प्रश्न 1. बाजार
मूल्यं क्या है ?
उत्तर: किसी समय विशेष पर वस्तु
का बाजार में प्रचलित मूल्य की बाजार मूल्य कहलाता है। इसका निर्धारण माँग एवं पूर्ति
की शक्तियों के बीच अस्थायी साम्य द्वारा होता है। बाजार मूल्य को अति अल्पकालीन मूल्य
भी कहा जाता है। यह मूल्य न केवल दिन-प्रतिदिन मूल्य बदलता है बल्कि एक ही दिन में
कई बार भी बदल सकता है।
प्रश्न 2. उत्पादन
फलन क्या है ?
उत्तर: उत्पादन की आगतों तथा
अंतिम उत्पाद के बीच तकनीकी फलनात्मक संबंध को उत्पादन फलन कहते हैं। उत्पादन फलन यह
बताता है कि एक निश्चित समय में आगतों में परिवर्तन से उत्पादन में कितना परिवर्तन
होता है। यह आगतों तथा उत्पादन के भौतिक मात्रात्मक संबंध को बताता है।
उत्पादन
फलन Q = f (L,K)
L= उत्पत्ति के साधन (श्रम)
K = उत्पत्ति के साधन (पूँजी)
Q= उत्पादन की भौतिक मात्रा
प्रश्न 3. माँग
की कीमत लोच की परिभाषा दें।
उत्तर: माँग की लोच की धारणा
यह बताती है कि कीमत में परिवर्तन के फलस्वरूप किसी वस्तु की माँग में किस गति या दर
से परिवर्तन होता है। यह वस्तु की कीमत में परिवर्तन के प्रति माँग की प्रतिक्रिया
या संवेदनशीलता को दर्शाती है।
माँग की कीमत लोच कीमत होने वाले आनुपातिक परिवर्तन तथा माँग में होने वाले आनुपातिक परिवर्तन का अनुपात है।
प्रश्न 4. पूरक
वस्तु और स्थानापन्न वस्तु में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर: पूरक वस्तु तथा स्थानापन्न
वस्तु में निम्नलिखित अंतर हैं-
पूरक वस्तु:
1. पूरक वस्तुएँ वे वस्तु हैं
जिनका प्रयोग किसी आवश्यकता विशेष को संतुष्ट करने के लिए एक साथ किया जाता है। कार
और पेट्रोल पूरक वस्तुएँ हैं।
2. पूरक वस्तुओं की स्थिति
में एक वस्तु की कीमत में वृद्धि होने से दूसरी वस्तु (पूरक वस्तु) की माँग कम हो जाती
है और एक वस्तु की कीमत में कमी होने से पूरक वस्तु की माँग बढ़ जाती है।
स्थानापन्न वस्तु:
1. स्थानापन्न वस्तुएँ वे वस्तुएँ
हैं जिनका एक दूसरे के स्थान पर प्रयोग किया जा सकता है। चाय और कॉफी स्थानापन्न वस्तुएँ
हैं।
2. स्थानापन्न वस्तुओं की स्थिति
एवं वस्तु की कीमत में वृद्धि होने पर दूसरी वस्तु (स्थानापन्न वस्तु) की माँग बढ़
जाती है। इसके विपरीत एक वस्तु कीमत में कमी से प्रतिस्थानापन्न .. वस्तु की माँग कम
हो जाती है।
प्रश्न 5. सरकारी
बजट के किन्हीं दो उद्देश्यों को समझाइए।
उत्तर:
a. बजट के माध्यम से सरकार
कीमतों में उतार-चढ़ाव को रोकने का प्रयास करती है। रोजगार के अधिक अवसर उत्पन्न करने
और कीमत स्थिरता के लिए प्रयत्न करने में बजट महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
b. सरकार सामाजिक सुरक्षा,
आर्थिक सहायता, सार्वजनिक निर्माण कार्यों पर व्यय करके अर्थव्यवस्था में धन और आय
के पुनर्वितरण की व्यवस्था करती है।
प्रश्न 6. सीमान्त
उपयोगिता और कुल उपयोगिता से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर: सीमान्त उपयोगिता- किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई
के उपभोग करने से कुल उपयोगिता में जो वृद्धि होती है उसे सीमान्त उपयोगिता कहते हैं।
दूसरे शब्दों में, हम कह सकते हैं कि किसी वस्तु की अन्तिम इकाई से प्राप्त होने वाली
उपयोगिता सीमान्त उपयोगिता कहलाती है।
कुल उपयोगिता- किसी निश्चित
समय में कुल इकाइयों के उपभोग से प्राप्त उपयोगिता कुल उपयोगिता होती है। कुल उपयोगिता
की गणना करने के लिए सीमान्त उपयोगिताओं को जोड़ा जाता है।
प्रश्न 7. घाटे
का बजट क्या है ?
