12th Hindi Elective Model Questions Set-1 2023

12th Hindi Elective Model Questions Set-1 2023

झारखण्ड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद राँची (झारखण्ड)

परीक्षा (2022-2023)

प्रतिदर्श प्रश्न पत्र                                     सेट- 01

कक्षा-12

विषय- हिंदी (इलेक्टिव)

समय- 3 घंटा 15 मिनट

पूर्णांक- 80

सामान्य निर्देश:

» 1. यह प्रश्न-पत्र दो खण्डों में है-खण्ड-अ एवं खण्ड-

» 2. खण्ड-अ में कुल 40 बहुविकल्पीय प्रश्न है। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। प्रत्येक प्रश्न की अधिमानता 1 अंक की है। प्रत्येक प्रश्न में चार विकल्प दिए गये हैं। इनमें से सबसे उपयुक्त उत्तर को आप अपने OMR उत्तर पत्रक पर ठीक-ठीक गहरा काला करें। नीला या काला बॉल-प्वाइंट कलम का ही प्रयोग करें। पेंसिल का प्रयोग वर्जित है। आप अपना पूरा हस्ताक्षर OMR उत्तर पत्रक में दी गयी जगह पर करें।

» 3. खण्ड-ब में तीन खण्ड- क, ख एवं ग हैं और कुल प्रश्नों की संख्या 8 है।

» 4. OMR उत्तर पत्रक के पृष्ठ 2 पर प्रदत्त सभी निर्देशों को ध्यानपूर्वक पढ़ें तथा उसके अनुसार कार्य करें। कृपया परीक्षा भवन छोड़ने से पहले OMR उत्तर पत्रक वीक्षक को लौटा दीजिए। प्रश्नपुस्तिका आप अपने साथ ले जा सकते हैं।

खण्ड-अ (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)

खण्ड-क (अपठित वोध)

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्न-संख्या 1 से 5 के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए।

जल और मानव-जीवन का सम्बन्ध अत्यन्त घनिष्ठ है। वास्तव में जल ही जीवन है। विश्व की प्रमुख संस्कृतियों का जन्म बड़ी-बड़ी नदियों के किनारे ही हुआ है। बचपन से ही हम जल की उपयोगिता, शीतलता और निर्मलता कारण उसकी ओर आकर्षित होते रहे हैं। किन्तु नल के नीचे नहाने और जलाशय में डुबकी लगाने में जमीन-आसमान का अन्तर है। हम जलाशयों को देखते ही मचल उठाते हैं, उनमें तैरने के लिए। आज सर्वत्र सहस्रों व्यक्ति प्रतिदिन सागरों, नदियों और झीलों में तैरकर मनोविनोद करते हैं और साथ ही अपना शरीर भी स्वस्थ रखते हैं। स्वच्छ और शीतल जल में तैरना तन को स्फूर्ति ही नहीं, मन को शान्ति भी प्रदान करता है। तैरने के लिए आदिम मनुष्य को निश्चय ही प्रयत्न और परिश्रम करना पड़ा होगा, क्योंकि उसमें अन्य प्राणियों की भाँति तैरने की जन्म-जात क्षमता नहीं है। जल में मछली आदि जलजीवों को स्वच्छंद विचरण करते देख मनुष्य ने उसी प्रकार तैरना सीखने का प्रयत्न किया और धीरे-धीरे उसने इस कार्य में इतनी निपुणता प्राप्त कर ली कि आज तैराकी एक कला के रूप में गिनी जाने लगी। विश्व में जो भी खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं, उनमें तैराकी प्रतियोगिता अनिवार्य रूप से सम्मिलित की जाती है।

1. तैराकी के द्वारा कौन-से लाभ प्राप्त होते हैं?

(1) शारीरिक स्फूर्ति व मानसिक शान्ति

(2) शीतलता और निर्मलता

(3) शीतल जल के सान्निध्य का सुख

(4) मछलियों-सा अनुभव

2. आदिमानव को तैराकी की प्रेरणा कहाँ से मिली?

(1) नभचरों से

(2) निशाचरों से

(3) जलचरों से

(4) थलचरों से

3. मनुष्य के लिए तैराकी है

(1) जन्मजात क्षमता

(2) भाग्य से प्राप्त क्षमता

(3) अनायास प्राप्त हुई क्षमता

(4) निरन्तर अभ्यास से प्राप्त क्षमता।

4. 'अत्यन्त' में उपसर्ग व मूलशब्द का उचित रूप है

(1) अत् + अन्त

(2) अति + अन्त

(3) अत्य + अंत

(4) अत्यं + त

निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्न संख्या 5 से 8 के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए।

ऋषि-मुनियों; साधु-सन्तों को

नमन, उन्हें मेरा अभिनन्दन।

जिनके तप से पूत हुई है।

भरत देश की स्वर्णिम माटी

जिनके श्रम से चली आ रही

युग-युग से अविरल परिपाटी ।

जिनके संयम से शोभित है

जन-जन के माथे पर चंदन।

कठिन आत्म मंथन के हित

जो असि-धारा पर चलते हैं।

पर प्रकाश हित पिपल-पिवल कर

मोम-दीप-सा जलते हैं।

जिनके उपदेशों को सुनकर

संवर जाए जन-जन का जीवन

सत्य-अहिंसा जिनके भूषण

करुणामय है जिनकी वाणी

जिनके चरणों से है पाचनः ।

भारत की यह अमिट कहानी ।

उनसे ही आशीष, शुभेच्छा,

पाने को करता पद-वंदन।

5. ऋषि-मुनि व साधु-सन्त नमन करने योग्य हैं, क्योंकि

(1) तप, श्रम एवं संयम का आदर्श प्रस्तुत किया है।

(2) जंगल में रहकर तपस्या करते हैं।

(3) उन्होंने धन संचय नहीं किया है

(4) वे पूज्य होते हैं।

6. "असि धारा पर चलते हैं" से क्या आशय है

(1) तलवार की धार पर चलते हैं

(2) लोकहित में कष्ट झेलते हैं

(3) कष्टों को बुलाते हैं

(4) तलवार से कष्टों को हटाते हैं।

7. दीपक के समान जलकर वह

(1) जन-जीवन को सँवारते हैं

(2) अन्धकार हटाकर उजाला करते हैं

(3) गरीबों का कष्ट दूर करते हैं

(4) इनमें से कोई नहीं

8. 'निरन्तर' शब्द का समानार्थक पद्यांश से चुनिए

(1) लगातार

(2) चलते हैं

(3) अविरल

(4) चली आ रही

खण्ड ख (अभिव्यक्ति और माध्यम)

9. भारत में इंटरनेट का दूसरा दौर कब शुरू हुआ?

