के लेखों का उपयोग किया। इनके द्वारा लिखित दो
पुस्तकें (एनॉलॉजी ऑफ रिलिजन' और 'थ्री समंस ऑन ह्यूमन नेचर' को 1860 के दशक मुंबई
विश्वविद्यालय के नैतिक दर्शन पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाता था। इसी समय रानाडे द्वारा
रचित दो पुस्तकों 'दि टेक्स्ट ऑफ दि हिंदू लॉ ऑन दि लॉफुलनेस ऑफ द रिमैरेज ऑफ विडोज'
और 'वैदिक ऑथोरिटीज फॉर विडो मैरिज' में विधवा विवाह के लिए शास्त्रीय स्वीकृति का
विशद विवेचन किया गया।
11. भारत में
ही प्रचलित वे कौन-सी कुरीतियाँ थीं जिनके विरुद्ध समाज-सुधार आंदोलन हुए?
उत्तर- जिन सामाजिक
कुरीतियों से भारत बुरी तरह त्रस्त था, उनमें सती प्रथा, बाल-विवाह, विधवा पुनर्विवाह
निषेध और जातिभेद प्रमुख हैं उन्नीसवीं सदी में हुए समाज-सुधार आंदोलन उन चुनौतियों
के जवाब थे जिन्हें औपनिवेशिक भारत महसूस कर रहा था।
12. उद्योग के
लिए 'भूमि अधिग्रहण की नीति' के क्या प्रभाव पड़ते हैं?
उत्तर - सरकार
ने उद्योग लगाने के लिए भूमि अधिग्रहण की नीति अपनाई है। ऐसे प्रस्तावित उद्योग-स्थल
के लोगों को ये रोजगार नहीं दिलवाते बल्कि जबरदस्त प्रदूषण ही फैलाते हैं। बहुत से
किसानों ने भूमि अधिग्रहण की क्षतिपूर्ति की कम दर के लिए जब विरोध किया तो उन्हें
जबरन दिहाड़ी मजदूर बनना पड़ा जिन्हें बड़े शहरों में फुटपाथ पर काम करते देखा जा सकता
है।
13. क्या औद्योगीकरण
के फलस्वरूप आधुनिक समाज पश्चिम प्रतिनिधित्व कर रहा है?
उत्तर- निस्संदेह
औद्योगिकीकरण ने आधुनिकीकरण को बढ़ावा दिया है। आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में वस्तुतः
पृथक समाज की अवस्थाएँ (स्तर) अलग-अलग हैं; लेकिन उन सबों की दिशा एक ही है। ऐसे विचारकों
के मतानुसार आधुनिक समाज पश्चिम का प्रतिनिधित्व कर रहा है। दूसरे शब्दों में परिवर्तन
पश्चिमोन्मुख है।
14. क्रांतिकारी
सामाजिक आंदोलन का अर्थ सोदाहरण स्पष्ट करें।
उत्तर - क्रांतिकारी
सामाजिक आंदोलन सामाजिक संबंधों के आमूल रूपांतरण का प्रयास करते हैं। ऐसे आंदोलनों
में प्रायः राजसत्ता पर अधिकार कर -परिवर्तन लाने की मनसा छिपी होती है। रूस की बोल्शेविक
क्रांति जिसने जार को अपदस्थ करके साम्यवादी राज्य की स्थापना की, ऐसा ही एक आंदोलन
था। भारत में नक्सली आंदोलन, जो दमनकारी भूस्वामियों तथा राज्य अधिकारियों को हटाना
चाहते हैं, की क्रांतिकारी आंदोलनों के रूप में व्याख्या की जा सकती है।
खण्ड-ग (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)
किन्हीं तीन प्रश्नों
के उत्तर दीजिए। 5 × 3 = 15
15. ग्रामीण
समुदाय की प्रमुख समस्याएँ क्या हैं?