उत्तर: घाटे का बजट उस बजट
को कहा जाता है जिसमें देश का अनुमानित आय अनुमानित व्यय से कम होता है।
प्रश्न 8. मुद्रा
के प्राथमिक कार्य समझाइए।
उत्तर: मुद्रा के मुख्य कार्य
निम्नलिखित है-
1. यह विनिमय का माध्यम है।
सभी वस्तुएँ और सेवाएँ मुद्रा के माध्यम से खरीदी और बेची जाती है।
2. यह सभी वस्तुओं और सेवाओं
का मूल्यांकन करता है।
3. इसके प्रयोग द्वारा मूल्य
संचय का कार्य सरल और सुविधा पूर्ण हो गया है।
4. यह क्रयशक्ति के हस्तांतरण
का सर्वोत्तम साधन है।
प्रश्न 9. ऐच्छिक
एवं अनैच्छिक बेरोजगारी में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: बेरोजगारी की वह दशा,
जब प्रचलित वेतन दर पर कार्य करने को व्यक्ति तैयार नहीं होते, ऐच्छिक बेरोजगारी कहलाती
है।
बेरोजगारी की वह दशा, जब प्रचलित
दर पर कार्य करने के लिए तैयार व्यक्तियों को कार्य नहीं मिलता, अनैच्छिक बेरोजगारी
कहलाती है।
प्रश्न 10. माँग
वक्र नीचे क्यों गिरता है ?
उत्तर: माँग वक्र का ढाल ऋणात्मक
होता है, अर्थात् यह वक्र बायें से दायें नीचे गिरता है। इसका अर्थ है कि कीमत कम होने
पर अधिक वस्तुएँ खरीदी जाती है और कीमत अधिक होने पर कम वस्तुएँ खरीदी जाती है। माँग
वक्र की ढलान ऋणात्मक होने के निम्नलिखित कारण हैं-
1. घटती सीमांत उपयोगिता का
नियम- उपभोक्ता वस्तु की सीमांत उपयोगिता को दिये गये मूल्य के बराबर करने के लिए कम
कीमत होने पर अधिक क्रय करता है। P= mu
2. प्रतिस्थापन्न प्रभाव- मूल्य
कम होने पर उपभोक्ता अपेक्षाकृत महँगी वस्तु के स्थान पर सस्ती वस्तु का प्रतिस्थापन्न
करता है।
3. आय प्रभाव- मूल्य में कमी
के फलस्वरूप उपभोक आय वृद्धि की स्थिति को महसूस करता है और क्रय बढ़ा देता है।
4. नये उपभोक्ताओं का उदय।
प्रश्न 11. भुगतान
शेष के संघटकों को बताइए।
उत्तर: भुगतान शेष के चार संघटक
हैं-
• व्यापार शेष = निर्यात –
आयात
• चालू खाते का शेष = व्यापार
शेष + निवल अदृश्य मदें
• पूँजी खाते का शेष या पूँजी
खाते का योग = विदेशी निवेश (निवल + विदेशी ऋण (निवल) + बैंकिंग (निवल) + रुपये ऋण
सेवा + अन्य पूँजी (निवल) + भूल-चूक
• समग्र शेष = चालू खाता –
शेष + पूँजी खाता – शेष
प्रश्न 12. स्फीतिक
अंतराल और अवस्फीतिक अंतराल में क्या अंतर है ?
उत्तर: वह स्थिति जिसमें अर्थव्यवस्था
में उत्पादन में वृद्धि नहीं होती केवल कीमतों में वृद्धि होती है तो उसे स्फीतिक अंतराल
कहा जाता है। इसके विपरीत अवस्फीतिक अंतराल वह स्थिति है जब कुल पूर्ति कुल मान से
अधिक होती है। इसमें उत्पादन और रोजगार घटने लगता है तथा जनता की क्रय शक्ति घट जाती
है।
प्रश्न 13. अल्पकालीन
औसत लागत ‘U’ आकार का क्यों होता है ?