(1) 1983

(2) 1993

(3) 2003

(4) 2013

10. किसी समाचार संगठन में काम करने वाला नियमित वेतनभोगी कर्मचारी क्या कहलाता है ?

(1) पूर्णकालिक पत्रकार

(2) अंशकालिक पत्रकार

(3) फ्रीलांसर पत्रकार

(4) वेतनभोगी पत्रकार

11. नाटक का सबसे जरूरी और सशक्त माध्यम है ?

(1) मधुर आवाज

(2) भाषा

(3) परदा

(4) संवाद

12. भारत का पहला छापाखाना कहाँ स्थापित हुआ?

(1) दिल्ली

(2) सूरत

(3) गोवा

(4) अहमदाबाद

13. छापेखाने का आविष्कार किसने किया था ?

(1) लुईस हैमिल्टन

(2) जॉन गुटेनबर्ग

(3) जेम्स चैडविक

(4) मेंडलीव

14. भारत में इन्टरनेट पत्रकारिता का प्रारंभ कब हुआ ?

(1) 1987

(2) 1980

(3) 1994

(4) 1993

15. इंटरव्यू के लिए हिन्दी शब्द क्या है ?

(1) साक्षात्कार

(2) बहीजाल

(3) अंतरमुख

(4) केंद्रीकरण

16. ऑल इण्डिया रेडियो की स्थापना कब हुई ?

(1) 1930

(2) 1936

(3) 1947

(4) 1951

17. समाचार लेखन में किस शैली का प्रयोग होता है?

(1) उल्टा पिरामिड शैली

(2) सीधा पिरामिड

(3) टेढ़ा पिरामिड

(4) पिरामिड

खण्ड-ग (पाठ्य-पुस्तक)

18. देवसेना के जीवनरूपी यात्रा के अंतिम समय में उसके साथ कौन था ?

(1) बंधुवर्मा

(2) नीरवता

(3) स्कंदगुप्त

(4) प्रणय

19. जीवन-संध्या में देवसेना की आँखों में कौन-से भाव दिखाई पड़ते हैं ?

(1) पीड़ा

(2) संतुष्टि

(3) प्रेम

(4) भ्रम

20. कवि किसलिए गीत गाना चाहता है?

(1) धन कमाने के लिए

(2) वेदना को भुलाने के लिए

(3) प्रिया को मनाने के लिए

(4) प्रसन्नता अभिव्यक्त करने के लिए

21. 'होश छूटने' से क्या अभिप्राय है ?

(1) बेहोश होना

(2) पसीने छूटना

(3) हार जाना

(4) चेतना जागृत होना

22. 'दीप' किससे युक्त है ?

(1) स्नेह से

(2) घृणा से

(3) क्रोध से

(4) प्रकाश से

23. समान में व्यक्ति का अकेला होना कैसा है?

(1) वह अपनी शक्ति का समुचित उपयोग नहीं कर पाता

(2) वह समाज के लिए अनुपयोगी है।

(3) (1) और (2) दोनों

(4) वह समाज को सही दिशा दिखा सकता है

24. 'बनारस' शहर में वसंत किस तरह आता है ?

(1) धीरे-धीरे

(2) तीव्रता से

(3) अचानक

(4) झूमते हुए

25. कवि ने भीख माँगने वाले व्यक्ति को क्या माना है ?

(1) कंगाल

(2) अपंग

(3) कामचोर

(4) ईमानदार

26. प्रातः काल छः बजे कौन गर्म पानी से नहाया हुआ प्रतीत हो रहा था

(1) हवा

(2) कवि

(3) सड़क

(4) पेड़-पौधे

27. कवि को वसंत के आने की सूचना कैसे मिली?

(1) चिड़िया के कूकने से

(2) गुनगुनी हवा से

(3) पेड़ों से गिरे पीले पत्तों की आवाज से

(4) उपरोक्त सभी

28. भरत के अनुसार, राम की कृपा व स्नेह विशेष किस पर रहा है?

(1) लक्ष्मण पर

(2) कौशल्या माँ पर

(3) स्वयं भरत पर

(4) बचपन के खेलों पर

29. नागमती के शरीर को हिंसक दृष्टि से कौन देख रहा है?

(1) रत्नसेन का शत्रु

(2) विरह रूपी बाज

(3) सारस का जोड़ा

(4) सखियाँ

30. पूस मास में नायिका को अपना बिस्तर कैसा प्रतीत हो रहा है?

(1) अत्यंत गरम

(2) हिम से ढका हुआ

(3) कोमल

(4) बर्फ के समान कठोर

31. अपने किस कृत्य को राधा अपयश का भागी बनना मानती है ?

(1) गोकुल जाकर बसना

(2) कृष्ण की यादों में रहना

(3) किसी से वार्तालाप न करना

(4) मथुरा जाकर कृष्ण से मिलना

32. राधा का मन अपने साथ कौन ले गया है ?

(1) गोपियाँ

(2) उद्धव

(3) कृष्ण

(4) कवि

33. देवी सरस्वती की उदारता का गुणगान क्यों नहीं किया जा सकता ?

(1) नवीनता के संचार के कारण

(2) क्लिष्टता के समावेश के कारण

(3) उत्कृष्ट कवि दृष्टि न होने के कारण

(4) शब्दावली का चयन न कर पीने के कारण

34. शुक्ल जी के पिताजी का स्थानान्तरण कहाँ हो गया था ?

(1) मीरपुर में

(2) रायपुर में

(3) जयपुर में

(4) मिर्जापुर में

35. लेखक ने बालक के लड्डु की माँग को, किसी उपमा दी है?

(1) जीवित वृक्षों के पत्तों की मधुर आवाज

(2) अलमारी की खड़खड़ाहट

(3) मिठाई के व्यंजनों

(4) लड्डू की मिठास

36. चतुर्भुख शिव कहाँ से अंतर्ध्यान हो गए थे?

(1) काशी से

(2) मंदिर से

(3) पसोवा से

(4) मैसूर से

37. हरगोविन ने वातावरण को सूँघकर क्या अंदाजा लगाया ?