उत्तर - मेरिल
और एलरिज के अनुसार, “ग्रामीण समुदाय के अन्तर्गत संस्थाओं एवं ऐसे व्यक्तियों
का समावेश होता है जो एक छोटे से केन्द्र के चारों ओर संगठित होते हैं, तथा सामान्य
और प्राथमिक हितों द्वारा आपस में बँधे रहते हैं।"
सिम्स के अनुसार, “जिन वृहत् क्षेत्रों में एक समूह के लगभग सभी महत्त्वपूर्ण हितों
की संतुष्टि हो जाती है, उनको ग्रामीण समुदाय मान लेने के लिए समाजशास्त्रियों की प्रतिबद्धता
बढ़ती जा रही है।" उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि ग्रामीण समुदाय परिवेश
की दृष्टि से प्रकृति के अधिक निकट होता है। इसमें बनावटीपन कम होता है। आर्थिक दृष्टि
से प्रमुख रूप से कृषि पर तथा साधारण उद्योग पर निर्भर करते हैं।
ग्रामीण समुदाय की प्रमुख समस्याएँ-
(1) शिक्षा संबंधी
समस्या : भारत में अशिक्षितों की संख्या अधिक है
किन्तु गाँव में इसका प्रतिशत बहुत अधिक है। आज भी गाँव अशिक्षित एवं निरक्षर लोगों
की तादात में कमी नहीं है। इस दिशा में सुधार के लिए सरकारी तथा गैर सरकारी संगठनों
के द्वारा प्रयास जारी है।
(2) बेरोजगारी
की समस्या : भारतीय कृषि वर्षा पर निर्भर करती है। जब
वर्षा नहीं होती है तो गाँव के लोगों को कृषि से संबंधित काम नहीं मिल पाता है और बाद
में उसके सामने भुखमरी एवं बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो जाता है।
(3) सड़क और
विजली की समस्या : आज भी बहुत सारे गाँव वैसे
हैं जहाँ पर न तो सड़क की कोई व्यवस्था है और न ही बिजली की व्यवस्था; जिसके कारण लोगों
की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जाती है।
(4) नई सामाजिक
समस्याएँ : वर्त्तमान समय में गाँवों में एक तरफ स्थिति
में सुधार हुई है तो दूसरी ओर पारस्परिक संघर्ष गुटबन्दी, दलबन्दी तथा जातीय तनाव की
स्थिति उत्पन्न हुई।
16. भारतीय समाज
पर औद्योगिकीकरण के प्रभाव की विवेचना करें।
उत्तर- औद्योगीकरण
का भारतीय पारिवारिक जीवन पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ा है-
(1) संयुक्त
परिवार प्रथा का विघटन - संयुक्त परिवार भारतीय समाज
की एक प्रमुख विशेषता रही है। एक परिवार के सभी नये-पुराने सदस्य एक ही स्थान पर रहते
हुए खेती का कार्य करते रहे हैं, किन्तु उद्योगों के विकास के साथ-साथ लोग कारखानों
में काम करने के लिए गाँव छोड़कर शहरों की ओर भागे। एक ही परिवार का कोई सदस्य कहीं
पहुँच गया, कोई कहीं।
(2) पारिवारिक
कार्य-क्षेत्र का सीमित होना - संयुक्त परिवार में परिवार
के सदस्यों की अधिकांश आवश्यकताएँ अन्य सदस्यों द्वारा पूरी हो जाती थीं। औद्योगीकरण
के प्रभाव से परिवार के अनेक कार्य विशिष्ट संस्थाओं द्वारा होने लगे हैं। औद्योगीकरण
के फलस्वरूप कपड़े धोने का काम लॉण्ड्री में, कपड़े सिलने का काम दर्जी की दुकानों
में, आटा पीसने का काम आटा पीसने की शक्ति-चालित चक्कियों में, खेत जोतने, बोने, काटने,
माँड़ने का काम विभिन्न मशीनों से होने लगा।
(3) स्त्रियों
की स्थिति में सुधार - धन कमाने के कारण स्त्रियाँ
स्वावलम्बिनी होने लगीं। अपने पैरों पर खड़े होने के कारण उनका आत्मविश्वास बढ़ा। वे
अधिक स्वतन्त्र हुईं। उनमें शिक्षा का प्रसार हुआ और इस प्रकार उनकी स्थिति में सुधार
हुआ।
(4) रहन-सहन
में कृत्रिमता - औद्योगीकरण के फलस्व रूप लोगों
का जीवन अप्राकृतिक हो गया है। तंग घरों, अँधेरी गलियों, धुएँ से भरा हुआ आकाश, ट्रामें,