उत्तर: अल्पकाल में परिवर्तनशील
अनुपात का नियम लागू होता है। आरंभ में बढ़ते प्रतिफल के कारण लागत घटती है, फिर स्थिर
प्रतिफल की दशा में लागत स्थिर रहती है तथा क्रम में घटते प्रतिफल मिलने पर लागत बढ़ती
है। इसी कारण उत्पादन का आकार बढ़ने पर पहले लागत घटती है फिर न्यूनतम होकर स्थिर होती
है और अंत में बढ़ती है। इसी क्रम के कारण औसत लागत वक्र U आकार का हो जाता है।
प्रश्न 14. पूर्ण
प्रतियोगिता में किसी फर्म के माँग वक्र की प्रकृति क्या होगी ?
अथवा, पूर्ण
प्रतियोगिता में कीमत रेखा की क्या प्रकृति होती है ?
उत्तर: पूर्ण प्रतियोगिता में
कीमत रेखा क्षैतिज अर्थात् X-अक्ष के समांतर होती है। पूर्ण प्रतियोगिता में उद्योग
कीमत का निर्धारण करता है। फर्म उस कीमत को स्वीकार करती है। दी हुई कीमत पर एक फर्म
एक वस्तु की जितनी भी मात्रा बेचना चाहती है, बेच सकती है। पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत
रेखा न केवल OX-अक्ष के समांतर होती है। अपितु औसत आगम तथा सीमांत आगम वक्र को भी ढकती
है। कीमत रेखा को पूर्ण प्रतियोगिता फर्म का माँग वक्र भी कहा जाता है।
प्रश्न 15. बाजार
कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP) और साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय
उत्पाद (NNPFC) में क्या अंतर है ?
उत्तर: बाजार कीमतों पर शद्ध
राष्ट्रीय उत्पाद- एक वित्तीय वर्ष में एक देश की घरेल सीमा में उत्पादित सभी अंतिम
वस्तुओं और सेवाओं का मौद्रिक मूल्य एवं विदेशों से अर्जित शुद्ध साधन आय के योग में
से स्थायी पूँजी का उपभोग घटाने पर प्राप्त बाजार कीमतों को शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद
कहते हैं।
साधन लागत पर शद्ध राष्टीय
उत्पाद- एक वित्तीय वर्ष में एक देश की घरेलु सीमा में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं
एवं सेवाओं के मौद्रिक मूल्य एवं विदेशों से अर्जित शुद्ध साधन आय के योग में शुद्ध
अप्रत्यक्ष कर घटाने पर प्राप्त साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद कहते हैं। अथवा
साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद + विदेशों से
अर्जित शुद्ध साधन आय – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर।
प्रश्न 16. फर्म
के अधिकतम लाभ की शर्ते क्या हैं ?
उत्तर: फर्म के अधिकतम लाभ
की शर्ते निम्नलिखित हैं-
• सीमांत आगम तथा सीमांत लागत
का संतुलन बिंदु पर आपस में बराबर होना चाहिए यानि MR = MC
• सीमांत लागत बक्र सीमांत’
आगम रेखा को संतुलन बिंदु पर नीचे काटे।
प्रश्न 17. व्यक्तिक
आय क्या है ?
उत्तर: व्यक्तिक आय उन समस्त
आयों का योग होती है, जो किसी दिये हुए वर्ष के भीतर व्यक्तियों और परिवारों को वास्तविक
रूप में प्राप्त होती है।
व्यक्तिक आय = राष्ट्रीय आय
– सामाजिक सुरक्षा अंशदान – निगम आय कर – अवितरित निगम लाभ + हस्तांतरण भुगतान।
इससे हमें किसी देश में व्यक्तियों
और परिवारों को सम्भाव्य क्रय शक्ति का आभास हो जाता है।
प्रश्न 18. सकल
राष्ट्रीय उत्पाद क्या है ?