(1) बड़ी बहू की रईसी का

(2) हवेली में लड़ाई झगड़े का

(3) हवेली के सुनसान होने का

(4) गुप्त समाचार होने का

38. कुटिया में रहने वाला व्यक्ति किस बीमारी से पीड़ित था ?

(1) कैंसर

(2) दिल की बीमारी

(3) सुगर

(4) टी० बी०

39. 'शेर' किसका प्रतीक है?

(1) राजा का

(2) हिंसक व्यवहार का

(3) सामान्य जनका का

(4) व्यवस्था का

40. अमझर गाँव के वातावरण में लेखक को क्या दिखाई दिया ?

(1) स्वच्छता

(2) पवित्रता

(3) खुलापन

(4) ये सभी

खण्ड-ब (विषयनिष्ठ प्रश्न)

खण्ड-क (अपठित वोध)

1. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए। 2+2+2=6

उत्साह की गिनती अच्छे गुणों में होती है। परन्तु जब तक आनन्द का लगाव किसी क्रिया, व्यापार या उसकी भावना के साथ नहीं दिखाई पड़ता तब तक उसे 'उत्साह' की संज्ञा प्राप्त नहीं होती। यदि किसी प्रिय मित्र के आने का समाचार प्राप्त कर हम चुपचाप ज्यों-के-त्यों आनन्दित होकर बैठे रह जायें या थोड़ा हँस भी दें तो यह हमारा उत्साह नहीं कहा जायेगा। हमारा उत्साह तभी कहा जायेगा जब हम अपने मित्र का आगमन सुनते ही आते-जाते दिखाई देंगे। प्रयत्न और कर्म संकल्प उत्साह नामक आनन्द के नित्य लक्षण हैं। प्रत्येक कर्म में थोड़ा या बहुत बुद्धि का योग भी रहता है। कुछ कर्मों में तो बुद्धि की तत्परता और शरीर की तत्परता दोनों बराबर साथ-साथ चलती हैं। उत्साह की उमंग जिस प्रकार हाथ-पैर चलवाती है उसी प्रकार बुद्धि से भी काम कराती है।

(क) उत्साह की संज्ञा किसे नहीं दी जाती है?

उत्तर- जब तक आनन्द का लगाव किसी व्यापार, क्रिया या उसकी भावना के साथ नहीं दिखाई पड़ता है, तब तक उसे 'उत्साह' की संज्ञा नहीं दी जाती है।

(ख) उत्साह नामक आनन्द के नित्य लक्षण क्या है?

उत्तर- प्रयत्न और कर्म संकल्प उत्साह नामक आनन्द के नित्य लक्षण है।

(ग) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।

उत्तर- शीर्षक- उत्साह का स्वरूप।

अथवा,

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

जग में सचर-अचर जितने हैं, सारे कर्म निरत हैं।

धुन है एक-न-एक संभी को, सबके निश्चित व्रत हैं।

जीवन-भर आतप सह वसुधा पर छाया करता है।

तुच्छ पत्र की भी स्वकर्म में कैसी तत्परता है।

सिंधु-विहंग तरंगपंख को फड़काकर प्रतिक्षण में।

है निमग्न नित भूमि-अंड के सेवन में, रक्षण में।

कोमल मलय पवन घर-घर में सुरभि बॉट आता है।

शस्य सींचने घन जीवन धारण कर नित जाता है।

रवि जग में शोभा सरसाता, सोम सुधा बरसाता ।

सब हैं लगे कर्म में, कोई निष्क्रिय दृष्टि न आता।

(क) 'तुच्छ पत्र की स्वकर्म में तत्परता से कवि का क्या आशय है?

उत्तर- तुच्छ पत्ता भी धरती पर सदा छाया करता रहता है। वह स्वयं धूप-गर्मी सहकर भी अपने कर्तव्य पालन में तत्पर रहता है।

(ख) सूर्य सदैव कौन-से कर्म में सक्रिय रहता है ?

उत्तर- सूर्य सदैव प्रातःकाल उदय होकर संसार में प्रकाश एवं ऊष्मा फैलाकर सबके जीवन की रक्षा करता है।

(ग) 'सब हैं लगे कर्म में इससे कवि ने क्या सन्देश दिया है?

उत्तर- इससे कवि ने यह सन्देश दिया है कि प्रकृति हमेशा अपने कर्तव्य पालन में तत्पर रहती है उसी प्रकार मनुष्य को भी अपने कर्त्तव्य-पालन में सदैव तत्पर रहना चाहिए।

खण्ड-ख

(अभिव्यक्ति और माध्यम एवं रचनात्मक लेखन)

2. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 5 + 5 = 10

(क) 'झारखंड के पर्यटन' अथवा 'झारखंड की संस्कृति' पर निबंध लिखिए।

उत्तर-

झारखंड के पर्यटन

झारखंड क्षेत्र पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए भारत के किसी भी अन्य पर्यटन स्थलों की तुलना में कम नहीं है। यहाँ एक साथ जैविक उद्यान, झील, झरने, पर्वत-पहाड़, जंगल आदि विभिन्न प्रकार के दर्शनीय स्थल मौजूद हैं। इनमें महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल, मंदिर, पिकनिक स्थल, दर्शनीय प्राकृतिक स्थल है जो मनोरम छटाओं के साथ विद्यमान है। झारखंड के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल का यहाँ वर्णन किया जा रहा है।

हुंडरू जलप्रपात — राँची शहर से लगभग 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह जलप्रपात पर्यटकों के लिए अब भी आकर्षण का सबसे बड़ा केंद्र है। जंगलों के बीच स्वर्णरेखा नदी पर स्थित इस जलप्रपात के पास ही सिकिदरी परियोजना है।

जॉन्हा जलप्रपात — हुंडरू के जैसी ही इस जलप्रपात की भी लोकप्रियता है। यह सिल्ली-मुरी मार्ग पर स्थित है।

दशम जलप्रपात - यह राँची शहर से 40 किलोमीटर की दूरी पर राँची-टाटा मार्ग पर स्थित है।

पंचघाघ - खूँटी करीब 14 किलोमीटर आगे किंतु हिरणी प्रपात से पहले स्थित है। इसका सरकार के द्वारा सुंदरीकरण किया गया है।

बिरसा जैविक उद्यान- राँची-रामगढ़ मार्ग पर राँची शहर से 18 किलोमीटर की दूरी पर ओरमांझी के निकट यह उद्यान स्थित है।