बसें, रेलें, ऊँचे-नीचे मकान व मशीनों का शोर औद्योगीकरण की ही देन है। इस प्रकार मनुष्य
प्रकृति से दूर होती जा रही है।
(5) गन्दी तथा
तंग वस्तियों का विकास-हर औद्योगिक नगर में जनसंख्या
का घनत्व बढ़ने के कारण रहने के स्थान का अभाव हो जाता है। घनी तंग बस्तियों में दिन
में भी सूर्य के दर्शन नहीं होते। कमरे धुएँ से भरे रहते हैं। मल-मूत्र की बदबू असह्य
होती है, फिर भी लोग अपने को उसका आदी बना लेते हैं।
17. जातिवाद
क्या है? इसको प्रोत्साहन देने वाले चार कारणों की चर्चा करें।
उत्तर- भारत
में जाति एवं उपजातियों की संख्या अनगिनत है। जो हिन्दू जाति व्यवस्था का ही एक दूषित
रूप है जिसने सम्पूर्ण समाज को बहुत से छोटे-छोटे और आत्मकेन्द्रित टुकड़ों में विभाजित
करके स्वस्थ राष्ट्रीयता के रास्ते में भी अनेक बाधाएँ, उत्पन्न की हैं। जातिवाद एक
उग्रभावना है जो एक जाति के सदस्यों को बिना किसी कारण के अपनी जाति के लोगों का पक्ष
लेने के लिए प्रेरित करती है। चाहे इससे अन्य समूहों को जो भी बाधाएँ पहुँचती हों।
जातिवाद को पारिभाषित करते हुए डॉ० शर्मा ने कहा है कि “जातिवाद तथा जाति भक्ति एक
जाति के व्यक्तियों की वह भावना है जो देश या समाज के हितों का ध्यान न रखते हुए व्यक्ति
को केवल अपनी ही जाति के उत्थान, जातीय एकता और जाति की सामाजिक स्थिति को दृढ़ करने
के लिए प्रेरित करती है।"
भारत में जातिवाद
को प्रोत्साहन देने वाले कारक निम्नलिखित हैं-
(1) संस्कृतीकरण : संस्कृतीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा निम्न जातियाँ उच्च जातियों
के समान व्यवहार करके सामाजिक व्यवस्था में अपनी स्थिति को ऊँचा उठाने का प्रयत्न करती
हैं। आज निम्न जातियाँ अपने व्यवहारों को उच्च जातियों की तरह प्रदर्शित करती हैं।
उच्च जातियाँ उनसे अपनी सामाजिक दूरी बनाये रखने के नये-नये प्रयत्न करने लगती हैं
जिससे जाति संघर्ष की स्थिति पैदा हो जाती है।
(2) अंतर्विवाह
का प्रचलन : भारत में जातिवाद के विकास का संभवतः सबसे
बड़ा कारण पिछले हजारों वर्षों से जाति व्यवस्था द्वारा स्वीकृत अन्तर्विवाह का प्रचलन
है। इसका परिणाम यह हुआ कि प्रत्येक उपजाति एक आत्म केन्द्रित समूह के रूप में बदल
गयी और वह प्रत्येक दशा में अपनी ही उपजाति के सदस्यों का पक्ष लेने लगी, जिससे जातिवाद
को प्रोत्साहन मिलता है।
(3) जातिगत संगठन : जाति के आधार पर बनने वाले विभिन्न संगठन अपनी जाति के सदस्यों को
संगठित करते हैं, विभिन्न अवसरों पर उन्हें निर्देश देते हैं। दूसरे जातियों के विरुद्ध
अपने सदस्यों को भड़काते हैं। चुनाव में अपनी जाति के प्रत्याशी का पक्ष लेने की प्रेरणा
देते हैं, न ही पक्ष लेने वालों की निन्दा और बहिष्कार करते हैं। जिसके फलस्वरूप जातिवाद
में वृद्धि होती है।
(4) भ्रष्ट राजनीति : अनेक स्वार्थी नेता जातिवाद को प्रोत्साहन देकर अपने राजनीतिक हितों
को पूरा करने का प्रयत्न करते हैं। चुनाव के समय बहुत से प्रत्याशी और उनके समर्थक
जाति के आधार पर वोट माँगते हैं तथा व्यक्ति की जातीय भावना को उभारने का प्रयत्न करते
हैं।
18. मैकाइवर
एवं पेज द्वारा दी गई परिवार की विशेषताओं की चर्चा करें।
उत्तर- मैकाइवर
और पेज ने परिवार की प्रकृति को अनेक विशेषताओं के पर स्पष्ट किया जो निम्न है-
(1) सार्वभौमिकता : सभी संस्थाओं और समितियों में परिवार सबसे अधिक सार्वभौमिक है। यह
सभी आदिम और सभ्य समाजों में पाया जाता है। परिवार की सार्वभौमिकता का कारण यह है कि