उत्तर: किसी देश के अंतर्गत
एक वर्ष में जितनी वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है, उनके मौद्रिक मूल्य को कुल
राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है। इसे इस रूप में व्यक्त किया जाता है-
कुल राष्ट्रीय उत्पाद
(GNP) = कुल घरेलू उत्पाद (GDP) + देशवासियों द्वारा विदेशों में अर्जित आय – विदेशियों
द्वारा देश में अर्जित आय।
लेकिन कुल राष्ट्रीय उत्पाद
में से घिसावट का व्यय घटा देने पर जो शेष बचता है उसे शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद कहा
जाता है। इस प्रकार कुल राष्ट्रीय उत्पाद की धारणा एक विस्तृत धारणा है, जिसके अंतर्गत
शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद आ जाता है।
प्रश्न 19.
‘पूर्ति अनुसूची’ एवं ‘पूर्ति वक्र’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर: एक निश्चित अवधि में
बाजार में विभिन्न कीमतों पर किसी वस्तु की विभिन्न मात्राएँ बेची जाती हैं। इसे यदि
तालिका द्वारा दर्शाया जाता है तो उसे पूर्ति अनुसूची कहा जाता है।
परंतु जब विभिन्न कीमतों तथा
उनपर बेची जाने वाली वस्तु की मात्रा को जब रेखाचित्र द्वारा दर्शाया जाता है तो उसे
पूर्ति वक्र कहा जाता है।
प्रश्न 20. पूर्ण
प्रतियोगिता तथा एकाधिकार में किन्हीं दो अंतरों को लिखिए।
उत्तर:
• पूर्ण प्रतियोगिता में फर्मों
का प्रवेश तथा बहिर्गमन आसान होता है लेकिन एकाधिकार में फर्मों के प्रवेश पर प्रतिबंध
होता है।
• पूर्ण प्रतियोगिता में क्रेताओं
को बाजार का पूर्ण ज्ञान होता है लेकिन एकाधिकार में क्रेताओं को बाजार का पूर्ण ज्ञान
नहीं होता है।
प्रश्न 21. आय
का चक्रीय प्रवाह क्या है ?
उत्तर: अर्थव्यवस्था के अनेक
आर्थिक क्रियाकलाप होते हैं जिनमें उत्पादन, विनिमय और उपभोग मुख्य हैं। इन आर्थिक
क्रियाकलापों के दौरान अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के बीच आदान-प्रदान होते
रहता है जिसके कारण आय और व्यय चक्रीय रूप से एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र के बीच प्रवाहित
होते हैं। अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के बीच आय के चक्रीय रूप से प्रवाहित
होने को ही आय का चक्रीय प्रवाह कहा जाता है।
प्रश्न 22. व्यावसायिक
बैंक की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर: व्यावसायिक बैंक के
निम्नलिखित विशेषताएं हैं-
• व्यावसायिक बैंक लेन-देन
मुद्रा के रूप में करता है।
• यह जनता से जमा स्वीकार करता
है।
• लाभ अर्जन इसका उद्देश्य
है।
• साख निर्माण करने की योग्यता
इसमें होती है।
• इसकी प्रकृति पूर्ण रूप से
व्यावसायिक होती है।
• यह माँग जमा पैदा करती है
और ये जमाएँ विनिमय माध्यम के रूप में प्रयोग की जाती है।
प्रश्न 23. माँग
की लोच से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर: माँग की लोच की धारणा
हमें मूल्य तथा माँग के परिवर्तन के निश्चित सम्बन्ध को बताती है। मेयर्स के अनुसार,
“मूल्य में होने वाले किसी सापेक्षिक परिवर्तन से खरीदी जाने वाली मात्रा में जो सापेक्षिक
परिवर्तन होता है, उसका माप ही माँग की लोच है।” अतः माँग की लोच वह दर है जिस पर मूल्य