टैगोर हिल - मोरहाबादी पहाड़ी को इसी नाम से जाना जाता है। मोरहाबादी मैदान के उत्तर में स्थित यह पहाड़ी कविगुरु रवींद्रनाथ ठाकुर के परिवार से जुड़ा हुआ है। इसलिए इसका नाम टैगोर हिल पड़ा है।

गोंदा पहाड़ी — काँके मार्ग पर यह पहाड़ी एक जलागार के रूप में काम आती है। यहाँ इन दिनों रॉक गार्डेन बनाया गया है, जो आज की तारीख में राँची शहर का सबसे चर्चित और भीड़-भाड़ वाला पर्यटन स्थल है।

राँची झील - यह शहर का सबसे बड़ा जलागार है। इसे 1942 में कर्नल औस्ले ने बनवाया था। बीच-बीच में इसके सुंदरीकरण के कई प्रयास हुए। पर्यटकों के लिए यहाँ नौका विहार की भी व्यवस्था की गई है।

पतरातू घाटी- राँची शहर से 42 किलोमीटर की दूरी पर यह घाटी स्थित है। अपने टेढ़े-मेढ़े सड़क मार्ग के कारण यह घाटी काफी प्रसिद्ध है। आजकल पर्यटन स्थल के रूप में यह घाटी काफी लोकप्रिय है। इस घाटी के नीचे पतरातू डैम भी है।

क्रोकोडाइल पार्क — राँची से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर ओरमांझी है। यह मुख्य रूप से मगरमच्छ प्रजनन केंद्र के लिए प्रसिद्ध है।

पहाड़ी मंदिर - राँची शहर के पश्चिमी भाग में स्थित इस पहाड़ी पर भगवान शिव का मंदिर है। सावन के महीने में यहाँ श्रद्धालु जल चढ़ाते आते हैं।

देवड़ी मंदिर - यह राँची-टाटा मार्ग पर करीब 56 किलोमीटर की दूरी पर तमाड़ के निकट स्थित है, जो एक बहुत ही प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर के बारे में कई किंवदंतियाँ भी है किंतु अधिकतर लोग इसे अष्टभुजी माँ दुर्गा का मंदिर बताते हैं।

जगन्नाथपुर मंदिर - इस क्षेत्र में जगन्नाथ जी का यह एकमात्र मंदिर है। जिसकी स्थापना 1619 ई० में स्वामी जगन्नाथ मंदिर पुरी की शैली में की गई है। आषाढ़ महीने में यहाँ पुरी की तरह रथ का निर्माण कर रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है।

सूर्य मंदिर - राँची से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर राँची-टाटा मार्ग पर बुंडू के निकट यह मंदिर स्थित है। यह मंदिर सूर्य के रथ की आकृति में बनाया गया है।

रजरप्पा मंदिर - यह राँची-बोकारो मार्ग पर राँची से 68 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। राँची-बोकारो मार्ग पर गोला नामक स्थान से 10 किलोमीटर और चितरपुर नामक स्थान से 8 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर में अवस्थित है। यहाँ माँ छिन्नमस्तिका का प्रसिद्ध मंदिर है। शादी-विवाह एवं मुण्डन जैसे कार्यक्रम यहाँ आयोजित होते रहते है। इस स्थान की प्रसिद्धि शक्तिपीठ के रूप में है।

वैद्यनाथ धाम (वावा धाम) झारखंड का यह एक अंतरराष्ट्रीय सुपरिचित और ख्याति प्राप्त धार्मिक स्थल है। यहाँ भगवान शिव जी का मंदिर स्थित है। सावन के महीने में विभिन्न क्षेत्रों से लोग पूजा के लिए यहाँ आते है। इसके अलावा यहाँ नंदन पहाड़, ठाकुर अनुकूल चंद्र का आश्रम सत्संग नगर, रामकृष्ण मिशन स्कूल, बासुकीनाथ जैसे अन्य पर्यटन स्थल मौजूद है।

भद्रकाली मंदिर - यह मंदिर चतरा जिले के इटखोरी गाँव में स्थित है। इस मंदिर में माँ काली की एक विशाल मूर्ति है।

बिरसा मृग बिहार-राँची-खूंटी मार्ग पर हटिया से आगे यह मृग विहार खासतौर पर हिरणों की आश्रय स्थली है। यहाँ आने वालों के लिए पैदल पूरा क्षेत्र टहलने की व्यवस्था है।

अथवा,

झारखंड की संस्कृति

झारखंड अपने सांस्कृतिक सांस्कृतिक करतबों के लिए प्रसिद्ध है। झारखंड एक नवगठित राज्य है, जिसे बिहार से अलग किया गया है। इस प्रकार, पश्चिम बंगाल और बिहार से विभिन्न लोगों का स्थानांतरण देखा गया, उनके व्यक्तिगत सांस्कृतिक लक्षण बरकरार रहे। इस प्रकार आदिवासी संस्कृति का यह समूह झाड़खंड की संस्कृति को समृद्ध करता है। संगीत, त्यौहार, हस्तशिल्प, नृत्य और अन्य मुख्य सांस्कृतिक तत्व भोजन और झारखंडियों की जीवन शैली उपरोक्त उद्घोषणा को पुष्ट करते हैं।

झारखंड के त्यौहार - झारखंड की संस्कृति प्रचुर त्योहारों के अपने समृद्ध खजाने के बिना कहीं नहीं है। सरहुल, करमा, सोहराई, बदना, टुसू, ईद, क्रिसमस, होली, दशहरा, आदि त्योहार झारखंड में मस्ती और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

सरहुल - सरहुल बसंत के समय मनाया जाता है जब जनजातियाँ गाँव के देवताओं को खुश करती हैं और उनकी सुरक्षा और सुरक्षा की माँग करती हैं। फूल सरहुल को प्रसाद के रूप में दिया जाता है; यह दोस्ती और भाईचारे का भी प्रतीक है। आदिवासी पुजारी इन फूलों को गांव के हर घर में भेजते हैं।

बादा-बांदा 'कार्तिक अमावस्या' के दौरान आयोजित एक लोकप्रिय त्योहार है। जानवरों को समाज में उनके योगदान को स्वीकार करने और उनकी विनाशकारी गुणवत्ता को शांत करने के लिए पूजा जाता है। इस त्योहार के गीत ओहरी के रूप में लोकप्रिय हैं।