यह व्यक्ति की उन जरूरतों को पूरा करता है जिन्हें किसी भी दूसरे समूह द्वारा नहीं
किया जा सकता।
(2) भावनात्मक
आधार : परिवार का एक महत्त्वपूर्ण लक्षण सभी सदस्यों द्वारा मिल-जुलकर काम
करना और एक-दूसरे के हित में अपना हित देखना है। परिवार में पालन-पोषण की व्यवस्था,
त्याग, सहानुभूति और स्नेह आदि कुछ ऐसी विशेषताएँ हैं जिनके कारण सभी सदस्य एक-दूसरे
से मानसिक रूप से बँधे रहते हैं।
(3) रचनात्मक
प्रभाव : परिवार में सभी सदस्य अपने व्यवहारों के
द्वारा एक-दूसरे को रचनात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। यही रचनात्मक कार्य सदस्यों
का समाजीकरण करते हैं, उनके व्यवहारों पर नियंत्रण रखते हैं तथा आपसी सहयोग को बढ़ाते
हैं।
(4) छोटा आकार : परिवार के सदस्य केवल वही व्यक्ति होते हैं जिन्होंने इसमें जन्म
लिया हो अथवा विवाह सम्बन्ध स्थापित किये हो। अपने सीमित आकार के कारण ही परिवार की
प्रकृति हमेशा कल्याणकारी होती है।
(5) परम्पराओं
की प्रधानता : परिवार एक ऐसा समूह है जो अनेक
सांस्कृतिक और परम्परागत नियमों पर आधारित होता है। परम्पराएँ और सांस्कृतिक नियम ही
वंश - नाम, उत्तराधिकार तथा धार्मिक विधि विधानों की प्रकृति को निर्धारित करते हैं।
19. सामाजिक
परिवर्तन में जन संचार की भूमिका की चर्चा करें।
उत्तर- जब हम
कुछ विशेष साधनों के द्वारा एक बड़े समूह या समुदाय के लोगों तक कोई विशेष सूचना या
संवाद पहुँचाते हैं तब इसी को जन संचार कहा जाता है। यदि हम एक बन्द कमरे में किसी
एक या दो व्यक्तियों से बात-चीत कर रहे हो तो इस दशा में भी दो तीन लोग एक-दूसरे के
लिए अपने विचारों का संचार कर रहे होते हैं। ऐसा संचार व्यक्तिगत स्तर का होता है,
इसलिए इसे जन संचार नहीं कहा जा सकता। दूसरी ओर, जब टेलीविजन के विभिन्न कार्यक्रमों
के द्वारा कुछ खास ढंग के व्यवहार या विचार दूर-दूर के लाखों लोगों तक पहुँचाए जाते
हैं तब ऐसे संचार का संबंध जनसाधारण के बहुत बड़े हिस्से से होता है। इसी को हम जन
संचार कहते हैं।
सामाजिक परिवर्तन
में जन संचार की भूमिका निम्न है - भारतीय समाज का विकास तभी संभव है जब यहाँ सभी तरह
के सामाजिक, धार्मिक विभेदों को कम से कम किया जा सके। समाचार-पत्र और पत्रिकाओं के
लेख एक ऐसी तर्क बुद्धि विकसित करते हैं जिनमें मानवतावाद का अधिक महत्त्व होता है।
फिल्मों में यह दिखाया जाता है कि सामंतवादी तरीके किस तरह हमारी प्रगति में बाधक है
?
किसी समाज में
जब तरह-तरह की सामाजिक समस्याएँ बढ़ने लगती हैं तो उन्हें दूर करने में जन संचार के
साधन उपयोगी भूमिका निभाते हैं। भारतीय समाज में स्वतंत्रता के बाद तरह-तरह की वैवाहित
कुरीतियाँ स्त्रियों के शोषण, दलित जातियों के साथ असमानताकारी व्यवहारों, अन्धविश्वासों
और पारिवारिक विघटन से सम्बन्धित बहुत-सी समस्याएँ थीं जो जन-संचार के साधनों के द्वारा
लोगों को इन समस्याओं के दुष्परिणामों से अवगत कराया गया। इसी के फलस्वरूप लोगों की
मनोवृतियों में इस तरह परिवर्तन होने लगा जिससे सभी सीमा तक इन समस्याओं का समाधान
करना संभव हो सका।
रेडियो, टेलीविजन तथा फिल्मों का मनोरंजन के साधन के रूप में देखा जाता है। पर वास्तविकता यह है कि संचार के यह साधन लोगों को मनोरंजन देने के साथ ही इस तरह के कार्यक्रम का करते हैं जिससे समाज में परिवर्तन के लिए। एक उपयुक्त वातावरण बन सकें। परिवर्तन के बिना न तो संस्कृति का विकास संभव होता है और नहीं समाज में उपयोगी व्यवहार प्रभावपूर्ण बन पाते हैं।