में परिवर्तन होने से माँग की मात्रा में परिवर्तन होता है।
प्रश्न 24. एकाधिकार
की परिभाषा दें।
उत्तर: एकाधिकार बाजार की वह
स्थिति है जिसमें किसी वस्तु का केवल एक ही विक्रेता होता है तथा उस वस्तु की कोई निकटतम
प्रतिस्थापन्न वस्तु नहीं होती। इसलिए एकाधिकारी फर्म का वस्तु के उत्पादन और बिक्री
पर पूरा नियंत्रण होता है तथा उसको किसी विक्रेता से प्रतियोगिता का सामना करना नहीं
पड़ता।
प्रश्न 25. बाजार
को परिभाषित करें।
उत्तर: अर्थशास्त्री बाजार
का अर्थ किसी स्थान विशेष नहीं लगाते जहाँ वस्तुएँ खरीदी तथा बेची जाती हैं, बल्कि
बाजार शब्द से उन सारे क्षेत्रों का बोध होता है, जिसमें क्रेता और विक्रेता का इस
प्रकार का प्रतियोगितापूर्ण तथा स्वतंत्र सम्बन्ध होता है कि इस क्षेत्र में किसी वस्तु
के मूल्य का ‘आसानी तथा शीघ्रता से समान होने की प्रवृत्ति पायी जाती है।
प्रश्न 26. एकाधिकारिक
प्रतियोगिता की परिभाषा दें।
उत्तर: एकाधिकारिक प्रतियोगिता
वह बाजार स्थिति है जिसमें वस्तु विशेष के अनेक विक्रेता होते हैं लेकिन प्रत्येक विक्रेता
की वस्तु किसी भी अन्य विक्रेता की वस्तु से उपभोक्ता की दृष्टि में किसी-न-किसी प्रकार
से भिन्न होती है।
प्रश्न 27. आर्थिक
क्रिया से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर: आर्थिक क्रिया वह क्रिया
है जिसका सम्बन्ध आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए सीमित साधनों के उपयोग से है। सभी
आर्थिक क्रियाएँ अनिवार्य रूप से आय का सृजन नहीं करती हैं।
प्रश्न 28. क्या
उपयोगिता मापनीय है ?
उत्तर: हाँ, उपयोगिता मापनीय
है। इसका मापन उपभोग की संतुष्टि है। उदाहरणार्थ, एक प्यासे व्यक्ति को पहले ग्लास
पानी की उपयोगिता अन्तिम ग्लास पानी की तुलना में अधिक होती है।
प्रश्न 29. घटिया
वस्तु के उदाहरण के साथ परिभाषित करें।
उत्तर: घटिया वस्तुएँ वे हैं
जिनकी माँग आय बढ़ने के साथ घट जाती है और आय घटने के साथ माँग बढ़ जाती है। घटिया
वस्तुओं का आय प्रभाव ऋणात्मक होता है। मोटा अनाज, मोटा कपड़ा आदि घटिया वस्तुओं के
उदाहरण हैं।
प्रश्न 30. आय
प्रभाव क्या है ?
उत्तर: मौद्रिक आय समान रहने
पर वस्तु की कीमत में परिवर्तन होने से वास्तविक आय विपरीत दिशा में घटती या बढ़ती
है। उदाहरण के लिए, कीमत में कमी से दी गई आय से अधिक मात्रा में वस्तु प्राप्त होती
है। इसके विपरीत कीमत में वृद्धि से दी गई आय से कम मात्रा में वस्तु प्राप्त होती
है। वास्तविक आय में इस परिवर्तन को आय प्रभाव कहते हैं।
प्रश्न 31. प्रतिस्थापन
प्रभाव किसे कहते हैं ?
उत्तर: वस्तु की कीमत में परिवर्तन
से इसके प्रतिस्थापन्न वस्तुओं के मुकाबले सस्ते या महँगे होने के कारण जो इसकी माँग
में परिवर्तन आते हैं उसे प्रतिस्थापन प्रभाव कहते हैं।
प्रश्न 32. समउत्पाद
वक्र को समझावें।
उत्तर: परिवर्तन साधन की एक
अतिरिक्त इकाई उत्पादन के एक स्थिर साधन पर लगाने से कुल उत्पादन में जो वृद्धि होती
है उसे सम उत्पाद कहा जाता है। सम उत्पाद वक्र धनात्मक होता है जो उत्पादन में वृद्धि
को दर्शाता है।
प्रश्न 33. सीमान्त
उपभोग प्रवृत्ति क्या है ?