टूसु-टुसू को 'पौष' के महीने के आखिरी दिन में सर्दियों के मौसम में फसल के समय मनाए जाने वाले आम त्योहार के रूप में मनाया जाता है। इस त्यौहार से संबंधित अनुष्ठान और रीति-रिवाजों को स्थानीय रूप से बनाए रखा जाता है।

हल पुहनाया - 'माघ' के महीने के पहले दिन, हल पुहनाया एक सर्दियों का त्योहार है जो जुताई की शुरुआत का जश्न मनाता है। यह दिन सौभाग्य और भाग्य संचय करने के लिए समय का प्रतीक है। रोहिन संभवतः सबसे महत्वपूर्ण लोक त्योहार है। यह लैंडिंग क्षेत्र में बुवाई के बीज के विकास का प्रतीक है। इस उत्सव के अवसर पर कोई नृत्य या गीत नहीं रचा जाता है। जनजातियों के बीच लोकप्रिय एक और त्योहार भगत परब है, जो भक्तों के लिए त्योहार है। यहाँ जनजातियाँ 'बुद्ध बाबा' की पूजा करती हैं और इसे वसंत के अंत में या ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत में मनाया जाता है।

झारखंड का संगीत और नृत्य - लोक संगीत और नृत्य झारखंड की संस्कृति का हिस्सा और पार्सल हैं। आदिवासी समुदायों के सरल और विनम्र आबादी विभिन्न सामाजिक समस्याओं और कठिनाइयों से ग्रस्त हैं जो उनके 'देसी-संगीत शैलियों में एक अभिव्यक्ति पाते हैं। 'झुमर' शब्द 'झुम' से लिया गया है जिसका अर्थ है बोलना। हालांकि इन गीतों की सामग्री विविध है, वे आमतौर पर प्रेम और रोमांस के विषय पर आधारित हैं। अखरिया डोमकच, दोहारी डोमकच, जनानी झुमर नृत्य, मर्दाना झुमर, फगुवा, उडसी, पावस, डेधरा, पहलसांझा, अधारतिया, विनसरिया, प्रातकली, झुमता आदि कुछ लोक संगीत हैं। इन्हें अक्सर संगीत वाद्ययंत्र जैसे सिंगा, बाँसुरी, अरबांसी, और साहनाई में गाया जाता है। रूंगटू घासी राम, घासी महंत कुछ प्रख्यात संगीतकार हैं जो इस भारतीय राज्य से उभरे हैं।

झारखंड का भोजन - हम झारखंड की संस्कृति को इस क्षेत्र के व्यंजनों के कुछ प्रकाश को फेंकने के बिना नहीं जान सकते। झारखंड के लोगों के मुख्य खाद्य पदार्थ गेहूं और चावल हैं। मुख्य रूप से सरसों के तेल का उपयोग खाना पकाने के माध्यम के रूप में किया जाता है। इस क्षेत्र को विभिन्न प्रकार की सब्जियों के पर्याप्त विकास से पोषण मिलता है। ये, फिर से, झारकइंडियों द्वारा विभिन्न तरीकों से पकाया जा रहा है। एक नियमित भोजन में दाल, चावल, फुल्का (रोटी), तरकारी (सब्जी) और आचार (अचार) शामिल होते हैं। प्रत्येक सीजन अपने साथ विभिन्न फलों और सब्जियों की बढ़ती है और यह झारखंडियों ने खुले हाथों में इन मौसमों के उपहारों को शामिल किया है।

(ख) नगर के राँची विद्युत बोर्ड के महाप्रबंधक को पत्र लिखिए जिसमें परीक्षा के दिनों में बार-बार बिजली चले जाने से उत्पन्न असुविधा का वर्णन हो।

उत्तर -

सेवा में,

अध्यक्ष

राँची विद्युत बोर्ड

राँची

महोदय,

मैं इस पत्र द्वारा आपका ध्यान नवीन शाहदरा क्षेत्र में बिजली के सकट से उत्पन्न कठिनाइयों की ओर आकृष्ट कराना चाहता हूँ। नवीन शाहदरा पुस्तक छपाई उद्योग की दृष्टि से दिल्ली का प्रमुख केंद्र बन गया है। इस क्षेत्र में और भी अनेक लघु उद्योग-धंधे स्थित हैं। इस क्षेत्र में घंटों बिजली नहीं होती, जिसके कारण यहाँ के निवासियों, व्यापारियों तथा विद्यार्थियों को अत्यधिक कठिनाई का सामना करना पड़ता है। बीच-बीच में दस-पाँच मिनट को बिजली आती है, तो राहत का अनुभव होता है, परंतु थोड़ी ही देर में पुनः चली जाने पर ऐसा लगता है, मानो बिजली आँखमिचौली का खेल खेल रही है। यह सिलसिला प्रायः प्रतिदिन चलता है। यदि बिजली जाने का कोई निश्चित समय हो, तो सन्न किया जा सकता है, परंतु अनिश्चितता से सभी को अत्यधिक कष्ट होता है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि बिजली आती तो है, पर बहुत कम वोल्ट की, जिससे ट्यूब आदि भी नहीं जलती। हमने दिल्ली विद्युत बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारियों से अनेक बार प्रार्थना की, परंतु हमारी एक न सुनी गई। बिजली के न आने से विद्यार्थियों पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। उनकी पढ़ाई नहीं हो पाती। यदि यह क्रम और जारी रहा, तो इस क्षेत्र के विद्यार्थियों के परीक्षा परिणाम पर बुरा असर पड़ेगा। उनका भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। बिजली चले जाने से असामाजिक तत्वों को भी प्रोत्साहन मिल रहा है। बिजली के न आने से पानी की भी भीषण समस्या उत्पन्न होती है। आप सोच सकते हैं कि गरमी के इन दिनों में यदि बिजली और पानी दोनों ही उपलब्ध न हों, तो जनजीवन कितना अस्तव्यस्त और कष्टमय हो जाता है।

आपसे अनुरोध है कि इस क्षेत्र के निवासियों की इस समस्या को सुलझाने के लिए आवश्यक कदम उठाएँ तथा संबंधित अधिकारियों को उचित निर्देश दें।

