12th अंतरा 2. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (क) गीत गाने दो मुझे (ख) सरोज स्मृति

12th अंतरा 2. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (क) गीत गाने दो मुझे (ख) सरोज स्मृति
12th अंतरा 2. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (क) गीत गाने दो मुझे (ख) सरोज स्मृति
गीत गाने दो मुझे प्रश्न 1. कंठ रुक रहा है, काल आ रहा है' - यह भावना कवि के मन में क्यों आई ? उत्तर : कवि ने जीवन-पर्यन्त संघर्ष किया है और संघर्ष करते-करते वह थक गया है। ठग-ठाकुरों द्वारा किए गए शोषण को देखकर कवि व्याकुल हो गया है, उसकी आत्मा रो रही है। जीवन में निरन्तर अन्याय सहने के कारण वह सुध-बुध खो चुका है। ऐसे संसार में कवि को जीवन-यापन करना कठिन लग रहा है। वह अपनी जिजीविषा की समाप्ति का अनुभव कर रहा है। इस शोषण भरे समाज में वह अनुभव करता है कि उसका दम घुट रहा है। इसी कारण कवि के मन में यह भाव आ रहा है कि उसका कंठ रुक रहा है, काल आ रहा है। प्रश्न 2. 'ठग-ठाकुरों' से कवि का संकेत किसकी ओर है ? उत्तर : 'ठग-ठाकुरों' एक प्रतीक है जो उन शोषकों की ओर संकेत करता है जो सदैव समाज का शोषण करते रहे हैं और स्वयं विलासिता का जीवन व्यतीत करते रहे हैं। ये पूँजीपति वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं और सदैव सामान्यजन पर अत्याचार करते रहते हैं। अपने अपार धन के कारण वे समाज के स्वामी बने हुये हैं। वे दूसरे की परिश्रम से की हुई कमाई पर स्वयं विलासी जीवन जीते हैं। ये छिपे हुये ठग हैं ज…