उत्तर: सीमान्त उपभोग की अवधारणा
से यह ज्ञात होता है कि लोग अपनी बढ़ी हुई आय का कितना भाग उपभोग पर व्यय करते हैं।
यह कुल उपभोग में परिवर्तन तथा कुल आय में परिवर्तन का अनुपात है। इसे निम्न सूत्र
से ज्ञात किया जा सकता है-
`\frac{\Delta C}{\Delta Y}`
जहां ΔC = उपभोग में परिवर्तन
,∆Y = आय में परिवर्तन
प्रश्न 34. सरकारी बजट के महत्व की विवेचना
करें।
उत्तर: सरकारी
बजट का महत्त्व निम्नलिखित बातों से स्पष्ट होता है-
• आर्थिक विकास की गति को करना
सरकार का महत्वपूर्ण कार्य है। इसके लिए अतिरिक्त साधनों की आवश्यकता होती है। अतिरिक्त
संसाधनों की व्यवस्था बजट के माध्यम से की जाती है।
• सरकार को प्रशासन चलाने हेत
अनेक प्रकार की सामाजिक, आर्थिक तथा सामान्य सेवाओं की व्यवस्था करनी पड़ती है। इस
पर भारी मात्रा में व्यय होता है, जिसकी व्यवस्था बजट द्वारा की जाती है।
• आर्थिक पुनरुत्थान हेतु सरकार
को अनेक राजकोषीय उपाय करने पड़ते हैं। जैसे-नये कर लगाना, सार्वजनिक एवं निजी निवेश
बढ़ाना आदि। यह कार्य बजट में व्यवस्था कर की जाती है।
• स्फीतिक एवं अवस्फीतिक दबाव
से निपटने के लिए बजटीय उपायों का सहारा लेना पड़ता है।
• यह धन और आय के वितरण में
विषमता को कम करता है ताकि सामाजिक न्याय को बढ़ावा मिल सके।
प्रश्न 35. उपभोक्ता की बचत से आप क्या समझते
हैं ?
उत्तर: उपभोक्ता
की बचत की धारणा का श्रेय प्रो. ड्यूपिट को दिया गया है। परन्तु इसका वैज्ञानिक वर्णन
प्रो० मार्शल ने किया है। इनके अनुसार, “देने को तैयार मूल्य में से वास्तव में दिये
गये मूल्य को घटा देने पर जो शेष बचता है, वही उपभोक्ता की बचत कही जाती है।”
प्रश्न 36. उपभोक्ता की बचत की मान्यताओं
का उल्लेख करें।
उत्तर: उपभोक्ता
की बचत निम्न मान्यताओं पर आधारित है-
• उपयोगिता मापनीय है।
• वस्तु विशेष का स्वतंत्र
महत्व होता है।
• मुद्रा की सीमान्त उपयोगिता
स्थिर रहती है।
• पूर्ण प्रतियोगिता एवं उपयोगिता
ह्रास नियम का लागू होना।
• स्थानापन्न वस्तुओं का अभाव
पाया जाना।
प्रश्न 37. व्यष्टि अर्थशास्त्र की अवधारणा
को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर: व्यष्टि
अर्थशास्त्र का संबंध विशिष्ट या व्यक्तिगत आर्थिक चरों से है। दूसरे शब्दों में अर्थशास्त्र
की इस शाखा से विशिष्ट आर्थिक इकाइयों या व्यक्तिगत आर्थिक इकाइयों के व्यवहार का अध्ययन
किया जाता है।
अर्थशास्त्र की व्यष्टि शाखा
में उपभोक्ता सन्तुलन, उत्पादक सन्तुलन, साम्य कीमत निर्धारण, एक वस्तु की माँग, एक
वस्तु की पूर्ति आदि विषयों का अध्ययन किया जाता है।
आर्थिक महामंदी से पूर्व अर्थशास्त्र
के रूप में केवल व्यष्टि अर्थशास्त्र का ही अध्ययन किया जाता था। व्यष्टि अर्थशास्त्र
को कीमत-सिद्धान्त के नाम से भी जाना जाता है।
प्रश्न 38. व्यष्टि अर्थव्यवस्था की तीन विशेषताएँ
बतलाइए।
उत्तर: व्यष्टि
अर्थशास्त्र की तीन विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
• व्यष्टि अर्थशास्त्र में
व्यक्तिगत स्तर पर आर्थिक समस्या का अध्ययन किया जाता है।
• व्यष्टि अर्थशास्त्र में
आर्थिक समस्याओं के निदान में कीमत संयंत्र अर्थात् माँग एवं पूर्ति बलों की क्रिया