आभार सहित

भवदीय

क, ख, ग

सचिव

नवीन शाहदरा जन-कल्याण समिति, नवीन शाहदरा ।

दिनांक: 6 मार्च, 2023

(ग) 'फुटपाथ पर सोते लोग' विषय पर फीचर लिखिए।

उत्तर - फुटपाथ पर सोते लोग-महानगरों में सुबह सैर पर निकलिए, एक तरफ आप स्वास्थ्य लाभ करेंगे तो दूसरी तरफ आपको फुटपाथ पर सोते हुए लोग नजर आएँगे। महानगर जिसे विकास का आधार स्तंभ माना जाता है, वहीं पर मानव-मानव के बीच इतना अंतर है। यहाँ पर दो तरह के लोग हैं—एक उच्च वर्ग जिसके पास उद्योग, सत्ता, धन है, जो हर सुख भोगता है, जिसके पास बड़े-बड़े भवन हैं तथा जो महानगर के जीवनचक्र पर प्रभावी है। दूसरा वर्ग वह है जो अमीर बनने की चाह में गाँव छोड़कर आता है तथा यहाँ आकर फुटपाथ पर सोने के लिए मजबूर हो जाता है। इसका कारण उसकी सीमित आर्थिक क्षमता है। महँगाई, गरीबी आदि के कारण इन लोगों को भोजन ही मुश्किल से नसीब होता है। घर इनके लिए एक सपना होता है। इस सपने को पूरा करने के लिए अकसर छला जाता है यह वर्ग । सरकारी नीतियाँ भी इस विषमता के लिए दोषी हैं। सरकार की तमाम योजनाएँ भ्रष्टाचार के मुँह में चली जाती है और गरीब सुविधाओं की बाट जोहता रहता है।

(घ) संचार माध्यमों में दूरदर्शन की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए बताइए कि दूरदर्शन समाचार वाचक में कौन-कौन से गुण होने चाहिए?

उत्तर - संचार माध्यमों में दूरदर्शन की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो गई है। आज दूरदर्शन जनसंचार का सबसे लोकप्रिय और ताकतवर माध्यम बन गया है। प्रिंट मीडिया के शब्द और रेडियो की ध्वनियों के साथ जब दूरदर्शन के दृश्य मिल जाते हैं। तो सूचना की विश्वसनीयता कई गुना बढ़ जाती है।

एक दूरदर्शन समाचार वाचक में निम्नलिखित गुण होने चाहिए-

• उसकी बोली में स्पष्टता एवं विशिष्टता होनी चाहिए।

• उसे दृश्यों के साथ तालमेल बनाकर रखना चाहिए।

• समाचार वाचक को सहज होकर समाचार पढ़ने चाहिए।

• उसे विषयानुकूल मुख-मुद्रा बनाना आना चाहिए।

• उसे सामान्य शिष्टाचार का पूरा ध्यान रखना चाहिए।

• उसे अपनी वेशभूषा पर भी ध्यान देना चाहिए।

खण्ड-ग (पाठ्यपुस्तक)

3. निम्नलिखित में से किसी एक का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए। 5

(क) भर गया है जहर से

संसार जैसे हार खाकर,

देखते हैं लोग लोगों को,

सही परिचय न पाकर,

बुझ गई है लौ पृथा की,

जल उठो फिर सींचने को ।

उत्तर - प्रस्तुत पंक्तियाँ छायावादी कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' द्वारा रचित कविता 'गीत गाने दो मुझे से अवतरित हैं। यह कविता हमारी पाठ्य-पुस्तक 'अन्तरा भाग-2' में संकलित है।

कवि निराला कहते हैं कि सारा संसार विषमता से भर गया है। द्वेष और ईर्ष्या का विष जन-जन में व्याप्त हो गया है। विषमता के कारण लोग निराश हो गये हैं। और हार मान बैठे हैं अर्थात् जिजीविषा खो बैठे हैं। मनुष्यता हार गई है। विषम | परिस्थितियों से संघर्ष करने के कारण लोग जीना नहीं चाहते। वे जीवन का दाँव हार चुके हैं। लोग एक-दूसरे को अपरिचित की तरह देखते हैं। मनुष्य को उसकी सही पहचान नहीं मिल रही है। पारस्परिक स्नेह, सौहार्द्र का भाव समाप्त हो गया है। उसकी चेतना की लौ बुझ गई है। अतः कवि उस बुझी हुई लौ (जिजीविषा) को पुनः जगाना चाहता है। कवि सांसारिक विषमता को दूर करने और संघर्ष करने के लिए लोगों का आह्वान करता है। कवि गीत गाकर लोगों को प्रेरणा देना चाहता है कि वे जागें और अपने तेज से पृथ्वी की बुझी हुई लौ (जिजीविषा) को पुनः प्रज्वलित करें। कवि क्रान्ति चाहता है, विषाक्त और असंगत व्यवस्था को बदलना चाहता है।

(ख) जैसे शमी वृक्ष के तने से टिककर

न पहचानने में पहचानते हुए विदुर ने धर्मराज को

निर्निमेष देखा था अन्तिम बार

और उनमें से उनका आलोक धीरे-धीरे आगे बढ़कर

मिल गया था युधिष्ठिर में

सिर झुकाए निराश लौटते हैं हम

कि सत्य अन्त तक हमसे कुछ नहीं बोला

हाँ हमने उसके आकार से निकलता वह प्रकाश-पुंज देखा था।

हम तक आता हुआ

वह हममें विलीन हुआ या हमसे होता हुआ आगे बढ़ गया

उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियाँ छायावादी कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' द्वारा रचित कविता 'गीत गाने दो मुझे से अवतरित हैं। यह कविता हमारी पाठ्य-पुस्तक 'अन्तरा भाग-2' में संकलित है। बिदुर अन्ततः रुक गए और पलटकर युधिष्ठिर की ओर देखने लगे। ठीक इसी तरह दृढ़ संकल्प वाले उस व्यक्ति को सत्य की प्राप्ति हो जाती है जो लगातार सत्य का अनुगमन करता है। शमी वृक्ष के तने से टिककर खड़े विदुर ने जैसे धर्मराज को पहचानने का प्रयास करते हुए अन्तिम बार बिना पलक झपकाए एकटक दृष्टि से युधिष्ठिर को देखा और उनमें से उनका तेज (प्रकाशपुंज) निकलकर युधिष्ठिर में समा गया। अन्ततः युधिष्ठिर उस तेज पुंज से सम्पन्न होकर सिर झुकाकर लौट आए क्योंकि विदुर ने उनसे कुछ कहा नहीं, बस अपना प्रकाशपुंज उन्हें सौंप दिया। ठीक इसी प्रकार अपने दृढ़ चय के बल पर हम सत्य को भले ही प्राप्त कर लें पर सत्य पर पहुँचकर भी हम सत्य से वार्तालाप नहीं कर पाते। सत्य विदुर की भाँति अन्त तक हमसे कुछ नहीं बोलता, बस उसमें से निकला प्रकाशपुंज हम देखते हैं जो हम में विलीन हो जाता है अथवा हमारा भी अतिक्रमण कर आगे बढ़ जाता है।

4. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 3+3=6

(क) 'नाम' क्यों बड़ा है ? लेखक के विचार अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर- नाम बड़ा है या रूप? इस प्रश्न पर विचार करते हुए लेखक कहता है कि जब तक नाम रूप से पहले हाजिर न हो जाए तब तक रूप की पहचान अधरी रह जाती है। नाम इसलिए बड़ा नहीं है कि वह नाम है। है कि उसे सामाजिक स्वीकृति (सोशल सेक्शन) प्राप्त है। किसी भी व्यक्ति, वस्तु या स्थान की पहचान उसके समाज स्वीकृत नाम से ही होती है। नाम इसीलिए रूप से बड़ा है। तुलसी ने भी कहा है— कहियत रूप नाम आधीना।

(ख) लेखक के अनुसार स्वातंत्र्योत्तर भारत की सबसे बड़ी ट्रेजेडी क्या है?

उत्तर- स्वातंत्र्योत्तर भारत की सबसे बड़ी ट्रेजेडी यह है कि हमारे देश के पश्चिम में शिक्षित सत्ताधारियों ने पश्चिम की देखादेखी और उनका अंधानुकरण करते हुए जो विकास, योजनाएँ, बनाई उसमें प्रकृति, मानव और संस्कृति के नाजुक संतुलन को ध्यान में नहीं रखा। परिणामतः हमारा पर्यावरण नष्ट हुआ और प्रकृति के साथ हम खिलवाड़ करते रहे। औद्योगिक विकास का यह पश्चिम आधारित मॉडल ही हमारी सबसे बड़ी ट्रेजेडी थी। हमारे सत्ताधारियों को विकास का नया भारतीय मॉडल। बनाना चाहिए था, पश्चिम की नकल नहीं करनी चाहिए थी।

(ग) भद्रमथ शिलालेख की क्षतिपूर्ति कैसे हुई? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- इजियापर गाँव में भद्रमथ का एक शिलालेख मिला था किन्त उसे 25 रुपए देकर मजमदार साहब ने भारत सरकार के पुरातत्व विभाग के लिए खरीद लिया। प्रयाग संग्रहालय में भद्रमथ के शिलालेख पहले से थे अतः अधिक हानि नहीं हुई। व्यास जी ने सोचा कि हजियापुर में और भी पुरातात्विक महत्त्व की सामग्री मिल सकती है यह सोचकर उन्होंने गुलजार मियाँ के यहाँ डेरा डाल दिया। उनके घर के सामने कुँए पर चार खम्भों को परस्पर जोड़ने वाली बँडेरों में से एक बैंडेर पर ब्राह्मी अक्षरों में लेख था। व्यास जी ने वह बँडेर संग्रहालय के लिए निकलवा ली और इस प्रकार भद्रमथ के शिलालेख की क्षतिपूर्ति हो गई।

5. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 3+3=6

(क) 'कार्नेलिया का गीत' में व्यक्त प्रकृति चित्रों को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर - प्रस्तुत गीत में प्रसाद जी ने भारत के प्राकृतिक सौन्दर्य एवं सांस्कृतिक महत्त्व का वर्णन किया है। प्रातः काल सूर्य की प्रथम किरणें जब भारत की भूमि पर पड़ती हैं तब प्रकृति की शोभा देखते ही बनती है। उस समय प्रकृति मधुमय दिखाई देती है। यहाँ दूर देशों से आने वाले व्यक्तियों को आश्रय मिलता है। यह देश सभी की शरणस्थली है। यहाँ के मनुष्य दयावान और करुणावान हैं तथा सभी के प्रति सहानुभूति रखते हैं। यहाँ के लोग सभी को सुख पहुँचान वाले हैं। भारत में विविध सभ्यता-संस्कृति, रंग-रूप, आचार-विचार एवं धर्म वाले प्राणियों के साथ समानता का व्यवहार किया जाता है। इस प्रकार कवि ने इस कविता में भारत की अनेक विशेषताओं की ओर संकेत किया है।

(ख) कविता में पंचवटी के किन गुणों का उल्लेख किया गया है?

उत्तर- पंचवटी गुणों में धूर्जटी (अर्थात् भगवान शिव) के समान है। यहाँ रहने वाले लोगों के दुःख नष्ट हो जाते हैं और छल-प्रपंच भी नष्ट हो जाते हैं। यहाँ जो व्यक्ति निवास करते हैं वे मृत्यु की इच्छा नहीं करते क्योंकि यहाँ सब प्रकार के सुख ही सुख हैं। यहाँ का प्राकृतिक सौन्दर्य विलक्षण है जिसका अवलोकन करने हेतु बड़े-बड़े ऋषि-मुनि भी आते हैं और उनकी समाधि भंग हो जाती है। यहाँ रहने वाले व्यक्ति को अनायास ही ज्ञान प्राप्त हो जाता है क्योंकि उसे तपस्वियों, साधुओं का सत्संग प्राप्त होता है। यही नहीं यहाँ उसे मुक्ति भी अनायास ही मिल जाती है।

(ग) 'बारहमासा' के आधार पर नागमती की बिरह व्यथा का चित्रण कीजिए।

उत्तर- विरह बाज पक्षी की तरह अपने शिकार को घेरे हुए है; उसी के चारों ओर मँडरा रहा है। जीते जी वह पक्षी उस शिकारी (बाज) के डर से तो सूख ही रहा है जब वह उसे अपना शिकार बनाकर मार डालेगा उसके बाद भी उसकी दुर्दशा करेगा (चीर-फाड़कर खा जाएगा)। ठीक इसी प्रकार नागमती को लगता है कि विरह बाज पक्षी की तरह उसे चारों ओर से घेरे हुए है, जीते जी उसे खा रहा है अर्थात् विरह के कारण वह रात दिन दुर्बल होती जा रही है। उसे लगता है कि यह विरह अवश्य ही उसे मार डालेगा और शायद मरने के बाद भी उसका पीछा नहीं छोड़ेगा। इस पंक्ति से विरहिणी नागमती की निराशा झलक रही है।