निर्णायक होती हैं।
• व्यष्टि अर्थशास्त्र में
व्यक्ति एवं व्यक्ति के व्यवहार का अध्ययन होता है।
प्रश्न 39. व्यष्टि अर्थशास्त्र तथा समष्टि
अर्थशास्त्र की परस्पर निर्भरता स्पष्ट करें।
उत्तर: व्यष्टि
एवं समष्टि अर्थशास्त्र की दो अलग-अलग शाखाएँ हैं। ये दोनों शाखाएँ परस्पर निर्भर हैं।
उदाहरण के लिए एक वस्तु की कीमत निर्धारण व्यष्टि विश्लेषण के आधार पर किया जाता है
और सामान्य कीमत का निर्धारण समष्टि विश्लेषण के द्वारा होता है। उद्योग में मजदूरी
दर निर्धारण व्यष्टि अर्थशास्त्र का मुद्रा है। सामान्य मजदूरी दर का निर्धारण समष्टि
अर्थशास्त्र का विषय है। इस प्रकार से कहा जा सकता है कि व्यष्टि एवं समष्टि अर्थशास्त्र
एक-दूसरे पर निर्भर शाखाएँ हैं।
प्रश्न 40. व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र
में अंतर स्पष्ट करें। अथवा, सूक्ष्म एवं वृहत अर्थशास्त्र में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर: व्यष्टि
तथा समष्टि अर्थशास्त्र में निम्नलिखित अंतर हैं-
व्यष्टि अर्थशास्त्र:
• व्यष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत
व्यक्तिगत इकाइयों का अध्ययन किया जाता है।
• इसका विश्लेषण अपेक्षाकृत
सरल होता है।
• इसका संबंध मूलत: कीमत विश्लेषण
से है।
• इसके नियम मूलतः सीमान्त
विश्लेषण पर आधारित होते हैं।
समष्टि अर्थशास्त्र:
• समष्टि अर्थशास्त्र के अंतर्गत
सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था का समग्र रूप से अध्ययन किया जाता है।
• इसका विश्लेषण बहुत ही कठिन
होता है।
• इसका संबंध आय विश्लेषण से
होता है।
• इसके नियम किसी एक पर आधारित
न होकर अनेकों पर आधारित हैं।
प्रश्न 41. समष्टि अर्थशास्त्र से आप क्या
समझते हैं ? समष्टि अर्थशास्त्र के क्षेत्र का वर्णन करें। अथवा, समष्टि अर्थशास्त्र
की अवधारणा संक्षेप में स्पष्ट करें।
उत्तर: समष्टि
अर्थशास्त्र का संबंध सामूहिक या समराष्ट्रीय आर्थिक चरों से है। दूसरे शब्दों में
अर्थशास्त्र की इस शाखा में सामूहिक या समष्टि आर्थिक चरों का अध्ययन किया जाता है।
अर्थशास्त्र की समष्टि शाखा
में आय एवं रोजगार निर्धारण, पूँजी निर्माण, सार्वजनिक व्यय, सरकारी व्यय, सरकारी बजट,
विदेशी व्यापार आदि विषयों का अध्ययन किया जाता है। अर्थशास्त्र की इस शाखा का उदय
आर्थिक महामंदी के बाद हुआ है। इस शाखा को आय एवं रोजगार सिद्धान्त के रूप में भी जाना
जाता है।
प्रश्न 42. एक अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय
समस्यायें क्या हैं ?
> अथवा, एक
अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याओं के नाम लिखें। ये समस्याएँ क्यों उत्पन्न होती
हैं ?
उत्तर: एक
अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ (Central problems of an
economy)-
• क्या उत्पन्न किया जाए ?
• कैसे उत्पन्न किया जाए और
• किसके लिये उत्पन्न किया
जाए।
केन्द्रीय समस्याओं के उत्पन्न
होने के कारण (Causes of arising of economic problems)-
• मनुष्य की आवश्यकताओं का
असीमित होना।
• असीमित आवश्यकताओं की पूर्ति
के लिये सीमित साधनों का होना।
• सीमित साधनों के वैकल्पिक प्रयोग होना।
The End