6. 'केशवदास' अथवा 'विद्यापति' में से किसी एक कवि का साहित्यिक परिचय लिखिए। 2

उत्तर- साहित्यिक परिचय-भाव-पक्ष-केशवदास की रचनाओं में उनके तीन रूप मिलते हैं-आचार्य, महाकवि और इतिहासकार। आचार्य होने के कारण वह संस्कृत की शास्त्रीय पद्धति को हिन्दी में लाने के लिए प्रयासरत थे। उन्होंने रीति ग्रन्थों की रचना की। केशव ने रामकथा को लेकर काव्य रचना की है।

केशव के काव्य में नाटकीयता है तथा उनकी संवाद-योजना अत्यन्त सशक्त और प्रभावशाली है। कला-पक्ष-केशव ने ब्रजभाषा में रचनाएँ की हैं। उनकी भाषा में कोमलता और माधुर्य के स्थान पर क्लिष्टता पाई जाती है। उनको रीतिकाल का प्रवर्तक माना जाता है। उनके काव्य में शब्दों के चमत्कार पर अधिक बल दिया। गया है अतः उनके काव्य में सहृदयता तथा मधुरता का अभाव है।

कृतियाँ - रामचन्द्र चन्द्रिका (रामकथा पर आधारित महाकाव्य), रसिक प्रिया, कवि प्रिया, छन्दमाला, विज्ञान गीता, वीरसिंह देव चरित, जहाँगीर जसचन्द्रिका, रतनबावनी ।

अथवा,

विद्यापति भक्ति और शृंगार के कवि हैं। शृंगार उनका प्रधान रस है । वयः सन्धि, नख - शिख वर्णन, सद्यः स्नाता एवं नायिका के अभिसार का चित्रण विद्यापति के प्रिय विषय हैं। विद्यापति को मैथिल कोकिल तथा अभिनव जयदेव कहा जाता है। उनकी वाणी में कोयल जैसी मधुरता है। कला-पक्ष-विद्यापति का संस्कृत, अवहट्ट (अपभ्रंश) तथा मैथिली पर पूरा अधिकार था। उन्होंने इन तीनों भाषाओं में रचनाएँ की हैं। उनकी पदावली के गीतों में भक्ति और श्रृंगार तथा 'कीर्तिलता' और 'कीर्तिपताका' में दरबारी संस्कृति और अपभ्रंश काव्य परम्परा का प्रभाव दिखाई देता है। उनकी रचनाओं में मिथिला क्षेत्र के लोक व्यवहार तथा संस्कृति का सजीव चित्रण है।

कृतियाँ-भू-परिक्रमा, पुरुष परीक्षा, कीर्तिलता, कीर्तिपताका, पदावली।

7. किस घटना के कारण सूरदास की वदनामी होती है ? 'सूरदास' की झोंपड़ी' अध्याय के आधार पर संक्षेप में लिखिए। 2

उत्तर - भैरों एक दुष्ट व्यक्ति था। वह अपनी पत्नी सुभागी को मारता था। एक दिन सुभागी मार की डर से सूरदास की झोंपड़ी में आकर छिप गई। भैरों ने उसे वहाँ देख लिया और उसने यह प्रतिवाद शुरू कर दिया कि सूरदास ने उसकी पत्नी पर डोरे डाले हैं, उसे भगाकर ले गया है, उसकी आबरू बिगाड़ी है। भैरों के इस प्रकार के आक्षेप से सूरदास की बदनामी होती है।

अथवा,

सूरदास के रुपये किसने और क्यों लिए ?

उत्तर- भैरों अच्छा आदमी नहीं था। वह अपनी पत्नी सुभागी को मारता पीटता था। एक बार सुभागी उसकी पिटाई से बचने के लिए सूरदास की झोपड़ी में आकर छिप गई। भैरों उसे मारने के लिए सूरदास की झोपड़ी में घुस आया। परन्तु सूरदास ने उसे बचा लिया तब से वह सूरदास से द्वेष करने लगा तथा सूरदास के चरित्र पर लांछन लगाने लगा। उसकी सूरदास के प्रति ईर्ष्या इतनी बढ़ गई कि उसने सूरदास की अनुपस्थिति में उसकी झोंपड़ी में घुसकर बचाकर रखे हुए : उसके रुपयों की पोटली चुरा ली और उसकी झोपड़ी में आग लगा दी।

8. रूप ने भूपदादा को धक्का क्यों दिया ? 'आरोहण' अध्याय के आधार पर उत्तर संक्षेप में लिखिए। 2

उत्तर - रूप वर्षों पहले अपने घर से देवकुंड भाग गया था। भूप दादा उसे खोजते हुए आए थे और उसे पकड़ लिया था।

वह फिर से न भाग जाय, यह सोचकर दादा ने उसकी कलाई कसकर पकड़ रखी थी। वे गाँव लौट रहे थे। पहाड़ी रास्ते पर चलते समय उनसे छुटकारा पाने के लिए रूप ने उनको धक्का दिया था। वे सँभल न सके और फिसल गए। हाथ पकड़ा होने के कारण रूप भी उनके साथ खिंच गया।

वे ढलान पर लुढ़कने लगे। रास्ते में खड़े एक पेड़ के एक तरफ रूप तथा दूसरी तरफ दादा लटके हुए थे। दादा बहुत मजबूत इंसान थे। उन्होंने जैसे-तैसे रूप को खींचा और ऊपर ले आए और उसका हाथ छोड़ दिया।

अथवा,

'हाथीपाला' का नाम 'हाथीपाला' क्यों पड़ा? 'अपना मालवा-खाऊ- उजाडू सभ्यता में' अध्याय के आधार पर संक्षेप में लखिए।

उत्तर- हाथीपाला का नाम इसलिए हाथीपाला पड़ा कि कभी वहाँ की बहने उत्तर- वाली नदी को पार करने के लिए हाथी पर जाना पड़ता था। चंद्रभागा पुल के नीचे उतना पानी रहा करता था, जितना महाराष्ट्र की चंद्रभागा नदी में। इंदौर के बीच से निकलने और मिलने वाली ये नदियाँ कभी उसे हरा-भरा और गुलजार रखती थीं। लेकिन आज वे सड़े नालों में बदल गई हैं।

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